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प्रहार-क्षेत्रके मानि मातलेख ( संग्राहक-पं० गोविन्ददास जैन न्यायतीर्थ, शास्त्री)
[गताङ्क से आगे]
(न०६६)
(न०७२) मूर्ति यद्यपि देशी पाषाणकी है तो भी मनोज्ञ मूर्तिका शिर नहीं है । सिर्फ संवत् पढ़ा गया। है। लेख कुछ घिस गया है। करीब १ फुट ऊंची बाकी हिस्सा घिस गया है । करीब १।। फुट ऊंची खड्गासन है । चिन्ह हिरणका है ।
पद्मासन देशी पाषाणकी है। लेख-देउवालान्वये रयन प्रणमन्ति सं० ११२३ लेख-संवत् १२१२
भावार्थ-देउवाल वंशमें पैदा होनेवाले (शाह) नोट- यह मूर्ति संबत् १२१२ में प्रतिष्ठित हुई है। रयनने संवत् ११२३ में प्रतिष्ठा कराई।
(न०७३) नोट-उपलब्ध मूर्तिलेखोंमें यह सबसे प्राचीन
और आसनके सिवाय कुछ लेख है।
नहीं है। चिन्ह कछुवाका प्रतीत होता है। करीब ३ (न०७०)
फुट ऊंची खड्गासन है। पाषाण काला है। मृति के कई उपांग खंडित हो चुके हैं । चिन्ह लेख-संवत् १२५ भहारकबीमाणित्यदेवगुण्यसिंहका है । पाषाण देशी है। करीब शा फुट ऊंची देवो नित्यं प्रणमन्तः। खड़गासन है।
भावार्थः-भट्टारक माणिक्यदेव तथा गुण्यदेव लेख-खंडिल्लवालान्वये साहु बालचन्द्र भार्या सावित्री इन्होंने संबत् १२१३ में मूर्तिकी प्रतिष्ठा कराई। मवी-वील्हा प्रणमन्ति ।
(न०७४) भावार्थ-खंडेलवाल वंशमें पैदा होनेवाले शाह . मतिका धड़ वगैरह कुछ नहीं है। सिर्फ प्रासन बालचन्द्र उनकी पत्नी सावित्री-मवी-बील्हाने और कुछ हिस्से हाथ पैरोंके हैं । चिन्ह कमलका है। बिम्बप्रतिष्ठा कराई।
करीब ना फुट उंची पद्मामन है। पाषाण काला है। (न०७१)
पालिश चमकदार है। मृर्तिके आसन और कुछ हाथोंके अतिरिक्त कुछ।
लेख-संवत् १२०३ आषाद सुदी २ सोमे उन्नामे नहीं है। चिन्ह कछुवाका है। कुछ लेख टूट गया साहुसेल्ह भायों सहना तस्य पुत्र उदय तस्य पाहणहै। करीव २ फूट उंची पद्मासन है। पाषाण काला राल्हण नायक प्रणामम्ति ।
भावार्थ:-शाह सेल्ह उनकी धर्मपत्नी सहना लेख-संवत् ११९६ चैत्र सुदी १५ गर्गराटान्वये उसके पुत्र उदय उमके पाल्हण राल्हण नायकने
वाघ मुत माहु लाल माहुणीनाथ तस्य सुत साहु १२०३ के श्रापाड़ मदी२ सोमवार उत्तरा नक्षत्र में भाल्हण ।
बिम्बप्रतिष्ठा कराई। ___ भावार्थ-गर्गराट वशमें पैदा होनेवाले शाह
(न०७५) वाघ उनके पुत्र शाह लाल-साहुणीनाथ उसके पुत्र मूर्तिका आमन और कुछ हिस्सा हाथ-पैरोंका शाह अल्हणने संवत् ११६६ के चैत्र सुदी १३ को उपलब्ध है । लेख बीच २ में छिल गया है। अतः बिम्बप्रतिष्ठा कराई।
कछ भाग पढ़ा नहीं जामका । २। फुट ऊंची पद्मा.