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साहित्य-परिचय और समालोचन जीवन-साहित्य-(विश्व-शान्ति अंक) अहिंसक पूर्ण लेख प्रकाशित हैं और जो सभी पठनीय हैं। नवरचनाका प्रमुख मामिक पत्र, सम्पादक श्री जीवनसाहित्यका प्रत्येक अंक महत्वका होता है किंत हरिभाऊ उपाध्याय तथा श्री यशपाल जैन, प्रका- यह अक पिछले सभी अंकों और विशेषांकोंसे भी शक सस्ता साहित्य मण्डल, नई देहली, वार्षिक अच्छा बन पड़ा है और जिसके लिये उसके सयोग्य मल्य ४), इस अंकका शा)।
सम्पादकोंको धन्यवाद दिये बिना नहीं रहा जा प्रस्तुत मासिक विगत ग्यारह वर्षोंसे प्रकाशित
सकता। होरहा है । यह हिन्दीके उच्च कोटिके पत्रोंमें प्रमुख ज्ञानोदय- (विश्व-शांति अंक), श्रमणसंस्कृतिका
और अहिंसक नव रचनाका अप्रतिनिधि पत्र है अप्रदूत मासिक, सम्पादक मुनिकांतिसागर, पं० गांधीजीके सत्य और अहिंसा सिद्धान्तोंका प्रचार फूलचन्द्र सिद्धांतशास्त्री, प्रो. महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य, करनेवाला यह खास पत्र है । भारतने सदा ही इस अंकके सहायक विष्णुप्रभाकर । प्रकाशक भारविश्वको शान्तिका मार्ग दिखाया है । ढाई हजार तीय ज्ञानपीठ काशी । वार्षिक मूल्य ६), इस अंकका वर्ष पूर्व भगवान महावीर और भगवान् बुद्धने ११)। संसारको जिन सिद्धान्तोंका उपदेश देकर विश्वमें यह मासिक भारतीय ज्ञानपीठ काशोसे उक्त शान्ति तथा सुखकी समृद्धि की थी आज उन्हीं सुयोग्य सम्पादकोंके सम्पादकत्वमें गत जुलाई माससिद्धांतोंका पुन: गांधीजीने विश्वको उपदेश देकर से प्रकाशित हुआ है। प्रस्तुत अक उसका विश्वशान्तिका मार्ग प्रशस्त किया है । गत दिनों देशक शांति विशेषांक है। इसमें देश-विदेशके प्रख्यात विभिन्न भागोंमे विश्वके शान्ति-इच्छुकोंके शान्तिः कोई ३३ विद्वानोंके महत्वपूर्ण लेख निबद्ध हैं और सम्मेलन हुए थे और उन्हें बापूके मागेद्वारा शांति जो ध्यानसे पढ़ने योग्य हैं। ये सभी लेख विश्व-शांति स्थापित होना बतलाया गया था। इस अंकमें उसी की दिशा बतलानेवाले है। यदि इस प्रकारका उद्देश्यकी पूर्तिका प्रयत्म हुआ है । इसमें देश-विदेश साहित्य देश-विदेशके कोने-कोनेमें पहुँचे तो कोई क आचार्य विनोवा, डा०राजेन्द्रप्रसाद, श्री अरविंद. असम्भव नहीं कि दुनिया उन्हें न पढ़े और पढनेपर श्री माताजी, श्री होरेस अलेक्जेण्डर, महात्मा भग- उनपर कोई असर न हो । ऐसे साहित्यकी सृष्टि वानदीन, श्री काका कालेलकर, श्री किशोरलाल जहाँ हिन्दीके भण्डारको समृद्ध बनाती है वहाँ घ. मशरूवाला, श्री हरिभाऊ उपाध्याय, डा०प्रफ. पाठकोंको मानसिक स्वस्थ एवं आल्हादकारक भोजन ल्लचन्द्र घोष, श्री राजकुमारी अमृतकौर, श्री दादा भी प्रदान करती है । पत्रके सुयोग्य सम्पादकों और धर्माधिकारी, डा० कैलाशनाथ काटजू , श्री बनारसी- ज्ञानपीठ काशीका यह सामयिक प्रयत्न सराहदास चतुर्वेदी, श्री जैनेन्द्रकुमार, श्री कमलनयम नी है। बजाज, श्री एस. जी. वैरिंगटम, श्री कैलाशचन्द्र शास्त्री, स्वामी सत्यभक्त, श्री यशपाल जैन, श्री डा.
दरियागंज, देहली। दरबारीलाल जैन, वासुदेवशरण अग्रवाल जैसे ४२ विद्वानोंके विचार.
१७ फरवरी १६५०,