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किरण४]
संयम
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अर्थात् रात बहुत सी तो निकल चुकी है अब पुत्रके साथ है मैं चाहती थी कि आप इसके साथ थोड़ी सी बाकी रह गई है सो वह भी चली जावेगी। मेरी शादी कर देते और कुछ गांव देकर मुझे खुश अतः अपना काम करती चलो; क्योंकि अब फल कर देते पर मेरी उमर २० वर्षकी होगई आप लोभ मिलने की बात है।
वश कुछ करते धरते नहीं इसलिये दोहा सननेके यहां दोहा कहनेकी देर थी कि राजाके लड़के पहले में सोच रही थी कि आज सवेरा होनेके ने उसे अपना कई लाखका हार गलेस उतारकर पहले ही इसके साथ कहीं चली जाऊं, पर दोहा सुन दे दिया। लड़कीने अपने हाथकी कीमती पहंची कर मुझे विवेक आया कि बहुत समय तो निकल दे दी, और एक वृद्ध माधु बैठा था सो उसने अपना चुका है अब थोड़ा-सा और रह गया है पिताजीके कीमती दुशाला दे दिया। राजाको यह बात बहुत बाद हमारे भाईको राज्य मिलेगा वह हमसे स्नेह अखरी उसने लड़केस कहा बेटा ! तुम इस दोहापर रखता है अतः इच्छानुसार काम कर देगा, व्यर्थ इतने लट्र होगये कि ७ लाख रुपयेका हार तमने की बदनामी क्यों उठाऊं? पिताजी आज मैं कलंक दे डाला ? मै बहुत देता दस पचास रुपये देता। से बच गइ इसीकी खुशीमें मैंने अपनी पहुंची इसे लड़केंने कहा पिताजी इसके दोहाने मुझे पितहत्या देदो। राजाने साधुमे भी पूछा कि तुमने अपना सं बचा लिया यह दोहा सुनने के पहले मेरा विचार दुशाला क्यों दे दिया ? उसने कहा महाराज ! हो रहा था कि आप इतने वृद्ध हो गये फिर भी हमारी आयुका बहुतसा भाग तो बीत चुका अब मुझे राज्य नहीं दे रहे अत: नौकरम विष दिलाकर थोड़ा-सा रह गया है सो वह भी निकल जायगा।
आपको मार डाल और स्वयं राज्य करने लगृ; पर मुझे यह कीमती दुशाला क्या शोभा देता है ? यह दोहा सुनकर मेरा विचार बदल गया कि बहत यह सोच कर मैंने इसे दे दिया। राजा तीनोंके उत्तर समय तो बीत गया अब आप हमेशा तो जीते न सुनकर प्रसन्न हुआ और सवेरा होते ही लड़केको रहेगे साल दो मालमें अवश्य खतम हो जाओगे तब राज्य देकर तथा पुत्रीका मंत्री-पुत्रके साथ विवाहको राज्य मुझे ही मिलेगा पितहत्याका पाप क्यों व्यवस्था कर संन्यासी होगया। करू? इस दोहाको सुनकर मैं पापसे बच गया मोया। अब फल मिलनेकी बात है जरासे अतः मैने उसे हार दे दिया, राजाने कहा, ठीक है। अब लड़की से पूछा बेटी तमने कीमती पहंची क्यों विलम्बके पीछे अपने महासिद्धान्तसे विचलित नहीं द दी, उसने कहा पिताजी ! मेरा अनराग मंत्रीके होओ।
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