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हिन्दूकोडविल
(बा. माईदयाल जैन, बी०ए०बी०टी०)
'हिन्दूकोडबिल' के नामसे प्रायः सभी लिखे जो असफल रहा । उनका विरोध अभी जारी है। पढ़े आदमी परिचित है। आजकल चर्चाका वह पर यह समझना भूल होगी कि सभी सनातन खास विषय बना हुआ है। भारतीय विधान परि- धर्मी इसके विरुद्ध है। उनमेंसे बहुतसे इस विचारके षदमें वह पेश हो चुका है और सिलेक्ट कमेटी उसपर हैं, कि बिलकी अच्छी अच्छी बातें पास की जायें अपना मत दे चुकी है। हमारी वर्तमान सरकार तो और बाकी दोषपूर्ण बातोंमें उचित सुधार, संशोधन उसे आगामी कुछ महीनोंमे ही पास करके कानूनका या परिवर्तन करके पास किया जाय । इसी विचारके रूप देनेपर तुली हुई है।
कुछ सनातनधर्मी नेताओंने, जिनमें गोस्वामी श्री हिन्दू समाज सम्बंधी सभी कानूनोंको इकट्ठा कर गणेशदत्तजी मुख्य हैं, एक संस्था "अखिल भारतीय के और उनमें कुछ नये परिवर्तन करके एक बहुत ही
हिंदू कोड बिल विचार समिति" दिल्ली में स्थापित को
है। इस समितिका विचार यह है कि हिंदूकोडबिल क्रांतिकारी रूपमे यह पास किया जारहा है। इस
के गुण-दोषोंपर विचार किया जाय । जिनपर यह बिलमें लिखी बातोंका सक्षेपमें कुछ परिचय तो
बिल लागू होता है, उनके धर्माचार्यों, नेताओं और आगे दिया जायेगा, पर यहां उसके बारेमे जो हल
विद्वानोंकी एक कान्फ स बुलाई जाय, और उसमे चल और विचारधारायें है, उनका भी कुछ हाल इस बिलपर विचार किया जाय और उसके मतानुदिया जाता है।
सार भारत सरकारसे इस बिलको पास कराया जाय। ___ पास होजानेपर यह बिल हिंदुओंके अतिरिक्त इस समितिका काम संयोजकका-सा है । जैनसमाज जैनों, बौद्धों, और सिखोंपर भी समान रूपसे लागू का सहयोग पानेके लिये इस समितिकी कार्यकाहोगा, इसलिये जैनोंको इसे खूब समझना चाहिये रिणी कमेटीमें श्राचाये श्रीविजयबल्लभ सरिजी,
और इसके बारेमें समयसे पहले ही अपना रवैया, ला० श्रीराजेन्द्रकुमारजी, ला. श्रीतनसुखरायजो, नीति और मत तय कर लेना चाहिये । वरना बिलके श्रीमती लेखवतीजी और इन पंक्तियोंका लेखक भी पास होजानेके बाद शोर मचाने, वावेला करने और है। हमारा प्रयत्न यह होगा कि जैनसमाजके तीनों पछतानेसे कुछ न बनेगा । पर मुझे यह देखकर सम्प्रदायोंके सभी विचारोंके धर्मविद्वानों, नेताओं बहुत खेद होता है, कि हम इस मामलेमें प्रायः और विद्वान् वकीलोंके परामर्शसे जैनसमाजका निश्चिन्त-से बैठे है और हमारी समाजके रवैया और मत इस समितिके द्वारा भारत सरकार तीनों सम्प्रदायों में इसके बारेमें कोई विशेष हलचल तक पहुँचाया जाय और जैनहितोंको रक्षा की जाय । या चर्चा नहीं है।
ऊपरके दो विचारोंके इलावा देशके विद्वानोंके सनातनधर्मी पुराने विचारके कुछ हिंदू स्वामी कुछ और मतोंका सार भी यहाँ दिया जाता है । जो करपात्रीजीके नेतृत्वमे इस बिलका तीव्र विरोध कर कि उपरोक्त समितिमें आये हुए पत्रोंपरसे लिये रहे है । पहले कुछ सत्याग्रह भी उन्होंने किया था, गये हैं।