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अनेकान्त
[वर्ष १०
पर स्थित है १६०१ में यहांकी आबादी ३१५० थी। पुराना कुआँ है जो बड़े ककड़ोंसे बना है। मालूम इसमें अहीर अधिक हैं।
पड़ता है कि ये टुकड़े किसी पुरानी इमारतसे ___ लखना, तहसील भरथना-लखना एक छोटा निकाले गये थे। कस्वा है । यह २६-४० अक्षांश उत्तर तथा ७६-११ इस खेड़ा में बहुतसे फर्स लगे हैं जो आधुनिक पूर्व भरथनासे सहसों जाने वाली रोडपर स्थित है। मकानोंके काममें लाये जाते हैं और जो यहां ३०,४० यह भरथना स्टेशनसे १० मीज तथा इटावासे १४ फीट नीचे तक मिलते हैं । मि० ह्य मने इस स्थानको मील दूर है। यह कस्बा भोगिनीपुर नहर के दाहिने मूञ्ज बताया है जो १०१८ में महमूद गजनीद्वारा किनारेपर स्थित है और इटावाऔरयाकी सड़कसे अधिकारमे कर लिया गया था। २ मील दक्षिणमें है । १८६३ में लखना तहसीलका बाली तहसील भरथना-यह एक बड़ा गांव प्रधान कार्यालय था। उसी बर्ष यह कार्यालय भर- जो २६-४४ अक्षांश उत्तर तथा ७-१७ अक्षाश पूर्व थनामें हटा दिया गया।
इटावास १४ माल पूर्व तथा भरथनास ४ मील है। मूज तहसील इटावा-यह गाँव इटावा-फम्- १९०१ में इसकी आबादी २-४७ थी जिनमें वैश्यों खाबाद रोडके निकट २६-५५ अक्षांश उत्तर ७०-११ और अहीरोंकी संख्या अधिक थी यहांपर प्राचीन अक्षांश पूर्व में इटावासे १४ मील उत्तर-पूर्व में स्थित खेड़ा है जिसके चारों ओर बिनसियाकं चौधरी जय. है । १८७२ में इसकी आबादी ६८४ तथा १९०१ में चन्दद्वारा बनवाई एक प्रचीर है। २६१६ हो गई । अहीर यहाँ अधिक हैं । प्राचीन सम- इटावा जिलेकी भूमि ऐतिहासिक सत्योंको यमें विस्तार तथा ऊंचाईको ध्यानमें रखकर यह खेरा अपने हृदयमें छिपाये पड़ी है। आसई खेड़ा, मृञ्ज, मज प्रसिद्ध स्थान जान पड़ता है। यहाँ के निवासी कुदरकोट और चकरनगरक खंडहरोंमें जैन मूर्तियां कहते है कि यह कौरव और पाण्डवोंका युद्ध स्थल और जैन साहित्यका कितना भंडार पड़ा है यह था। इसका उल्लेख महाभारतमें है कि इस अव- तो कोई अन्वेषो अनुसन्धानकर्ता हो बतला सकता सरपर राजा मुञ्ज जिसका नाम मूर्तध्वज था, अप- है। यदि यू.पी. की सरकार इन ऐतिहासिक स्थानोंकी ने दो लड़कोंके साथ राजा युधिष्ठिरमे नड़ा । इस ओर ध्यान दे तो बहुत-सी अप्राप्य ऐतिहासिक सामग्री सम्बन्धमें अबभी मूर्तध्वजके किलेके दो गुम्बजकी प्राप्त की जासकती है। क्या सरकारका ध्यान इस ओर संकेत कर लोग बताते हैं । खेराके उत्तर में एक ओर जायेगा ?