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अनेकान्त
[वर्ष १०
सन है । पाषाण काला है।
' दूसरी देवीको मूर्ति है । दोनों तरफ दो देवी बैठी लेख-संवत् १२०............साहु श्रीहरिषेण भार्या हैं। कुछ ऊंचे हिस्सेपर दोनों तरफ पैरोंके निशाने रुद्री सुतसोमदेव मालह-साहु-णिसारमा--प्रणमन्ति हैं, जो उसके ऊपर निर्मित मूर्ति के सूचक हैं। जो नित्यम् ।
संभवतः पार्श्वनाथकी होगी और जो अब खंडित भावार्थ:-संवत् १२०० में शाह श्रीहरिषेण हो चुकी है। यह करीब २॥ फुट ऊंची खगासन है। उनकी पत्नी रुद्री उसके पुत्र सोमदेव-माल्ह शाह लेख-अवधपुरान्वये साहु हुसल-भार्यागाणिसारमाने बिम्ब प्रतिष्ठित कराई । गोत्रकी जगह .
__गी एते नित्यं प्रणमन्ति । सम्बत् १२१६ अपार बदी ८ 'महेशणऊ अन्वये' पढ़ा गया है।
सोमे । (न०७६) ।
भावार्थः-अवधपुरिया वंशमें पैदा होनेवाले , मूर्तिका शिर नहीं है । दाँया हाथ कुहिनिके ,
शाहु हसल..."उनकी पत्नी गांगी ने सम्बत् ऊपरसे टूट गया है। करीब २फुट ऊंची पद्मासन १२१६ के अषाड वदी - सोमके दिन बिम्ब प्रतिष्ठा है। पाषाण काला और पालिश चमकदार है ।
कराई। चिन्ह बैलका है।
(नं० ७) लेख-संवत् १२३७ मार्गशिर सुदी ३ शुक्र अवधपु
___ मूर्तिका पैरोंके ऊपरका हिस्सा टूट गया है। यह रान्धये साहु ताहाल साहु सीले-उल्हेसाहु जाल्ल-शिवराज कीत् बाल्हे सर्वश्रेष्ठीप्रसादं भवतु-प्रणमन्ति ।
देशी पाषाणकी बनी हुई है । पाषाण कुछ मटमैला . भावार्थः-अवधपुरियावंशमें पैदा होनेवाले हैं। श्रासनसे कुछ उपर पैरोंके चिन्ह हैं। जो अन्य
है। चिन्ह बन्दरका है। दोनों तरफ दो देवियाँ बैठी शाह ताहहल शाह सीले- उल्हेशाह जाल्लू-शिव- मर्तियोंके सचक हैं। मर्ति खड्गासन है। गज-कीत- बाल्हेने संवत् १२३७ के अगहन सदी
लेख-साह भीमदेव भार्या श्रीचन्द्रवती। सम्बत् ३ शुक्रवारको प्रतिष्ठा कराई । सब सेठोंको प्रसाद (प्रसन्नता) होवे।
१२३० मार्गसिर सुदी ३ शुक्र । । नोट-प्रतीत होता है कि इसकी कई श्रेष्टिवरोंने भावार्थ-सम्बत् १२३७ के अगहन सुदी ३ शुक्रमिलकर प्रतिष्ठा कराई है।
वारको शाह भीमदेव उनकी पत्नी चन्द्रवतीने बिम्ब (नं०७७ )
प्रतिष्ठा कराई। __मूर्तिका ऊपरी धड़ नहीं है । दाँया घुटना तथा
(न०८०) दोनों हथेलियाँ टूट गई हैं। करोब फुट ऊंची यह मत्ति किसी देवीकी मालूम होती है। अनमापद्मासन है। चिन्ह कमलका है। पालिश चिकनी है। नतः पद्मावतीदेवी होना चाहिये । पाषाण देशी है।
लेख-संवत् १२१३ पण्डितश्री मंहवर्म-आर्थि- पालिश मटियाले रंगका है। पैरोंके ऊपरका हिस्सा का श्रीमतीशिवणी-प्रणमन्ति।
मय धड़के नहीं है । करीब १२॥ फुट खगाभावार्थ-पण्डित श्रीमह-वर्म-प्रायिका श्री सन होगी। मती शिवणीने संवत् १२१३ में बिम्ब प्रतिष्ठा . लेख-गोलापूर्वान्वये साहु महिपति पुत्री हम्मा
प्रणमन्तः । १२१८। (नं०७८)
भावार्थ-गोलापर्व वंशमें पैदा होनेवाले शाह यह मति देशी पाषाणकी है । आभूषणों आदि महीपति तथा उनकी पुत्री हम्माने सं० १२१८ में यह मे मालूम होता है कि यह पद्मावती या किसी प्रतिष्ठा कराई।
कराई।