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किया । व्याख्यानमें पंचसूत्र और समरादित्य केवली चरित्रका उपदेश दिया। इस चातुर्मासमें शेठ लालचन्द खुशालचन्दभाईने आचार्यश्रीके उपदेशसे उपधान तपकी क्रिया शुरू कराई और मालोत्सव के अवसर पर बारह व्रत ग्रहण किये। तत्पश्चात आचार्यश्री वहांसे विहार कर खामगांव, मलकापुर, भुसावल, जलगांव, अमलनेर आदि गांवोंमें धार्मिक व्याख्यान देते हुए व्यारा, वांकानेर, बारडोली, मांगरोल जगडिया होते हुए भडोंच पधारे । श्री संघकी विनतिसे सम्वत् १९९३का चातुर्मास वहां पर किया और व्याख्यानमें भगवतीसूत्रका उपदेश दिया और उपधान तपकी क्रियाये कराई। मालके महोत्सव पर शान्तिस्नात्र नवकारसी आदि धार्मिक कार्य हुए।