________________
अनेकान्त
[वर्ष १० परिचय न दिया जा सकेगा, संक्षिप्त परिचय कमरोंका माप १६४७ फट है। बगलके कमरे से और कहीं-कहीं तो नामोल्लेखसे ही संतोष कर के है। लिया जाएगा और फिर कभी स्वतन्त्ररूपसे इनके मचपुरी या मेयपुरी-दोमंजिली गुफा है । इसमें विषयमें लिखा जायगा।
३२४११ का वरामदा और दो कमरे १७४७ के हैं सीढ़ियोंके मार्गस दर्शक एक छोटे-से गुफा- प्रत्येकमे गधर्व आदि उत्कीर्ण है। इस गुफाका समूह तक पहुंचते हैं, जिनमें छाटा हाथी गुफा महत्व इस कारण और भी बढ़ जाता है कि इसमें और जयविजय गुफाए है। इन्हे पीछे छोड़ते हुए हाथीगुफाके लेखसे किचित उत्तर कालका एक आगे ३० गज करोब बदनपर लम्बी और दो. लेख उत्कीण है जिससे खारवेलके उत्तराधिकारी मंजली रानीगुफापर पह'च जाते है, यह खंडगिरि के विषयमे जानकारी प्राप्त होती है जिसन यह गफा की गुफाओंमें सबसे लम्बी और शिल्पांकनमें खुदवाई थी। उक्त लेख इस प्रकार है:भी सबसे बड़ी-चढ़ी है । इसकी निचली मंजिल खरस माहराजस कलिगाधिपतिनो महा [मेघ] की प्रधान गैलरीमे तीन कमरे है, दाएं और वा १,५ वाहकुदेपमिरिनो लेन [] एक दूसरा लेख भी हैकमरा है। उपरली मंजिलकी गैलरीमे चार कमरे और कुमारो बडुखस लेन । दाएं-बाएं १,१, कमरा है। कमरोंके मापके अनुसार स्वर्गपुरी गुफा--ई० पू०२री शतीकी है। इसका उनमें १ से ३ तक द्वार है । स्तभशोर्पोपर दो-दो मामनका कमरा २४|| फुट लंबा है। इसमे तीन पंखयुक्त पशु है। निचली और उपरली मंजिलोंके पंक्तियोंका लेख भी है जो खारवेलकी पट्टरानीका वरामदे और कमरे भिन्न विस्तारक है। यहॉकीमभी है। लेखमे खारवलको कजिगचक्रवर्ती कहा गया है। गुफाओं में पार्श्वनाथको विशिष्ट स्थान प्राप्त है। उनके मूल लेख इस प्रकार है :जीवनसे संबंधित घटनाए भी उत्काणं की गई है। मान लेने कारित राजिना ल []लाक [स]
* १. अरहत पसादाय [] कालिंगा [ना] [मम] इसके अतिरिक्त विद्याधरों, संगोतात्सवों आदि । के भी परिचय दिए गए है।
२. हथिम हसपपोतस धु [ड] ना कलिगच
[कतिनो सिरि खा] रवलस बाजाघर-प्रथम शती ई० पू० की गुफा है।
३. अगमहिनी [न ] | कारि [] इसके वाए छोटा हाथी गुफा है।
गणेश गुफा-स्वर्गपुरीसे ५० गजकी दूरीपर अलकपुरी-छोटा हाथो गुफाके वाहै। इमका समय रानो गुफासे किञ्चित उत्तर है। यह भी दो
है। यह रानीगुफाक ही समकालीन है । इसका मंजली है, प्रत्येक मंजिलमें एक-एक आयताकार
वरामदा ३० ६ का है। यहां पद्मासन तीर्थकर, कमरा है, नीचेका कमरा २१४७ का है और
यक्ष आदि उत्कीर्ण है। 5वीं-वीं शतीका एक उसमे ३ द्वार हैं। ऊपरी कमरा २१॥ ४01 का है
नागरी लेख भी निम्न प्रकार है:जिसके द्वार अधिक ऊँच और चौड़े है । कमरोंम
१ श्री शानिकर मौराज्यादाचन्द्राक्क सिंह, पखयुक्त घोड़े, मनुष्यक चेहरेवाले पशु
२ गृहे गृहे आंद [?] स [2] ज्ञे पुन: प्र'गे [?] आदि उत्कीर्ण है।
३ जास्य विराजे जने इज्यागभममुद जयविजय गुफा- अलकपुरीके वार्य है। इसमें
४ भूतो नन्नटस्य सतो भिषक भोमातो दो कमरे और एक वरामदा है जो १३४४ का है।
५ याचते वान्यप्रस्थ सम्बत्मरात्पुनः' जय-विजयके उपर ११.५७ मापकी एक अन्य खली
धानघर-स्वगपुरीसे २० गजकी दुगेपर है। गुफा है। ठकुरानी, पनस, पातालपुरीमेंसे पाताल
इसका मंडप १८४७ का है और उसमे तीन द्वार पुरीमें बरामदेसे चार कमरोंके लिए चार द्वार है। इपिप्राफिया इंडिका जिल्द १३ ।