Book Title: Mumbai Ke Jain Mandir
Author(s): Bhanvarlal M Jain
Publisher: Gyan Pracharak Mandal
Catalog link: https://jainqq.org/explore/020486/1

JAIN EDUCATION INTERNATIONAL FOR PRIVATE AND PERSONAL USE ONLY
Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बाई के जैन म मन्दिर छ प्रथम आशीर्वाददाता परमार क्षत्रियोद्धारक पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी महाराज प्रेरणाएवं मार्गदर्शन व्यासा:च्या. तीर्थ पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजीमहाराज गीतकार - लेखक श्री भंवरलाल एम. जैन-शिवगंज ॐ प्रकाशक श्रीज्ञान प्रचारक मण्डल-पुस्तकालय वरली-मुंबई-४०० ०१३. For Private and Personal Use Only Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री संभवनाथ जैन मन्दिर _संभवदर्शन, कार्टर रोड-४, बोरीवली (पूर्व), मुंबई-४00 0६६. प्रतिष्ठा : वि.सं. २०७४, माह शुदि-५, शुक्रवार STALLLLLLL CALC www.kobatirth.org For Private and Personal Use Only SIETEITIE Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra आद्यप्रेरक : प. पू. युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी महाराज नवनिर्माण प्रेरक : प. पू. शासनप्रभावक आचार्य श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी महाराज Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नमो अरिहंताणं श्री ज्ञानप्रचारक ग्रन्थ क्रमांक ९ मुंबई के जैन, मन्दुिर (इतिहास एवं चैत्यपरिपाटी मार्गदर्शिका) ॐ प्रथम शुभाशीर्वाद दाता परमार क्षत्रियोद्धारक पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी महाराज प्रेरक एवं मार्गदर्शक व्या.सा.न्या. तीर्थ पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी महाराज % लेखक जैन गीतकार एवं लेखक श्री भंवरलाल एम. जैन शिवगंज वरली (मुम्बई) ॐ प्रकाशक श्री ज्ञानप्रचारक मण्डल व पुस्तकालय वरली, मुम्बई-४०० ०१३. ܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠܠ For Private and Personal Use Only Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 2 मुंबई के जैन मंदिर प्रकाशक : श्री ज्ञान प्रचारक मण्डल व पुस्तकालय, स्थापना वि.सं. २०२६, कार्तिक शुदि ५, ज्ञानपंचमी (टे. फो. ४९२६४७१) C/o महावीर वॉच कं., वरली, बी. डी. डी. चाल नं. ११३ के सामने, एस.एस. अमृतवार मार्ग, शांतिनाथ भगवान चौक के सामने की गली, श्री राम मील गली, वरली, मुम्बई - ४०० ०१३. सर्व हक्क सुरक्षित । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उद्देश्य : गीत - स्तवन- लेख - कहानियाँ, परिचय पुस्तक, इत्यादि धार्मिक पुस्तके प्रकाशित करना । सूचना : गृहमन्दिर - चैत्यालय सामरण मन्दिर शिखरबद्ध जिनालयो के संचालकजी या व्यवस्थापकजी, चाहे व्यक्तिगत हो या ट्रस्ट मण्डल, श्रेष्ठिवर्य से नम्र निवेदन है कि श्वेताम्बर जैन संघ एवं दिगम्बर जैन संघ द्वारा निर्मित जैन मन्दिरो का पुरा परिचय प्रकाशित करने की पुरी कोशीश मुंबई के जैन मन्दिर (आवृत्ति २री) में की हैं, फिर भी जाने अनजाने में या भूलचूक में आपका या आपके संघ का कोई मन्दिर प्रकाशित करने में रह गया होवे तो आप हमे टेलिफोन ४९२६४७१ पर करे, ताकि आपकी सेवा में हाजर होकर अगले प्रकाशन के लिये संकलन कर सके। प्राप्तिस्थान (१) श्री ज्ञानप्रचारक मण्डल, श्री राम मील गली, वरली, मुम्बई - ४०० ००१३. (२) मेघराज जैन पुस्तक भण्डार (टे. फो. ३४७०१६७) गोडीजी चाल नं. १, पहला माला, गुलालवाडी, मुम्बई - ४०० ००२. (३) शेवन्तीभाई वी. जैन (टे. फो. २०६६७१७) २०, महाजन गली, पहला माला, झव्हेरी बाजार, मुम्बई - ४०० ००२. (४) महालक्ष्मी वॉच कं. (टे. फो. ४१३६७०१) दुकान नं. ३, हिमतमल एम. जैन हाजीकासम चाल, लालबाग, गणेश गली के सामने, बाबासाहेब आंबेडकर रोड, मुम्बई-४०० ०१२. (५) एम. कैलाशकुमार (टे. फो. २०६४३३६) ७६ तेल गली, दुकान नं. ८, ग्राऊण्ड फ्लोर, विठ्ठलवाडी, मुम्बई - ४ -४०० ००२. (६) शाश्वत धर्म कार्यालय (टे. फो. ५४४२०५८) 'कल्पतरु' जे. के. संघवी, ३०५ संघवी भवन, कौपिनेश्वर मंदिर के सामने, स्टेशन रोड, थाणा - ४००६०१ ( महाराष्ट्र). (७) तपोवन टेक्सटाईल (पारस स. जैन ) ६३ / ७१, कालबादेवी, दादीसेठ अग्यारी लेन, रुम नं. १२, पहला माला, मुम्बई - ४०० ००२. फोन : २०८१५८९, २०१०८३९. मूल्य : रु. १५०-०० द्वितीय संस्करण :- प्रत ३००० प्रकाशन दिन :- महावीर सं. २५२५, वि.सं. २०५५, माह शुदि - १, सोमवार, ता. १८ - १ - १९९९ बोरीवली (पूर्व) कार्टर रोड जैन श्वे. मू. संघ के श्री संभवनाथ जिनालय के अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव. मुद्रक :- श्री छोटुभाई बी. छेडा, जयंत प्रिन्टरी, ३५२ / ५४, गिरगाम रोड, मुरलीधर मन्दिर मुम्बई - ई- ४०० ००२. फोन : २०५७१७१, २०५२९८२ कम्पाउन्ड, For Private and Personal Use Only Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Serving Jinshasan 126491 gyanmandir@kobatirth.org ATION Dog प्रकट प्रभावशाली प्रशमरसनिमग्न, निखिलविघ्नवृन्दनिवारक बोरीवली (पू.), कार्टर रोड जैन संघके नवनिर्मित महाप्रासाद के मूलनायक श्री संभवनाथ भगवान प्रतिष्ठाः वि.सं. २०५५, माह शुदि-५, शुक्रवार, ता.२२-१-१999 (क्रमाक-२३०) For Private and Personal Use Only Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Colhaas dadashi जैन शासन के ज्वलंत ज्योतिर्धर, जैन सिध्दान्तो के विरल व्याख्याता | प्रबल पुण्यप्रभावशाली, पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी महाराज येषां स्वान्तं विमलजलवन्निर्मलं हन्ति तापम् । येषां शुभी गुणगणनिधि हन्ति दोषोपतापम् || येषां ज्ञानं वितरति मुदं पण्डितानां जनानाम् । तेषां वन्दे चरणयुगलं धर्मसूरीश्वराणाम् ॥ - मुनि श्री राजरत्नविजयजी For Private and Personal Use Only Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स.....म..... UT चेम्बुर - घाटकोपर - कांदिवली - भाईन्दर जैसे तीर्थ स्वरूप जिनमन्दिरो के निर्माण दारा मुम्बई नगर की मोहमयी भूमि को मन्दिरोसे मण्डित करने वाले शताधिक जिन मन्दिरो के प्रेरक मुम्बई महानगर और उपनगरो के जैन संघो के अजोड उपकारी आजीवन जैन शासन के महा प्रभावक स्वर्गीय पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्यमयी स्मृति को सादर..... समर्पण - बी. एम.जैन For Private and Personal Use Only Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHOGAT H oogharge bord 'मुम्बई के जैन मन्दिर' पुस्तक के प्रेरक एवं मार्गदर्शक व्याकरण-साहित्य-न्यायतीर्थ, विन्दान व्याख्याता आचार्य भगवंत । श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी महाराज विदलयति कु बोधं, बोधयत्यागमार्थम् । सुगति-कुगतिमार्गी, पुण्यपापे व्यनक्ति || अवगमयति कृ त्या-कृ त्यभेदं गुरुयों । भवजलनिधिपोतस्तं विना नास्ति कश्चित् ।। -सिन्दुर प्रकरग्रन्थ, श्लोक -१४ For Private and Personal Use Only Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मुंबई के जैन मंदिर www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 3 प्रकाशकीय निवेदन श्री ज्ञान प्रचारक मण्डल के संस्थापक एवं वर्तमान संचालक जैन साहित्य प्रेमी श्रीमानजी श्रेष्ठिवर्य मूलचन्दजी नैनमलजी शिवगंज (राज.) लगभग ४२ वर्षो से वरली-मुंबई निवासी ने, वि. सं. २०२६ का कार्तिक सुदी ५ ( ज्ञान पंचमी) के दिन श्री ज्ञान प्रचारक मण्डल की स्थापना की थी। आप श्री का जन्म ज्ञान पंचमी के दिन होने से आपने अपने परिवार वालो से २७ वर्ष पहले कहा कि मेरे स्वर्गवास के बाद भी मेरे जन्म दिन की सदैव याद रखने के लिये मेरे द्वारा स्थापित श्री ज्ञान प्रचारक मण्डल को अपने तन-मन-धन से सदैव संचालन करते रहना । उनकी निश्रा में अब तक ८ पुस्तके प्रकाशित हो चूकी हैं। उनके स्वर्गवास के बाद उनके बड़े सुपुत्र जैन गीतकार व लेखक भँवरलाल एम. जैन शिवगंज वालोने श्री ज्ञान प्रचारक मण्डल के संचालन का काम अपने हाथो में लिया हैं । नौवाँ प्रकाशन के रुप में मुंबई के जैन मंदिर (आवृत्ति दूसरी) जैन समाज के करकमलों में प्रस्तुत की जा रही हैं । एक समय भोजन ग्रहण करके ३ वर्ष की पुरी मेहनत के बाद इस पुस्तक को लिखने में हमे सफलता प्राप्त हुई हैं। इस पुस्तक के लिखने के लिये प्रथम आशीर्वाद दाता श्री आत्मवल्लभ समुदाय के परम पूज्य आचार्य श्री विजय इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी महाराज हैं। जिन्होंने मुझे मुंबई के जैन मन्दिर (प्रथम आवृत्ति) का अवलोकन करने के बाद मुंबई के जैन मन्दिर (आवृत्ति दूसरी ) लिखने का श्री गणेश करने के लिये भायखला के मोतीशा जैन उपाश्रय में तारीख १७-१२-९५ को मंगल आशीर्वाद दिया था । इस पुस्तक के प्रेरक, संशोधक एवं मार्गदर्शक के रुप में श्री मोहन- प्रताप-धर्म समुदाय के व्या. सा. न्या. तीर्थ परम पूज्य आचार्य श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी महाराज का उपकार तो जीवन भर नहीं भूल सकता, क्योंकि वे ही इस पुस्तक रूपी नैय्या के खेवैय्या है । For Private and Personal Use Only इस पुस्तक के प्रकाशन के लिये हमे जिन गुरु भगवन्तोने शुभकामना लिखकर भेजकर हमारे उत्साह में वृद्धि की हैं, उनमें परम पूज्य आचार्य श्री विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के पट्टधर प. पू. आ. श्री विजय जयघोषसूरीश्वरजी म., नेमि - लावण्य समुदाय के आचार्य श्री विजय सुशीलसूरीश्वरजी म., आ. श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. समुदाय के आचार्य भगवंत श्री जयन्तसेनसूरीश्वरजी म., नेमि - विज्ञान कस्तूर समुदाय के आ. श्री विजय अशोकचन्द्रसूरीश्वरजी म., योगनिष्ठ आ. श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. समुदाय के आ. श्री सुबोधसागरसूरीश्वरजी म. और मनोहर कीर्ति सूरीश्वरजी म., आत्म-वल्लभसमुद्र समुदाय के आ. श्री विजय नित्यानन्दसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय सुरेन्द्रसूरीश्वरजी म. ( डेहलावाले) समुदाय के आ. श्री विजय विमलभद्रसूरीश्वरजी म., श्री नेमि - अमृत समुदाय के आ. श्री विजय विशाल सेन सूरीश्वरजी म., अचलगच्छ समुदाय के आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मंदिर शिष्यरत्न आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म., नेमि-लावण्य समुदाय के आ. श्री प्रभाकरसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय प्रेम-रामचन्द्रसूरि समुदाय के लेखक मुनिराज श्री रत्नसेन विजयजी म., प्रेम-भानु समुदाय के मुनिराज श्री प्रशान्तविजयजी म. एवं दिगम्बर जैनाचार्य श्री कुन्थुसागरजी म. आदि का नाम उल्लेखनीय हैं। इन सभी आचार्यजी श्री, मुनि भगवन्तो, जिन्होंने शुभ मंगल कामना भेजी हैं, उन समस्त गुरु भगवन्तो के चरण कमल में हमारी तरफ से कोटि कोटि वन्दनाएं । इसके अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री भैरोसिंह शेखावत का लिखित संदेश जयपुर से आ पहुँचा हैं। ___ इस पुस्तक को लिखने में जिन जिन ट्रस्टी भाईओने, व्यवस्थापकोने, मुनिमजी, पूजारीजीने एवं और भी जिन महानुभावोंने सच्चे दिल से सहयोग दिया हैं, उन सबका अंतर दिल से आभार मानता हूँ। इस पुस्तक के प्रकाशन के लिये हमे फोटो द्वारा, पुस्तको की बुकिंग द्वारा, विज्ञापन द्वारा आर्थिक सहयोग प्रदान किया हैं, उन सभी ट्रस्टी भाईयो का एवं व्यक्तिगत महानुभावो का अभिनन्दन किये बिना कैसे रह सकते हैं ? अन्त में इस पुस्तक के वांचन में किसी भी सज्जन भाई को कोई त्रुटि नजर में आए तो उनको कर जोड मिच्छामि दुक्कडं देते हुए निवेदन करते हैं कि हमें पत्र द्वारा या फोन द्वारा अवश्य सूचित करे ताकि अगले प्रकाशन में सुधार किया जा सके। जिनके उपर श्री लक्ष्मी एवं श्री सरस्वती दोनो देवी की कृपा है, ऐसे थाणा शहर के सुप्रसिद्ध देव-गुरु-धर्म के प्रेमी एवं अहिंसा प्रचार में सदैव तत्पर एवं 'शास्वत धर्म' (मासिक) के सम्पादकजी सदा हसमुख स्वभाव के धनी ऐसे परम आदरणीय मित्र श्री जे.के. संघवीने कदम कदम पर मेरी अनुमोदना की हैं, इस पुस्तक को लिखने एवं प्रकाशन के लिये भला उनको मैं कोटिश: धन्यवाद दिये बिना कैसे रह सकता हूँ। अंत में मैं अपने परिवार के सभी सदस्य धर्मपत्नी श्रीमती फेन्सीबेन, सुपुत्र राजेश, गिरीश, अशोक, पुत्रवधू श्रीमती शर्मिला कुमारी, पौत्री ट्विंकलकुमारी तथा भाणेज कैलास-मूकेशने भी 'मुंबई के जैन मन्दिर' पुस्तक लिखने में सदैव मेरा हौशला बढाया हैं। सभी धन्यवाद के पात्र है। आपका ही श्री ज्ञान प्रचारक मंडल के संचालक एवं मुंबई के जैन मन्दिर (आवृत्ति दूसरी) के लेखक - भंवरलाल एम. जैन-शिवगंज (वरली-मुंबई). For Private and Personal Use Only Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मंदिर प्रथम शुभाशीर्वाद दाता परमार क्षत्रियोद्वारक प.पू. आचार्य भगवंत श्री विजय इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी महाराज जीवन झलक प्राचीन काल से ही ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक क्षेत्र में अपनी अनोखी पहचानवाले गुजरात क्षेत्र के बडौदा जिले के सालपुरा गाँव में परमार क्षत्रिय वंशमें वि.सं. १९७९ के कार्तिक वदी नवमी को धार्मिक वृत्ति एवं सुसंस्कार वाले श्री रणछोडभाई के यहाँ स्नेहमयी माता श्रीमती बालुबहन की कोख से आपका जन्म हुआ बालक का नाम मोहनभाई रखा। श्री मोहनभाई, धर्म में अटुट श्रद्धा रखने वाले श्री ग्णछोडभाई के परिवार का अत्यन्त ही लाडला बन गया। जिस पर मां की ममता अमृत वर्षा करती रहती थी। पिता स्नेह, सागर की विशालता के तरह दे रहा था। बचपन की अटखेलियो हम उम्र के साथियो के साथ बालक्रीडा में अलमस्त रहनेवाले बालक श्री मोहनभाई ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सालपुरा में आरंभ की। शिक्षण संस्था में अध्ययन करानेवाले शिक्षक भी इस होनहार बालक के हावभाव, आचार, विचार को देखकर आश्चर्य चकित रहते थे। अक्सर बालक श्री मोहनभाई अपने सहपाठियो एवं शिक्षको के साथ त्याग, तपस्या एवं वैराग्य की चर्चा करने में आनन्द की अनुभूति समझता था । यह संस्कार उसके माता पिता की धार्मिक वृत्ति एवं धार्मिक संस्कारों के कारण इनमे विकसित हो रहे थे। अक्सर बालक श्री मोहनभाई के शिक्षक इनके माता पिता के सामने इनके वैराग्य लेने की चर्चा करते रहते थे, परन्तु इनके माता पिता उसे सांसारिक जीवन बिताने की तरफ मोडते रहे। बालक श्री मोहनभाई बचपन के अटखेलियो से अभी बाहर भी नहीं निकल पाया था कि उसकी १० वर्ष की आयु में अचानक माता पिता का स्वर्गवास हो गया। माता पिता के स्वर्गवास के बाद बालक श्री मोहनभाई की परवरिश का भार इनके चाचा श्री सीताभाई के कंधो पर आ गया। श्री मोहनभाई की आगे की शिक्षा के लिये इन्हें जैन संत पन्यास श्री रंगविजयजी म. के पास सालपुरा से २२ किलोमीटर दूर डभोई ले गये । ११ वर्ष की आयु में डभोई मे पंन्यास श्री रंगविजयजी के पास जैन धर्म की प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की। इसके पश्चात् बोडेली में पन्यास श्री रंगविजयजी द्वारा परमार क्षत्रिय भाईयो के बच्चो के लिये बनाये ‘कुमार छात्रा वास' में प्रवेश दिला दिया । बस यहाँ रहते इसने व्यावहारिक शिक्षा-ज्ञान प्राप्त करने के साथ आत्मकल्याण हेतु वैराग्य जीवन जीने का मन ही मन नक्की कर लिया था। होनी को कौन टाल सकता हैं। श्री मोहनभाईने संसार के मोहमाया जाल से निकल For Private and Personal Use Only Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 6 मुंबई के जैन मंदिर 1 कर दीक्षा लेने के समाचार अपने चाचा श्री सीताभाई तक पहुँचाये। जिसे सुनकर चाचा श्री सीताभाई अवाक् रह गये । नही चाहते हुए उन्होंने अपने भाई के पुत्र श्री मोहनभाई को दीक्षा लेने की भारी मन से स्वीकृति प्रदान कर दी । श्री मोहनभाई ने कुमार छात्रावास में अपने १९ वर्ष की आयु में वि.सं. १९९८ फागुण सुदी पंचमी को गुजरात के नरसंडा में जैन मुनिश्री विकासविजयजी के पास जैन भागवती दीक्षा ग्रहण कर ली । जैन धार्मिक परम्परानुसार जैन दीक्षा ग्रहण के बाद श्री मोहनभाई का नाम बदल कर जैन मुनि श्री इन्द्रविजय रखा गया। यह पहली परमार क्षत्रिय समाज के युवक श्री मोहनभाई को जैन दीक्षा दी थी, तो सालपुरा का नाम आपका एवं माता पिता का नाम इतिहास में अमर बन गया । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विनय, विवेक, विनम्रता, सदाचार, संयम साधना के कारण इस मुनिने जैन धार्मिक क्षेत्रमें धीरे धीरे अपने पॉव पसारने के साथ जमाने का परिश्रम आरम्भ किया। जैन धर्म, देवगुरुओं के प्रति अटुट श्रद्धा भक्ति के कारण मुनिश्री इन्द्रविजयजी को पंजाब केशरी युगवीर जैन शासन ज्योति आचार्य श्रीमद् विजय वल्लभसूरीश्वरजी म. का वि.सं. १९९८ में राजस्थान के पाली जिले के सादडी गाँव में सान्निध्य प्राप्त हो गया। बस फिर क्या था, अज्ञानी शिष्य को ज्ञानवान, गुणवान, ध्यानवान गुरु मिल गया। जिनके सान्निध्य में रहकर मुनिश्री इन्द्रविजयजीने जैन धर्म के प्रारम्भिक ज्ञान के साथ संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी आगमो की वाचना शुरु कर दी। राजस्थान के बिजोवा में आचार्य श्री विकासचन्द्रसूरीश्वरजीने अपने कर कमलों से इन्हें वि.सं. १९९९ में बड़ी दीक्षा देकर जैन शासन की अनुपम सेवा के लिये जैन समाजको समर्पित कर दिया था । सुरत में आ. श्री समुद्रसूरिजीने वि.सं. २०१० चैत्र कृष्ण तृतीया को मुनि श्री इन्द्रविजयजी को गणि पद से अलंकृत कर जैन शासन एवं समुदाय का कुछ भार इन पर डाल दिया। गणि पदवी मिलने के बाद लगभग १२ वर्षो तक आपने परमार क्षत्रियो उद्धार का कार्य आरंभ किया । इस उद्धार कार्य में दिन रात आपने कार्य कर इनके आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक, व्यावसायिक, धार्मिक क्षेत्र में आशातीत प्रगति का बीजारोपण किया । परमार क्षत्रिय लोगो में जैन धर्म का बीजारोपण करने में आपने जितनी मेहनत की सम्भवतः अब तक इसका कोई उदाहरण नहीं हैं । गणिवर्य श्री इन्द्रविजयजी का १२ वर्षो का परिश्रम निष्फल नहीं गया आपने बहुत परमार क्षत्रियों भाई-बहनों को जैन धर्म स्वीकार करा कर जैन शासन की अनुपम एवं अनोखी सेवा की जिसकी मिसाल इतिहास में मिलना मुश्किल हैं। इतना ही नहीं आपकी मधुरवाणी आत्मीय स्नेह ने तो जैन बने परमार क्षत्रियो पर जादु ही कर डाला और आपकी प्रेरणा एवं सद्उपदेश से ११५ से अधिक भाग्यवानोने जैन भागवती दीक्षा ग्रहण कर ली। इसके अतिरिक्त परमार क्षत्रियो के करीबन ५१ गाँवो में जैन मन्दिर बनाकर इन लोगो को जैन धर्म का पक्का अनुयायी ही बना डाला । वि.सं. २०२७ का माह सुधी ७ सोमवार को वरली मुंबई में शान्तमूर्ति आ. विजय समद्रसूरीश्वरजी ने गणिवर्य श्री इन्द्रविजयजी को आचार्यपद देकर आ. श्री इन्द्रदिन्नसूरिश्वरजी का नामकरण कर जैन शासन एवं समुदाय की सम्पूर्ण जिम्मेदारी इन पर सोंप दी। वि.सं. २०३५ में आ. For Private and Personal Use Only Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मंदिर श्री विजय समुद्रसूरीश्वरजी म. के स्वर्गवास के बाद आ. श्री के कंधो पर संपूर्ण समुदाय के संचालन की जिम्मेदारी आ पडी । 7 आचार्य श्री द्वारा स्थापित पावागढ तीर्थ, आज अपनी अनोखी पहचान बनाने लग गया हैं । इस तीर्थ में आपने जैन चमत्कारिक शासनदेव श्री मणिभद्र वीर की १० मई वि.सं. २०५१ को ४१ इंच सर्वधातु की सुन्दर एवं कलात्मक प्रतिमा प्रतिष्ठित कर तीर्थ ख्याति में आशातीत बढोतरी करवाई हैं। वैसे भी आपश्रीजी को चमत्कारिक देव श्री मणिभद्र वीर के प्रत्यक्ष दर्शन का गौरव प्राप्त हुआ हैं । मुंबई भायखला चातुर्मास में श्री विजयान्द सूरि स्वर्गारोहण शताब्दी पर इनके साहित्य आदि प्रकाशन करने के लिये फाउण्डेशन की स्थापना अपने आप में अद्वितीय उपलब्धि हैं । भारत के अनेक नगरो एवं गाँवो में आपकी प्रेरणा एवं निश्रा में अनेक जैन मन्दिर, उपाश्रय, जैन धर्मशालाएँ, अस्पताल, प्याऊ, पाठशालाएँ, पशुरक्षा गृह, पशुसेवा, संघ, उपधान तप इत्यादि नाना प्रकार के धार्मिक व सामाजिक कार्यो के लिये आपका नाम अग्रणीय है । सन् वि.सं. २०५३-५४ वर्ष आपके जन्म का ७५ वर्ष 'अमृत महोत्सव' रुप में मनाया गया था । हम शासनदेव से प्रार्थना करते कि आप श्री की आयु शासन सेवा के लिये बढती ही बढती जाए यही अंतर अभिलाषा हैं । आपका हार्दिक स्वागत करता है For Private and Personal Use Only गुरू भक्ति गीत - भाग - २ विमोचन शिवगंज पोरवाल जैन संघ के सन् १९९० के वार्षिक स्नेह सम्मेलन के अवसर पर 'साटिया' परिवार द्वारा गुरुभक्ति गीत (संयम धारा) भाग - २ लेखक - बी. एम. जैन द्वारा रचित पुस्तक का विमोचन किया गया, जिसका शुभ संदेश आचार्य श्री पद्मसागर सूरीश्वरजी म. से प्राप्त हुआ था । - लेखक Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मंदिर प्रेरक मार्गदर्शक एवं संशोधक शासन प्रभावक प.पू. आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी महाराज जीवन झलक auth है समय नदी की धार, जिसमें सब कुछ बह जाता हैं । है समय बड़ा तुफान, जिसमें प्रबल पर्वत भी झुक जाता है। अक्सर दुनिया के लोग, समय में चक्कर खाता है । परन्तु कुछ विरल ऐसे होते है, जो जीवन को इतिहास बनाता है। इस हिन्दी पक्ति में निर्देश कराये अनुसार जीवन को इतिहास बनानेवाले एक विरल पुण्य पुरुष यानी व्या.सा.न्या. तीर्थ परम पूज्य शासन प्रभावक आ.भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म.। १५०० वर्षों से अधिक प्राचीन धार्मिक सामाजिक इतिहास धारण करनेवाली तीर्थ भूमि दर्भावती नगरी में वि.सं. १९८८ की साल में श्री वासुपूज्य प्रभु के जन्म कल्याणक के दिन माह वदी १४ (महा शिवरात्रि) को आपका जन्म हुआ। पिता श्री का नाम श्री चीमनभाई और माताश्री का नाम श्रीमती मणिबहन । गर्भ श्रीमंताई और प्रबल संस्कार परंपरा धारण करनेवाले इस कुलमें आपश्री की संस्कारिता प्रभात के पुष्प की तरह खिलती गई और केवल दसवें वर्ष में पंच प्रतिक्रमण-नवस्मरण का संपूर्ण अभ्यास आपश्रीने कंठस्थ किया। आपश्री का सांसारिक नाम था श्री शेवन्तीभाई। वि.सं. २००० में आपश्री पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. (उस समय पन्यास प्रवर) के संपर्क में आये, लगातार तीन वर्ष से अधिक समय उनकी निश्रा में संयम की तालिम लेकर वि.सं. २००४ के फाल्गुण सुदी २ को गुजरात-सौराष्ट्र के राजकोट के निकट त्रम्बा गाँव के बाहर पूज्य युग दिवाकर गुरुदेव के शुभ हस्ते आपश्रीने संयम मार्ग स्वीकार किया, और उसके बाद तुरन्त ही वहाँ से विहार करके ११ दिन में श्री शत्रुजय महातीर्थ की छाया में पधारकर श्रमण जीवन की सर्व प्रथम तीर्थ यात्रा की। उस तीर्थयात्रा के साथ ही आपश्रीने ज्ञान यात्रा का भी पालीताणा में चमत्कार किया। सिर्फ दो ही दिन में ३५० गाथा का पक्खी सूत्र, डेढ दिन में ही १३७ श्लोक का गुणस्थानक्रमारोह प्रकरण, दीक्षा के प्रथम ही चातुर्मास में पर्युषणा महापर्व की सभा में संस्कृत भाषामय श्री जगद् गुरु हीर सूरीश्वरजी म. का चरित्र वांचन किया। ऐसी अनेक घटनाओं द्वारा आप श्री की चमत्कारिक प्रज्ञा शक्ति का सभी को परिचय होने लगा। For Private and Personal Use Only Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मंदिर प्रखर प्रज्ञा और प्रकाण्ड प्रतिभा के बल पर, कर्मग्रन्थ की संस्कृत टीकाओं, तत्वार्थ सूत्र की हरिभद्री तथा सिद्धसेनीय टीका, राजवार्तिक तथा श्लोकवार्तिक के जरुरी संदर्भो, कम्मपयडीकी पू. महोपाध्यायजी रचित टीका के जरुरी संदर्भो, उसी प्रकार व्याकरण-साहित्य-न्याय के आकर ग्रंथों, टीका ग्रंथो का मर्मग्राही अध्ययन आपश्रीने हसते-हसते ही कर लिया, और कलकत्ता युनिवर्सिटी की प्रारंभिक से तीर्थ तक की समस्त परीक्षाएँ First Class First उत्तीर्ण करके वे व्याकरण तीर्थ, साहित्य तीर्थ, न्याय तीर्थ बने। आप श्री को अध्ययन करानेवाले प्रकांड विद्वान और मूर्धन्य मनीषी पंडित श्री ईश्वरचन्द्रजी शर्मा थे। वह पण्डितवर्यने ४० वर्षों तक पढाये हुए श्रमणों-गृहस्थो में आपश्रीने श्रेष्ठ कक्षा के मेघावी मुनिवर के रुप में ख्याति प्राप्त की, एवं पू. पं. श्री अभयसागरजी म. जैसे विद्वज्जन भी आप की व्याकरण विषयक बुद्धि प्रतिमा से प्रभावित हुए थे। वि.सं. २०१२ में कलकत्ता युनिवर्सिटी की उच्च परीक्षा के दिनो में गुजरातमें नवसारी के निकट कालीयावाडी गाँव में सिर्फ ४७ दिन में २३ ग्रंथों, जिसमें स्याद्वाद- मंजरी, सर्व दर्शन संग्रह जैसे न्याय ग्रन्थों और साहित्य दर्पण, कादंबरी महाकथा, हर्षचरित, नैषध महाकाव्य, अभिज्ञान शाकुन्तल, मुद्राराक्षस आदि उच्च साहित्य ग्रन्थों का समावेश होता था, उनको पंडित की सहायता के बिना सिर्फ टीका ग्रन्थो के आधार पर आपने तैयार कर दिया था, जो आपकी प्रकृष्ट पटुता और उदाहरणीय प्रज्ञाशक्ति के द्योतक हैं। अनेक श्रमणों - गृहस्थों को आपने प्रकरणादि-व्याकरण ग्रन्थो-शास्त्र सिद्धान्तों का अध्यापन कराया, यह आप श्री के जीवन का झलकता उदाहरण है। बुक जैन पंचाग का श्रमण वर्ग में सर्वप्रथम उपयोगी प्रकाशन, 'जैन संस्कृत साहित्य का इतिहास' ग्रन्थ में संशोधनादि उल्लेखनीय योगदान, श्रीपाल चरित्र संपादन आदि साहित्य क्षेत्र की प्रवृत्ति के अलावा आपश्री के जीवन शिल्पी पूज्यपाद युगदिवाकर गुरुदेवश्री की मुम्बई महानगर और अन्य क्षेत्रोमें समस्त शासन प्रभावनाओं में आपश्री का आयोजनादि स्तर का योगदान महत्त्वपूर्ण रहा हैं। चेम्बुर-घाटकोपर - कांदीवली - भाइन्दर जैसे संख्याबंध महाजिनालयों की अंजनशलाकाप्रतिष्ठा से लेकर प्रभु महावीर की २५ वीं निर्वाण शताब्दी को शानदार ढंग से मनाना, शत्रुजय महातीर्थ और गिरनार महातीर्थ के छरी'पालक पदयात्रा महासंघो तथा उसके बाद भी पूज्यपाद युगदिवाकर श्री की सर्व धर्म प्रवृत्तिओंमें आपश्रीने अग्रणी स्तर की कार्यवाही संभाल कर गुरुदेव के अंतर-आशिष को प्राप्त किया हैं। ____ क्रमश: योगोद्वहन करके वि.सं. २०३७ में प.पू. युगदिवाकर आ.भ. श्री धर्मसूरीश्वरजी म.सा. के वरद हस्ते गणि-पन्यास पद पर और वि.सं. २०४४ में पू. साहित्य कलारत्न आ.भ. श्री यशोदेवसूरीश्वरजी म. के शुभाशीर्वाद के साथ पूज्य शतावधानी आ.भ. श्री जयानन्दसूरीश्वरजी For Private and Personal Use Only Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 10 . मुंबई के जैन मंदिर म. के वरद हस्ते आचार्य पद पर अलंकृत हुए थे । आप श्री विनयशीलता - सरलता - परोपकार - दूरदर्शिता आदि गुणो से अलंकृत हैं। पूज्यपाद युगदिवाकर गुरुदेव की कृपा के परम पात्र बने हुए आपश्रीने पूज्य युगदिवाकरश्री की शासन प्रभावना के अंशो का बारसा प्राप्त किया हैं, इसीलिये अंजनशलाका-प्रतिष्ठा - दीक्षाउपधान - उद्यापन - छ'री'पालक संघ, साधर्मिक सेवा केन्द्र, जिनालय, उपाश्रय, आयंबिल भवन, पाठशाला आदि धर्म कार्यो की हारमाला का सर्जन आपश्री के वरद हस्त से हो रहा है। आप श्री की मुख्य प्रेरणा या निश्रा में १९ स्थलो पर प्रतिष्ठा हुई हैं। उसमें भाईन्दर-रथाकार जिनालय और बोरीवली-पूर्व श्री संभवनाथ जिनालय के शानदार अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव विशेष उल्लेखनीय हैं । आपकी प्रेरणा से १४ स्थलों पर 'धर्म विहार' आदि उपाश्रयों आदि का निर्माण हुआ हैं। आपश्री के मेधावी और सिद्धहस्त लेखक शिष्यरत्न पू. मुनिराज श्री राजरत्नविजयजी म. आदि भी आपश्री की शासन प्रभावक धर्मकार्यो की परंपरा का अनुसरण कर रहे हैं। इस प्रकार शासन के अनेक धार्मिक कार्यों में सदैव तत्पर, सदा हसमुखी, अहंकार रहित ऐसे सरल स्वभावी पूज्य गुरुदेव आचार्यदेव श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. के. संयम यात्रा का ५० वा वर्ष का सुवर्ण महोत्सव श्री पार्श्वनाथ श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ घाटकोपर (प.) की तरफ से वि.सं. २०५४ का माह सुदी ११, शनिवार, ता. ७-१-९८ को पारमेश्वरी प्रव्रज्या - उपधान तप मालारोपण प्रसंग पर मनाया गया था, और इसी शुभ दिन को ही 'मुंबई के जैन मन्दिर' (आवृत्ति दूसरी) के मुद्रण के लिए ‘जयन्त प्रिन्टरी' में जाने का शुभ मुहूर्त था। प्रेरक, संशोधक एवं मार्गदर्शक रुपी खेवनहार बनकर इस पुस्तकरुपी नैय्या को पार करानेवाले परम पूज्य गुरुदेव के चरण कमलों में कोटि कोटि वन्दना भी शायद कम होगी। अंतमें मेरी शासनदेव से प्रार्थना हैं कि आपश्री को अधिक से अधिक शासन सेवा के लिये शक्ति एवं आयु प्रदान करे, यही अंतर अभिलाषा हैं। - भंवरलाल एम. जैन-शिवगंज For Private and Personal Use Only Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मंदिर 11 लेखक-परिचय जैन गीतकार व लेखक के नाम से जाने-माने श्री भँवरलाल एम. जैन राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित शिवगंज के निवासी हैं। आपका जन्म विक्रम संवत २००१, श्रावण शुक्ला १२, सोमवार, दि. १-८-४५ को मातुश्री मदनबेन की कुक्षी से हुआ। आपश्री के पिता श्री का नाम मूलचन्दजी हैं। आपका परिवार जैन धर्म के प्रति दृढ आस्थावान था । बाल्यवय में आप अपने दादाजी के साथ मंदिर, उपाश्रय व प्रवचनों आदि में जाते थे जिससे बाल हृदय में धर्म के प्रति श्रद्धा के बीज भँवरलाल एम. जैन-शिवगज (वरली-मुंबई) अंकुरित हो गये । बचपन में ही आप में साहित्य के प्रति विशेष रुचि रही । पुस्तकों में से चित्र आदि कतरन कर संग्रह करने का आपको बाल्यवय में भी शौक था, फलस्वरुप कई बार पिताश्री के क्रोध का भाजन भी होना पडता था । साहित्य के साथ गीत-संगीत सुनने का भी बड़ा चाव था। शिक्षा हेतु पाठशाला में जाते ही बालक को सर्व प्रथम 'ऊँ नम: सिद्धम्' उस जमाने में सिखाया जाकर फिर क ख ग घ पढ़ाया जाता था । ब्राह्मण अपने घर शिक्षा देते थे। शिक्षा का प्रारंभ श्री मोरेश्वर शर्मा के पास हुआ । सात वर्ष की आयु में राजस्थान से मुंबई आकर नगरपालिका स्कूल में पहली, दुसरी व तीसरी कक्षा उत्तीर्ण की । पुन: चौथी, पाँचवी व छठ्ठी की शिक्षा शिवगंज में प्राप्त कर तेरह वर्ष की आयु में मुंबई आकर ऑपेरा हाऊस स्थित मारवाड़ी विद्यालय में दसवी तक शिक्षा प्राप्त की। सत्रह वर्ष की आयु में विद्यालय छोड़कर श्रीराम मील गली-वरली-मुंबई स्थित अपने पिताश्री के साथ व्यापार में लग गये। वि.सं. २०२१ में आपका विवाह स्थानीय (शिवगंज) निवासी श्री कस्तूरचंदजी भलाजी की सुपुत्री फेन्सीबाई के साथ संपन्न हुआ। विवाह के पूर्व ही आपने पान, बिडी, सिगारेट, तम्बाकू, चाय आदि नशीले पदार्थो व समस्त जमीकंद पदार्थो के आजीवन त्याग का नियम गुरुदेव के समक्ष ग्रहण कर लिया था। सात्त्विक आहार एवं सादा जीवन ही आपको प्रिय हैं । रात्रि भोजन त्याग, नियमित जिनेश्वरदेव की पूजा, गुणिजनों के गुणगान, धार्मिक उत्सवो में सहभाग व धार्मिक साहित्य वांचन में आप सविशेष रुचि रखते हैं। २० वर्ष की आय में ही आपने स्तवन रचना का श्री गणेश कर दिया था। सर्व प्रथम वि.सं. २०२१ में श्री आत्म-वल्लभ सेवा मंडल द्वारा प्रकाशित 'कुसुमांजलि' पुस्तिका में चार स्तवन For Private and Personal Use Only Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 12 www.kobatirth.org प्रकाशित हुए थे, आज तक आप श्री द्वारा रचित प्रभु भक्ति गीत व गुरु भक्ति गीत ५०० से भी अधिक संख्या में स्वरचित पुस्तको व विभिन्न जैन संगीत मण्डलो द्वारा प्रकाशित पुस्तको में प्रकाशित हो चुके हैं । सेवा समाज, गो वन्दना, विजयानंद, वल्लभ सन्देश, श्रमण-भारती, अहिंसा वाणी, जैन जगत, शाश्वत धर्म आदि पत्रिकाओं में आपके द्वारा रचित गीत व लेख आदि प्रकाशित होते रहते हैं । अब तक आपके द्वारा गुरुभक्ति गीत भाग १ और २ पुष्पांजलि भाग १ - २ - ३ - ४-५ एवं बम्बई के जैन मन्दिर (प्रथमावृत्ति) इन आठ पुस्तको का प्रकाशन हो चुका हैं। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मंदिर कहते हैं, कर्म को किसी की शर्म नहीं । पूर्वजन्म में किये कर्मों को भुगतना ही पडता हैं । १६ अप्रैल १९९३ को पक्षाघात (लकवा) का जोरदार हमला हुआ। एक महिना भाटिया अस्पताल में रहना पड़ा। आज भी लकडी के सहारे ही चलना संभव होता है। शारीरिक तकलीफ के बावजूद भी मन के भाव मजबूत व साहित्य के प्रति रुचि अपार हैं, फलस्वरुप मुंबई के जैन मन्दिर ( दूसरी आवृत्ति ) का संशोधित परिवर्धित, रंगीन चित्रो के साथ यह महत्वपूर्ण प्रकाशन विविध जानकारियों के साथ आपके हाथो में हैं। शासनदेव से प्रार्थना करता हूँ कि आपका स्वास्थ्य अनुकूल रहे व आपकी गीत-यात्रा साहित् यात्रा निर्विघ्न तथा आगे बढकर संघ-स -समाज के लिये उपयोगी सिद्ध हो । जे. के. संघवी थाणे - महाराष्ट्र भगवान पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक दिन वि.सं. २०५४ 'शास्वत धर्म" के सम्पादकजी श्री जे. के. संघवी For Private and Personal Use Only Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मंदिर 13 | मुंबई : इतिहास एवं विकास मुंबई के जैन मन्दिरो का इतिहास की पुस्तक पढ़ने के पहले हमें मुंबई के जन्म का इतिहास एवं विकास जानना जरुरी हैं। ___मुंबई समाचार' में ता. १२-५-१९९१ के प्रकाशित लेख के अनुसार ई. स. १६६१ जून महिने की २३ तारीख को पोर्तुगलने अंग्रेज राजा चार्ल्स द्वितीय को मुंबई शहर शादी के प्रसंग में भेट दिया था, जिसे ३३० वर्ष पूरे हो रहे थे और इस दिन मुंबई का जन्म दिन बड़े धूमधाम से मनाने का प्रस्ताव म्युनिसिपल आयुक्त के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। ___ पोर्तुगल के राजा की बहन शाहजादी केथेरीना ब्रगान्झा का विवाह ईसवी सन् १६६१ की जून की २३ तारीख को इंग्लेण्ड के राजा चार्ल्स द्वितीय के साथ हुआ था । चार्ल्स को मुंबई टापू के साथ आठ किल्ले, पीत्तल की चार तोपे, और ४८७९ पौण्ड की राशि दहेज के रुप में मिली थी। जब इंग्लेण्ड का नाव काफला, १६६२ के सितम्बर की १९ तारीख को मुम्बई पर कब्जा लेने मुंबई आया, तब वसई-मुंबई के गवर्नर वाईस टॉप अन्टोनियो डी'मेलो कारगो ने कब्जा देने से इन्कार कर दिया था, अत: दूसरे दो वर्ष निकल गये और ईसवी सन् १६६४ में ५ नवम्बर को मुंबई पर अंग्रेजो को वास्तविक सत्तात्मक अधिकार प्राप्त हुआ था। मुंबई के अंग्रेजो के अधिकार में आने के बाद लगभग १९० वर्षों के बाद प्रगति के पथ पर तेजी से बढने लगा। सन १८५०-१८६० के बीच में राजस्थानी (मारवाड़ी), गुजराती, कच्छी एवं पारसी समाज का आगमन हो चूका था। व्यापारियों को व्यापार-उद्योग में परिवहन की सुविधा मुंबई में सन् १८५३ ई. में रेल्वे लाइन शुरु हो जाने पर प्राप्त हुई । ब्रिटिश सरकार की इच्छा तो कलकत्ता से प्रथम रेल्वे लाईन शुरु करने की थी, परन्तु उसका श्रेय मुंबई को प्राप्त हुआ। ई. सन १८४८ में मुंबई से कल्याण तक की ३५ मील की रेल्वे लाईन डालने की ईजाजत मिली। उसके लिये खर्च ५ लाख पौंड अनुमानित आँका गया। ये पाँच लाख पौण्ड जमा करके ३० हजार पौंड अंग्रेज सरकार के पास डिपोजीट रखने की शर्त रखी गई। सरकार रेल्वे के लिये जमीन ९९ वर्ष के रजिस्टर के अनुसार देगी, परन्तु सरकार अपनी इच्छानुसार चाहे जब रेल्वे कंपनी खरीद सकती हैं। शनिवार ता. १६ अप्रैल १८५३ के दिन दोपहर साढे तीन बजे पहली ट्रेन बोरीबंदर से थाणा जाने के लिये रवाना हुई थी। इस ट्रेन में इंजिन और १८ डब्बे जोडे गये थे। गाड़ी में ५०० यात्रियों को बैठने की व्यवस्था की गयी थी। यह दिन मुंबई में छुट्टी का दिन घोषित किया गया था। प्रथम गाडी का दर्शन के लिये लोगो में अपार उत्साह था। मुंबई से थाणे का २० मील का अंतर काटने में For Private and Personal Use Only Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 14 मुंबई के जैन मंदिर - प्रथम गाडी को सत्तावन मिनिट का समय लगा था। लोग बिना बैल-घोडे की गाडी देखकर आश्चर्य में आये, और गा उठे: साहेबाचा पोर्या कसा अकली बिन बैलाने गाडी रे हांकली लोगो में अपार उत्साह भरा था। किन्तु मुंबई के गवर्नर किसी कारण वश नाराज हो गये थे और उद्घाटन के एक दिन पहले ही गवर्नर लोर्ड फोकलेण्ड और कमान्डर-इन-चीफ लोर्ड फेडरिक फीन्झक लेरन्स माथेरान चले गये। लेडी फोकलेण्डने उद्घाटन समारोह अपने हाथों सम्पन्न किया। ज्यों ज्यों मुंबई का विकास होता गया, मुंबई में नई नई रंग रंगीली बहारे आने लगी । बोरी बन्दर स्टेशन, म्युनिसिपल कार्यालय आदि अनेक इमारतें अंग्रेजों के शासन काल में बनने लगी, चारों ओर नई-२ सडकों से मुंबई की रौनक बढने लगी। पहले घोडे की ट्रामे और फिर बिजली की ट्रामे रोड पर चलने लगी। चर्चगेट से विरार और वी.टी. बोरी बन्दर (शिवाजी टर्मीनस) से कल्याणअंबरनाथ और कर्जत तक मुंबई नगर से उपनगरीय रेलगाडीयाँ चलने लगी हैं। मुंबई बन्दरगाह होने से व्यापार उद्योग में भारत का पहले दरजे का शहर बन गया हैं। भारत के सब प्रान्तो के अलावा विश्व का कोई ऐसा देश नहीं कि, जिस देश के लोगो का मुंबई में आवागमन नहीं हुआ हैं। ३३८ वर्ष पुराना शहर आज अपने नवीनतम आधुनिक साज सज्जावाला विस्तृत विशाल रुप में विश्व के ऊँचे स्तर का नगर बन गया हैं। इसे सिमटा हुआ भारत ही जाना जाता है । परम पूज्य आचार्य श्री दर्शन - नित्योदय सागर - चंद्राननसूरीश्वर म. की पावन निश्रा मे वि. सं. २०५४ - २०५५ के उपधान तप के अवसर पर लेखक की छोटी बहन श्रीमती भाग्यवंती धीसूलालजी (बीजापुर) के प्रथम उपधान पर माला पहनाते हुए लेखक एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती फेन्सीबाई। For Private and Personal Use Only Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर 15 - जिन - प्रतिमा से जिन बन जावे प्रतिष्ठा का महत्त्व * मूर्ति, यह मूर्ति नहीं मूर्तिमान मूर्तिस्वरूप भगवान है। * प्रतिमा, यह प्रतिमा नहीं, साक्षात् देव है, भगवान है। * वीतराग की प्रतिमा पत्थर नहीं, साक्षात् परमात्मा है, प्रतिमा कोई कल्पना नहीं, बल्कि - सनातन सत्य है। * प्रतिमा अपूजनीय नहीं, परम पूजनीय है; अवन्दनीय नहीं, परम वन्दनीय है। * जिस युग में हम जी रहे है, उसमे टेन्शन दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है; आखिर इस टेन्शन को कैसे हटाये ? शान्ति कैसे पायें ? * एक रास्ता है भगवद्भक्ति ! परमात्मा के प्रति अडिग श्रद्धा। * संसार-सागर को पार करने के लिए एवं मुक्तिधाम में पहुंचने के लिए जिन - प्रतिमा अलौकिक एवं अद्वितीय नौका तुल्य है। * जिस प्रकार प्राणविहीन देह निरर्थक एवं त्याज्य होती है, उसी प्रकार से प्राण-प्रतिष्ठा किये बिना जिनप्रतिमा भी केवल प्रतिमा ही होती है। * प्रतिष्ठा हुए बिना प्रतिमा में लोगों की श्रद्धा नहीं होती और वह प्रतिमा पूजनीय नहीं मानी जाती। * भौतिकवाद को तोड़कर भक्तिवाद की स्थापना, वासना को छोड़कर वीतराग की उपासना ___ यही है प्रभु - प्रतिष्ठा का माहात्म्य। * प्रतिष्ठित प्रतिमाजी के दर्शन से सम्यग्दर्शन की स्पर्शना होती है, प्रभु-प्रतिष्ठा से मन की अशान्ति, तन की बीमारी एवं वाणी की कटुता दूर होती है, साथ में जीवन में शान्ति, मृत्यु में समाधि और परलोक में सद्गति प्राप्त होती है। * दुलर्भ ऐसा मनुष्य जीवन पाकर जन्म की सार्थकता के लिए प्रतिष्ठारूप भक्तियोग से अनन्त जीवों ने शाश्वत सुख से मोक्ष प्राप्त किया है। * अन्नत उपकारी श्री जिनेश्वर देव की परम तारक मूर्ति को जो भक्तिपूर्वक स्थापित करते है, करवाते है और अपनी शक्ति के अनुसार प्रतिष्ठा करने-कराने वालों की अनुमोदना करते है, वे सभी अल्पकाल में शाश्वत सुख प्राप्त करते है। * प्रतिष्ठा के पश्चात् प्रतिमा में प्राणों का संचार होने से वह दिव्य एवं अलौकिक बन जाती है और भक्तगण उस प्रतिमा के समक्ष श्रद्धावनत होते है। * मन्दिर में परमात्मा की प्रतिष्ठा करने के पूर्व हृदय-मन्दिर में भगवान की प्रतिष्ठा करनी अत्यन्त आवश्यक है - पंन्यास जिनोत्तम विजय गणि For Private and Personal Use Only Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 16 मुंबई के जैन मन्दिर देवाधिदेव अचिंत्य चिंतामणि अरिहंत प्रभु के दर्शन-पूजा का फल ॐ जिनालय जाने की इच्छा करे........... १ उपवास का फल 9 जिनालय जाने के लिये खडा होवे...... २ उपवास का फल जिनालय जाने के लिये तैयार होते..... ३ उपवास का फल + जिनालय तरफ कदम बढाए..... ४ उपवास का फल 9 जिनालय के रास्ते चलते हुए..... ५ उपवास का फल है जिनालय के आधे रास्ते पहुँचने पर..... १५ उपवास का फल + जिनालय का दूर से दर्शन करने पर........ ३० उपवास का फल . जिनालय के पास आने पर..... ६ मास के उपवास का फल + जिनालय के गंभारे के पास आने पर..... १ वर्ष के उपवास का फल क प्रभुजीको प्रमार्जन / प्रदक्षिणा देने पर..... १०० वर्ष के उपवास का फल प्रभुजीकी (अष्टप्रकार से) पूजा करने पर.....१००० वर्ष के उपवास का फल प्रभुजी को सुगंधयुक्त माला पहनाने पर..... १ लाख वर्ष के उपवास का फल भावपूजा रुप चैत्यवन्दन - स्तवन - गीत - नृत्य से अनंत उपवास का फल या तीर्थंकर नाम कर्म बांधने का फल प्राप्त हो सकता है। अतः द्रव्य पूजा करने के बाद अवश्य भावपूजा - चैत्यवंदन करना चाहिये। सौजन्य: मूलचन्द गुलाबचन्द महेता परिवार गृहमन्दिर (टे. फो.: ३०७ ६८७०) ७०४-बी, अरिहंत एपार्टमेन्ट, ३१, डी. बी. मार्ग, मुम्बई सेन्ट्रल स्टेशन के सामने, मुंबई नं. ४०० ००८. For Private and Personal Use Only Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मुंबई के जैन मन्दिर www.kobatirth.org - गुरु भगवन्तो की शुभ कामनाएँ श्री आत्म वल्लम जैन समुद्र समुदाय के परमार क्षत्रियोद्वारक, चारित्र चूडामणि, दिवाकर परम पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय इन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी महाराज जैन उपाश्रय, विनय एपार्टमेन्ट, वरली Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 17 दिनाक : ३-२-९६ जैन भाईओ को खुश खबर मुंबई के जैन मंदिर (आवृत्ति दुसरी) श्री ज्ञान प्रचारक मण्डल द्वारा पद प्रशस्य कार्य द्वितीय आवृत्ति किताब में जैन संघ के सारे मुंबई में स्थित मंदिरजी के ठिकाने या पता व्यवस्थापकजी का या संचालकजी का नाम, टेलिफोन नं., मूलनायक प्रतिमाजी का नाम व प्रतिमाजी संख्या, प्रतिष्ठा या स्थापना कराने वाले गुरुदेव आचार्य भगवंत या मुनि भगवंत का नाम, प्रतिष्ठा या स्थापना की मिति वार तारीख के अलावा जैन पाठशाळा, आयंबिलशाला, धर्मशाला, भोजनशाला, भाताशाला, उपाश्रय, जैन सेवा या संगीत मंडल, महिला मंडल, पूजा मंडल इत्यादि अनेक विवरण के साथ छपवाकर सबके लिये सुविधा करके समाज के लिऐ महान मार्ग दर्शन किया है । वह किताब खरीदकर आप सब स्थानो के दर्शन पूजन सेवा करने के लिये आने जाने औरो के लिये मार्ग दर्शन के लिये सहयोगी बने और सब पर उपकारी बने वही शुभेच्छा हैं। विजय इन्द्रदिन्न सूरि का धर्मलाभ 卐 श्री मोहन - प्रताप - धर्मसूरीश्वर समुदाय के परमपूज्य व्या. सा. न्या. तीर्थ आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी महाराज. For Private and Personal Use Only - मुंबई महानगर अने उपनगरोना विशाल विस्तारोमा स्थले स्थले प्राचीन अर्वाचीन ४८४ + ६०= ५४४ उपरांत नाना मोटा शिखर बद्ध अथवा गृह जिनालयोनी परिचयात्मक विस्तृत अने व्यापक माहिती रजू करता जैन मंदिरोनी बृहद् डीरेक्टरी जेवा मुंबई के जैन मंदिर पुस्तकना द्वितीय संस्कारणना प्रकाशन द्वारा ओना संकलनकार जिनभक्त सुश्रावक भाई भँवरलालजी खरेखर परमतारक परमात्मा श्री जिनेश्वर देवनी अपूर्व अने अभिनव भक्तिनुं कार्य करी रह्या छे. मुंबई अने उपनगरोना दूर नजीकना तमाम जिन मंदिरोनी प्रमाणभूत माहिती मेलववा माटे तेओ स्वयं ते ते स्थलोओ प्रत्येक Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 18 मुंबई के जैन मन्दिर जिनालयो मे जाय छे, कार्यकर्ताओने मले छे. जाते निरीक्षण करीने सर्वांगी माहिती अकत्रित करे छे. ते आ कार्यनी विशेषता छे. बृहद् मुंबईना तमाम जिनालयोनी चैत्यपरिपाटी - दर्शन - यात्रा करवानी भावना वाला भाग्यवान भाविकोने माटे आ पुस्तक खूब सरस रीते मार्ग दर्शक बनवा साथे उपयोगी अने उपकारक बनशे. अमां संदेह नथी. ते उपरांत मुंबईना तमाम जैन मंदिरोनो प्रमाणभूत इतिहास पण आ ग्रन्थथी उपलब्ध थई शकशे. ओ पण अति आवश्यक अने महत्त्वनी बाबत छे। श्री भंवरलालभाई पोताना आ विरल सत्प्रयत्नमां संपूर्ण सफल बने... अवी भावना. कांदिवली (प.) आषाढ सुदि १०, वि. सं. २०५२, ता. २६-७-९६. - विजय सूर्योदय सूरिका धर्मलाभ सिद्धान्त महोदधि, सुविशुद्ध संयममूर्ति, वात्सल्य वारिधि, कर्म शास्त्र निपुण मति, स्व. आचार्य भगवंत श्रीमद् प्रेम सूरीश्वरजी म. साहेब के शिष्य पू. आ. श्री भुवनभानु सूरीश्वरजी म. के समुदाय के परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय जयधोष सूरीश्वरजी महाराज ___ जिन चैत्य अने जिन बिंब ओ शुभ भावोनी वृद्धि माटेर्नु श्रेष्ठ आलंबन छे. अरिहंत परमात्मानी गेर हाजरीमा जिन बिंबर्नु आलंबन पामीने भव्यात्माओ पोताना आत्मानुं कल्याण साधे छे. जिन दर्शन माटे जिन चैत्ये जवानी इच्छा थवा मात्रथी उपवासर्नु फल मले. तेम शास्त्रमा बताव्यं छे. अनेक जिनालयोना दर्शन - वन्दन - पूजनथी विशेष भावोल्लास पेदा थाय छे. तेथी पर्वकृत्य तरीके चैत्य परिपाटीनुं कर्तव्य बताव्युं के अष्टमी, चतुर्दशी तथा पर्युषण आदि पर्वोमां गाम अने नगरना अनेक चैत्योनी यात्रा करीने चैत्य परिपाटीचं कर्तव्य बजावतुं जोईओ. मुंबई जेवा महानगरमा सेकडो जिन चैत्यो आवेला छे. तेना सरनामा वगेरेनी विस्तृत माहिती उपलब्ध होय तो नगर यात्रा अने चैत्य परिपाटी करवानी भावना वाला भावुकोने खूब उपयोगी बने. ते आशयथी प्रस्तुत पुस्तक प्रगट थई रयुं छे. आ पुस्तकना आलंबनथी सह कोई विशेष भक्ति भाव लावी विविध चैत्योना दर्शननी अभिलाषावाला बने. ते पुस्तकनी सार्थकता छे. रोज अथवा पर्वतिथिओ पाँच के वधारे जिनालयोने जुहारवानी टेव पाडवाथी आत्मामां जिन भक्तिना दृढ संस्कार उभा थशे. जे भवांतरमा पण पौद्गलिक विषयोनी आसक्ति तोडवानुं काम करशे. आ पुस्तकने पामीने अक वर्षमा मुंबईना तमाम जिनालयोनी चैत्य परिपाटी करवानी दरेके भावना राखवी. ओक वार तमाम देरासरोनी उपयोग पूर्वक भावपूर्वक चैत्य परिपाटी करी लीधा पछी मनमां तेनी For Private and Personal Use Only Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर 19 बराबर धारणा राखवी. अने रोज रात्रे तथा मादंगी वगेरेमा मानसिक भाव चैत्य परिपाटी करवानो अभ्यास करवो. तेनाथी समाधि अने प्रसन्नतानु अद्भुत बल प्राप्त थशे. देरासरमा दर्शन - वंदन - पूजा करवा ते जेम भक्ति छे तेम देरासरनी सार संभाल राखवी ते पण जिन भक्ति छे. ऊँचा प्रकारनी भक्ति छे. सार संभाल राखवी ते मात्र ट्रस्टीओनुं कार्यकरोतुं के पूजारीओनु ज कर्तव्य नथी. दरेक श्रावकनुं कर्तव्य छे. देरासरमा अस्त व्यस्त पडेला पाटला वगेरे सरखा मूकवा, काजो काढवो, पूजानी थाली-वाटकीओं साफ करवी. अंग लूछणा साफ राखवा वगेरे सार-संभाल अने साफ सफाईनें कार्य करवाथी दिलमां अरिहंत परमात्मानो अने श्री संघनो दासत्व भाव उभो थाय छे. जिनालय-निर्माणनो अपरंपार लाभ छे. हजारो लाखो आत्माओने दर्शन-शुद्धि और भाव वृद्धिनुं प्रबल साधन उभु करी आपवानो लाभ आंकडामा मापीश शकाय नहि. मोटु शिखर बंधी जिनालय बनाववानुं सामर्थ्य न होय तेने नानकडं गृह मंदिर पण पोतार्नु होवू जोई. गृह मंदिर होय तो घरना ग्लान अने वृद्ध सभ्योने जिन भक्तिनो योग मली रहेवाथी समाधि भाव सुगम बने छे. बालकोमा त्रिकाल दर्शन आरती वगैरेना सुंदर संस्कारो पडे छे. गृह मंदिरना लाभ अपरंपार छे. अहीं देरासरोनी माहिती पुस्तकना रुपमा छे. मुंबईना तमाम जिनालयोना सरनामाना बोर्ड बनावीने दरेक संघमां मूकाय तो ते जाणकारी वधारे लोकोने पहोंचे अने तेथी घणांने चैत्य परिपाटीनो भाव जागे. आ पुस्तक भावुक आत्माओना अंतरमां जिन भक्तिना उल्लासनी वृद्धि करनार बने अज शुभकामना. लि. विजय जयधोष सूरिना धर्मलाभ. ता. १५-८-९६ रामनगर, अहमदाबाद - ३८०००५. साबरमती. योगनिष्ठ जैनाचार्य श्रीमद् बुद्धि सागर सूरीश्वरजी म. के समुदाय के प. पू. आ. भग. श्री सुबोध- सागरसूरीश्वरजी म. के शिष्य परम पूज्य आ. श्री मनोहर कीर्ति सूरीश्वरजी महाराज. बाबु अमीचन्द पनालाल श्री आदीश्वरजी जैन मंदिरउपाश्रय, तीन बत्ति, वालकेश्वर, मुंबई-४०० ००६. ता. ४-परम तारक श्री जिन मंदिरोनी अति महत्त्वपूर्ण संपूर्ण यादी - संग्रह प्रकाशन करीने संपादके श्री जिनेश्वर परमात्माना परम तारक शासननी अवर्णनीय सेवा करी छे. भाविना इतिहासमां ओक सराहनीय ग्रन्थनुं स्थान प्राप्त करशे. देश अने परदेशमां बेठा बेठा अनेक भाविको तीर्थ यात्रानो अमूल्य लाभ लेवा भाग्यशाली बनशे. शासन सेवाना प्रशंसनीय / अनुमोदनीय कार्य माटे सम्पादकश्रीने शतश: धन्यवाद सह अन्तरना मंगलमय शुभ आशिष. लि. आ. सुबोध सागरसूरी म. द. मनोहर कीर्ति सागर सूरि. 卐 For Private and Personal Use Only Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 20 मुंबई के जैन मन्दिर प. पू. आचार्य श्री विजय नेमि - विज्ञान - कस्तूर समुदाय के आचार्य श्री विनय चंद्रोदय सूरीश्वरजी म. आचार्य श्री विजय अशोकचंद्र सूरीश्वरजी म. आचार्य श्री वि. सोमचंद्र सूरीश्वरजी म. ___ बम्बई के जैन मंदिर नामर्नु पुस्तक इतिहास माटे तेमज चैत्य परिपाटी माटे घणुंज उपयोगी थई शके छे. तेनी बीजी आवृत्ति भंवरलाल अम. जैन द्वारा घणीज महेनतथी संपादित थई रही छे. ते घणा आनंदनो विषय छे. आ पुस्तक घणुज उपयोगी थई पडे अम छे. अंते सम्यक् ज्ञान - दर्शन - चारित्रनी वृद्धिमां आ पुस्तक निमित्त बने अन अभ्यर्थना. ता. २२-७-९६ रविवार विजय अशोकचन्द्र सूरि, माटुंगा (से.रे.). । शासन सम्राट् आचार्य श्री नेमि - लावण्य - दक्ष सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री विजय सुशील सूरीश्वरजी म. दिनांक ८-८-९६. धर्मानुरागी श्री. भंवरलालजी एम. जैन आदि धर्मलाभ । शुभकामना संदेश यह जानकर प्रसन्नता हुई कि श्री ज्ञान प्रचारक मंडल व पुस्तकालय द्वारा मुंबई के नगर एवं उपनगरो के जिन मंदिरो का परिचय दिलाने वाली 'मुंबई के जैन मंदिर' (ईतिहास एवं चैत्य परिपाटी मार्ग दर्शिका) द्वितीय आवृत्ति का प्रकाशन हो रहा है। यह पुस्तक जन जन में मंदिर व मूर्ति के प्रति आस्था जगाने वाली होगी। इस प्रकाशन पर हमारी शुभकामना हैं । एवं भविष्य में भी संस्था द्वारा धार्मिक उपयोगी साहित्य प्रकाशित होता रहे । यही मंगलकामना पूर्वक शुभ भावना है। 'जिन प्रतिमा से जिन बन जावे' यह संदेश जनजन तक पहुँचे यही मंगल कामना । लि. गुर्वाज्ञा से पन्यास जिनोत्तम विजयजी का धर्मलाभ. For Private and Personal Use Only Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर 21 । शासन सम्राट् आचार्य श्री नेमि - लावण्य - दक्षसूरीश्वरजी म. के. शिष्य आचार्य श्री _ विजय प्रभाकर सूरीश्वरजी म. कांदिवली - चारकोप ता. १७-८-७६ धर्मानुरागी भँवरलालजी अम. जैन, धर्मलाभ श्री ज्ञान प्रचारक मंडल द्वारा तमे समग्र मुंबई नगर अने उपनगरना जिनालयोनी जानकारी रुप पुस्तक प्रकाशित करी रह्यां छो ते जाणी प्रसन्नता थई सम्यग् दर्शननी शुद्धि स्वरुप आ तमारुं कार्य खरेखर लोकोने उपकारक बनशे ज. तमारं आ कार्य सफल बनो. तेवा शुभ आशिष साथे हार्दिक शुभ कामना ता. १७-८-९६ विजय प्रभाकर सूरिना धर्मलाभ - आचार्य श्री विजय सुरेन्द्रसूरीश्वरजी म. (डेहलावाले) समुदाय के परमपूज्य आ. श्री विजय यशोभद्र सूरीश्वरजी म. के शिष्य रत्न आ.वि. विमलभद्र सूरीश्वरजी म. नमो अरिहंताणं आचार्य श्री सुरेन्द्र सूरीश्वरेज्यो नमः दिनांक २०-७-९६ शनिवार बावन जिनालय मंदिर भायन्दर (वेस्ट) आपके द्वारा मुंबई के जैन मंदिर की एक अद्भूत बुक बाहर पडी है उसकी आवृत्ति प्रकाशित होने की पूर्व तैयारी है। यह बात जानकर हमे खुशी है और यह जैन मंदिर की जानकारी अर्थात् परमात्मा की भक्ति - परमात्मा की प्रार्थना है। तुम्हारा प्रयत्न प्रशंसनीय. लि. विमलभद्रसूरि का धर्मलाभ. For Private and Personal Use Only Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 22 मुंबई के जैन मन्दिर अंचल गच्छ समुदाय के स्व. आचार्य श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म. के शिष्यरत्न आ. श्री __कलाप्रभ सागर सूरीश्वरजी म. दिनांक ५-५-९६. ७२ जिनालय तलवाणा (कच्छ), पिन कोड - ३७०४६०. आ. कलाप्रभ सागरसूरि आदि गुरु गुण चरणरत्न सुश्रावक श्री भंवरलाल एम. जैन सादर धर्मलाभ आपका १७-४-९६ का कवर-पत्र मिला, परिचय भी मिला। मुंबई के जैन मंदिरो की बृहद् डीरेक्टरी आप शीध्र संकलन कर प्रकाशित करने जा रहे हो तो जानकर बहुत ही प्रसन्नता हुई। इसके लिये हार्दिक शुभेच्छा - प्रसन्नता प्रेषित है। इस कार्य में सफल बने यही शुभ भावना । मुंबई एवं परा विस्तार, विहार रुट भी इसमे संमिलित होगा तो बुक और भी महत्त्वपूर्ण बनेगी । हो सके लक्ष रखे. __द. आ. कलाप्रभ सागर सूरिका धर्मलाभ शासन सम्राट् श्री नेमि - अमृत सूरि समुदाय के आचार्य श्री विशाल सेन सूरीश्वरजी म. 'विराट'. बम्बई के जैन मंदिर नाम की पुस्तक श्री ज्ञान प्रचारक मंडल व पुस्तकालय नामक संस्था द्वारा मुंबई के जिन मंदिरो का परिचय करीब २० वर्ष पूर्व प्रकाशित हो गया है । २० वर्ष में तो बम्बई कहाँ से कहाँ गया और बम्बई से मुंबई भी बन गया। चारो तरफ जैनो की आबादी से मुंबई समृद्ध संस्कारी एवं धर्मिष्ठ बना है और चारो ओर अनेक जिन मंदिरो से ये घरा सुवासित और किमती बनी हैं। इन बातो की जानकारी के लिये एक सबल माध्यम की जरुरत थी सो उपरोक्त संस्था के उत्साही कार्यकर्ता उसकी पूर्ति कर रहे हैं और उपरोक्त पुस्तक की दुसरी आवृत्ति प्रकाशित कर रहे है अत:उन्हे धन्यवाद पूर्वक सफलता की शुभकामनाएँ ता. १२-३-९६ मंडपेश्वर रोड, जिन मंदिर - उपाश्रय बोरीवली (पश्चिम) द. आचार्य विशाल सेन सूरि का धर्मलाभ. For Private and Personal Use Only Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ओली कम मुंबई के जैन मन्दिर www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आचार्य श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. के समुदाय के सौधर्म बृहत्तपागच्छ आचार्य श्री जयंतसेनसूरीश्वरजी महाराज. भीनमाल, दिनाक २-८-९६. सुश्रावक भँवरलालजी एम. जैन शिवगंजवाले धर्मलाभ । पत्र आज अभी ही मिला । जानकर प्रसन्नता हुई कि आपके द्वारा पुनः द्वितीय आवृत्ति प्रकाशन हो रहा है। बम्बई के जैन मंदिर ( इतिहास एवं चैत्य परिपाटी मार्गदर्शिका ) पुस्तक का । 23 I जिनालयो के दर्शन की घर बैठे लाभ प्राप्ति, वह अनुपम आयोजन है । जिन मंदिर निश्चय से सम्यक्त्व शुद्धि एवं आत्मगुण वृद्धि में सहायक है । इन सभी का ऐतिहासिक संकलन प्रकाशन अवश्य भव्यात्माओ की भावना को उत्तेजित करेगा ही । इस प्रकाशन के लिये मेरी ओरसे हार्दिक बधाई एवं शुभकामना स्वीकारे ! शेष कुशल ! 新 सिद्धांत महोदधि आ. प्रेम - रामचंद्र सूरीश्वरजी म. के शिष्य पन्यासजी भंदकर विजयजी म. के शिष्य रत्न साहित्य कार - लेखक मुनिश्री रत्नसेन विजयजी म. अति उपयोगी सामग्री का संकलन कर सुंदर कार्य किया है। जिन प्रतिमा - जिन सारिखी जैन शासन में जिनेश्वर भगवंत की प्रतिमा को जिन तुल्य माना गया है I इस कलिकाल में भवसागर पार उतरने के लिये जिन बिंब और जिन प्रतिमा ही सर्व श्रेष्ठ आलंबन है । प्रस्तुत पुस्तक 'मुंबई के जैन मंदिर' एक सुंदर कृति है । संग्राहक भँवरलाल एम. जैन • शिवगंजने काफी श्रम लेकर मुंबई के समस्त जैन मंदिर संबंधी For Private and Personal Use Only मुंबई के सभी मंदिरो के दर्शन के लिये इच्छुक व्यक्ति के लिये तो वह पुस्तक सुंदर काम करेंगी। ता. २७-७-९६ मुनि रत्नसेन विनय लब्धि सूरीश्वरजी ज्ञान मंदिर, ज्ञान मंदिर लेन, दादर (प.) 筑 Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 24 मुंबई के जैन मन्दिर परम पूज्य प्रेम-भुवन भानु समुदाय के परम पूज्य पन्यास प्रवर कुलचंद्र विजयजी गणिवर्य के शिष्य रत्न मुनिराज श्री प्रशांत विजयजी म. सा. धर्म लाभ ! देव गुरु भक्तिकारक सुश्रावक श्री भंवरलालजी एम. जैन. विशेष देवगुरु-संयम यात्रा सुख पूर्वक चलती है। मोहपाडा का चातुर्मास शासन प्रभावना पूर्वक यादगार रहा । विशेष आपश्रीने अथाग परिश्रम लेकर आगाशी से मोहपाडा तक जिनमंदिर का इतिहास दुसरी आवृत्ति छपवाने की तन तोड मेहनत करके आपकी ज्ञान भक्ति एवं सेवा की धगश का परिचय दिया। इस पुस्तक की नकले अधिक से अधिक संख्या मे सुंदर एवं आकर्षक बनाने का प्रयत्न करना विशेष करके पूज्य गुरु भगवंतो एवं साध्वीजी महाराज के दर्शन हेतु परमात्मा के दर्शन में अति उपयोगी पुस्तक होगी। वह पुस्तक अत्यंत लोकप्रिय बनेगी साथ-साथ आबाल वृद्ध सभी पुण्यवानो पुस्तकको सहर्ष स्वीकार करेंगे। अंत में आप ज्ञान भक्ति एवं जैन शासन की अनुपम सेवा करी मोक्ष स्थाने पामो एज मंगल कामना। दुः मुनि प्रशांत विजय, श्री आदिनाथ जैन धर्मशाळा, मोहोपाडा, रसायनी (महाराष्ट्र) श्री आत्म - वल्लभ - समुद्र - इन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी म. के समुदाय के शासन प्रभावक आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरीश्वरजी म. सा. जालंधर (पंजाब) २०-८-९६. नि:स्वार्थ समाज सेवी श्री भंवरलाल एम. जैन शिवगंग योग्य धर्म लाभ आपका पत्र मिला। यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि आपने परमार क्षत्रियोद्वारक परमाराध्य गुरुदेव का आशीर्वाद प्राप्तकर लकवा ग्रस्त होते हुए भी बम्बई के जैन मंदिर नामक जो पुस्तक आपने सत्रह वर्ष पूर्व प्रकाशित की थी अब उसी पुस्तक का परिवर्धित द्वितीय संस्करण प्रकाशित करने जा रहे हैं। इससे आपके मन में देह के प्रति विरक्ति और धर्म के प्रति अनुरिक्ति ही प्रगट होती हैं। For Private and Personal Use Only Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर 25 सत्रह वर्ष पूर्व महानगरी बम्बई में कितने मंदिर थे, एवं वर्तमान में कितने मंदिर बन गए यह अपने आप में एक इतिहास है। इससे केवल जिन मंदिरो का ही पता नही चलेगा, अपितु मूर्तिपूजक जैन समाज व परमात्मा के प्रति श्रद्धा समर्पण की भी जानकारी प्राप्त होगी, एतदर्थ यह पुस्तक धार्मिक व सामाजिक दोनो ही दृष्टिकोणो से अत्यंत महत्व पूर्ण सिद्ध होगी। यह पुस्तक शीध्र ही प्रकाशित होकर जिज्ञासु पाठक वर्ग के हाथो में आए, ऐसी मैं शासनदेवसे प्रार्थना करता हुं। आपके इस शुभकार्य की अन्त:करण से अनुमोदना करता हूँ। नित्यानंद सूरि का धर्मलाभ. "हलकारा के संपादकजीका शुभ सन्देश' 卐 प्रिय श्री, भँवरजी जैन श्री ज्ञान प्रचारक मंडळ व पुस्तकालय वरली, मुंबई - ४०००१३. मुझे जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है कि उपरोक्त मुंबई के जैन मंदिर का द्वितीय संस्करण आप जैसे अनुभवी के संपादन में प्रकाशित हो रहा है। आज से करीब २० वर्ष पूर्व जब मैं मुंबई की धरती पर हलकारा' को प्रचार-प्रसार के लिये लाया था, तब आपने प्रथम संस्करण मुझे भेट स्वरुप दिया था. उक्त पुस्तक को देखने पढने के पश्चात् आपके साहस, संकलन, परिश्रम का मैने २० वर्ष पूर्व हलकारा में समीक्षात्मक उल्लेख किया था । आज उसी के द्वितीय संस्करण, भूतकाल में २०० मंदिर के स्थान पर वर्तमान में ५४४ मंदिरो का विवरण, चित्र आदि आपके साहस हिम्मत का संकलन है। जो मुंबई एवं मुंबई से बाहर बसे जैनियो के लिये उत्तम मार्ग दर्शन की भूमिका निभायेगा। धन्य है आपके साहस एवं संपादनको जिस के फलस्वरुप यह ग्रंथ प्रकाशित हुआ है। शान्तीलाल रांका सम्पादक: हलकरा, मुंबई. ACHARYA SRI KAILASSAGARSIDI GYANMANDIR SAIMAHAVIR JAIN AMDHANA KOVORA Koba, Gandhinagar-382009. Phone: 079023276252,23276204.0 For Private and Personal Use Only Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 26 मुंबई के जैन मन्दिर - - मुख्य मंत्री राजस्थान जयपुर • 2 SEP 1996 सन्देश मुझे यह जानकर प्रसन्नता है कि श्री ज्ञान प्रचारक मण्डल एवं पुस्तकालय, बम्बई द्वारा “बम्बई के जैन मंदिर पुस्तक का प्रकाशन किया जा रहा है । भारतीय मंदिर स्थापत्य में जैन मंदिरों की अपनी सौली है तथा इससे भारतीय मंदिर शिल्पागार समृद्र हुआ है । आवश्यकता इस बात की है कि देश के विभिन्न क्षेत्रों के उपलब्ध शिल्पधामों को प्रकाशमान किया जाय, इस दृष्टि से प्रकाश्य पुस्तक सामयिक है। मुझे विश्वास है कि प्रकाशन की सामग्री बम्बई के जैन देवालयों एवं शिल्प विधान का ज्ञान कराने वाली होगी। ___मैं पुस्तक के लेखक श्री भंवरलाल एमजन को इसके लिए बधाई देते हुए प्रकाशन की सफलता के लिए अपनी हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं। मिरोंसिंह शेखावत। For Private and Personal Use Only Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर 27 प्रकाशन के पूर्व पुस्तको के ग्राहक बनकर सहयोग देने वालो की नामावली १०० दस सद्गृहस्थ भाईयों की तरफ से २५ श्रीमती अंकीबाई धंमडीरामजी गोवाणी ट्रस्ट तीरुपति अपार्टमेन्ट, महालक्ष्मी २५ श्री प्रशान्तविजयजी महाराज म. की पावन प्रेरणा से अलग २ जैन भाईयो की तरफ से २२ आ. विजय इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी म. की पावन प्रेरणा से, १० श्री मोतीशा जैन देरासर भायखला १० श्री सरदारीलाल शेखरचन्द्र मुरादाबाद २ श्री बालकृष्णा निर्मलकुमार जैन २० श्री शान्तिनाथजी जिनालय (दादर कबुतरखाना) दादर (प.) १५ श्री आदिश्वरजी महाराज - माहिम तड मारवाडी संघ, माहिम १५ श्री पारसमलजी उत्तमचन्दजी बालड - मुंबई, १० श्री मोतीशा लालबाग जैन चैरीटी ट्रस्ट- सी. पी. टेंक १० श्री जगद्गुरु हीर सूरीश्वर श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ - मलाड (पूर्व) १० श्री चारकोप श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ - कांदिवली (प.) १० श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ जैन संघ ईश्वर नगर - भांडुप (प.). १० श्री संभवनाथ जैन देरासर पेढी जांभली गली - बोरीवली (प.) १० श्री सुमेर टॉवर जैन संघ - भायखला १० श्री मरुधरीय जैन मूर्तिपूजक संघ - गणपतराव कदम मार्ग - वरली १० श्री सातरस्ता जैन संघ - सातरस्ता १० श्री मरुधर जैन सेवा संघ - सातरस्ता १० श्री श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ - गोरेगाँव (पूर्व) १० श्री चन्द्रप्रभु जिनालय, प्रार्थना समाज, मुम्बई-४ १० श्री सहस्त्रफणा पार्श्वनाथ जैन देरासर अने उपाश्रय ट्रस्ट - बाबुलनाथ चौपाटी १० श्री मरिन ड्राईव जैन आराधक ट्रस्ट - मरीन ड्राईव १० श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन देरासर पेढी - दौलतनगर - बोरीवली (पूर्व) १० श्री शांतिनाथजी महाराज जैन टेम्पल एण्ड चेरीटीज - पायधुनी, मुंबई-३ १० श्री संभवनाथ जैन देरासर आराधक भाई बहेनो - शंकरगली, कांदिवली (प.), For Private and Personal Use Only Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 28 मुंबई के जैन मन्दिर १० संघवी अंबालाल रतनचंद जैन धार्मिक ट्रस्ट - विमल सोसायटी वालकेश्वर १० श्री मोहनलालजी हस्तीमलजी ढालावत चाणौदवाले, जोगेश्वरी (वेस्ट) १० श्री बंदा मुथा भेरुलाल हजारीमलनी हुबली - पूजा पेपर्स १० श्री शांतिचन्द्र बालुभाई झव्हेरी प्रीति बिल्डींग - विलेपार्ले (प.) १० कु. शोभा गणेशमलजी जैन (खिवान्दी वाले), धोबीतलाव, मुंबई. १० शा. गणेशमलजी सेसमलजी (खिवान्दी वाले), नल बजार. १० सेठ कस्तूरचन्द मुलाजी सह परिवार ट्रस्ट - खेतवाडी १० श्री रजनीकान्त आर. शाह बिल्डर्स - थाणा Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १० मुनिसुव्रत स्वामी मरुधरीय ओसवाल जैन संघ, जुना कुर्ला ५ शा. चेनमल टेकचन्द शिवगंजवाला दागीना बजार ५ श्री राजस्थान मूर्तिपूजक जैन संघ, भट्टिपाडा - भाण्डुप (प.) ५ श्री कालाचौकी पोरवाल जैन संघ - काला चौकी - लालबाग ५ श्री 'वासुपूज्य 'जैन श्वेताम्बर मुर्तिपूजक संघ, महाराष्ट्र नगर, भांडुप ५ श्री राजस्थान जैन संघ - धोबीतलाव ५ श्री वासुपूज्य जैन मंदिर एवं उपाश्रय ट्रस्ट - नया मझगाँव ५ श्री सरदारमलजी भबुतमलजी (खिवान्दीवाले) शिवाजी नगर, गोवडी ५ श्री दादर जैन पौषधशाला ट्रस्ट आराधना भवन, दादर ५ साटीया प्रिन्टर्स एवं एफ साटीया शिवगंज वाले - कोट ५ श्री मूर्ति पूजक जैन श्वेतांबर संघ, श्रेणिक नगर, घाटकोपर (प.) ५ श्री श्वेताम्बर तपगच्छीय मू. जैन संघ, जेल रोड, डोंगरी ५ श्री नवजीवन सोसायटी जैन संघ, मुंबई सेन्ट्रल ५ श्री गोवंडी जैन श्वेताम्बर मू. संघ, गोवन्डी ( प. ) ५ श्री राजकृपा पेपर कंपनी शिवगंजवाला, हुबली, कर्नाटक ५ श्री तलकचन्द गिरधरलाल महेता, ह. जितुभाई, मुलुंड (प.) ५ श्री छोगमलजी किस्तुरचन्दनी पालरेचा देरासर ट्रस्ट, शिवगंजवाला ५ श्री आग्रीपाडा - भायखला श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ, भायखला (प.) 1 ५ श्रीमती कुमुदबेन हसमुखलाल मोदी, कमला निकेतन, वालकेश्वर ५ श्री मदनलाल अमृतलाल एण्ड क. मुलजीजेठा मार्केट, मुंबई-२ ५ श्री ताडदेव श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ, ताडदेव For Private and Personal Use Only Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर 29 ५ श्रीमती उषाबहन अमृतलाल महेता, मलाड (प.) ५ श्री अरिहन्त टॉवर जैन संघ, भायखला (पूर्व) ५ श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ मूर्तिपूजक जैन संघ, वीरा देसाई रोड, अंधेरी (प.) ५ श्री ऋषभदेवजी श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ, चार बंगला, अंधेरी (प.) ५ श्री श्रेयस्कर अंधेरी गुजराती जैन संघ इर्लाब्रीज, अंधेरी (प.) ५ श्रीमती लीलादेवी सम्पतराज गांधी, एवरशाईन नगर, मलाड (प.) ५ श्री वर्धमान श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ, परेल ५ श्री पुनम श्वेताम्बर मुर्तिपूजक जैन संघ - पुनम एपार्टमेन्ट, वरली ५ देवभूमि कुंथुनाथ श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ, दहिसर (पूर्व) ५ श्री वासुपूज्य स्वामी जैन मंदिर, दादर - नायगाँव ५ श्री मेघराजजी पुखराजजी पारेख घाणेराव वाले, ‘संभव तीर्थ' हाजीअली ५ श्री नेहरुनगर श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ, कुर्ला (पूर्व) ५ श्री शान्तिनाथ श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ ना.म. जोशी मार्ग, ५ नेन्सी कोलोनी जैन संघ, बोरीवली (पूर्व) ५ श्री आदिनाथ गृह मंदिर नडीयादवाला कोलोनी - मलाड (प.) ५ श्री नमिनाथ जैन मंदिर, ८ वी गली, कामाठीपुरा, ५ शा. पुखराजजी रतनचन्दजी थाणावाली पालडी, आगाशी, विरार ५ श्री मणिबहन जीवनलाल मोदी, शांतिलाल मोदी मार्ग, कांदिवली (प.) ५ श्री बांगुर नगर श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ - गोरेगाँव ५ श्री मुनि सुव्रत स्वामी देवकीनगर जैन संघ - बोरीवली (प.) ५५ श्री भाईलाल सुन्दरलाल मणियार, गोशाला लेन, मलाड (पूर्व) ५ श्री प्रकाशभाई मोहनलालजी सिरोया, ठाकुर निवास - बोरीवली (पूर्व) ५ श्री विजयभाई डी. धुला शक्तिनगर - दहिसर (पूर्व) ५ श्री गीतांजलि श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ, गीतांजलिनगर - बोरीवली (प.), ५ श्री सिद्धार्थभाई जवाहीरलाल उस्ताद महावीर स्वामी जिनालय - झव्हेरी बजार, ५ श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ जैन दहेरासर पेढी, आरे रोड - गोरेगाँव (प.) ५ श्री रिद्धि सिद्धि आदर्श श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ, मार्वे रोड - मलाड (प.) ५ श्री उमरपार्क जैन संघ भुलाभाई देसाई रोड, मुंबई. ५ श्री शान्तिनाथ जैन आराधना भवन, शान्तिनाथ जैन मंदिर - चिराबजार For Private and Personal Use Only Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर 30 ५ अमृतलाल फाडन्डेशन रेन्ग उदयान, शितलादेवी रोड, माहिम ५ श्री गोकुल जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ - खेतवाडी ५ श्री कृषल डेवलोपर्स ८२१, पारेख मार्केट, ऑपेरा हाउस, ५ श्रीमती अनिलाबेन अरुणभाई झव्हेरी- वालकेश्वर मंदिर के पीछेकी बिल्डींग, ५ सुंदर नगर जैन संघ, सुंदर नगर - मलाड (प.) ५ श्री महावीर नगर श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ - कांदिवली (प.) ५ श्री कच्छी विच्छा ओसवाल अंचलगच्छ जैन संघ भांडुप (प.) ५ श्री वासुपूज्य स्वामी श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ आनंद नगर, कादिवली (प.) ७ श्री अरिहंत धाम श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ जैन आकुर्ली - कांदिवली (पूर्व) ७ सेठ श्री धेलाभाई करमचन्द जैन सेनेटोरीयम - विले पार्ले (प.) ५ श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ श्वे. मू. तपा. जैन संघ - नालासोपारा (पूर्व) ५ श्री सुविधिनाथ जैन दहेरासर ट्रस्ट - भीवंडी ५ श्री छगनीबेन नेमीचंदजी मुत्ता ह. किशनलालजी नेमीचन्दजी मुत्ता ५ श्री राजाजी रोड श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ, डोंबिवली (पूर्व) ५ श्री भीडभंजन पार्श्वनाथ जैन संघ कापकनेरी, भीवण्डी ५ श्री मुनिसुव्रत स्वामी जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ श्रेषिक नगर - घाटकोपर (प.) शा. मनीषकुमार भंवरलालजी रु. ३०० सप्रेम भेट - सांताक्रुझ (पूर्व) - POSESPERIE - S S अपनी छोटी बहन श्रीमती भाग्यवंती धीसूलालजी जैन (बीजापुर) के प्रथम उपधान के अवसर पर अपने परिवार के साथ लेखक। For Private and Personal Use Only Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर 31 - हमारे प्राणाधार पंजाब केसरी श्री विजय वल्लभसूरीश्वरजी म. For Private and Personal Use Only Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 32 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर स्व. सिद्धांतमहोदधि पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्रीमद्विजय प्रेमसूरीश्वरजी महाराज साहेब For Private and Personal Use Only An Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतज्ञानाधिष्ठायिका भगवती श्री सरस्वतीदेवी यस्याः प्रसाद परिवर्धितशुद्धबोधा:, पारं व्रजन्ति सुधियः श्रुततोयराशेः । सानुग्रहा मम समीहितसिद्धयेऽस्तु, सर्वज्ञ-शासनरता श्रुतदेवताऽसौ ॥ For Private and Personal Use Only Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री ऋषभदेवजी जैन मन्दिर, चेम्बुरतीर्थ (क्रमांक-३४७) POS For Private and Personal Use Only Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir adkiodeoadloomsolapta मनिसव्रतस्वामी जैन मन्दिर, नवरोजी क्रोस लेन, घाटकोपर (प.) (क्रमांक-३५१) MAGICKETCTRIC NRU MER For Private and Personal Use Only Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ grape @rdio Comgopi Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra For Private and Personal Use Only www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ जैन मन्दिर, संघाणी एस्टेट, घाटकोपर (प.), (क्रमांक-३१२) COM Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री मुनिसुव्रतस्वामी जैन मन्दिर, कांदीवली (प.) (क्रमांक-११४ ) hodad wildladded Badladisoded9 dloddeomadakadates For Private and Personal Use Only Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir a Soot joobobo श्री शान्तिनाथ जैन मन्दिर, दहिसर (प.) (क्रमांक-२३५ ) Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 101. For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ बावन जिनालय तीर्थ, भाईन्दर (प.) (क्रमांक २५१ ) Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir GODDDDDDDDDDDDDDDDDDDDD2D200SDEBRODVOCBOOD PDDODPODE GORODDDD Ho, dioci, sidiosi (yd) (DH16-909) bosbe og eft F relebo For Private and Personal Use Only Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीशंखेश्वर पार्श्वनाथारथाकार जैन मन्दिर, भाईन्दर (प.) (क्रमांक-280 ककक कल 13 For Private and Personal Use Only Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री मुनिसुव्रतस्वामी जैन मन्दिर, ५ वां रस्ता, खार (प.) (क्रमांक-१८) Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ श्रीशंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन मन्दिर, गोवंडी (प.) (क्रमांक-३४१) कुरुकलरूककरूऊऊऊऊऊऊरूरूऊरूककरूक रूक रूककककककककककककरून d barakedadded 15 For Private and Personal Use Only Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Pପଦ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra For Private and Personal Use Only www.kobatirth.org 1606 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir f y ** ମdra ** gar, I * OR, 38 (d) (paid-136) *** * ******** * Page #51 --------------------------------------------------------------------------  Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन मन्दिर, धर्म-शान्तिधाम, कांदीवली (पूर्व) (क्रमांक-२०५) Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Categgaggaged Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra For Private and Personal Use Only www.kobatirth.org श्री मुनिसुव्रत स्वामी जैन मन्दिर, नवागाम-दहिसर (प.) - मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी आदि प्रभुजी (क्रमांक-२३६) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन मन्दिर, अन्धेरी (पूर्व) (क्रमांक-१३२) d20seksi For Private and Personal Use Only Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री संभवनाथ जैन मन्दिर, जामली गली, बोरीवली (प.) (क्रमांक-२११) ARMONY Sad21LERS For Private and Personal Use Only Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Z www.kobatirth.org For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री शान्तिनाथजी जैन मन्दिर, आइ.आइ.टी. सामे, पवई, (क्रमांक-३७७) Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SO0E 300 Publood FROM Iccccc श्री संभवनाथ जैन मन्दिर, शंकरगली, कांदीवली (प.) Mr मूलनायक श्री संभवनाथ भगवान आदि प्रभुजी (क्रमांक - ११३) रुरुरुरुरुरुरुरुरुरुरुरुरुरुरुकककककककक Icccc dog8234ideosed Sapna For Private and Personal Use Only Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन मन्दिर, चुनाभट्ठी-कुर्ला (क्रमांक-३४५) Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री आदीश्वर भगवान जैन मन्दिर, माहिम (प.) (क्रमांक-१४) dood25 For Private and Personal Use Only Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री मुनिसुव्रत स्वामी जैन मन्दिर, कुरार विलेज, मलाड (पूर्व) (क्रमांक-१८१) Kedand2600dada For Private and Personal Use Only Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Pos లోలోలోతులోయ , IITR- Rasi (gd), (RIG-2) A ARéare 7 at ictorate ఇలాంటి 27 For Private and Personal Use Only Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री सीमन्धर स्वामी जैन मन्दिर, सत्य की नगर, वरली (क्रमांक-८१) Drdarsa For Private and Personal Use Only Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री गोडी पार्श्वनाथ जैन मन्दिर, सुमेर टॉवर, भायखला (पूर्व) (क्रमांक-३१२) SoSGDISSONGS 7295date Seedbaradises ed For Private and Personal Use Only Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीमहावीरस्वामी जैन मन्दिर, महावीरधाम शिरसाड (क्रमांक-29) P M3050 For Private and Personal Use Only Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री कुन्थुनाथ जैन मन्दिर, सिल्वर एपार्टमेन्ट, दादर (प.) (क्रमांक-८३) 066 26@dod dad531 Sardapsode Caen For Private and Personal Use Only Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra F www.kobatirth.org QAAGO श्री चंद्रप्रभ जैन For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री चन्द्रप्रभ स्वामी जैन मन्दिर, जयप्रकाश रोड, अन्धेरी (प.) (क्रमांक - १२०) Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir HIN श्री महावीर स्वामी जैन मन्दिर, पारस नगर, जोगेश्वरी (पूर्व) (क्रमांक-१४३) ood335 For Private and Personal Use Only Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir WOMEN श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन मन्दिर, घोडपदेव-भायखला (पूर्व) (क्रमांक-३१४) Kऊऊऊऊरूलबारक For Private and Personal Use Only Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री मुनिसुव्रत स्वामी जैन मन्दिर, आग्रा रोड, जूना-कुर्ला (प.), मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान (क्रमांक-३४४) 5 Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra For Private and Personal Use Only 6361 www.kobatirth.org 02700000 50000) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री श्रेयांसनाथ जैन मन्दिर, इरलाब्रीज, वीले-पाला (प.) (क्रमांक-१११) Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 3 3 www.kobatirth.org 0 0 0 0 0 &&& 3 3 3 6 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only श्री पीयूष पाणि पार्श्वनाथ जैन मन्दिर, वरसोवा, जि. ठाणा (क्रमांक-२१२) Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir PORA POOLOGY श्री आदिनाथ जैन मन्दिर-प्रवेशदार, मंडपेश्वर रोड, बोरीवली (प.) (क्रमांक-२१६) For Private and Personal Use Only Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जब श्री वासुपूज्य स्वामी जैन मन्दिर, महावीर नगर, शंकर गली, कांदीवली (प.) (क्रमांक-१८७) Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir CSIGGC श्रीशंखेश्वर पार्श्वनाथ समवसरण जैन मन्दिर, आगाशी तीर्थ (क्रमांक-२८८) For Private and Personal Use Only Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra R છે હી કા એ 20 શ્રેવિશ્વનાથાય નમ: ! For Private and Personal Use Only 2121293 phpbbf2116 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir શ્રી સુવિધનાથ જૈન મન્દિર, નયભંગન રસીનીંગ, શીવપ્ની (2માંg-૪૨૦) Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org UUU For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री वासुपूज्य स्वामी जैन मन्दिर, उरण, (क्रमांक-४८३) Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ જીર પર Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra For Private and Personal Use Only dydd 43 beses ઉચી એડી પૌથી નીકળી શકાય તિહા સાીિજ જગાણા મણા હી તિલાલ ગડા જે જી - પર થાયથી રડી લાભ ઉરાલ, દષિપેશ જી હાઇરીજી એ શનિવાર તા 1er. www.kobatirth.org හි E හි '))-|==:) SEUDIO ) | શ્રીમતી પ્રભાવતી દામજી ગોઝારી દુgિયાર યા કીરિાડારામ મરીનો Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री चन्द्रप्रभस्वामी भगवान जैन मन्दिर, थाणा (प.) (क्रमांक-४०७) Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री महावीर स्वामी चौमुख जैन मन्दिर, शाहपुर, (क्रमांक-४७१) Sodese be For Private and Personal Use Only Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री सुविधिनाथ जैन मन्दिर, डोंबीवली (पूर्व), (क्रमांक-४४५) For Private and Personal Use Only Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पू. आ. श्री लक्ष्मणसूरीश्वरजी म.सा. oon मूलनायक श्री शीतलनाथ भगवान आदि जिनप्रतिमाजी पू. आ. श्री लब्धिसूरीश्वरजी म.सा. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only पू. आ. श्री कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. श्री शीतलनाथ जैन मन्दिर, श्री लब्धिसूरीश्वरजी जैन ज्ञानमन्दिर, दादर (प.), (क्रमांक-८४) Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra For Private and Personal Use Only www.kobatirth.org स्व.शा. उमेदमलजी लुम्बचंदजी जैन Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री वासुपूज्य स्वामी गृह जिनालय, वीशीन एपार्टमेन्ट, भीवण्डी (क्रमांक-४१८) M adhopadadhd PANDEY Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Ra आचार्य श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. आचार्य श्री धनचंद्रसूरीश्वरजी म.सा. ऊऊऊऊऊरूरू आचार्य श्री भूपेन्द्रसूरीश्वरजी म. आचार्य श्री यतीन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. आचार्य श्री विद्याचंद्रसूरीश्वरजी म.सा. PORA करूऊऊऊऊऊऊऊऊऊ वर्तमानाचार्य श्री जयंतसेनसूरीश्वरजी म.सा. सौजन्य : श्री राज राजेन्द्र प्रकाशन ट्रस्ट ३०५, संघवी भवन, स्टेशन रोड, ठाणे. हः जे. के. संघवी For Private and Personal Use Only Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 'मुम्बई के जैन मन्दिर' आवृत्ति-२ को लिखनेका श्री गणेश करने के लिए आ. श्री इन्ददिन्नसूरीश्वरजी म. सा. से प्रथम आर्शीवाद प्राप्त करते हुए लेखक काश, इस थैली और लकडी का सहारा न होता तो यह पुस्तक लिख न पाता लेखक For Private and Personal Use Only Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 50 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चित्र १. प. पू. आ. श्री वल्लभसूरीश्वरजी म. सा. के समुदाय के तपस्वी रत्न श्री वसन्तविजयजी-पंजाबीको १८ वे वर्षीतप के पारणा के अवसर पर शाता पृच्छा करते हुए लेखक. चित्र - २. श्री लालबाग-मोतीशा जैन उपाश्रय-सी.पी. टेंक में सन १९८३ में पू. तपस्वी मुनि श्री नयधनविजयजी के ११३ उपवास के अवसर पर शाता पृच्छा करते हुए लेखक. For Private and Personal Use Only श्रीयाणा में वर्धमान निक THOLE GELGEVUSE. Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ပြန်လည် ပြင်ဆင် နိုင်နိုင်နိုင် श्री ज्ञानप्रचारक मण्डल के संस्थापक स्व. श्री मूलचंदजी नेनमलजी जैन -शिवगंज जन्म :- ३०-१०-१११६* स्वर्गवास :-२४-११-१११४ For Private and Personal Use Only Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ MOVI SEASE అభ్యంతరం Cooledeo Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra For Private and Personal Use Only www.kobatirth.org अपनी धर्मपत्नी फेन्सीबाई, सुपुत्र राजेश,गिरीश, अशोक, पुत्रवधू श्रीमती शर्मीला कुमारी, श्रीमती वर्षाकुमारी, पौत्री विकलकुमारी के साथ लेखक. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Mylloivon RRC स्वर्गीय नाहर बाबुलालजी उखचंदजी भीनमाल (राज.) जन्म : ६-६-१९२४ * स्वर्गवास : १-9- १९१६ सौजन्य : शा.घेवरचंदजी बाबुलालजी नाहर-भीनमाल For Private and Personal Use Only Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir With Best Compliments From: JAGDISH J. MEHTA PARIS JEWELLERS Mfg. of : GOLD ORNAMENTS 26, Hemjamata Building, 2nd Floor, Room No. 5, 2nd Fofal Wadi, Bhuleshwar. Mumbai- 400 002. Tele Phone : 209 22 02, 201 4491 With Best Compliments From: SUKHRAJ S. SONS S. R. FABRICS 9, Navi Gally, M.J. Market, Mumbai-400002. | Tele Phone : (S.) 2004945, 2063157, (O.) 387 11 79, (R.) 3781228 श्री ज्ञान प्रचारक मण्डल द्वारा प्रकाशित पुस्तके : (१) गुरुभक्ति (संयम धारा) भाग - १ (२) पुष्पाजंलि (वीतराग भक्ति वाटिका) भाग-१, भाग-२, भाग-३, भाग-४, भाग-५ (३) बम्बई के जैन मन्दिर (चैत्य परिपाटी मार्गदर्शिका) प्रथम आवृत्ति (४) गुरु भक्ति गीत (संयम धारा) भाग-२ (५) मुंबई के जैन मन्दिर (चैत्य परिपाटी मार्ग दर्शिका) द्वितीय आवृत्ति For Private and Personal Use Only Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हार्दिक शुभकामनाएँ: भावना वस्त्र भंडार विजय साडी भावना ट्रेडर्स शा. रकबचन्दजी गुलाबचन्दजी (रोवाड़ावाला) ८४६, बी. जे. मार्ग, हबीब मेन्शन, भायखला, मुंबई-४०००११. टेलिफोन: ऑफिस: ३०८४४७९.घर: ३०९० 'श्री ज्ञान प्रचारक मंडळ' द्वारा प्रकाशित 'मुंबई के जैन मंदिर' (आवृत्ति दूसरी) के प्रकाशन पर हार्दिक शुभकामनाएँ: । दिलीप लालचन्दजी पोरवाल जयन्त एपार्टमेन्ट, ५०२, पाँचवा माला, ताडदेव रोड, मुंबई-४०००३४. टेलिफोन: ४९३५६३७ For Private and Personal Use Only Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हार्दिक शुभकामनाएँ: टेलिफोन : ६२४ ७३९३ मदनजी ६२४६१४६ मे. अजितकुमार उमरावचन्द ज्वेलर्स स्व. श्रीमती उमरावबाई उमरावचन्दजी सुराणा बालराई (राजस्थान) वेरसी बिल्डींग, स्वामी विवेकानन्द रोड, अंधेरी (पश्चिम), मुंबई-४०० ०५८. With Best Compliments From : MOHANLAL S. JAIN Exclusive Silver Gift Articles & Pure Utensiles MOON SILVER HOUSE Manufacturers of All Types of Latest Silver Utensits & Jewellery 2/8, Patwa Chawl, G.S. Building, Ground Floor, Shop No. 9A, Near Mumbadevi Temple, Zaveri Bazar, Opp. Setty Hotel, Mumbai-400002. Tele :2082863,2064844,Resi.: 3754243 For Private and Personal Use Only Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर चर्चगेट से विरार-पश्चिम रेल्वे चर्चगेट - मरीन ड्राइव __ श्री अजितनाथ भगवान गृह मन्दिर कु. जेठी. टी. सिपाही मलानी मार्ग, स्नेह सदन, ५वा माला, इरोज सिनेमा के पीछे, चर्चगेट, मुंबई - ४०० ०२०. टे. फोन : २८२ २२ ८४ श्री सुरेशभाई वकील विशेष :- श्रीमान श्रेष्ठीवर्य श्री के. बी. वकीलने अपने निवास स्थान पर लगभग ७० वर्ष पहले श्रावण सुद - १३ को इस गृह मन्दिर की स्थापना की थी। ___ यहाँ पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी २, एक आरस की पार्श्वनाथ प्रभु की एवं एक पार्श्वनाथ प्रभु की मंगल मूर्ति भी बिराजमान हैं। (२) श्री महावीर स्वामी भगवान गृह मन्दिर मरीन ड्राईव (नेताजी सुभाष रोड) डी रोड, जयन्त महल कम्पाउन्ड में, चर्चगेट, मुंबई - ४०० ०२०. टे. फोन : २८१६९ २८ रमणलाल नगीनदास, २८१ ४२ ९५ हेमचंद मोतीचंद झव्हेरी विशेष:- इस गृह मन्दिरजी की स्थापना २६ जनवरी १९५१ को प. पू. युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणासे सेठ रमणलाल नगीनदास परिख द्वारा हुई थी। आरस के बनाये आसन पर पंचधातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी २, अष्टमंगल २ के अलावा श्री शत्रुजय तीर्थ व सम्मेतशिखर तीर्थ के आरस पट दर्शनीय हैं। यहाँ श्री महावीर महिला मण्डल पूजा-भावना में अग्रणीय हैं। श्री पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर ७७ एफ रोड - पाटण जैन मंडल मार्ग, मरीन ड्राईव, नेताजी सुभाष रोड, चर्चगेट, मुंबई - ४०० ०२०. टे. फोन : महेन्द्रभाई - २८१५९ ४४, २८१ १०५५, चन्द्रकान्तभाई - २८१ ११९२ विशेष :- यह मन्दिर श्री मरीन ड्राईव जैन आराधक ट्रस्ट द्वारा संचालित हैं। जिसकी स्थापना वि.सं. २००४ का फागुण वद - ४ को परम पूज्य आ. श्री विजय भक्तिसूरीश्वरजी म. साहेब के For Private and Personal Use Only Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर शिष्यो- की पावन निश्रा में हुई थी। यहाँ आरस की २ प्रतिमाजी, पंचधातु की ६ प्रतिमाजी, कमल तथा सिद्धचक्रजी ४ के अलावा दिवार पर श्री सिद्धाचलजी, श्री अष्टापदजी, श्री सम्मेतशिखरजी तथा श्री गिरनारजी के चित्र दर्शनीय हैं। यहाँ श्री जिन भक्ति महिला मण्डल, श्री अरिहन्त महिला मण्डल, श्री पार्श्व महिला मंडल, श्री मरीन ड्राईव स्नात्र मण्डल, श्री सामायिक मण्डल, श्री मरीन ड्राइव जैन पाठशाला, पाटण जैन मण्डल द्वारा पुस्तकालय एवं वाचनालय की व्यवस्था हैं। उपाश्रय भी हैं। इस उपाश्रय की स्थापना वि.सं. २०२९-३० में पर्युषण आराधना के लिये पधारे हुए पू.आ. श्री मोहन - प्रताप - धर्मसूरीश्वर समुदाय के प. पू. आ. भ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. (उस समय मुनिराज) की प्रेरणा और मार्गदर्शन से पाटण निवासी श्री प्रेमचंद जीवाचंदभाईने उदारता से अपना ब्लोक, श्री पाटण जैन मंडल - मुंबई को प्रत्यर्पित करने पर की गई थी, तब से इस उपाश्रय में चातुर्मासादि आराधना होती है। श्री पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर वेस्टर्न कोर्ट, ६ माला, ८३ मरीन ड्राईव, ब्लोक नं. २४, पाटण जैन मंडल मार्ग (F- रोड), मुंबई - ४०० ०२०. टे. फोन : २८११०५५, २८१५९ ४४ श्री महेन्द्रभाई विशेष :- यहां मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान तथा आजूबाजू में श्री महावीर स्वामी, श्री आदीश्वर भगवान, श्री गौतम स्वामी व पद्मावती देवी सभी प्रतिमाजी आरस पर बनाई गई बिराजमान हैं। परम पूज्य आ. श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. साहेब के समुदाय के आचार्य श्री दुर्लभसागरसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०४४ का माह सुद - ६ सन् १९८८ को स्थापना हुई थी। इस गृहमन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्रीमान श्रेष्ठीवर्य श्री महेन्द्रभाई शान्तिलाल दुधवाले है। श्री पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर ब्लोक नं. ३, पहला माला कृष्ण कुंज अणुव्रत मार्ग, ९६ मरीन ड्राईव, मुंबई - ४०० ०२०. टे. फोन : २८१ ०४ ३३ श्री दिनेशभाई विशेष :- श्री महेन्द्रभाई के लघु भ्राता श्री दिनेशभाई शान्तिलाल दुधवालोने अपने निवास स्थान पर गृह मन्दिरजी की स्थापना की है। दिसम्बर ९६ में आपके यहाँ भगवान बिराजमान किये गये है। आरस पर बनाये गये मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान, श्री महावीर स्वामी, श्री आदीश्वर भगवान, श्री गौतम स्वामी, श्री पद्मावती देवी के साथ ५ प्रतिमाजी सुशोभित हैं। For Private and Personal Use Only Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर मरीन लाईन्स श्री शीतलनाथ भगवान गृह मन्दिर ३१-३३, ट्रीन टी स्ट्रीट, धोबी तलाव, राजस्थान भवन, मुंबई - ४०० ००२. टे. फोन : २०५३७१९ - कस्तुरभाई विशेष :- इस मन्दिरजी की प्रथम स्थापना वि.सं. २०२८ का मगसर सुद - ५ परम पू. रामसूरीश्वरजी म. (डेहलावाले) की पावन निश्रा में हुई थी। शिलान्यास आ. श्री दर्शननित्योदयसागरसूरिपन्यास श्री चंद्राननसागरजी म. की शुभ निश्रा में हुआ था। नूतन प्रतिष्ठा आत्म-वल्लभ-समुद्र समुदाय के आ. विजय इन्द्रदिन्नसूरिजी के शिष्य आ. श्री रत्नाकरसूरिजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०५० का जेठ सुद - ३ रविवार को हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री शीतलनाथ प्रभु सहित पाषाण की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - १ के अलावा दिवारो पर श्री अष्टापद, शत्रुजय, आबुजी, गिरनारजी, सम्मेतशिखरजी के पट दर्शनीय हैं। श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री भैरुजी, श्री पद्मावती, यक्ष-यक्षिणी आदि देव-देवीयो की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। राजस्थान भवन के प्रथम माले पर मन्दिरजी, दूसरे माले पर आयंबिल खाता, तीसरे माले पर संघवी उदयचन्दजी जेठाजी लुणावावाला आराधना भवन, चौथे माले पर शा मोतीलालजी हंसाजी तखतगढवाला व्याख्यान हॉल हैं। यहां जैन पाठशाला, श्री शीतलनाथ महिला मंडल, श्री भैरव नवयुग मंडल भी हैं। (७) प्रिन्सेस स्ट्रीट श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर मनहर बिल्डींग, तीसरा माला, कान्तिलाल शर्मा मार्ग, प्रिन्सेस स्ट्रीट, मेन रोड, मुंबई - ४०० ००२. टे. फोन : २०८५३०७ विशेष :- यह गृह मन्दिर सेठ चुनीलाल मूलचन्द कापडीया खंभातवाला का कहलाता है। जिसकी प्रतिष्ठा ९० वर्ष पहले माह सुद-७ की हुई थी। इस मन्दिरजी में धातु के ८ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ४ तथा बाजू में श्री पद्मावती भी बिराजमान है। इस मन्दिरजी की व्यवस्था सुप्रसिद्ध दानवीर सेठ सोलीसीटर श्री मोतिचन्द गिरधरलाल कापडिया के हाथो में रही थी, जो उस वक्त के सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं श्री महावीर जैन विद्यालय के निर्माण के मुख्य सहयोग दाताओं में से एक थे। आपश्री के उपर लक्ष्मी एवं सरस्वती दोनो की कृपा थी। उसके बाद सोलीसीटर श्री चुनीलाल मूलचन्द कापडीया के देखरेख में संचालन होता रहा । वर्तमान में श्री अमीशभाई रसिकलाल कापडीया मंदिरजी का संचालन कर रहे हैं। For Private and Personal Use Only Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर श्री अजितनाथ भगवान गृह मन्दिर देवकरण मेन्शन, विठ्ठलदास रोड, लुहारचाल, प्रिन्सेस स्ट्रीट, मुंबई - ४०० ००२. टे. फोन : २०८ ६२७१ - विनोदभाई कापडीया विशेष :- इस मन्दिरजी को सेठ मूलचन्द बुलाखीदासने बनवाया था। जिसकी स्थापना वि.सं. १९७३ का फागुण वद-१ को हुई थी। यहाँ मूलनायक सहित पंच धातु के १९ प्रतिमाजी, सिद्धचक्र - १३, अष्टमंगल - १ तथा दिवारो में चारो तरफ कांच के बनाये श्री शंखेश्वरजी, श्री तारंगाजी, श्री सम्मेतशिखरजी, श्री गिरनारजी, श्री शत्रुजय, श्री पावापुरी, महावीर और गौतम गुरु के तीर्थ व फोटो अति सुन्दर शोभायमान रहे हैं। इस प्रिन्सेस स्ट्रीट लुहारचाल जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ की स्थापना वि.सं. २००७ में प. पूज्य युगदिवाकर आ. भ. श्री धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा से एवं उनकी निश्रा में की गई थी और उसी साल में इस संघ के उपक्रम में सर्व प्रथम पर्युषण आराधना प.पू.आ. श्री मोहन-प्रताप धर्मसूरीश्वरजी समुदाय के पू. शतावधानी आ. श्री जयानन्दसूरीश्वरजी म. सा. और पू.आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. (उस समय के दोनो मुनिराज) की निश्रा में देवकरण मेन्शन के आगाशी (टेरेस) मंडप में हुई थी। तब से आज तक निरंतर पर्युषण आराधना यहाँ चलती हैं। यहां सेठ मूलचन्द बुलाखीदास गृह जिनालय में परम पूज्य आचार्य भगवन्त दुर्लभसागरसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि. संवत् २०३९ का जेठ सुद - १३ ता. २३-५-८३ को श्री घंटाकर्ण वीर की प्रतिमा की प्रतिष्ठा एम. के ज्वेलर्स चीराबाजार वाले स्व. श्रेष्ठीवर्य शा. मुनालालजी केशरीमलजी बोराणा सपरिवार वालो की तरफ से सम्पन्न हुई। यहाँ श्री बाबुलाल रतिलाल लक्ष्मीचंद भणशाली जैन पाठशाला, श्री अजितनाथ सामायिक व महिला मण्डल तथा विश्व मंगल मंडल भी कार्यरत हैं। भगवान अजितनाथ चौक मंगलदास रोड और लोहारचाल के नजदीक जंक्शन पर भगवान अजितनाथ चौक नामकरण १५ अगस्त १९९६ को हुआ था। मंगलप्रभात लोढ़ा, शांतिलाल जैन, रवीन्द्र पीलेकर, राज पुरोहित आदि की हाजरी में तथा भरत गुर्जर के संचालन में श्रीमती जयवंती बहन मेहता के शुभ हस्तो से हुआ था। वर्धमान संस्कृति धाम - चौविहार हाऊस ___ केशवबाग : टेलिफोन : ३८८७६३७ प्रिन्सेस स्ट्रीट, मुंबई - ४०० ००२. सिद्धान्त महोदधि आ. विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. सा. समुदाय के पन्यासप्रवर श्री चन्द्रशेखरविजयजी म. की प्रेरणासे अ.सौ. हंसाबेन महेन्द्रकुमार दीयोरवाला परिवार द्वारा अधिकतम दान राशि प्राप्त होने के निमित्त कायमी चौविहार हाऊस शुरु करने मे आया है। जिसमे मुंबई में बाहर गाँव से आनेवाले तथा मुंबई शहर में कामकाज या खरीदी के लिये आनेवाले भाई-बहनो के लिये भोजन की व्यवस्था करने में आयी हैं। For Private and Personal Use Only Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मुंबई के जैन मन्दिर www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चीरा बाजार जैन भोजनशाला सौराष्ट्र श्री दशा श्रीमाळी जैन भोजनालय संचालिका :- श्री जडावलक्ष्मी रामजीभाई, कमानी वाडी, चीरा बाजार, ५४२ जगन्नाथ शंकरशेठ रोड, मुंबई - ४०० ००२. (3) श्री शान्तिनाथ भगवान डॉ. नगीनदास एन. शाह गली, चीरा बाजार, विजयवाडी, जगन्नाथ शंकर शेठ रोड, गिरगांव रोड, मुंबई - ४०० ००२. टे. फोन : २०६३१५०, २०१८६ ७० मांगीलालजी, २०५६३८०, २०५११२४ जयंतिलालजी विशेष :- सर्व प्रथम आचार्य भगवंत विजय वल्लभसूरीश्वरजी म. सा. की निश्रा में अंजनशलाका की हुई पंचधातु की श्री शांतिनाथ भगवान की चौविशी आदीश्वरजी जिनालय पायधुनी से लाकर वि.सं. २०४३ का श्रावण मास में आ. विजय इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी म. के आदेश से पन्यासजी श्री नित्यानन्द विजयजी म. की शुभ निश्रा में स्थापना की थी । उसके बाद वि.सं. २०४६ का कार्तिक वद - ५ को प. पू. आ. श्री सुबोधसागरसूरीश्वरजी म. तथा आचार्य मनोहरसागरसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में प्रतिष्ठा हुई थी । मन्दिरजी का नूतन शान्तिनाथजी आराधना भवन तीन मंजील का तैयार हुआ । प्रथम खण्ड में ऑफिस व शान्तिनाथ जैन पाठशाला, दूसरी मंजील में मूलनायक श्री शान्तिनाथजी, श्री महावीरस्वामी एवं श्री पार्श्वनाथजी ये तीनो पाषाण की प्रतिमाजी स्थापित किये थे जो जालोर - नंदीश्वर द्वीप मन्दिर से प्राप्त हुई थी, जिसकी वि. सं. २००५ में पन्यासजी श्री कल्याणविजयजी म. की शुभ निश्रा में अंजनशलाका की गयी थी । तीसरी मंजील पर श्री सहस्रफणा पार्श्वनाथ, श्री वासुपूज्य स्वामी तथा श्री मुनिसुव्रत स्वामीजीकी प्रतिमा प्रतिष्ठित की गयी जो श्री गोडीजी पार्श्वनाथ जिनालय में आ. सुबोधसागरसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में अंजनशलाका की हुई थी। -- यहाँ आरस की ६ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४, सिद्धचक्रजी २, अष्टमंगल १ सुशोभित है। चिराबाजार जैन आराधना भवन उपाश्रय हैं। श्री क्षेत्रपाल जैन अतिथि भवन १ झावबा वाडी, जगन्नाथ शंकर शेठ रोड, ठाकुरद्वार - गिरगाँव रोड, मुंबई - ४०० ००२. टे. फोन : ३४२५७९२ इन्दरचंदजी, ३४३ ४८ ८४ कनकराजजी विशेष ::- परम पूज्य आचार्य श्री दर्शनसागरसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य पू. आचार्य श्री नित्योदयसागरसूरीश्वरजी म. सा. एवं पू. आचार्य श्री चन्द्राननसागरसूरीश्वरजी म.सा. की शुभ निश्रा में For Private and Personal Use Only Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ६ www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर श्री ओसवाल जैन अतिथि भवन का शिलान्यास (खात मुहूर्त) सोमवार ता. २० -१०-९७ के शुभ दिन हुआ था । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाली एवं सिरोही जिले (राज.) के ओसवाल जैन बंधुओ द्वारा राजस्थानी जैन यात्रियों के लिये आधुनिक सुख सुविधाओं से परिपूर्ण श्री क्षेत्रपाल जैन अतिथि भवन का निर्माण होने वाला है । पाँच मंजिल के इस भवन में भोजनशाला, सभागृह एवं अतिथि गृह एवं दो लिफ्टों की भी सुविधा होने वाली है। 'चर्नीरोड - चौपाटी (१०) श्री कल्याण पार्श्वनाथ भगवान सामरणबद्ध जिनालय ३५ सी फेस, चौपाटी, चर्नी रोड, मुंबई - ४०० ००७. टे. फोन : ३६१ ३३५५ शैलेश झवेरी, ३६९५७ ३० नरेन्द्र मलबारी, ३६१ ०२५६ हिमांशु कोठारी विशेष :- यह मन्दिर मुंबई की लोकप्रिय चौपाटी के सामने आया है। जिसकी प्रथम प्रतिष्ठा वि.सं. १९९८ मगसर सुद - १० को परम पूज्य आ. चंद्रसागरसूरीश्वरजी म. ( उस समय मुनिराज ) की शुभ मिश्रा में हुई थी। वि. सं. २०१२ में परम पूज्य विज्ञानसूरि एवं कस्तूरसूरि म. की शुभ निश्रा में महावीर एवं आदीश्वर प्रभु की स्थापना हुई थी । यहाँ वि.सं. २०१३-१४-१६-१७ -१८ में पर्युषण आराधना हेतु पधारे हुए पू. आ. श्री मोहन - प्रताप-धर्मसूरीश्वर समुदाय के प. पूज्य व्या. सा. न्या. तीर्थ आ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी ( उस समय मुनिराज ) की पुण्य प्रेरणा से एवं उनकी निश्रा में जैन उपाश्रय, प्रवचन खण्ड और प्रथम मंजील पर स्वध्याय खण्ड का निर्माण हुआ था। प्रवचन खण्ड का आदेश श्री कान्तिलाल सी. परीखने आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी की प्रेरणा से लिया था । वि. सं. २०२३ का वैशाख सुद - १० को परम पूज्य युगदिवाकर आ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. आदि की शुभ निश्रा में उपर के गर्भगृहमें श्री धर्मनाथ प्रभु की तथा वि. सं. २०३५ का माह सुद - ७ को श्री वासुपूज्य स्वामी की प्रतिष्ठा आ. वि. चंद्रोदयसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की शुभ निश्रा में हुई थी । यहाँ आरस के कुल ७ प्रतिमाजी, पंचधातु के ९ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ४ एवं १ अष्टमंगल के अलावा आरस मे रचाये गये श्री गौतम स्वामी व श्री सिद्धचक्रजी यंत्र भी शोभायमान है। आरस में खुदाई कर शत्रुंजय पट की रचना भी दर्शनीय है । (११) यहाँ उपासरा, पाठशाला, श्री कल्याण पार्श्वनाथ महिला मंडल तथा ओलीयो में आयंबील करने की भी व्यवस्था हैं I श्री सहस्रफणा पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय पहली बाबुलनाथ क्रॉस लेन, बाबुलनाथ मंदिर के सामने, चौपाटी, मुंबई - ४००००७. टे. फोन : ऑफिस - ३६८ ३९ ४२, पंकजभाई मोतीलाल - ३६३ ७३ ७६ For Private and Personal Use Only Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर विशेष :- यह मन्दिर श्री सहस्रफणा पार्श्वनाथ जैन देरासर और उपाश्रय ट्रस्ट की तरफ से निर्मित है। परम पूज्य आ. विजय चंद्रोदयसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. २०३८ का श्रावण सुद - ६ को प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ आरस की ७ प्रतिमाजी, पंचधातु की १०, सिद्धचक्रजी ७, अष्ट मंगल - २ तथा मंगल मूर्ति ३ बिराजमान हैं। चक्रेश्वरी व पद्मावती माताजी के अलावा दिवार पर आरस पर खुदे हुए श्री शत्रुजय, श्री गिरनार व पावापुरी तीर्थ दर्शनीय हैं। जिनालय के संचालन में (१) स्व. मोतीचन्द जवेरचंद जवेरी (२) स्व. रजनीभाई मोहनलाल जवेरी (३) अरविंदचन्द रतनचन्द जवेरी मुख्य थे अब उनके ही सुपुत्र श्री पंकजभाई मोतीचन्द जवेरी, श्री नीलेशभाई रजनीभाई जवेरी, श्री दिलीपभाई अरविन्दचन्द जवेरी ट्रस्टीयों के रुप में सेवा दे रहे हैं। विशेष सूचना :- यहाँ प्रति रविवार को दर्शन करने आनेवाले भाई-बहनो के लिये भाता की व्यवस्था हैं। समय - सुबह ८.३० - ११.३० तक। वालकेश्वर - मलबार हील (१२) श्री आदीश्वर भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय बाल गंगाधर खेर मार्ग, ४१ रीज रोड, तीनबत्ती, वालकेश्वर, मुंबई - ४०० ००६. टे. फोन : ऑफिस - ३६९२७२७ धनुभाई जवेरी - ३६९१२३९ विशेष :- बाबु अमीचन्द पन्नालाल श्री आदीश्वर जैन टेम्पल चेरीटेबल ट्रस्ट... इस मन्दिर का संस्थापक एवं संचालक हैं। माता कुंवरबाई श्री अमीचन्दजी को नित्य प्रेरणा देते थे। मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान ४१" संप्रति महाराजा के समय की अंदाज दो हजार वर्ष से अधिक प्राचीन हैं। खंभात के भोयरे में थे, और सेठ को स्वप्न में दर्शन दिया और कहा मुझको ले जाओ। सेठ ने वही प्रतिमा यहाँ वालकेश्वर लाकर परम पूज्य श्री मोहनलालजी म. की शुभ निश्रा में वि. संवत् १९६० का मगसर सुद - ६ बुधवार को खुब ठाठमाठ से प्रतिष्ठा की। नीचे के गंभारो में सभी प्रतिमाजी संप्रति महाराजा के समय की हैं। इस जिनालय में आरस की ४६ प्रतिमाजी, पंच धातु के प्रतिमाजी सिद्धचक्रजी - अष्टमंगल एवं चान्दी के १५ से अधिक प्रतिमाजी सुशोभित हैं। मन्दिर में पावापुरी एवं शंखेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर का शोकेश के अलावा लक्ष्मी, पद्मावती, सरस्वती एवं चक्रेश्वरी देवी तथा बाहर के भाग में श्री घंटाकर्ण वीर - की देहरी शोभायमान हैं। _ वि.सं. २०१६ में यहाँ के ट्रस्ट बोर्ड की अत्यंत भावभरी विनंती को स्वीकार कर पुना से विहार कर के, वालकेश्वर और मुंबई भर के जैन संघो के अजोड उपकारी, जैन शासन के महाप्रभावक युग दिवाकर पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी महाराज, विशाल शिष्य परिवार के साथ अपने वर्षीतप के पारणा के लिये मुंबई के वालकेश्वर बाबु अमीचन्द पनालाल श्री आदिनाथ जिनालय के द्वार For Private and Personal Use Only Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर पधारे और आपका तथा अनेक भाग्यवानो के वर्षीतप के पारणा यहाँ अति उत्साह और महामहोत्सव पूर्वक सम्पन्न हुआ और आपका चातुर्मास यहाँ हुआ। तब से वालकेश्वर और समस्त मुंबई महानगर में चारो तरफ धर्म रंग की किरणे प्रसारित होने लगी। भूलेश्वर - लालबाग की पांच मंजिली आलीशान जैन धर्मशाला, जैन भोजनशाला, जैन क्लीनीक के निर्माण का श्री गणेश यहीं से उस वर्ष में हुआ। यहाँ आपश्री ने वि.सं. २०१६ से २०३२ तक कभी कभी चातुर्मास तथा शेषकाल में स्थिरता करके जिनवाणी का बादल बरसाया। दीक्षा -अंजनशलाकाप्रतिष्ठा आदि अनेक महान कार्यो कराये। आपश्री की प्रभावक निश्रा में वि.सं. २०१८ में जिनालय के उपर के माले पर श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी और श्री नेमनाथ स्वामी का अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव, सं. २०१९ में श्री सीमन्धर स्वामीजी, श्री पुंडरीक स्वामीजी, श्री गौतम स्वामीजी तथा श्री पद्मावती देवी, श्री सरस्वती देवी, श्री लक्ष्मीदेवी का भव्य अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव एवं वि.सं. २०२९ में श्री महावीर स्वामी चोविशी (पाषाण की) श्री विघ्नहर पार्श्वनाथजी तथा श्री घंटाकर्ण देव का अंजनशलाका - प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न हुआ था। वि.सं. २०१७ - १८-१९-२०-३०-३१-३२ में उपधान तप की महान आराधनाएँ और भव्य उजमणा - उद्यापनो आपश्रीकी निश्रा में हुए उसका मार्गदर्शन पू. आ. श्री विजय महानन्दसूरीश्वरजी म. और पू. आ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. (उस समय दोनो मुनिराज) करते थे। आपकी पुण्य प्रेरणा से यहाँ कायमी वर्धमान तप आयंबिल खाता और जैन पाठशाला की स्थापना हुई। जैन साधर्मिको के उद्धार के लिये अनेक कार्य हुए। वि.सं. २०१६ में जैन उद्योग गृह की स्थापना हुई। लाखो - करोडो रुपयो के सात क्षेत्रो के और अनुकंपा, जीवदया पांजरापोलो के कार्य यहाँ से आपने कराया था। वालकेश्वर के धनविस्तार को आपश्रीने धर्म विस्तार बनाया। लक्ष्मीनंदनो को आपश्रीने प्रभु भक्तो बनाया। लाखो जैनोको जैन आचारो और संस्कारो का पान आपश्री ने यहाँ से कराया था। जिनालय में चित्रपटो, बोधक प्रसंगो, जैन धर्म के सिद्धान्तो को प्रदर्शित करनेवाले सुन्दर चित्रो के कार्य आपकी निश्रामें आपश्रीकी प्रेरणा व मार्गदर्शनसे उसी वर्षों में हुआ है । तीर्थंकरो एवं महापुरुषो के ऐतिहासिक जीवन के दृश्यो से पुरी दिवार भी चित्रित की गयी हैं । समस्त जिनालय को नया रुप धारण कराया गया था। 'युगदिवाकर' पद-प्रदान वि. सं. २०२०, माह मासमें शुदि ५ के दिन वालकेश्वर में उपधान तप मालारोपण के महान अवसर पर, विराट महोत्सव मंडप में, भव्य समारोह में हजारो के विराट जनसमूह के बीच, वालकेश्वर बाबु अमीचन्द पन्नालाल श्री आदीश्वर जिनालय ट्रस्ट और वालकेश्वर एवं मुम्बई महानगर - उपनगरो के समस्त संघोने मिलकर, महानगर के जैन संघो पर उपकारो की अपूर्व वर्षा करनेवाले पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. को बडे ठाठ से 'युगदिवाकर' पद प्रदान करके आपश्रीका अपूर्व गौरव और श्रेष्ठ बहुमान किया था, तब से लेकर आज तक हजारो - लाखो की जैन For Private and Personal Use Only Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर जनता आपको 'युगदिवाकर' पदसे आदर से पहचानती हैं, जैन संघोमें 'युगदिवाकर' पद लोकप्रिय बन चूका हैं। ९ प्रसिद्ध चित्रकार श्री गोकुलदास कापडीया और प्रसिद्ध चित्रकार श्री रमणीकलाल शाह द्वारा चित्रित और प.पू. साहित्य कलारत्न आ. भ. श्री विजय यशोदेवसूरीश्वरजी म.सा. ( उस समय मुनिप्रवर) द्वारा संपादित भगवान महावीर के प्रसिद्ध चित्र संपुटकी कार्यवाही यहीं से हुई थी। I प. पू. शतावधानी आ. भ. श्री विजयजयानन्दसूरीश्वरजी म. (उस समय मुनिराज ) की प्रवर्तक पदवी और गणि पदवी भी यहीं क्रमश: वि.सं. २०१७ एवं वि.सं. २०२५ में हुई थी । यहाँ उपासरा, व्याख्यान भवन, आयंबिल शाला, पाठशाला वगैरह की सुन्दर व्यवस्था हैं । यहाँ श्री ऋषभ जिन भक्ति मंडल, श्री वालकेश्वर स्नात्र मंडल - श्री वनिता महिला मंडल आदि अनेक संस्थाएँ है । मुंबई दिखानेवाली बसे विदेशी यात्रियों को इस मन्दिरजी का विशेष रुप से दर्शन कराती हैं। वे मन्दिरजी का अवलोकन करके बाद में फोटू लेकर खुशी से झूमते हुए अपने आप को धन्य मानते हैं । (१३) श्री महावीर स्वामी भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय चन्दनबाला, रतिलाल आर. ठक्कर मार्ग, रीजरोड, वालकेश्वर, मुंबई - ४०० ००६. टे. फोन : ऑफिस - ३६७५३९३, ३६७११८५, प्रेमलताबहन - २०११९४७, २०९६१७०- घर विशेष :- वि.सं. २०२९ की साल में श्री देवीलालजी तथा श्रीमती प्रेमलताजी के शुभ करकमलो द्वारा भूमिपूजन होने के बाद वि.सं. २०३० का मगसर सुद - ५ ता. ३०-११-७३ शुक्रवार को १०.२७ मिनट पर शिला स्थापना परम पूज्य आ. देव विजय श्री जितमृगांकसूरीश्वरजी महाराज तथा पूज्य रविचंद्रसूरीश्वरजी म. साहेब की निश्रा में हुई थी । सेठ श्री भेरुलालजी कनैयालालजी कोठारी रीलीजीयस ट्रस्ट द्वारा संचालित इस जिनालय के संस्थापक श्री देवीलालजी बी. कोठारी तथा संचालक श्रीमती प्रेमलता बी. कोठारी हैं। आ. विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. के पट्टधर परम पूज्य आचार्य विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवत की पावन निश्रा में वि.सं. २०३३ का द्वितीय वैशाख सुद - १३ ता. १-५-१९७७ को प्रतिष्ठा हुई थी । यहाँ आरस की मूलनायक ५१” के साथ १३ प्रतिमाजी, भोयरे में ६१” प्रतिमाजी के साथ ७ प्रतिमाजी, पंचधातु के प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी अष्टमंगल का ४० का अंदाजा हैं । यहाँ श्री वर्धमान जैन पाठशाला, श्री वर्धमान तप आयंबिल शाला, श्री महावीर महिला मंडल, श्री चन्दनबाला महावीर महिला मंडल, श्री महावीर स्नात्र मंडल आदि भक्ति भावना में अग्रसर हैं । For Private and Personal Use Only बाजू में परम पूज्य आ. विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. के गुरु मन्दिर की प्रतिष्ठा आ. विजय महोदयसूरीश्वरजी म. के शिष्य श्रीमद् विजय हेमभूषणसूरीश्वरजी, पन्यासजी नरवाहन विजयजी गणिवर मुनि कीर्तियशविजयजी गणिवर की शुभ निश्रा में वि.सं. २०५१ का मगसर वद - ३ बुधवार ता. २१ -१२-९४ को हुई थी । Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर (१४) श्री आदीश्वर भगवान शिखर बंदी जिनालय १२, जमनादास मेहता रोड, श्रीपालनगर, वालकेश्वर, मुंबई - ४०० ००६. टे. फोन : ३६९१६८२ विशेष:- सिद्धान्त महोदधि परम पूज्य आ. विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की शुभ निश्रा में वि.सं. २०२९ का मगसर सुद - ५ को प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ आरस के १८ प्रतिमाजी, पंचधातु के १४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी १५, अष्टमंगल - २ सुशोभित हैं। जिसमे भोयरे में श्याम वर्णीय ५७' की मुनिसुव्रत स्वामी की प्रतिमाजी बिराजमान हैं, जो १६ वी शताब्दी की हैं एवं परम पूज्य श्री ओमसुन्दरसूरीश्वरजी म. की अंजनशलाका की हुई हैं। भव्य उपासरा तथा पाठशाला चालु हैं । भोयरे में मूल प्रतिमाजी के सामने ही श्रीपाल राजा और मयणासुन्दरी की आकर्षित मूर्ति सुशोभित हैं। यहाँ श्री ऋषभ भक्ति मंडल, श्रीपाल महिला मण्डल भी हैं। (१५) श्री गोडीजी पार्श्वनाथ भगवान वालकेश्वर का सबसे प्राचीन मन्दिर ___ जीवन विला कम्पाउन्ड, नारायण दाभोलकर रोड, वालकेश्वर, मलबार हील, मुंबई - ४०० ००६. टे. फोन : ३६९८०३६ - ७वा माला विशेष :- मुंबई के प्राचीन मन्दिरो में इस मन्दिर का नाम भी अग्रणीय हैं। लगभग १९० वर्ष पहले वि.सं. १८६५ में सेठ श्री नरसिंग केशवजी ने बनवाया था। इसके बाद सन् १८४७ में सेठ बाबु पन्नालाल पूरणचन्द जैन के हाथो में आया । वर्षो तक उनकी निगरानी में जिनालय का संचालन होता रहा और आज हम देख रहे हैं कि श्री नरेन्द्रभाई जिनालय का खुब ही भक्तिभाव पूर्वक संचालन कर रहे हैं। इस जिनालय मे पंच धातु की ७ प्रतिमाजी, ३ रत्नोकी चांदीकी १ प्रतिमाजी (चौविशी), सिद्धचक्रजी - ५, अष्टमंगल - १ तथा माताजी श्री चक्रेश्वरी देवी व पद्मावती देवी भी बिराजमान हैं। (१६) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान भव्य जिनालय प्रेजन्ट पेलेश के कम्पाउण्ड में पहला माला, नारायण दाभोलकर रोड, वालकेश्वर - मलबार हील, मुंबई - ४०० ००६. टे. फोन : ३६२४५४१ विशेष :- परम पूज्य युग दिवाकर आ.भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. साहेबजी की For Private and Personal Use Only Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर शुभ प्रेरणा से वि.सं. २०२९ का वैशाख वद - ६ को इस जिनालय की स्थापना हुई थी। उसके बाद श्री शान्तिलाल पोपटलाल चेरीटेबल ट्रस्ट द्वारा वि.सं. २०३२ का माह वद - ६ को प.पू. सिद्धान्तनिष्ठ आ. भ. श्री प्रतापसूरीश्वरजी म.सा. और प.पू. युगदिवाकर आ. भ. श्री धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में प्रतिष्ठा हुई थी। मूलनायक ३१" सहित पाषाण की ७ प्रतिमाजी, पंच धातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ६, अष्टमंगल - २ तथा वीशस्थानक - १ सुशोभित है। दिवार पर कांच के कलात्मक दृश्यो में शत्रुजय तीर्थ २४ तीर्थंकरो के फोटू एवं श्री गौतम स्वामीजी, श्री सिद्धचक्रजी, पद्मावती, सरस्वती, लक्ष्मी, अंबिका, चक्रेश्वरी के फोटो भी आकर्षक है। (१७) श्री गोडी पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर कमला निकेतन, पहला माला, नारायण दाभोलकर रोड, वालकेश्वर, मलबार हील, मुंबई - ४०० ००६. टे. फोन : ३६९३३ २८, ३६७५५०३, ३६४०३९६ विशेष :- परम पूज्य पंन्यास भगवन्त अभयसागरजी म. के शिष्य आ. विजय अशोकसागरसूरीश्वरजी म. साहेब की पावन निश्रा में वि.सं. २०५२ का दूसरा आषाढ सुद - १० को चल प्रतिष्ठा हुई थी। प्रतिमाजी भरानेवाले, चल प्रतिष्ठा करानेवाले सेठ श्री कीर्तिलाल पोपटलाल शाह ने अपने निवास स्थान पर भगवान की स्थापना की हैं। यहाँ गोडी पार्श्वनाथ प्रभुकी पंच धातु की १ प्रतिमाजी, वीशस्थानक - १ सुशोभित हैं। (१८) श्री सुमतिनाथ भगवान गृह मन्दिर कमला निकेतन, दूसरा माला, नारायण दाभोलकर रोड, वालकेश्वर, मलबार हील, मुंबई - ४०० ००६. टे. फोन : ३६४८१६६, ३६९२६४६ विशेष :- इस मन्दिर की स्थापना प.पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा व आशीर्वाद से हुई थी, और परम पूज्य सिद्धान्त महोदधि प्रेमसूरीश्वरजी म. समुदाय के आ. विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. के शिष्य मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. २०३४ का माह वद ५ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ पंच धातु की चौविशी - १ सिद्धचक्रजी-१, अष्ट मंगल - १ तथा दिवार पर शत्रुजय शोभायमान हैं । इस गृहमन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्रीमानजी श्रेष्ठिवर्य श्री सेठ केशवलाल मोहनलाल है। For Private and Personal Use Only Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर - (१९) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर कमला निकेतन, तीसरा माला, नारायण दाभोलकर रोड, वालकेश्वर, __ मलबार हील, मुंबई - ४०० ००६. टे. फोन : ३६९ ६८८१. विशेष:- यह मन्दिर सेठ जीवतलाल प्रतापशी का हैं। वर्तमान में इसका संचालन श्री वसंतभाई कर रहे हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. के समुदाय के मुनिराज श्री रत्नभूषण विजयजी महाराज की पावन निश्रा में वि.सं. २०३३ का मगसर सुद ६ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ पंच धातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ३ एवं अष्टमंगल १ शोभायमान हैं। सूचना :- नारायण दाभोलकर रोड से कमला निकेतन जाने के लिये भगवान लाल इन्द्रजित गली से दायी ओर घूम जाईये। (२०) श्री विमलनाथ भगवान गृह मन्दिर बाणगंगा रोड के पास भगवानलाल इन्द्रजीत गली, विमल सोसायटी ग्राउण्ड फ्लोर, वालकेश्वर, मलबार हील, मुंबई - ४०० ००६. ____टे. फोन : श्री पुंडरीकभाई - ३६७१२ ३९ ।। विशेष:- इस मन्दिरजी के संस्थापक सेठ अंबालाल रतनचन्द धार्मिक ट्रस्ट ने सिद्धान्त महोदधि प्रेम - भानु - पद्म के शिष्य गणिवर पूज्य मुनिराज श्री हेमचन्द्रविजयजी म. की शुभ निश्रा व प्रेरणा से बनवाया था। जिसकी पुन: चल प्रतिष्ठा वि.सं. २०३४ का वैशाख वदी ७ को हुई थी। यहाँ विमलनाथ के साथ वासुपूज्य सुमतिनाथ तथा शंखेश्वर पार्श्वनाथ के साथ सुविधिनाथ व कुंथुनाथ की पाषाण की ६ प्रतिमाजी, पंचधातु की ८ सिद्धचक्रजी - ३ अष्टमंगल -१, पंच धातुकी पद्मावती देवी तथा शत्रुजय व सम्मेतशिखर के पट दर्शनीय है। यहाँ पद्म आराधना ट्रस्ट उपासरा हैं। (२१) श्री आदिनाथ भगवान गृह मन्दिर मानव मन्दिर, मानव मन्दिर रोड, वालकेश्वर - मलबार हील, ___ मुंबई - ४०० ००६. टे. फोन : नविनभाई - ३६९५१६९ (पहला माला) विशेष:- जब हम शकुन्तला ईश्वरलाल कान्तिलाल बंगले की तरफ जायेगे तो बंगले के आगे बढ़ने पर दायी ओर घूमना पडेगा फिर वही सिढियो द्वारा नीचे की ओर (भोयरे के समान) जाना पड़ेगा। यह मन्दिर सन् १९३९ की साल में मगसर सुद ३ को निर्माण होकर प्रतिष्ठा का शुभ दिन मनाया गया था। यहाँ मूलनायक सहित पंच धातु की ५ प्रतिमाजी, आरस की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। मूल गंभारे मे अन्दरी भाग की ओर श्री वल्लभसूरीश्वरजी म. की प्रतिमाजी भी सुशोभित हैं। For Private and Personal Use Only Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर (२२) श्री सुमतिनाथ भगवान गृह मन्दिर श्रीपाल नगर, ओ-बिल्डिंग नं. ३०२, तीसरा माला, जमनालाल बजाज मार्ग, वालकेश्वर, मलबार हील, मुंबई - ४०० ००६. टे. फोन : ३६७ २६ ३८, ३६९९० ३६ विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्रीमान श्रेष्ठीवर्य शा. मदनलालजी कुंदनमलजी राजस्थान के बीजापुर गाँव के निवासी हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्रीमद् विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. साहेब के समुदायके आचार्य विजय श्री जयकुंजरसूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. विजय मुक्तिप्रभसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा मे वि.सं. २०५२ का मगसर सुदी ६ ता. २७-११-९५ सोमवार को चल प्रतिष्ठा हुई थी। श्री सुमतिनाथ भगवान की मूलनायक पंच धातु की १ प्रतिमाजी तथा १ सिद्धचक्रजी सुशोभित हैं। (२३) श्री श्रेयांसनाथ स्वामी भगवान गृह मन्दिर चन्दनबाला नं. १६०५ ब्लोक, १६वा माला, रतिलाल ठक्कर मार्ग, वालकेश्वर, मलबार हील, मुंबई - ४०० ००६. टे. फोन : ३६८६९९० - बाबुलालजी विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्रीमान श्रेष्ठिवर्य शा. बाबुलालजी कुन्दनमलजी राजस्थान के बीजापुर गाँव के निवासी हैं। परम पूज्य आ. भ. विजय रामचंद्रसूरीश्वरजी म. साहेब के शिष्य रत्न पू. मुनिराज श्री नयवर्धन विजयजी म. साहेब की पावन निश्रा में वि.सं. २०५३ का मगसर सुद ३ को प्रभुजी का प्रवेश एवं चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ आरस १ प्रतिमाजी तथा गुरु गौतम स्वामी एवं आ. विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. साहेब की प्रतिमाजी भी बिराजमान हैं। (२४) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर ब्लोक नं. १५०१ चन्दनबाला १५वा माला, रतिलाल ठक्कर मार्ग, वालकेश्वर, मलबार हील, मुंबई - ४०० ००६. टे. फोन : ३६७८६ ७४ घर : अमृतलालजी ऑ. : २०६ ९६५९, २०८ ३४ ८४ विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्रीमान श्रेष्ठिवर्य शा. अमृतलालजी कुन्दनमलजी राजस्थान के बीजापुर गाँव के निवासी हैं। परम पूज्य आ. भगवन्त विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. साहेब के शिष्यरत्न मुनिराज नयवर्धन विजयजी म. साहेब की पावन निश्रा मे वि.सं. २०५४ का पोष सुदी १३ को शनिवार ता. १०-१-९८ को हुई थी। For Private and Personal Use Only Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १४ मुंबई के जैन मन्दिर यहाँ पाषाण की मूलनायक वासुपूज्य स्वामी की १ प्रतिमाजी, पंच धातु का सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ तथा गुरु गौतम स्वामी एवं आ. विजय रामचंद्रसूरीश्वरजी म. साहेब की प्रतिमाजी शोभायमान हैं । (२५) www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्रीमान श्रेष्ठीवर्य श्री विनोदकुमार शान्तिचन्द्र जवेरी परिवारवाले हैं। यह मन्दिर उनके संसारी पिता (श्री शोमन विजयजी म. ) के शुभ आशीर्वाद से बनाया हैं। परम पूज्य आचार्य भगवंत विजय मित्रानन्दसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०४७ का द्वितीय वैशाख सुदी पंचमी को चल प्रतिष्ठा हुई थी। (२६) श्री पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर वीणा एपार्टमेन्ट के कम्पाउण्ड के बाजूमें, पुलिस चौकी के पास, तीन बत्ती, वालकेश्वर, मलबार हील, मुंबई - ४००००६. टे. फोन : ३६९ ५७०१ - श्री विनोदभाई मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान की आरस १ प्रतिमाजी, पंच धातु की २ प्रतिमाजी तथा १ सिद्धचक्रजी सुशोभित हैं। श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर गौतम कुटीर, दूसरा माला, डुंगरसी रोड, तीन बत्ती, वालकेश्वर, मलबार हील, मुंबई - ४०० ००६. टे. फोन : शान्तिलालभाई - ३६९३८५३ - १९४८ विशेष :- इस मन्दिरजी के संस्थापक व संचालक श्रीमान श्रेष्ठीवर्य श्री शान्तिलाल हरिलालभाई हैं । (२७) परम पूज्य गच्छाधिपति आ. विजय रामचंद्रसूरीश्वरजी म. साहेब की पावन निश्रा में वि.सं. २०४१ का वैशाख सुदी ९ को चल प्रतिष्ठा हुई थी । यहाँ मूलनायकजी श्री आदीश्वर भगवान है। पंच धातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ सुशोभित है। ॐ ॐ श्री सुपार्श्वनाथ भगवान भव्य जिनालय व्हाईट हाऊस बस स्टोप के सामने, वालकेश्वर रोड, मुंबई - ४०० ००६. टे. फोन : ३६९९३ ९७ - बिपिनभाई विशेष :- यह मन्दिर सेठ जवेरचन्द प्रतापचन्द जवेरी सुरतवाले का कहलाता है । वर्तमान संचालक श्री बिपिनभाई है। जो अनेक ट्रस्ट गण के साथ जिनालय की सेवा में कार्यरत हैं। इसकी प्रतिष्ठा वि.सं. १९५० वैशाख सुदी ७ को चन्दनबेनने अपनी वाडी मे कराई थी। परम पूज्य For Private and Personal Use Only Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणासे आपश्री की पावन निश्रा में वि.सं. २०३२ का पोष वद १० को महावीर स्वामी १९” एवं वासुपूज्य स्वामी १९" तथा पद्मावती देवी और घंटाकर्ण वीर की प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ पाषाण की १३ प्रतिमाजी, पंच धातुकी १५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १२, अष्टमंगल - २ तथा रंगमण्डप के बाहर की ओर ३ गुरुदेवो की प्रतिमाजी शोभायमान है। जिनालय में अनेक तीर्थो के प्राचीन कारीगरी के चित्र शोभा बढा रहे हैं। मन्दिरजी के नजदीक मे मुनि भगवन्तो के लिये उपाश्रय एवं व्याख्यान भवन, भिखीबेन जैन पाठशाला एवं सुपार्श्व जैन महिला मंडल की व्यवस्था हैं। (२८) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय मातृ आशिष, ३९ नेपीयनसी रोड, मुंबई - ४०० ०३६. टे. फोन : ३६७ ९८९३ - वरदीचन्दजी, ३६२ ६२ ३४ - महेन्द्रभाई विशेष :- प.पू. युगदिवाकर आ.भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा व आशीर्वाद से श्री मातृ आशिष जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ द्वारा इस भव्य शिखरबंदी जिनालय का शिलान्यास परम पूज्य आचार्य विजय भक्तिसूरीश्वरजी म. के पट्टधर विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०३३ का श्रावण सुद ५ को हुआ था तथा इसी दिन सर्व प्रथम गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा हुई थी। उस वक्त लकडी के समवसरण पर एक पंच धातु की प्रतिमाजी व सिद्धचक्रजी बिराजमान किये गये थे। उसके बाद ३ आरसकी, ६ पंच धातुकी, सिद्धचक्रजी - ५, अष्टमंगल - ३, यंत्र ४ की संघ द्वारा पूजा होती रही। ___ अनेक वर्षों तक जिनालय का काम रुका रहा, बादमें जिनालय के निर्माण का प्रारंभ परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. समुदाय के आचार्य विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रामें वि.सं. २०५० का आसौ सुदी १० को हुआ। वर्तमान शिखरबंदी जिनालय का निर्माण सुप्रसिद्ध दानवीर सेठ भीनमाल निवासी श्री घमंडीरामजी केवलजी गोवाणी परिवारवालो द्वारा हुआ है। मन्दिर के सामने ही पुनमचन्दजी प्रतापजी आराधना भवन हैं। (२९) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर हैद्राबाद इस्टेट, हैद्राबाद ब्लोक्स के आगे शिमला हाऊस, E ब्लोक नीचे ग्राउण्ड फ्लोर, नेपीयनसी रोड, वालकेश्वर, मलबार हील, मुंबई - ४०० ००६. टे. फोन : ३६३ १७१३, २०८४४ २४ बी. आर. वोरा । विशेष:-श्री शिमला हाऊस जैन संघ द्वारा इस मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य गच्छाधिपति For Private and Personal Use Only Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६ मुंबई के जैन मन्दिर विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. समुदाय के पूज्य मुनिराज श्री रत्नभूषण विजयजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०३४ का मगसर सुदी - ७ को हुई थी। उसके बाद आ. श्री विजय भुवनभानुसूरिजी म. के शिष्यरत्न आ. विजय श्री मित्रानन्दसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा मे वि.सं. २०४९ का फागुण सुद ३ बुधवार ता. २४-२-९३ को हुई थी। यहाँ मूलनायक आरस की १ प्रतिमाजी, पंच धातु की १ तथा सिद्धचक्रजी २ सुशोभित है। महालक्ष्मी देवी तथा दिवार एवं छत पर नविन कलात्मक कांच की कारीगरी दर्शनीय हैं। प्रतिष्ठा का लाभ पाटण निवासी सेठ सेवन्तीलाल मफतलाल शाह परिवार वालोने लिया था। भूलाभाई देसाई रोड (३०) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर अनमोल बिल्डिंग, उमर पार्क, ब्रीच कैण्डी के आगे, ९५, भूलाभाई देसाई रोड, मुंबई - ४०० ०२६. टे. फोन : ३६९२६३६ घर : गणपतलालभाई चौपड़ा, ३६३ ०४८८ घर : देवीचंदजी चौपडा विशेष :- श्री उमरपार्क जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय अमृतसूरीश्वरजी म. के शिष्य आचार्य विजय विशालसेनसूरीश्वरजी “विराट” और मुनिराज श्री राजशेखर विजयजी, मुनि श्री भद्रबाहु विजयजी, मुनि श्री वारिषेण विजयजी म. की शुभ निश्रा मे वि.सं. २०४२ का मगसर सुदी ९ को हुई थी। यहाँ मूलनायक वासुपूज्य स्वामी, पार्श्वनाथ एवं आदिनाथ की आरस की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ के अलावा - १ विशस्थानक और ४ देवी देवताओ के प्रतिमाजी सुशोभित हैं। (३१) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर ७४, ए-स्काय स्क्रेपर, १४१ ब्लोक नं. १४वा माला, भूलाभाई देसाई रोड, मुंबई - ४०० ०३६. टे. फोन : ३६७३७६४, ३६१४९४२ - श्री हेमन्तभाई विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय भद्रगुप्तसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में अंजनशलाका की हुई प्रतिमाजी वि.सं. २०४९ का वैशाख सुद १२ को बिराजमान की गई हैं। यहाँ आरस के बनाये पद्मासन पर पंच धातु के मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान, श्री वीसस्थानक - १, श्री सिद्धचक्रजी - १ तथा श्री गौतमस्वामी, माताजी श्री पद्मावती देवी, श्री लक्ष्मी देवी, श्री सरस्वती देवी दर्शन के लिये नयन रम्य हैं।। For Private and Personal Use Only Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १७ इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्रीमती ज्योतिबेन हेमन्तभाई शाह तथा श्री हेमन्तभाई रतिलाल शाह परिवार वाले हैं। (३२) श्री आदिनाथ भगवान जिनालय गृह मन्दिर तीरुपती एपार्टमेन्ट कम्पाउण्ड में ग्राउण्ड फ्लोर महालक्ष्मी मंदिर के सामने, भूलाभाई देसाई रोड, मुंबई - ४०० ०२६. टे. फोन : २६१६६९६ - तेजराजजी ४९२ ८८५१ - घर : अंकीबाई गोवाणी विशेष :- श्री अंकीबेन घमंडीरामजी गोवाणी ट्रस्ट द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस जिनालय में मूलनायक श्री आदिनाथ एवं श्यामवर्णीय पारसनाथ सहित आरस की ५ प्रतिमाजी, पंच धातु के ८ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - २, श्री गौतम स्वामी व राजेन्द्रगुरु की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। दिवार पर श्री नेमिनाथ शादीरथ, पावापुरी के २ पट, श्री आबुजी, श्री तारंगाजी, श्री भद्रेश्वरजी, श्री सम्मेत शिखरजी, श्री सिद्धचक्रजी, श्री धरणेन्द्र पद्मावती, त्रिशला माँ के १४ स्वप्न, २४ तीर्थंकरोके फोट ये सभी कांच की बनाई सुन्दर कलात्मक रचनाएँ है जो विशेष रुप से दर्शनीय हैं। धरणेन्द्र - पद्मावती एवं घंटाकर्णवीर की ३ प्रतिमाजी भी बिराजमान है। उपासरा की भी व्यवस्था है। यहाँ दानवीर सेठ श्री घमंडीरामजी केवलजी का फोटो और आरस की बनाई गयी प्रतिकृति भी सुशोभित हैं। आ. गुणसागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में सन् १९७९ में स्थापना हुई थी। (३३) श्री संभवनाथ भगवान गृह मन्दिर संभव तीर्थ १४वा माला हाजीअली पेट्रोल पम्प के पास, २८, भूलाभाई देसाई रोड, मुंबई - ४०० ०२६. टे. फोन : ४९२ २७ २३ - शांतिलाल शाह, ४९२ ५९८७ - मेघराजजी विशेष:- परम पूज्य आचार्य भगवन्त शासन सम्राट आचार्य विजय नेमिसूरीश्वरजी म. के शिष्य विज्ञानसूरि, कस्तूरसूरि के पट्टधर आचार्य विजय चंद्रोदयसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा मे चौपाटी श्री कल्याण पार्श्वनाथ जिनालय में अंजनशलाका की हुई प्रतिमाजी को उनकी ही निश्रा में वि.सं. २०३५ का माह सुदी पंचमी को चल प्रतिष्ठा हुई थी। इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्री संभव तीर्थ जैन संघ है। यहाँ मूलनायक श्री संभवनाथ प्रभु तथा आजुबाजु में श्री महावीर स्वामी व शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८ मुंबई के जैन मन्दिर ऑपेरा हाऊस-सी.पी. टेंक (३४) श्रेयांसनाथ भगवान गृह मन्दिर ५७-६१, नगीनदास मेन्शन, पाँचवा माला, ऑपेरा हाऊस, मुंबई - ४०० ००४. टे. फोन : ३८७ ०१ ७८, ३८७ ३११७ दीपचन्दभाई विशेष :- सुरत निवासी श्रीमान श्रेष्ठीवर्य श्री दीपचन्दभाई लल्लुभाई तासवाला का यह गृह मन्दिर कहा जाता हैं । सिढियो के बाजू में अपने निवास स्थान के बाहरी भाग में यह मन्दिर शोभायमान हैं। मन्दिर की स्थापना सन् १९६४ साल में मिती जेठ सुद ४ शनिवार को हुई थी। पंच धातु की २ प्रतिमाजी तथा कमलरुपी आकार मे सुन्दर सिद्धचक्र है। धातु की प्रतिमाजी श्री श्रेयांसनाथजी तथा शान्तिनाथजी दोनो १५७५ वर्ष की पुरानी है। पुरानी बिल्डींग में पांच मंजिल होते भी लिफ्ट की व्यवस्था नहीं हैं। (३५) श्री चन्द्रप्रभस्वामी भगवान शिखरबंदी जिनालय १८६, राजाराम मोहन राय रोड, प्रार्थना समाज, मुंबई - ४०० ००४. टे. फोन : ऑ. ३८२ ७१ २०, ३८६ ५३ ८५ - ऑ. ३८२ ७० ५६, ३८८ ३७०९ पुष्पसेनभाई विशेष:- इस मन्दिरजी की प्रतिष्ठा सेठ वाडीलाल साराभाई ने वि.सं. १९८६ मगसर सुदी ५ को कराई थी। प्रथम माले पर मूलनायक चन्द्रप्रभस्वामी की आरस की प्रतिमाजी है तथा दूसरे माले पर श्री मुनिसुव्रत स्वामी की प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा आ. भगवन्त विजय कस्तूरसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०२४ का श्रावण सुद १० को हुई थी। सबसे नीचे के हॉल में आचार्य भगवन्त श्री नेमिसूरीश्वरजी म. साहेबजी की प्रतिमाजी बिराजमान है। वि.सं. २०२८ - २९ - ३२ में इस जिनालय में पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य निश्रा में नीचे तथा उपर के मूल गंभारो के मूलनायक के नूतन परिकरो, श्री गौतम स्वामीजी, श्री पुंडरीक स्वामीजी, श्री मणिभद्रजी, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री चक्रेश्वरीजी, श्री सरस्वतीजी, श्री लक्ष्मीजी वगैरह शासन देव-देवीओ की प्रतिष्ठा हुई हैं। भव्य और विशाल श्री पद्मावतीजी माताजी ५१" की प्रतिमाजी की अंजनशलाका वि.सं. २०५२ में कुरार विलेज मलाड (पूर्व) में श्री मोहन-प्रताप-धर्मसमुदाय के पू. आ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म. पू.आ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म. और पू. आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पुण्य निश्रा में करा कर यहाँ बिराजमान करने में आई हैं। यहाँ आरस की कुल १८ प्रतिमाजी, पंच धातु की - ३४ के अलावा श्री लक्ष्मी, सरस्वती, चक्रेश्वरी, पद्मावती, गौतम स्वामी पुण्डरीक गणधर आदिकी प्रतिमाजी सुशोभित है। प्रथम माले पर आरस के अनेक For Private and Personal Use Only Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर तीर्थो के पट और दूसरे माले पर रंगरंगीले कांचो की कारीगरी से रचाये तीर्थो के दृश्यो से दिवार व छत शोभायमान दिख रही है। __ प्रथम माले पर बाहर की तरफ श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्णवीर, श्री नाकोडा भैरवजी, श्री पद्मावती देवी, श्री भोमीयाजी बिराजमान है। यहाँ श्री चंद्रप्रभ जैन पुस्तकालय तथा मन्दिरजी के बाजू में उपासरा की व्यवस्था है। वि.सं. २०२९ के चातुर्मास में पू.आ. श्री जयानन्दसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणासे उपाश्रयका नवनिर्माण व प्रत्येक विभागका आदेश दिया गया था। (३६) श्री गोकुल पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर १४वी गली के सामने खेतवाडी, गोकुल एपार्टमेन्ट कम्पाउण्ड में, मुंबई - ४०० ००४. टे. फोन : प्रमोदभाई - ३८२ ८४ ८७, बिपिनभाई - ३८८ ९८४२ विशेष :- श्री गोकुल जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य विजय केशरसूरीश्वरजी म. समुदाय के आचार्य विजय यशोरत्नसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५२ का मगसर वद ६ ता. २७११-९५ को हुई थी। श्री राधनपुर जैन पेढीमे से ये तीनो प्राचीन प्रतिमाजी प्राप्त की हुई है। इस मन्दिर के मूलनायक श्री गोकुल पार्श्वनाथ तथा श्री आदिनाथ भगवान और महावीर स्वामी की प्रतिमा पाषाण की है तथा पंच धातु की - २, सिद्धचक्रजी - २, विसस्थानक - १ कमलमुख पर चऊमुखी प्रतिमाजी तथा पार्श्वयक्ष एवं पद्मावती देवी आमने सामने है। जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। (३७) ___ श्री महावीर स्वामी भगवान गृह जिनालय पावापुरी, ७वी गली, खेतवाडी, ग्राउण्ड फ्लोर, मुंबई - ४०० ००४. टे. फोन : ऑ. ३८९४८ १५ - घीसूलालजी ३८८ ४२ ७२ विशेष :- सेठ कस्तूरचन्द मूलाजी सह परिवार ट्रस्ट स्थापित महावीर स्वामी जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक मन्दिर की स्थापना वि.सं. २०४१ का माह वद ११ को हुई थी। खाद मुहूर्त श्री आ. रविचंद्र सूरिजी म. की निश्रा मे हुआ था। हाल मन्दिरजी में मूलनायक विमलनाथ, श्री मुनि सुव्रतस्वामी, शीतलनाथ व पार्श्वनाथ की चार आरस की प्रतिमाजी, पंच धातु की ८, सिद्धचक्रजी ४, अष्टमंगल - १ शोभायमान है। मन्दिर के सामने ही ताराचन्दजी वरदीचंदजी आराधना भवन हैं। तथा बालवर्ग के लिये तथा युवा वर्ग के लिये २ जैन पाठशालाएँ चलती है। पर्युषण पर्व और ओलियो दिनो में आराधना होती है। श्री महावीर भक्ति महिला मंडल, श्री विमलनाथ सामायिक मंडल की व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २० मुंबई के जैन मन्दिर (३८) श्री महावीर स्वामी भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय २११, ओल. पांजरापोल स्ट्रीट, सी. पी. टेंक, माधवबाग, मुंबई - ४०० ००४. टे. फोन : ऑ. ३७५ ४८ २९ ऑ. केशवजीभाई, ३८८०५ ८७ श्री शांतिलाल जवेरी, ३६२ ३१ २२, ३६२ ७२ ०३ विशेष :- सर्व प्रथम सेठ मोतीशा इस मन्दिर के निर्माता थे। उसके बाद सेठ लालजीभाई हरजीभाई जामनगरवालोने बंधवाकर वि.सं. १९९५ माह सुद १३, गुरुवार को स्थापना कर श्री संघ को भेट दिया था। इसके वर्तमान संचालक सेठ मोतीशा लालबाग जैन चैरीटीज हैं। यहाँ आरस की १३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ३९, सिद्धचक्रजी २९ सुशोभित है। मन्दिरजी में पावापुरी शोकेस एवं आ. विजय लब्धिसूरीश्वरजी म. की प्रतिमाजी भी है। मन्दिर के कम्पाउण्ड के दिवारो के आजू बाजू और पीछे की ओर अनेक ऐतिहासिक चित्रो का वर्णन आरस पर खुदे हुए दृश्य दिखाई दे रहे हैं। मूलनायक चमत्कारिक है। दिन में ३ रुप दिखाई देते हैं। इस मन्दिर में दिनभर सेकडो भाविकजनो का आवागमन होता रहता हैं। यहाँ श्री वर्धमान महिला मंडल, श्री वर्धमान जैन पाठशाला, श्री वर्धमान सेवा मण्डल, श्री जिनशासन रक्षा समिति, श्री मोतीशा लालबाग जैन स्नात्र मण्डल आदि संस्थाएँ कार्यरत है। यहाँ उपासरा, धर्मशाला एवं भोजनशाला की व्यवस्था है। जैन धर्मशाला परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. साहेबजी की शुभ प्रेरणा से पांच मजला की आलीशान सुरत निवासी भाईचन्द तलकचन्द जैन धर्मशाला और बी. के. मोदी जैन भोजनशाला, श्री शान्ताबेन झवेरचंद महेता जैन क्लीनीक हैं। श्री मोहनलालजी जैन सेन्ट्रल लायब्रेरी और जैन पाठशाला भी हैं। मुंबई महानगर की मध्यवर्ती यह जैन धर्मशाला का खनन - शिलारोपण विधान वि. सं. २०१७ के श्रावण मासमें प. पू. सिद्धान्तरक्षक आचार्य भगवंत श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. सा. एवं धर्मशाला के प्रेरक प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्यनिश्रा में शेठ श्री माणेकलाल चुनीलाल शाह के शुभहस्तो से हुआ था। पूरे पांच मंजील, ५५ कमरें और तीन बडे होल वाली यह विशाल जैन धर्मशाला तैयार हो जाने के बाद उनका कलश - वास्तु मुहूर्त और उद्घाटन समारोह बडे ठाठ से वि. सं. २०२१ में ज्येष्ठ मास में प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रभावक निश्रामें हुआ था। आलीशान और भव्य जैन धर्मशाला के भूमितल में विविधलक्षी विशाल होल, पहली मंजील पर जैन भोजनशाला, चार मंजील में बडे होल के साथ ५५ कमरों की धर्मशाळा, और बाजूके पूरे पांच मंजील के विभाग में जैन क्लीनीक और पुस्तकालय चल रहा हैं। भारत और विश्वभरके हजारो - लाखों जैन यात्रिको और प्रवासीओ सब तरह की सुविधावाली यह धर्मशाला का लाभ ले रहे हैं। जैनोके लिए आशीर्वाद रूप हैं। For Private and Personal Use Only Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर (३९) श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान जिनालय २१२, अल. पांजरापोल स्ट्रीट, सी. पी. टेंक, माधवबाग, मुंबई - ४०० ००४. टे. फोन : ऑ. ३७५४८२९ केशवलालभाई-३८८०५८७, श्री शांतिलालभाई-३६२३१२२, ३६२७२०३ विशेष :- सेठ मोतीशा लालबाग जैन चेरीटीज संचालित इस जिनालय का निर्माण सुप्रसिद्ध अनेक जिनालयो के निर्माता सेठ मोतीशाह अमीचन्द के बडे भाई सेठ श्री नेमीचन्द अमीचन्द शाहने बनवा कर वि.सं. १८६८ को द्वितीय वैशाख शुक्ला ८ को शुक्रवार के दिन भव्य प्रतिष्ठा करवा कर इस जिनालय की स्थापना की थी। इस जिनालय में पाषाण की कुल प्रतिमाजी ११, श्री पुंडरीक स्वामी व गौतम स्वामी की २ प्रतिमाजी, पंच धातु की ६८ प्रतिमाजी सिद्धचक्रजी - ३५ सुशोभित हैं। श्री मोहनलालजी म. की गुरु प्रतिमाजी - श्री महावीर स्वामी जैन देरासर, पायधुनी की तरफ से भराई गयी प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा परम पूज्य तपागच्छीय आचार्य निपुणप्रभसूरीश्वरजी म. के शिष्य पं. चिदानन्द मुनिजी की निश्रा मे सुरत निवासी सेठ पानाचन्द डायाभाई जवेरी के परिवार एवं सगे सम्बन्धीयो की तरफ से वि. सं. २०३४ का जेठ सुद बीजी ३ को हुई थी। इस मन्दिरजी के सामने उपासरा हैं तथा बाजू में विशाल व्याख्यान भवन आधुनिक ढब से बना हुआ है, जिसका निर्माण वि.सं. २०२४ का श्रावण वद १० रविवार ता. १८-८-१९६८ को राजस्थान पादरली निवासी शा. हिराचन्दजी जेरुपजी परिवारवालोने बनवा कर भेट किया था। जैन भोजन शाला सारे भारतसे बम्बईमें पधारनेवाले जैन भाईओके लिए यहाँ बडी भोजनशाला की स्थापना प.पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा से सं. २०२१ में की गई थी। इस जैन भोजन शाला का नाम बी.के. मोदी जैन भोजनशाला हैं, जो महावीर स्वामी जिनालय और सी.पी. टेंक के सामने वाली विशाल जैन धर्मशाला की पहली मंजील पर है। (४०) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर २३/२५, गुरुकृपा बिल्डिंग, सी.पी. टेंक, लाडवाडी के सामने विठ्ठलभाई पटेल रोड, मुंबई-४०० ००४. टे. फोन : ३८५ ०२ ९१ हिराचन्दजी विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक राजस्थान कवराडा गाँव के निवासी श्रीमान श्रेष्ठीवर्य शाह शा. हिराचन्दजी लुम्बाजी परिवारवाले है। परम पूज्य प्रेम-रामच सूरीश्वरजी म. समुदाय के परम पूज्य मुनिराज श्री नय वर्धन विजयजी म. साहेब की पावन निश्रा में प्र.सं. २०५१ का जेठ वद ६ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। For Private and Personal Use Only Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २२ मुंबई के जैन मन्दिर यहाँ मूलनायक शांतिनाथ प्रभु की आरस की १ प्रतिमाजी, पंच धातु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्र१ एवं अष्टमंगल - १ सुशोभित है। (४१) www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्रेष्ठीवर्य श्री दिनेशचंद्र प्रेमचन्द झवेरी परिवार वाले है । (४२) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर खरतर गली के किनारे पर एक्सन टेलर के उपर तीसरा माला, ३८/४०, ठाकुरद्वार रोड, बाबासाहेब जयकर मार्ग, मुंबई - ४. टे. फोन : ३८२६६८२ श्री दिनेशचन्द्र परम पूज्य प्रेम-रामचन्द्रसूरीश्वरजी समुदाय के परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री मुक्तिप्रभसूरीश्वरजी एवं आचार्य विजय जयकुंजरसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०४५ का माह सुद ६ सन १९८८ कोच प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ के गृह मन्दिर में मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी एवं श्री शान्तिनाथ प्रभु की पंच धातु की २ प्रतिमाजी, १ सिद्धचक्रजी एवं २४ तीर्थंकर प्रभु का पाटला सुशोभित हैं। (४३) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर हारमनी होम, दूसरा माला, १४, ठाकुरद्वार रोड, बाबा साहेब जयकर मार्ग, मुंबई - ४०० ००४. टे. फोन : ३८६८३६७ - जयन्तीलाल विशेष :- इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्रीमती जयाबेन जयन्तीलाल पोपटलाल शाह परिवार वाले हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय यशोभद्रसूरीश्वरजी म. साहेबजी की पावन निश्रा में सन् १९९१ वि.सं. २०४७ का वैशाख सुद ३ को चल प्रतिष्ठा हुई थी । यहाँ आरस की १ प्रतिमाजी, पंचधातुकी १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ सुशोभित हैं। ❀ श्री शान्तिनाथ भगवान जिनालय जीतेकर वाडी के सामने, ठाकुरद्वार रोड, बाबा साहेब जयकर मार्ग, टे. फोन : ३८२ ८० ४३, ३८८ ८७७२- सुरेशभाई देवचन्द शाह विशेष :- इस जिनालय का निर्माण प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय For Private and Personal Use Only Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर धर्मसूरीश्वरजी म.सा. के उपदेश एवं प्रेरणा से शेठ श्री देवचंद जेठालाल संघवीने किया है, और परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री विजय प्रेम सूरीश्वरजी म., आचार्य श्री विजय सुबोधसागरसूरीश्वरजी म. साहेब की पावन निश्रामें वि.सं. २०३४ का आसौ वदी १३ धनतेरस को प्रभुजीका प्रवेश महोत्सव हुआ था । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इस मन्दिरजी में मूलनायक श्री शान्तिनाथ प्रभु सहित पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ९ प्रतिमाजी, सिद्धचक्र - ४, अष्टमंगल- १ बिराजमान हैं। २३ दिवार पर कांच के कलात्मक बनाये तीर्थों मे तथा ऐतिहासिक चित्रो में श्री कदंब गिरि, श्री सम्मेत शिखरजी, श्री पावापुरी, श्री राणकपुरजी, श्री भद्रेश्वर तीर्थ, श्री शत्रुंजय तीर्थ, श्री गिरनारजी, श्री चंद्रपुरी महातीर्थ, श्री राजगीरी पाँच पहाड़, श्री शांतिनाथ प्रभु दसवा भव मेघरथ राजा - बाज- कपोत, राजुल को छोड़कर नेमनाथ रथ को ले जाते हुए, चन्दनबाला - महावीर स्वामी का चित्र तथा २४ तीर्थंकरो के अति सुन्दर फोटो भी विशेष दर्शनीय हैं। मूलनायक के पीछे की ओर श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ प्रभु का तीर्थ अति सुन्दर है । (४४) श्री ठाकुरद्वार जैन नवयुवक संघ, विजय धर्म महिला मंडल, श्री शान्तिनाथ जैन पाठशाला तथा अ.सौ. सकरीबेन हीरालाल जेठालाल संघवी मोढुकावाला उपाश्रय हॉल ग्राउण्ड फ्लोर पर, तथा पहले माले पर मन्दिरजी शोभायमान है। आजकल यह जिनालय और उपाश्रय को विस्तृत किया जा रहा है और विशाल शिखरबद्ध जिनालय का निर्माण कार्य पू. युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. के समुदाय के प. पू. आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा और मार्गदर्शन से हो रहा है। श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर पांजरापोल विजय वल्लभ मार्ग, गुलालवाडी, कीका स्ट्रीट, मुंबई - ४०० ००२. टे. फोन : ऑ. ३७५ ९३९८ चंपालालजी ऑ. ३७५ ३६ ८० घर : ३८२ ६८ ७३ विशेष :- सर्व प्रथम वि.सं. २०२२ में गोडवाल ओसवाल जैन संघ द्वारा ओसवाल भवन की स्थापना हुई थी। For Private and Personal Use Only श्री गोडवाड ओसवाल जैन संघ द्वारा इस मन्दिरजी में श्री नेमि - विज्ञान कस्तूरसूरि के पट्टधर विजय चंद्रोदयसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०३५ का माह वद ११ तारीख २३ - २-७९ को मेहमान के रुप में बिराजमान किये गये थे । प्रतिमाजी का गृह मन्दिर में प्रवेश एवं बिराजमान करने का शुभ कार्य सांडेराव निवासी श्रीमानजी श्री हस्तीमलजी जीवराजजी चौपड़ा द्वारा हुआ था । स्थापना के दिन मूलनायकजी के दाहीने आँख में अमी झरणा बहने से और भी आनंद मंगल का वातावरण संघ में छा गया था । यहाँ आरस की १ प्रतिमाजी, पंचधातु की- ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी- ३, अष्टमंगल- १ शोभायमान है 1 Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४ मुंबई के जैन मन्दिर यहाँ भव्य उपासरा, खेताजी धन्नाजी व्याख्यान भवन, गोडवाल ओसवाल जैन पाठशाला, श्री गोडवाल ओसवाल जैन महिला मंडल, श्री जैन युवा मण्डल भी सक्रिय हैं। (४५) श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय २१०, गुलालवाडी कीका स्ट्रीट, मुंबई-४०० ००२. टे. फोन : ऑ. ३७५ ५५ ७४, मोहनलालजी-२०५५१४६ विशेष :- श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान जैन देरासर ट्रस्ट द्वारा संचालित इस मन्दिरजी की प्रतिष्ठा वि.सं. १८७८ का श्रावण वद ५ को हुई थी। वि. सं. २०१० का श्रावण वद १ रविवार को महावीर स्वामी वगैरह प्रतिमाजी अंजनशलाका की हुई बिराजमान है। इस मन्दिरजी के संचालन में विशेष रुप से राजस्थानी भाईयों का सहयोग है। मन्दिरजी के नीचे ऑफिस हॉल में श्री जिन कुशल सूरीश्वरजी म. व अनेक देवी-देवता की भव्य प्रतिमाजी बिराजमान है। मन्दिरजी में आरस की कुल ५० प्रतिमाजी, पंचधातु की ६७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-४६, चान्दी की प्रतिमाजी तथा एक सिद्धचक्रजी है। मन्दिरजी की दिवारों में प्राचीन काल में आरस पर बनाये गये शत्रुजय तीर्थ अष्टापद तीर्थ वगैरह सुशोभित है। यहाँ चिन्तामणि हितवर्धक युवक मण्डल है। पूजा करने आनेवाले महानुभावो के लिये नहाने की भी व्यवस्था है। भरचक ऐरीये में होने से दर्शन-पूजा करने वाले भाई-बहनो की भीड लगी रहती हैं। विजय वल्लभ चौक - पायधुनी - झव्हेरी बाजार सारे शहर में यह स्थान बड़ा ही लोकप्रिय हैं। यहाँ के पांचो शिखरबंदी जिनालय प्राचीन हैं अत: पंचतीर्थी तुल्य समजकर भविजन खुशीयाली में झुम जाते है । प्राचीनकाल से आज दिन तक यह धर्म भूमि के लिये अग्रस्थान हैं। (४६) श्री गोडीजी पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय १२, विजय वल्लभ चौक - पायधुनी, मुंबई-४०० ००३. टे. फोन : ऑ. ३४६ ३१५६, ३४७ ४६ ३९, २०५ ९३ ३३, ३८२ १०५६ पुष्पसेनभाई, ३८५ ०८ ७० अरविन्दभाई, ३६७१३ १३ गिरिशभाई विशेष:- मोतीशाह सेठ के चचैरभाई श्री भाईदासने पायधुनी पर श्री गोडीजी पार्श्वनाथ जिनालय का निर्माण कराया। मोतीशा को गोडीजी पार्श्वनाथ पर अति श्रद्धा और निष्ठा थी, इसीलिये आपने अपने वसीयत नामे पर भी सर्व प्रथम श्री गोडीजी पार्श्वनाथ भगवान का नाम लिखा था । सेठ प्रतापमलजी जोईतादासजी मोतीशा सेठ के मामाजी थे जो खंभात के निवासी थे। बम्बई का यह चौथे नंबर का प्राचीन मंदिर हैं। यह लकड़ीयों द्वारा बनाया गया जिन मन्दिर था, For Private and Personal Use Only Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर जिसके मूलनायक प्रथम कोट में स्थापित किये गये थे, किन्तु वहाँ से प्रतिमा लाकर पायधुनी में मन्दिर बनाया गया और तत्कालीन परम पूज्य आ. विजय देवेन्द्र सूरीश्वरजी म. के आदेश से बम्बई नगर में बिराजमान श्रीमान पूज्य श्री की निश्रामें घोघा निवासी श्रेष्ठीवर्य श्री कल्याणजीभाई कानजीभाई के शुभ हस्ते श्री गोडीजी पार्श्वनाथ की प्रतिष्ठा वि.सं. १८६८ द्वितीय वैशाख सुदी-१० बुधवार को सुबह ८ बजे हुई थी। गोडीजी जिनालय में ही शामलाजी पार्श्वनाथ की प्रथम प्रतिष्ठा वि.सं. १९२५ का फागुण सुदी ४ सोमवार को प्रात:काल शुभ मुहूंत में सुरत निवासी श्रीमान साकरचन्द लालचन्दजी के शुभ कर कमलो से हुई थी। जिनालय - उपाश्रयका नवनिर्माण बिजली से चमचमाते मुंबई जैसे शहर में इस मन्दिरजी में बिजली का उपयोग नहीं होता था। आज नूतन मन्दिरजी को भी लाईट (बिजली) से दूर ही रखा गया है। __श्री विजय देवरि जैन संघ - गोडीजी जैन देरासर पेढी की हार्दिक विनंती से वि.सं. २००५ में श्री गोडीजी जैन संघ में प.पू. सिद्धान्त निष्ठ आचार्य भगवन्त श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म.सा. का चातुर्मास और उसके बाद वि.सं. २००६ में प.पू. युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. ( उस समय उपाध्याय प्रवर) का ऐतिहासिक और यादगार चातुर्मास गोडीजी जैन उपाश्रय में हुआ। प्रतिदिन सुबह और दोपहर को श्री भगवती सूत्र के प्रवचनों, शासन के अनेक महान कार्यो और विविध अनुष्ठानो - आराधनाओं से परिपूर्ण इस चातुर्मास में आप श्री की प्रभावशाली प्रेरणा से श्री गोडीजी के १५० वर्ष प्राचीन विशाल उपाश्रय का जीर्णोद्धार का श्री गणेश हुआ था। उस समय के रु १५ लाख के खर्च से पाँच मंजिल का भारत भर में प्रथम नंबर का अजोड़, नूतन, आलीशान भव्य उपाश्रय तैयार हुआ, उसका उद्घाटन आप श्री की पुण्य निश्रा में संवत् २०१६ में श्री आणन्दजी कल्याणजी पेढी के प्रमुख श्री कस्तूरभाई लालभाई के कर कमलो द्वारा हुआ था। वि.सं. २००६ के चातुर्मास बाद आपश्री की प्रेरणा से श्री गोडीजी जैन संघ की तरफ से शेठ मोतीशा भायखला तीर्थ में ७०० आराधको के ऐतिहासिक उपधान तप मालारोपण के प्रसंग पर पोष वद पंचमी को शुभ मुर्हत में प. पूज्य आ.भ. श्री प्रतापसूरीश्वजी म. के शुभ हस्ते प.पूज्य युग दिवाकर गुरुदेव श्री धर्मसूरीश्वरजी म. को आचार्य पदार्पण का महा महोत्सव ५० हजार के विराट जन समूह के बिच बड़े ठाठ माठ से हुआ था। श्री गोडीजी दादा उपर परम पूज्य युगदिवाकर आ. भगवन्त को अतुलनीय भक्ति एवं श्रद्धा थी। श्री गोडीजी संघ पर आप श्री के अगणित उपकारो हैं। यहां आपश्री के वि.सं. २००६ - १७ - २३२८ - ३२ में चातुर्मासो का अपूर्व लाभ मिला था। वि.सं. २०१८ में वैशाख सुदी १० के दिन पू. युग दिवाकर गुरुदेव श्री की प्रेरणा से श्री गोडीजी पार्श्वनाथ सार्ध शताब्दी महोत्सव बडी धामधूम से मनाया गया था तब १०८ छोड का भव्य उजमणाउद्यापन हुए थे, उसमे उस समय के एक लाख २५ हजार के जवेरात का छोड भी रखने में आया था । उस समय श्री गोडी पार्श्वनाथसार्ध शताब्दी ग्रन्थ' का प्रकाशन हुआ था। वि.सं. २०१८ में श्री गोडीजी For Private and Personal Use Only Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २६ मुंबई के जैन मन्दिर को तरफ से मुंबादेवी मैदान में आपश्री की निश्रा में अष्ट ग्रहयुति के समय श्री विश्व शान्ति आराधना सत्र का भव्य महोत्सव हुआ था । उसी वर्षमें यहाँ प. पू. युगदिवाकरसूरीश्वरजी की प्रेरणा व मार्गदर्शन से सारे बम्बईके जैन साधर्मिको की भक्ति - सहायके लिए जैन साधर्मिक सेवा संघ की स्थापना की गई थी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वि. सं. २०१९ में आप श्री की प्रेरणा से एवं आपकी निश्रा में मुंबई भर में जैन शास्त्रो का उच्च धार्मिक अभ्यास करनेवालो के लिये श्री हीरसूरिश्वरजी जैन संस्कृत पाठशाला की स्थापना हुई थी। वो आज भी अखंड चल रही हैं। वि. सं. २०३०, महावीर सं. २५०० में भगवान श्री महावीर देव की २५ वीं निर्वाण शताब्दी की व्यापक तौर से, भव्य विविध आकर्षक आयोजनो से युक्त उजवणी बडे ही ठाठ से प. पू. सिद्धान्त आचार्य भगवंत श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. सा. एवं प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य प्रभावशाली निश्रा में यहाँ से की गई थी, उनकी तैयारी के लिए महिनाओ तक अनेक तरह के आयोजन प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य निश्रामें प. पू. आ. भ. श्री विजय महानन्दसूरीश्वरजी म. सा. और प. पू. आ. भ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. ( उस समय दोनो मुनिराज ) के प्रबल मार्गदर्शन से हुआ था। चौपाटी के मैदान में महासभा और गोवालीया टेंक मैदान में ९ दिन का अजोड आयोजन, दो लाख की जनता के साथ महा रथयात्रा का ऐतिहासिक आयोजन भी हुआ था । उनके लिए कई समिति और उपसमिति या बनाई गई थी। सारे बम्बई में यह उजवणी हुई थी । वि. सं. २०३२ के प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजयधर्मसूरीश्वरजी म. सा. चातुर्मास बाद आपश्री की प्रेरणा से वि. सं. २०३३ महा शुदि ३ को गोडीजी - मुम्बई से पालिताणा का ऐतिहासिक और बडा श्री शत्रुंजय महातीर्थ पदयात्रा संघ का प्रयाण यहाँसे हुआ था, जिसमें ११ संघपति और ३०० साधु-साध्वीजी और २००० यात्रिक थें, ७३ दिनोंका यह महासंघ था। जिसका पूर्ण संचालनका मार्गदर्शन प. पू. युगदिवाकर गुरुदेवकी छत्रछायामें पू. आ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म. और मुख्य रूप से पू. आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. ( उस वक्त दोनो मुनिराज ) कर रहे थे । १७५ वर्ष पू. युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री की प्रेरणा से और मार्गदर्शन से श्री गोडीजी के प्राचीन जिनालय का जीर्णोद्धार करोड़ो रुपयो के खर्च से हुआ हैं। उसका भूमि पूजन - खनन - शिला स्थापन विधि आपश्री की निश्रा में वि.सं. २०३२ में भव्य समारोह के साथ हुआ था, परन्तु भवितव्या के योग से आपश्री का वि.सं. २०३८ का फागुण सुदी १३ को मझगांव उपाश्रय में काल धर्म हुआ और आपश्री के पुण्य देह को गोडीजी उपाश्रय में रखा गया जहाँ लाखों की जनता अंतिम दर्शन करके पावन हुई थी। फागुण सुदी १४ को सुबह गोडीजी से आपश्री की पालकी यात्रा २ लाख के विशाल जन समूह के साथ २१ कि. मीटर पद यात्रा करके चेम्बुर तीर्थ गई थी, और वहाँ आपश्री का अन्तिम संस्कार हुआ था। उसके बाद रविवार के दिन गोडीजी संघ के उपक्रम से तांबाकांटा - मुंबादेवी के विशाल राजमार्गो पर आप श्री की गुणानुवाद - श्रद्धांजलि सभा हुई थी। उसमें एक लाख भाविकोने उपस्थित होकर भावभरी श्रद्धांजलि आपश्रीको अर्पित की थी । For Private and Personal Use Only Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर उसी वर्ष वि.सं. २०३८ में गोडीजी में चातुर्मास आपका होने की जय माघमासमें मालाड - देवचन्दनगर में उपधानतप मालारोपण प्रसंग पर बोलाई गई थी, किन्तु आपश्रीके कालधर्म के बाद आपके आदेशानुसार प.पू. आ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म. तथा प. पू. आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि मुनि मण्डलो का चातुर्मास हुआ था । आपश्री की पुण्यस्मृति में उन गुरुदेवो की प्रेरणा से प्रतिवर्ष फागुण सुदी १३ को गोडीजी जिनालय में शान्तिस्नात्र महोत्सव मनाया जाता है। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नूतन शिखर बंदी जिनालय का भव्य निर्माण होने के बाद मूलनायक श्री गोडीजी पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमाजी को पूर्व प्रतिष्ठित यथा स्थित रखकर शेष प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा विगत इस प्रकार है (१) श्री केसरीया आदिनाथ भगवान (२) श्री मुनिसुव्रत स्वामी ( ३ ) श्री नेमनाथ भगवान, (४) श्री शामला पार्श्वनाथ भगवान, (५) श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान, (६) कायोत्सर्ग ध्यानस्थ श्री आदिनाथ भगवान १०८ " की भव्य और अजोड प्रतिमा, जिनकी अंजनशलाका विधि प.पू.आ.भ. श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म.सा. और प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. के कर कमलो से वि.सं. २०३१ में घाटकोपर सर्वोदय पार्श्वनाथ जिनालयमें हुई थी, आदि ८५ जिनबिम्बो की, प्रथम गणधर गौतम स्वामी आदि गुरु मूर्ति की, शासन यक्ष श्री मणिभद्रजी की, तथा महाप्रभाविक शासनदेवी पद्मावती देवी, श्री चक्रेश्वरी देवी आदि देव-देवीयो की प्रतिष्ठा वि.सं. २०४५ का वैशाख सुद १० सोमवार ता. १५-५-८९ को मंगल शुभ दिन परम पूज्य योगनिष्ठ आचार्य भगवन्त श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. भगवन्त कीर्तिसागरसूरीश्वरजी म. के पट्टधर परम पूज्य आचार्यदेव सुबोधसागरसूरीश्वरजी म., आ. भगवन्त विजय मनोहर कीर्ति सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में हुई थी। (४७) २७ यहाँ की मुख्य संस्थाओं में श्री जैन श्वेताम्बर कोन्फरेन्स, श्री जैन श्वेताम्बर एज्यूकेशन बोर्ड, श्री आत्मानन्द जैन सभा, श्री मुंबई जैन स्वयंसेवक मण्डल, श्री जैन संयुक्त मंडल, श्री महावीर जैन संयुक्त मंडल, श्री गोडीजी महिला मंडल, श्री गोडीजी जैन मित्र मण्डल, श्री वर्धमान भक्ति सेवा संघ, श्री गोडीजी स्नात्र मंडल, श्री गोडीजी जैन पाठशाला, श्री हीरसूरीश्वरजी जैन संस्कृत पाठशाला, श्री अनेकान्त विजयजी जैन पाठशाला आदि अनेक संस्थाएं भक्ति सेवा में कार्यरत हैं। यहाँ भव्य उपासरा, ज्ञान भण्डार, विशाल लायब्रेरी की सुन्दर व्यवस्था है । गोडीजी पार्श्वनाथ की मूलनायक प्रतिमाजी अनेक चमत्कारी घटनाओं से परीपूर्ण हैं । जिज्ञासु भाई अन्य तिर्थ परिचय पुस्तको से जानकारी ले सकते हैं । ॐ श्री महावीर स्वामी भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय विजय वल्लभ चौक - पायधुनी, मुंबई- -४००००३. टे. फोन : ऑ. ३४६ ३६ ४८, जीवनभाई - ३४३६३७६ For Private and Personal Use Only विशेष :- इस मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्री खरतरगच्छ जैन संघ हैं। इसकी प्रतिष्ठा वि.सं. १९७८ श्रावण सुद १० को हुई थी । यहाँ पाषाण की ४४ प्रतिमाजी, पंच धातु की २० प्रतिमाजी, Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २८ www.kobatirth.org मंबई के जैन मन्दिर सिद्धचक्रजी - १० सुशोभित है । मन्दिर के ग्राउण्ड फ्लोर में महुडी वासी चमत्कारिक श्री घंटाकर्ण वीर की अलौकिक प्रतिमाजी शोभायमान हो रही हैं। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के हजारो घंटाकर्ण प्रेमी भक्त यहाँ के दर्शन कर फुले न समाते है, अनेक भक्त अपनी भावना फलीभूत होने पर प्रसाद चढाते है। सामने की ओर आचार्य भगवन्त श्री जिन कुशल सूरि म. के गुरु मन्दिर में अनेक गुरु भगवन्तो की मूर्तिया एवं चरण पादुकाएं बिराजमान है जो खरतरगच्छ के महान चमत्कारिक गुरु माने जाते है । (४८) जिनालय के पहले माले पर श्री सुधर्मा स्वामी - गौतम स्वामी गुरु मंदिर है। पावापुरी कलात्मक शोकेस तथा प्राचीन तीर्थ एवं ऐतिहासिक द्दश्यो से दिवार शोभायमान है। यहाँ उपासरा, ज्ञान भण्डार तथा जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं । श्री आदीश्वर भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय विजय वल्लभ चौक पायधुनी, मुम्बई-४००००३. टे. फोन : ऑ. ३४६ १९७०, वोरीदासजी घर : ४१३०५२५, ४११३३ ७१ ऑ. विशेष :- मारवाड के श्री जैन वीसा पोरवाल संघ द्वारा निर्मित देव विमान तुल्य यह मन्दिर खूब ही शोभायमान हो रहा हैं। प्राचीन मन्दिरजी की प्रथम प्रतिष्ठा वि.सं. १८८२ माह सुद १० को हुई थी । निर्माता एवं संचालक श्री आदीश्वरजी महाराज जैन टेम्पल एण्ड चेरीटी ट्रस्ट पायधुनी द्वारा जीर्णोद्धार होने के बाद नूतन प्रतिष्ठा वि.सं. २०३२ का माह वद १ को परम पूज्य आचार्य भवगन्त विजय मेरुप्रभसूरीश्वरजी म. आदि मुनिमण्डल परिवार की शुभ निश्रा में हुई थी, प्रतिष्ठा महोत्सव के प्रसंग पर श्री संघ की आग्रहपूर्ण विनंती से पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. सा. और प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. भी उपस्थित थे । नूतन प्रतिष्ठा महोत्सव का ठाठ खूब अद्भुत एवं मनमोहक था । लाखो मुंबई वासियोने प्रतिष्ठा महोत्सव देखने का एवं नवकारसी में लम्बी कतार लगाकर भी साधर्मिक वात्सल्य के भोजन का लाभ उठाकर महोत्सव की शान को बढायी थी । हाथी की सवारी पर आदिनाथ प्रभु की प्रतिष्ठा के साथ हेलीकोप्टर द्वारा पुष्पवृष्टि हुई थी । प्रतिष्ठा के दिन अमीझरणा होने से विशेष आनन्द का वातावरण छा गया था । I मन्दिरजी के अन्दर प्रवेश करते ही सीधा सामने आरस की खुदाई पर सिद्धाचलजी का तीर्थ मन को मोह लेता हैं । आजू बाजू में श्री सहस्त्रफणा पार्श्वनाथ व श्री कुंथुनाथ भगवान बिराजमान है। कुल आरस की ६३ प्रतिमाजी, पंचधातु के ६६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी- ३०, अष्टमंगल-८ एवं चान्दी की प्रतिमाजी- ६ शोभायमान हैं। यहाँ प्रतिष्ठा के दिन ऑफिस के बाजू में महालक्ष्मी, अंबिकादेवी, सरस्वती ये तीन देवीया एवं भैरुजी एवं मणिभद्र वीर की भी नूतन प्रतिष्ठा हुई थी। मन्दिरजी के बाजू में ही ४ मंजिल का भव्य उपासरा एवं व्याख्यान भवन है । यहाँ श्री आदीश्वर For Private and Personal Use Only Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर स्नात्र मंडल, श्री आदीश्वर महिला मंडल, श्री राजस्थान महिला मंडल, श्री आत्मवल्लभ पोरवाल महिला मंडल, श्री आदि जिन संगीत मण्डल, श्री राजस्थान जैन सेवा संघ एवं जैन भोजनशाला की व्यवस्था है। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४९) श्री शान्तिनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय ३८७, इब्राहिम रहिम तुल्ला रोड, भींडी बजार, विजय वल्लभ चौक - पायधुनी, मुंबई - ४०० ००३. टे. फोन : ऑ. ३४३ ४७७८, पुंडरिकभाई - ३६७१२३९ विशेष : इस मन्दिरजी की प्रतिष्ठा वि. संवत् १८६६ का माह सुद १३ को हुई थी । इस मन्दिर की प्रतिष्ठा भी सेठ मोतीशाह के हाथो से सम्पन्न हुई थी एवं उसका निर्माण भी उनके हाथो से हुआ था । पुराने मन्दिर में पहली एवं दूसरी मंजील पर पाषाण के ४४ प्रतिमाजी, पंचधातु के ४, सिद्धचक्रजी - ३ शोभायमान है । मन्दिरजी की ऑफिस हॉल के बाजु के भाग में श्री मणिभद्र वीर बिराजमान हैं। नियमित भाविको द्वारा प्रतिदिन स्नात्र पूजा खूब भावपूर्वक पढाई जाती हैं । इस मन्दिर में भी बिजली का उपयोग न करके घी के ही दीपक जलाये जा रहे हैं। २९ मन्दिरजी के पीछे ३ मंजील का भव्य उपासरा हैं । जहाँ व्याख्यान भवन एवं साधु-साध्वीजी म. के ठहरने की व्यवस्था है। I नूतन जीर्णोद्धार का शिलान्यास श्री शान्तिनाथ भगवान के नूतन जिनालय का शिलान्यास सूरिमंत्र पंच प्रस्थान आराधक पूज्यपाद आचार्यदेव श्री विजय जय शेखर सूरीश्वरजी म. एवं प्रवचनकार पूज्यपाद आ. विजय रत्नसुंदर सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०५३ का माह सुद ११ को हुआ था । (५०) जैन भोजनशाला श्री शान्तिनाथजी जिनालय के बाजु में राधनपुर जैन भोजन गृह की व्यवस्था हैं । शान्तिनाथ जैन चाल, २०८, विजय वल्लभ चौक, पायधुनी, मुंबई - ४०० ००३. श्री मिनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय ३७९, ईब्राहीम रहिमतुल्ला रोड, भींडी बाजार, विजय वल्लभ चौक - पायधुनी, मुंबई - ४००००३. टे. फोन ऑ. ३४३२७५५, सुबोधभाई- ऑ. २०८ ३६६१ विशेष :- पायधुनी के लोकप्रिय पाँच मन्दिरो में यह पाँचवा मन्दिर है, जिसकी प्रतिष्ठा वि.सं. For Private and Personal Use Only Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३० मुंबई के जैन मन्दिर १८९२ मगसर सुद ११ को हुई थी। इस मन्दिर में प्रथम व दूसरे माले पर प्रतिमाजी बिराजमान हैं। जहाँ आरस की २२ प्रतिमाजी, पंचधातु की १६, सिद्धचक्रजी-१२ एवं अष्टमंगल ४ प्रतिमाजी परिवार है। यह मन्दिर झालावाडी भाइयो का कहलाता है। __ परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री विजय नेमि-विज्ञान कस्तूरसूरि के पट्टधर आ. विजय चंद्रोदयसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०३४ का चैत्र वद ५ को श्री मणिभद्र वीर की प्रतिमाजी ऑफिस हॉल में बिराजमान की गयी हैं। ऑफिस हॉल में ठीक सामने ही शत्रुजय पर्वत सा दृश्य दिखता हैं उसकी स्थापना जामनगर वाले ओसवाल जवेरी प्रेमचन्द कपूरचन्द हाल मुंबईवालो की तरफ से वि.सं. २०५१ का श्रावण सुद ३ रविवार को हुई थी। मन्दिरजी के पीछे के भाग में बहुत ही सुन्दर विशाल व्याख्यान भवन एवं उपाश्रय की व्यवस्था है। ___ यहाँ श्री चन्द्र प्रकाशे महिला मंडल, श्री झालावाड महिला मण्डल, श्री मंछु कांटा महिला मंडल पूजा भावना में आगे रहती हैं । चैत्र और आसौ मास में आयंबिल की ओली यहां क्रिया सहित कराई जाती है। इस मन्दिर के जीर्णोद्धार के आद्यप्रेरक प.पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा व मार्गदर्शनानुसार वर्तमान में मन्दिरजी का जीर्णोद्धार का कार्य पूरे जोर शोर से हो रहा हैं। नूतन जिनालय शिखरबद्ध और २४ देवकुलिकाओके साथ भव्य बनाने की योजना हैं । यहां श्री जैन धार्मिक शिक्षण संघ की ऑफिस है, जहाँ से धार्मिक शिक्षण संघ की मासिक पत्रिका निकलती है। जिनके तंत्री लोकप्रिय महाशिक्षक श्री चिमनलाल पाणीताणा कर है। (५१) श्री महावीर स्वामी भगवान जिनालय गृह मन्दिर १२४, जवेरी बाजार, खाराकूआँ प्याऊ के सामने, टे. फोन : ऑ. २०९१५९६, उर्वशीबेन-२८१९२ ३९ विशेष : इस मन्दिरजी की प्रतिमा अति प्राचीन है। गुजरात के प्रांतिज तालुका के मगोडी गाँव में खेत से मिली थी। प्रतिमाजी श्री संप्रति राजा के समय की होने की संभावना हैं। मूलनायकजी की प्रतिष्ठा सुरत निवासी विसा ओसवाल ज्ञाति के सेठ नगीनचन्द फुलचन्द उस्तादने विक्रम संवत १९७३ श्रावण सुद ६ बुधवार को कराई थी। पहली मंजील पर मूलनायक श्री महावीर स्वामी तथा आजू बाजू में काऊसग्ग में खडी प्रतिमाजी श्री शांतिनाथजी और श्री महावीर स्वामीजी की हैं। बाहर गोखले में श्री आदीश्वरजी और श्री अजितनाथजी है, साथ में दो छोटी स्फटीक की मूर्तिया भी हैं। दूसरी मंजील पर श्री धर्मनाथजी और श्री मुनिसुव्रत स्वामी की सुन्दर प्रतिमाएँ बिराजमान हैं। पंचधातु की छोटी मूर्तिया, सिद्धचक्रजी अष्टमंगल भी है। इस मन्दिर में तीन पीढीयो द्वारा प्रतिष्ठा करवाई गयी है। हाल में मंदिरजी का संचालन सेठ नगीनचन्दजी For Private and Personal Use Only Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३१ की चौथी पीढी द्वारा हो रहा है। मन्दिरजी में पूजा-दर्शन करनेवालो की सदा भीड रहती हैं। मन्दिरजी की वर्षगांठ पर महावीर जयंती पर और दीपावली में रोशनी और फुलो से सजाया जाता हैं। प्रभुजी की भव्याति भव्य अंग रचना की जाती है। पूजा-दर्शन का लाभ जरुर लेवे। श्री मन्दिरजी ७५ मी सालगिरह ई.स. १९९१ में अमृत महोत्सव के रुप में बड़ी धामधुम से मनाई गयी। (५२) श्री गोडीजी पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर भीकाजी कीशनाजी पेढी के उपर, ३९, चम्पा गली, मूलजी जेठा मार्केट गली, मुंबई-४०० ००२. टे. फोन : ऑ. २६६ १९४२ एम.पी. आचार्य, २०८७६ २१, २०५ ८३ ७० विशेष : यह मन्दिर सेठ प्रेमचन्द रायचन्द ने आज से लगभग ८० वर्ष पहले बनाया था। सेठ रायचन्द प्रेमचन्द ट्रस्ट की ऑफिस ६३ एपोलो स्ट्रीट, मुंबई समाचार मार्ग, युनियन बैंक के सामने है। मन्दिरजी के नीचे के माले पर ऑफिस का होल आया हुआ है। यह मन्दिर मूलजी जेठा मार्केट की लाईनमें बिल्डिंग के अंतिम माले पर आया हुआ है। जब हम दर्शन करते हैं तो हमारी नजरो में दर्शन के लिये पंच धातु की १२ प्रतिमाजी, चान्दी के १० सिद्धचक्रजी, पंच धातु के ५ सिद्धचक्रजी तथा चान्दी की २ चौविशी प्रभु के पाट एवं एक चान्दी का अष्टमंगल बिराजमान है। (५३) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर रीफाइनरी बिल्डिंग, पाँचवा माला, आगाशी उपर - लास्ट फ्लोर, धनजी स्ट्रीट, जवेरी बाजार, मुंबई-४००००२. ___टे. फोन : ऑ. ३४२ ३९७५, ३४२ ३०७० विशेष : इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक प्रथम सेठ जीवतलाल प्रतापशी भाई थे। उसके बाद मन्दिरजी के संचालक सेठ रमणलाल दलसुखभाई श्रोफथे और अब सेठ विनोदभाई अमुलखभाई के परिवार वालो द्वारा हो रहा हैं। इस मन्दिरजी की स्थापना सन् १९४० वि. संवत १९९५ वैशाख वद ६ को हुई थी। यहाँ पंच धातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी एवं अष्टमंगल ६ शोभायमान दे रहे हैं। दिवार पर नवकार मंत्र एवं सिद्धचक्रजी के चित्र अति शोभायमान हो रहे है। यह गृहमन्दिर पाँचवे माले पर होने पर भी यहाँ लिफ्ट की व्यवस्था नहीं है। भाविको को सिढियो पर चढकर ही दर्शन करने क ला न मिलेगा। For Private and Personal Use Only Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३२ मुंबई के जैन मन्दिर ग्रान्ट रोड (पश्चिम) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर श्री महावीर जैन विद्यालय, गोवालिया टेंक रोड, अगस्त क्रान्ति मार्ग, मुंबई - ४०० ०३६. टे. फोन : ओ. ३८६ ४४ १७ श्री प्रकाशभाई जवेरी घर : ६४९ ४६ ४४ विशेष :- परम पूज्य प्रात: स्मरणीय आ. भगवन्त विजयानन्दसूरीश्वरजी म. के पट्टधर पंजाब केसरी आ. भगवन्त विजय वल्लभसूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा से वि.सं. १९७० का फागुण सुद ५ सोमवार सन् १९१४ को श्री महावीर जैन विद्यालय की स्थापना हुई थी। इस विद्यालय के मुख्य अलग अलग रुप में सहयोग दाताओ मे श्री मोतीचन्द गिरधरलाल कापडीया, श्री वाडीलाल साराभाई, श्री देवकरण मूलजी जिनकी स्मृति निमित्त श्री मिश्रीमलजी नवाजी जैन सभागृह के बाहरी कम्पाउण्ड में पाषाण की प्रतिकृति सुशोभित है। श्री वाडीलाल साराभाई विद्यार्थी गृह में रहनेवाले विद्यार्थीयो के लिये श्रीमती लीलाबाई रसिकलाल भोजनगृह की व्यवस्था है। इसी महावीर विद्यालय में श्री वासुपूज्य स्वामी गृह मन्दिर हैं, जिसकी प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवंत विजय वल्लभसूरीश्वरजी म. साहेबजी की पावन निश्रा में विक्रम सं. १९९१ वीर सं. २४६१ के माह सुद १० बुधवार ता. १३-२-१९३५ को हुई थी। यहाँ पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की १ प्रतिमाजी, १ सिद्धचक्रजी, १ अष्टमंगल सुशोभित हैं। (५५) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान पाँच शिखरबंदी महा जिनालय ८७, अगस्त क्रान्ति मार्ग, गोवालिया टेंक रोड, मुंबई - ४०० ०३६. टे. फोन : ओ. ३८० ५९०९ भोगीलालभाई - ३८० ३२ ४२ घर. विशेष :- वि.सं. २०२२ में श्री गोवालीया टेंक विस्तार में पर्युषण पर्व की आराधना के लिये पधारे हुए, समस्त मुंबई महानगर पर उपकारो की अजोड वर्षा करनेवाले, जैन शासन के महान प्रभावक, युग दिवाकर पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य रत्न प.पू. साहित्य कलारत्न प.पू.आ.भ. श्री यशोदेवसूरीश्वरजी म.सा. (उस समय मुनिराज) और पू. मुनि श्री वाचस्पतिविजयजी म.सा. की शुभ निश्रा में श्री गोवालीया टेंक जैन संघ की स्थापना हुई थी. और संघ द्वारा पर्युषण आराधना महावीर जैन विद्यालय के हॉल में हुई थी। उसके बाद प.पू. युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य प्रेरणा और मार्गदर्शन से गोवालिया टेंक रोड पर पाँच मंजिल की एक आलिशान बिल्डींग श्री संघने खरीद ली थी, और उसका आराधना' नाम आपश्री की निश्रा में स्थापन करके उसमें आराधना कार्य शुरु करने में आया। उपासरा का निर्माण भी उसमें करने में आया। वीर सं. २४९८, वि.सं. २०२८ के वैशाख वदि १० बुधवार के दिन परम पूज्य सिद्धान्त रक्षक आ. भ. श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. सा. तथा परम पूज्य युगदिवाकर आ.भ. श्री विजय For Private and Personal Use Only Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३३ धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रभावक निश्रा में आराधना' भवन में श्री गोवालीया टेंक संघ की तरफसे नव निर्मित गृह जिनालय में श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की ३१ + ८ = ३९" की श्यामवर्णीय भव्य प्रतिमाजी आदि ३ बिंबो की प्रतिष्ठा खूब धामधूम से हुई थी, उसके बाद उन्ही गुरू भगवंतो की शुभ प्रेरणा से और उनकी निश्रा में भगवती श्री पद्मावती देवी की भव्य प्रतिमा की प्रतिष्ठा वि. सं. २०३० का मगसर वदि ११ के शुभ दिन हुई थी। परम पूज्य युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. का अंतिम चातुर्मास वि. सं. २०३७ में गोवालिया टेंक संघ में नूतन शिखरबद्ध जिनालय की कार्यवाही आगे बढाने के लिये हुआ, आप श्री की प्रेरणा और पुरुषार्थ से ‘आराधना' भवन के स्थान पर विशाल महाजिनालय के निर्माण का निर्णय और आयोजन हुआ। परन्तु प. पू. युग दिवाकर गुरुदेव का वि. सं. २०३८ में स्वर्गगमन होने के कारण, बाद में पू. शतावधानी आ. श्री जयानन्दसूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि समुदाय की निश्रा में महाजिनालय की खनन शिलारोपण विधि धामधूम से हुई थी, और वि. सं. २०५० में समस्त मुंबई महानगर में अदभुत और दर्शनीय अजोड शिखरबद्ध महाजिनालय का निर्माण संपूर्ण हुआ। जो संपूर्ण मारबल से युक्त पाँच शिखरोवाला जिनालय अति सुंदर दिखाई देने लगा। जिसकी अंजनशलाका - प्रतिष्ठा के लिये गुजरात तरफ से प. पू. युगदिवाकर गुरुदेव के समुदाय के प. पू. आ. भ. श्री जयानन्दसूरीश्वरजी म., प. पू. आ. भ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म., प.पू.आ.भ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म., प. पू. आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि आचार्य भगवन्तो का आगमन हुआ था, और यही पर वि. सं. २०५० के चातुर्मास में ही आसो वद ३ के दिन प.पू. शतावधानी आ. श्री जयानन्दसूरीश्वरजी म. सा. का स्वर्गगमन होने से चातुर्मास के बाद परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. के समुदाय के पूज्य साहित्य कलारत्न आ. श्री यशोदेवसूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५१ का मगसर सुद ८ शनिवार पीछली रात - प्रात:काल ५.३० मिनट पर अंजनशलाका हुई थी। वि. सं. २०५१ का मगसर सुद १० सोमवार ता. १२-१२-९४ को १२.३९ मिनट पर भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव ठाठ से हुआ था । १० दिन तक सुबह - दोपहर - शाम के साधर्मिक वात्सल्योमें बम्बईभरके हजारोकी जैन जनताने लाभ लिया था। भव्य परिकर सहित मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान सहित पाषाण के ३० प्रतिमाजी, पंचधातु की १ प्रतिमाजी, ३ चौविशी, ५ पंचतीर्थी, सहस्रफणा पार्श्वनाथजी - ४, वीस स्थानक-१, सिद्धचक्रनी ५, अष्टमंगल-४, इसके अलावा श्री मणिभद्रवीर, श्री नाकोडाजी भैरव, श्री भोमियाजी, श्री पद्मावती देवी, श्री चकेश्वरी देवी, श्री लक्ष्मी देवी, श्री घंटाकर्ण वीर आदि शासन देवी-देवताओ की श्री गोवालिया टेक जैन संघ की तरफ से भव्य अंजनशलाका प्रतिष्ठा खूब ठाठ माठ पूर्वक सम्पन्न हुई थी। For Private and Personal Use Only Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३४ www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर उपर आरस की २४ जिन प्रतिमाजी, १ गौतम स्वामी की प्रतिमा हैं । नीचे भोयरे में श्री सीमन्धर स्वामीजी आदि ५१” ५१" की पांच भव्य प्रतिमाए, भिन्न भिन्न तरह के विशाल परिकरोके साथ विराजमान है, ऐसी दिव्य प्रतिमाए समस्त मुंबई में यहां पर ही है, अन्य कहीं भी नही है, जिनके दर्शन के लिए हजारो भाविकजन हररोज आते हैं । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यहाँ चार मंजिल का भव्य उपासरा है, जिसमे साधुजी के लिये उपासरा, पुस्तकालय, व्याख्यान भवन सुशोभित हैं । यहाँ लिफ्ट की व्यवस्था हैं । इसके अलावा यहाँ श्राविका उपासरा, आयंबिल शाला, अनुकंपादान, जैन पाठशाला, श्री शंखेश्वर आराधक मण्डल, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ महिला मण्डल, श्री वासुपूज्य महिला मण्डल आदि अपने भक्ति भजन में सक्रिय है । (५६) मन्दिरजी के पीछले भाग में परम पूज्य आ. भ. श्री विजय मोहन - प्रताप धर्मसूरीश्वर के पट्टधर शिष्य प. पू. आ. श्री विजय यशोदेवसूरीश्वरजी म. के पट्टधर शिष्य प. पू. आ. श्री विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म. का देवलोक गमन वि.सं. २०५० का आसो वदी ३ को हुआ था । यहीं पर अग्नि संस्कार हुआ था, जहाँ आज उनका समाधि मन्दिर शोभायमान है । श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर दार- उर- मुल्क, चौथा माला, भारतीय विद्याभवन के सामने, रमाबाई रोड, ग्रान्ट रोड, मुंबई - ४०० ००७. टे. फोन : ३६९१३७८ विशेष :- परम पूज्य गुरुदेवो के प्रेरणा से धर्मप्रेमी श्रीमानजी श्रेष्ठिवर्य नरोत्तमदास छगनलाल मोदीने अपने निवासस्थान पर आज लगभग २५ वर्ष पहले श्री शान्तिनाथ प्रभु की मूलनायक परमात्मा के रुप में स्थापना की थी । आपके जिनालय मे पंच धातु की १ प्रतिमाजी तथा १ सिद्धचक्रजी बिराजमान हैं। * (५७) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर पारसमणि भवन, शारदा मन्दिर स्कूल के सामने, ६७ सी हरिश्चंद्र गोरेगांवकर मार्ग, गामदेवी रोड, मुंबई - ४००००७. टे. फोन : ३६४५० ८४ हसमुखभाई, ३६३७४३८ - कीशनजी विशेष : - इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक में एवं संचालक श्रीमती छगनीबेन नेमिचन्द मुत्ता रीलिजियस ट्रस्ट हैं, हस्ते शा. श्री कीशनलालजी नेमिचन्दजी मुत्ता एवं श्री मांगीलालजी नेमिचन्दजी मुत्ता चित्तलवाना (सांचोर - राजस्थान) निवासी परिवारवालोने निर्माण कराया हैं । परम पूज्य आ. विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. समुदाय के आ. विजय नरवाहनसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५३ का वैशाख सुदी ११ रविवार ता. १८-५-९७ को प्रतिष्ठा हुई थी । For Private and Personal Use Only Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra (५८) www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर यहाँ मूलनायक श्री मुनिसुव्रतस्वामी तथा श्री सुपार्श्वनाथ स्वामी श्री शान्तिनाथ भगवान की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी- २, अष्टमंगल - १ तथा श्री मणिभद्रवीर की प्रतिमाजी भी बिराजमान हैं। यहाँ पाठशाला चालु हैं । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ग्रान्ट रोड (पूर्व) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर अप्सरा टॉकिज के बाजू में शान्तिसदन, ग्राउण्ड फ्लोर, लेमींग्टन रोड दादासाहेब भडकमकर मार्ग, ग्रान्ट रोड (पूर्व), मुंबई - ४००००७. टे. फोन : ३०८ ३८६० - देवीचन्दजी (५९) विशेष :- इस गृह मन्दिरजी की स्थापना और संचालन करनेवाले श्रीमती सोनीबाई मूलचन्द पालगोता हैं । यहाँ आरस के मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान तथा आजूबाजू में श्री मुनिसुव्रत स्वामी और श्री वासुपूज्य स्वामी की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल१ सुशोभित हैं । ३५ परम पूज्य आ. विजय केशरसूरीश्वरजी म. के पट्टधर आचार्य विजयचन्द्रसूरि म. के पट्टधर आ. विजय भुवनरत्नसूरीश्वरजी म. के पट्टधर शिष्य आ. विजय यशोरत्नसूरीश्वरजी म. के शिष्य मुनिराज श्री दिव्ययशविजयजी महाराज की शुभ प्रेरणा व निश्रा में वि. संवत २०४७ का मगसर वद ५ शुक्रवार ता. ६-१२-९० के प्रात:काल ६ क. १५ मी. को स्थापना हुई थी । ❀ ❀ श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर २०५ ई बिल्डींग, दूसरा माला, भारत नगर, ग्रान्ट रोड, मुंबई - ४००००७. टे. फोन : सुमेरजी - ३०७८६०५, ३०९७६३३ विशेष :- श्री भारतनगर जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा शासन सम्राट आचार्य विजय नेमि विज्ञान - कस्तूरसूरि समुदाय आचार्य विजय अशोकचंद्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा मे वि.सं. २०३४ का वैशाख सुद५ को हुई थी । For Private and Personal Use Only यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ तथा आजू बाजू मे श्री आदिनाथ व श्री शान्तिनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की १२ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ६, अष्टमंगल - १ तथा पद्मावती देवी भी बिराजमान हैं। यहाँ उपासरा एवं श्री राजेन्द्रसूरि सम्यग्ज्ञान मन्दिर पाठशाला की व्यवस्था है । Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३६ मुंबई के जैन मन्दिर मुंबई सेन्ट्रल (पश्चिम) ताडदेव विभाग (६०) श्री अजितनाथ भगवान गृह मन्दिर कुमुद मेन्शन, ग्राऊण्ड फ्लोर, दीनानाथ मंगेशकर मार्ग, फोर जेट हिल रोड क्रांतिवीर वसन्तराव नाईक पथ, ताडदेव, मुंबई - ४०० ०३६. टे. फोन : ओ. ४९४ ११ ६७ कुमुदबेन - ३६४ ११ २६, शशिकान्तभाई - ३८८ ३२ ७० विशेष :- परम पूज्य आ. विजय रामचन्द्रसरीश्वरजी महाराज की आज्ञावर्ती प.पू. साध्वीजी भद्रपूर्णाश्रीजी, प.पू. निरंजनाश्रीजी म., प. पू. सूर्यप्रभाश्रीजी म. के शिष्या प.पू. पुन्यप्रभाश्रीजी म. की शुभ प्रेरणा से इस गृह मन्दिर का निर्माण हुआ हैं। निर्माणकर्ता और संस्थापक श्रीमान श्रेष्ठिवर्य श्री हसमुखलाल चुनीलाल मोदी और कुमुदबेन हसमुखलाल मोदी है। परम पूज्य रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. समुदाय के आचार्य विजय मित्रानन्दसूरीश्वरजी म., आ. चंद्रोदयसूरीश्वरजी म., मुनिराज श्री नयवर्धनविजयजी म. की पावन निश्रा मे वि.सं. २०४९ का मगसर सुद १० ता. ४-१२-१९९२ को प्रतिष्ठा हुई थी। ____ यहाँ पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की २, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ तथा गौतम स्वामी की १ प्रतिमाजी शोभायमान हैं। यहाँ के मूलनायक श्री अजितनाथ प्रभु की प्रतिमाजी संप्रति महाराजा के समय की २२०० वर्ष प्राचीन हैं, जो उवासद गाँव से लाई गयी हैं तथा श्री संभवनाथ प्रभु व श्री पार्श्वनाथ प्रभु की प्रतिमा ५०० वर्ष प्राचीन हैं जो बडनगर से लाई गयी हैं। यहाँ भद्र-सूर्य-मनोरम-निरंजनाश्रीजी जैन पाठशाला तथा श्री अजित - मनोरम भक्ति मंडल तथा श्री अजित - रामचन्द्रसूरि स्नात्र मंडल की व्यवस्था हैं। (६१) __ श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर २७८, ताडदेव रोड, मातृमन्दिर, ग्राउन्ड फ्लोर, बिल्डींग के पीछे की ओर भाटिया हॉस्पिटल के सामने, मुंबई - ४०० ००७. टे. फोन : सुरेशभाई - घर : ३८८ ६५ २६ ऑ. ३४४ २६ २९ विशेष :- 'मातृमन्दिर' यह २४ मंजिल की बिल्डींग भाटिया हॉस्पिटल के ठीक सामने की लाईन में आई है। मेन गेट से प्रवेश होकर पीछे के भाग की ओर मन्दिर आया हैं। ___ इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री गुरु कृपा मातृमन्दिर जैन संघ है। परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा से इस मन्दिर की स्थापना हुई थी और वि.सं. २०३३ का श्रावण सुद १० को चल प्रतिष्ठा हुई थी । चेम्बुर में अंजनशलाका की हुई प्रतिमाजी बिराजमान हैं। यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ आजू बाजू में श्री वासुपूज्य स्वामी तथा श्री शान्तिनाथ For Private and Personal Use Only Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३७ प्रभु की आरस की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की - ३, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल-१ तथा पद्मावतीदेवी व शत्रुजय पट सुशोभित हैं। पाठशाला चालु हैं। (६२) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर सोनावाला बिल्डींग नं.-८ के कम्पाउण्ड मे, ताडदेव, मुंबई-४०० ०३६. टे. फोन : ४९४ ०४ ८७ ताराचंदजी, ४९२ ९० ९४ चंपालालजी विशेष :- इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री ताडदेव श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ हैं। इस मन्दिरजी की सर्व प्रथम स्थापना वि.सं. २०१२ का मगसर सुद ६ को हुई थी। उस वक्त प्रतिमाजी मेहमान के रुप में बिराजमान थे। परम पूज्य आ. विजय नेमि-विज्ञान-कस्तूरसूरीश्वरजी म. के पट्टधर आचार्य विजय चंद्रोदयसूरीश्वरजी म. के शिष्य पन्यासजी श्री जयचंद्रविजयजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०३५ का फागुण सुद १० गुरुवार ता. ८-३-७९ को हुई थी। अंतिम प्रतिष्ठा परम पूज्य आत्म-वल्लभ-समुद्र के पट्टधर आ. विजय इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५२ का फागुण सुद १० बुधवार तारीख २८-२-९६ को हुई थी। इस गृह मन्दिरजी में मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान आजूबाजू में श्री मुनिसुव्रतस्वामी तथा श्री पार्श्वनाथ भगवान की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ६, सिद्धचक्रजी-६, अष्टमंगल-१, यंत्र ४ के अलावा श्री नमस्कार महायन्त्र, श्री सिद्धचक्र महायन्त्र, श्री शत्रुजय, श्री सम्मेतशिखरजी, श्री शंखेश्वरजी, श्री गिरनारजी, श्री राणकपुरजी, श्री अष्टापदजी इन सभी तीर्थो की रचना विशेष रुप से दर्शनीय हैं। यहाँ उपासरा एवं जैन पाठशाला की व्यवस्था है। (६३) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर अरविन्द कुंझ सोसायटी के कम्पाउण्ड में, ताडदेव, मुंबई - ४०० ०३४. टे. फोन : घर : ४९४ ४७ ६३ - सुमेरमलजी विशेष :- सुप्रसिद्ध बिल्डर्स एवं मन्दिर निर्माता श्रेष्ठिवर्य श्री सुमेरमलजी लुक्कड राजस्थान भीनमाल निवासी ने इस गृहमंदिरजी की स्थापना की हैं। यह मन्दिर ताडदेव एयर कंडीशन मार्केट के सामने के लाईन में आया हैं। परम पूज्य आ.भ. श्री मोहन-प्रताप के पट्टधर प.पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की शुभ प्रेरणा से उनकी निश्रामें वि.सं. २०३२ का माह सुद १४ को प्रतिष्ठा हुई थी। धोलवड में २०३० में प.पू. युग दिवाकर गुरुदेव की निश्रामें अंजनशलाका की हुई ३१" + ८=३९" की शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की मूलनायक प्रतिमाजी के साथ श्री आदिनाथ प्रभु एवं शांतिनाथ प्रभु की ३ प्रतिमाजी पाषाण की, पंच धातुकी १० प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-३, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। इसके अलावा श्री पद्मावती माताजी, श्री राजेन्द्र गुरु की प्रतिमाजी भी For Private and Personal Use Only Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३८ मुंबई के जैन मन्दिर बिराजमान हैं। दिवार पर कांच के बनाये तीर्थो में श्री तारंगाजी, श्री अष्टापदजी, श्री सम्मेतशिखरजी, श्री शत्रुजय, श्री गिरनारजी, श्री पावापुरी, श्री राणकपुरजी, श्री आबुजी, मन्दिरजी की विशेष रुप से शोभा बढा रहे हैं।श्री राजेन्द्र जैन क्रिया भवन नाम से उपाश्रय तथा जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। (६४) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर सहकार निवास, छठ्ठा माला, हीरा पन्ना बिल्डींग के पास, ताडदेव रोड, मुंबई - ४०० ०३४. टे. फोन नं. : ४९४ ७९ ७३ नटुभाई, ४९४ ५२ १४ - कस्तुरभाई विशेष :- श्री सहकार निवास जैन मंदिर संघ इस जिनालय के संस्थापकजी एवं संचालकजी हैं। इस मन्दिरजी की प्रतिष्ठा वि.सं. २००४ का आषाढ सुदी १० को हुई थी। यहाँ के गृह मन्दिर में मूलनायक आरस की श्री शंखेश्वर प्रभु की एक प्रतिमाजी, पंच धातु की एक प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ तथा अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं। मुंबई सेन्ट्रल (पूर्व) श्री आदिनाथ भगवान गृह मन्दिर ७०४, अरिहंत एपार्टमेन्ट, बी विंग, आठवा माला, लेमींग्टन रोड, डॉ. बाबासाहेब भडकमकर मार्ग, मुंबई सेन्ट्रल, मुंबई - ४०० ००८. टे. फोन नं. घर: ३०७ ६८ ७० कमलभाई विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री श्रेष्ठीवर्य मूलचन्द गुलाबचन्द मेहता परिवार वाले हैं। सातवे माले पर मेहता परिवार के निवास स्थान के उपर के भाग में आया है। जब हम सातवे माले पर लिफ्ट से उतर कर सीढीयो से उपर जायेगे तो हमे मन्दिरजी का दर्शन होगा। यहाँ मूलनायक श्री आदिनाथ प्रभु की आरस की एक प्रतिमाजी तथा पंच धातु की श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान, श्री वासुपूज्य स्वामी, श्री शान्तिनाथ प्रभु की ३ प्रतिमाजी तथा सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ सुशोभित है। श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की प्रतिमाजी २५० वर्ष पुरानी है। परम पूज्य गुरुदेव श्री दौलतसागरजी म. की प्रेरणासे उनके शिष्यो के शुभ कर कमलो से वि.सं. २०५० का माह वद ५ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। सोसायटी की ऑफिस मे पाठशाला चलती है। For Private and Personal Use Only Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर श्री भीडभंजन पार्श्वनाथ भगवान जिनालय नवजीवन सोसायटी के कम्पाउण्ड में लेमींग्टन रोड, डॉ. बाबा साहेब भडकमकर मार्ग, मुंबई सेन्ट्रल, मुंबई-४०० ००८. टे. फोन : ऑ. ३०१ १४ ०६ सुमेरजी-३०८७३ ३७ पुष्पकान्तभाई-३०९११८९, जीतुभाई-३०९ २४ ०४, ३०८७६६२ विशेष :- परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से इस मन्दिर की स्थापना हुई और उनकी शुभ निश्रा में वि.सं. २०३२ का आसौ वद १३ को प्रतिमाजी बिराजमान किये थे । प्रतिमाजी की अंजन शलाका आपकी निश्रामें वि. सं. २०२६ में घाटकोपर - संघाणी ईस्टेट जैन संघमें की गई थी। बाद में आप की प्रेरणा से, परम पूज्य आचार्य विजय नेमि-विज्ञान-कस्तूरसूरि के पट्टधर आ. श्री विजय चंद्रोदय सूरीश्वरजी म. आदि मुनि मण्डल की पावन निश्रा में वि.सं. २०३५ का फागुण सुद ३ गुरुवार ता. १-३-७९ को खूब ठाठमाठ से चल प्रतिष्ठा हुई थी। _ वि.सं. २०५२ का द्वितीय आषाढ सुद ५ रविवार ता. २१-७-९६ के दिन श्री गौतमस्वामी गणधर, श्री पार्श्वयक्ष, श्री सरस्वतीदेवी, श्री मणिभद्र वीर, श्री घंटाकर्ण वीर तथा श्री नाकोडा भैरुजी की प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. श्री विजय अशोकचंद्रसूरीश्वरजी म. तथा आ. श्री विजय सोमचन्द्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा मे हुई थी। यहाँ आरस की ३ प्रतिमाजी में प.पू. युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजयधर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य निश्रामें अंजनशलाका की हुई और चेम्बूर तीर्थ से लाई गई ३-प्रतिमाजी मूलनायक श्री भीडभंजन पार्श्वनाथ भगवान तथा आजु बाजू में श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री मल्लिनाथ स्वामी, पंच धातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - २ तथा पद्मावती देवी भी बिराजमान हैं। आरस पर बनाये गये पटो में श्री सम्मेत शिखरजी, श्री पावापुरी श्री आबुजी, श्री तारंगाजी, श्री गिरनारजी, श्री शंखेश्वरजी, श्री राणकपुरजी, श्री अष्टापदजी के तीर्थो के अलावा नागेश्वर पार्श्वनाथ का चित्र एवं अनेक ऐतिहासिक द्दश्यो से पुरी दिवार सुशोभित हैं। श्री नवजीवन जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ संचालित यहाँ शा. सुखराज डायाचन्दजी भीमाणी भीनमाल - एक नूतन उपाश्रय बना हैं। पूज्य साधु भगवंतो के लिये उपाश्रय बिल्डींग नं. १७ में पहले माले पर आया हैं। पूज्य साध्वीजी म. के लिये उपाश्रय मन्दिरजी के नजदीक नं. बी में पहले माले पर हैं। जैन पाठशाला तथा ओलीयो के दिनो में आयंबिल तप की आराधना होती हैं। यहाँ श्री भीड भंजन पार्श्व महिला मण्डल की व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४० मुंबई के जैन मन्दिर (६७) श्री नमिनाथ भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय बिल्डींग नं. ३१, कामाठीपुरा ८ वी गली, मुंबई-४०० ००८. टे. फोन : ३०८ ७९१३ ओ. ३७१ ९९ ७४, ३४२ ०० २७ सोहनजी वाणी गोता विशेष :- सर्व प्रथम राजस्थान भीनमालवासी भाईयो ने मिलकर कामाठीपुरा जैन संघ की स्थापना की थी। जैन भिक्षु रंगविजयजी म. की शुभ प्रेरणा से व निश्रा में वि.सं. २०२१ माह सुद ७ को मूलनायक श्री नमिनाथ भगवान की स्थापना हुई थी। उस समय से यहाँ के संघ में उपासरा, जैन पाठशाला तथा वर्धमान तप आयंबील की व्यवस्था हैं जो आज दिन तक नियमित चल रहे हैं। जिनालय की बिल्डींग का पुन: नूतन निर्माण होता गया तथा एक भव्य शिखर बंदी जिनालय की रचना हुई । जिनालय की सुन्दरता में कांच की कारीगरी के द्दश्य का विशेष महत्व पूर्ण स्थान हैं। ___ चार मंजिल के भवन में ग्राउण्ड फ्लोर पर आयंबिल शाला प्रथम-द्वितीय माले पर जिनालय और चौथे माले पर उपाश्रय हॉल हैं। श्री नमिनाथ जैन मंदिर ट्रस्ट मण्डल एवं श्री राजस्थान जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ की तरफसे मन्दिरजी की नूतन प्रतिष्ठा आचार्यदेव राजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज के समुदाय के श्रीमद् विद्याचंद्रसूरीश्वरजी म. के पट्टप्रभावक आ. देव श्रीमद् हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म. तथा विमल गच्छ के पू. पन्यास प्रवर श्री प्रद्युम्नविमलजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा में अंजनशलाका वि. सं. २०५२ का माह सुद १२ गुरुवार ता. १-२-९६ तथा प्रतिष्ठा वि. सं. २०५२ का माह सुद १३ शुक्रवार ता. २-२-९६ को ८ दिन के भव्य महोत्सव के साथ सम्पन्न हुई थी। यहाँ के जिनालय में मूलनायक सहित आरस की ५ प्रतिमाजी, पंचधातुकी प्रतिमाजी - सिद्ध चक्रजी - अष्टमंगल ५० के करीब हैं। वि. सं. २०४७ का आषाढ वद ६ गुरुवार को मुनिराज श्री लक्ष्मणविजय म. की निश्रा में प्रतिष्ठा की हुई राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. की प्रतिमाजी, गुरुगौतम स्वामी, श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री नाकोडा भैरूजी की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। यहाँ श्री राजेन्द्र मण्डळ लोकप्रिय हैं। (महालक्ष्मी - सात रास्ता (६८) श्री अरनाथ भगवान गृह मन्दिर १२/८ पहला माला, शान्ति नगर, साने गुरुजी रोड - आर्थर रोड, कस्तूरबा हॉस्पिटल के सामने, मुंबई - ४०० ०११. टे. फोन : ३०९ ६९ ३२ - प्रेमजीभाई, ३०८ ३२ १६ - जेठालालभाई विशेष :- श्री शान्तिनगर अचलगच्छ जैन संघ की तरफसे इस गृहमंदिर की स्थापना वि. संवत २०५३ का श्रावण वद ५ शुक्रवार ता. २२-८-९७ को हुई थी। विधिकार श्री नरेन्द्रभाई नन्दुने चल प्रतिष्ठा विधि कराई थी। For Private and Personal Use Only Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर इस गृह मन्दिर में पाषाण की श्री अरनाथ भगवान की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ तथा अष्टमंगल - १ शोभायमान हैं। उपर पहले माले पर मन्दिर तथा नीचे उपासरा हैं । जैन पाठशाला भी चालू हैं । (६९) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री कुन्थुनाथ भगवान गृह मन्दिर रसुल बिल्डींग, तीसरा माला, केशवराव खाड्ये मार्ग, सात रस्ता, संत घाडगे महाराज चौक, जेकब सर्कल मुंबई - ४०० ०११. टे. फोन : ३०९०६ ६३ बाबुलालजी - ३०९०६ ९१, धर्मचंदजी ३०८ ३८ ४१ मूलचंदजी विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्री सात रास्ता जैन संघ हैं । प. पू. आ. भ. श्री मोहन- प्रताप - धर्मसूरीश्वरजी म. के आदेशसे शिष्यरत्न साहित्य कला प्रेमी मुनिराज श्री यशोविजयजी म. के शिष्य पू. मुनिराज श्री जयानन्दविजयजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०१६ वीर संवत २४८६ का जेठ वद ७ को मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा हुई थी । ४१ इस मन्दिरजी में आरस के तीन प्रतिमाजी मूलनायक श्री कुन्थुनाथजी तथा आजू बाजू में सीमन्धर स्वामी और मुनिसुव्रत स्वामी है। पंच धातु के ८ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ४, अष्टमंगल - १ के अलावा चारो तरफ दिवारो पर कांच के सुन्दर कलात्मक तीर्थो दृश्य एवं ऐतिहासिक दृश्य शोभायमान है । उपासरा, पाठशाला तथा श्री मरुधर सेवा संघ हॉल जेकब सर्कल में नाज बेकरी के उपर हैं । ( ७० ) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर गिरिविहार दर्शन, मुसा किलेदार गली, ग्राऊण्ड फ्लोर, केशवराव खाड्ये मार्ग, सात रस्ता, संत घाडगे महाराज चौक, मुंबई - ४०००११. टे. फोन : चंपालालजी - ३०८६२३८, नंदलालजी - ३०८२३७१ विशेष :- श्री गिरिविहार दर्शन सोसायटी जैन संघ इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक है | परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के पट्टधर आचार्य भगवत विजय जयघोषसूरीश्वरजी म. तथा आचार्य श्री हेमचंद्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०५० का कार्तिक वद १० बुधवार ता. ८-१२-९३ को चल प्रतिष्ठा हुई थी । इस गृह मन्दिरजी के प्रेरणादाता आ. विजय हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. थे । For Private and Personal Use Only - यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर भगवान पार्श्वनाथ तथा आजूबाजू श्री आदिनाथ प्रभु तथा श्री महावीर प्रभु की आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ के अलावा श्री मणिभद्रवीर, श्री नाकोडा भैरुजी तथा पार्श्वयक्ष एवं पद्मावती देवी भी बिराजमान हैं । Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर कीकाभाई बिल्डींग, पहला माला, (मोर लेण्ड रोड), मोहम्मद शहीद मार्ग, आग्रीपाडा, मुंबई - ४०० ०११. टे. फोन : ३०७ २२ ६१ - हिमतमलजी, ३०९ १३ ९७ उमेदमलजी विशेष :- परम पूज्य युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजयधर्मसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा से परम पूज्य आचार्य भगवंत विजय चंद्रोदयसूरीश्वरजी म. की निश्रा में जोगेश्वरी पारसनगर के महावीर स्वामी जिनालय में वि.सं.२०३५ का जेठ सुद २ को अंजनशलाका की हुई प्रतिमाजी यहाँ बिराजमान हैं। स्वर्गीय शा. छोगमलजी रतनचन्दजी भूताजी की ओर से खात मुहूर्त तथा भाग्यवंती केसरीमलजी रुपचन्दजी संघवी द्वारा छत्री का उद्घाटन हुआ था। मन्दिरजी में मूलनायकजी श्री वासुपूज्य स्वामी श्यामरंग के तथा श्री शंखेश्वर प्रभु व श्री अंतरिक्ष पार्श्वनाथ प्रभु श्वेत आरस के ३ प्रतिमाजी, पंच धातु के ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। रंग रंगीले कांच के टूकडो द्वारा दिवार व छत की सुन्दरता में चार चाँद लगा दिये हैं। लोअर परेल (पश्चिम) वरली विभाग (७२) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर सनमील गली, सीताराम जाधव मार्ग, १२९ जैन भवन, पहला माला, लोअर परेल स्टेशन (प.) वरली, मुंबई - ४०० ०१३. टे. फोन : वेलजीभाई - ४९२ ६० ९०, फतेहचंदजी - ४९२ ४९५५ विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री मोहन - प्रताप - धर्मसूरीश्वरजी म. के शिष्य पू. मुनिराज श्री यशोविजयजी म. एवं उनके शिष्य पू. मुनिराज श्री जयानन्दविजयजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०२५ का जेठ वद १० सोमवार को ता. ९-६-७८ को चेम्बुर तीर्थ से लाई हुई श्री शांतिनाथजी आदि प्रतिमाजी की चल प्रतिष्ठा हुई थी। इसके बाद देव देवीयो की प्रतिष्ठा वि.सं. २०४१ का जेठ वद १२ ता. १३-६-८५ गुरुवार को आचार्य श्री विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय कनकरत्नसूरीश्वरजी म. आ. श्री विजयमहानन्दसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की शुभ निश्रा में हुई थी। यहाँ आरसकी ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ४, अष्टमंगल - १ के अलावा श्री घंटाकर्ण वीर, श्री पद्मावती देवी, श्री गरुड यक्ष, श्री निर्वाणी देवी, पावापुरी शोकेस तथा दिवार पर श्री शत्रुजय तीर्थ, श्री सम्मेतशिखरजी एवं श्री गिरनारजी तीर्थ दर्शनीय है। यहाँ श्री उपासरा, श्री शांतिनाथजी जैन पाठशाला, श्री शांतिनाथ महिला मंडल, श्री लोअर परेल युवक मण्डल भक्तिभाव की प्रवृति में सक्रिय हैं। प्रति शनिवार को जिनालय में भक्ति भावना का ठाठ रहता हैं। For Private and Personal Use Only Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ४३ (७३) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर विनय एपार्टमेन्ट, चौथा माला, गणपतराव कदम मार्ग, फरर्युसन रोड, वरली, लोअर परेल, मुंबई - ४०००१३. टे. फोन : मूलचन्दजी - ४९२ २६ ३६, उत्तमजी - ४९२ ११ २२ विशेष :- परम पूज्य युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. के मार्गदर्शन और प्रेरणा से श्री मरुधरीय जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ की ओर से सर्व प्रथम श्री शांतिनाथ प्रभु आदि पंच धातु के प्रतिमाजी की स्थापना श्री राम मील गली में वि. सं. २०२१ का वैशाख सुद ३ को हुई थी। बाद में विनय एपार्टमेन्ट के चौथे माले पर एक ब्लोक में गृहमंदिर की सर्व प्रथम स्थापना वि. सं. २०३७ का जेठ वद ५ को परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में हुई थी। _ विनय एपार्टमेन्ट की पहली मंजिल पर विशाल होल का निर्माण श्री संघने कराया था, जिसका नामकरण का आदेश प. पू. आ. भ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. की पुण्य निश्रा में शा. चंदुलालजी पुनमचंदजी बेडावालो ने वि.सं. २०३६ में लिया तथा २०३७ का जेठ वद ५ सोमवार ता. २२-६-८१ को शा. अमीचन्दजी कस्तूरचन्दजी बिरावत (वाली) वालो ने उद्घाटन का लाभ लिया। बाद में परम पूज्य आ. भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. के. परिवार के प. पू. आ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. एवं परम पूज्य आ. विजय रामसूरीश्वरजी म. डेहला वाले के शुभ आशीर्वाद व प्रेरणा से शा. सेसमलजी लकमाजी साकरीया साण्डेराव वालो की स्मृति में श्रीमती मंछीबाई जसराजजी सांडेराव वालो ने यह मंदिरजी का ब्लोक श्री मरुधरीय जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ को वि. सं. २०४२ का श्रावण सुदी ५ रविवार ता. १०-८-८६ को अर्पण किया। __ परम पूज्य मोहन - प्रताप - धर्मसूरीश्वरजी समुदाय के प. पू. आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५२ का जेठ सुद १२ तारीख ३०-५-९६ को प्रतिष्ठा महोत्सव बडी धामधूम से हुआ था। यहाँ मूलनायक श्री शांतिनाथ, श्री जीरावला पार्श्वनाथ, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान आदि पाषाण की ५ प्रतिमाजी, पंच धातु की ७ प्रतिमाजी सिध्दचक्रजी - ३, अष्टमंगल - १, विशस्थानक१ तथा शत्रुजय पट के अलावा, श्री मणिभद्रवीर, श्री नाकोडा मैरुजी, श्री चक्रेश्वरी देवी, श्री निर्वाणीदेवी भी बिराजमान है। श्री आत्म वल्लभ जैन सेवा मंडल की ओर से श्री शांतिनाथजी पाठशाला का संचालन हो रहा है । इस पाठशाला से धार्मिक शिक्षण प्राप्त कर चार बालिकाओने जैन दीक्षा ग्रहण की थी। दिवालीबेन भबुतमलजी पू. साध्वीजी दिव्यप्रभाश्री म., संगीताबेन जीवराजजी पू. साध्वीजी श्री कल्परसाश्रीजी म., सरोजबेन जसराजजी पू. साध्वीजी दिव्यज्योतिश्रीजी म., सरोजबेन सुकनराजजी पू. साध्वीजी सुनयपूर्णाश्रीजी म. जिनकी हम अनुमोदना किये बिना न रह सकते। For Private and Personal Use Only Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ४४ www.kobatirth.org (७४) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भगवान श्री शान्तिनाथ चौक गणपतराय कदम मार्ग, दैनिक शिवनेर मार्ग एवं शिवराम एस. अमृतवार मार्ग ये तीन रोड के मध्य भाग को भगवान की शान्तिनाथ चौक का नामकरण चन्दुलाल पुनमचन्द बेडावाला के सौजन्य पूज्य आ. विजय इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में महाराष्ट्र विधान सभा के अध्यक्ष श्री दत्ताजी नलावडे के कर कमलो द्वारा ता. ४-२-९६ को हुआ था । मुंबई के जैन मन्दिर श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर वरली बी. डी. डी. चा. नं. १०७ के सामने, शिवराम एस. अमृतवार मार्ग, श्री राममील गली, वरली - मुंबई ४०००१३ टे. फोन : ४९२६४४७ हस्तीमलजी ४९२०५ ९७ रोशनजी विशेष :- सर्व प्रथम यहाँ प. पू. युग दिवाकर आ. भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से उनके शिष्य पू. मुनिराज श्री कुमुदविजयजी म. पू. मुनिराज श्री पूर्णानन्दविजयजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०२१ का वैशाख सुद ३ अक्षय तृतीया के शुभ दिन भगवान की स्थापना हुई थी । श्री शान्तिनाथजी जैन मन्दिरजी के आसपास बी. डी. डी. चाल, शिवराम एस अमृतवार मार्ग, नेहरू नगर, आंबेडकर नगर आदि मूर्तिपूजक जैन समुदाय ने मिलकर नूतन जैन संघ की स्थापना की जिसका नामकरण वि. सं. २०५२ का जेठ सुद ६ ता. २३-५-९६ को श्री शांतिनाथ जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ वरली, मुं. १३ हुआ था। संघ के नामकरण कर्ता श्रेष्ठिवर्य श्री भबुतमलजी पुनमचन्दजी बांकलीवाला थे । छोटे जैन भवन का भूमिपूजन :- परम आ. विजय इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में छोटे जैन भवन का भूमिपूजन शा. चम्पालालजी जुहारमलजी साकरीया परिवार की ओर से ता. २४-७-९६ को हुआ था । जैन भवन का भूमि पूजन एवं शिलारोपण:- परम पूज्य आ. विजय इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में बडे जैन भवन का भूमि पूजन एवं शिलारोपण तखतगढ निवासी स्व. श्रीमती भीकीबाई भबुतमलजी रुपाजी गोल गोता परिवार की तरफ से वि. सं. २०५२ का श्रावण वद १ को ता. २९-८-९६ गुरुवार को हुआ था । For Private and Personal Use Only श्री आत्मवल्लभ समुद्रसूरि के क्रमिक पट्टधर आचार्यदेव श्री विजय इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी आदि मुनिमण्डल परिवार की पावन निश्रा में वि. सं. २०५३ का मगसर सुद ४ शनिवार ता. १४-१२-९६ को प्रतिष्ठा हुई थी। जिसमे मार्गदर्शक पूज्य राजेन्द्रविजयजी म. थे । यहाँ मूलनायक श्री शान्तिनाथ प्रभु की प्रतिमाजी सहित पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, मूलनायक के आजूबाजू मे श्री धर्मनाथ भगवान एवं श्री मुनिसुव्रत स्वामी २ पाषाण की प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल १ के अलावा श्री नाकोडा भैरुजी, श्री चक्रेश्वरी देवी, श्री गौतम स्वामी तथा श्री वल्लभसूरीश्वरजी म. की प्रतिमाजी भी बिराजमान है । I Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर - यहाँ श्री आत्म वल्लभ जैन संगीत सेवा मंडल, श्री शांतिनाथ जैन महिला मण्डल, श्री शान्तिनाथ जैन पाठशाला एवं छोटा जैन भवन एवं बड़ा जैन भवन ये दो उपासरे की व्यवस्था है। (७५) श्री संभवनाथ भगवान गृह मन्दिर बी -८५ पंकज मेन्शन, ग्राउण्ड फ्लोर, बुद्ध मंदिर के पीछे, डॉ. एनी बेशन्ट रोड, वरली नाका, मुंबई नं.-१८. (टे. फोन : ओ. ४९५ ३४ ५८ पुखराजजी - ४९३ २४ ९६ ) विशेष :- इस मंदिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ वरली है। प्रात:स्मरणीय पूज्य आत्म-वल्लभ के पधर गच्छाधिपति आ. विजय समुद्रसूरीश्वरजी आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा मे वि. सं. २०२७ का माह सुद ६ सोमवार को भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव मनाया गया। इस शुभ अवसर पर पन्यासजी श्री इन्द्रविजयजी म. को आचार्य पदवी, आगम प्रभाकर पू. मुनिराज श्री पुण्यविजयजी, प. पू. मुनिराज श्री वल्लभदत्त विजयजी म. आदि मुनिभगवंतो का भी योग्य पदवी समारोह एवं दीक्षा महोत्सव का भव्य कार्यक्रम हुआ था। इस जिनालय में अमीझरणा भी हो चूका है । यहाँ आरस की ६ प्रतिमाजी, पंच धातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ५, अष्टमंगल १ तथा मूलगंभारे के बाहर की ओर रंगमंडप मे श्री नाकोडा भैरुजी व चक्रेश्वरीदेवी बिराजमान है। सारा मंदिर अनेक तीर्थो के द्दश्य एवं अनेक ऐतिहासिक दृश्यो से भरा पडा है बस दर्शन करते ही जाओ आपकी नजर नही हटने वाली। यहाँ उपासरा, जैन पाठशाला, श्री वरली जैन संगीत मंडल , श्री संभवनाथ जैन महिला मंडल एवं श्री संभवनाथ जैन बालिका मंडल की व्यवस्था है। श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर पूनम एपार्टमेन्ट कम्पाउण्ड में, पुनम चेम्बर के पीछे बाजू में, ____ डॉ. अनी बेझन्ट रोड, वरली मुंबई - ४०० ०१८. टे. फोन : हसमुखभाई - ४९४ ५३ ३५, ४९७ ३९ ७१ (बी ५०२), शिवलालजी - ४९४ ५३ ५५, ४९४ ०९५५ (बी ५०५), फतेहचन्दजी - ४९४ ५० १०, ४९४ ८५ ६८ (ए २०८) विशेष :- श्री पुनम श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मंन्दिर की स्थापना सर्व प्रथम प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय म. धर्मसूरीश्वरजी महाराज से शुभ मुहूर्त निकालकर उनकी प्रेरणा व आशीर्वाद से वि. सं. २०३४ का वैशाख सुद ३ (अक्षय तृतीया) के शुभ दिन हुई थी। उसके बाद पुन:चल प्रतिष्ठा आ. भगवन्त विजय चंद्रोदयसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में विक्रम सं. २०३९ का मगसर सुद १४ तारीख २९-१२८.२ बुधवार को हुइ थी। For Private and Personal Use Only Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर यहाँ मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान एवं श्री चन्द्रप्रभ स्वामी भगवान की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु के २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २ एवं अष्टमंगल - १ के अलावा रंगीन कांच की डिझाईनो में २४ तीर्थंकरो के चित्र, श्री सम्मेत शिखरजी, श्री शत्रुजय तीर्थ, श्री गिरनारजी, श्री अष्टापदजी एवं पावापुरी तीर्थ सुशोभित है। बाजू में आराधना भवन है। लोअर परेल (पूर्व) ना. म. जोशी मार्ग (७७) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर श्री शान्तिनाथ आराधना भवन, दूसरा माला, तोडी कम्पाउन्ड, __ ना. म. जोशी मार्ग, डिलाईल रोड, मुंबई - ४०० ०११. टे. फोन : ३०८ ४२ ५५ सागरमलजी, ३०८ ५४ ७१ फुलजी विशेष :- इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री जैन श्वेताम्बर तपागच्छ मूर्तिपूजक संघ - डिलाईल रोड है। सर्व प्रथम प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा से वि. सं. २०३२ का श्रावण सुद ७ ता. २-८-७६ को भगवान की स्थापना हुई थी। पुनः प्रतिष्ठा परम पूज्य लब्धि - लक्ष्मण के शिशु युगप्रभाकर शतावधानी आ. विजय कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४२ का जेठ सुद ६ ता. १३-३८६ शुक्रवार को हुई थी। यहाँ आरस की ६ प्रतिमाजी, पंच धातु की ८ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, विश स्थानक - १, अष्टमंगल - १, मूलनायक श्री शान्तिनाथ प्रभु तथा आजू बाजू में की प्रतिमाजी श्री आदिनाथ प्रभु एवं श्री महावीर प्रभु सुशोभित है । मन्दिरजी की दिवार व छत कांच की कलात्मक डिजाइनो से खुब ही आकर्षित लग रहे है। कांच की ही कारीगरी से बनाये पद्मावतीदेवी, चक्रेश्वरीदेवी, श्री भैरूजी, श्री शत्रुजय, श्री गिरनारजी, श्री सम्मेतशिखर तीर्थ व गुरु गौतम व श्री शंखेश्वर तीर्थ के फोटो भी है। यहाँ श्री नाकोडा भैरव भक्ति मण्डल व युवक मण्डल, श्री आराधना भवन महिला मण्डल, उपासरा, जैन पाठशाला व ओलीयो के दिनो में आयंबिल की व्यवस्था है। (७८) एलफिन्स्ट न रोड (वेस्ट) श्री पार्श्वनाथ भगवान गृहमन्दिर एलफिस्टन रोड रेल्वे स्टेशन के सामने, जैन बोर्डिंग पहला माला, एलफिन्स्टन रोड, मुंबई - ४००० ०१३. टे. फोन : ४२२५३ १५ ऑफिस For Private and Personal Use Only Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ४७ विशेष :- इस गृहमन्दिरजी की आद्य प्रतिष्ठा प्राय: परम पूज्य श्री मोहनलालजी म. की पावन निश्रा में मगसर सुद ३ को हुई थी और पुन: प्रतिष्ठा प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. की पुण्य निश्रामें प्राय: वि. सं. २०१८ में हुई है। जिसके निर्माता सेठ गोकुलदासभाई मूलचंद थे। वर्तमान व्यवस्थापक श्रीमानजी सेठ श्री रमेश ए. पारेख है । यहाँ जैन बोर्डीग है जहाँ विद्यार्थीओ के रहने की उत्तम व्यवस्था है। इस गृहमन्दिर में आरस की ३ प्रतिमानी, पंचधातु की ८ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी -३, अष्टमंगल - १ बिराजमान है। यहाँ दिवारो पर शत्रुजय तीर्थ, सम्मेत शिखरजी, अष्टापदजी,श्री पावापुरी, श्री शंखेश्वर, श्री राजगीरी, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ तथा भैरुजी का फोटू भी सुशोभित हैं। यहाँ के विभाग में आगा बिल्डींग में श्री अचलगच्छ जैन पाठशाला, महावीर होल में जैन पाठशाला, श्री जैन संस्कार मण्डल, श्री जिनगुण नरेन्द्र चारु समुह सामायिक मण्डल, श्री पार्श्व जैन मित्र मण्डल, श्री पार्श्वजैन आराधक मण्डल की व्यवस्था हैं। (७९) श्री महावीरस्वामी भगवान शिखरबद्ध जिनालय प्लोट नं. सी. एस. ८८२, जगन्नाथ भातनकर मार्ग, एलफिन्स्टन - सेनापति बापट मार्ग के जंकशन पर, हनुमान मंदिर के पास, एलफिन्स्टन मुंबई - ४०० ०१३. टे. फोन : ओ. ३०९८९ २९, ३०९ ४३ ७०, घर - ४१३ ५९ ०९, ४१३ ७४ १९. विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री दर्शन सागरसूरीश्वरजी म. सा. की कृपा आशिष से परम पूज्य जाप - ध्यान निष्ठ आचार्यदेव श्री चन्द्राननसागरसूरीश्वरजी म. सा. की प्रभावक निश्रा में श्री महावीर स्वामी जिनालय का भूमिपूजन वि. सं. २०५४ का फाल्गुन वदी २, रविवार तारीख १५-३-१९९८ को हुआ था। इस जिनालय के निर्माता श्रीमानजी श्रेष्ठीवर्य संघवी मदनलालजी पुखराजजी मुठलिया एवं सुपुत्र श्री विवेककुमार, श्री अक्षयकुमार आदि परिवार वाले है। आप रानी गाँव (राज.) के निवासी हैं। (८०) एलफिन्स्टन रोड (वरली विभाग) . श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृहमन्दिर ग्लोब एपार्टमेन्ट नं.१०, ग्राउण्ड फ्लोर, दीपक सिनेमा के बाजू की गली, पाण्डुरंग बुधकर मार्ग, मुंबई - १३. टे. फोन : ४९४ ५५ २८ मदनजी For Private and Personal Use Only Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ४८ www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर विशेष :- इस मंदिरजी का निर्माण राजस्थान के लुणावा निवासी श्रीमती अमृतीबेन जुहारमलजी निंब सोलंकी परिवारवालोने कराया है। आचार्य भगवन्त श्री मेरूप्रभसूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा से परम पूज्य मुनिराज श्री रत्नाकरविजयजी म. की पावन निश्रा में, भिवन्डी में अंजनशलाका की हुई प्रतिमाजी की स्थापना वि. सं. २०४४ का आंसौ सुद १३ को हुई थी । (८१) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यहाँ आरस की ३ प्रतिमाजी मूलनायक श्री शंखेश्वर भगवान तथा आजू बाजू में, श्री मुनिसुव्रतस्वामी एवं श्री कुंथुनाथ प्रभु, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ इसके अलावा श्री मणिभद्रवीर, श्री नाकोडा भैरुजी, श्री पार्श्वयक्ष पद्मावती तथा लक्ष्मी भी बिराजमान है। यहाँ दीपक बाजार जैन पाठशाला, श्री संभवनाथ जैन मित्र मंडल, श्री पार्श्वनाथ जैन युवा मण्डल की व्यवस्था है । मन्दिरजी के सामने ही स्व. श्रीमती अमृतीबेन जुहारमलजी नाम से कबुतर खाना 1 भी बनाया गया है । श्री सीमन्धर स्वामी भगवान महामेरु प्रासाद बोम्बे डाईंग मील गेट नं. २ के सामने दीपक टॉकीज के पीछे, पाण्डुरंग बुधकर मार्ग, दुरदर्शन क्रेन्द्र मार्ग, वरली, मुंबई ४०० ०१३. टे. फोन : ओ. ४९७२५८३, ४९७२५८४, ४९६३५१५ - रमेशजी विशेष :- प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. के परम गुरुभक्त राजस्थान के नोवी गांव हाल शिवगंज निवासी स्व. डॉ. चौथमलजी वालचन्दजी की धर्मपत्नी श्री कमलादेवी के आदेश से सुपुत्र श्री रमेशजी, श्री किशोरजी एवं श्री प्रवीणजी के तन मन धन के सहयोग से अपने पिता स्व. चौथमलजी की भावनानुसार वरली क्षेत्र में इस शिखरबृद्ध महा मेरु प्रसाद का निर्माण हुआ है। आप श्री के पिता श्री चौथमलजी ने अपने जीवन के ३० वर्ष इसी क्षेत्र में बिताये थे । आप की प्रबल इच्छा थी की इस क्षेत्र में महा मेरु प्रासाद बनाया जाय, किन्तु ता. १४-१-९० को इस जग को छोडकर भगवान के दरबार मे पधार गये । मातुश्री कमलादेवी और पिता तुल्य सेठ श्री रमणलाल डायालाल शाह जो महेसाणा तीर्थ के ट्रस्टी थे, वे इनके परिवार के मार्गदर्शक रहे थे। अत्यन्त परिश्रम के साथ यहाँ के स्थानिक रहनेवालो के पूर्ण सहयोग और सहकार से मन्दिरजी निर्माण करने की इच्छा से सत्यकी नगर के कम्पाउण्ड में भूमिपूजन ता. १-९२-९३ को शिवगंज निवासी श्रेष्ठीवर्य श्री मानजी शा. शांतिलालजी वरदीचन्दजी के करकमलो द्वारा आचार्य भगवन्त श्री विजय भुवन भानुसूरीश्वरजी म. के. शिष्यरत्न आ. गुरुदेव श्रीमद् राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो, साध्वी और सुश्रावको की निश्रा में हुआ था । भूमि शुद्धि करण के बाद मन्दिर का शिल्यान्यास ता. १६-४-९४ को परम पूज्य गच्छाधिपति आ. श्रीमद् विजय जयघोषसूरीश्वरजी म. सा. आ श्री हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. आदि मुनि गण तथा साध्वीओ के भव्य समुदाय की उपस्थिति में यह समारोह धूमधाम से हुआ । सुप्रसिद्ध शिल्पकार शांतिलाल चुनीलाल सोमपुरा द्वारा तीन वर्षो में इस मंदिर का सुशोभित, अतिसुंदर कलापूर्ण तथा शास्त्रोक्त निर्माण हुआ है ! For Private and Personal Use Only Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ४९ इस जिनालय की अंजन शलाका २०५३ का मार्गशीर्ष सुद २ गुरूवार ता. १२-१२-९६ तथा प्रतिष्ठा सं. २०५३ का मागशीर्ष सुद ३ वार शुक्र ता. १३-१२-९६ को परम पूज्य शासनसम्राट आ. विजय नेमिसूरीश्वरजी म. समुदाय के श्री जिनशासन शासन शणगार प. पूज्य आ. विजय चन्द्रोदय सूरीश्वरजी म. सा. सूरिमंत्र साधक प. पूज्य आचार्य श्री विजय अशोक चंद्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में हुई थी। ____ डॉ. चौथमल वालचन्दजी श्री सीमन्धर स्वामी जैन देरासर ट्रस्ट निर्मित इस जिनालय में मूलनायक श्री सीमन्धर स्वामी की प्रतिमानी ६५” कोली मंडप में श्री महावीर स्वामी ३१", श्री आदीश्वरजी ३१.” तथा रंगमंडप में श्री मल्लिनाथजी ८१” श्री मुनिसुव्रत स्वामी ८१' दोनो काउस्सगीय श्याम वर्णीय प्रतिमाजी है, सहस्रफणा पार्श्वनाथजी फणो के साथ ३९,” श्री महावीर स्वामी ३१,' कुल पाषाणकी ७ प्रतिमाजी; १ छोटी प्रतिमाजी के साथ; पंच धातुकी -९ प्रतिमाजी सिद्धचक्रजी - ३ एवं अष्टमंगल - २, २४ भुजाओवा१ली पद्मावतीदेवी माता ३१”- २० भूजाओवाली सीमन्धर स्वामी की अधिष्ठायिका देवी श्री पंचांगुली ३१' बिराजमान है। यहाँ अलर्ट यंग ग्रुप ऑफ सीमन्धर स्वामी, टीन ऐजर्स ग्रुप, श्री संभवनाथ मंडल तथा श्री सीमंधर स्वामी महिला मंडल भक्ति-भावना में अग्रसर है । प्रभादेवी श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर इराणी चाल, पहला माला, किस्मत सिनेमा के बाजू में प्रभादेवी, मुंबई नं. ४०० ०२५. टे. फोन : ४३० ६९७१ विशेष :- श्री गृहमन्दिर के संस्थापकजी एवं संचालकजी श्रीमानजी श्रेष्ठीवर्य श्री मुणशीभाई, जयसिंगभाई कच्छ वागड निवासी है। परम पूज्य आ. विजय भुवन भानुसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य भगवंत श्री विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. तथा आचार्य भगवन्त श्री विजय हेमचन्द्र सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०४६ का काती वद ५ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। इस गृह मन्दिर में मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी की पंच धातु की एक प्रतिमाजी तथा सिद्धचक्रजी एक शोभायमान है। (दादर श्री कुन्थुनाथ भगवान शिखरबद्ध जिनालय सिल्वर एपार्टमेन्ट कम्पाउण्ड में, शंकर घाणेकर रोड, दादर (प.), मुंबई - ४०० ०२८. टे. फोन : ४३७ ८१ ०४, ४३७ ०४ ०४ रविभाई For Private and Personal Use Only Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवंत अचलगच्छाधिपति श्री गुणसागसूरीश्वरजी म. और शिष्यरत्न आचार्य श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म., मुनिराज श्री महोदयसागरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४४ का जेठ सुद ११ शनिवार ता. २५-६-८८ को प्रतिष्ठा हुई थी। श्री कुंथुनाथ जिनालय चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस जिनालय में मूलनायक श्री कंथुनाथ स्वामी तथा आजुबाजु में श्री आदिनाथ भगवान एवं श्री महावीर स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ५ प्रतिमाजी सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - १ तथा पंच धातु की पद्मावतीदेवी भी शोभायमान है। कम्पाउण्ड में ही उपासरा भी है वहाँ भी श्री मंगलमूर्ति - १ आरस की बिराजमान है। इस जिनालय के निर्माण दाताओ में मुख्य रुप से सिल्वर बिल्डर्स के मालिक श्री रविभाई ठाकरशी संगोई, श्री धनजी घेलाभाई छेडा, श्री दामजी कुंवरजी छेडा, श्री गोविन्दजी शिवजी शाह का विशेष रूप से सहयोग प्राप्त हुआ है। ___ यहाँ श्री कुंथुनाथ महिला मण्डल की व्यवस्था है। (८४) श्री शीतलनाथ भगवान भव्य शिखरबद्ध जिनालय श्री ज्ञानमंदिर रोड, एस. के. बोले मार्ग, मेनरोड, दादर (प.) मुंबई - ४०० ०२८. टे. फोन : ऑफिस - ४२२ ७२ २३ भाईलाल भाई - ४४७ ०१ ७१ विशेष :- श्री आत्म-कमल-लब्धि सूरीश्वरजी जैन ज्ञानमन्दिर और पौषध शाला के ट्रस्ट की स्थापना वि. सं. २००३ का श्रावण वद ५ ता. ५-१-१९४७ को हुई थी। इसका निर्माण श्री आत्म- कमल - लब्धि-सूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. विजय लक्ष्मणसूरीश्वरजी म. साहेब के सद्उपदेश से हुआ था। ___ यह पहले गृह मन्दिर था। किंतु श्री आत्म - कमल लब्धिसूरि जैन ज्ञान मन्दिर के ट्रस्टी साहेब के भरचक प्रयत्नो से एक भव्य गगनचुंबी जिनालय का निर्माण कराया। जिसकी भव्य प्रतिष्ठा वि. सं. २०३३ का मगसर सुद १५ सोमवार ता. ६-१२-७६ को परम पूज्य आचार्य भगवन्त लब्धि सूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. विजय विक्रम सूरीश्वरजी म. प्रशान्तमूर्ति आ. विजय नवीनचंद्र सूरीश्वरजी म. एवं लब्धि - लक्ष्मण शिशु शतावधानी आ. विजय कीर्ति चंद्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में हुई थी। यहाँ आरस के २९ प्रतिमाजी, चांदी के ४, पंच धातु के १६ प्रतिमाजी तथा सिद्धचक्रजी व पावापुरी शोकेस शोभायमान है। रंगमण्डप में गुरु गणधर गौतम स्वामी की प्रतिमाजी व २ पद्मावती देवी की प्रतिमाजी तथा एक तरफ आ. श्री विजयानन्दसूरीश्वरजी, श्री कमलसूरीश्वरजी तथा आ. विजय लब्धिसूरीश्वरजी ये ३ प्रतिमाजी बिराजमान है। मन्दिरजी के बाजू में आ. विजय लक्ष्मणसूरीश्वरजी म. का गुरुमन्दिर हैं, जिसकी प्रतिष्ठा सेठ श्री दानवीर बीपिनभाई झव्हेरी परिवारवालोने वि.सं. २०४१ का मगसर वद ५ को आ. विजय कीर्तिचंद्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में की हैं। For Private and Personal Use Only Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर श्री आदिनाथ सुपार्श्वनाथ एवं पार्श्वनाथ प्रतिमाजी की भी प्रतिष्ठा हुई थी। उसके बाजू में ही आ. विजय कीर्तिचंद्रसूरीश्वरजी म. का गुरुमन्दिर बना हैं । जिसकी प्रतिष्ठा स्व. आचार्य वीरसेनसूरीश्वरजी म., आ. जिनप्रभसूरीश्वरजी, आ. पुण्यानन्दसूरीश्वरजी तथा आ. विजय यशोवर्मसूरीश्वरजी, पन्यास पद्मयशविजयजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०५० का कार्तिक वद १ बुधवार ता. ८-१२-९२ को हुई थी जिसकी प्रतिष्ठा का लाभ चन्द्रकांत मूलचन्द पाटणवालोने लिया था। यहाँ श्री लब्धिसूरि ज्ञान मन्दिर में लायब्रेरी, उपासरा व्याख्यान भवन, श्री वर्धमान तप आयंबिल शाला एवं श्री लक्ष्मणसूरीश्वरजी पाठशाला तथा शीतलनाथ महिला मंडल हैं। प्रथम से ही तन मन धन से सहयोग देनेवाले सेठ श्री दामजी जेठाभाई लोडाया, इन्दोर निवासी श्री मन्नालालजी सरदारमलजी ठाकुरिया परिवार का विशेष सहयोग ट्रस्ट की स्थापना के लिये और आत्म कमल पौषध शाला के लिये मिला हैं। (८५) श्री शान्तिनाथ भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय कबुतरखाना के सामने, भवानी शंकर रोड, दादर (प.), मुंबई - ४०० ०२८. टे. फोन : ओ. ४२२ ९४ २५, मूलचंदजी ४३० ३२ ७४, बाबुलालजी ४१३ ७० ९८ विशेष :- इस भव्य जिनालय के संस्थापक एवं संचालक श्री राजस्थान आगरतड जैन संघ हैं। इसकी स्थापना वि.सं. १९६१ को हुई थी। मन्दिरजी की प्रतिष्ठा वि. सं. १९९४ का वैशाख सुद ६ को हुई थी। यहाँ आरस की कुल १९ प्रतिमाजी, पंच धातु की ३३ प्रतिमाजी सिद्धचक्रजी - ९ चउमुखी प्रतिमाजी पंच धातु का तथा अनेक यंत्रो के साथ प्रतिमाजी परिवार हैं। बाहरी भाग के मारबलकी छत्री में तीन आरस प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा वि.सं. २०२३ का माह सुद १० को परम पूज्य युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पावन निश्रा में हुई थी। इस तीन प्रतिमाजी के देहरी के एक तरफ श्री मणिभद्रवीरजी तथा दूसरी तरफ श्री नाकोडा भैरुजी बिराजमान है। यहाँ साधुजी एवं साध्वीजी महाराजो के लिये उपासरो की व्यवस्था हैं | व्याख्यान भवन, श्री वर्धमान तप आयंबिल शाला तथा दादर वर्धमान जैन पाठशाला की सुन्दर व्यवस्था है। दादर विभाग में श्री शान्तिनाथ महिला मण्डल, श्री आदिनाथ महिला मण्डल, श्री नम्रता महिला मण्डल, श्री शीतलनाथ महिला मंडल, श्री वासुपूज्य महिला मण्डल, श्री कुंथु-गुण महिला मंडल पूजा भावना में अग्रसर हैं । युवा जैन सोशल ग्रुप भी लोकप्रियता के शिखर पर है । दरवाजे में प्रवेश पाते ही ऑफिस के सामने की ओर दो बडे तीर्थो का पट श्री श@जयजी, श्री सम्मेत शिखरजी भी दर्शनीय हैं । यहाँ धर्मशाला की सुन्दर व्यवस्था हैं । बाहरगाँव से आनेजाने वाले यात्रालु भाईयो के लिये आनन्दपूर्वक रहने के साथ साथ पूजा-पाठ भी कर सकते हैं। मुंबई महानगर के मन्दिरो में यही एक मात्र बडा दरवाजे का मन्दिर हैं। इस जिनालय के सामने विशाल कबुतरखाना हैं, जहाँ व्यवस्थापको की ओर से भी दाना डालने की नियमित व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५२ मुंबई के जैन मन्दिर (८६) श्री महावीर स्वामी भगवान गृह मन्दिर पालन सोजपार बिल्डींग, पहला माला, ए. बिल्डींग, दादर ज्ञान मन्दिर रोड के बाजूमें, एस. के. बोले मार्ग, दादर (प.), मुंबई - ४०० ०२८. टे. फोन : (ओ.) ४३१ ४३ ८२, श्रीपतभाई - ४२२ ४६५० विशेष :- इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री आराधना भवन जैन संघ हैं । दामजी पदमजी शाह स्थापित इस गृह मन्दिर में मूलनायक आरस की एक प्रतिमाजी, पंच धातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ तथा दिवार पर श्री शत्रुजय, श्री सम्मेतशिखर, श्री गिरनार, शत्रुजय, मूलनायक श्री आदिनाथ, श्री गौतमस्वामी, वीर देशना आदि कांच पर बनाये तीर्थ व परमात्मा सुशोभित हैं। इस गृह मन्दिरजी की स्थापना वि.सं. २०५१ का माह वद ४ को परम पूज्य आ. विजय भुवन भानुसूरीश्वरजी म. समुदाय के आ.भगवंत श्री विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. पन्यासजी श्री चंद्रशेखरविजयजी म. की पावन निश्रा में हुई थी। पालन सोजपार बिल्डींग के ही दूसरे माले पर दामजी पदमशी जैन पाठशाला - श्री आराधना भवन जैन संघ संचालित चल रही है। इस पाठशाला से शिक्षण ग्रहण कर ५० से अधिक विद्यार्थीयोने संयम मार्ग अपनाया है। श्री दादर आराधना भवन जैन पौषध शाला ट्रस्ट, आराधना भवन, २८९ एस.के बोले रोड, दादर (प.), मुंबई - ४०० ०२८. टे. फोन : ओ. ४३१ ४३ ८२, श्रीपतभाई ४२२ ४६ ५०, कांतिभाई ४२२ ८१ ३६ विशेष :- श्री बाबुलाल भगवानजी मेहता एवं सहकार्यकरोने अपना बहमूल्य समय का भोग देकर इस संघ तथा ट्रस्ट की स्थापना वि.सं. १९४० मे की थी। वर्तमान ट्रस्टीओमें श्री श्रीपतलाल सुरचन्द बंगडीवाला वगैरह श्री आराधना भवन जैन उपाश्रय का सुंदर संचालन कर रहे हैं, उपाश्रय छोटा है, किन्तु नाम जैसा गुणवाला है। आराधना करनेवाले श्री संघ के आराधक उत्साही है। यहाँ महीने में पाँच तीथि पौषध करनेवाले आराधको की आराधना अच्छी संख्या में होती हैं। पूज्य पन्यासजी श्री चंद्रशेखरविजयजी म. के उपदेश से स्थापित श्री वर्धमान संस्कृति धाम के युवक समूह सामायिक करते हैं। प्रति रविवार को बालको की शिबिर चलाते हैं उसमें बालको की हाजरी अच्छी होती हैं। दूसरी भी अनुकंपादि अनेक कार्यवाही श्री भरतभाई लालभाई वगेरेह के प्रयत्नो से चलती हैं। (८७) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर दत्तनिवास दूसरा माला, जैन क्लिनिक स्थानक के सामने, ज्ञान मंदिर रोड, एस. के. बोले मार्ग, दादर (प.), मुंबई - ४०० ०२८. टे. फोन : ४२२ ४१ ४५ विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक व संचालक सेठ श्री जयेन्द्रभाई कान्तिलाल शाह हैं। For Private and Personal Use Only Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ५३ इस गृह मन्दिरजी में पंच धातु के मूलनायक श्री शांतिनाथ भगवान की एक प्रतिमाजी - १, सिद्धचक्रजी - २ व पंचधातु की श्री पद्मावती देवी भी बिराजमान हैं। जिसकी चल प्रतिष्ठा पन्यासजी श्री चंद्रशेखर विजयजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०४४ का वैशाख सुद ३ अक्षय तृतीया के दिन हुई थी। (८८) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर पालन सोजपार बिल्डींग, बी विंग, पहला माला, रुम नं. ३१, एस. के. बोले मार्ग, दादर (प.), मुंबई - ४०० ०२८. टे. फोन : ४२२ ८१ ३६ विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापकजी एवं संचालकजी श्रीमान श्रेष्ठीवर्य श्री कांतिभाई घेलाभाई है। परम पूज्य आ. श्री विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. के शिष्य आचार्य विजय हिमांशुसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा मे वि. संवत २०४० का चैत्र सुद ६ शनिवार को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ १८ अभिषेक किये हुए आरस के २ प्रतिमाजी है तथा पंच धातु के २ प्रतिमाजी एवं सिद्ध चक्रजी बिराजमान है। (८९) श्री सहस्रफणा पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर शान्ता श्याम को. ओ. सोसायटी, दूसरा माला ब्लोक नं. ९, दादर (प.) मुंबई - ४०० ०२८ टे. फोन : ४२२५१ २८ विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री विजय भुवन भानुसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से आ. भ. श्री जयघोषसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४९ मई १९९३ को तलेगाम में अंजन शलाका की हुई प्रतिमाजी को ता. १०-१२-९३ को बिराजमान की गयी है। यहाँ मूलनायक श्री सहस्रफणा पार्श्वनाथ प्रभु की पंच धातु की १ प्रतिमाजी तथा १ सिद्धचक्रजी बिराजमान है। दो दवाखाना चलाते हुए भी डॉ के. रांभीया के दिल में देव गुरु धर्म के प्रति विशाल प्रेमभाव हैं। इसीलिये आपने अपने निवास स्थान पर इस गृह मन्दिर की स्थापना की है। For Private and Personal Use Only Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५४ मुंबई के जेन मन्दिर (९०) श्री शीतलनाथ भगवान गृह मन्दिर भवानी कॉम्पलेक्ष ४०३ ए बिल्डिंग चौथा माला, भवानी शंकर रोड, दादर (प.), मुंबई - ४०० ०२८. टे. फोन : ४३० ०२ ४२ विशेष :- इस मन्दिरजी के संस्थापक व संचालकसेठ श्री रतनजी सुरजी देढिया है। परम पूज्य भुवन भानुसूरीश्वरजी म. के समुदायके आचार्य विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा मे वि. संवत २०४६ का जेठ वद २ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। आपका स्वभाव मिलनसार एवं समाज सेवा से ओतप्रोत है। आपको पारितोषिक के रूप में चान्दी के सिद्धचक्रजी यन्त्र तथा अभिनन्दन पत्र भी मिल चूके है । सिद्धगिरि पर हुई नवाणू यात्रा पर की गयी सेवा मे उपलक्ष्य मे मिले थे। माटुंगा (पश्चिम) (९१) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर १ जागृति, १४१ सेनापति बापट मार्ग, रूपारेल कॉलेज के बाजू में, माटुंगा (प.) मुंबई - ४०० ०१६. टे. फोन : ४३०६२९८ - फुलजी विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री माटुंगा रोड श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ हैं। सर्व प्रथम इस गृह मन्दिरजी की स्थापना वि. सं. २०२२ का वैशाख सुद ५ को मेहमान के रुप में प्रतिमाजी बिराजमान कर के की गयी हैं। परम पूज्य युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०३२ का फागुण सुद १० को भव्य धाम धुम से प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ चेम्बुर तीर्थ से प्राप्त अंजनशलाका की हुई आरस की तीन प्रतिमाजी, पंच धातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी २ अष्टमंगल की १ सुशोभित है तथा दिवारो पर बने श्री गिरनारजी, श्री शत्रुजय, श्री सम्मेतशिखरजी श्री पावापुरी तीर्थो के अलावा श्री सीमन्धर प्रभु, श्री शंखेश्वर प्रभु तथा गुरु गौतम व २४ तीर्थंकर प्रभु के कांच के बनाये सुन्दर फोटो भी दर्शनीय हैं। यहाँ श्री गौतमलाल मणिलाल घडीयाली जैन पाठशाला, सुलसा सामायिक मण्डल, श्री वासु पूज्य महिला मंडल व उपासरा की व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर (९२) श्री जीरावला पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर ___४४-बी, जैन भवन, ग्राउण्ड फ्लोर, भगतलेन कोर्नर, मनोरमा नगरकर मार्ग, माटुंगा (पश्चिम) मुंबई - ४०० ०१६. टे. फोन : (ओ.) ४३१ ३००० विशेष :- वि. सं. २०४० में सम्मेत शिखर महायात्रा एवं वि. सं. २०४१ में शत्रुजय महायात्रा के प्रेरक अंचलगच्छाधिपति स्व. आचार्य श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के परम भक्त श्रेष्ठिवर्य श्री पेथराज आनन्द लाधा नागडा गाम - चेला हाल (जामनगर) वाला ने इस गृह जिनालय के लिये भूमि का दान किया हैं। वि. सं. २०४५ के वैशाख सुदि १० को आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के शिष्य रत्न परम पूज्य आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में मूलनायक श्री जीरावला पार्श्वनाथ तथा आजुबाजू में श्री वासुपूज्य स्वामी, श्री पद्मप्रभ स्वामी तथा श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ एक तरफ देहरी में प्रतिष्ठित-गादी नशीन किये गये थे। यहाँ आरस की ४ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, समवसरण पर चऊमुखी प्रतिमाजी, वीसस्थानक - १, अष्टमंगल - १ तथा पंचधातु की पद्मावती देवी बिराजमान हैं। यहाँ अनन्तगुण सामायिक मण्डल (फो.: ४३७ ७५ ०४), श्री पार्श्वगुण महिला मण्डल (फो.: ४४६ १५ ६४) एवं श्री जीरावला पार्श्वनाथ जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। माहिम (पश्चिम) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर नवरोजी बिल्डींग, ग्राउण्ड फ्लोर, एल. जे. रोड, (लेडी जमशेदजी रोड), माहिम, मुंबई - ४०० ०१६. टे. फोन : ४४६ ७२ ८२, ४४५ ६९ ०७ - मदनजी विशेष :- श्री आत्म - कमल - लब्धि सूरीश्वरजी समुदाय के परम पूज्य आ. श्री विक्रमसूरीश्वरजी म. के शिष्य परम पूज्य नयभद्रविजयजी म. की पावन निश्रा में स्व. शा. मुलतानमलजी धनरूपजी राठौड राणीगाँव (राज.) निवासी की पुण्य स्मृति में वि. सं. २०४४ का वैशाख सुदि १ के शुभ दिन इस जिनालय में प्रभुजी का प्रवेश कराया हैं। यहाँ मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी की आरस की एक प्रतिमाजी, पंचधातु की श्री शांतिनाथजी एवं श्री महावीर स्वामी की प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ तथा नाकोडा भैरूजी की तस्वीर दर्शनीय है। For Private and Personal Use Only Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर (९४) श्री आदीश्वर भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय कापड बाजार, माहिम मुंबई - ४०० ०१६. टे. फोन : ओ. ४४५ ३० ७४ - नेनमलजी ४४६ १५ १३ जगदीशजी ४४६ ५१ ८१ विशेष :- यह मन्दिर मुंबई नगर एवं उपनगर का सबसे प्राचीन पहले नंबर का १९२ वर्ष पुराना हैं। जिसकी प्रथम प्रतिष्ठा विक्रम संवत १८६२ का वैशाख सुद १३ को हुई थी। परम पूज्य युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. साहेब की पावन प्रेरणा से एवं आपके मार्गदर्शनानुसार मन्दिरजी के जीर्णोद्धार का श्री गणेश किया था तथा नूतन जिनालय खूब ही सुन्दर एवं विशाल बना, जिसकी प्रतिष्ठा प. पू. युगदिवाकर सूरि भगवंत की पुण्य निश्रा में वि. सं. २०३८ में होनेवाली थी। लेकिन उस समय फागुण सुदी १३ को आपका स्वर्गवास होनेसे बाद में प्रतिष्ठा श्री मोहन-प्रताप-धर्म- यशोदेवसूरीश्वर के पट्टधर शतावधानी आचार्य श्री विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०४२ का जेठ सुद ६ ता. १३-६-८६ शुक्रवार को बडे ठाठमाठ से सम्पन्न हुई थी और श्री वासुपूज्य स्वामीजी आदि की नई प्रतिमा भी बिराजमान की गई है। इस जिनालय के प्रथम खण्ड में आरस के ९ प्रतिमाजी, पंचधातु के १५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी६ के अलावा श्री मणिभद्र वीर, श्री नाकोडा भेरुजी की प्रतिमाजी बिराजमान हैं । पावापुरी शोकेस के साथ दिवारो पर शत्रुजय तीर्थ, गिरनार तीर्थ, सम्मेतशिखरजी तीर्थ एवं अष्टापद तीर्थ आरस पर बनाये दर्शनीय हैं। दूसरी मंजील पर आरस की ३ प्रतिमाजी तथा पंचधातु की १ प्रतिमाजी सुशोभित हैं । यहाँ पर श्री घंटाकर्ण वीर, श्री राणकपुर, श्री नेमिनाथ प्रभु के नौ भव, सिद्धचक्रजी महायंत्र तथा पार्श्व यक्ष एवं पद्मावती देवी सुशोभित है। तीसरी मंजील पर आरस के पार्श्वनाथ, शान्तिनाथ व नेमिनाथ प्रभु बिराजमान हैं। श्री जैन आदीश्वरजी महाराज माहिम तड एण्ड चेरीटिज ट्रस्ट द्वारा संचालित इस जिनालय के बाहर की ओर ओफिस एवं सामने प्याऊ बनी हुई हैं । यहाँ श्री जैन स्वयं सेवक मण्डल बैण्ड पार्टी तथा संगीत पार्टी, श्री आदीश्वर महिला मंडल, श्री आत्मवल्लभ महिला मंडल, श्री आदीश्वर जैन पाठशाला, लायब्रेरी तथा आयंबिल शाला की व्यवस्था हैं। सुंदर उपाश्रय भी दो मंजीलका हैं, जिनका उद्घाटन वि.सं. २०१५ में प.पू. युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजयधर्मसूरीश्वरजी म.सा. की शुभ निश्रा में हुआ था। आजकल इस उपाश्रय को विस्तृत बनाया जा रहा हैं । For Private and Personal Use Only Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ५७ - बान्द्रा (पश्चिम) (९५) . श्री संभवनाथ भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय २५, जैन मन्दिर मार्ग के सामने तथा नारायणदास जयाभाई के पथ में, बान्द्रा (प.), मुंबई - ४०० ०५०. टे. फोन : ६४२ ६५ ८५ ओफिस : ६४० ७६ ९६ बाबुलालजी विशेष :- यहाँ के प्राचीन मन्दिर में मूलनायक श्री चन्द्रप्रभस्वामी भगवान थे. बाद में नूतन जिनालय में नीचे मूलनायक श्री संभवनाथजी सहित आरस की ११ प्रतिमाजी, पंच धातु की ११ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ५ तथा दिवारो पर रचाये गये श्री शत्रुजय, श्री सम्मेतशिखरजी, श्री गिरनारजी, श्री अष्टापदजी एवं अनेक ऐतिहासिक धार्मिक दृश्य सुशोभित हैं। ___ इस मंजिल पर मूलनायक चंद्रप्रभस्वामी सहित आरस की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की ११ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ७ एवं अष्टमंगल ३ शोभायमान हैं। नूतन जिनालय का निर्माण प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा व मार्गदर्शनानुसार हुआ है और उनकी खनन विधि और शिला स्थापना विधि आपकी निश्रा में बड़ी धामधूमसे हुई थी। बाद में प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय रामसूरीश्वरजी म. ( डेहला वाले) आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०३० का वैशाख वद २ को भव्य ठाठ माठ के साथ हुई थी। यहाँ उपासरा, जैन पाठशाला, श्री वर्धमान तप आयंबिल शाला की व्यवस्था हैं । यहाँ श्री जैन जागृति मण्डल, श्री जैन जागृति महिला मण्डल, श्री संभव जिन गुण आराधक युवक मंडल भी सेवा - भक्ति में अग्रणीय है। श्री जैन जागृति मण्डल द्वारा आयोजित श्री मानव सेवा धर्म का प्रशंसनीय एवं पुण्य कार्य है। इस संस्था द्वारा प्रति रविवार को गरीब बन्धुओ भोजन बाटने का काम चालु हैं। अचलगच्छ जैन उपाश्रय विशेष :- बान्द्रा (प.) में जैन मन्दिर मार्ग पर परम पूज्य आचार्य भगवन्त अचलगच्छाधिपति श्री गुण सागरसूरीश्वरजी म. साहेबजी की प्रेरणासे निर्मित श्री कच्छी विसा ओशवाल जैन संघ का सुन्दर उपाश्रय का उद्घाटन प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य निश्रामें वि. सं. २०२८ में हुआ था। सुन्दर व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५८ मंबई के जैन मन्दिर (९६) श्री आदीश्वर भगवान शिखरबंदी जिनालय ३६ हिल रोड, बान्द्रा (प.) मुंबई - ४०० ०५०. टे. फोन : ६४३५०५८ विशेष :- श्रीमान श्रेष्ठीवर्य श्री डुंगरशी चांपशी मालानी द्वारा निर्मित एवं संचालित इस जिनालय का नामकरण श्री सोनबाई डुंगरशी मालानी परिवार श्री आदिनाथ जिनालय हैं। इसकी प्रतिष्ठा अचलगच्छ के साहित्यप्रेमी आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०४८ का जेठ सुद ३ सोमवार तारीख १७-६-९१ को हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री आदीश्वर प्रभु तथा आजू बाजूमें श्री शान्तिनाथ, श्री विमलनाथ सहित पाषाण की ७ प्रतिमाजी पंच धातु की ३, सिद्धचक्रजी - १ तथा अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। (९७) श्री महावीर स्वामी भगवान गृह मन्दिर १६२, खेर वाडी, बान्द्रा (पूर्व), मुंबई - ४०० ०५१. टे. फोन : रतिलालजी डी. रांका ६४२ १८९६, शांतिलाल सी. जोधावत ६४३ ८६ २८ विशेष :- सर्व प्रथम आ. भगवंत श्री आनन्दधनसूरीश्वरजी म. साहेब की प्रेरणा से २०४१ में श्री राजस्थान जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ, खेरवाडी की स्थापना हुई थी, मंदिर व उपाश्रय का निर्माण हुआ था। यहां पंचधातु प्रतिमा की प्रथम चल प्रतिष्ठा वि.सं. २०४१ ता. २७-९-८५ को हुई थी । पाषाण प्रतिमाजी की अंजनशलाका परम पूज्य श्री मोहन-प्रताप-धर्मसमुदाय के प.पू. आ.भ. श्री जयानन्दसूरीश्वरजी म., प.पू.आ.भ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म., प.पू.आ.भ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म., प.पू. आ.भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि गुरु भगवन्तोकी निश्रा में खार वि. सं. २०४५ में हुई थी। परम पूज्य आ. विजय श्री रत्नाकरसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से मन्दिरजी का जीर्णोद्धार व प्रतिष्ठा हुई थी। परम पूज्य आ. विजय विशालसेनसूरीश्वरजी म. की निश्रा में भगवान का उत्थापन तथा प्रवेश विधि हुई थी। यहाँ के जिनालय का भूमिपूजन शा. समजीरामजी नरसिंगजी नाहर परिवार नाडोलवालो की तरफसे हुआ था। रखनन एवं शिलान्यास विधि श्रीमती सविताबेन मोहनलालजी नाहर नाडोलवालो की तरफ से हुआ था। कवि कुलदीपक परम पूज्य लब्धिसूरि समुदाय के आ. भ. श्री जिनभद्रसूरीश्वरजी म. सा. एवं पू. आ. भ. श्री यशोवर्मसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतों की पावन निश्रा में वि. सं. २०५४ का माह सुदी ३ शुक्रवार ता. ३०-१-९८ को भव्य प्रतिष्ठा हुई थी। मूलनायक श्री महावीरस्वामी तथा श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु, श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ प्रभु For Private and Personal Use Only Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी १, अष्टमंगल १ एवं श्री नाकोडाभैरूजी, श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्णवीर, यक्ष-यक्षिणी श्री सिद्धायिका देवी, श्री प्रासाददेवी तथा विभिन्न तीर्थो के ५ पट भी दर्शनीय हैं। यहाँ श्री महावीर नव युवक मंडल तथा श्री महावीर महिला मंण्डल व उपाश्रय की व्यवस्था हैं। (९८) (खार (पश्चिम) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय पाँचवा रास्ता, खार (पश्चिम), मुंबई - ४०० ०५२. टे. फोन : ओफिस - ६४६ ३२ ४० मूलचन्दभाई ६४६ २४ १८ विशेष :- परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. साहेबजी की पावन निश्रा में सर्व प्रथम २०२५ का कार्तिक वद १२ ता. १२-४-६८ को यहाँ संघ की ओर से गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा हुई थी। बाद में खार जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ द्वारा निर्मित नूतन जिनालय संपूर्ण संगमरमर का दो मंजिल का और भव्य शिखर से शोभायमान हो रहा हैं। इस नये मन्दिर की अंजनशलाका व प्रतिष्ठा का भव्य महोत्सव श्री मोहन - प्रताप - धर्मसूरीश्वर समुदाय के प. पू. आ. भ. श्री जयानन्दसूरीश्वरजी म. प. पू. आ. भ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म., प. पू. आ. भ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म., प. पू. आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म.आदि परिवार की प्रभावक निश्रा में वि. सं. २०४५ को वैशाख सुदि ६ को बडी धामधूमसे हुआ था। नीचे ग्राउन्ड फ्लोर पर भी श्री मुनिसुव्रत भगवान बिराजमान किये गये हैं। प्रथम मंजिल पर आरस के ५ प्रतिमाजी पंच धातु की ८ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ७ बिराजमान हैं। २ यक्ष-यक्षिणी की प्रतिमाजी हैं। दुसरी मंजिल पर आरस के ७ प्रतिमाजी, पंच धातुकी १ प्रतिमाजी तथा सिद्धचक्रजी १ बिराजमान हैं। प्रतिष्ठा के समय कच्छी - राजस्थानी और गुजराती समाज के भाई-बहनो ने खूब उत्साह और भाईचारे से महोत्सव तन मन धन से परिपूर्ण किया। श्री संघ के बंधारण अनुसार कच्छी राजस्थानी एवं गुजराती समाज के प्रत्येक के दो दो ट्रस्टी कुल ६ ट्रस्टीयो संप सलाहानुसार व्यवस्था अच्छी तरह संभाल रहे हैं। ____ यहाँ श्री मुनिसुव्रत महिला मंडल, श्री पद्मावती महिला मंडल खुब ही प्रवृत्त हैं । सुधर्म सामायिक मंडल सामायिक आराधना करते है एवं कराते हैं । छोटे बच्चो में सुसंस्कार का सिंचन करने ज्ञान गोष्ठी, For Private and Personal Use Only Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ६० मुंबई के जैन मन्दिर धार्मिक शिबिर तथा तबला - हारमोनियम क्लास चलाकर समुह स्नात्र की प्रवृत्ति चलती हैं । सुबह - शाम दो टाईम पाठशाला चलती हैं। छोटा उपाश्रय हैं प्रति शनिवार की रात को आयोजन चालु हैं । यह मंदिर नवग्रह की आराधना करने के लिये उत्तम स्थान हैं । भाविको से नम्र निवेदन है की इस मन्दिरजी के दर्शन पान करके नई प्रेरणा प्राप्त करे । (९९) www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर हाजी सिद्धिक बिल्डींग, डांग वाडा, डॉ. आंबेडकर रोड, खार (प.), मुंबई - ४०००५२. टे. फोन : ओ. : ६४६ ३१ ८२, घर ६०४०६ ९०. विशेष :- परम पूज्य आ. भगवंत विजय पद्मसागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की शुभ निश्रा में कांदिवली महावीर नगर में अंजन शलाका की हुई प्रतिभाजी बिराजमान हैं । (१००) - यहाँ पंचधातु के ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी १, अष्टमंगल १ के अलावा भैरुजी का फोटो भी सुशोभित हैं । इस मन्दिरजी के निर्माता सेठ केसरीमलजी मोतीलालजी हिराचन्दजी परिवारवाले हैं । 'अभिनंदन पत्र ' श्रावक केसरीमलजी मोतीलालजी मरलेचा परिवार खारसी निवासी की तरफ से श्री खार दांडा जैन संघ को भगवान श्री मुनिसुव्रत का गृहमन्दिर बनवाकर देवदर्शन का अवसर दिया हैं उसके लिये खार दांडा जैन संघ आपका हार्दिक अभिनंदन करता हैं । खार (पूर्व) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर शान्ताराम भट्ट चाल, जयप्रकाश रोड, खार (पूर्व), मुंबई - ४०००५१. टे. फोन : ६४० ९४ ९७ के. डी. शाह विशेष :- श्री कच्छी विसा ओसवाल अचलगच्छ जैन संघ की स्थापना ७ जून १९८८ को हुई थी । प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. द्वारा अंजनशलाका की गई प्रतिमाजी पूज्य आचार्य श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से सर्वोदय र्हास्पिटल घाटकोपर से लाकर यहाँ स्थापित की गयी हैं । परम पूज्य मुनिराज श्री नयनप्रभ सागरजी म. तथा महारत्न सागरजी म. की पावन निश्रा में श्रीमती देवीबेन मेघराज हंसराज छेडा ने ता. १५-८-९० को भगवान स्थापना करने का लाभ लिया हैं । For Private and Personal Use Only Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर इस मन्दिरजी में आरस की श्याम रंग की १ प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी २, अष्टमंगल १ बिराजमान हैं। (१०१) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यहाँ मातुश्री पुरबाई तलकशी भूलाभाई (गाम भोजायवाला ) उपाश्रय पाठशाला भी चालु हैं। श्री मुनिसुव्रत युवक मंडल है जिनकी तरफ से लायब्रेरी भी चालु हैं। श्री मुनिसुव्रत महिला मंडल भी भक्ति भाव में अग्रसर हैं 1 - सान्ताक्रूझ (पश्चिम) श्री कुंथुनाथ भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय सेन्ट अड्युज रोड, सान्ताक्रुझ (पश्चिम) मुंबई - ४०००५४. टे. फोन : ओफिस : ६४९४२३४, ६०५ ३५०४ टोकरशीभाई ६१ विशेष :- सेठ जमनादास मोरारजी जे. पी. मांगरोलवालोने २५९२ वार भूमि रू. १५०१, किंमत करके धार्मिक कार्यो के लिये संघ को वि. सं. १९९७ फागुण सुद २ अर्पण की गयी थी । सेठ जमनादास मोरारजी जे. पी. का जन्म वि. सं. १९३८ को, स्वर्गवास वि. सं. २००२ का का वद १४ ता. ३-१२-४५ को हुआ था । आपकी प्रतिकृति भी सुशोभित हैं । इस मन्दिरजी की प्रतिष्ठा प. पू. सिद्धान्त म. आ. भ. श्री प्रेमसूरीश्वरजी म. सा. की निश्रामें वि. सं. १९९८ वीर संवत २४६८ फागुण सुद ३ को हुई थी। बाद में वि.सं. २०२३ पोष सुद १५ को प. पू. आ. भ. श्री प्रतापसूरीश्वरजी म. सा. और प. पू. युग दिवाकर आ. भ. श्री धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्यनिश्रामें रंगमंडप में चार गोखले में प्रतिमाजीओकी प्रतिष्ठा धामधूम की गई थी। नये मंडप में प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवंत विजय लावण्यसूरीश्वरजी के शिष्य आ. श्री क्षसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०३४ का फागुण सुद ३ रविवार को खूब धामधूम से हुई थी। मन्दिरजी में आरसी १३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २० तथा यक्षयक्षिणी के अलावा पद्मावती देवी, चक्रेश्वरीदेवी की प्रतिमाजी भी शोभायमान हैं दिवारो पर अनेक तीर्थो के पटो के रंगीन चित्र बनाये गये हैं । For Private and Personal Use Only मन्दिर में मुख्य द्वार से प्रवेश होते ही दोनो तरफ से बनाये गये हाथियो की कृतिया खुब ही सुन्दर लग रही है। यहाँ पर देवकाबेन गां जीभाई धारशीभाई पौषधशाला, श्री अमरेन्द्र सागर पुस्तकालय, श्री कुंथुनाथ आराधक मण्डल, श्री कुंथुनाथ महिला मण्डल, श्री कुंथुनाथ स्नात्र मंडल, शान्ताक्रुझ जैन Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर मित्र मण्डल, वर्धमान तप आयंबिल शाला, पाठशाला एवं नया उपासरा बहुत विशाल हैं। जिस उपाश्रय का निर्माण प.पू. युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की शुभ निश्रा में उनकी प्रेरणासे वि. सं. २०२४ में हुआ था, और उसमें प्रथम चातुर्मास वि.सं. २०२४ में आपका धामधूम से हुआ था। __यहाँ प्रति वर्ष वर्षगांठ के दिन सभी संघ के भाई मिलकर भक्ति भावना में साधर्मिक वात्सल्य का आयोजन करते हैं। (१०२) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर मेघना एपार्टमेन्ट, पहला माला, स्वामि विवेकानन्द रोड, सान्ताक्रुझ (प.), ___ मुंबई - ४०० ०५४. टे. फोन : ६०४ १२ ०८ विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री प्रेमसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य भगवंत विजय हेमचंद्रसूरीश्वरजी म. (उस समय पंन्यासजी) की शुभ निश्रा में वि.सं. २०४२ का मगसर सुद १० को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ के गृह मन्दिरजी में आरस के मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ है। पाषाण की ३ प्रतिमाजी पंच धातु की २ प्रतिमाजी एवं सिद्धचक्रजी - १ बिराजमान हैं। (१०३) श्री सुमतिनाथ भगवान गृह मन्दिर रवोतवाडी, बेझन्ट स्ट्रीट, आजाद भवन, रुम नं. ३, सान्ताक्रुझ (प.), मुंबई-४०० ०५४. टे. फोन : नीतिनभाई ६१३ १७ ८२ भरतभाई ६१५ ०२ ०३ धीरजभाई ६१८ २६ ४२ विशेष :- इस गृह मन्दिरजी की स्थापना एवं संचालन श्री मिलन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ जैन संघ द्वारा हो रहा हैं। यहाँ मूलनायक श्री सुमतिनाथ भगवान तथा आजुबाजू में श्री आदिनाथ भगवान तथा श्री महावीर स्वामी की आरस की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की १ प्रतिमाजी तथा सिद्धचक्रजी - १ तथा अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. विजय जयघोषसूरीश्वरजी म. के शिष्य पन्यासजी रविरत्नविजय म. साहेबजी की शुभ निश्रा में वि.सं. २०५२ का काती वद १२ ता. १९-११-९५ रविवार को शुभ लग्न में चल प्रतिष्ठा हुई थी। For Private and Personal Use Only Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ६३ सान्ताक्रुझ (पूर्व) (१०४) श्री कलिकुंड पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखरबद्ध जिनालय T.P.S.S. रोड नं. २, ओरिजिनल प्लोट नं. ६०, B-51 रुप टोकीज के पीछे, आशापुरा देवी जैन चौक, नेहरू रोड, सान्ताक्रुझ (पूर्व), मुंबई - ४०० ०५५. टे. फोन : ऑ. ६४९ ०८८१ घर - ६४९ २८ ६६ - किशोरभाई विशेष :- इस मन्दिरजी के लिये कच्छ कोडाय निवासी श्री नानजी केशवजी शाह परिवारवालोकी तरफ से १८०० वार भूमि भेट रुप में मिली हैं। शेठ श्री नानजी केशवजी को वि.सं. २०३२ काती मास में राजस्थान जैसलमेर - लोद्रवा तीर्थ की यात्रा में एक स्वप्न आया था। उनका प्रकाशन उन्होनें वालकेश्वर में बिराजमान मुंबई महानगर के बेजोड उपकारी परम पूज्य युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. को किया. आपके द्वारा स्वप्न फल कथनानुसार आपकी प्रेरणा और मार्गदर्शनानुसार श्री कलिकुंड पार्श्वनाथजी की यह नई प्रतिमा चेम्बूर तीर्थ से प्राप्त हुई थी। स्वप्नानुसार वि.सं. २०३२ का मगसर मास में बोरीवली जामली गली में श्री संभवनाथ जिनालय में प.पू. युग दिवाकर आ.भ. श्री धर्मसूरीश्वरजी म. द्वारा अंजनशलाका की गयी थी। सर्व प्रथम यहाँ के गृह मन्दिर में श्री कलिकुंड पार्श्वनाथ की यही भव्य प्रतिमाजी स्थापित की गयी थी। इस गृह मन्दिर के स्थान पर एक भव्य शिखरबद्ध जिनालय बना, जिसकी प्रतिष्ठा वि.सं. २०३४ का वैशाख सुद ६ शनिवार ता. १३-५७८ को हुई थी। यह प्रतिष्ठा भी प.पूज्य युग दिवाकर आ.भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य निश्रा में कराने की भावना शेठ की थी, किन्तु प.पूज्य युगदिवाकर सूरि भगवन्त पालीताणा पदयात्रा संघ के साथ जानेसे, उनके आदेशानुसार परम पूज्य आत्म-कमल-लब्धि-लक्ष्मण के पट्टधर शतावधानी आ. विजय कीर्तिचंद्रसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में हुई थी। ग्राउण्ड फ्लोर पर आफिस हॉल में ही श्री मणिभद्रवीरजी, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री आशापुरी माँ, श्री अम्बा माँ, श्री पद्मावती देवी बिराजमान हैं। हॉल के बाहर की ओर आ. विजय गुणसागरसूरीश्वरजी म. साहेब की प्रतिमाजी और सामने की ओर पानी की प्याऊ हैं । प्रथम माले पर आरस की १६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - २ तथा श्री कल्याणसूरि, श्री अंबिकादेवी, श्री पार्श्वयक्ष - श्री पद्मावती, श्री सरस्वती, श्री महालक्ष्मी, श्री चक्रेश्वरी देवी तथा श्री महाकाली देवी बिराजमान हैं। जब मंजिल दूसरी का काम पुरा हुआ तब भगवान पार्श्वनाथ की ही अलग अलग नाम से १०८ प्रतिमाजी तथा २४ तीर्थंकर प्रभुजी की २४ प्रतिमाजी और ३ मुख्य प्रतिमाजी सहित १३५ प्रतिमाजी की अंजनशलाका वि.सं. २०३५ का वैशाख सुद - ५ मंगलवार तथा प्रतिष्ठा वि.सं. २०३५ का वैशाख सुद - ८ बुधवार को अचलगच्छाधिपति आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. आदि ठाणा तथा परम पूज्य लब्धि-लक्ष्मण शिशु आ. श्री कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में हुई थी। दूसरी मंजील पर ८ पंच धातु की भी प्रतिमाजी सुशोभित हैं। For Private and Personal Use Only Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६४ मुंबई के जैन मन्दिर __ मन्दिर के सामने के होल में श्रीमद् राजचन्द्र आध्यात्म गुरूदेव की भक्ति, झवेरबेन बचुभाई डी. शाह गाम कांडागरावाला स्वाध्याय होल में होती हैं। यहाँ श्री गंगाजर वीरजी भगत श्री कलिकुंड जैन उपाश्रय, चिरंजीव बेलाबेन हिमतलाल, श्री कलिकुंड पुस्तकालय, श्रीमती कान्ताबेन हिमंतलाल, श्री कलिंकुंड जैन पाठशाला, श्रीमती मणीबेन प्रेमजी गाला श्री कलिकुंड जैन ज्ञान शाला, श्री कलिकुंड महिला मण्डल, श्री कलिकुंड मित्र मण्डल तथा नियमित आयबिल खाता चालु हैं। १८१ प्रतिमाजीवाला आधुनिक जिनालय मुंबई शहर का यही एक मात्र दर्शनीय हैं। इस जिनालय के निर्माण कार्य में जिनकी तरफसे तन मन धन का भरपुर सहयोग मिला, ऐसे महान दानवीर सेठ नानजी केशवजी एवं उनके पुत्ररत्न श्री किशोरभाई तथा धर्मपत्नी श्री पानकोर बहन हैं। जिनको हमारी तरफ से कोटिशः धन्यवाद देते हुए हार्दिक अभिनंदन । सेठ नानजीभाई एवं श्री संघ की तरफ से आचार्य विजय कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. को युगप्रभाकर की पदवी दी गई थी। (१०५) श्री संभवनाथ भगवान गृह मन्दिर श्री संभवनाथ बिल्डींग, छत्रपति शिवाजी महाराज रोड, वाकोला ब्रीज, सान्ताक्रुझ (पूर्व), मुंबई - ४०० ०५५. टे. फोन :६१५ २१ ४८ हर्षदभाई विशेष :- इस गृहमन्दिरजी की व्यवस्था और संचालन श्री वाकोला श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ की तरफसे हो रही हैं। इसकी चलप्रतिष्ठा परम पूज्य आ. भ. श्री विजय मोहनसूरीश्वरजी म. के पट्टधर सिद्धान्त रक्षक पूज्य पाद आचार्य भगवंत श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. एवं प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की प्रेरणा से आपश्री की पावन निश्रा में वि. सं. २०२३ का पोष सुद १५ गुरुवार ता. २६-१-१९६७ को हुई थी। इस मन्दिरजी का पबासन अहमदाबाद निवासी स्व. केसरीचन्द अमृतलाल के आत्म श्रेयार्थ चीनुभाई अमृतलाल सान्ताक्रुझ (पूर्व) की तरफ से वि. सं. २०२३ में बनवाया था। वर्तमान में श्री मोहन - प्रताप - धर्मसूरीश्वरजी परिवार के प. पू. व्या. सा. न्या. तीर्थ आ. भ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा और मार्गदर्शन से इस गृहमन्दिर का जीर्णोद्धारमें विस्तृत जगह स्थान मिलाकर, मारबल सजावट और मारबल की सुन्दर छत्री और परिकर बनाकर, विशाल और रमणीय गृह मन्दिर बनाया गया है, जिसकी पुन: प्रतिष्ठा के भव्य महोत्सव का आयोजन प. पू. आ. भ. श्री धर्मसूरीश्वरजी म. सा. के परिवार के प. पू. आ. भ. श्री For Private and Personal Use Only Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर कनकरत्नसूरीश्वरजी म. प. पू. आ. भ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म., प. पू. आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि गुरु भगवन्तो की शुभ निश्रा में २०५४ का वैशाख वदि २, बुधवार, ता. १३-५-९८ को हुआ था। पांच दिन के भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव में विविध अनुष्ठानो, भव्य मंडपो में तरह तरह के भक्ति कार्यक्रम, रथयात्रा का शासन प्रभावक आयोजन, पूरे पांच - छ दिनो तक सुबह - दोपहर - शाम को साधर्मिक वात्सल्य - जमण की जोरदार व्यवस्था बनाई गई थी। राजमार्ग एवं जिनालय मंडप पर आकर्षक रोशनी, स्वागत - प्रवेशद्वार की रचना भी भारी किया था । नूतन बड़े जिनालयमें मूलनायक श्री संभवनाथजी के साथ श्री आदिनाथजी, श्री पार्श्वनाथजी की आरस की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। प्रतिष्ठा समय, प्रतिष्ठा महोत्सव के प्रेरक प. पू. आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा व मार्गदर्शनानुसार, मन्दिर के साथ भव्य उपाश्रय का भी निर्माण हुआ हैं । वहाँ श्री संघका कार्यालय, जैन पाठशाला और प्रवचनादि आराधना होती हैं और आप की प्रेरणा से श्री संघका कायमी साधारण फंड का भी आयोजन और जैन पाठशाला के लिए भी कायमी फंड का सुन्दर आयोजन हुआ था। मन्दिर के प्रथम निर्माण में और पीछे जीर्णोद्धार - नवनिर्माण में श्री सान्ताक्रुझ जैन श्वे. मू. तप. संघ - श्रीकुन्थुनाथ जिनालय का काफी सहयोग रहा हैं । श्री संघके धर्मभावनाशील और उत्साही कार्यकर्ता गण श्री संघके आराधना कार्य और विकास - आबादी के लिए सदा जागृत हैं यहाँ पर रामजी गांगजी धारसी अजाणी जैन पाठशाला चालू हैं और वाकोला श्री संभवनाथ जैन महिला मंडल भक्ति सेवा कार्यो में अग्रणी हैं। (१०६) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान शिखर बंदी जिनालय मालानी निवास, मानीपाडा कोलोनी, विद्यानगरी युनिवर्सीटी के सामने, सी. ओस. टी. रोड, कालीना सान्ताक्रुझ (पूर्व) मुंबई - ४०० ०९८. टे. फोन : ६११ ०६ ३२, ६११ २१ ५९ कुंवरजीभाई विशेष :- इस गृहमन्दिर का आद्य निर्माण परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री मोहन - प्रताप के पट्टधर प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा व उनके मार्गदर्शनानुसार हुआ था और उनके आदेशसे चेम्बुर तीर्थ से लाई हुई श्री वासुपूज्य स्वामी प्रभुजी आदि ७ प्रतिमाओ की चलप्रतिष्ठा परम पूज्य लब्धि - लक्ष्मणसूरि शिशु शतावधानी आ. विजय कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०३२ का फागुण सुद ११ ता. १२-३-७६ शुक्रवार को गृह मन्दिरजी में हुई थी। For Private and Personal Use Only Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर गृह जिनालय की भूमि का सहयोग दान कालिना संघ के संघरत्न श्रेष्ठिवर्य सेठ कुंवरजी भचु गडा परिवार (गॉव नवागाम हाल गागोदर निवासी) की तरफ से श्री संघ को मिला था। परम पूज्य आ. भ. श्री केशरसूरीश्वर समुदायवर्ती पू. सा. श्री मधुकान्ताश्रीजी आदि परिवार की शुभ प्रेरणा से गृह जिनालय के स्थान पर नूतन शिखरबंदी जिनालय का निर्माण हो जाने पर इस जिनालय की नौ दिन के महोत्सव के साथ परम पूज्य आ. देव विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म. साहेब के प्रशिष्य, साहित्यकार परम पूज्य आचार्य विजय रत्नसुंदरसूरीश्वरजी म. साहेब आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५३ का वैशाख वद २ शनिवार तारीख २४-५-९७ को धामधूम से प्रतिष्ठा हुई थी। नूतन जिनालय में नूतन जिन बिंबो एवं देव - देवीओं की अंजनशलाका - प्राणप्रतिष्ठा वि. सं. २०५३ का मगसर सुद ३ ता. १३-१२-९६ को वरली में श्री सीमन्धर स्वामी जिनालय के प्रतिष्ठा अवसर पर आचार्य श्री विजय चंद्रोदयसूरीश्वरजी म. एवं आ. विजय अशोकचंद्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में हुई थी। जिनालय में मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी सहित पाषाण की कुल ११ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - १ के अलावा श्री गौतमस्वामी, श्री पद्मावती माता, श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्णवीर तथा श्री शत्रुजय, श्री समेतशिखरजी, श्री सिद्धचक्रजी, श्री चंपापुरी का पट्ट एवं श्री मंगलमूर्ति तथा यक्ष-यक्षिणी आदि प्रतिमाजी जिनालय की शोभा बढ़ा रहे हैं। उपासरा के अलावा यहाँ श्री वासुपूज्य स्वामी युवक मण्डल, श्री लक्ष्मणसूरीश्वरजी जैन पाठशाला, श्री लक्ष्मण कीर्ति जैन पुस्तकालय की व्यवस्था हैं. जिनालय के मुख्य प्रवेश द्वार पर नाम जिनमन्दिर के आधार स्तंभ संघरत्न श्रेष्ठीवर्य श्री कुंवरजी भचु गडा गांव नवागाम हाल गागोदरवाले का है। विलेपार्ले (पश्चिम) (१०७) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान भव्य गृह मन्दिर विलेपार्ले स्टेशन के सामने, वल्लभभाई पटेल रोड, विलेपार्ले (प.), मुंबई - ४०० ०५६. टे. फोन : ६१२ ११ ३६ - श्री राजेन्द्रभाई विशेष :- योगनिष्ठ जैनाचार्य श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी महाराज की शुभ प्रेरणा से सेठ डायाभाई घेलाभाई मेहसाणा निवासी द्वारा सेठ घेलाभाई करमचन्द - मातुश्री बाई चुनीबाई तथा भाई अमथालाल की स्मृति में संवत १९८२ मगसर सुद १० बुधवार ता. २५-११-२५ वीर सं. २४५२ को घेलाभाई करमचन्द सेनेटरीयम में प्रथम प्रतिष्ठा हुई थी। इस जिनालय की नूतन प्रतिष्ठा वैशाख वद १० वि.सं. २०२८, ता. ७-६-७२ को हुई थी और भगवती श्री पद्मावती देवी ५१" आदि की प्रतिष्ठा पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजयधर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य निश्रामें वि.सं. २०३० में मगसर मासमें हुई थी। For Private and Personal Use Only Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ६७ यहाँ आरस के १३ प्रतिमाजी, पंच धातु के २३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ८, अष्टमंगल - २, विसस्थानक - १ इसके अलावा श्री पद्मावतीदेवी तथा आजुबाजु में श्री लक्ष्मीदेवी व श्री सरस्वतीदेवी बिराजमान हैं। श्री गौतम स्वामी, श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्णवीर की प्रतिमाजी सुशोभित हैं। दिवार पर श्री पावापुरी, श्री गिरनारजी, श्री आबुजी, श्री सम्मेतशिखरजी, श्री अष्टापदजी, श्री राणकपुरजी, श्री भद्रेश्वरजी तथा श्री सयाजीराव महाराजा के साथ आ. श्री बुद्धिसागरसूरिजी म. का चित्र भी सुशोभित हैं। यहाँ साधु-साध्वीजी के लिये भव्य उपासरा, व्याख्यान भवन, पुस्तकालय, श्री वर्धमान तप आयंबिल शाला, श्री मोतीबेन जेशींगभाई परीख जैन पाठशाला, श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरजी जैन बैण्ड मण्डल तथा पार्श्वपूजक महिला मण्डल की व्यवस्था हैं। (१०८) श्री चन्द्रप्रभ स्वामी भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय दशरथलाल जोशी मार्ग के बाजू में, साऊथ पाण्डु रोड, विलेपार्ले (प.), मुंबई - ४०० ०५६. टे. फोन : ओ. ६१३ ०३ ३९ - नगिनभाई - ६७१ ४६ १९ घर विशेष :- यह मन्दिर श्री मोतीबेन मणिलाल नानावटी की स्मृतिमें बनाया था। इसीलिये इसका नाम श्री मोति-मणि मन्दिर सुप्रसिद्ध हैं। सेठ रतिलालने माता पिता के स्मृति हेतु यह श्री मोति मणि मन्दिर श्री विलेपार्ले श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ एण्ड चेरीटिज को भेट दिया हैं। मन्दिरजी की शिला स्थापना वि.सं. २०१८ वीर संवत २४८८ मगसर सुद ८ शुक्रवार को हुई थी तथा प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवंत सिद्धान्त महोदधि विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. के पट्टधर आचार्य विजय रामचंद्रसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०२१ वीर संवत २४९१ का माह सुद ७ सोमवार को हुई थी। यहाँ आरस की श्री चन्द्रप्रभ भगवान के साथ कुल १३ प्रतिमाजी, पंच धातु की प्रतिमाजी सिद्ध चक्रजी - ३५ का अंदाजा हैं। मन्दिरजी के बाजू में श्री कान्तिलाल लक्ष्मीचन्द सेठ सावरकुंडलावाला जैन उपाश्रय कलाकान्ति भवन का उद्घाटन वि.सं. २०५० का माह सुद १० ता. २१-२-९४ सोमवार को हुआ था। बाजू की गली सरोजनी नायडु रोड पर महासुख भवन में मन्दिर की ऑफिस हैं। श्री कमलाबेन लक्ष्मीचन्द सेठ जैन पाठशाला, महासुखलाल लक्ष्मीचन्द सेठ जैन उपासरा, श्री पद्माबेन महासुखलाल जैन आयंबिल शाला की व्यवस्था हैं। यहाँ श्री चंद्रप्रभ जैन मंडल, श्री चंद्रप्रभ महिला मण्डल, श्री चंद्रधर्म भक्ति महिला मण्डल, श्री पार्श्वपूजक महिला मण्डल, श्री सामायिक महिला मण्डल, श्री चन्द्रलब्धि पौषध मण्डल की व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६८ मुंबई के जैन मन्दिर (१०९) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर सरोजनी रोड, १४ महेन्द्र मेन्शन, पहला माला, विलेपार्ले (प.), मुंबई - ४०० ०५६. टे. फोन : ६१४ ९६ ०६ विशेष :- यह गृह मन्दिर स्वर्गीय श्रीमती चम्पाबहन धर्मदास वोरा का कहलाता है। धर्मप्रेमी श्री चम्पावतीबहन से प्रत्यक्ष २० वर्ष पहले मुलाकात की थी। उस समय मुझे बिना किसी संशय को दिल मे रखते हुए अपने घर का दरवाजा खोला तथा भगवान का दर्शन कराया। मैं खुशी के मारे उस वक्त झुम उठा था । धन्य हो ऐसी प्रभु प्रेमी माताजी को । पुस्तक की दूसरी आवृत्ति लिखते वक्त मुलाकात करने गया तो वे देवलोक में थी । अत: मुलाकात न हो सकी । अत: वर्तमान संचालिका श्रीमती चन्द्रमणिबहन महेन्द्रकुमार वोरा से मुलाकात हुई। आप भी सरल स्वभावी एवं हसमुख है मुझे शीघ्र दर्शन कराया। इस गृह मन्दिरजी में पंचधातु की १ प्रतिमाजी एवं १ सिद्धचक्रजी शोभायमान हैं। (११०) श्री नेमिनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय ३७९ प्रीति बिल्डींग के कम्पाउण्ड में, स्वामी विवेकानन्द रोड, विलेपार्ले (प.), मुंबई - ४०० ०५६. टे. फोन : ओ. २६५ ३४ ३९ घर - ६१४ ९८ २१ श्री शान्तिचन्द्रभाई विशेष :- सर्व प्रथम यहाँ वि.सं. २०११ में फागुन सुद ४ को परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य प्रेरणासे चल प्रतिष्ठा हुई थी। उस वक्त सेठ कस्तुरचन्द स्वरुपचन्द मुख्य संचालक थे । वर्तमान में नूतन शिखर बंदी जिनालय बनाया है जिसके निर्माता एवं संचालकजी सेठ शान्तिचन्द्र बालुभाई झव्हेरी रीलीजीयस ट्रस्ट हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजयनेमिसूरीश्वरजी म. समुदाय के विज्ञान-कस्तूरचन्द्रोदयसूरिजी अशोकचंद्रसूरिजी के शिष्य पन्यासजी श्री सोमचन्द्रविजयजी म., प्रवर्तक श्री कल्याणविजयजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०४९, वीर संवत २५१९, नेमि सं. ४४ माह सुद - ६ ता. २९-१-९३ शुक्रवार को खुब ठाठ माठ से प्रतिष्ठा हुई थी। जिनालय में मूलनायक पंच धातु के तथा आरस के १० प्रतिमाजी, पंच धातु के ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - १ के अलावा श्री गौतमस्वामी, श्री पुंडरीक स्वामी, श्री मणिभद्रवीर, श्री पद्मावतीदेवी बिराजमान है। दिवार पर बनाये गये तीर्थो में श्री शत्रुजय तीर्थ, श्री गिरनार तीर्थ, श्री सम्मेतशिखरजी तीर्थ, श्री अष्टापद तीर्थ तथा श्री आदिनाथ प्रभु की चौविशी और श्री पद्मनाभ प्रभु की चौविशी के चित्र दर्शनीय हैं। For Private and Personal Use Only Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर (१११) श्री श्रेयांसनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय १०१/१०५ ज्योत बंगलो कम्पाउण्ड में, इर्ला ब्रीज, स्वामी विवेकानन्द रोड, ___ विलेपार्ले (प.), मुंबई - ४०० ०५६. टे. फोन : ६७१ ४३ ४७, ६७१ २३ १० चंद्रकांतभाई दोशी, विक्रमभाई दोशी विशेष :- सर्व प्रथम इस जिनालय को सेठ श्री चुनीलाल लक्ष्मीचन्द शाह जामनगरवालोने बनवाया था। उसके बाद इसका संचालन सेठ श्री अमृतलाल कालीदास दोशी करते रहे । वर्तमान में इसका संचालन सेठ श्री चन्द्रकान्त ए. दोशी तथा श्री विक्रमभाई वगैरह परिवारवाले कर रहे हैं। इस मन्दिरजी की प्रतिष्ठा वि.सं. १९९४ श्रावण सुद ५ को हुई थी। यह मंदिर प्राचीन है तथा कांच की कलाकृति की सुन्दरता में चार चाँद लगा देता हैं । मूलनायक श्रेयांसनाथ प्रभु की पंच धातु की प्रतिमाजी है तथा आरस की २ प्रतिमाजी, पंच धातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ७ एवं अष्टमंगल- १ शोभायमान हैं। इसके अलावा दिवार पर बनाये गये कांच के कलात्मक डिझाईनो में श्री सम्मेतशिखरजी, श्री पावापुरी, श्री शत्रुजयजी, श्री राणकपुरजी, श्री गिरनारजी, श्री अष्टापदजी, श्री सिद्धचक्रयंत्र भी सुशोभित हैं। (११२) . श्री आदीश्वर भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय इरला ब्रिज, १०६ स्वामी विवेकानन्द रोड, विलेपार्ले (प.), मुंबई-४०० ०५६. टे. फोन : ओ. ६७१ २६ ३१, अनीलभाई संघवी - ६२८ ९४ ०३ विशेष :- सर्व प्रथम वि. सं. १९९६ में यहाँ श्री करमचंद जैन पौषधशाला की स्थापना हुई थी। इस पुरानी पौषध शाला में सर्व प्रथम आचार्य भगवन्त विजयभुवनभानुसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा मे दस वर्ष पहले वि.सं. २०४२ के वर्ष में श्री सीमन्धर स्वामी नाम से गृह मन्दिरजी की स्थापना हुई थी। प्राचीन उपाश्रय के पीछे विशाल जगह पर सेठ मणिलाल करमचन्द संघवी जैन पौषध शाला एवं ४ मंजील का नूतन उपाश्रय बनने के बाद अहमदाबाद से श्री आदीश्वर भगवान की ४७", श्री अजितनाथ भगवान ४५", श्री शान्तिनाथ भगवान ४५", इत्यादि नयन रम्य प्रतिमाजी आरस की हाल उपाश्रय में ग्राउन्ड फ्लोर पर काम चलाऊ बिराजमान किये गये हैं। पुराने श्री सीमन्धरस्वामी के गृह मन्दिरजी की प्रतिमाजी भी यहाँ पर बिराजित की गयी है । परम पूज्य आचार्य भगवन्त जयशेखरसूरीश्वरजी म. साहेब की पावन निश्रा में वि.सं. २०५३ का माह सुद १३ ता. २०-२-१९९७ को प्रतिमाजी का प्रवेश हुआ था। वर्तमान में यहाँ मूलनायक श्री आदिनाथ, श्री अजितनाथ, श्री शान्तिनाथ, श्री महावीर स्वामी, श्री अजितनाथ प्रभु की आरस की ५ प्रतिमाजी तथा पंच धातु की १, श्री सीमन्धर स्वामीजी की प्रतिमाजी हैं। यहा के उपासरे एवं भव्य जिनालय की सारी जमीन को सेठ मणिलाल करमचन्द संघवीने श्री श्रेयस्कर अंधेरी गुजराती जैन संघ को अर्पण की हैं तथा उनके वारसदार सेठ श्री अनिल मणिलाल For Private and Personal Use Only Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७० मुंबई के जैन मन्दिर संघवी परिवारवालो की देखरेख में निर्माण कार्य चल रहा हैं । नूतन उपाश्रय ११००० फुट तथा नूतन जिनालय ७००० फुट के क्षेत्रफल में बाँध काम चालु हैं। नूतन श्री आदीश्वर भगवान के शिखरबद्ध जिनालय का भूमिपूजन ता. १-११-९६ को श्री अरविन्दभाई मणिलाल शाह परिवारने किया हैं। परम पूज्य पन्यासजी श्री विमलसेन विजयजी म. साहेब की निश्रा में हुआ था। शिलान्यास :- वि.सं. २०५३ का काती वद - २ बुधवार ता. २७-११-९६ को सेठ श्री मणिलाल करमचन्द संघवी परिवारवालोने किया हैं । नूतन जिनालय - श्री आदीश्वर भगवान के जिनालय का निर्माण कार्य जोर शोर से चल रहा हैं। २ वर्ष के अल्प समय में मन्दिर निर्माण पूर्ण करके उसमे मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान एवं भोयरे में श्री पार्श्वनाथ भगवान वगैरह जिन बिम्बो की प्रतिष्ठा होनेवाली हैं। यहाँ श्री आदिनाथ सामायिक मण्डल, श्री आदिनाथ स्नात्र मंडल, श्री आदिनाथ महिला मण्डल, श्री चन्द्रविजय बैण्ड मण्डल तथा श्री वर्धमान संस्कृति धाम आदि संस्थाए सेवा-भक्ति के कार्य में अग्रसर हैं। (११३) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर दीपक बिल्डींग कम्पाउण्ड में चौथा रास्ता, जुहु, विलेपार्ले (प.), मुंबई - ४०० ०५६. टे. फोन : ६१२ ९६ ५५ - दीपकभाई विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक श्रेष्ठीवर्य श्री कच्छ गोधरा निवासी संघवी रत्न श्री खीमजी वेलजी छेडा थे। वर्तमान संचालन समाज रत्न श्री रवजीभाई खीमजी छेडा की तरफसे हो रहा हैं । यह गृह मन्दिर परम पूज्य आ. भ. श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. के पट्टधर प.पू. युगदिवाकर आ.भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. की पावन प्रेरणा से बनाया गया हैं । इसकी चलप्रतिष्ठा ता. ३१-८-६८ को हुई थी। यहाँ आरस के २ प्रतिमाजी, पंच धातु के ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - १ तथा मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी पंच धातु के ही हैं। इसके अलावा कांच की कारीगरी से बनाये गये श्री सम्मेतशिखरजी, श्री गिरनारजी, श्री पावापुरी, श्री शत्रुजय तीर्थ, श्री अष्टापदजी के पट्ट शोभायमान हो रहे हैं। ___यहाँ श्री मुनिसुव्रत आराधक मण्डल, श्री सामायिक मण्डल, श्री आराधक खण्ड की भी व्यवस्था हैं। (११४) श्री मल्लिनाथ भगवान गृह मन्दिर जुह चर्च रोड, राधाकुंझ के कम्पाउण्ड में, जुहू चौपाटी के आगे, विलेपार्ले (प.) मुंबई - ४०० ०५६. टे. फोन : ६२० ४२ २५, ६२४ ३१ ०५ लीलाधर देवजी विशेष :- यह मन्दिर परम पूज्य मोहन - प्रतापसूरीश्वर के पट्टधर प. पू. युगदिवाकर For Private and Personal Use Only Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर आ. भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. साहेब की पावन प्रेरणा से बनाया गया हैं। जिसकी चल प्रतिष्ठा वि. सं. २०३१ का श्रावण सुद ७ बुधवार तारीख १३-८-७५ को परम पूज्य आचार्य भगवंत विजय रामसूरीश्वरजी म. डेहलावाले की पावन निश्रा में हुई थी। प्रतिमाजी चेम्बुरतीर्थ से लाई गई थी। यहाँ आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ७, अष्टमंगल -१ तथा यक्ष-यक्षिणी बिराजमान हैं। श्री चंपापुरी, श्री शत्रुजय, श्री गिरनार, श्री सम्मेत शिखर, श्री पावापुरी आदि सभी तीर्थ दर्शनीय हैं। यहाँ जुहु महिला मण्डल तथा कैलाश एपार्टमेन्ट में उपाश्रय की व्यवस्था है। मुंबई की लोकप्रिय जुहु चौपाटी आनेवाले समस्त जैन भाईयो से नम्र निवेदन प्रार्थना है कि इस गृह मन्दिरजी का दर्शन पान करने का अवश्य लाभ लेवे। विलेपार्ले (पूर्व) (११५) श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय ४७, महात्मा गांधी रोड, हनुमान पथ के किनारे पर, विलेपार्ले (पूर्व) मुंबई - ४०० ०४७. टे. फोन : ओफिस - ८३४ ०८ ०२, हसमुखभाई धामी ८३४ ९८ ८५, ८३५ ३० ९२ विशेष :- इस भव्य जिनालय की सर्वप्रथम प्रतिष्ठा वि. सं. १९८५ माह सुद १३ गुरूवार ता. २१-२-१९२९ को हुई थी। उसके बाद नेमि - विज्ञान कस्तूर समुदाय के पन्यासजी श्री यशोभद्र विजयजी म. तथा मुनि श्री भानुचन्द्र विजयजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०२० का माह सुद - ६ सोमवार ता. २१-१-१९६४ को तत्कालीन संघ प्रमुख सेठ रतिलाल मणिलाल नानावटी के शुभ प्रयासो द्वारा श्री आदिनाथ प्रभु, श्री महावीर स्वामी, श्री अजितनाथ प्रभु, श्री पद्म प्रभस्वामी, श्री शान्तिनाथ प्रभु, श्री गौतम गणधर, श्री पद्मावतीदेवी, श्री चक्रेश्वरी देवी आदि प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा हुई थी। ___ उसके बाद आचार्य भगवंत जिनशासन शणगार विजय चन्द्रोदयसूरीश्वरजी म. के लघु गुरु बंधु परम पूज्य आचार्य भगवंत विजय अशोकचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०३७ का माह सुद १३ सोमवार ता. १६-२-८१ के दिन संघ प्रमुख श्री रमणलाल डायाभाई के शुभ प्रयासो द्वारा श्री मुनिसुव्रत स्वामी और श्री सीमन्धर स्वामी की प्रतिष्ठा हुई थी। इस प्रतिष्ठा के बाद द्वारोद्घाटन वि. सं. २०३७ का माह सुद १४ को सेठ श्री गुमानमलजी सावलचन्दजी दोशी परिवार भीनमाल (राज.) द्वारा हुआ था। यहाँ पर सेठ प्रतापराय अंबालाल मोहनलाल जैन उपासरा बना । उसका उद्घाटन समारंभ २०३४ का वैशाख सुदी तृतीया के मंगल दिन परम पूज्य आ. देव वयोवृद्ध पूज्य श्री भुवनसूरीश्वरजी म., पू. आ. विजय लब्धिसूरीश्वरजी म., पू. आचार्य श्री विजय कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. इस प्रकार तीन आचार्य भगवंतो की शुभ निश्रा में हुआ था। जिसके उद्घाटन कर्ता सेठ महेन्द्रकुमार प्रतापराय थे तथा अनावरण विधि कर्ता था सेठ माणेकलाल चुनीलाल । For Private and Personal Use Only Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर श्रीमती इन्दुमती प्रतापराय व्याख्यान हॉल की अनावरण विधि सेठ अमृतलाल भाणजीभाई शापरीया तथा श्रीमती ताराबेन अंबालाल स्वाध्याय हॉल की अनावरण विधि सेठ श्री धरमदास रघुनाथजी शाह एवं श्री मालवाडा वर्धमान तप आयंबिल शाला की अनावरण विधि श्रीमती मणिबहन ईश्वरलाल मेहता के कर कमलो द्वारा हुई थी। पालीताएा निवासी मास्तर कुंवरजी दामजी जैन पाठशाला तथा मन्दिरजी के पीछे के भाग में आ. भगवन्त विजय लक्ष्मणसूरीश्वरजी म. का गुरु मन्दिर तथा मणिभद्र वीर देहरी सुशोभित हैं। ___ इस जिनालय में आरस की १८ प्रतिमाजी, पंचधातु की प्रतिमाजी व सिद्धचक्रजी आदि २५ का अंदाजा हैं। इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री विलेपार्ले श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ एण्ड चेरीटीज विलेपार्ले (पूर्व) है। यहाँ श्री पार्श्वपूजक महिला मण्डल, श्री सामायिक मण्डल, श्री सुणतर अरिहंत स्नात्र महिला मण्डल, श्री चिन्तामणि पार्श्वपूजक महिला मंडल, श्री अरिहन्त भक्ति महिला मंडल प्रभु भक्ति में अग्रसर हैं। यहाँ श्री जैन धार्मिक पुस्तकालय की व्यवस्था है प्रति रविवार सुबह १०-१२ बजे तक। जैन युवक मण्डल की तरफ से मेहसाना मेन्शन तेजपाल रोड पर विलेपार्ले (पूर्व) में मेडिकल क्लीनिक की सेवा चालु है। (११६) श्री महावीर स्वामी भगवान गृह मन्दिर विजय निवास कम्पाउण्ड में, मालवीया रोड, मेन नेहरू रोड, विलेपार्ले (पूर्व), मुंबई - ४०० ०५७. टे. फोन : ओफिस -६११०९५२ खुशालभाई (ओ.) ६११ ३३ २५ (र.) ६१५ २२ ३० विशेष :- श्री अचलगच्छ जैन संघ विलेपार्ले (पूर्व) द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृहमन्दिर में वंगस्थ आचार्य गुणसागरसूरीश्वरजी म. की दिव्य कृपा, तपस्वीजी आचार्य श्री गुणोदयसागरसूरीश्वरजी म. के शुभाशिष तथा साहित्य दिवाकर आ. भगवन्त श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा में वि. संवत २०५० का वैशाख सुदी १४ ता. २३५-९४ सोमवार को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री महावीरस्वामी सहित पंचधातु की ८ प्रतिमाजी पाषाण की श्री संभवनाथ भगवान तथा श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ४, अष्टमंगल - १ तथा श्री पद्मावती देवी और श्री महाकालीदेवी भी बिराजमान हैं। वि. सं. २०३८. में स्थापित अ. सौ. मूलबाई मीठुभाई मावजी गडा रायधणजारवाला जैन उपासरा तथा महिला मण्डल की व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ७३ (११७) श्री श्रेयांसनाथ भगवान गृह मन्दिर रवम्भाती निवास बिल्डींग नं. २, तिसरा माला लास्ट फ्लोर, आगाशी पर, दीक्षित रोड, मेन नेहरू रोड, विलेपार्ले (पूर्व) मुंबई - ४०० ०५७. टे. फोन : ओ. ६१२ १० ०५ रमणभाई विशेष :- परम पूज्य सिद्धान्त महोदधि आ. भगवंत श्री विजय प्रेम सूरीश्वरजी महाराज के समुदाय के पन्यासजी परम पूज्य श्री हेमचन्द्रविजयजी म. की शुभ निश्रा मे वि. सं. २०३३ का वैशाख वद ११ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी तथा सिद्धचक्रजी - २ शोभायमान हैं। यहाँ श्रेयांसनाथ महिला मण्डल की व्यवस्था हैं। (११८) श्री विमलनाथ भगवान गृह मन्दिर नवल पेलेस कम्पाऊण्ड में, नरिमन रोड, मेन नेहरु रोड, विलेपार्ले (पूर्व) मुंबई - ४०० ०५७. टे. फोन : हेड ऑफिस - ८३४ ०८ ०२, देवेन्द्रभाई - ६११ ११ ९८, ६१४३६ ६६. विशेष :- परम पूज्य नेमि - विज्ञान - कस्तूरसूरीश्वरजी के पट्टधर आ. विजय चंद्रोदयसूरीश्वरजी म. के गुरु बंधु आ. विजय अशोकचंद्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा - में वि. सं. २०४२ का वैशाख सुद ७ शुक्रवार को सेठ श्री रमणलाल डायाभाई शाह अंबासण निवासी के कर कमलो से स्थापना हुई थी। यहां श्री मूलनायक श्री विमलनाथ भगवान तथा आजू बाजू में श्री मुनिसुव्रतस्वामी प्रभु तथा संभवनाथ प्रभु की आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं तथा दिवार पर बनाये आरस के श्री सम्मेत शिखरजी, श्री शत्रुजय, श्री गिरनारजी, श्री अष्टापदजी तीर्थो के पट दर्शनीय हैं। इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री विलेपार्ले श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ एण्ड चेरीटीज हैं। (११९) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर म्युनिसिपल दवाखाना के पीछे, तेजपाल रोड, विलेपार्ले (पूर्व), मुंबई - ४०० ०५७. टे. फोन : ओ. ६१२ ०६ ३४ भरतभाई शाह, ६१४ ३८ ९८ अशोकभाई, ६१२ ७९ ८३ दलपतभाई सी. दोशी विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री सौभाग्य वर्धक जैन संघ, अशोक For Private and Personal Use Only Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७४ मुंबई के जैन मन्दिर कुंझ विलेपार्ले (पूर्व) हैं। पालनपुर निवासी स्व. सेठ श्री राजमलभाई हेमराजभाई मेहता के सुपुत्र डॉ. अशोकभाई पौत्र डॉ. समीरभाई आदि परिवारवालो की तरफ से जिनालय के लिये जमीन श्री सौभाग्यवर्धक जैन संघ को सप्रेम भेट मिली हैं। __परम पूज्य लब्धिसूरि समुदाय के प. पू. आ. भगवंत श्री जिनभद्रसूरि म. सा. एवं प. पूज्य आ. भ. यशोवर्मसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५४ का माह सुदी ११ शनिवार ता. ७-२-९८ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री आदीश्वर प्रभु, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ, श्री सीमंधर स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ के अलावा श्री मणिभद्रवीर, श्री पद्मावती देवी, श्री महालक्ष्मी, श्री सरस्वतीदेवी एवं परम पू. आ. विक्रमसूरि गुरूदेव की चरण पादुकाएँ सुशोभित हैं। श्री आदीश्वर दादा की प्रतिभाजी १८० वर्ष प्राचीन हैं तथा श्री जैन श्वेताम्बर नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ से प्राप्त हुई हैं। अंधेरी (पश्चिम) (१२०) ___ श्री चन्दप्रभस्वामी भगवान भव्य जिनालय वरसोवा रोड, जयप्रकाश मार्ग, पाण्डु पाटील गली, स्वामी विवेकानंद रोड, अंधेरी (प.) मुंबई-४०० ०५८. टे. फोन : ओ.६२८ ५४ ६९, ६२८ २९ ०१, ओटरमलजी - ६२८ १० ०४, ६२८ २९ ३१, रतनचन्दजी - ६२४ ७८ १२. विशेष :- अंधेरी (पश्चिम) के श्री चन्दप्रभ स्वामी जैन मन्दिर, मुंबई के पुराने ऐतिहासिक मन्दिरो में से एक हैं । सं. १९८८ जेठ सुदी ६ दि. १०-६-१९३२ को अचिंत्य चिन्तामणि रत्न से भी अधिक मनोहारी एवं अलौकिक श्री चन्द्रप्रभ स्वामी दादा की प्रतिमा (मूलनायकजी) की प्रतिष्ठा आगमोद्धारक प.पू. आ. श्रीमद् आनंदसागरसूरीश्वरजी म. की निश्रा में सेठ मोहनलाल हेमचन्द जवेरीने की है। दाई ओर श्री धर्मनाथ प्रभु को सेठ चीमनलाल मोहनलाल जवेरी एवं बायी और श्री आदिनाथ की प्रतिमाजी को सेठ नगीनदास करमचन्दने प्रतिष्ठापित किया । भगवान के मूलशिखर पर कायमी ध्वजा का लाभ सेठ वीशाजी फूआजी लुणावा (राज.) वालोने लिया और उसी समय यक्षयक्षिणी, श्री मणिभद्रवीर, कुलदेवी आदि मूर्तियों की स्थापना भी की गई। सं. २००६ के आस पास पुराने मंदिर का नूतनीकरण का कार्य उस समय के मेनेजिंग ट्रस्टी श्री वरदीचन्दजी सी. कोठारी के मार्ग दर्शन से हुआ। सं.२०१३ में मंदिरजी के मध्यभाग में सेठ लालचन्दजी वनेचन्दजी कोठारी (घाणेराव) प्रमुख ट्रस्ट के देखरेख में चौमुखी सुन्दर छत्री का निर्माण कर प. पू. आ. भ. श्री विजय लावण्यसूरीश्वरजी For Private and Personal Use Only Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर म. की निश्रा में माह सुदी ६ दि. ६-२-१९५७ को बडी धूमधाम से अंजनशलाका के साथ प्रतिमाजी को प्रतिष्ठापित किया गया, जिसमे भगवान सुपार्श्वनाथजी की प्रतिमा को सेठ प्रतापभाई भोगीलाल (पाटण), श्री महावीर स्वामी भगवान की प्रतिमा को शा. देवराज गणपत ( कच्छ मोटीखाखर), श्री शांतिनाथ भगवान को शा. वनेचंदजी जेठमलजी कोठारी (घाणेराव) और श्री महावीर स्वामी की प्रतिमा को शा. सुरजमल खुशालभाई ( कच्छ मांडवी) ने बिराजमान किया । ७५ कालान्तर में मंदिरजी के अग्रभाग में. सं. २०१८ में एक और सुन्दर देहरी (छत्री) का निर्माण शा. धनरूपजी भेराजी बागरेचा सोलंकी के मार्गदर्शन में हुआ, उसमें परम पूज्य आ. भ. कैलाशसागरसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वैशाख वद ७ दि. २६-५-६२ को जिन प्रतिमाओं को प्रतिष्ठापित किया गया। जिसमे भगवान श्री सीमंधर स्वामी प्रतिमाजी शा. पोपटलाल हुकमचन्द शाह ( आजोल निवासी), श्री वासुपूज्यस्वामी भ. की प्रतिमा शा. रिखबचन्द हुकमचन्द शाह (आजोल), श्री मुनिसुव्रत स्वामी भ. की प्रतिमा शा. चुनीलालजी भीकमचन्द कोठारी (धाणेराव) वालो ने बिराजमान की । यहाँ वर्षो तक कोई भी स्वतंत्र उपाश्रय नहीं था, उसी वक्त वि. सं. २०२१ में प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. कपडवंज निवासी श्री नवीनचन्द वाडीलाल शाह के महोत्सव पर पधारे थे, उस समय उन्ही के पुण्य प्रभाव और प्रबल प्रेरणा से मन्दिरजी मुख्य ट्रस्टी घाणेराव (राज.) निवासी श्री वनेचन्दजी जेठमलजी कोठारी परिवार के श्री लालचन्दजी ने शान्तावाडी में अपनी विशाल भूमि का दान श्री संघ को उपाश्रय हेतु दिया और फिर ४ मंजील का आलीशान विशाल उपाश्रय का निर्माण होने के बाद वि.सं. २०२४ वैशाख मास में उस भव्य उपाश्रय का उद्घाटन प. पू. युगदिवाकर गुरूदेव की निश्रा में हुआ। उसी वर्ष में पर्युषण पर्व आदि आराधना हेतु पधारे हुए प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. के परिवार प.पू. आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म. सा. ( उस समय मुनि प्रवर) की प्रभावपूर्ण प्रेरणा से उनकी निश्रा में उपाश्रय के विविध मंजील के विविध विभागो का आदेश दिया गया और उपाश्रय फंड हुआ, उसमे पहले माले पर श्री वर्धमान तप आयंबिल खाता की स्थापना भी की गयी। कई वर्षो के बाद इस उपाश्रय के पीछे श्राविका उपाश्रय का भी आयोजन हुआ हैं। For Private and Personal Use Only तत् पश्चात् सं. २०३५ में प.पू. आ. भ. श्री अशोकचन्द्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वैशाख सुदी ६ ता. २ - ५-७९ को देव कुलिका में श्री जिन प्रतिमाओ को प्रतिष्ठापित करने का लाभ निम्न भाग्यशालीओ ने लिया । श्री वासुपूज्य भगवान की प्रतिमा श्री लक्ष्मीचंद भाईचंद शाह (रणासण), श्री धर्मनाथ भगवान की प्रतिमा शा. रतिलाल नगीनदास (पाटण), दरवाजे के उपरी हिस्से में दोनो और देव कुलिकाओं में भगवान बिराजमान किये गये, एवं श्री सीमन्धरस्वामी की छोटी प्रतिमाजी को शा जीवराजजी गणेशमलजी ( खौड. राज.) ने, श्री नेमिनाथ भगवान की प्रतिमाजी को कोरसी वालजी (मनफरा) तथा श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमाजी को शा. जेठालाल भाईचंद शाह (सासम बनासकांठा) ने प्रतिष्ठापित की । Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७६ मुंबई के जैन मन्दिर _ वि. सं. २०३८ का जेठ सुद ५ ता. २७-५-८२ को प. पू. आ. भ. श्री अशोकचंद्रसूरीश्वरजी म. की निश्रा में गुरू गणधर श्री गौतम स्वामी की प्रतिमा को शा मणिलाल रतनचन्द शाह (पाटण) वालो ने स्थापित की। श्री मणिभद्रवीर के गोखले का नूतनीकरण का लाभ शा. धेवरचन्दजी दीपचन्दजी तातेड (धाकडी - राजस्थान) श्री यक्षिणीदेवी के गोखले का नूतनीकरण का लाभ कुन्दन ज्वेलर्स - अंधेरी (प.) के द्वारा सम्पन्न हुआ। श्री अधिष्ठायक देव के गोखले का नूतनीकरण का लाभ शा. मुलतानमलजी हीराचन्दजी संदेशा मुथा (रामाजी गुडा) ने लिया। वि.सं. २०४५ का पोष वद १ ता. २१-१-८९ को प. पू. आ. भ श्री यशोभद्रसूरीश्वरजी म. की निश्रा में भगवान श्री आदिनाथजी की प्रतिमाजी को शा. धीसुलालजी कुन्दनमलजी हींगड (घाणेराव) परिवार ने बिराजमान की हैं। इस वक्त मन्दिरजी में आरस की १८ प्रतिमाजी, पंचधातु की १८ प्रतिमाजी एवं सिद्धचक्रजी १७ वगैर शोभायमान हो रहे है। यहाँ शांतावाडी में २ भव्य उपाश्रय एवं व्याख्यान भवन की व्यवस्था हैं। श्री वर्धमान तप आयंबिल शाळा, श्री आत्मवल्लभ जैन पाठशाळा, श्री आत्मवल्लभ जैन लायब्रेरी तथा श्री अंधेरी जैन स्वयंसेवक मण्डल की भी सेवा - संगीत में अनोखी प्रवृत्ति हैं। (१२१) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर संघवी विला, इरला ब्रिज, बम्बाखाना के सामने, ७५ स्वामी विवेकानंद रोड, अंधेरी (पश्चिम) मुंबई - ४०० ०५८. टे. फोन : ६२० ८८४८, ६२८ ३० १३ शेवन्तीलालभाई विशेष :- अंधेरी विभाग में सबसे प्राचीन गृहमन्दिर यही हैं । इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्रेष्ठीवर्य श्री नगिनदास करमचन्द संघवी हैं । स्थापना वि. सं. १९७५ का माह सुद ५ को हुई थी किन्तु वि.सं. १९८२ वैशाख सुदी ३ अक्षय तृतीया के शुभदिन राधनपुर के निवासी सेठ श्री कमलभाई गुलाबचन्दजी की क्रिया विधि द्वारा प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ के मूलनायक संप्रत्ति महाराजा के समय के लगभग २२०० वर्ष से अधिक प्राचीन हैं। यहाँ पंचधातु की १३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ९ सुशोभित हैं । धन्य है मन्दिरजी के निर्माता को जिससे आज भी प्राचीन गृह मन्दिरजी की कलाकृति का दर्शन प्राप्त होता हैं। (१२२) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर टोप हिल बंगला, अलका एपार्टमेन्ट, सी विंग, पहला माला, स्वामी विवेकानंद रोड, अंधेरी (पश्चिम) मुंबई - ४०० ०५८. 'टे. फोन : ६२१ १२ ८२ कीर्तिभाई, ६२१ ०९०१ नरेन्द्रभाई For Private and Personal Use Only Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर विशेष :- यह मन्दिर पहले सुप्रसिद्ध उद्योगपति जैन समाज के अग्रणी सेठ स्व. भोगीलाल लहेरचन्द जव्हेरी (श्रीराम मील के भूतपूर्व मालिक) ने अपने पुराने बंगले टोप हिल बंगले मे वि.सं. १९७७ इ. सन १९२१ ई. में स्थापित किया था । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इसी बंगले के स्थान पर अलका एपार्टमेन्ट की बिल्डींग बनी। अलका एपार्टमेन्ट के "सी" विंग के पहले माले पर पुरानी प्रतिमाजी बिराजमान कर पुनः वि. सं. २०५१ का माह वद १० को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यह मन्दिर स्व. श्री भोगीलाल लहेरचन्द गृहमन्दिर नाम से विख्यात हैं । यहाँ श्री शाति समता सामायिक मण्डल तथा अलका जैन पाठशाला तथा श्री चंपाबेन भोगीलाल पौषधशाळा की व्यवस्था हैं। (१२४) ७७ (१२३) श्री चित्रगुप्त स्वामी भगवान गृह मन्दिर विमल एपार्टमेन्ट, बी विंग, तीसरा माला, जुहु रोड, सी. डी. बरफीवाला मार्ग, स्वामी विवेकानंद रोड, अंधेरी (पश्चिम), मुंबई - ४०००५८. टे. फोन : ६२४ २३ ३४ केतनभाई, ६२०६८ ८५ रमेशभाई विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्रीमान सेठ सुमनभाई मूलचन्द शाह हैं। वर्तमान में आप आचार्य भगवन्त विजय भुवन भानुसूरीश्वरजी म. के. शिष्य आ. विजय हेमभूषणसूरीश्वरजी म. के शिष्य बनकर मुनिराज श्री संयम दर्शन विजयजी महाराज के नाम से दीक्षित हुए हैं। दीक्षा दाता आचार्य भगवन्त विजय भुवन भानुसूरीश्वरजी म. साहेब थे । उनके सुपुत्र श्री केतनभाई मन्दिरजी का सुंदर ढंग से संचालन कर रहे हैं । इस मन्दिरजी मे भावि चोवीशी के सोलहवे तीर्थकर प्रभु श्री चित्र गुप्त स्वामी विराजमान हैं । जिसकी चल प्रतिष्ठा वि. सं. २०२४ का मगसर सुद १५ शनिवार की हुई थी । श्री संभवनाथ भगवान गृह मन्दिर ए-वन, जीवन सुधा बिल्डींग, जुहु रोड, सी. डी. बरफीवाला मार्ग, स्वामी विवेकानन्द रोड, अंधेरी (पश्चिम) मुंबई - ४०० ०५८. टे. फोन : ६२५ ३९ ३८ For Private and Personal Use Only विशेष :- श्रेष्ठीवर्य श्री केतनभाई सी. शाह इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक हैं । इसकी चलप्रतिष्ठा वि. संवत २०५१ का वैशाख सुदी द्वि. ४ ता. ४-५ - ९५ गुरुवार को सुबह ६ बजकर ३० मिनिट पर उपाश्रय से बैण्ड बाजो के साथ परम पूज्य आ. श्री विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. के शिष्य पन्यासजी श्री चन्द्रशेखर विजयजी म. की शुभ निश्रा मे तथा इनके ही परिवार के संसारी भाई मुनि श्री धर्मभूषण विजयजी म. की उपस्थिति में हुई थी । Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७८ मुंबई के जैन मन्दिर यहाँ पंचधातु के मूलनायक श्री संभवनाथ प्रभु तथा सिद्धचक्रजी सुशोभित हैं । उस दिन विधि विधान के लिये श्री जलदीपभाई तथा भावना में श्री वर्धमान संस्कृतिधाम वाले पधारे थे। (१२५) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान भव्य जिनालय श्री महावीर जैन विद्यालय, जुहू गली, सी.डी.बरफीवाला मार्ग, स्वामी विवेकानन्द रोड, अंधेरी (पश्चिम) मुंबई - ४०० ०५८. टे. फोन : ओ. ६२१ ०३ ७४ एम. के. शाह ओफिस - ३४२ ९७ ३३, ३४३ ६८ ५१, घर - ६२० ६७ ३९, ६२४ ७० ९२ जी. सी. शाह घर - ६२४ ६८ २० विशेष :- महावीर जैन विद्यालय के आद्य प्रेरक युगवीर आचार्य श्री विजय वल्लभ सूरीश्वरजी म. की जन्म शताब्दी भारत भर में खूब उल्लास एवं आनंदपूर्वक मनाई जा रही थी, उसी महोत्सव निमित्त आप श्री के पट्ट प्रभावक शान्तमूर्ति आ. भगवंत श्री विजय समुद्रसूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा से जुहु लेन मुंबई मे श्री महावीर जैन विद्यालय की शाखा की स्थापना हुई थी। इसका खनन - भूमिपूजन डॉ. चिमनलाल नेमचन्द श्राफ के शुभ हस्त से ता. ११-२-१९७१ को हुआ था। विद्यालय के विभिन्न विभागो का नामकरण समारंभ तारीख ११-१२-१९७३ को हुआ था। डॉ. शांतिलाल जे. शाह विद्यार्थी गृह नामकरण, कर्तव्य निष्ठ शिक्षणप्रेमी शान्ताबेन झवेरचन्द नेमचन्द मेहता के शुभहस्ते हुआ था। श्री मेहता होल सभागृह नामकरण, संस्था के ट्रस्टी और उदारदिल स्व. श्री कपूरचन्द नेमचन्द मेहता और कुंटुबीजनो के श्री मेहता चेरीटी ट्रस्ट तरफ से उदार सहयोग मिलने से भोयतलिये के सभागृह के मेहता हॉल नामकरण करने की विधि, धर्मानुरागी उदारदिल श्रेष्ठीवर्य सेठ श्री माणेकलाल चुनीलाल के शुभ हस्त हुआ था। श्री कांतिलाल सी. परीख होल' शिक्षणप्रेमी और उद्योगपति श्री कांतिलाल सी. परीख के स्मरणार्थे उदार सहयोग श्रीमती कमलाबेन कांतिलाल परीख ट्रस्ट की तरफ से मिलने से पहले माले के सभागृह को 'श्री कांतिलाल सी. परीख हॉल' नाम देने की विधि श्रीमती कमलाबेन के पिता श्री मणिलाल माणेकचन्द संघवी ने की थी। दूसरे माले के सभागृह के नामकरण विधि धर्मानुरागी उद्योगपति श्रेष्ठीवर्य श्री अमृतलाल भाणजी शापरीया के हस्त हुई थी । इस प्रकार 'श्री वल्लभ सूरीश्वरजी विद्यार्थी गृह' एवं आगम प्रभाकर पुण्य विजयजी म. सभागृह' विद्यालय की शोभा बढा रहे हैं। तैल चित्र समर्पण : समदर्शी आचार्य श्री वल्लभसूरीश्वरजी म. का तैल चित्र समर्पण की विधि खीमेल (राज.) वाले सेठ श्री उमेदमलजी राजाजी और परिवारवालोने की थी। श्री वासुपूज्य स्वामी जिनालय श्री महावीर जैन विद्यालय के कम्पाउण्ड में शोभायमान हो रहा For Private and Personal Use Only Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ७९ हैं। इस मन्दिरजी का शिलारोपण वि.सं. २०३२ का पोष वद ८ ता. २४-१-७६ रविवार को पाटण निवासी सेठ श्री रमणलाल नगीनदास शाह परिवारवालो की ओर से हुआ था। इस भव्य जिनालय की प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय दक्षसूरीश्वरजी म., आचार्य श्री विजय चंद्रोदयसूरीश्वरजी म., आ. विजय अशोकचंद्र सूरीश्वरजी म. पन्यासजी श्री जयचंद्र विजयजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. २०३४ का वैशाख सुद ६ तारीख १३-५-७८ शनिवार को हुई थी। ___ मन्दिरजी में श्री मूलनायक वासुपूज्यस्वामी २१' सहित आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु के ४, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ तथा परम पूज्य श्री विजय वल्लभसूरीश्वरजी म. एवं आगम प्रभाकर श्री पुण्य विजयजी म. की भी प्रतिमाजी बिराजमान हैं। जिनालय में अनेक तीर्थो के दृश्य भी सुशोभित है तथा मूल गंभारे मे कांच के टुकडो की रंग बिरंगी डिझाईनो मनभावन कर दी गई हैं। ___ जुह लेन अंधेरी (प.) तुषारपार्क में पू. आ. देव श्री कीर्तिचंद्रसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में श्री महावीर जैन विद्यालय के हॉलमें आ. श्री विजय लक्ष्मणसूरीश्वरजी जैन पाठशाळा के मकान का भव्य उद्घाटन समारंभ ता. ११-६-७८ रविवार को हुआ था सेठ श्री सुमतिलाल के कर कमलो द्वारा तथा श्री लक्ष्मण कीर्ति जैन पुस्तकालय की उद्घाटन विधि सेठ श्री दौलतराव वलीया के कर कमलो द्वारा हुई थी। यहाँ प्रतिदिन जैन - जैनेतर भाई भी पाठशाला में पढते है। यहाँ श्री महावीर महिला मंडल, श्री ऋषभ कीर्ति सामायिक मंडल तथा जुहुगली ऋषभ सामायिक मण्डल की व्यवस्था हैं। (१२६) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर ओबेराय बिल्डींग के कम्पाउण्ड में, भाग्य एपार्टमेन्ट के बाजू में, भार्डी वाडी मार्ग, स्वामी विवेकानंद रोड, अंधेरी (प.) मुंबई - ५८. टे. फोन : सतीशभाई ६२४ ८० ३९ - ६२४ ८२ २७ विशेष :- यह गृह मन्दिर श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु का हैं । यहाँ मूलनायक आरस की एक प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ तथा पार्श्वयक्ष एवं पद्मावतीदेवी बिराजमान हैं। प्रथम चल प्रतिष्ठा २०४० का माह वद १ ता. ९-१२-८४ को और पुन: प्रतिष्ठा वि. सं. २०४६ के माह सुद ११ ता. २८-११-९० को हुई थी। यहाँ श्री शान्ता अमृत जिनालय, श्री शान्ता अमृत पाठशाला, एवं श्री पार्श्व महिला मण्डल की व्यवस्था हैं । इस गृह मन्दिर के व्यवस्थापक एवं संचालक श्रेष्ठीवर्य श्री सतीशभाई वोरा हैं। For Private and Personal Use Only Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ८० (१२७) www.kobatirth.org (१२८) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर श्री धर्मनाथ स्वामी भगवान गृह मंन्दिर १०२, अनुराधा बिल्डींग, पहला माला, स्वामी विवेकानंद रोड, अंधेरी (प.) मुंबई - ४०० ०५७. टे. फोन : ६२०५३ ५० देवचन्दभाई विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्रीमान सेठ श्री देवचन्दभाई धनजी परिवार वाले हैं। इसकी चल प्रतिष्ठा वि. सं. २०४८ का वैशाख सुद ६ को हुई थी । यहाँ पंचधातु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ सुशोभित हैं । श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर मीनु - मिनार को. सोसायटी बिल्डींग में, ग्राउण्ड फ्लोर, वीरा देसाई रोड, अंधेरी (प.) मुंबई - ४०००५३. टे. फोन : ६२६ ७३ ४१ सुरेशभाई विशेष : - इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ हैं । मार्गदर्शक एवं प्रेरणा दाता परम पूज्य आ. भगवन्त श्री मोहन - प्रताप धर्म परिवार के परम पूज्य आचार्यदेव श्री विजय पूर्णानन्दसूरीश्वरजी म. ( आत्मबंधु) की शुभ निश्रा में चल प्रतिष्ठा वि. सं. २०५० का काति वद १० बुधवार ता. ८-१२-९३ को हुई थी । परम पूज्य युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वर समुदाय के प. पू. आ. भगवंत श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से चेम्बर तीर्थ से प्राप्त मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान, श्री वासुपूज्य स्वामी, श्री शीतलनाथ प्रभु ये तीनो आरस की प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। एक तरफ गोखले में श्री पद्मावती देवी के अलावा दिवार पर श्री शत्रुंजय, श्री सम्मेत शिखरजी के पट व चिन्तामणि पार्श्वनाथ का फोटो भी दर्शनीय हैं। मन्दिरजी के बाजू में आराधना भवन तथा पाठशाला भी चालु हैं। ❀ (१२९) श्री ऋषभदेव भगवान गृह मन्दिर धुप छाँव बिल्डींग के कम्पाउण्ड में, ग्राउन्ड फ्लोर, नवकिरण मार्ग, चार बंगला, मेन रोड, अंधेरी (प.) मुंबई - ४०००५३. टे. फोन : ६२३ ३३ १७ डुंगरशीभाई ६२३०७ ७९ उमरशीभाई For Private and Personal Use Only - विशेष :- श्री ऋषभदेवजी श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन देरासर द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृहमन्दिर की चल प्रतिष्ठा वि. सं. २०२२ का फागुण वद ३ मंगलवार ता. ८-३ - १९६६ को हुई थी। Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर इस जिनालय में आरस की १ प्रतिमाजी, पंचधातु ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ के अलावा श्री शत्रुजय तीर्थ, श्री सम्मेत शिखर तीर्थ, श्री राणकपुर तीर्थ वगैरह जिनालय में सुशोभित हैं। (१३०) श्री संभवनाथ भगवान गृह मन्दिर ४३, आराम नगर नं. १, समीर व्हीडीयो के बाजू मे, वेल्फेर स्कूल के पास, __गार्डन बस स्टोप, सात बंगला, अंधेरी (प.) मुंबई - ४०० ०६१. टे. फोन : ६२६ १० ६५, ६२९ २४ २१ कांति सावला, ६२६ ९४ ५७, ६२६ ५८ ३५ हरेश शाह विशेष :- श्री वर्मोवा श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ अंधेरी (प.) के पुण्यबल से नूतन जिनालय बनाने के लिये प्लोट कच्छ गाँव भोजाय के अ. सौ. रतनबेन गांगजी प्रेमजी पासड परिवार के भाव से भेट मिला हैं। जिसकी शिला स्थापन की विधि वि.सं. २०५३ का मागसर सुद ४ शुक्रवार ता. १३-१२-९६ को हुई थी। परम पूज्य शासन प्रभावक आचार्य भगवंत श्री विजय मोहन - प्रताप - धर्मसूरीश्वर समुदाय के प. पू. आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. की पावन निश्रा में श्री संभवनाथ ३१" आदि जिनबिंबो की अंजन शलाकाविधि वि. सं. २०५३ का माह सुद - १ शनिवार ता. ८-२-१९९७ को कांदिवली (प.) श्री मुनिसुव्रतस्वामी जिनालय में हुई थी। भगवान का नगर प्रवेश वि. सं. २०५३ का माह सुद १३ बुधवार ता. १९-२-१९९७ को परम पूज्य मुनिराज श्री पुण्योदय सागरजी म. की निश्रा में हुआ था। प्रतिष्ठा साहित्य दिवाकर अचलगच्छ समुदाय के आचार्य कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५३ का वैशाख सुद ६ सोमवार तारीख ११-२-९७ को धाम - धूम के साथ नौ दिन के महोत्सव के साथ सम्पन्न हुई थी। यहाँ के जिनालय में मूलनायक श्री संभवनाथ ३१ तथा आजुबाजु में श्री मुनिसुव्रत स्वामी २५, श्री पार्श्वनाथ २५ की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ के साथ श्री गौतम स्वामी, श्री पद्मावती देवी, श्री चक्रेश्वरी देवी, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री त्रिमुख यक्ष, श्री दुरितारि देवी, श्री प्रासाद देवी भी दर्शनीय हैं। (१३१) श्री चंद्रप्रभ स्वामी भगवान गृह मन्दिर सीसेल बिल्डींग बी के ग्राउन्ड फ्लोर, स्वामी समर्थ रोड, क्रॉस नं. ३, लोखण्डवाला कॉम्पलेक्ष, मेन रोड, अंधेरी (प.) मुंबई - ५३. टे. फोन : हेमराजजी - ६२९ २२ ९४ जयन्तीभाई - ६२६ २०७३ विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय श्री नेमि - विज्ञान - कस्तूरसूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. विजय चंद्रोदयसूरीश्वरजी आदि मुनि भगवन्तो शुभ निश्रा में अजंन शलाका की हुई For Private and Personal Use Only Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८२ मुंबई के जैन मन्दिर आरस की चन्द्रप्रभ स्वामीजी की मूलनायक प्रतिमाजी बिराजमान हैं। चलप्रतिष्ठा वि. सं. २०४३ का माह वद १० को हुई थी। इस आरस की एक प्रतिमाजी के साथ पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २ तथा अष्टमंगल - १ शोभायमान हैं। श्रीमती पुष्पाबेन की अध्यक्षता में श्री चंद्रप्रभ महिला मण्डल पूजा भावना में अग्रसर हैं। अंधेरी (पूर्व) (१३२) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय सर्व पल्ली डॉ. राधाकृष्णन रोड, जूना नागरदास रोड, डॉ. राधाकृष्णन क्रॉस गली में, अंधेरी (पूर्व) मुंबई - ४०० ०६९. टे. फोन : ओ. ८३२ ५७ १८, ८३७ ३७ ७१ रसिकभाई विशेष :- पूज्यपाद परमोपकारी युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य प्रेरणा से सर्व प्रथम यहाँ के हनुमान बिल्डींग के पहले माले पर मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्व प्रभु के गृह जिनालय की स्थापना वि. सं. २०३१ का भाद्रवा सुद १३ को हुई थी और युग दिवाकर धर्मसूरीश्वर आचार्य भगवन्त के आदेश से चेम्बुर तीर्थ से प्राप्त श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ २१"जिन प्रतिमा की प्रतिष्ठा उस दिन परम पूज्य दर्शन विजयजी म. के शिष्य प. पू. चंद्रकीर्तिविजयजी म. की शुभ निश्रा मे हुई थी। उस वक्त श्याम वर्णीय आरस की एक प्रतिमाजी थी। उसके बाद श्री संघ के पुण्यबल से भव्य शिखरबंदी जिनालय का भूमिपूजन - खनन - शिलास्थापना विधान परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य गुरु भगवंत की पावन निश्रा में वि. सं. २०३७ मगसर मासमें हुआ था फिर उसकी भव्य प्रतिष्ठा परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री धर्मसूरीश्वरजी म. के पट्टधर पू. आचार्य श्री यशोदेवसूरीश्वरजी म. के पट्टधर पू. आ. श्री जयानन्दसूरीश्वरजी म. पू. आ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०३९ का वैशाख सुद ११ रविवार ता. २२-५-८३ को हुई थी साथ ही भव्य अंजन शलाका महोत्सव भी हुआ था। इस मन्दिरजी के निर्माता एवं व्यवस्थापक श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ अंधेरी (पूर्व) हैं। वि. सं. २०४४ काती वद ७ के शुभदिन यहां प. पू. आ. भ. श्री विजयजयानन्दसूरीश्वरजी म. सा. के शुभ हस्ते प. पू. आ. भ. श्री विजय महानन्दसूरीश्वरजी म. सा. और प. पू. आ. भ. श्री विजयसूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. का आचार्य पदारोहण महोत्सव सारे मुंबइमें ऐतिहासिक रूपसे बडे ही ठाठ माठ से शेठ श्री अशोकभाई के द्वारा उनके 'आरती' बिल्डींग के विशाल कम्पाउण्ड में बादशाही मंडपो में हुआ था। उस समय सारे मुम्बई महानगर के जैन संघो के ट्रस्टो के प्रमुख कार्यकर्ताओ के विशाल समुदायने उपस्थित होकर नूतन आचार्य देवो का अपूर्व बहुमान और भारी गौरव किया था। For Private and Personal Use Only Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर मन्दिरजी मे मूल गंभारे में आरस की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की ११ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ७ एवं अष्टमंगल - ३ सुशोभित हैं। पहली मंजिल पर आरस की ३ प्रतिमाजी श्री वासुपूज्य स्वामी, श्री धर्मनाथ एवं श्री शान्तिनाथ बिराजमान हैं । रंग मंडप के बाहर की ओर महावीर प्रभु के जीवन दर्शन के ८ पट तथा शत्रुजय तीर्थ एवं सम्मेत शिखरजी बहुत आकर्षक और सुशोभित हैं। ___ मुंबई शहर का यही एक पहला जिन मन्दिर हैं जहाँ मन्दिरजी के बाजू मे पद्मावती मंडप में श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री नाकोडा भैरुजी, श्री पद्मावती देवी, श्री चक्रेश्वरी देवी, श्री सरस्वती देवी, श्री लक्ष्मीदेवी इन सातो देवी - देवताओ की अलग अलग दहेरी बहुत सुंदर ढंग से बनाई गयी हैं। अति मनमोहक दर्शनीय हैं। बडी बडी सात प्रतिमाजी बहुत ही रमणीय है। यहाँ वीरमाता श्री हीराबेन पोपटलाल शाह पाटणवाला जैन आराधना भवन, श्री शान्तीदेवी बाबुलालजी नाहर व्याख्यान हॉल, श्री कुसुमबेन सोहनलाल चंडालिया नारलाई (राज.) निवासी वर्धमान तप आयंबिल शाला, साधु- साध्वीजी भगवन्तो के लिये दो भव्य उपासरा तथा श्री आत्म ज्योत महिला मण्डल, श्री दहेगाम महिला मण्डल , श्री ज्ञानोदय पाठशाला, श्री दिव्य प्रकाश जैन युवक मंडल की व्यवस्था हैं। (१३३) श्री सीमन्धर स्वामी भगवान गृह मन्दिर पारसी पंचायत रोड, अमरेड अपार्टमेन्ट, ग्राउन्ड फ्लोर, अंधेरी (पूर्व), मुंबई - ४०० ०६९. टे. फोन : ओ. ८३८ ९५ ३४, ८२१ ४५ ७७, घर - ८३६ ९२ ५४ - लालजीभाई, ८३५ १७०७ - शशिकान्तभाई विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय भुवन भानु सूरीश्वरजी म. के प्रशिष्य आचार्य भगवंत श्री विजय हेमचन्द्र सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की शुभ निश्रा में वि. सं. २०५० का जेठ सुद १२ सोमवार ता. २०-६-१९९४ को प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ आरस की मूलनायक श्री सीमन्धर स्वामी, श्री आदीश्वर भगवान, श्री मुनिसुव्रत स्वामी एवं श्री पार्श्वनाथजी की चार प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ तथा अष्टमंगल - १ शोभायमान हैं। श्री गौतम स्वामी, श्री पद्मावती देवी, श्री मणिभद्रवीर भी दर्शनीय हैं । यहाँ श्री सीमन्धर जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। (१३४) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर रुबी टेरेस बिल्डींग, तीसरा माला, लास्ट फ्लोर, गुंदवली रोड, अंधेरी - कुर्ला रोड, For Private and Personal Use Only Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८४ मुंबई के जैन मन्दिर - अंधेरी (पूर्व), मुंबई - ४०० ०६९. टे. फोन :८३८ ३७ ३० अरविंदभाई विशेष :- यहाँ ३५ वर्षो से मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान पंचधातु के पूजे जा रहे हैं। वि.सं. २०४५ में अंधेरी (पूर्व) श्री शंखेश्वर जिनालय संघ में चातुर्मास बिराजमान प. पू. युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वर परिवार के प. पू. आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म. के आदेश से पधारे हुए उनके विद्वान शिष्य प. पू. बालमुनि श्री राजरत्न विजयजी म. सा. की शुभ निश्रा में यहाँ पर्युषण पर्व आराधना का प्रारंभ हुआ था। तब से आज तक यहाँ वह आराधना अखंड रुप से चल रही है। वर्षों के बाद यहाँ परम पूज्य आचार्य विजय जिनेन्द्र सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०५२ का काती सुद १३ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ श्री आदीश्वर भगवान, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान तथा श्री स्थंभन पार्श्वनाथ प्रभु की आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ सुशोभित हैं । कांच के बनाये भव्य पटो में श्री शत्रुजय, श्री पावापुरी, श्री सम्मेतशिखरजी, श्री तारंगाजी, श्री सिद्धचक्रजी, श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्णवीर, श्री पद्मावती, श्री भैरूजी व श्री गौतमस्वामी भी दर्शनीय हैं। गंभारे के बाहर आरस का बनाया समवसरणजी भी अति सुन्दर हैं । यहाँ श्री आदीश्वर जैन आराधना मंडल हैं। (१३५) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर मोहन स्टुडियो, पद्मनगर, सी - विंग, ६ फ्लोर, अंधेरी - कुर्ला रोड, अंधेरी (पूर्व), मुंबई - ४०० ०५९. टे. फोन : ओ.८३६ ८२ ०३, अनुभाई - ३४२ ६७ ९२ विशेष :- श्री पद्मनगर जैन संघ द्वारा इस गृह मन्दिरजी की स्थापना वि. सं. २०४५ का वैशाख सुद १० को परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजयमोहन - प्रताप - धर्म - यशोदेवसूरीश्वर के शिष्य प. पू. आचार्य श्री विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म., प. पू. आचार्य श्री विजय कनकरत्नसूरीश्वरजी म., प. पू. आ. श्री विजय महानन्दसूरीश्वरजी म. सा., प. पू. आ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा में हुई थी। इस गृह मन्दिरजी के संचालन चिंतामणि डेवलपर्स संभाल रहे हैं। वर्तमानमें यहां शिखरबद्ध जिनालय बन रहा हैं। यहाँ पंचधातु के श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान, श्री शान्तिनाथ भगवान, श्री सुमतिनाथ For Private and Personal Use Only Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर भगवान तथा सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। आरस के पद्मासन पर लकडी की कलाकृति से मन्दिर की रचना की गई है। यहाँ वंदनाबेन पाठशाला, श्री पार्श्व जैन महिला मण्डल तथा उपासरा की व्यवस्था हैं। (१३६) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय कान्तिनगर, जे. बी. नगर के पीछे, भगवान महावीर मार्ग, अंधेरी - कुर्ला रोड, __ अंधेरी (पूर्व), मुंबई - ४०० ०५९. टे. फोन : ओफिस - ८२१ ४८ ४२, श्री शान्तिभाई - ८३२ ८३ १० विशेष :- पूज्यपाद शासन के महान प्रभावक युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. के सदुपदेश से उनकी निश्रा में पालनपुर निवासी तपागच्छीय सुश्रावक श्रेष्ठिवर्य श्री कांतिलाल छोटालाल परिख के आत्म श्रेयार्थे उनकी धर्मपत्नी धर्मपरायण श्री सुशीलाबहन तथा समस्त परिवार एवं पालनपुर निवासी धर्मपरायण सेठ श्री विनोदभाई कालिदास परिख एवं श्री कुसुमबेन वगैरह परिवार की तरफ से इस भव्य जिनालय का शिलास्थापन वि. सं. २४९८, वि.सं. २०२८ को करने में आया था। फिर श्री कान्तिनगर श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ जैन संघ द्वारा संचालित इस नूतन भव्य शिखरबद्ध जिनालय की प्रतिष्ठा, मन्दिर के प्रेरक परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री मोहन - प्रताप - धर्मसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा में वि.सं. २०३१ का वैशाख वद ११ ता. ५-६-१९७५ को भव्य महोत्सव के साथ हुई थी, उसके पहले प्रभुजी का प्रवेश वि. सं.२०३१ का वैशाख सुद १३ शुक्रवार ता. १३-५-७५ को हुआ था। परम रमणीय मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी की श्याम वर्णी प्रतिमा ३१' (सपरिकर ६३") आदि जिन बिम्बो की अंजनशलाका वि. सं. २०३० में आपकी निश्रा में घाटकोपर (प.) श्री सर्वोदय पार्श्वनाथ जिनालय में हुई थी। भगवान का मूल गंभारा तथा प्रत्येक गोखला एवं रंगमंडप की छत कांच के टूकडो की भव्य कलात्मक डिझाईनो से रचाया गया हैं । जिसको बस देखते ही झुम जाते हैं। यहाँ आरस की ७ प्रतिमाजी, पंचधातु की ९ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ५ तथा श्री गौतमस्वामी, श्री पद्मावतीदेवी तथा यक्षयक्षिणी का गोखला भी सुन्दर हैं। पटो मे शत्रुजय तीर्थ, गिरनार तीर्थ भी दर्शनीय हैं। प्राचीन परंपरानुसार मंदिर के बाहर बने हुए दोनो हाथी जिनालय की सुन्दरता बढा रहे हैं। मन्दिरजी के बाहर की ओर श्री जिनदत्तसूरि जैन दादावाडी की प्रतिष्ठा वि. सं. २०३८ का माह सुद १४ रविवार ता. ७-२-१९८२ को सेठ श्री विनोदभाई कालिदास तथा धर्मप्रकाश कुसुमबेन परिवार For Private and Personal Use Only Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ८६ मुंबई के जैन मन्दिर 1 ने की हैं। उसमें आ. श्री जिनदत्त सूरिजी आदि बिराजमान हैं । प्रतिष्ठा आ. श्री आनन्द सागरसूरिजी शिल्य मुनि श्री महोदय सागर म. की निश्रा में हुई थी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री उवसग्गहरं पार्श्वनाथ प्रतिष्ठा महोत्सव परम पूज्य युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वर परिवार के प. पू. व्याकरण - साहित्य - न्यायतीर्थ आ. भ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. की पुण्य प्रेरणा एवं मार्गदर्शन से उनकी पावन निश्रा में पालनपुर निवासी श्री अरविंदभाई लालभाई बक्षी तथा उनकी धर्मपत्नी अ. सौ. कोकिलाबेन वगैरह बक्षी परिवार द्वारा आत्म श्रेयार्थे जिनालय के विशाल शिखर में मारबल सजावट एवं सुन्दर चित्रो के साथ काच की नक्षी का काम वगैरह द्वारा गर्भगृह का नव निर्माण करके उसमें श्री उवसग्गहरंतीर्थ के मूलनायक के समान आकृति वाले श्री उवसग्गहरं पार्श्वनाथ २९ ' श्री वासुपूज्य स्वामी २७” एवं श्री सीमन्धर स्वामी २७” की पाषाण की ३ भव्य प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा वि. सं. २०५३ का वैशाख सुद ६ ता. १२-५ - ९७ को हुई थी। उस समय श्री संघके स्थायी साधारण फंड आदि विविध आयोजन किये गये थे । इन तीनो भव्य प्रतिमाजी की अंजन शलाका पू. आ. भ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में वि. सं. २०५३ का माह सुदि १ को कांदिवली (प.) श्री मुनिसुव्रत स्वामी महाजिनालय में बडी ही धामधूम से हुई थी । आप श्री की निश्रा में जिनालय पर सुवर्ण कलशारोपण का प्रसंग वि. सं. २०५४ का माह वद २ शुक्रवार ता. १३ -२-९८ को हुआ था, जिसकी स्थापना श्रीमान कांतिलाल छोटालाल परीख परिवार के शुभ कर कमलो द्वारा हुई थी । आजकल पू. आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा और मार्गदर्शनानुसार श्री धर्मसूरीश्वर गुरु मन्दिर, श्री अधिष्ठायक देव देवी मन्दिर, जैन पाठशाला - आयंबिल शाला का नया स्थान, जिनालय का भव्य अग्र प्रवेशद्वार - गेट आदि का आयोजन हो रहा हैं और विशाल उपाश्रय का मारबल सजावट आदि द्वारा पुनः निर्माण हो रहा हैं । इस उपाश्रय का निर्माण वि. सं. २०३१ प. प. पू. युग दिवाकर आ. भ. श्री धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से श्री महेन्द्रभाई कान्तिलाल परीखने अपनी स्वर्गीय धर्मपत्नी शकुन्तलाबेन की स्मृति में करके उसका " शकुन्तला आराधना भवन” नामकरण किया था, बाजु में श्री वेलजीभाई रतनशी निसर धर्मधाम आराधना केन्द्र में श्री संघ के कार्यालय आदि हैं। जो 'धर्मधाम' पू. आ. भ. श्री विजयधर्मसूरीश्वरजी म. सा. को पुण्यस्मारक रूप में पू. आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. के मार्गदर्शन व प्रेरणा से बनाया गया है । यहाँ श्री मुनिसुव्रत जैन युवक मण्डल श्री मुनिसुव्रत जैन महिला मण्डल सेवा भक्ति में अग्रसर हैं । प्रत्येक शनिवार को कई भक्तजन श्री मुनिसुव्रत भगवान के दर्शन के लिये पधारते हैं और प्रसन्न होते हैं। उन दर्शनार्थीओ को भाता की भक्ति चालु है । For Private and Personal Use Only Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ८७ (१३७) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर मारवाडी चाल, बजार पेठ, पोलीस स्टेशन के सामने, मरोल विलेज, अंधेरी (पूर्व), मुंबई - ५९. टे. फोन : ८३२ ०४ ८६ - आसुलालजी, ८३४ २७ ९२ - कुंदनमलजी विशेष :- प. पू. युग दिवाकर आ. भ. श्री धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ मरोल - अंधेरी की स्थापना वि. सं. २०२८ का वैशाख सुद ३ को हुई थी । यहाँ के मन्दिरजी की स्थापना व चल प्रतिष्ठा भी उन्ही परम पूज्य आ. भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. साहेबजी की शुभ निश्रा में वि. सं. २०३१ का माह वद ५ को हुई थी। चेम्बुर तीर्थ से प्राप्त यहाँ आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २ तथा कपडे पर बनाया गया शत्रुजय तीर्थ दर्शनीय हैं। यहाँ सामायिक मण्डल, नूतन बालिका मण्डल भक्ति भावना में अग्रेसर हैं । आजकल जिनालय का जीर्णोद्धार हो रहा हैं। (१३८) श्री महावीर स्वामी भगवान गृह मन्दिर तरूण भारत सोसायटी, प्लोट नं. १, दूसरा माला, डॉ. करजीया रोड, चकाला, अंधेरी (पूर्व), मुंबई - ४०० ०९९. टे. फोन : ओ. ८३४ ५६ ०४, वसनजीभाई - ६७१ ६८ १७, गांगजीभाई - ८३४ ३७ ०७ विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री चकाला श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ जैन संघ हैं। परम पूज्य भुवन भानु सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की शुभ निश्रा में यहाँ चल प्रतिष्ठा हुई थी। प्रति वर्ष महावीर जन्म कल्याणक का दिन, वर्षगांठ के रूप में मनाते हैं। इस जिनालय में पाषाण की ७ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २ सुशोभित हैं। २०३६ में गाम - लाकडीया श्री खीमईबेन मणिलाल पचाण गाला की तरफ से श्री संघ को पाठशाला हॉल समर्पण किया गया । और गाम - लाकडीया स्व. रीटा मांडण कुंभा की स्मृति में उनकी धर्मपत्नी स्व.भमीबाई के सुपुत्रो नरपार, पदमशी, उमरशी तथा धीरजलाल की तरफ से उपाश्रय हॉल श्री संघ को समर्पण किया गया। वि. सं. २०५३ में कांदिवली (प.) श्री मुनिसुव्रत जिनालय में प. पू. आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. की निश्रा में अंजनशलाका किये हुए श्री सिद्धचक्र महायंत्र यहाँ मन्दिरजी में बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८८ मुंबई के जैन मन्दिर (१३९) श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवान गृह मन्दिर __ श्री मुनिसुव्रत छाया, सहार रोड, कोल डोंगरी, अंधेरी (पूर्व), मुंबई - ४०० ०६९. टे. फोन : ८२२ ३१ १६ वसंतभाई, ८३४ ७३ ५४ मांगीलालजी विशेष : श्री कोल डोंगरी जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ द्वारा यहाँ के मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा वि. सं. २०३१ का वैशाख सुद - ३ बुधवार को परम पूज्य आ. विजय नेमिसूरीश्वरजी म. साहेबजी के समुदाय के आ. विजय देवसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में हुई थी। यहाँ आरस की एक प्रतिमाजी, पंच धातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं तथा शत्रुजय तीर्थ व गिरनार तीर्थ भी दर्शनीय बने हुए हैं। परम पूज्य आचार्य लब्धि - लक्ष्मण के शिशु शतावधानी आ. विजय कीर्तिचन्द्र सूरीश्वरजी म. साहेब की शुभ निश्रा में यहाँ के नूतन उपाश्रय तथा श्री विजय लक्ष्मणसूरीश्वरजी जैन पाठशाळा तथा श्री वर्धमान तप आयंबिल शाला का उद्घाटन समारोह वि. सं. २०३५ का वैशाख सुद - १० रविवार ता. ६-५-७९ को हुआ था। यहाँ श्री कल्याण पार्श्व महिला मण्डल, श्री मुनिसुव्रत महिला मण्डल की व्यवस्था हैं। जोगेश्वरी (पश्चिम) (१४०) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर उषा कुंझ कंपाउन्ड में, सहकार रोड, स्वामी विवेकानंद रोड, जोगेश्वरी (प.), मुंबई - ४०० १०२. टे. फोन : ६२४ ७० ९४ नंदलालजी, ६२८ ३१ ०६ शेवन्तीभाई विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवन्त भुवन भानु के पट्टधर आचार्य विजय जयघोष सूरीश्वरजी म. एवं आचार्य श्री हेमचन्द्र सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में. वि. सं. २०४६ का चैत्र सुदी - १३ को प्रभुजी की चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ के जिनालय में श्री आदिनाथ, श्री शान्तिनाथ एवं श्री धर्मनाथ की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। रंगमंडप की छत एवं दिवारो पर कांच के टुकडो से बनाये गये श्री नंदीश्वर तीर्थ, श्री भद्रेश्वर तीर्थ, श्री आबुजी, श्री कदंबगिरिजी, श्री अशोक तीर्थ, श्री सम्मेत शिखरजी, श्री राणकपुर, श्री राजगृही, श्री पावापुरी, श्री केशरीयाजी, श्री चंपापुरी, श्री तलाजा, श्री गिरनारजी, श्री भोयणी एवं अनेक ऐतिहासिक द्दश्यो का दर्शन होता हैं । श्री महिला मण्डल, श्री सामायिक मण्डल एवं पाठशाला की व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर (१४१) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर प्रभु दर्शन - जैन मन्दिर बिल्डींग, संयम होस्पिटल के सामने, बेहराम पथ के बाजू में, एस. वी. रोड, जोगेश्वरी (पश्चिम) मुंबई - ४०० १०५. टे. फोन : ९७३ २७ २०, ३६३ ३१ ८० छगनजी विशेष :- इस जिनालय का खातमुहूर्त (भूमिपूजन) योग निष्ठ जैनाचार्य बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. के समुदाय के शासन प्रभावक श्री पद्मसागर सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०४८ का आषाढ वद २ को हुआ था एवं चल प्रतिष्ठा हुई थी। राघनपुर अचलगच्छ जैन संघ की तरफ से पूर्ण उल्लास से १५१ वर्ष प्राचीन मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की जिन प्रतिमाजी सप्रेम भेट प्राप्त हुई हैं। जिनालय का नूतन निर्माण होने पर श्री आत्म - कमल - लब्धिसूरीश्वरजी समुदाय के आ. भगवंत श्री जिनभद्र सूरीश्वरजी म. एवं आ. विजय यशोवर्मसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में ५ दिन के उत्सव के साथ प्रतिष्ठा वि. सं. २०५३ का वैशाख सुद ७ ता. १३-५-९७ मंगलवार को सम्पन्न हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ तथा आजुबाजु में श्री महावीर प्रभु, श्री आदीश्वर प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ तथा श्री गौतम स्वामी, श्री मणिभद्रवीर, श्री नाकोडा भैरूजी व पद्मावती माताजी बिराजमान हैं। इस जिनालय के निर्माता सेठ श्री छगनलालजी छोगमलजी किस्तूरचंदजी पालरेचा (मरलीया) परिवार शिवगंज (राज.) निवासी हैं। जोगेश्वरी (पूर्व) (१४२) श्री धर्मनाथ भगवान शिखरबद्ध जिनालय प्लोट नं. २२, हरदेवी बाई को. ओ. सोसायटी, गुफा रोड, ताहिरा कंपाउन्ड के सामने, जोगेश्वरी (पूर्व) मुंबई - ४०० ०६०. टे. फोन : ओ. ८३७ २४ ४४, जेठमलजी - ६२८ ९९ ९९, पारसमलजी - ६२८ ११ ४१. विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवंत विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की शुभ प्रेरणा से श्री श्वेताम्बर जैन मूर्तिपूजक तपागच्छ संघ जोगेश्वरी (पूर्व) की तरफ से गृह मन्दिर का निर्माण कराया गया हैं। मलाड पूर्व में परम पूज्य आ. भगवन्त विजय भुवन भानुसूरीश्वरजी म., परम पूज्य आ. विजय हीरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की शुभ निश्रा में अंजन शलाका की हुई प्रतिमाजी को लाकर For Private and Personal Use Only Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर इस गृह मन्दिर में वि. सं. २०३५ का वैशाख सुद ७ को परम पूज्य आ. विजय भुवन भानुसूरि के शिष्य पन्यासजी श्री हेमचंद्र विजयजी म. की शुभ निश्रा में चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ पर श्री धर्मनाथ, श्री पार्श्वनाथ, श्री महावीर स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३ तथा अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। यहाँ जैन पाठशाला, उपासरा व श्री पार्श्वनाथ महिला मण्डल की व्यवस्था हैं । यहाँ के नूतन उपाश्रय का उद्घाटन, उपाश्रय के मुख्य दाता धर्म प्रेमी सेठ श्री हस्तिमलजी सूरजमलजी बाफना (किरवा राज. हाल जोगेश्वरी ) के शुभ हस्ते परम पूज्य आत्म - कमल लब्धि समुदाय के आ. विजय पुण्यानन्द सूरीश्वरजी म. पन्यास श्री महासेन विजयजी गणिवर्य आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५२, वीर संवत २५२२ का श्रावण वद २ शुक्रवार ता. ३०-८-९६ को हुआ था। नूतन जिनालय का भूमिपूजन एवं शिला स्थापना श्री आत्म - कमल - लब्धिसूरि समुदाय के आचार्य विजय श्री यशोवर्मसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में भूमिपूजन २०५३ का जेठ सुद ३ ता. ८-६-९७ को हुआ था । तथा २०५३ का जेठ सुद १० ता. १५-६-९७ को श्रीमानजी सेठ श्री कनकराजजी लोढा के शुभहस्तक शिला स्थापना हुई थी। (१४३) श्री महावीर स्वामी भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय मजास रोड, पारस नगर, जोगेश्वरी (पूर्व), मुंबई - ४०० ०६०. टे. फोन : ओ. - ८३७ ८७ ३६. _ विशेष :- भगवान महावीर के २५०० वे निर्वाण महोत्सव के उपलक्ष्य में यह श्री महावीर प्रभु के भव्य जिन प्रासाद का निर्माण पूज्य पाद युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा व मार्गदर्शन से आपके परम भक्त शिवगंज निवासी डॉ. चौथमलजी द्वारा हुआ हैं। वि. सं. २०२८ का माह वदि ६ शनिवार ता. ५-२-१९७२ को, इस मन्दिर के प्रेरक प. पू. युग दिवाकर सूरिदेव की शुभ निश्रा में पारस नगर के मध्य पटांगण मे इस मंदिर के खनन मुहूर्त तथा शिलास्थापना की मंगल विधि सम्पन्न हुई थी। कूर्म शिलान्यास मद्रास के सुप्रसिद्ध साहित्य वेत्ता, तत्त्वचिंतक जिनशासन रत्न श्री रिषभदासजी स्वामीजी शिवगंज वालो के कर कमलो द्वारा हुआ था। इस मन्दिर का संचालन श्री महावीर स्वामी जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक देरासर ट्रस्ट पारस नगर द्वारा हो रहा हैं । यहाँ के जिन प्रासाद को अत्यन्त भव्य बनाने के लिये मुख्य सहयोग दाता कमला बिल्डर्स वाले डॉक्टर साहेब श्री चोथमलजी शिवगंज वाले एवं ट्रस्ट मंडल के अन्य भाइयो द्वारा दिन रात अति हर्ष एवं उल्लासपूर्वक कठिन परिश्रम के फल स्वरुप ही हम एक भव्य जिन प्रासाद का दर्शन कर रहे हैं। For Private and Personal Use Only Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर यह महाप्रासाद पूर्ण होने पर उसकी अंजन शलाका और प्रतिष्ठा, अपने परम श्रद्धेय पू. युग दिवाकर गुरुदेव की पुण्य निश्रा में कराने के लिये, मन्दिर के निर्माता डॉ. श्री चोथमलजी साहब आदि कार्यकर्तागण वढवाण शहर में बिराजमान युग दिवाकर गुरुदेव श्री धर्मसूरीश्वरजी म. सा. के पास मुंबई - जोगेश्वरी प्रतिष्ठा हेतु पधारने के लिये विनंती करने गये और खूब भाव से विनंती की, लेकिन पू. गुरुदेव श्री धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की तबियत अस्वस्थ होने के कारण युग दिवाकर गुरुदेव स्वयं न पधार सके, किन्तु उनके आशीर्वाद और आज्ञापत्र लेकर डॉ. श्री चौथमलजी आदि बम्बई वापस आये और पू. युग दिवाकर गुरुदेव के आदेशानुसार परम पूज्य शासन सम्राट् आ. श्रीमद् विजय नेमिसूरीश्वरजी म. के. पट्टधर परम पूज्य वात्सल्य वारिधि आचार्य विजय विज्ञान सूरीश्वरजी म. के. पट्टधर आ. विजय कस्तूर सूरीश्वरजी म. के. पट्टधर आ. विजय चंद्रोदय सूरीश्वरजी म. एवं आ विजय अशोकचंद्र सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में श्री महावीर स्वामी वगेरे प्रतिमाजी की अंजनशलाका वि. सं. २०३५ का जेठ सुद २ ता. २७-५-७९ रविवार को तथा प्रतिष्ठा २०३५ का जेठ सुद ५ ता. ३१-५-७९ गुरुवार को हुई थी। यहाँ पहले और दूसरे माले पर पाषाण के कुल ९ प्रतिमाजी, पंचधातु के १७ प्रतिमाजी, सिद्ध चक्रजी ४, अष्टमंगल - २ तथा गौतमस्वामी, मातंगयक्ष - सिद्धायिका देवी तथा महावीर जीवन के आरस पर बनाये गये अनेक चित्र तथा शत्रुजय तीर्थ व सम्मेत शिखर तीर्थ सुशोभित हैं । मन्दिर के नीचे भूमिगृह-होल में आफिस के पीछे के भाग में श्री मणिभद्रवीर , श्री भैरूजी तथा श्री घंटाकर्ण वीर गोखलो में बिराजमान हैं। यहाँ उपासरा, जैन पाठशाला तथा श्री महावीर मण्डल भक्ति भावना में सक्रिय हैं। डॉ. चौथमलजी की वरली में भी एक भव्य जिन महाप्रासाद बनाने की प्रबल भावना थी, किन्तु यह भावना पूरी होने के पहले ही वे भगवान के दरबार पहुंच गये, अत: उनकी इस भावना को पूरी करने के लिये माता कमलादेवी के आदेशानुसार आपके सुपुत्र श्री रमेशजी, श्री किशोरजी एवं श्री प्रवीणजी ने एक भव्य श्री सीमंधर स्वामी का महाजिन प्रासाद वरली में निर्माण कराया। जो अत्यन्त सुन्दर एवं विशाल मन मोहक जिनालय बनने से मुंबई के नाम को रोशन किया हैं। ऐसे सरलस्वभावी जिन प्रेमी निर्माताओ को लाख लाख धन्यवाद देते हुए अनुमोदना किये बिना नही रह सकते हैं। गोरेगाँव (पश्चिम) (१४४) श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान शिखर बंदी जिनालय आरे रोड, गोरेगाँव (प.), मुंबई - ४०० ०६२. टे. फोन : ओ. ८७३ ४६ १०, बाबुभाई - ८७२ १८ ९८ पुरुषोत्तमभाई - ८७२ ३० २५ विशेष :- सारे गोरेगाँव में सर्व प्रथम इस जिनालय के निर्माण के लिये गाँव मुन्डारा For Private and Personal Use Only Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ९२ मुंबई के जैन मन्दिर ( राजस्थान ) वाले शा. अचलदासजी सुपुत्र शा. चुनीलालजी की धर्मपत्नी गुलाबाई ने परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री विजय मोहन सूरीश्वरजी म. साहेबजी के पट्टधर प. पू. आचार्य भगवन्त श्री विजय प्रताप सूरीश्वरजी म. साहेबजी की शुभ प्रेरणा से विक्रम संवत २००७ के वैशाख महिने में ४२१ वार जमीन साधारण खाते में भेट की थी। बाद में परम पूज्य सिद्धान्तनिष्ठ आचार्य भगवन्त श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. साहेबजी की शुभ निश्रा में वि. सं. २०१३ का माह सुद ६ बुधवार प्रतिष्ठा हुई थी । मन्दिरजी में आरस की ८ प्रतिमाजी, पंच धातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ४ तथा यक्षयक्षिणी के गोखले भी दर्शनीय हैं। कांच के बनाये रंग मण्डप की छत तथा दिवारो पर पावापुरी, गिरनारजी, शत्रुंजय, सम्मेतशिखरजी, अष्टापदजी वगैरह तीर्थ एवं ऐतिहासिक दृश्यो से जिनालय सुशोभित हैं। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यहाँ उपासरा, श्री वर्धमान तप आयंबिल शाला, श्री पार्श्वजिन पुस्तकालय, श्री चिन्तामणि जैन पाठशाला तथा पार्श्व महिला मंडल हैं। राजस्थानी गुजराती कच्छी तीनो संघो के जैन भाई मिलकर मंदिरजी का संचालन कर रहे हैं । - श्वेताम्बर श्री जैन गुजराती संघ द्वारा संचालित सेठ चिमनलाल हिराचन्द ज्ञान मन्दिर उपाश्रय, श्री कनकाबेन देवराज मेघाण नगाडा ( गाम नाना मांढा) आयंबिल शाला तथा राजस्थान जैन संघ संचालित राजस्थान होल की व्यवस्था हैं। 1 श्री अचलगच्छ जैन उपाश्रय राजेन्द्र पार्क, स्टेशन रोड, गोरेगाँव (प.) मुंबई - ४०० ०६२. विशेष श्री गारगाँव अचलगच्छ श्वेताम्बर मू. पू. जैन संघ द्वारा इस उपाश्रय की स्थापना वि. सं. २०३३, ता. १३-५-१९७७ को हुई थी। शीघ्र ही यहाँ के संघ की तरफ से परम पू. आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से गृह मन्दिर की स्थापना होनेवाली हैं। ❀ ❀ ❀ -- (१४५) श्री धर्मनाथ भगवान भव्यशिखर बंदी जिनालय प्लोट नं. ८६, जवाहर नगर रोड नं. ४, गोरेगाँव (प.) मुंबई - ४०० ०६२. टे. फोन ओ. : ८७२१२८९, सनालाल ८७२ २८००, धीरुभाई - ८७२४२७४ विशेष :- इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री जवाहरनगर जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ हैं। इसकी सर्व प्रथम प्रतिष्ठा वि. संवत २०१८ का वैशाख वद ६ को परम पूज्य आचार्य भगवन्त कैलाश सागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ प्रेरणा व शुभ निश्रा में हुई थी। इ जिनालय की पुन: प्रतिष्ठा वि. संवत २०४४ का माह वद ५ को परम पूज्य आचार्य भगवंत सुबोध सागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा में हुई थी । For Private and Personal Use Only Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर मन्दिरजी में पाषाण की १२ प्रतिमाजी, पंच धातु की - ३० प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १७, वीस स्थानक - १, अष्टमंगल - ३ बिराजमान हैं। मन्दिरजी के एक तरफ श्री पद्मावती माताजी की देहरी एवं दूसरी तरफ मणिभद्रवीर की देहरी सुशोभित हैं तथा बाहर की तरफ मन्दिरजी की ओफिस हैं। यहाँ के ज्ञान भण्डार का खूब महत्व हैं। अनेक प्रकार के ग्रंथ प्राप्त करना साधु-साध्वीजी भगवन्तो एवं विद्वानो के लिये सुनहरा मौका हैं । कायमी आयंबील शाला की व्यवस्था हैं । साधु - साध्वी भगवन्तो के लिये चातुर्मास हेतु अलग अलग उपासरा की व्यवस्था है। यहाँ के संघ को धन्यवाद हैं, जहाँ दिन में ३ टाइम जैन पाठशाला चलती है, भाईयो के लिये, बहनो के लिये और बडो के लिये। यहाँ श्री घोघारी पार्श्व महिला मंडल, पाटण प्रभु भक्ति मंडल, राघनपुर महिला मण्डल, अरिहन्त महिला मंडल, १०८ गोल महिला मंडल, धर्म जिन महिला मण्डल, धर्मजिन स्नात्र मंडल, शान्ति जिन नित्य स्नात्र गुंजन, महावीर सामायिक मण्डल तथा जवाहर नगर जैन युवक मंडल की व्यवस्था हैं। _ वि. सं. २०५३ का मगसर सुद ३ ता. १३-१२-९६ को परम पूज्य आ. सुबोध सागर सूरीश्वरजी म., आ. मनोहरकीर्तिसागरसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में श्री पुंडरीक स्वामी, श्री गौतम स्वामी एवं श्री घंटाकर्ण वीर की प्रतिष्ठा हुई थी। पेथापुर निवासी मंजुलाबेन रसिकलाल सनालाल मेहता श्री वर्धमान तप आयंबिल शाला वि. सं. २०३७ में निर्मित हैं । सहायक श्री रसिकलाल चीमनलाल शाह जैन उपाश्रय वीर सं.२५०७ वि. सं.२०३७ में निर्मित हैं । दूसरे उपाश्रय का नाम रवीमत निवासी सेठ श्री धरमचन्द मोतीचन्द जोगाणी जैन उपाश्रय वीर संवत २५०७ वि. संवत २०३७ में निर्मित हैं। श्री शान्तिनाथ भगवान शिखर बंदी जिनालय चेतना एपार्टमेन्ट के बाजू में, १८५ जवाहर नगर, गोरेगाँव (प.) मुंबई - ४०० ०६२. टे. फोन : ओ. - ८७२ १२ ८९ विशेष :- इस मन्दिरजी के संचालन का काम श्री जवाहर नगर जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ की तरफसे हो रहा हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त भुवन भानु सूरीश्वरजी म. के पट्टधर आचार्यदेव विजय जयघोषसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा में वि. सं. २०४९ वैशाख सुद ७ को आद्य स्थापना हुई थी। नूतन जिनालय होने के बाद पुन: प्रतिष्ठा वि. संवत २०५३ का मगसर सुद ३ शुक्रवार तारीख १३-१२-९६ को परम पूज्य गच्छाधिपति आचार्य भगवन्त सुबोध सागरसूरीश्वरजी आ. मनोहर कीर्तिसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री शांतिनाथ, आजुबाजु में श्री आशापूरण पार्श्वनाथ, श्री महावीर स्वामी तथा रंग मंडप में सच्चा सुमतिनाथ व संभवनाथ प्रभु की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी एवं अष्टमंगल मिलाकर ११ के लगभग हैं। For Private and Personal Use Only Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ९४ मुंबई के जैन मन्दिर (१४७) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर ५९/७ जवाहर नगर, जवाहर नगर धर्मनाथ मंदिर के सामने, गोरेगाँव (प.), मुंबई - ४०० ०६२. टे. फोन : ८७४ ४२ ६९ विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्री अरविन्दभाई रतिलाल शाह हैं। आपके गृह मन्दिर में पंचधातु की आदीश्वर प्रभु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल- १ तथा पंचधातु के ही दो गौतम स्वामीजी की प्रतिमाजी सुशोभित हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य भगवन्त विजय हेमचन्द्र सूरीश्वरजी म. एवं आ. भगवंत राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५० का वैशाख वद - ३ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। (१४८) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर आर. बी. पोल स्कूल के बाजू में, सरस्वती भुवन, पहला माला, २१२ जवाहर नगर, गोरेगाँव (प.) मुंबई - ६२. टे. फोन : ८७२ ६०१० विशेष :- श्री कानजीभाई कान्तिलाल शाह इस गृहमन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक हैं। इस मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवन्त भुवन भानु सूरीश्वरजी म. के. पट्टधर आचार्य विजय जयघोषसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५० का श्रावण सुद ९ को हुई थी। इस गृह मन्दिर में पंचधातु के २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। (१४९) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर ११ ए. जवाहर नगर, सम्राट् टोकीज के सामने, स्वामी विवेकानंद रोड, गोरेगाँव (प.), मुंबई - ४०० ०६२. टे. फोन :८७५ ३७ ९५ विशेष :- इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्रीमान सेठ श्री कमलेशकुमार मणिलाल शाह हैं। इस मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य पन्यासजी श्री चन्द्रशेखर विजयजी म. के शिष्यरत्न मुनिराज श्री मेघदर्शन विजयजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०४९ का मगसर सुद १० को हुई थी। For Private and Personal Use Only Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर यहाँ श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री शान्तिनाथ प्रभु की पंचधातु की - २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १, पाषाण के बनाये अशोक वृक्ष समवसरण आसनपर बिराजमान हैं । कपडे के उपर बनाया कलात्मक धर्मचक्र एवं सागवान से बनाया मन्दिरजी का दृश्य अति सुन्दर हैं। बाजू में ही गुरुदेव सिद्धान्त महोदधि आ. विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. की गुरु प्रतिमा भी मन मोहित करने वाली हैं। श्री कमलेशभाई की धर्मपत्नी श्रीमती सुमिताबेन भी, साधर्मिक बंधु की भक्ति भावना से ओतप्रोत एवं धार्मिक शिक्षिका के रूप मे भी जैन शासन की सेवा विशेष रुप से कर रही है। यहाँ के प्रतिमाजी २०४ वर्ष प्राचीन हैं। (१५०) श्री आदीश्वर भगवान शिखर बंदी जिनालय श्री नगर सोसायटी, प्लोट नं. ८ ए, महात्मा गांधी रोड, गोरेगाँव (प.), मुंबई - ४०० ०६२. टे. फोन : ओ. ८७४ ९५ ११, शेवन्तीभाई - ८७२ ६० १९. विशेष :- इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री आदीश्वर श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ हैं । यहाँ पाषाण के तीन प्रतिमाजी श्री आदीश्वरजी, श्री पार्श्वनाथजी एवं श्री महावीर स्वामी की, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३ एवं १ अष्टमंगल के अलावा श्री गिरनारजी, श्री शत्रुजय, श्री सम्मेतशिखर, श्री अष्टापदजी, श्री राणकपुर, श्री सिद्धचक्रजी तथा २४ तीर्थंकर परमात्मा के चित्र भी कांच के बनाये सुशोभित हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय मेरुप्रभ सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा में वि. सं. २०३१ का वैशाख वद ६ शनिवार ता. ३१-५-७५ को प्रतिष्ठा हुई थी। शिवगंज (राज.) निवासी स्व. सेठ श्री सागरमलजी केसरीमलजी के आत्मश्रेयार्थ उनके सुपुत्र डॉ. एम. एल. सिंधी की ओर से स्वाध्याय हॉल बनवा कर श्री संघ को अर्पण किया। श्री आदिनाथ महिला मण्डल एवं लायब्रेरी तथा श्री आदि जिन युवक मण्डल द्वारा बैण्ड विभाग भी चालु हैं। (१५१) श्री महावीर स्वामी भगवान गृह मन्दिर ७ हिरामणि रतन बिल्डींग, श्री बांगुर नगर, श्री आय्यपा मंदिर मार्ग के नजदिक, गोरेगाँव (प.), मुंबई - ४०० ०९०. टे. फोन : हसमुखभाई मेहता - ८७४ १९६१, महेशभाई कोठारी - ८७५ २८ ७७ विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री बांगुर नगर जैन श्वेताम्बर For Private and Personal Use Only Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ९६ मुंबई के जैन मन्दिर मूर्तिपूजक संघ हैं। शासन सम्राट् आचार्य विजय नेमिसूरीश्वरजी म. समुदाय के आ. विजय सद्गुणसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में भावचीबाई मावजी मुरजी गोशर समस्त परिवार गाम (कच्छ देवपुर) हस्ते श्री गांगजीभाई ने चल प्रतिष्ठा का चढावा लेकर भगवान बिराजमान किये हैं। वि. संवत २०४७ के चैत्र सुद १ रविवार को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री महावीर स्वामीजी की श्वेत आरस की १ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ तथा जिनालय में श्री शत्रुजय व गिरनार तीर्थ पट भी अति सुन्दर दर्शनीय हैं। यहाँ श्री महावीर महिला मण्डल की व्यवस्था हैं। गोरेगाँव (पूर्व) (१५२) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर जयप्रकाश नगर, सोनाल एपार्टमेन्ट के कम्पाउन्ड में, गोरेगाँव (पूर्व) मुंबई - ४०० ०६२. ___टे. फोन : बाबुलालजी ओ. ८७३ ४३ ६५, घर - ८७४ ३७ १५ विशेष :- मन्दिरजी के लिये सेठ श्री पोपटलाल प्रेमचन्दने अपने खर्च से जमीन को खरीदकर श्री संघ को भेट किया था। परम पूज्य आचार्य लब्धि - लक्ष्मणसूरि के शिशु आ. विजय कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा से एवं उन्ही की शुभ निश्रा में वि. सं. २०३३ का श्रावण वद १२ को प्रतिमाजी स्थापित किये थे। उसके बाद पुन: चलप्रतिष्ठा आचार्य श्री विजय कीर्तिचंद्रसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा मे वि. सं. २०४५ का मगसर सुद २ रविवार हुई थी। यहाँ आरस की मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान तथा आजूबाजू में श्री शांतिनाथ एवं श्री कुंथुनाथ की ३ प्रतिमाजी, पंचधातुकी - ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - १ तथा गोमेध यक्ष तथा चक्रेश्वरी देवी के गोखले के अलावा श्री शत्रुजय, श्री सम्मेत शिखरजी, श्री गिरनारजी दर्शनीय हैं। यहाँ की प्रतिमाजी २३०० वर्ष पुरानी हैं । संप्रति महाराजा के समय की भराई हुई प्रतिमाजी है, जो की राजस्थान के सुप्रसिद्ध तीर्थ राणकपुर तीर्थ से लायी गयी हैं। फिल हाल गोरेगाँव (पूर्व) में यही एक गृह मन्दिर हैं। ( मलाड (पश्चिम) (१५३) श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथ भगवान शिखर बंदी जिनालय आनन्द रोड, जगवल्लभ पार्श्वनाथ जैन मन्दिर रोड, रेलवे स्टेशन के सामने, मलाड (प.), मुंबई - ४०० ०६४. टे. फोन : ८८९ २२ ७४, ८८२ ६४ ५५ For Private and Personal Use Only Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ९७ विशेष :- श्री विजय देवसूरि जैन संघ, श्री गोडीजी जैन मन्दिर पेढी और श्री मलाड जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ द्वारा संचालित इस भव्य जिनालय का निर्माण परम पूज्य श्री मोहनलालजी महाराज की प्रेरणा से संघवी देवकरण मूलजी ने किया था। यह मलाड विभाग का सबसे प्राचीन मंदिर हैं, जिसकी प्रतिष्ठा वीर सं. २४४९ वि. सं. १९७९ का वैशाख वद ६ रविवार को परम पूज्य आ. भगवंत जयसिंह सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में हुई थी। ___वर्षों के बाद, मुंबई महानगर की मोहधरा को धर्मधरा बनाने वाले परम पूज्य युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा और मार्ग दर्शनानुसार, कई वर्षों के बाद आजकल इस जिनालय का जीर्णोद्धार कार्य का प्रारंभ हो रहा हैं इस जिनालय के संस्थापक वंथलीवाले सेठ श्री देवकरण मुलजी तथा उनकी धर्मपत्नी श्रीमती पुतलीबेन देवकरण संघवी थे । वैशाख वद ६ की सालगिरी के पुण्य दिन पर संघ स्वामीवात्सल्य का कायमी लाभ का आदेश भाग्यशाली भद्रावल वाले स्व. अ. सौ. चंपाबहन प्रभुदास गांधी एवं उनके सुपुत्र स्व. प्रतापराय प्रभुदास गांधी के आत्मश्रेयार्थे प्रभुदास मोहनलाल गांधी परिवार को मिला हैं। उपर मूलनायक शीतलनाथ पंचधातु के तथा पाषाण की ६ प्रतिमाजी कुल सात प्रतिमाजी बिराजमान हैं। सुरतवाले मंछुभाई जीवनचन्द्र की धर्म पत्नी रुक्ष्मणीबेन मंछुभाई ने वि. सं. २००२ का माह वद १४ शनिवार ता. २-३-४६ को बिराजमान किये थे। आदिनाथ प्रभु एवं महावीर प्रभु को आ. भ. श्री हेमसागरसरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०१७ का वैशाख वद ६ ता. ६-५-६१ शनिवार को तथा श्री पार्श्वनाथ एवं श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु को आ. विजय यशोभद्रसूरि की शुभ निश्रा में वि. सं. २०२३ का पोष सुदी १५ गुरुवार को स्थापित किये थे। नीचे मूल गंभारे में पंचधातु की श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथ प्रभु की एक प्रतिमाजी तथा आजुबाजु में श्री मुनिसुव्रत स्वामी एवं श्री सुविधिनाथ की पाषाण की २ प्रतिमाजी तथा पंचधातु की प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी एवं अष्टमंगल वगैरह ४२ का अंदाजा हैं। जिनालय में प्राचीन कारीगरी में २४ तीर्थंकर प्रभु के कांच के रचाये २४ चित्र भी सुशोभित हैं। पहाड के द्दश्य जैसा शत्रुजय तीर्थ अतिसुन्दर हैं। जिनालय के बाहर की ओर पार्श्वयक्ष एवं पद्मावती देवी की अलग देहरी हैं। पूज्य पाद आचार्य भगवंत श्री विजय मोहन-प्रताप-धर्मसूरीश्वर परिवार के प. पू. आ. भ. श्री विजय महानन्दसूरीश्वरजी म. सा. और प. पू. आ. भ. श्री विजय महाबलसूरीश्वरजी म. सा. (उस समय दोनो पंन्यासजी) की प्रेरणा और मार्गदर्शन से यहाँ तीन मंजील का भव्य और आलीशान नूतन आयंबिल भवन और श्राविका उपाश्रय का निर्माण का प्रारंभवि. सं. २०३९ में हुआ हैं। जिसका मुख्य नामकरण का लाभ सेठ श्री बाबुभाई वच्छराज महेता ने लिया हैं। For Private and Personal Use Only Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ९८ www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर उसका उद्घाटन का भव्य समारोह वि. सं. २०४५ के वैशाख मासमें, प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वर - यशोदेवसूरीश्वर के पट्ट. प. पू. आ. भ. श्री जयानन्दसूरीश्वरजी म. प. पू. आ.भ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म. प. पू. आ. भ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म. प. पू. आ. भ. श्री सूयोदयसूरीश्वरजी म. आदि विशाल साधु साध्वी समुदाय की पुण्यनिश्रामें हजारो श्रावक श्राविकाओ की उपस्थितिमें बडे ठाठ से हुआ था, और इस बडे संघकी यह अतिआवश्यकता पूर्ण हुई थी, उनके लिए तत्कालीन कार्यकर्ताओने प्रबल परिश्रम किया था। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यहाँ सेठ मगनलाल स्वरुपचन्द सुरतवाला नूतन व्याख्यान होल, झमकबेन देवचंद पुरुषोत्तम जीरावाला व्याख्यान मंडप, जैन पाठशाला, नियमित आयंबिल शाला की व्यवस्था हैं, अ. सौ ताराबेन बाबुलाल मेहता आयंबिल शाला का नाम हैं । यहाँ श्री आत्मवल्लभ - समुद्र साधर्मिक सहायक मंडल, श्री मरुदेवा माता महिला मंडल, श्री मलाड जैन युवक मण्डल आदि संस्थाए अग्रणीय हैं । (१५४) श्री नमिनाथ भगवान गृह मन्दिर श्री जीवतलाल चन्दभाण कोठारी वाडी, ठाकुर पार्क, स्वामी विवेकानन्द रोड, मलाड (प.), मुंबई - ४०० ०६४. टे. फोन : हेड ओफिस ८८९ २२७४, ८८२ ६४५५ - (१५५) - विशेष : सेठ जीवतलाल चन्द्रभाण कोठारी जैन मन्दिर के संचालन श्री जीवीबहन जीवतलाल कोठारी कर रही थी । वर्तमान में इस मन्दिरजी का संचालन श्री मलाड श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ कर रहा हैं । सर्व प्रथम प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री कल्याणसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि. संवत २००३ का वैशाख वद १० को हुई थी। उसके बाद आरस के श्री नमिनाथ व श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ की प्रतिष्ठा श्री लब्धि - लक्ष्मण के शिशु आ. विजय कीर्तिचन्द्र सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०३७ का जेठ सुद ३ को हुई थी । यहाँ मूलनायक पंचधातु की श्री नमिनाथ प्रभु के अलावा आरस के २ प्रतिमाजी, पंच धातु के ५ प्रतिमाजी, २ सिद्धचक्रजी, अष्टमंगलजी -२ सुशोभित हैं । यहाँ श्री नमिनाथ महिला मंडल की व्यवस्था हैं । 1 श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर डी. सात, रूम नं. १६, भादरण नगर, स्वामी विवेकानंद रोड, मलाड (प.), मुंबई - ४०० ०६४. टे. फोन : हिंमतभाई - ८०७ ३१६७, वाडीलालभाई - ८६२ २४ ४७ For Private and Personal Use Only Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर विशेष :- इस गृह मन्दिरजी का सचालन श्री भादरण नगर जैन संघ द्वारा हो रहा हैं । पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा व आज्ञा चेम्बर तीर्थ से प्राप्त श्री जिन प्रतिमाओ की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य लब्धि लक्ष्मण के शिशु शतावधानी आ. विजय कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०३०, वीर सं. २५०० वैशाख सुद १० बुधवार ता. १-५ -७४ को हुई थी । कच्छ बिदा हाल सान्ताक्रुझ निवासी स्व. सेठ श्री धारसी भीमसी अजाणी के सुपुत्र सेठ गांगजी धारसी अजाणी एवं धर्मपत्नी देवकाबेन गांगजी की ओर से इस गृह मन्दिरजी की स्थापना हुई थी । यहाँ की पुन: प्रतिष्ठा वि. सं. २०५१ का जेठ सुदि ९ बुधवार ता. ७-६ - ९५ को हुई थी । यहाँ नीचे उपर आरस की १० प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ६, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं । यहाँ श्री वाडीलाल गंभीरदास सोनेया भाभरवाला श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन उपाश्रय तथा श्री लक्ष्मणसूरि जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं । श्री पार्श्वकीर्ति जैन युवक मण्डल, श्री पार्श्वलब्धि महिला मंडल, श्री लक्ष्मण कीर्ति बालिका मण्डल का भी भक्ति भावना में अग्रणीय नाम हैं । (१५६) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर आकाश एपार्टमेन्ट, ११-१२ पहला माला, मामलतदारवाडी क्रॉस रोड नं. ४, मलाड (प.) मुंबई - ४०० ०६४. टे. फोन : ८८२ २६ २३ भरतभाई केतनभाई २००६८२४, २०३१६९० ९९ विशेष :- इस गृहमन्दिर के संस्थापक एवं संचालक सेठ श्री ललितभाई छोटालालभाई हैं । आप श्री के पुराने निवास स्थान साधना एपार्टमेन्ट, अमरशी रोड पर परम पूज्य आचार्य भगवंत विजय भुवनभानु सूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. विजय जयघोषसूरीश्वरजी म. आदि मुनिभगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०४९ का जेठ वद ७ को स्थापना हुई थी । यहाँ पंच धातु की - १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी १ तथा गौतम स्वामी की सुशोभित हैं। For Private and Personal Use Only १ प्रतिमाजी आपके नूतन निवासस्थान आकाश एपार्टमेन्ट में श्रीमती उषा बहन अमृतलाल मेहता के यहाँ पुनः १५ जुन १९९७ को भगवान स्थापित किये, मिती २०५३ का जेठ सुद १० रविवार एवं निश्रा दाता पू. राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. थे । Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०० मुंबई के जैन मन्दिर (१५७) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान शिखर बंदी जिनालय हीरा भुवन, मामलतदार वाडी, तीसरी क्रॉस लेन, स्वामी विवेकानन्द रोड, मलाड (प.) मुंबई - ४०० ०६४. टे. फोन : ओ.- ८८२ ०५ २१, गिरीशजी - ८८२ ०० २८, ८८९ ९२ ७६ विशेष :- श्री राजस्थान जैन संघ द्वारा पहले यहाँ गृह मन्दिर का संचालन हो रहा था। जिसकी चल प्रतिष्ठा श्री मोहन - प्रताप के पट्टधर प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. के परिवार के पू. शतावधानी गणिवर्य श्री जयानन्दविजयजी म. और पू. मुनिराज श्री पूर्णानंद विजयजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०३२ का फागुण वद ११ को हुई थी। यहाँ के गृह मन्दिर में प. पू. युग दिवाकर आ. भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा व आदेश से चेम्बुर तीर्थ से प्राप्त आरस के ३ प्रतिमाजी, पंचधातु के ६ प्रतिमाजी, सिद्ध चक्रजी - ५ हैं । मूल गंभारा कांच की डिझाइनो से सजाया हुआ हैं । यहाँ भैरूजी श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री शत्रुजय पट, श्री सम्मेत शिखरजी पट मंदिर की शोभा बढ़ा रहे हैं। नूतन शिखर बंदी जिनालय का भूमिपूजन ता. ११-५-९३ को तथा शिलास्थापना वि. सं. २०४९ का जेठ सुद १ ता. २१-५-९३ को परम पूज्य आ. लब्धिसूरि समुदाय के आ. विजय यशोवर्म सूरीश्वरजी म. की निश्रा में हुई थी। नूतन जिनालय का निर्माण होने पर परम पू. आ. दर्शनसागरसूरीश्वरजी म. के शिष्य पू. संगठन प्रेमी आ. नित्योदय सागरसूरीश्वरजी म. के शिष्य पू. आ. श्री चन्द्रानन सागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५४ का वैशाख सुद ७ शनिवार ता. २-५-९८ को भव्य अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न हुआ था। दत्तक पुत्र जीवराज सागरमलजी पारेख, श्रीमती अंशीबेन जीवराजजी पारेख परिवार की तरफ से श्री वासुपूज्य उपाश्रय, श्री विजय वल्लभ जैन पाठशाला, श्री महावीर जैन महिला मण्डल, श्री राजस्थान जैन महिला मंडल, श्री वासुपूज्य जैन पाठशाला बालिका मंडल, श्री ऋषभ जैन नवयुवक मण्डल, श्री मलाड कच्छी जैन युवक समाज आदि संस्थाएँ अग्रणीय हैं। (१५८) श्री शीतलनाथ भगवान गृह मन्दिर कृष्णकुंझ, पहला माला, वर्धमान संस्कृति धाम के उपर, साईनाथ रोड, स्वामी विवेकानन्द रोड, मलाड (प.), मुंबई ४०० ०६४. टे. फोन : ओ. ८८८ ४५ १७, घर ८८८ ४४ ३२. विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक सेठ धीरजभाई अमृतलाल दामजी भाई शाह हैं। आप श्री के गृह मन्दिर मे पंचधातु के ३ प्रतिमाजी, श्री शीतलनाथ स्वामी, श्री शान्तिनाथ For Private and Personal Use Only Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर प्रभु एवं श्री संभवनाथ तथा सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल १ एवं गुरु गौतम स्वामीजी की एक प्रतिमाजी बिराजमान हैं। परम पूज्य आ. विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म. साहेब के समुदाय के आचार्य विजय हेमचन्द्र सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०४४ का माह वद ७ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। (१५९) श्री शीतलनाथ भगवान गृह मन्दिर अवनी बिल्डींग, पहला माला, दादी शेठ गली, बाबुलीन कॉम्पलेक्ष, स्वामी विवेकानंद रोड, मलाड (प.) मुंबई - ४०० ०६४. टे. फोन : ८८२ ३९ १४ श्री प्राणलालभाई विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्रीमान श्रेष्ठिवर्य श्री प्राणलालभाई हैं। यह गृह मन्दिर आपके ही निवास स्थान पर हैं। जिसकी चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. साहेबजी की पावन निश्रा में वि. संवत २०४३ का जेठ सुद १० को, उनकी ही अंजन शलाका की हुई प्रतिमाजी की हुई हैं। आपके गृह मन्दिर में पंचधातु की १ प्रतिमाजी, १ सिद्धचक्रजी बिराजमान हैं। श्री प्राणलालभाई और भी अनेक मन्दिरो के ट्रस्टी के रूप रहकर सेवा प्रदान कर रहे हैं। (१६०) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर नडीयादवाला कोलोनी नं. २, सत्य निवास बिल्डींग नं. १ कंपाउन्ड में, स्वामी विवेकानंद रोड, मलाड (प.), मुंबई - ४०० ०६४. टे. फोन : ८८८ ४९ ४० रमेशभाई विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के निर्माता सेठ श्री रमेशभाई चिमनलाल खंभात वाले हैं। आप श्री के परिवार वालो की तरफ से मन्दिरजी का संचालन हो रहा हैं। __ परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय अमृतसूरीश्वरजी म. साहेबजी के शिष्य आ. विजय सद्गुण सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०४४ का चैत्र सुद ५ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। ____ यहाँ मूलनायक श्री आदीश्वर प्रभु की पाषाण की प्रतिमा पद्मासन पर बिराजमान है। पंचधातु की २ - प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, सुशोभित हैं । सामायिक मण्डल व जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर (१६१) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर अर्चना एपार्टमेन्ट, सुन्दर नगर के सामने, बजाज हॉल के बाजूमें, स्वामी विवेकानंद रोड, मलाड (प.) मुंबई - ४०० ०६४. टे. फोन : ८८९ १८ २४, ८८९ ४१ ६८ संपतराज गांधी, ८४० ६७ ०६ सुरेशभाई विशेष :- सर्व प्रथम यहाँ २०४१ का माह सुद ५ शनिवार को श्री सद्गुण साहित्य प्रकाशन मन्दिर की स्थापना हुई थी। ग्रंथ प्रकाशन कार्यालय, मातुश्री पलईबेन घेलाभाई गाला जैन लायब्रेरी, स्वाध्याय हॉल की भी स्थापना हुई थी। ___ शासन सम्राट् विजय नेमिसूरीश्वरजी म. के समुदाय के परम पूज्य आ. विजय सद्गुण सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४२ का मगसर सुद ३ ता. १४-१२-८५ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ आरस के चार प्रतिमाजी श्री शान्तिनाथजी, श्री महावीर स्वामी, श्री मुनिसुव्रत स्वामी एवं श्री सीमन्धर स्वामीजी तथा पंचधातु के ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ तथा गुरु गौतम स्वामीजी की प्रतिमाजी सुशोभित हैं । गंभारे मे कांच की कारिगरी के ऐतिहासिक द्दश्य हैं। गंभारे के बाहर की ओर श्री पद्मावतीदेवी श्री घंटाकर्णवीर तथा श्री मणिभद्रवीर बिराजमान हैं। _ वि. सं. २०४५ का जेठ वद ५ शनिवार को आ. विजय नेमिसूरीश्वरजी म., आ. विजय अमृतसूरीश्वरजी म., आ. विजय रामसूरीश्वरजी म. ये तीनो गुरु प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा आ. विजय सद्गुण सूरीश्वरजी म. की निश्रा में हुई थी। (१६२) श्री सुमतिनाथ भगवान गृह मन्दिर सुन्दर नगर, सप्तरत्ना को. सोसायटी, आर. वन बिल्डींग के ग्राउन्ड फ्लोर, स्वामी विवेकानन्द रोड, मलाड (प.), मुंबई - ४०० ०६४. टे. फोन : भोगीभाई - ८७२ ३९ ७५ चंदुभाई - ८७१ १६ ७२ सूर्यकांतभाई - ८७२ ५२ ०९ विशेष :- इस गृह मन्दिरजी का संचालन सुन्दर नगर जैन संघ द्वारा हो रहा है। प. पू. युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से चेम्बुरतीर्थ से प्राप्त प्रतिमाओकी चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. विजय अशोकचंद्रसूरीश्वरजी म. (डेहलावाले) के शिष्य मुनिराज श्री कांति विजयजी म. की शुभ निश्रा मे वि. सं. २०३३ का अषाढ सुद ११ को हुई थी। पुन: चल प्रतिष्ठा आचार्य भगवंत सुबोध सागर सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में. वि. सं. २०४५ का कार्तिक वद २ को हुई थी। आ. यशोभद्र सूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा से कुवाला निवासी श्री हिरालाल ठाकरसी भाई लोलाडीया परिवार की तरफ से सुयश स्वाध्याय हॉल में आ. विजय सुरेन्द्र सूरीश्वरजी म. की प्रतिमाजी वि. सं. २०४५ का माह सुद १५ को स्थापित की गई हैं। For Private and Personal Use Only Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १०३ । यहाँ पाषाण की श्री सुमतिनाथजी, श्री वासुपूज्य स्वामी एवं श्री पार्श्वनाथ प्रभु की - ३ प्रतिमाजी, श्री नागेश्वर पार्श्वनाथ एवं श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ की श्याम रंग की काउस्सग्गीय - २ प्रतिमाजी, पंच धातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - २ सुशोभित हैं। यहाँ उपासरा, सुमतिनाथ जैन महिला मंडल, जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। (१६३) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर ऋषभ बिल्डींग, प्लोट नं. २१/२२, खण्डेलवाल ले आउट, ग्राउन्ड फ्लोर, एव्हर शाईन नगर, मलाड (प.), मुंबई - ४०० ०६४. टे. फोन : ८८९ १८ २४, ८८९ ४१ ६८ सम्पतराजजी गांधी विशेष :- राजस्थान के पिपाड नगर के निवासी श्री सम्पतराजजी सोनराजजी गांधी एवं उनके सुपुत्र श्री यशवन्तराजजी गांधी, श्री हसमुखजी गाँधी, लीलादेवी गांधी इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक हैं। यहाँ के गृह मन्दिर मे आरस के तीन प्रतिमाजी श्री शांतिनाथजी श्री वासुपूज्य स्वामी, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ तथा पंचधातु - १ प्रतिमाजी, १ - सिद्धचक्रजी के साथ श्री पद्मावती देवी, श्री निर्वाणीदेवी एवं श्री गरुड यक्ष बिराजमान हैं। बाहर की ओर कुलदेवता एवं अधिष्ठायक देव श्री बाबाजी की भव्य मूर्ति भी विशेष दर्शनीय हैं। परम पूज्य आ. विजय भुवनभानु सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि. संवत २०४८ का वैशाख सुद ५ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ उपासरा, श्री शान्तिनाथ जैन महिला मंडल एवं श्री शांतिनाथ जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं । यहाँ की पाठशाला का श्री गणेश सन् १९९२ में श्री सम्पतराजजी गांधी की माताजी दाखीबाई सोनराजजी गांधी की स्मृति में हुआ था। फिलहाल ७० - ८० विद्यार्थी इस पाठशाला में लाभ ले रहे हैं। (१६४) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर मालवणी कॉलिनी, रोड नं. ५, मार्वे रोड, मलाड (प.), मुंबई ४०० ०१५. टे. फोन : ८८२ ४५ ९९, ८८९१३ ३१ मदनलालजी विशेष :- श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन देरासर ट्रस्ट द्वारा संचालित इस गृह मन्दिरजी का खात मुहूर्त शा मदनराजजी पुखराजजी जवाली (राजस्थान) वालो की तरफ से वि. सं. २०४७ का फागुण सुद ३ को हुआ था तथा प्रतिष्ठा वि. सं. २०४८ का वैशाख सुदी १३ रविवार को हुी थी। पू. राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. सा. समुदाय के आचार्य श्री हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म. निश्रा दाता थे। यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान, श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री आदिनाथ प्रभु की For Private and Personal Use Only Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०४ मुंबई के जैन मन्दिर आरस की ३ प्रतिमाजी, तथा पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ बिराजमान हैं। यहाँ श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ महिला मंडल, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ सामायिक मंडल तथा भक्ति संस्कार केन्द्र एवं उपासरा की व्यवस्था हैं। संघ द्वारा चैत्र मास और आसो मास में ओली भी कराई जाती हैं। (१६५) . श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर मालवणी कॉलिनी, रोड नं. ७, मार्वे रोड, मलाड (प.), मुंबई - ४०० ०१५. टे. फोन : ८८९ १७ १६ - केवलचन्दजी, ८८२ ०५ ८७ - लक्ष्मीचन्दजी विशेष :- इस गृह मन्दिरजी का संचालन श्री राजस्थान श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा हो रहा है। जिसकी चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री मोहन - प्रताप - धर्मसूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा से उनके परिवारके शतावधानी गणिवर्य श्री जयानन्द विजयजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०३२, फागुण सुद १० गुरूवार ता. ११-३-७६ को खूब ठाठ - माठ से हुई थी। ___ यहाँ प. पू. युग दिवाकर आचार्यदेव श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. के आदेश से चेम्बुर तीर्थ से प्राप्त पाषाण के ३ प्रतिमाजी, पंचधातु के १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। उपासरा एवं पाठशाला की व्यवस्था हैं। श्री वासुपूज्य युवक मंडल भी हैं। (१६६) श्री पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर पालरेचा भवन, लादीवाला बिल्डींग, पहला माला मालवणी चर्च के पास, एसलवर्ड रोड की तरफ, मलाड (प.), मुंबई - ४०० ०१५. टे. फोन : ८०८०० ९७ - भरतजी विशेष :- यहाँ के गृह मन्दिरजी के व्यवस्थापक एवं संचालक स्व. श्रीमान हमीरमलजी माणेकचन्दजी पालरेचा सादडी (राणकपुर) राजस्थान निवासी थे । वर्तमान में उनके सुपुत्र श्री भरतकुमारजी श्री गजराजजी एवं श्री अमृतलालजी मंदिरजी का संचालन कर रहे हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय अमृत सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. विजय जिनेन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा में वि. सं. २०४६ का फागुण वद ६ ता. १७-३-१९९० शुक्रवार को चल प्रतिष्ठा हुई थी। डोलिया - गुजरात में अंजन शलाका की हुई प्रतिमाजी यहाँ बिराजमान हैं। (१६७) श्री महावीर स्वामी भगवान गृह मन्दिर विजया भवन कम्पाउन्ड में, रायपाडा, बाबुलिन कॉम्प्लेक्ष, दादीशेठ रोड, स्वामी विवेकानंद रोड, मलाड (प.), मुंबई - ४०० ०६४. टे. फोन : ८८९ ४८१० - रमेशभाई, ८८२ ३९१४ - प्राणलालभाई For Private and Personal Use Only Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर विशेष :- इस गृह मन्दिरजी का निर्माण श्रीमती पुष्पाबेन किशोरचंद्र अजमेरा (गासालीया) परिवार वालो ने किया हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी म. के समुदाय के मुनिराज श्री कमलरत्न विजयजी एवं मुनिराज श्री दर्शनरत्न विजयजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०४३ का जेठ सुद १० रविवार को चल प्रतिष्ठा हुई थी । (१६८) यहाँ मूलनायक श्री महावीर स्वामी एवं आजू बाजू में सुपार्श्वनाथ, शीतलनाथ प्रभु की आरस की तीन प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी २, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। इस गृह मन्दिरजी के संचालक श्री विजया भवन जैन संघ हैं । यहाँ विजया भवन सामायिक मण्डल एवं विजया भवन जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं । ❀ (१६९) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर लिबर्टी गार्डन रोड नं. ३, अशोक भवन और सरस्वती निवास के बीच में, रेखानिकेतन के सामने, मलाड (प.), मुंबई - - ४०० ०६४. टे. फोन : हेड ऑ. ८८९ २२७६, ८८२ ६४५५ विशेष :- श्री मलाड श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ संचालित इस मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य जिनागम सेवी आचार्य भगवन्त श्री दौलत सागर सूरीश्वरजी म., श्री नंदिवर्धन सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५२ का वैशाख वद ६ बुधवार ता. २४-५९६ को हुई थी । यहाँ मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी तथा आजूबाजू में श्री शान्तिनाथ एवं श्री आदिनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी -२, अष्टमंगल १ तथा श्री मणिभद्रवीर एवं श्री चक्रेश्वरी देवी भी बिराजमान हैं । यहाँ श्री वासुपूज्य स्वामी युवक मण्डल की व्यवस्था हैं । १०५ ❀ श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर मातृछाया, ग्राउन्ड फ्लोर, मार्वे रोड, चुनीलाल गिरधरलाल पथ, स्वामी विवेकानन्द रोड, मलाड (प.), मुंबई - ४०० ०६४. टे. फोन : अनुपमभाई - ८०२०३८१, ललितभाई - ८०८१६६५ विशेष :- श्री रिध्धि सिध्धि आदर्श श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस जिनालय में मेहमान के रूप में पाषाण की एक प्रतिमाजी, पंच धातु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ तथा अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं । For Private and Personal Use Only परम पूज्य मोहनलालजी म. साहेब के समुदाय के पू. पन्यास श्री मुक्तिप्रभ मुनिजी म. पू. पन्यास श्री विनीतप्रभ मुनिजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५३ श्रावण सुद १४ रविवार ता. १७८- ९७ को इस गृह मन्दिर की स्थापना हुई थी । यहाँ उपासरा तथा रत्न संचय जैन पाठशाला हैं । Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १०६ ( १७० ) www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर (मलाड (पूर्व) श्री श्रेयासनाथ भगवान भव्य गृह जिनालय लोकल बोर्ड स्कूल लेन, देना बैंक के बाजू में, दफ्तरी रोड, मलाड (पूर्व), मुंबई. -४०० ०९७. टे. फोन : ओ. ८८३००९६, कांतिभाई सी. शाह, ८८३५९ ३८ रमेशभाई अमृतलाल ८८९०९३८ विशेष ::- परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. के समुदाय के परम पूज्य पंन्यासजी चरण विजयजी म. की शुभ निश्रा मे वि. सं. २०३१ का श्रावण वद ८ ता. ३०८-७५ शनिवार को प्रथम चल प्रतिष्ठा हुई थी । इस रमणीय मनोहर जिनालय का संचालक जगद् गुरू श्री हीरसूरीश्वरजी श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ हैं । यहाँ के संघ व ट्रस्टीओ के कुशल परिश्रम से मलाड (पूर्व) विभाग में एक उत्तम छ मंजिल भवन का निर्माण हुआ हैं । जिसमें लिफ्ट की व्यवस्था हैं । सिद्धान्त महोदधि आ. भगवन्त विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य विजय हीरसूरीश्वरजी म. महान तपस्वी आ. विजय भुवन भानु सूरीश्वरजी म. आदि ठाणा - ९० की निश्रा में वि. सं. २०३५ का वैशाख सुदी ३ को भव्य अंजन शलाका महोत्सव हुआ था । इस शुभ प्रसंग पर वैशाख सुद ३ के दिन १६ पुण्यात्माओ का भव्य दीक्षा महोत्सव भी हुआ था । प्रतिष्ठा महोत्सव वि. सं. २०३५, वैशाख सुद ६, बुधवार, ता. २ ५-७९ को ठाठ - माठ से हुआ था । जब हम ग्राउन्ड फ्लोर पर नजर धूमाते हैं तो एक सुन्दर व्याख्यान हॉल बनाया हुआ हैं I आधुनिक ढब के इस हॉल मे श्रोताजनो को चारो ओर से प्राकृतिक खुली हवा का अनुभव लेते हुए व्याख्यान सुनने को मिलता हैं । अन्दर के भाग की ओर आयंबिल शाला की व्यवस्था हैं । ग्राउन्ड फ्लोर पंन्यास प्रवर श्री चरण विजयजी गणिवर स्वाध्याय हॉल नामकरण से सुशोभित हैं । जब हम प्रथम मंजिल पर चढते है तो हमे प. पू. आचार्य श्री विजय प्रेमसूरीश्वरजी व्याख्यान हॉल नजर आता है, जहाँ जिनालय एवं उपाश्रय का कार्यालय तथा सामने के एक कमरे मे आ. विजय प्रेम सूरीश्वरजी म. एवं पंन्यासजी श्री चरणविजयजी म. की गुरु प्रतिमाजी बिराजमान हैं। दूसरी मंजिल पर पंन्यास प्रवर श्री चरण विजयजी गणिवर जैन ज्ञान मन्दिर दिखाई देता हैं । तीसरी मंजिल पर मूलनायक श्री श्रेयांसनाथ प्रभु सहित पाषाण के ४ प्रतिमाजी तथा कांच की कारीगरी के साथ शत्रुंजय पट तथा ऐतिहासिक दृश्यो की झलक दिखाई देती हैं । For Private and Personal Use Only चौथी मंजिल पर मूलनायक श्री महावीर स्वामी सहित पाषाण की २६ प्रतिमाजी, पंचधातु के ९ प्रतिमाजी तथा सिद्धचक्रजी - ६ सुशोभित हैं। पाँचवी मंजिल पर मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ तथा आजू बाजू में श्री मल्लिनाथजी एवं श्री सीमन्धर स्वामी सहित पाषाण की २६ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। छठ्ठी मंजिल पर मूलनायक श्री आदीश्वर प्रभु सहित आजू बाजू में श्री नेमिनाथ तथा श्री पद्मनाभ Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १०७ स्वामी सहित पाषाण की ४४ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। पुरे जिनालय में इस वक्त ९६ प्रतिमाजी पाषाण की बिराजमान हैं। यहाँ साधु - साध्वीजी भगवन्तो के लिये अलग अलग उपासरा, जैन पाठशाला, श्री श्रेयासनाथ स्नात्र मंडल, श्री |यासनाथ स्वामी श्राविका मण्डल, श्री श्रेयासनाथ महिला मंडल, श्री श्रेयांसनाथ स्वयं सेवक मण्डल तथा श्री वर्धमान संस्कृति धाम युवक मण्डल की व्यवस्था हैं। (१७१) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर सिद्धार्थ एपार्टमेन्ट, कम्पाउन्ड में, मिलीटरी CODगेट, मंछुभाई रोड, दफ्तरी रोड, ___मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०० ०९७. टे. फोन : ८८८ ६७ ४४, ८८८ २७ ६४ मूकेशभाई विशेष :- इस गृह मन्दिरजी का संचालन श्री न्यु सिद्धार्थ नगर जैन संघ द्वारा हो रहा हैं। जिसकी चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य श्री लब्धि - लक्ष्मण के पट्टधर आ. श्री विजय कीर्तिचंद्र सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०३१ का जेठ वद १३ सोमवार को हुई थी। यहाँ पाषाण की श्यामवर्णीय श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री महावीर स्वामी, श्री शान्तिनाथ प्रभु की तीन प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २ एवं अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। यहा श्री जैन पाठशाला तथा पद्मामाता महिला मण्डल की व्यवस्था हैं। (१७२) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर श्री सम्राट अशोक को. हाउसींग सोसायटी, अ-२ बिल्डींग, तिसरा माला, गोशाला लेन, मलाड (पूर्व), मुंबई -४०० ०९७. टे. फोन : ८८३ ४९११ विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्रीमान सेठ श्री नवीनचन्द्र शनालालभाई हैं। पू. पंन्यास प्रवर श्री चन्द्रशेखर विजयजी म. की प्रेरणा से अहमदाबाद से लायी हुई प्रतिमाजी की अंजन शलाका परम पूज्य आचार्य भगवंत विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी म. साहेबजी की शुभ निश्रा में बोरीवली में हुई थी। परम पूज्य आचार्य भगवन्त भुवनभानु सूरीश्वरजी म. के आचार्य श्री विजय हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. संवत २०४६ का मगसर सुदी ३ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ पाषाण की मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी की एक प्रतिमाजी, पंचधातुकी एक शांतिनाथप्रभु की प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ सुशोभित हैं। For Private and Personal Use Only Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०८ मुंबई के जैन मन्दिर श्रा पाश्वनाथ मजा (१७३) श्री पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर नवसर्जन बिल्डींग, पहला माला, रूम नं. ११, गोशाला लेन, जीवन ज्योति होस्पीटल के पास, दफ्तरी रोड, मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०० ०९७. टे. फोन : ८८३ ६८ ३० सुहासभाई विशेष :- इस गृहमन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्रीमान सेठ श्री भाईलाल सुन्दरलाल मणीयार परिवार वाले हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त भुवन भानु सूरीश्वरजी म. के. पट्टधर आ. विजय जयघोष सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा में वि. संवत २०५१ का काती वद ६ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ मूलनायक पंचधातुकी श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की १ प्रतिमाजी एवं सिद्धचक्रजी - १ सुशोभित हैं। (१७४) श्री अजितनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय रत्नपुरी कम्पाउन्ड, हीरा बाजार की ओर, गोशाला लेन, रामलीला मैदान, मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०० ०९७. टे. फोन : ८८३ ५० २६ किरीटभाई, ८८३ ५६ ०५ महेशभाई विशेष :- सर्व प्रथम यहाँ सं. १९९४ वैशाख वद ९ को सेठ श्री बाबुभाई खीमचंद झव्हेरी द्वारा स्थापित किया गया मूलनायक श्री धर्मनाथ प्रभु का गृह मन्दिर था। इसके बाद उनके ही परिवार वालो द्वारा एक भव्य शिखरबंदी जिनालय का निर्माण हुआ, जिसकी प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य रविचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा मे वि. सं. २०४० का फागुण सुदी ७ शनिवार को भव्य ठाठ माठ से हुई थी। यहाँ पाषाण के ५ प्रतिमाजी, पंचधातु के १० प्रतिमाजी तथा सिद्धचक्रजी - ३ सुशोभित हैं। ___ श्रीमती चंद्रावती बाबुभाई खीमचंद रीलीजीयस ट्रस्ट द्वारा संचालित जिन मन्दिर, उपाश्रय, स्वाध्याय हॉल तथा पाठशाला है। श्री अजित जिन भक्ति मंडल तथा श्री राघनपुर जैन महिला मंडल हैं। (१७५) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर जोशी भुवन, दूसरा माला, पोदार रोड, पोदार बगीचा के सामने, मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०० ०९७. टे. फोन : ८८३ ६१ ३८ - भावेशभाई विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्रीमान सेठ श्री किशोरभाई कान्तिलाल शाह हैं। For Private and Personal Use Only Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १०९ आप श्री के गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य भुवन भानु सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि. संवत २०४९ का जेठ वद ७ को हुई थी। यहाँ पंचधातु की शांतिनाथ प्रभु की एक प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ एवं अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं। (१७६) श्री संभवनाथ भगवान गृह मन्दिर १/वोरा आशिष बिल्डींग, ग्राउन्ड फ्लोर, पंडित सोलीसीटर मार्ग, मेन रोड, राणी सती मार्ग, मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०० ०९७. टे. फोन : ८८०१६ ५४ विजयभाई विशेष :- सर्व प्रथम श्री विजयभाई के अपने पुराने निवास स्थान ४५ उद्यम कुंझ के चौथे माले पर वि. सं. २०५० का वैशाख सुद पंचमी को परम पूज्य आ. विजय भुवन भानु सूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. विजय जयघोष सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में चल प्रतिष्ठा हुई थी। आपके नूतन निवास स्थान 'वोरा आशिष' में पुन: चल प्रतिष्ठा वि. सं. २०५३ का आषाढ वद ६ को हुई थी। यहाँ पंच धातु की मूलनायक श्री संभवनाथ प्रभु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ तथा गुरू गौतम की एक प्रतिमाजी सुशोभित हैं। (१७७) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर नीलकंठ बिल्डींग, सूचक होस्पिटल के बाजू में, ग्राऊन्ड फ्लोर, राणी सती मार्ग, __ कुंवारी रोड, मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०० ०९७. टे. फोन : जयन्तिलालजी - ओ. ८४० ०२ ७२, घर - ८८३ ४९ २८, सुरेश कुमारजी - ८४१ १७ १५ विशेष :- परम पूज्य व्याख्यान वाचस्पति विजय रामचंद्र सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य विजय सुदर्शनसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०२९ का मगसरं सुद ८ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री गणपतलालजी सेसमलजी परिवार वाले हैं। आत्म - वल्लभ - समुद्र - इन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी म. के शिष्य रत्न आचार्य विजय रत्नाकर सूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से वि. सं. २०५१ का आसौ सुद ३ बुधवार ता. २७-९-९५ को श्री राजस्थान आदिनाथ जैन संघ - राणी सती मार्ग की स्थापना हुई थी, और इसी दिन सेठ श्री गणपतलालजी सेसमलजी परिवार वालो ने श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर, श्री राजस्थान आदिनाथ जैन संघ को सप्रेम भेट दिया था। For Private and Personal Use Only Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ११० मुंबई के जैन मन्दिर इस नूतन गृह मन्दिरजी का खनन मुहूर्त वि. सं. २०५२ का फागुण वद ३ शुक्रवार ता. ८-३-९६ को नाडोल निवासी सेठ श्री साहेबचन्दजी चाँदमलजी सोनीगरा परिवार की तरफ से किया गया तथा शिलास्थापना विधि मुंडारा निवासी श्री पानीबेन दानमलजी कोठारी परिवार वालो की तरफ से हुई थी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुन: नूतन प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय इन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी म. आ. विजय रत्नाकर सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५२ का वैशाख सुद - ६ बुधवार ता. २४-४-९६ को हुई थी। आचार्य विजय रत्नाकर सूरीश्वरजी म. की निश्रा में श्री राजस्थान आदिनाथ जैन संघ द्वारा काम ध्वजा चढावे का आदेश सेठ श्री गणपतलाल सेसमलजी पुनमिया परिवार को दिया गया हैं । यहाँ आदीश्वर जैन महिला मण्डल की व्यवस्था हैं । ❀ ❀ (१७८) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर भगवान निवास, ग्राउण्ड फ्लोर, काठीयावाडी नवरात्री चौक के सामने, कुंवारी रोड, राणी सती मार्ग, मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०० ०९७. टे. फोन : श्री अमृतलाल भाई, श्री शान्तिलाल भाई - ८८३६० १२ विशेष :- सेठ श्री अमृतलाल भारमल शाह इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक हैं । आपके गृह मन्दिरजी की प्रथम चल प्रतिष्ठा परम पूज्य सिद्धान्त महोदधि आचार्य विजय प्रेम सूरीश्वरजी म. के समुदाय के पूज्य मुनिराज श्री कीर्तिसेन विजयजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०३० का फागुण वद - ५ ता. १३-३-७४ को हुई थी । श्री आदिनाथ मरुदेवा वीरामाता अमृत जैन पेढी ट्रस्ट द्वारा इस नव निर्मित गृह मन्दिरजी की पुनः चल प्रतिष्ठा आचार्य विजय जयघोष सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा मे वि. सं. २०४९ का जेठ वद ७ शुक्रवार ता. ११-३-९३ को हुई थी । इस गृह मन्दिर में पाषाण की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं । - For Private and Personal Use Only १, *❀ (१७९) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर वेलाणी ईस्टेट, पोस्ट ओफिस के उपर, दूसरा माला, खोत कूवा मार्ग, राणी सती मार्ग, मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०००९७. टे. फोन : ८८३५३ ३९ शांतिलालभाई, ८४० ३३५९ - रमणीकलालभाई विशेष :- श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपाच्छ जैन संघ की स्थापना एवं ज्ञान शाला की स्थापना वि. सं. २०२३ का आषाढ सुद ३ ता. ९-७-६७ को हुई थी । वि. सं. २०२४ का श्रावण Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर वद ११ ता. १९-८-६८ को यहाँ ज्ञानशाला के होल में परम पूज्य सिद्धान्त रक्षक आचार्य भगवंत श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. एवं प. पू. युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में चल प्रतिष्ठा हुई थी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यहाँ प. पू. युग दिवाकर आचार्यदेव श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणासे चेम्बर तीर्थसे प्राप्त पाषाण के श्याम वर्णीय श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री शान्तिनाथजी, श्री महावीर स्वामी की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ३ तथा अष्टमंगल १ सुशोभित हैं । १११ यहाँ श्री शांतिभाई लल्लुभाई जैन उपाश्रय, श्री मुनिसुव्रत स्वामी महिला मण्डल, श्री मुनिसुव्रत स्वामी युवक मण्डल तथा श्री सामायिक मण्डल की व्यवस्था हैं । ❀ ❀ * (१८०) श्री शीतलनाथ भगवान गृह मन्दिर धनजी वाडी, खोत कूवा रोड, राणी सती मार्ग, मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०० ०९७. टे. फोन : प्राणलालभाई - ८८२३९१४, रमणलालभाई - ८८३५० ३६ विशेष :- :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री शीतलनाथ श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ जैन संघ हैं। जिसकी चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. भगवन्त विजय प्रेम सूरीश्वरजी म. के समुदाय के पंन्यासजी श्री चरण विजयजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०२२ का फागुण सुद ५ शुक्रवार ता. २५ - २ - ६६ को हुई थी। बाद में वि. सं. २०३५ का वैशाख सुद ३ को अंजन शलाका की गई दूसरी प्रतिमाजी बिराजमान की गई हैं। (१८१) यहाँ आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ४, अष्टमंगल - १ तथा शत्रुंजय व सम्मेतशिखरजी के पट भी दर्शनीय हैं । यहाँ के संघ को शिखरबंदी जिनालय बनाने की भावना हैं। श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय आचार्य श्री धर्मसूरीश्वरजी मार्ग, हवा हिरा पार्क, कुरार विलेज, मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०००९७. टे. फोन : ओ. ८४० ४९७७, दामजीभाई - ८४० ११५३, गणशीभाई - ८८३४०२० विशेष :- यहाँ पहले गृह मन्दिर का और जैन उपाश्रय का निर्माण प. पू. आचार्य भगवंत श्री विजय मोहनप्रताप के पट्टधर युग दिवाकर प. पू. आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पावन प्रेरणा से हुआ था । एवं इसकी चल प्रतिष्ठा आपकी ही शुभ निश्रा मे वि. सं. २०३० का मगसर सुद ११ को चेम्बुर तीर्थ से प्राप्त प्रतिमाओकी गई थी। For Private and Personal Use Only यहाँ के संघ व ट्रस्ट मण्डल के पुण्य प्रताप से एक भव्य और दो रंग मंडपवाले शिखरबंदी नयनरम्य जिनालय का निर्माण हुआ है । इस नूतन शिखरबंदी जिनालय का खनन मुहूर्त व शिला स्थापना विधि परम पूज्य युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वर परिवार के प.पू. आ. Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११२ मुंबई के जैन मन्दिर श्री जयानन्द सूरीश्वरजी म., प. पू. आ. श्री कनकरत्न सूरीश्वरजी म., प. पू. आ. श्री महानन्द सूरीश्वरजी म., प. पू. आ. श्री सूर्योदय सूरीश्वरजी म. आदि मुनिमंडल की पुण्य निश्रा में वि. सं. २०४७ के मगसर मास में हुई थी। नूतन जिनालय में भगवान का प्रवेश वि. सं. २०५२, माह मासमें २६ जनवरी १९९६ को परम पूज्य आ. श्री विजय कनकरत्न सूरीश्वरजी म., प. पू. आ. श्री विजय महानन्द सूरीश्वरजी म. एवं प. पू. आ. श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म. आदि की शुभ निश्रा में हुआ था। नूतन जिनालय में श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ - कुरार विलेज की उदार भावना से तलेगाम हाल मुंबई निवासी श्रीमान सेठ श्री शान्तिलाल लीलाचन्द गुन्दरवाला की मंगल भावना से सुलोचनाबेन शान्तिलाल लीलाचन्द गुन्दरवाला परिवार को मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी की प्रतिष्ठा और कायमी ध्वजा दंड का आदेश देने में आया हैं। पुराने मंदिरमें भी उनका आदेश था। परम पूज्य मोहन - प्रताप - धर्म - यशोदेवसूरीश्वरजी म. के परिवार के शतावधानी आ. श्री विजय जयानन्द सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में इस भव्य जिनालय का निर्माण हुआ हैं तथा पू. आ. श्री विजय कनकरत्न सूरीश्वरजी म., प. पू. आ. श्री महानन्द सूरीश्वरजी म. प. पू. आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म., प. पू. आ. श्री पूर्णानन्दसूरीश्वरजी म., प. पू. आ. श्री महाबल सूरीश्वरजी म., प. पू. आ. श्री पद्मानन्द सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५२, वीर संवत २५२२ वैशाख सुद ७ गुरुवार ता. २५-४-९६ को भव्य अंजनशलाका और प्रतिष्ठा महोत्सव बढे ठाठ से हुआ था । जिनालय के नीचे ग्राउन्ड फ्लोर पर ओफिस एवं आ. श्री विजयप्रतापसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. और आ. श्री जयानन्दसूरीश्वरजी म. एवं श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्णवीर, श्री पद्मावती देवी, श्री लक्ष्मीदेवी सभी की अलग अलग देहरियाँ शोभायमान हैं। उपर जिनालय के मूल गंभारे में पाषाण की मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी सहित ११ प्रतिमाजी, पंच धातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - १ तथा वरुण यक्ष, नरदत्ता यक्षिणी, श्री गौतम स्वामी, श्री पुंडरीक स्वामी की प्रतिमा बिराजमान हैं। __ यहाँ नूतन भव्य उपासरा, जैन पाठशाला एवं श्री मुनिसुव्रत स्वामी जैन महिला मंडल की व्यवस्था हैं। नेशनल हाईवे से लेकर जैन मन्दिर के पास के मार्ग का 'आ. श्री. धर्मसूरीश्वरजी मार्ग' नामकरण नगरपालिका ने किया हैं। (१८२) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर रोनक भुवन कम्पाउन्ड में, बचाजी नगर रोड, पुष्पापार्क नं. १ के सामने, मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०० ०९७. टे. फोन : हेड ओफिस - ८८३ ०० ९६ For Private and Personal Use Only Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर विशेष :- श्री हीर सूरीश्वरजी जगद्गुरु श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक हैं। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परम पूज्य आचार्य विजय भुवन भानु सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि की पावन निश्रा में वि. सं. २०५१ का माह सुद १२ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री शान्तिनाथ भगवान की पाषाण की १ प्रतिमाजी, पंच धातु की शान्तिनाथ भगवान की एक प्रतिमाजी तथा सिद्धचक्रजी १ सुशोभित हैं । (१८३) श्री संभवनाथ भगवान गृह मन्दिर ३१, वसंत विजय महल कम्पाउन्ड में, पुष्पा पार्क रोड नं. २, मेन दफ्तरी रोड, मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०००९७. टे. फोन : ८८८ ३५ ८५ प्रकाशभाई, ८८९ २२९० नरेन्द्रभाई विशेष :- श्री पुष्पापार्क श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर में अ. सौ. सविताबेन मणिलाल दोशी परिवार द्वारा प्रतिमाजी की चल प्रतिष्ठा आचार्य विजय भुवन भानु सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४९ का फागुन वद ५ ता. १९ - ३-९३ को हुई थी । (१८४) ११३ यहाँ मूलनायक श्री संभवनाथ प्रभु की पाषाण की १ प्रतिमाजी तथा पंच धातु की २ प्रतिमाजी एवं सिद्धचक्रजी - २ बिराजमान हैं । डिसा - राजपुर निवासी सेठ श्री मणिलाल हंसराजभाई दोशी आराधना भवन तथा जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं । श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर ७- अ विंग, पहला माला, सुनंदा एपार्टमेन्ट, सुभाष लेन, मेन दफ्तरी रोड, मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०० ०९७. टे. फोन : ओफिस - ८८३६३८० विशेष :इस गृहमन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्रीमान सेठ श्री शेवन्तीलाल खुशालचन्द शाह हैं । आप श्री के गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा सिद्धान्त महोदधि आ. विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. विजय वीर शेखर सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में २०५२ का वैशाख सुद६ को हुई थी । For Private and Personal Use Only यहाँ पंच धातु के सात इंची आदीश्वरजी प्रभु की एक प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ एवं अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं। Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११४ मुंबई के जैन मन्दिर (१८५) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर प्रीति एपार्टमेन्ट नं. १४, दूसरा माला, खाण्डवाला गली, मेन दफतरी रोड, मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०० ०९७. टे. फोन : ८८९१८८९ विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्रीमान शेठ श्री भूपेन्द्रकुमार मफतलाल शाह हैं। परम पूज्य आ. विजय भुवन भानु सूरीश्वरजी म. के समुदाय के मुनिराज श्री जगवल्लभ विजयजी म. की पावन निश्रा मे वि. सं. २०४३ का जेठ वद ६ ता. १७-६-८६ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ पंच धातु के श्री वासुपूज्य स्वामीजी की एक प्रतिमाजी तथा एक सिद्धचक्रजी हैं। (१८६) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर रीजन्सी बिल्डिंग के पास, संगीता सिनेमा के सामने, दत्त मन्दिर रोड, मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०० ०९७. टे. फोन : हेड ओफिस - ८८३ ०० ९६ विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री हीरसूरीश्वरजी जगद्गुरू श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ जैन संघ हैं। परम पूज्य आचार्य भगवंत विजय भुवन भानु सूरीश्वरजी महाराज के समुदाय के आचार्य विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. संवत २०४७ का माह सुद १३ को चल प्रतिष्ठा हुई थी । ___ इस गृह मन्दिर में मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की पाषाण की एक प्रतिमाजी तथा धातु की एक प्रतिमाजी व एक सिद्धचक्रजी हैं। कलात्मक ढंग से काँच के बनाये गये छत तथा दिवारो पर पार्श्वनाथ प्रभु के दसो भव के द्दश्य तथा श्री शत्रुजय तीर्थ, श्री सम्मेत शिखरजी तीर्थ, श्री राणकपुर तीर्थ, श्री पावापुरी तीर्थ - जलमन्दिर एवं सभी कांचो के रचाये चित्र शोभायमान हो रहे हैं। (१८७) श्री सुमतिनाथ भगवान गृह मन्दिर रीजेन्सी, ५०४ पाँचवा माला, संगीता सिनेमा के सामने, दत्तमंदिर रोड, __ मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०० ०९७. टे. फोन : ८८९५० २८ अरविंदभाई विशेष :- श्रीमान श्रेष्ठिवर्य श्री अरविंदभाई केशवलाल शाह परिवार वालो ने नूतन गृह मन्दिर का निर्माण अपने निवास स्थान पर किया है। For Private and Personal Use Only Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर परम पूज्य आ. विजय भुवन भानु सूरीश्वरजी महाराज के समुदाय के प्रवचनकार आचार्य विजय रत्नसुन्दर सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५३ का जेठ सुद १ शनिवार ता. १८-५-९७ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ पंचधातुकी श्रीसुमतिनाथ भगवानकी एक प्रतिमाजी एवं १ सिद्धचक्र जी हैं। (१८८) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर बी/१०३, द्वारका देवी को. सोसायटी, पहला माला, जय जवान लेन, मेन दफ्तरी रोड, मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०० ०९७. टे. फोन : ८८९ ०५ ३१ विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्रीमान सेठ श्री योगेशभाई प्रेमजी भाई छेडा परिवार वाले हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य भगवन्त विजय जयकुंजर सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. संवत २०४३ का वैशाख वद ११ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ पंचधातु की पार्श्वनाथ प्रभु की एक प्रतिमाजी तथा एक सिद्धचक्रजी सुशोभित हैं। (१८९) श्री शान्तिनाथ भगवान भव्य गृह मन्दिर । मणि भुवन, ग्राउण्ड फ्लोर, जितेन्द्र रोड, मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०० ०९७. - टे. फोन : ८४० १६ ८३, ८४० ६० ९२, ८४० १५ ९३ - रतिलालभाई विशेष :- इस गृह मंदिरजी के संस्थापक श्रीमान सेठ श्री चुनीलाल कालीदास शाह हैं। इसकी चल प्रतिष्ठा वि. सं. २०२४ का श्रावण सुद १ को हुई थी। यहाँ पाषाण की श्री आदिनाथ प्रभु, श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री शान्तिनाथ प्रभु, श्री महावीर प्रभु की चार प्रतिमाजी, मूलनायक श्री शांतिनाथ प्रभु सहित पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३ के अलावा पावापुरी शोकेस तथा श्री घंटाकर्ण वीर की भव्य तस्वीर जिनालय की शोभा बढा रहे हैं। यहाँ मणिभुवन जैन हॉल, श्री शारदाबेन केशवलाल जैन पाठशाला, श्री बालिका मंडल तथा श्री हरसोल सत्तावीस जैन महिला मंडल की व्यवस्था हैं। (१९०) श्री शान्तिनाथ भगवान भव्य गृह मन्दिर देवचन्द नगर, हाजी बापू रोड, मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०० ०९७. टे. फोन : ३८८ ८७७२, ३८२ ६८८१ - सुरेशभाई देवचंद शाह For Private and Personal Use Only Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ११६ www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर विशेष : :- इस मन्दिरजी के संस्थापक और संचालक श्रीमती जडीबाई जेठालाल शाह तथा उनके पुत्र देवचन्द सेठ एवं उनकी प्रथम पत्नी श्री चम्पादेवी, द्वितीय पत्नी श्री शान्तादेवी थे । आजकल श्री शांतिनाथ जिनालय ट्रस्ट के मेनेजींग ट्रस्टी श्री सुरेशभाई देवचंद संघवी आदि संचालन कर रहे हैं। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शासन सम्राट आ. भगवंत श्री नेमिसूरीश्वरजी महाराज समुदाय के आ. भ. श्री विजय लावण्य सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०१३ का माह वद ३, रविवार, वीर सं. २४८३ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ पाषाण के ११ प्रतिमाजी, पंच धातु की १३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ६ तथा अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। गंभारे के पीछे की ओर श्री गौतमस्वामी एवं श्री नेमिसूरीश्वरजी म. की प्रतिमाजी राज हैं। दिवारो पर बनाये गये आरस के तीर्थो में श्री शत्रुंजय, श्री गिरनारजी, श्री अष्टापदजी, श्री कच्छ भद्रेश्वर, श्री नंदीश्वर द्वीप, श्री आबुजी, श्री सम्मेतशिखरजी, श्री गुणियाजी तथा अनेक ऐतिहासिक महापुरुषो के जीवनके चित्रो से मन्दिरजी को भरा हुआ देखकर मन भक्तिभाव में डुब जाता हैं। इन सब तीर्थ पटो की रचना और १८ अभिषेक विधि वि. सं. २०२० में पूज्यपाद सिद्धान्त निष्ठ आचार्य भगवंत श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. एवं प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से उनकी निश्रा में हुई थी । उन्ही गुरुदेवो की निश्रा में यहाँ वि. सं. २०२३ में उपधान तप की भव्य आराधना हुई थी। वि. सं. २०३८ में युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की निश्रा में आपके जीवन की अन्तिम उपधान तप आराधना बडे ठाठ से यहाँ हुई थी । मन्दिरजी के बाजू में प. पू. युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से निर्मित रुपाल निवासी सेठ प्रेमचंद मगनलाल शाह जैन उपाश्रय और श्री विजय प्रतापसूरि जैन पाठशाला हैं, श्री शान्तिनाथ महिला मंडल, श्री वर्धमान तप आयंबिल शाला, श्री हरसोल सत्तावीश जैन महिला मण्डल, श्री शान्तिनाथ बालिका मंडल की भी व्यवस्था हैं । (१९१) आजकल प. पू. आ. भ. श्री विजयसूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. के मार्गदर्शन से जिनालय के स्थान पर नूतन भव्य शिखरबद्ध जिनालय और विशाल उपाश्रय का आयोजन ट्रस्टी मंडल और देवचन्द नगर जैन तपा. संघ के द्वारा हो रहा हैं । ॐ ❀ श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर ओम. पी. जैन कम्पाउन्ड, पारेख एपार्टमेन्ट के पीछे, राहेजा टाउन शीप, मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०००९७. टे. फोन : ८४० १३६४ चंपकलालभाई, ८४० ३९०६ प्रवीणभाई For Private and Personal Use Only Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ११७ विशेष :- अचिंत्य महिमा जिनकी चिहु ओर गुंज रही हैं। जो की साक्षात कल्पवृक्ष हैं, ऐसे श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभुजी की अलौकिक जिनमूर्ति तथा शत्रुजय मंडन श्री आदीश्वर दादा, शांति दाता श्री शांतिनाथ दादा के जिन बिम्बो की प्रतिष्ठा वि. सं. २०४८ का माह सुद ६, सोमवार तारीख १०-२-९२ के शुभ दिन आ. श्री विजय विक्रमसूरीश्वर म. के पट्टधर आ. श्री विजय जिनभद्रसूरीश्वर तथा आ. विजय यशोवर्म सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में हुई थी। ___श्री भाववर्धक जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर में पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की - २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २ एवं अष्टमंगल - १ शोभायमान हैं। ___ यहाँ आराधना भवन में जैन पाठशाला चालु है। श्री भाववर्धक सामायिक मण्डल, श्री पार्श्व विनीत महिला मण्डल, स्नात्र पूजा - पूजा - भावना - भक्ति - गीत वगैरह प्रवृत्ति में लीन हैं। (१९२) श्री विमलनाथ भगवान शिखर बंदी जिनालय दत्त मन्दिर रोड, मुंबई - अहमदाबाद रोड के पास, बाण डोंगरी, ___ मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०० ०९७. टे. फोन : ८८९ २६ २१ श्री कल्याणजीभाई विशेष :- इस जिनालय के संस्थापक एवं संचालक श्री बाणडोंगरी अचलगच्छ जैन संघ हैं । इस जिनालय का भूमिपूजन एवं शिलास्थापना ता. १५-१-९७ को परम पूज्य आ. श्री कलाप्रभसागर सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में हुई थी। परम पूज्य आ. श्री गुणोदय सागर सूरीश्वरजी म. और आ. श्री कलाप्रभ सागरसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में बडौदा में १ फरवरी १९९८ को अंजन शलाका की हुई प्रतिमाजी का जिनालय में तारीख ६ फरवरी १९९८ को परम पूज्य श्री पुण्योदय सागरजी म. और साध्वीजी कीर्तिगुणाश्रीजी की शुभ निश्रा में प्रवेश हुआ था। यहाँ मूलनायक श्री विमलनाथ प्रभु के साथ श्री संभवनाथ प्रभु, श्री मुनिसुव्रतस्वामी, श्री उवस्सगहरं पार्श्वनाथ, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्ध चक्रजी - २, अष्टमंगल - १ के अलावा यक्ष-यक्षिणी, महाकाली, पद्मावती, चक्रेश्वरी एवं श्री घंटाकर्णवीर, गुरु गौतम स्वामी, आर्यरक्षित सूरि तथा आ. श्री गुणसागर सूरि म. की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११८ मुंबई के जैन मन्दिर कान्दिवली (पश्चिम) (१९३) श्री संभवनाथ भगवान भव्य गृह मन्दिर दर्शन एपार्टमेन्ट के कम्पाउंड में, शंकर गली, शंकर मन्दिर के सामने, कान्दिवली (प.) मुंबई - ४०० ०६७. टे. फोन : ८०७ २८ ४२ श्री भोगीलाल पुरूषोत्तम, ८६२ ६५ ५४ - वसंतभाई विशेष :- धांगध्रा निवासी वोरा पुरूषोत्तमदास सुरचन्दभाई और उनके सुपुत्रो ने पूज्य आ. भ. श्री विजय वल्लभसूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा से और पूज्य आ. भ. श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. के. सदुपदेश से जिनालय बनाया हैं। इस जिनालय की प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. भ. श्री विजय मोहनसूरीश्वरजी म. के पट्टधर प. पू. आचार्य भगवंत श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २००६ का जेठ सुदी ५ को हुई थी। कान्दिवली विभाग में सबसे प्रथम यही जिनालय हैं। मूलनायक श्री संभवनाथ प्रभु के आजू बाजू में अत्यंत रमणीय पार्श्वनाथजी की फणावाली दो प्रतिमाजी हैं । ये दो प्रतिमाजी वि. सं. २००३ में पाकिस्तानकी रचना के समय, करांची नगर के जिनालय से समुद्र मार्ग से मोरबी नगर में प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. के वहाँ के चातुर्मास में लाई गयी थी और वहाँ से आपकी प्रेरणा से वि. सं. २००६ में यहाँ लाकर प्रतिष्ठित की गई हैं। यहाँ मूलनायक श्री संभवनाथ प्रभु की धातु की एक प्रतिमाजी तथा दूसरी पाषाण की ८ प्रतिमाजी, दुसरी पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ५ एवं अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं। गंभारा में कांच की डिझाईन, रंग मंडप में एवं छत में कांच के कारीगरी की डिझाईन तथा २४ तीर्थंकरो की तस्वीर तथा संभवनाथ प्रभु का जीवन चरित्र द्दश्य भी दर्शाया गया हैं। यहाँ सेठ पुरूषोत्तम सुरचन्द साधना मन्दिर का उद्घाटन वि. सं. २०४६ का माह वद-२ रविवार दि. ११-२-१९९० को हुआ था। यहाँ नीति सूरि जैन पाठशाला, पाठशाला का अपना विशाल भवन,श्री जिन आराधक मण्डल, तथा वीतराग भक्ति मंडल भी लोकप्रिय हैं। (१९४) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान भव्य शिखर बंदी महाजिनालय सुन्दर बाग के सामने, भुलाभाई देसाई रोड, कान्दिवली (प.) मुंबई - ४०० ०६७. टे. फोन : (ओ.) ८०७ २८ ४७, ८०७०३ ५४ जयन्तिलाल भाई विशेष :- वि. सं. २०१६ से वि. सं. २०३२ तक के समय खंड में मुंबई महानगर की कायापलट करके उनको जगह जगह पर भव्य जिनालय, उपाश्रय आदि अनेकानेक धर्मस्थानो से मंडित करने का भगीरथ पुरूषार्थ करने वाले, महानगर के महाउपकारी पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य For Private and Personal Use Only Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा व मार्गदर्शन से मुंबई महानगर के पश्चिम विभाग के उपनगरो में सबसे बडा, विशाल, भव्य, रमणीय और मनमोहक इस चतुर्विंशति महा प्रासाद का निर्माण हुआ हैं । १९९ आपकी शुभ निश्रा में इस महाजिनालय का शिलान्यास वि. सं. २०३१ का वैशाख वद-८ सोमवार दि. २-६-७५ को पन्नालाल लीलाचंद गुंदरवालो के शुभ हस्तक हुआ था । स्टेशन से थोडी दूर चलते ही यह बेनमून महाजिनालय का दर्शन होता हैं। तीन महाशिखर और २१ लघु शिखरो, इस तरह २४ शिखरो से सुशोभित इस प्रकार का यह मन्दिर सारे मुंबई में सर्व प्रथम बना हुआ हैं। बाहरी दृश्य में दोनो तरफ दो हाथी और उसके पीछे एक तरफ सिंहण गाय के बछडे को दुध पिलाती हुई तथा दूसरी तरफ एक गाय सिंहण के बछड़े को दुध पिलाती हुई, सचमच यह दृश्य अहिंसा धर्म को ललकार रहा हैं 1 इस महा जिनालय का संचालन श्री कांदिवली जैन श्वे. मू. संघ कर रहा हैं। श्री संघ की स्थापना वि. सं. २०१६ में हुई थी और २०२० में विशाल भूमि खंड संपादित करके सबसे पहले वि. सं. २०२२ श्री संघ के प्रेरक युगदिवाकर सूरिदेव के सानिध्य में विशाल उपाश्रय का निर्माण करके, उसके नीचे के खण्ड में वि. सं. २०२६ में चेम्बुर तीर्थ से प्राप्त श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ प्रभु के गृह जिनालय का निर्माण आपश्री की निश्रा में हुआ था । - संपूर्ण महाजिनालय तैयार हो जाने पर वि. सं. २०३६ के वैशाख सुदि १३ वार बुध. दि. ३०-४-१९८० को अंजनशलाका और वैशाख सुदि १५ को भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव जिनालय के प्रेरक प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री और उनके विशाल शिष्य परिवार की निश्रा में हुआ था । मूल गंभारे में मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी प्रभु की श्याम वर्णीय प्रतिमाजी ५१” परिकरके साथ १०१” और विहरमान भाव तीर्थंकर श्री सीमन्धर स्वामीजी, श्री युगन्धर स्वामीजी, श्री बाहुजिन और सुबाहुजिन की चार प्रतिमाजी के साथ कुल ५ प्रतिमाजी । गंभारे के बाहरी भाग में दो काउस्सग प्रतिमाजी एक तरफ श्री नागेश्वर पार्श्वनाथ दूसरी तरफ श्री कालिकुंड पार्श्वनाथ दिखाई दे रहे हैं । मन्दिरजी में चारो तरफ आरस की सब मिलकर ३८ प्रतिमाजी तथा मंदिरजी के उपरी मंजिल पर आरस १७ प्रतिमाजी अलग अलग नामो से सभी पार्श्वनाथ प्रभु की हैं। पुरे जिनालय में पाषाण की ५५ प्रतिमाजी तथा श्री पुंडरीक स्वामी व श्री गौतम स्वामी की आरस की २ प्रतिमाजी के साथ कुल ५७ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। पंच धातु की प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी, और अष्टमंगल वगैरह ५० का अंदाजा हैं । ५७ प्रतिमाजी में २४ तीर्थंकरो, ४ शाश्वत जिनेश्वरो और भावि तीर्थंकर श्री पद्मनाभ स्वामीजी की भी प्रतिमाजी हैं। For Private and Personal Use Only दिवारो पर आरस पर कोतरण किये गये श्री अष्टापद तीर्थ श्री शत्रुंजत्रय तीर्थ, श्री सम्मेत शिखर तीर्थ, श्री गिरनार तीर्थ दर्शनीय हैं। बाहरी भाग की ओर एक तरफ श्री मणिभद्रवीर, श्री धरणेन्द्रजी, श्री नाकोडा भैरूजी तथा दूसरी तरफ श्री चक्रेश्वरी देवी, श्री पद्मावती देवी एवं श्री लक्ष्मीदेवी बिराजमान हैं। जरा और बाहर की तरफ नजर धूमाते हैं तो एक तरफ श्री घंटाकर्ण वीर की देहरी तथा दूसरी तरफ Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२० मुंबई के जैन मन्दिर श्री संघ और जिनालयके प्रेरक प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. के गुरू मंदिर का निर्माण प. पू. आ. भ. श्री विजयसूर्योदयसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से हुआ हैं। जिनालय के प्रणेता प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. ने प्रतिष्ठा के समय भविष्य को दृष्टि में रखते हुए भावि कथन किया था कि मुंबई के पश्चिम विभाग में श्री मुनिसुव्रतस्वामी प्रभु का यह महाजिनालय, आगाशी तीर्थ के बाद दूसरे नंबर का यात्राधाम हो जायगा । आज हम यह आर्ष द्रष्टा गुरूदेव की वाणी को प्रत्यक्ष सिद्ध देख रहे हैं। हमेशा और विशेष रुपसे शनिवार को हजारो भक्त यहाँ यात्रा करने के लिये आते हैं। उनके लिये भाता की भी व्यवस्था की गई हैं। यहां प. पू. आ.भ. श्री जयानन्दसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से आराधना हॉल और प.पू.आ.भ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से श्राविका उपाश्रय का निर्माण हुआ है। प्रतिवर्ष यहाँ वैशाख सुदि-१५ के दिन सालगिरि महोत्सव मनाया जाता हैं और उस दिन कायमी साधर्मिक वात्सल्य का आदेश प. पू. आ. भ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से श्री पन्नालाल लीलाचन्द गुंदर वालो के परिवार ने लिया हैं। इस तरह पर्युषण महा पर्वाराधना के बाद में साधर्मिक वात्सल्य का कायमी लाभ का आदेश पू. आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से श्री अशोकभाई नानाभाई मरचन्ट परिवार ने लिया हैं। यहाँ विशाल दो उपाश्रय, आयंबिल भवन, श्री लक्ष्मणसूरि जैन पाठशाला, श्री मुनिसुव्रत प्रतापधर्म सामायिक मण्डल, श्री स्नात्र मंडल, श्री कांदिवली जैन युवक मंडल विद्यमान हैं। आजकाल दोनो उपाश्रय के प्रवेश के स्थान में पू. आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा व मार्गदर्शन से पू. युग दिवाकर गुरुदेव के पुण्य स्मारक रूप में धर्मद्वार का मनोहर निर्माण हो रहा हैं । आपकी निश्रामें २०५२ के चातुर्मास बाद भव्य अंजनशलाका-दीक्षा - उपधान तप का बडा महोत्सव ठाठ से हुआ था। (१९५) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर इराणी वाडी, शन्तिलाल मोदी क्रॉस रोड नं. २, ग्राउन्ड फ्लोर, कान्दिवली (प.) मुंबई - ४०० ०६७. टे. फोन : (ओ.) ८०५ ७९ ४९ भोगीलालभाई अमृतलाल - ८०१ ७० ४१ विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय भक्ति सूरीश्वरजी म. समुदाय के आचार्य विजय लब्धिसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में. वि. सं. २०४० का वैशाख वद-३ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री वर्धमान भक्ति श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ हैं। यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ तथा आजू बाजू में श्री ऋषभ देव प्रभु एवं श्री महावीर प्रभु बिराजमान हैं। ये तीनो पाषाण की प्रतिमाजी, पंच धातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ५ तथा श्री गौतम For Private and Personal Use Only Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १२१ स्वामी व श्री पद्मावती देवी की प्रतिमाजी भी बिराजमान हैं। ओफिस के एक तरफ श्री घंटाकर्ण वीर देहरी भी शोभायमान हैं। ___ यहाँ श्री पार्श्वभक्ति सहाय मंडल, श्री विजय भक्तिसूरि जैन पाठशाला, श्री भक्तिसूरि महिला मंडल तथा श्री वर्धमान जैन भक्ति मंडल की व्यवस्था हैं। (१९६) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर बी-२ किशोर केन्द्र, ग्राउण्ड फ्लोर, इराणी वाडी, शान्तिलाल मोदी क्रॉस रोड नं. २, कान्दिवली (प.) मुंबई - ४०० ०६७. टे. फोन : ८०८६२६२ विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्री रमेशभाई जीवनलाल मोदी परिवार हैं। आप श्री के गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य भुवन भानु सूरीश्वरजी म. के पन्यासजी श्री चंद्रशेखर विजयजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५१ का माह वद १३ को हुई थी। यहाँ पंच धातु की एक प्रतिमाजी तथा , एक सिद्धचक्रजी तथा गुरु गौतम की पंचधातु की एक प्रतिमाजी बिराजमान हैं। (१९७) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय शंकर गली, महावीर नगर, विजय वल्लभ सूरीश्वरजी मार्ग, कान्दिवली (प.) मुंबई - ४०० ०६७. टे. फोन : ओ.- ८६३ ४६ २८, ८०८ ०७ ३२ बाबुभाई विशेष :- जमीन से करीब १७ पगथीयो के उपर तथा प्रवेशद्वार के बाहर की ओर दोनो तरफ दो हाथी और दो सिंह की शोभा देखते हुए जिनालय में प्रवेश करते हैं। इस भव्य जिनालय के संस्थापक एवं संचालक श्री महावीर नगर श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ हैं। इसका भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव परम पूज्य योगनिष्ठ जैनाचार्य श्रीमद् बुद्धिसागर सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. कैलाशसागर सूरीश्वरजी म. के आ. श्री पद्मसागर सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा में वि. सं. २०४७ का मगसर वद ५ गुरुवार ता. ६-१२-९० को हुआ था। यहाँ जिनालय में मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी तथा आजूबाजू में श्यामवर्णी पाषाण के श्री मुनिसुव्रत स्वामी एवं श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ सहित पाषाण की ७ प्रतिमाजी, पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३ तथा अष्टमंगल भी हैं। इसके अलावा श्री पद्मावती देवी व श्री चक्रेश्वरी देवी भी पाषाण की बनी हुई बिराजमान हैं। यहाँ लीलावतीबेन पोपटलाल वखारीआ आराधना भवन, श्रेष्ठिवर्य कांतिलाल मोहनलाल शाह For Private and Personal Use Only Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२२ मुंबई के जैन मन्दिर घोघावाला व्याख्यान हॉल युगदिवाकर आ. भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से बनाया गया हैं। व्याख्यान हॉल में एक तरफ श्री मणिभद्रवीर की देहरी भी सुशोभित हैं। यहाँ श्री लक्ष्मण सूरि जैन पाठशाला, श्री वीतराग जैन भक्ति मण्डल, श्री महावीर महिला मण्डल एवं सुन्दर उपासरा की व्यवस्था हैं। (१९८) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर ___ सी-३, महावीर नगर कम्पाउण्ड में, श्री वल्लभ सूरीश्वरजी रोड, शंकर गली, कान्दिवली (प.) मुंबई - ४०० ०६७. टे. फोन : हेड ओफिस - ८६३ ४६ २८ विशेष :- महावीर नगर की स्थापना :- पंजाब केसरी आचार्य श्री वल्लभ सूरीश्वरजी म. के वि. सं. २०२७ में जन्म शताब्दी महोत्सव के शुभ अवसर पर आचार्य श्री विजय समुद्रसूरीश्वरजी म. ने, ऐसी सोसायटी मध्यम वर्ग के लिये हो ऐसा नियम लिया था । उस निमित्त मुंबई की श्री आत्मानन्द जैन सभा ने यह योजना पुरी करने में कमर कसी एवं पूज्य श्री मृगावती साध्वीजी म. ने इस योजना को सिंचन करके पुरी की । यह योजना २०२८ में शुरू करने में आई तथा तीन बिल्डिंगो में ३४४ ब्लोक बाँधकर साधर्मिक बंधुओ को देने में आये हैं। ब्लोक बनाने में जो किमत लगी वही मूल्य में ब्लोक दिये गये। यहाँ के गृह मन्दिर मे श्री वासुपूज्य स्वामी की पीले रंग की प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी २ सुशोभित हैं। इसकी चल प्रतिष्ठा वि. सं. २०२९ का आसौ वद ३ को परम पूज्य आत्म - कमल - लब्धि लक्ष्मण के शिशु आचार्य श्री विजय कीर्तिचन्द सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में हुई थी। इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्री महावीर नगर श्वे.मू. जैन संघ हैं। (१९९) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान भव्यशिखर बंदी जिनालय महावीर नगर कॉम्पलेक्ष, कमला विहार के कम्पाउन्ड में, दहाणुकर वाडी, कान्दिवली (प.) मुंबई - ४०० ०६७. टे. फोन : चंदुभाई - ८०७ ४९ ३५, अंबालालभाई - ८६२ २९८६, प्राणलालभाई - ८८२ ३९ १४ विशेष :- इस भव्य जिनालय के संस्थापक एवं संचालक श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ उद - कल्याण जैन संघ हैं। For Private and Personal Use Only Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १२३ - सुविशाल गच्छनेता आचार्य भगवन्त विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. रामचन्द सूरीश्वरजी म. के आचार्य विजय जिनेन्द्र सूरीश्वरजी म. मुनिराज श्री नयवर्धन विजयजी म., की पावन निश्रा में वि. सं. २०५२ का माह सुद - १४ तारीख ३-२-९६ को प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ के जिनालय में मूलगंभारे में धातु की बनी हुई तीनो प्रतिमाजी मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी ४१ इंची तथा आजू बाजू में श्री महावीर स्वामी २७ इंची एवं श्री शांतिनाथ प्रभु २७ इंची प्रतिमाजी बिराजमान हैं। जिनालय के रंग मंडप में पाषाण की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की १० प्रतिमाजी, सिद्धनकजी - ४ तथा अष्टमंगल २ सुशोभित हैं। ___ गर्भ गृह की स्थापना करने वाले अ. सौ. रूक्ष्मणीबेन प्राणलाल छगनलाल सेठ परिवार वाले तथा सुरेशभाई सेठ, अ. सौ. सरलाबेन एवं प्रफुलभाई सेठ, अ. सौ. प्रज्ञाबेन हैं। मन्दिरजी के बाहर की तरफ एक ओर परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी म. साहेब का गुरू मन्दिर दर्शनीय हैं। (२००) श्री पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर नीलकमल बिल्डींग के कम्पाउण्ड में, गोखले रोड, दहाणूकर वाडी, कान्दिवली (प.) मुंबई - ४०० ०६७. टे. फोन : ८०५ ०४ ८० के. टी सोनी विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री के. टी. सोनी व भारतीबेन हैं। परम पूज्य आचार्य विजय लब्धि - लक्ष्मण के शिशु आ. शतावधानी विजय कीर्तिचन्द्र सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में दहाणुकर वाडी के नीलकमल बंगले में अ. सौ. भारतीबेन के. टी. सोनी तथा शान्ताबेन वगैरह परिवार ने इस गृहमंदिर का निर्माण कर मूलनायक श्री पार्श्वनाथ प्रभु की चल प्रतिष्ठा वि. सं. २०४३ का वैशाख सुदी ४ शनिवार ता. २-५-१९८७ को की हैं। यहाँ मूलनायक श्री पार्श्वनाथ प्रभु की एक प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्र - २, पंचधातु की एक पद्मावती देवी तथा एक रत्न की पद्मावती देवी बिराजमान हैं। (२०१) श्री आदीश्वर भगवान शिखरबंदी जिनालय प्लोट नं. १६४ सेक्टर नं. ५, आर. ओस. सी. ४४ मानव को. ओ. हाउसिंग सोसायटी जिन प्रेम बिल्डींग के सामने, कान्दिवली (प.), मुंबई - ४०० ०६७. टे. फोन : तेजराजजी पुनमीया - ८६९१७ ९४ रविभाई भंडारी - ८६९ ८२ ५४ विशेष :- परम पूज्य शासन सम्राट नेमि सूरीश्वरजी म. समुदाय के. आ. भगवंत विजय For Private and Personal Use Only Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२४ मुंबई के जैन मन्दिर - लावण्य सूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. विजय दक्षसूरीश्वरजी म. के शिष्य पन्यासजी श्री प्रभाकर विजयजी म. की पावन निश्रा में भूमिपूजन श्रेष्ठिवर्य श्री दीपचन्दभाई गार्डी एवं श्री अशोकभाई एम. शाह के कर कमलो द्वारा ता. ८-१-९४ को हुआ था। कांदिवली चारकोप जैन संघ के प्रमुख श्री तेजराजजी जे. पुनमीया एवं श्री बाबुलालजी एस. मालु इनके शुभ हस्तक ता. १०-७-९४ को शिलारोपण हुआ था। जिनालय निर्माण होने पर भगवान का प्रवेश वि. सं. २०५२ का श्रावण सुदी १५ को हुआ था। ___ यहाँ मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान तथा आजू बाजू में श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान तथा श्री शान्तिनाथ भगवान की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, विशस्थानक - १, अष्टमंगल - १ के अलावा श्री गोमुख यक्ष, श्री चक्रेश्वरी यक्षिणी, श्री पद्मावती देवी, श्री मणिभद्रवीर, श्री नाकोडा भैरूजी, श्री गौतम स्वामी, शासन सम्राट् श्री नेमिसूरीश्वरजी म., श्री दक्षसूरीश्वरजी म. की प्रतिमाजी भी बिराजमान हैं। प्रतिष्ठा अभी बाकि है। यहाँ उपासरा, पाठशाला एवं श्री आदि - दक्ष महिला मण्डल की व्यवस्था हैं। श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर आनन्द नगर, गाला नं. १३-१४, मथुरादास क्रॉस रोड, ६० फीट रोड कान्दिवली (प.) मुंबई - ४०० ०६७. टे. फोन : प्रवीणभाई - ८०१ ३६ ४८, मूकेशभाई - ८६३ ५३ ६०, भूपेन्द्रभाई - ८०७ २५ ३९ विशेष :- श्री वासुपूज्य श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ कांदिवली (प.) द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर की शिलास्थापना परम पूज्य आत्म - कमल - लब्धिसूरि समुदाय के पूज्य साहित्य उपासक प्रवर्तक श्री हरीशभद्र विजयजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५३ का श्रावण वदी ९ को मंगलवार ता. २३-९-९७ को हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी २७" तथा आजूबाजू में श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ २१ " एवं श्री मुनिसुव्रत स्वामी २१" पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की श्री शन्तिनाथ प्रभु की एक प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ तथा श्री शत्रुजय तीर्थ पट तथा १०८ पार्श्वनाथ दर्शन सुशोभित हैं। ___ आ. क. लब्धि सूरि समुदाय के आ. श्री विजय यशोवर्मसूरीश्वरजी म. प्रवर्तक श्री हरीशभद्र विजयजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५४ का पोष वद १२ रविवार ता. २५-१-९८ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ श्री विजय लब्धि सूरि जैन पाठशाला, एवं श्री लब्धि सूरि जैन सामायिक मण्डल की व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १२५ कान्दिवली (पूर्व) (२०३) (२०३) __ श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर श्री चिन्तामणि -TOr ATTA रामनगर, महादेव देसाई मार्ग, रेलवे फाटक के दायी ओर, कान्दिवली (पूर्व), मुंबई - ४०० १०१. टे. फोन : रसिकभाई - ८८७ ५५ ३०, सुमतिलालभाई - ८८७ ५५ ४९, ओफिस देरासर - ८८६ ५१४३ विशेष :- श्री रामनगर श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ कान्दिवली (पूर्व) द्वारा संस्थापित एवं संचालित सर्वप्रथम गृह मंदिर के लिये श्री कांदिवली जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ और झालावाड नगर जैन संघ के उदार सहयोग से प्राप्त हुई ५५५ चौरस फुट के भूमि में श्री शान्तिनाथ प्रभु के गृह मन्दिर की स्थापना प. पू. युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री धर्मसूरीश्वर परिवार के प. पू. आ. भ. श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा से वि. सं. २०५१ का जेठ सुद ११ शुक्रवार को हुई थी। उस वक्त परम पूज्य आ. भ. श्री सूर्योदय सूरीश्वरजी म.की शुभ प्रेरणा से श्री धर्मसूरीश्वरजी म. जैन पाठशाला एवं श्री धर्मसूरीश्वरजी जैन युवक मण्डल की स्थापना हुई थी। जैन पाठशाला के लिये श्रीमती हीराबेन चन्दुलाल आजोल वालो की तरफ से सहयोग प्राप्त हुआ था। बाद में नूतन भव्य जिनालय व उपाश्रय का निर्माण होने के बाद पुनः प्रतिष्ठा, धर्मधाम आराधना भवन का उद्घाटन, प्रतिमाओं का नगर प्रवेश परम पूज्य आ. भ. श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म., पू. मुनिश्री राजरत्न विजयजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५३ का माह सुद १२, बुधवार, ता. १९-२-९७ को सभी विधि ठाठ माठ से हुई थी। यहाँ कांदीवली (प.) श्री मुनिसुव्रत स्वामी महाजिनालय में वि. सं. २०५३, माहमासमें आपश्री की निश्रा में अंजनशलाका की हुई मूलनायक श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान तथा आजू बाजू में श्री आदिनाथ भगवान और श्री महावीर स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३ एवं अष्टमंगल - १ के अलावा पार्श्वयक्ष, श्री पद्मावती देवी, श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्ण वीर बिराजमान हैं। यहाँ आपकी प्रेरणा से श्रीमती गुणवंतीबेन मोहनलाल करसनजी महेता मोरबी वाला प्रार्थना खण्ड श्रीमती रमीलाबेन गुणवंतलाल चंदुलाल शाह आजोल वाला स्वाध्याय हॉल की व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२६ मुंबई के जैन मन्दिर (२०४) श्री वासुपूज्यस्वामी भगवान गृह मन्दिर लोखण्डवाला टाऊनशीप, आकुर्ली रोड, अलीका नगर, बिल्डींग नं. १० A १०३ । पहला माला, कान्दिवली (पूर्व), मुंबई - ४०० १०१. टे. फोन : मुकुंदभाई - ८८७ २५ ४७, ८८७५७ ४४, मोहनभाई पारेख - ८८७ ९१ ४२ विशेष :- श्री अरिहन्त धाम जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर की में वर्धमान तपोनिधि आ. श्री विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के समुदाय के पू. आ. श्री विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५० का वैशाख सुदी १३ सोमवार ता. २३-५-९४ को भगवान का प्रवेश कराया था। यहाँ मूलनायक पाषाण की १ प्रतिमाजी, पंच धातु की २ प्रतिमाजी ; सिद्धचक्रजी १, वीसस्थानक १ तथा पंच धातु की चोविशी बिराजमान हैं । यहाँ श्री वासुपूज्य स्वामी की प्रतिमाजी श्री मधुसुदन प्राणलालभाई गोसालिया घाटकोपरवाला द्वारा भराई हुई प्राप्त हुई हैं। (२०५) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय अशोक ग्राम कॉम्पलेक्ष, अशोकनगर कम्पाउण्ड में, अशोक चक्रवर्ती रोड, ____धर्मशान्ति धाम, कान्दिवली (पूर्व), मुंबई - ४०० १०१. टे. फोन : ऑफिस : ८८६ ५३ ६१, प्रतापभाई - ५१३ ६६ ५६, भूपतभाई - ८८७ १४ ५१ विशेष :- इस भव्य शिखरबंदी जिनालय के संस्थापक एवं संचालक श्री अशोक ग्राम जैन टेम्पल ट्रस्ट हैं। परम पूज्य आ. भ. श्री विजय मोहन-प्रताप धर्मसूरीश्वरजी म. साहेबजी के परिवार के आचार्य भगवंत शतावधानी श्री विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म., विशद वक्ता आ. भ. श्री विजय कनकरत्नसूरीश्वरजी म., विद्वद्वर्य आ. भ. श्री विजय महानन्दसूरीश्वरजी म. एवं व्या. सा. न्या. तीर्थ आ. भ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०४४ का जेठ सुद १० को भव्य ठाठमाठ से श्री अंजनशलाका - प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ ४१" तथा आजू बाजू में श्री शान्तिनाथ व श्री महावीर स्वामी सहित पाषाण की ७ प्रतिमाजी तथा पंच धातु की प्रतिमाजी व सिद्धचक्रजी वगैरह २५ का अंदाजा हैं। श्री पुंडरीक स्वामी, श्री गौतम स्वामी एवं आ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. की और आ. श्री शान्तिसूरीश्वरजी म. की प्रतिमा सुशोभित हैं। जिनालय के एक तरफ श्री मणिभद्र वीर, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री नाकोडा भैरुजी दूसरी तरफ श्री पद्मावती देवी, श्री लक्ष्मी देवी एवं श्री सरस्वती देवी बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १२७ शतावधानी आचार्य देव श्री विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से श्री दिनेशचन्द्र बालचन्द दोशी, श्री प्रतापराय दुर्लभदास सेठ के परिवार द्वारा निर्मित नूतन धर्म-शान्ति भवन का उद्घाटन आ. श्री विजय कनकरत्नसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय महानन्दसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की शुभ निश्रा में वि.सं. २०५१ का जेठ सुद १३ रविवार ता. ११-६-९५ को हुआ था । कांदिवली (पूर्व) में सबसे बडा विशाल और रमणीय उपाश्रय यह है। उसमें विविधलक्षी होल और आराधना होल आदि की व्यवस्था है। यहाँ के आफिस हॉल में कच्छ भद्रेश्वर तीर्थ दर्शनीय हैं। यहाँ श्री धर्मशान्ति महिला मंडल, श्री धर्मशान्ति सामायिक मण्डल, श्री धर्मशान्ति जैन युवक मंडल अपनी भक्ति भावना में अग्रसर हैं। ___ महागिरि, हस्तगिरि, राजगिरि, पावापुरी, सिद्धाचलगिरि इत्यादि विभिन्न तीर्थो के नामवाली बिल्डिंगो के बिच में यह भव्य शिखरबंदी जिनालय सुविशाल सुरम्य शोभायमान हो रहा हैं। (२०६) श्री शीतलनाथ भगवान गृह मन्दिर बी. ७०३, पावापुरी एपार्टमेन्ट, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जिनालय के पीछे, अशोक चक्रवर्ती रोड, कान्दिवली (पूर्व), मुंबई - ४०० १०१. __टे फोन : ८८७ ३४ २७, ८८७ ४९ ५२ पंडित धनंजय जैन विशेष:- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्री पंडित धनंजय जशुभाई जैन प्रेमकेतु हैं। आप साहित्यकार, चित्रकथा लेखक, विद्वान, पंडित हैं। ___ परम पूज्य भुवनभानुसूरीश्वरजी म. समुदाय के आचार्य विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. के शिष्य मुनिराज श्री दर्शन विजयजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०४९ का वैशाख सुदी १२ ता. ३-५-९३ को चल प्रतिष्ठा हुई थी । यहाँ पंचधातु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी १, अष्टमंगल १ बिराजमान हैं । (२०७) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर श्रेयांस बिल्डींग, पहला माला, A विंग, ब्लोक नं. ४, दामोदर वाडी के पास, अशोक चक्रवर्ती रोड, कांदिवली (पूर्व), मुंबई - ४०० १०१. दे फेन : ८८७ ०० ५४, ८८७ ६० ८७ - अतुलभाई विशेष:- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री अतुलभाई व्रजलाल शाह हैं। परम पूज्य आ. श्री विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म. समुदाय के आ. श्री विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म., आचार्य श्री विजय हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०४६ का वैशाख वद १० रविवार ता. १०-५-९० को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ पंच धातु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी १, अष्टमंगल १ सुशोभित हैं। For Private and Personal Use Only Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२८ मुंबई के जैन मन्दिर (२०८) श्री आदिनाथ भगवान शिखरबंदी महाजिनालय ___ सी-१, अरिहन्त नगर, दामोदर वाडी के सामने, सम्राट अशोक चक्रवर्ती रोड, कान्दिवली (पूर्व), मुंबई - ४०० १०१. टे. फोन : ३६३ २२ ०१, ८८७ ६७ ५० किर्तिभाई, ३६२ २० १० - हिंमतभाई विशेष:-सर्व प्रथम यहाँ श्री शान्तिनाथ झालावाड जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ की तरफसे परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. साहेबजी की पावन निश्रा में वि.सं. २०३२ का जेठ वद ३ सोमवार ता. १४-६-७४ को श्री शांतिनाथजी गृहमन्दिर की स्थापना हुई थी और उसमें आपकी शुभनिश्रामें चेम्बुर तीर्थ से प्राप्त धातु के श्री शान्तिनाथ आदि प्रतिमाओकी चल प्रतिष्ठा हुई थी। उसके बाद पुनः प्रतिष्ठा वि.सं. २०४१ का श्रावण सुद १३ बुधवार को परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. (उस समय पंन्यास प्रवर) की पावन निश्रा में हुई थी। उस समय चेम्बुरतीर्थ से प्राप्त मूलनायक श्री आदिनाथ प्रभु की तथा आजूबाजू में श्री गोडीजी पार्श्वनाथ, श्री वासुपूज्य स्वामी की आरस की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्ध चक्रजी ३ तथा अष्टमंगल १ सुशोभित हैं। वि.सं. २०४७ का आषाड वद २ ता. २८-७-९१ की श्री पद्मावती देवी की प्रतिमाजी बिराजमान की गई है। यहाँ 'धर्म' आराधना भवन उपासरा, जैन पाठशाला, श्री शान्तिनाथ झालावाड महिला मंडल, श्री अरिहंत शिशु सामायिक मण्डल, श्री आदिनाथ भक्ति मंडल बैण्ड पार्टी आदि की व्यवस्था हैं। आजकाल यहाँ के संघ की तरफ से पुरा मारबल का भव्य शिखरबंदी जिनालय का निर्माण परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजयसूर्योदयसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से आपकी निश्रा में हो रहा हैं। उसका भूमि पूजन वि.सं. २०५३ का कार्तिक वद २ ता. २७-११-९६ बुधवार को और शिलास्थापना वि.सं. २०५३ का कार्तिक वद १२ ता. ७-१२-९६ शनिवार को, नूतन भव्य जिनालय के प्रेरक पू.आ.भ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म.सा. एवं पू. मुनिराज श्री राजरत्नविजयजी म. की पुण्य निश्रा में धामधूम से भव्य समारोह के साथ हुई हैं। वर्तमान में सुविशाल भूमिगृह तैयार होने के बाद उपर का कार्य चल रहा है। (२०९) श्री संभवनाथ भगवान गृह मन्दिर विजापुर नगर, दामोदर वाडी के आगे, अशोक चक्रवर्ती रोड, ___ कांदिवली (पूर्व), मुंबई - ४०० १०१. टे. फोन : ८८७ ४१ ७२ विक्रमभाई मोदी, चेतनभाई For Private and Personal Use Only Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १२९ विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक श्रीमती लीलावती चन्दुलाल वेणीचन्द शाह माणसावाला तथा संचालक श्री विजापुर सत्तावीस वीशा श्रीमाली जैन ज्ञाति मण्डल ट्रस्ट हैं । तथा प्रतिष्ठा का लाभ लेनेवाले श्रीमती परसनबेन हरगोविन्ददास दलीचन्द शाह महुडीवाले हैं। परम पूज्य आ. भगवन्त सुबोधसागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा में वि. संवत २०४४ का फागुण सुद ३ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ जिनालय में मूलनायक श्री संभवनाथ, श्री अनंतनाथ एवं श्री महावीर स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ३ एवं अष्टमंगल १ सुशोभित हैं। विशाल हॉल के रुप मे शोभायमान इस जिनालयकी दिवारो पर चारो तरफ कांच की कारीगरी से बनाये भगवान महावीर के २७ भव के चित्र, २४ तीर्थंकर प्रभु के चित्र, श्री संभवनाथ प्रभु के जीवनदर्शन के ७ चित्र तथा तीर्थो में श्री अष्टापद, श्री सिद्धाचल, श्री पावापुरी, श्री सम्मेतशिखर, श्री सिद्धचक्रजी, श्री विंशति स्थानक महायंत्र के द्दश्य दर्शनीय हैं। यहाँ पाठशाला, भक्तामर मंडल, श्री महिला मंडल, श्री जिन भक्ति मंडल भक्ति में अग्रसर हैं। कलिकाल सर्वज्ञ हेमचन्द्राचार्य चौक __ अशोक चक्रवर्ती रोड तथा श्री झालावाड जैन श्वेताम्बर संघ मुंबई द्वारा संचालित दामोदर हॉल के मेन गेट के बाहरी ओर कलिकाल सर्वज्ञ हेमचन्द्राचार्य चौक जैन शासन की शोभा बढा रहा हैं। (२१०) श्री कुंथुनाथ भगवान गृह मन्दिर समता नगर, शोपिंग सेन्टर नं. १, बिल्डींग नं. ६ के सामने, कान्दिवली (पूर्व), मुंबई - ४०० १०१. टे. फोन : ८८७ ७६ १५ - कीर्तिभाई पी. शाह विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्री समता नगर कान्दिवली - पूर्व जैन संघ हैं। इस गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के शिष्य पूज्यपाद पं. श्री विमलसेन विजयजी म. पूज्य श्री देवसुन्दर विजय म. तथा पू. श्री रत्नसुन्दर विजयजी म. की निश्रा में वि.सं. २०५२ का फागुण सुदी १० बुधवार ता. २८-२-९६ को प्रात:काल सुबह नौ बजे बडे समारोह के साथ सम्पन्न हुई थी। यहाँ पाषाण की मूलनायक श्री कुंथुनाथ भगवान के साथ श्री सुमतिनाथ प्रभु एवं श्री महावीर स्वामी की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी २, अष्टमंगल १ बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १३० मुंबई के जैन मन्दिर बोरिवली (पश्चिम) (२११) श्री संभवनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय जांबली गली, जैन देरासर लेन, स्वामी विवेकानन्द रोड, बोरिवली (प.), मुंबई - ४०० ०९२. टे फोन : ८९८ ३३ ५७ जावन्तराजजी - ८०१ १३ ४७, भोगीलालभाई - ८०१ ३४ ०२ विशेष :- मुंबई महानगर में प्रथम प्रवेश करनेवाले पूज्य श्री मोहनलालजी महाराज के शिष्य आचार्य भगवन्त श्री जिनऋद्धिसूरीश्वरजी म. के सद् उपदेश से यहाँ के मन्दिर और उपासरा के लिये जमीन १६०१ वार शा. मूलचन्दजी जुहारमलजी उत्तमचन्दजी व उनकी धर्मपत्नी रतनबेन सादडी (राजस्थान) वालो की तरफ से वि.सं. १९९६ का वैशाख सुद ३ अक्षय तृतीया के दिन भेट मिली थी। परम पूज्य मोहनलालजी म. के शिष्य ऋद्धिमुनिजी म. के शिष्य श्री गुलाबमुनिजी महाराज एवं परम पूज्य पंजाब केसरी आ. श्री विजय वल्लभसूरीश्वरजी म. के शिष्य मुनिराज श्री पूर्णानन्दविजयजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०११ का वैशाख सुदी ७ को प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न हुआ था। १६ वर्षों के बाद, वि.स. २०२७ में प्रौढ पुण्य प्रभावशाली श्री संघ के समर्थ सुकानी पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. का पुण्य पदार्पण यहाँ के संघ की प्रबल विनंती से हुआ और आपकी निश्रा में यहाँ के छोटा सा जिनालय और छोटा सा जैन उपाश्रय का पुनरुद्धार कार्य का प्रारंभ हुआ। जिनालय के तीनो गंभारे के मूलनायकजी और उपरी मंजील के मूलनायकजी के परिकरो का निर्माण किया गया। उसके साथ मूलगंभारे में दो बाजु के दो गोखले में श्री सीमन्धर स्वामीजी आदि जिन बिम्बो के भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव और उसके साथ आपश्री की प्रभावक निश्रा में सर्व प्रथमबार श्री उपधान तप महा आराधना का मालारोपण महोत्सव वि.सं. २०२७ के माह सुदि १३ ता. ४-२-७१ को हुआ, तब से आज तक जिनालय का पुनरुद्धार कार्य चालु हैं। संपूर्ण जिनालय की काया पलट हो गई हैं। मारबल के भव्य शिखर, लाल पत्थरो से बना सामरण, घुम्मट और मेघनाद मंडप, त्रिचोकी, शणगार चोकी, खंभे आदि सब मारबल के बन गये हैं। प. पू. युग दिवाकर आचार्य गुरुदेव श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य प्रभावशाली प्रेरणा व सदुपदेश से सारे मुंबई में अजोड और आलीशान उपाश्रय का निर्माण हुआ, जिनको देखते ही हम मंत्रमुग्ध बन जाते हैं। ऐसा विशाल और सर्व सुविधाओं से युक्त चार मंजील का उपाश्रय मुंबई महानगर का सर्व प्रथम उपाश्रय हैं। उसकी तुलना श्री गोडीजी जैन उपाश्रय से हो सकती हैं । उसका उद्घाटन, उसके प्रेरक पूज्यपाद आचार्य भगवन्त श्री धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य निश्रा में वि.सं. २०३६ का वैशाख सुदि ७ को हुआ था। For Private and Personal Use Only Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर आपश्री और आपके परिवार के पू.आ. श्री विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म., पू.आ. श्री विजय कनकरत्नसूरीश्वरजी म., पू.आ. श्री विजय महानन्दसूरीश्वरजी म., एवं पू.आ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. की निश्रा में वि.सं. २०२७, २०३२, २०३७, २०४१, २०५१, २०५५ में अंजनशलाका और प्रतिष्ठा महोत्सवो और साथ में श्री उपधान तप महा आराधनाओ का महोत्सव, अनेक दीक्षार्थीओ का दीक्षा महोत्सव, वि.सं. २०३७ में पू. आ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म. के आचार्य पदार्पण महोत्सव तथा २०५१ में पू. आ. श्री महाबलसूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री पद्मानन्दसूरीश्वरजी म. का आचार्य पदार्पण महोत्सव का आयोजन हुआ था। _ वि.सं. २०४४ में पू. आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. के चातुर्मास में उनकी निश्रा में जिनालय के विशाल परिसर में पाषाण के पहाड रूप में श्री शत्रुजय महातीर्थ, श्री गिरनारजी, श्री सम्मेतशिखरजी, श्री अष्टापदजी, श्री राणकपुरजी, श्री भद्रेश्वरजी, श्री नन्दीश्वरजी आदि तीर्थपटो की रचना का मनोहर और हृदयंगम आयोजन हुआ था और इन तीर्थ पटो का आदेश, और उसके साथ जिनालय की प्रतिष्ठा की सालगिरी का साधर्मिक वात्सल्य का कायमी आदेश, कार्तिक पूर्णिमा के नेशनल पार्क में श्री शत्रुजय पट यात्रा के भाता का कायमी आदेश, आसौ - चैत्र मास की ओलीया और उनके पारणा का कायमी आदेश आदि कई आदेश बडे बडे चढावे से पर्युषण पर्व में दिया गया था। __ यहाँ के जिनालय में मूलनायक सहित कुल ११ प्रतिमाजी पाषाण की तथा दूसरी मंजिल पर गंभारे में ५ प्रतिमाजी पाषाण की, दोनो ओर दो सहस्रफणा पार्श्वनाथ प्रभु की प्रतिमाजी, बाहरी चऊमुखी चार शाश्वतजिनो की पाषाण की प्रतिमाजी तथा दोनो कमरो में १० प्रतिमाजी को मिला कर कुल ३४ प्रतिमाजी तथा गौतम स्वामी की १ प्रतिमाजी, पंच धातु की २१ तथा सिद्धचक्रजी १५ सुशोभित हैं। इसके अलावा श्री सिद्धचक्रपट्ट, श्री मणिभद्र वीर, श्री पद्मावती देवी, श्री चक्रेश्वरी देवी एवं श्री सरस्वती देवी बिराजमान हैं। उपरी मंजीले में दिवारो के स्थान में मारबल की नकशीदार जालीया अत्यंत सुंदर हैं, उसमें भगवानके पंच कल्याणक उत्कीर्ष किये गये है। जिनालय के बाहर की ओर आचार्य भगवन्त श्री जिनदत्तसूरि म. की प्रतिमाजी एवं मणिधारी श्री जिनचन्द्रसूरि, आ. जिनकुशलसूरि, आ. श्री सिद्धिसूरीश्वरजी म. एवं मोहनलालजी म. के पगलिएँ सुशोभित हैं। श्री घंटाकर्ण वीर देहरी की प्रतिष्ठा वि.सं. २०२७ का माह सुदी १३ को सोमवार को हुई थी। यहाँ श्री संभवनाथ जैन महिला मंडल जिसके ३ विभाग चालु हैं । (१) स्नात्र विभाग (२) सामायिक विभाग (३) पूजा विभाग, श्री बोरिवली जैन सेवक मंडल, श्री जैन युवक मंडल बैण्ड पार्टी, For Private and Personal Use Only Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १३२ www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर पाठशाला, साधर्मिक भक्ति की संघ की तरफ से विशेष व्यवस्था हैं। वर्धमान तप आयंबिल खाता, जैन पाठशाला, जैन ज्ञानमंदिर आदि श्रेष्ठ व्यवस्था है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यहाँ कच्छी - गुजराती एवं राजस्थानी तीनो संघ के भाई मिलकर जिनालय उपाश्रयादि का संचालन अच्छी तरह से कर रहे हैं । (२१२) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर संभव दर्शन, २०३ A बिल्डींग, दूसरा माला, जांबली गली, जैन देरासर लेन, बोरिवली (प.), मुंबई - ४०० ०९२. दे फोन : ८९८ ४२१६ (२१३) विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री खीमजी भुराभाई रांभीया हैं । आपके गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि भगवंतो की शुभ निश्रा में वि.सं. २०४९ का वैशाख वद ७ को हुई थी, इस दिन परम पूज्य आ. विजय हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. भी पधारे थे । यहाँ पंच धातु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी १ बिराजमान हैं । श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर - ९, मंगल कुंज, जांबली गली, देरासर लेन, स्वामी विवेकानन्द रोड, बोरिवली (प.), मुंबई - ४०० ०९२. दे फोन : ८९८ २८५६ विशेष :- पूज्यपाद आ. श्री विजय जयघोषसूरीश्वरजी म. के शुभ आशीर्वाद से एवं पूज्य मुनिराज श्री मुक्तिदर्शन विजयजी म. पूज्य मुनिराज श्री संयमदर्शन विजयजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०५० का वैशाख सुदि ५ तारीख १३ - ५ - ९४ सोमवार को चल प्रतिष्ठा हुई थी । इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक स्व. वीरचन्द धारशी मेहता तथा स्व. मणिबेन वीरचन्द मेहता के सुपुत्र श्री कान्तिलाल वीरचन्द मेहता हैं । आप श्री के सुपुत्र मनोजने संयम अंगीकार किया एवं पन्यासजी श्री चन्द्रशेखर विजयजी म. के शिष्यरत्न श्री मनोभूषणविजयजी म. नाम से रोशन हुए। उसके बाद वि.सं. २०५३ का माह सुद १० को कान्तिलालभाईने भी दीक्षा ग्रहण की, जो यशोभूषण विजयजी म. के शिष्य बनकर कीर्तिभूषण विजयजी म. नाम से मुनिराज बने । वर्तमान I For Private and Personal Use Only Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra (२१४) www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर संचालक श्री मुकुंदभाई कान्तिलाल मेहता हैं। आपके गृह मन्दिर में पंच धातु की १ प्रतिमाजी, सिद्ध चक्रजी १, अष्टमंगल १ सुशोभित हैं । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृहमन्दिर आनन्द मंगल, ३२, तीसरा माला, जांबली गली, देरासर लेन, स्वामी विवेकानन्द रोड, बोरिवली (प.), मुंबई - ४०० ०९२. टे. फोन : ८९८ ३२४१ विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्री अरविन्दभाई माधवजी दोशी परिवारवाले हैं । (२१५) आपके गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य भुवन भानुसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य विजय श्री हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०४४ का आषाढ सुदि १ को हुई थी । १३३ इस प्रतिमाजी की अंजनशलाका पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी परिवार के पू. आ. श्री जयानन्द सूरीश्वरजी म. पू. आ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म. एवं पू. आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में कान्दिवली (पूर्व) धर्म शान्तिधाम में वि.सं. २०४४ के जेठ सुदि १० को हुई थी । यहाँ पंच धातु की मूलनायक वासुपूज्य स्वामी की एक प्रतिमाजी के साथ २ प्रतिमाजी, सिद्ध चक्रजी १ शोभायमान हैं। श्री धर्मनाथ भगवान गृह मन्दिर महावीर नगर, सी विंग, पहला माला, ब्लोक नं. ३७, फेक्टरी लाईन, बोरिवली (प.), मुंबई - ४०० ०९२. टे. फोन : ८९८८३७५ - जीतुभाई विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक स्वर्गीय श्री दलीचन्द अमीचंद शाह थे । वर्तमान संचालक श्री जितुभाई दलीचन्द शाह हैं। For Private and Personal Use Only आपश्री के गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा वि.सं. २०४८ का वैशाख सुदि ११ को परम पूज्य भुवनभानु सूरीश्वरजी म. के शिष्य की शुभ निश्रा में हुई थी । Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १३४ मुंबई के जैन मन्दिर यहाँ पंच धातु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी १, अष्टमंगल १ शोभायमान हैं। (२१६) श्री आदीश्वर भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय २६३, सरदार वल्लभभाई पटेल रोड, मंडपेश्वर रोड, पाईनगर के बाजू में बोरिवली (प.), मुंबई - ४०० ०९२. टे फोन : ८९१ ६१ २४, दलीचन्दजी - ८०१ ४२ ०४, सुरेशभाई - ८९३ २६ ८० विशेष :- इस भव्य शिखरबंदी जिनालय के संस्थापक एवं संचालक श्री बोरिवली जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ संघ हैं। यहाँ सर्व प्रथम मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी का गृह मन्दिर था । इस श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी की प्रतिमा की अंजनशलाका पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०३२ में चेम्बुर तीर्थ में हुई थी और वहाँ से यह प्रतिमा आपश्री की प्रेरणा से प्राप्त हुई थी। बाद उसकी चल प्रतिष्ठा २०३४ का वैशाख सुदि ६ रविवार ता. २७-५-७८ को परम पूज्य नेमि - विज्ञान - कस्तुरसूरि के पट्टधर आ. विजय चंद्रोदयसूरीश्वरजी म. के शिष्य पन्यासजी श्री जयचन्द्रविजयजी म. की शुभ निश्रा में हुई थी। बाद में संघ के पुण्यबल से एक विशाल गगनचुम्बी जिनालय का निर्माण हुआ। जिसकी प्रतिष्ठा परम पूज्य नेमि विज्ञान कस्तूरसूरि समुदाय के आ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. २०३७ का वैशाख सुद ३-अक्षय तृतीया के दिन हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री आदीश्वर प्रभु सहित पाषाण की ७ प्रतिमाजी, पंच धातु की ९ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी २, विसस्थानक १ तथा अष्टमंगल १ बिराजमान हैं। परम पू.आ. यशोभद्रसूरीश्वरजी म. (डेहलावाले) की पावन निश्रा में वि.सं. २०५२ का श्रावण सुदि २ को मंगलमूर्ति स्थापना का भव्य महोत्सव हुआ था जिसमें जितेन्द्रभाई, रसिकलाल वालचन्द विनोदचन्द्र प्रेमचन्द परिवार की तरफ से मंगलमूर्ति का लाभ लिया गया था तथा जशवंतलाल चिमनलाल, सुरेशभाई जेसींगलाल, नविनचन्द्र अमृतलाल परिवारवालो की तरफ से दिक्पाल देवो वगैरह की स्थापना करने में आई थी। यहाँ साधु-साध्वीजी म. का उपासरा, जैन पाठशाला, श्री आदिनाथ महिला मंडल, आदिनाथ सामायिक मंडल, स्नात्र मंडल, बैण्ड पार्टी तथा कायमी आयंबिल शाला की व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १३५ (२१७) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर तुलशीबाग, भगवती हॉस्पीटल के बाजुमें, सरदार वल्लभभाई पटेल रोड, बोरीवली (प.) मुंबई-४०० ०९२. टे. फोन : ओ. ८९५ ६६ २२, ८९३ ११९९ कमलभाई विशेष :- इस गृह मंदिर के संस्थापक सेठ सोमचन्द शंकरलाल मेहता थे. वर्तमान में उनके सुपुत्र श्री कमलभाई सोमचन्द मेहता इसका संचालन कर रहे हैं। परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री नेमिसूरीश्वरजी म. समुदाय के परम पूज्य आचार्य देव श्री विजय अमृत सूरीश्वरजी म. एवं आचार्य श्री विजय धुरंधर सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रामें वि.सं. २०१९, सन् १९६३ में प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ के गृह मन्दिर में पंचधातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-१, अष्टमंगल-१ तथा ताँबे के ३ यन्त्र तथा सिद्धाचलजी व श्री अष्टापदजी के पट भी दर्शनीय हैं। (२१८) श्री महावीर स्वामी भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय चन्दावरकर लेन, म्यूनिसिपल गार्डन के पास, बोरिवली (प.) मुंबई-४०० ०९२. ___टे. फोन : ओ. ८६२ ७४ ९२ राजेन्द्रभाई - ८०८ १९०१ विशेष :- श्री तपगच्छ उदय कल्याण जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक ट्रस्ट द्वारा संस्थापित एवं संचालित भव्य शिखरबंदी जिनालय की प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. भगवन्त विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. संवत २०४५ का मगसर सुदि २ ता. ११-१२-८८ रविवार को हुई थी। यहाँ पाषाण की गुरु गौतम के साथ ९ प्रतिमाजी, पंच धातु की प्रतिमाजी - सिद्धचक्रजी-१२ सुशोभित हैं। श्री आनंद मंगल श्राविका आराधना भवन, चन्दावरकर लेन, राधनपुर निवासी अ.सौ. शारदाबेन कांतिलाल गिरधरलाल वोरा परिवार द्वारा २०४५ का फागुण सुदी १५ बुधवार को स्थापना हुई थी। यहाँ आ. विजय रामचन्द्रसूरि ज्ञानमन्दिर, पौषध शाला व ज्ञानभण्डार व्यवस्था हैं । उपाश्रय तथा नियमित आयंबिल खाता की व्यवस्था हैं। श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर मातृ आशिष B.S. ग्राऊण्ड फ्लोर, महावीर स्वामी जिनालय के बाजू की गली, . चन्दावरकर लेन, बोरीवली (प.) मुंबई-४०० ०९२. टे. फोन : ८०१ ८६ २५ For Private and Personal Use Only Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १३६ मुंबई के जैन मन्दिर विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्री धीरजलाल फुलचन्द मेहता परिवार वाले हैं। परम पूज्य आचार्य विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. विजय प्रभाकर सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रामें वि.सं. २०५० का कार्तिक सुदी-११ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। राधनपुर की प्राचीन पाषाण की श्री आदीश्वर भगवान की प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-१ तथा अष्टमंगल-१ सुशोभित है। (२२०) श्री कुन्थुनाथजी भगवान गृह मन्दिर 'सीता निवास', तीसरा माला, गांजावाला लेन, सरदार वल्लभभाई पटेल रोड, मंडपेश्वर रोड, बोरीवली (प.) मुंबई-४०० ०९२. टे. फोन : ओ. ८९३ ३९ ९६, ८९५ ४८ ९२ - मूक्रेशभाई विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री कनुभाई हिरालाल शाह हैं। श्री मूकेशभाईने अंतर भक्ति भावना जागृत करके इस गृह मन्दिर का निर्माण किया हैं। परम पूज्य आ. विजय भुवनभानु सूरीश्वरजी म. समुदाय के आ. विजय हेमचन्द्र सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०५० का जेठ वद-८ ता. १-६-९४ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ मूलनायक पंच धातु की प्रतिमाजी-१ सिद्धचक्रजी-१, अष्टमंगल-१ सुशोभित है। (२२१) श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर सुमेर नगर कम्पाउण्ड में, स्वामी विवेकानन्द रोड, बोरीवली (प.) मुंबई-४०० ०९२. ___टे. फोन : प्रवीणभाई - ८०६ २८ ६४, किरणभाई - ८०८ ३३ ७८ विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक भीनमाल (राज.) निवासी सेठ श्री सुमेरमलजी हजारीमलजी लुक्कड हैं। इसके संचालक श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ सुमेर नगर जैन ट्रस्ट है। इस गृह जिनालय की शिला स्थापना विधि पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजयधर्म सूरीश्वरजी म. के परिवार के प.पू. आचार्य भगवन्त श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य निश्रा में वि.सं. २०४४ का श्रावण मास में हुई थी। बाद में इसकी चल प्रतिष्ठा त्रिस्तुति जैन संघ के जैनाचार्य श्रीमद् राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म. के मुनि श्री लोकेन्द्र विजयजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०४५ का माह सुदि-१२ को हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ, श्री शांतिनाथ, श्री आदिनाथ की पाषाण की ३ For Private and Personal Use Only Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १३७ प्रतिमाजी, पंचधातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-२ एवं अष्टमंगल-१ सुशोभित हैं। पंचधातु की एक प्रतिमाजी पद्मावती देवी के साथ, आरस की एक पद्मावती देवी और आ. राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. की गुरु प्रतिमाजी बिराजमान हैं। अ.सौ. लीलावती रमणीकलाल वोरा (अकोलावाला) जैन उपाश्रय, दो पाठशाला तथा महिला मण्डल की व्यवस्था हैं। (२२२) श्री कुन्थुनाथ भगवान गृह मन्दिर प्रीति बिल्डिंग ब्लोक नं. २४ गीतांजलि नगर, साईबाबा नगर, के बाजू में स्वामी विवेकानन्द रोड, बोरीवली (प.) मुंबई-४०० ०९२. टे. फोन : बिपिनभाई - ८०५५१५०, दिलिपभाई - ८०५ ४४ १३ विशेष :- श्री गीतांजली श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित सर्व प्रथम गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा परम पू. आत्मकमल-लब्धि-लक्ष्मण के शिशु शतावधानी आ. श्री विजय कीर्तिचन्द्र सूरीश्वरजी म., पन्यासजी जयचन्द्र विजयजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०३४ का श्रावण सुदि-१५ शुक्रवार ता. २८-८-७८ को हुई थी। यहाँ पाषाण की मूलनायक श्री कुन्थुनाथ स्वामी २१” तथा श्री मल्लिनाथजी १९", श्री वासुपूज्य स्वामी १७” की तीन प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-४, अष्टमंगल-३ बिराजमान हैं। यहाँ पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्म सूरीश्वरजी म. साहेब के समुदाय के प.पू. शतावधानी आ.भ. विजय जयानन्द सूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा से उपाश्रय का निर्माण वि.सं. २०४४ में हुआ है और उसका उद्घाटन आप श्री और आ. श्री कनकरत्न सूरीश्वरजी म. आ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म. एवं आ. श्री सूर्योदय सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में किया गया था । यहाँ श्री लक्ष्मणसूरि जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। नूतन शिखरबंदी जिनालय का भूमिपूजन एवं शिलास्थापना भूमिपूजन : विशद वक्ता पू. आचार्य श्री कनकरत्न सूरीश्वरजी म. पूज्य विद्वद्वर्य आचार्य श्री महानन्द सूरीश्वरजी म. विद्वान वक्ता आ. श्री सूर्योदय सूरीश्वरजी म., पू.आ. श्री पूर्णानन्द सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०५२ का मगसर सुदि-१० शुक्रवार ता. १-१२-९५ को धर्म परायण पुण्यात्मा श्रीमती चन्दनबेन शाह के शुभ हस्तो से सम्पन्न हुआ था। शिलास्थापना : उपर लिखे सूरि भगवंतो की पावन निश्रामें वि.सं. २०५२ का माह सुदि१३ शुक्रवार ता. ३-२-९६ को प्रात: काल ८ बजे हुई थी। इसी दिन व्याख्यान हॉल का ड्रो वगैरह For Private and Personal Use Only Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १३८ मुंबई के जैन मन्दिर श्री पद्माबेन हिमतलाल भुदरदास के शुभ कर कमलो द्वारा हुआ था । आजकाल नूतन भव्य जिनालयका निर्माण कार्य चालु है । वि. सं. २०५५ के वैशाख मास में अंजनशलाका प्रतिष्ठा की संभावना हैं । www.kobatirth.org (२२३) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर १-४०००९२. मालपानी सोसायटी, ग्राउन्ड फ्लोर, सत्य नगर, २९६ लास्ट बस स्टोप, बोरीवली (प.) मुंबई - ४ टे. फोन : दिनेशभाई- ८०६ १२६३, कीर्तिकुमार-८०६५३७३, हजारीमल - ८६२ १७४४ विशेष :- श्री सत्यनगर श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. समुदाय के मुनिराज श्री सुबोध विजयजी म. एवं मुनिराज श्री धुरंधर विजयजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०४९ का मगसर वद-४ रविवार ता. १३-१२-९२ को हुई थी । (२२४) - यहाँ मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी की पाषाण की १ प्रतिमाजी श्यामवर्णीय तथा पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी १ तथा अष्टमंगल - १ सुशोभित है। जैन उपाश्रय, जैन पाठशाला तथा मुनिसुव्रत मण्डल की व्यवस्था हैं । श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर द्वारकामाय कुटीर, गांवठाण रोड नं. ३, बाभई नाका, अल. टी. रोड, बोरीवली (प.) मुंबई - ४०० ०९२. टे. फोन : ८०६ ४० ६५ श्री रजनीकान्त शाह विशेष :- श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर की प्रतिष्ठा परम पूज्य प्रशान्तमूर्ति स्व. आचार्य श्री विजय जित मृगांक सूरीश्वरजी म. साहेब के शिष्य पूज्य आचार्य विजय रत्नभूषण सूरीश्वरजी म. तथा मुनिराज श्री कुलभूषण विजयजी म. की पावन निश्रामें वि.सं. २०५२ का माह सुदी १३ शुक्रवार ता. २ - २ - ९६ को हुई थी । श्रावक जीवन में शक्ति अनुसार जिनेश्वर प्रभु का मन्दिर अवश्य बनाना चाहिये और जिन भक्ति करनी चाहिये । गुरुदेवो के इस उपदेश को दिलमें धारणकर अ. सौ. पारुबेन रजनीकान्त शाह, अ. सौ. नलीनीबेन मधुकांत शाह, अ. सौ. नयनाबेन प्रवीणचंद्र शाह एवं जयन्तिभाई जे. शाह की प्रेरणा एवं सहयोग से जिनालय का निर्माण हुआ है। For Private and Personal Use Only धर्मनगरी रुप में प्रख्यात ऐसी राधनपुर नगरी मे से श्री नवलचंद खुशालचन्द श्री सागरगच्छ जैन पेढी के ट्रस्टी मंडल के भाईयो के सहयोग से भोयरा गली में आये हुए श्री महावीर स्वामी जैन मन्दिर में से मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमाजी प्राप्त हुई हैं। 1 Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर पूज्य पाद युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. के समुदाय के परम पूज्य आ. विजय श्री पूर्णानन्द सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में यहाँ मूलनायक प्रभु का प्रवेश ता. ७-७-९५ को एवं समस्त प्रतिमाजी का प्रवेश २०५१ का वैशाख सुदी - ६ को हुआ था । (२२५) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यहाँ श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ, श्री आदिनाथ, श्री महावीर स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी २ तथा अष्टमंगल - १ सुशोभित है । यहाँ श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ महिला मंडल हैं । ❀ श्री सुपार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर C. I. B. N. - 001 योगीनगर को. ओ. सोसायटी, ग्राउण्ड फ्लोर, बोरीवली (प.), मुंबई - ४०० ०९४ टे. फोन : हेड ऑफिस - ८०५ ३३५७ १३९ विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय मोहन प्रताप - धर्म - यशोदेव सूरीश्वरके पट्टधर शतावधानी आ. श्री विजय जयानन्द सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रामें सांवरकुंडला निवासी प्रेमकुंवरबेन कालीदास एवं परिवार की ओर से स्व. सेठ श्री कालीदास गुलाबचन्द आराधना भवन श्री संभवनाथ जैन पेढी, जांबली गली, बोरीवली (प.) संचालित श्री योगीनगर श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ को अर्पण किया एवं संघ की स्थापना दिन वि.सं. २०४१ का मगसर सुद-१० रविवार तारीख २ - ११-८४ थी । " पू. आ. श्री विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म. पू. आ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म. एवं पू. आ. श्री सूर्योदय सूरीश्वरजी म. की पुण्य निश्रामें यहाँ के गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा वि.सं. २०४१ फागुण सुदी - ४ को हुई थी । आजकाल यह जिनालय का जीर्णोद्धार हो रहा है और मारबल सजावट के साथ पाषाण प्रतिमाओकी प्रतिष्ठा होनेवाली है। यहाँ पंच धातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी- ४ एवं अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं । (२२६) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर शान्ति आश्रम, अक्सर रोड, ग्राउन्ड फ्लोर, बोरीवली (प.), मुंबई - ९२. टे. ओ. संजयभाई- ८९४ १०२९, अश्विनभाई - ८९५५४९५, किशोरभाई- ८९३ ४३ २८ For Private and Personal Use Only विशेष :- श्रीमती देवुबेन कालुचन्दजी रांका जैन चेरीटेबल ट्रस्ट श्री देवकीनगर जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा श्रीमद् आ. बुद्धिसागर सूरीश्वरजी म. समुदाय के आचार्य कैलाश सागर सूरीश्वरजी म. के आचार्य विजय पद्मसागर सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. २०४७ का जेठ सुद - १३ को हुई थी । Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४० मुंबई के जैन मन्दिर यहाँ श्यामवरणीय पाषाण की मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी सहित ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी३, अष्टमंगल-३ सुशोभित हैं। यहाँ श्री मुनिसुव्रत स्वामी जैन महिला मंडल एवं श्री मुनिसुव्रत स्वामी जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। (२२७) श्री संभवनाथ भगवान गृह मन्दिर ३, रेक टेरेसा, कस्तूर पार्क, शिंपोली रोड, बोरीवली (प.), एस.वी. रोड, मुंबई-४०० ०९२. टे. फोन : ८०६ ४६ ८४ विजयभाई मेहता विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्री शिंपोली कस्तूर पार्क श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय भुवनभानु सूरीश्वरजी म. साहेबजी के समुदाय के आचार्य विजय श्री हेमचन्द्र सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०४६ का जेठ वद-२ तारीख १०-६९० को चल प्रतिष्ठा हुई थी। मूलनायक श्री संभवनाथ प्रभु तथा आजूबाजू में श्री नमिनाथ प्रभु एवं श्री शान्तिनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-१, अष्टमंगल-१ सुशोभित है। यहाँ श्री संभवनाथ महिला मंडल व जैन पाठशाला की व्यवस्था है। बोरीवली (पूर्व) (२२८) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय श्री अमृतसूरि ज्ञान मन्दिर, दौलत नगर, कॉलोनी रोड नं. ७, बोरीवली (पूर्व), मुंबई-४०० ०६६. टे. फोन : ऑ. ८०५ ८१ ४४, नरेन्द्रभाई-८०५ २०२४ विशेष :- इस शिखरबंदी जिनालय की प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवंत विजय नेमिसूरीश्वरजी म. समुदाय के आचार्य भगवंत विजय अमृत सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०११ का जेठ सुद-५ को हुई थी। ___ स्व. मोहनलाल वर्धमानदास तथा स्व. चंचलबेन मोहनलाल अहमदाबाद वाला की तरफ से वि.सं. २०१५ का फागुण वद १ को जिनालय में विशेष रुप से सहयोग प्राप्त हुआ था। For Private and Personal Use Only Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १४१ परम पूज्य आ. भ. श्री विजयोदय सूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. विजय मेरुप्रभ सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वर्तमान चोवीशी की देवकुलिकाओं की भव्य अंजनशलाका व प्रतिष्ठा वि.सं. २०३३ का मगसर सुदी-१५ सोमवार ता. ६-१२-७६ को हुई थी। नीचे मूल गंभारे में व पीछे के विभाग में १९ पाषाण की प्रतिमा तथा उपर कुल ५२ प्रतिमाजी, पाषाण की कुल ७१ प्रतिमाजी, पंचधातु की प्रतिमाजी-सिद्धचक्रजी व अष्टमंगल २१ का अंदाजा है। जिनालय में आरस पर बनाये तीर्थो में श्री शत्रुजय तीर्थ, श्री सम्मेत शिखरजी, श्री पावापुरी जलमन्दिर व श्री शंखेश्वर तीर्थ शोभायमान हैं। मन्दिरजी के पीछे की ओर श्री मणिभद्रवीर, श्री लक्ष्मीदेवी, श्री सरस्वती देवी बिराजमान हैं। जिनालय के पास एक शत्रुजय पट्ट पहाड के दृश्य के समान बनाया गया है तथा आ. विजय धर्म धुरंधर सूरीश्वरजी म. आ. विजय मेरुप्रभ सूरीश्वरजी म. की गुरुप्रतिमाजी दर्शनीय हैं। दूसरी तरफ श्री जगतचंद्रसूरीश्वरजी, श्री सुधर्मा स्वामी तथा श्री वृद्धिचन्द्रजी महाराज की गुरु प्रतिमाजी बिराजमान है। यहाँ भव्य दो उपासरा, व्याख्यान हॉल, आयंबिल शाला, पाठशाला तथा श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ चरणोपासिका मंडल, पारसमणि विरति मंडल, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ दौलत नगर महिला स्नात्र मंडल, श्री जिन दर्शन मंडल और श्री जैन युवक मंडल आदि संस्थाओं की व्यवस्था हैं। विशेष : प्रत्येक महिने की सुद-वद १० और १५ के दिन भाता की व्यवस्था हैं। (२२९) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर भणशाली बिल्डिंग, दूसरा माला नं. २७, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जिनालय, दौलत नगर के पीछे, बोरीवली (पूर्व), मुंबई-४०० ०६६. टे. फोन : ८०५ ७८०९ विशेष :- परम पूज्य आचार्य विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी म. के शिष्य आचार्य भगवंत विजय जयकुंजर सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रामें वि.सं. २०५१ जेठ सुद-१० को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ के सुन्दर गृहमन्दिर में मूलनायक आदीश्वर भगवान की पाषाण की एक प्रतिमाजी तथा सिद्धचक्रजी-१ तथा अष्टमंगल-१ बिराजमान हैं। इस गृहमन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक धर्मप्रेमी सेठ श्री रमणलाल गोरधनलाल शाह गवाडावाले हैं। For Private and Personal Use Only Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४२ मुंबई के जैन मन्दिर (२३०) श्री संभवनाथ भगवान भव्य शिखरबद्ध जिनालय पुरुषोत्तम पार्क, कस्तुरबा रोड, क्रॉस लेन नं. ४, बोरीवली (पूर्व), मुंबई-४०० ०६६. टे. ऑफिस : ८०५ ८९ ०८, ८०५ ७९ ६० - दामजीभाई विशेष :-प.पू. आचार्य भगवंत श्री विजय मोहन-प्रताप सूरीश्वर के पट्टधर पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्म सूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा व मार्गदर्शन से श्री संभवनाथ प्रभु के गृहजिनालय का निर्माण वि.सं. २०२७ में हुआ था और उसी २०२७ के वर्ष में जेठ वदि-१० शुक्रवार ता. १८-६-७१ के दिन प्रतिष्ठा आपकी पुण्यनिश्रा में हुई थी। इस मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक बोरीवली (पूर्व) श्री पुरुषोत्तम पार्क जैन श्वे.मू. संघ हैं। यहाँ पाषाण की ७ प्रतिमाजी, पंच धातु की १२ प्रतिमाजी, ७ सिद्धचक्रजी और १ अष्टमंगल हैं । यहाँ पर्युषण पर्व के दिनों में श्री महावीर जन्म वांचन के बाद दो बार अमीझरणा हो चूका हैं। मन्दिर के बाजू में प.पू. युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजयधर्म सूरीश्वरजी म.सा. की प्रबल प्रेरणा व प्रभाव से बडा प्रवचन होल और उपाश्रय बनाया गया हैं। _ वि.सं. २०५२ में गृह जिनालय का रजत महोत्सव पू. आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म.सा. आदि की शुभ निश्रा में बड़े धामधूम से मनाया गया था। प.पू. युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजयधर्मसूरीश्वर परिवार के प.पू. शासन प्रभावक आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा और मार्गदर्शन से उनकी निश्रा में गृह जिनालय के स्थान पर पूरा मारबल का बड़ा शिखरबद्ध जिनालय आजकल बन रहा हैं। जिसका भूमि पूजन-खनन विधान वि.सं. २०५४ का कार्तिक वद ११ को और शिला स्थापना विधान वि.सं. २०५४ का मगसर सुदि ७ को आप की निश्रा में बड़ी धामधूम से हुआ था। दोनों दिन साधर्मिक वात्सल्य का आयोजन हुआ था। नये शिखरबद्ध जिनालय में मूलनायक भगवंत, पुराने गृह जिनालय के मूलनायक श्री संभवनाथ भगवान ही रहेंगे। उनका विशाल नये ढंग का परिकर और दूसरे दो प्रभुजी श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथजी और श्री अमीझरा पार्श्वनाथजी का नवीन परिकर बन चूका हैं । इस नये मन्दिरजी में पुराने मन्दिरजी की प्रतिमाओं के साथ श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ, श्री अमीझरा पार्श्वनाथ, श्री सीमन्धर स्वामी, श्री महावीर स्वामीजी, श्री शान्तिनाथजी, श्री वासुपूज्य स्वामीजी, श्री गौतम स्वामीजी, श्री पुण्डरीक स्वामीजी की नई प्रतिमाजी बिराजमान होगी, श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्णवीर, श्रीनाकोडा भैरवजी, श्री पद्मावती माताजी की स्थापना भी होनेवाली हैं। नये शिखरबद्ध जिनालय का भव्य अंजन शलाका और प्रतिष्ठा महोत्सव वि.सं. २०५५ में पू.आ. भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. के परिवार के पू.आ.भ. श्री विजय कनकरत्न For Private and Personal Use Only Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १४३ सूरीश्वरजी म.सा., पू.आ.भ. श्री विजय महानन्द सूरीश्वरजी म.सा., पू. आ.भ. श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म.सा. आदि मुनि भगवन्तो की पुण्य निश्रा में वि. सं. २०५५, माह मास में होगा। प्रतिष्ठा होने के बाद नूतन भव्य उपाश्रय का निर्माण का आयोजन होने वाला है। यहाँ कायमी आयंबिल शाला, भव्य उपासरा, पू. आ. श्री कीर्तिचन्दसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से श्री दीवालीबाई दामजीभाई आराधना होल, श्री संभव जिन पुस्तकालय, लक्ष्मण कीर्ति महिला मण्डल, सेवा मण्डल, स्नात्र मंडल तथा जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। (२३१) श्री धर्मनाथ भगवान गृह मन्दिर कार्टर रोड नं. १, मधु पार्क, ग्राउन्ड फ्लोर, चिंचपाडा रोड, बोरिवली (पूर्व), मुंबई - ४०० ०६६. टे. फोन : ८०६ ०१ ०३ - सतीशभाई - ८०१ १० १३ - अशोकभाई विशेष :- श्री धर्मवर्धक श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृहमन्दिर का निर्माण श्री जिन शासन आराधना ट्रस्ट के सहकार से हुआ हैं। इस मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. श्री विजय हेमचंद्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की शुभ निश्रा में वि.सं. २०५०, वीर सं. २५२० का जेठ वद ४ सोमवार ता. २७-६-१९९४ को हुई थी। यहाँ पाषाण की मूलनायक श्री धर्मनाथ प्रभु के आजूबाजू में श्री शान्तिनाथ प्रभु, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी १ एवं अष्टमंगल १ तथा श्री गौतम स्वामी व श्री मणिभद्रवीर की प्रतिमाजी तथा शत्रुजय तीर्थ का पट भी दर्शनीय हैं। (२३२) __ श्री संभवनाथ भगवान गृह मन्दिर कार्टर रोड नं. १, कस्तुरबा रोड, क्रोस नं. १, ठाकुर निवास, ग्राऊन्ड फ्लोर, बोरिवली (पूर्व), मुंबई - ४०० ०६६. टे. फोन : ८६४ ०१ ३६ घर : ८०५ ७६५६ ओ. - प्रकाशभाई विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री प्रकाशभाई मोहनलालजी सिरोया परिवारवाले हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री विजय जयघोषसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५० का वैशाख सुदि १० को चल प्रतिष्ठा हुई थी। For Private and Personal Use Only Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४४ मुंबई के जैन मन्दिर यहाँ मूलनायक संभवनाथ प्रभु सहित पंच धातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी २ तथा अष्टमंगल १ शोभायमान हैं। (२३३) श्री महावीर स्वामी भगवान गृह मन्दिर नेन्सी कॉलिनी, कृष्णा नगर रोड, २९३ लास्ट बस स्टोप बोरिवली (पूर्व), मुंबई - ४०० ०६६. टे. फोन : ८९२ १७८३ - दासकाका, ८९३ ६७ ४७ अश्विनभाई विशेष :- नेन्सी कोलोनी वर्धमान जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर का लाभ परम पूज्य आचार्य विजय भुवनभानु सूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा से तथा तीनो प्रतिमाजी भराने का और प्रतिष्ठा करने का मुख्य लाभ मुनि श्री कल्याणविजयजी म. की शुभ प्रेरणा से सेदरडा निवासी वाडीलाल उत्तमचन्द दोशी मातुश्री समजुबेन, सभद्राबेन आदि परिवारवालोने लिया हैं। ___ वीर संवत २५२० वि.सं. २०५० का माह वद ५ बुधवार तारीख २-३-९४ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री महावीर स्वामी तथा आजूबाजू में श्री वासुपूज्य स्वामी एवं श्री सीमन्धर स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी २ तथा गौतम स्वामी श्री मणिभद्रवीर तथा यक्ष-यक्षिणी की प्रतिमाजी भी बिराजमान हैं। (२३४) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर ए-३०१, श्रद्धा, तीसरा माला, आशा नगर, बोरिवली (पूर्व), मुंबई - ४०० ०६६. टे. फोन : ८०२ ०९ ७२ - नवीनभाई विशेष :- श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ आशानगर, बोरिवली पूर्व द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा पूज्य पाद वर्धमान तपोनिधि श्री भुवनभानु सूरीश्वरजी म. के शिष्य वर्धमान तप शत ओली समाराधक पूज्य पाद पंन्यास प्रवर श्री विमलसेन विजयजी म. साहेब तथा पूज्य पंन्यास प्रवर श्री रत्नसुन्दरविजयजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०५१ का श्रावण वद १० तारीख २०-८-९५ रविवार को हुई थी। प्रतिष्ठा का लाभ लेनेवाले श्रीमान सेठ श्री नवीनचन्द्र केशवलाल परिवारवाले थे। । यहाँ के गृह मन्दिर में मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामो की एक प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी एक तथा अष्टमंगल एक शोभायमान हैं। For Private and Personal Use Only Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १४५ - (दहिसर (पश्चिम) (२३५) श्री शान्तिनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय लोकमान्य टिलक रोड, पोस्ट ऑफिस के बाजूमें, रेल्वे स्टेशन के सामने, दहिसर (प.), मुंबई-४०० ०६८. टे. फोन : ८९१ ८३ ०१ ओ. रसिकभाई-८९४ ६१ ६८, वीरचन्दभाई-८९३ ६१ ३७ विशेष :- सारे बम्बई महानगर के समस्त जिनालयो में सबसे अधिक विशाल घुम्मटवाले और पुरा दहिसर के सर्व प्रथम इस भव्य जिनालय का निर्माण, परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री विजय मोहन प्रताप सूरीश्वरजी म. के पट्टालंकार जैन शासन के परम ज्योतिर्धर युगदिवाकर पूज्यपाद आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा व मार्गदर्शन से हुआ है, और उनका भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव आपकी प्रभावक निश्रामें वि.सं. २०२८ का माह सुदि ११ बुधवार, ता. २६-१-९२ को बड़े ठाठ माठ से हुआ था। यहाँ के विशाल जिनालय के मूलनायक श्री शान्तिनाथ प्रभु ४१" परिकर के साथ ८१" की भव्य प्रतिमा के साथ पाषाण की ९ प्रतिमाजी, पाषाण के श्री गौतमस्वामी एवं सुधर्मा स्वामी एवं श्री सिद्धचक्रजी और धरणेन्द्र-पद्मावती के पाषाण पट्ट के अलावा पंचधातु की १२ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी५, अष्टमंगल-२ बिराजमान हैं। __ श्री सम्मेत शिखरजी, श्री अष्टापदजी, श्री गिरनारजी, श्री शत्रंजय तीर्थ, श्री आबु तीर्थ के रमणीय पट्ट दर्शनीय हैं। बाहर की तरफ प. पू. आ. भ. श्री विजयसूर्योदयसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा व मार्गदर्शन से निर्मित, पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री धर्मसूरीश्वरजी म.सा. का कमलाकार अष्टकोण रमणीय गुरु मन्दिर प्रत्येक दर्शनार्थीओं को आह्लाद दे रहा हैं। मन्दिर के परिसर में श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री नाकोड़ा भैरवजी, श्री पद्मावती माता के भव्य और रमणीय देव मन्दिर हैं। यहाँ पूज्य पाद युग दिवाकर गुरु भगवन्त की प्रेरणा से श्रेष्ठिवर्य श्री मोतीलाल डायाभाई जैन उपाश्रय, अ.सौ. लीलावतीबेन शान्तिलाल व्याख्यान हॉल बनाया हैं। इस जिनालय - उपाश्रय का संचालन श्री दहिसर जैन श्वेताम्बर मू. ट्रस्ट कर रहा हैं। श्री मुक्ति-कमल-मोहन जैन भवन मन्दिर - उपाश्रय की जगह से बाजू में राजमार्ग उपर विशाल भूमि खंड में श्री मुक्ति कमलमोहन-जैन भवन की आलीशान इमारत पूज्य पाद युगदिवाकर गुरु भगवंत की प्रेरणा से निर्माण की गई हैं। उसके प्रारंभ के भाग में साधर्मिक जैन भाइयों के लिये आवास स्थान हैं, और पहले माले For Private and Personal Use Only Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १४६ www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर पर ' धर्म विहार' आराधना केन्द्र का निर्माण प.पू. आचार्य भगवन्त श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा और मार्गदर्शन से प. पू. युग दिवाकर गुरु भगवंत के पुण्य स्मारक स्वरुप, वि. सं. २०५१ में किया गया । दूसरे भाग में ग्राउन्ड फ्लोर और पहले दूसरे माले पर विशाल- ३ हॉल बनाये गये हैं, जहाँ जैन संघ-स‍ -समाज के धार्मिक सामाजिक कार्यक्रम होते हैं । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir · वि.सं. २०५२ में यहाँ प.पू. आ. भ. श्री सूर्योदय सूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा से उनकी निश्रा दहिसर में सर्वप्रथम बार उपधान तप की महा आराधना का भव्य आयोजन किया गया था । मुंबई महानगर के पश्चिम विभाग में ऐसा विशाल और सर्व सुविधाओं से युक्त स्थान एक मात्र और सर्व प्रथम हैं। रेल्वे स्टेशन नजदीक होने से लोगो को बहुत सुविधा मिलती हैं । इस जैन भवन का संचालन श्री मुक्ति-कमल- -मोहन जैन भवन ट्रस्ट के द्वारा स्वतंत्र रूप से होता हैं । जिनालय के निर्माण के २४ वर्ष बाद दहिसर में सर्व प्रथम साधु भगवन्त का चातुर्मास वि.सं. २०५१ में श्री संघ की प्रबल विनंती से प.पू. आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म.सा. का हुआ और आपकी प्रभावक निश्रा में अभूतपूर्व अनेकानेक आराधना और शासन प्रभावना के कार्य की परंपरा चली। आपकी प्रेरणा से धर्मविहार निर्माण और स्वाध्याय खंड, आराधना खंड आदि विभागो का निर्माण और आदेश दिये गये । कायमी वर्धमान तप आयंबिल खाता आदि का प्रारंभ हुआ, श्री नाकोड़ा भैरवजी और पद्मावती देवस्थान का निर्माण भी किया गया और उनकी प्रतिष्ठा वि.सं. २०५२ महा शुदि ११ को पू. आ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म. पू. आ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म. पू.आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. पू. आ. श्री पूर्णानन्द सूरीश्वरजी म. आदि की निश्रा में हुई । पू. आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से श्री धर्मसूरीश्वर जैन बैण्ड मंडल की स्थापना श्री धर्मयुवक मंडल के द्वारा की गई। सारे दहिसर में एक तरह की धर्मचेतना का संचार हो गया था। उपधान तप की आराधना और मालारोपण के प्रसंग पर ५१ छोड का भव्य उजमणा हुआ था और भिन्न भिन्न आयोजनो में लाखो रुपयो का फंड हुआ था। श्री संघ और शासन के चिरस्मरणीय कई कार्यो से चातुर्मास यादगार बन गया था । (२३६) यहाँ श्री शान्तिजिन महिला मंडल, श्री धर्मयुवक जैन स्नात्र मंडल, श्री मोहन - प्रताप-धर्म सामायिक मंडल, श्री धर्मसूरीश्वरजी जैन पाठशाला आदि चल रहा हैं । श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर श्रीजी एपार्टमेन्ट, दुकान नं. ३, ग्राऊण्ड फ्लोर, लक्ष्मण म्हात्रे रोड, नवागाम, दहिसर (प), मुंबई - ४०० ०६८. टे. फोन : राजेशभाई - ८९५ ४२१४, हसमुखभाई - ८९५ ६८ २० For Private and Personal Use Only Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १४७ विशेष :- पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्म सूरीश्वर परिवार के पूज्य पाद आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा से आपकी निश्रा में श्री दहिसर - नवागाम जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ की स्थापना वि.सं. २०५१, काति सुदि ११, रविवार, ता. १३-११-९४ को हुई थी और आपकी प्रेरणा से श्री संघने इस भव्य और रम्य जिनालय का निर्माण किया था। आपकी प्रेरणा से मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी ३१", श्री आदिनाथजी २७" और वासुपूज्य स्वामीजी २७' की भव्य प्रतिमाएँ भाईन्दर श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ बावन जिनालय से श्री संघ से प्राप्त हुई थी। जिनालय का भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव वि.सं. २०५१ का जेठ वद-९ को वार बुध तारीख १४६-९५ को पूज्य आ.भ. श्री कनकरत्न सूरीश्वरजी म., पू.आ.भ. श्री सूर्योदय सूरीश्वरजी म.सा. आदि की पावन निश्रा में बडे ठाठ माठ से हुआ था। यहाँ मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी आदि पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु के प्रतिमाजी१, सिद्धचक्रजी-अष्टमंगल आदि ९ का अंदाजा हैं। श्री मणिभद्रवीर और श्री पद्मावती माता के सुन्दर गोखले हैं। ___ यहाँ चैत्र-आसौ मास की ओली की आराधना धामधूम से होती हैं। प्रत्येक शनिवार को दर्शनार्थीयो के भाता देने की व्यवस्था यहाँ के उत्साही संचालको ने की हैं। यहाँ श्री मुनिसुव्रत स्वामी सामायिक मंडल, महिला मंडल और जैन पाठशाला चालु हैं। शिखरबंदी जिनालय और उपाश्रय निर्माण के लिये प्रयत्न चल रहे है। (२३७) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर __ए१/९, सागर वैभव, चौथा माला, लक्ष्मण म्हात्रे रोड, नवागाम, दहिसर (प.) मुंबई-४०० ०६८. टे. फोन : ८९१ २० ९९ मनोहरलाल, ८९५ ०७ २७ बुलाखीदास विशेष :- श्री आदीश्वर आराधक ट्रस्ट द्वारा संस्थापित तथा संचालित इस गृहमन्दिर की चल प्रतिष्ठा परमपूज्य युग दिवाकर आचार्य श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. के परिवार के पू. आ. श्री विजय जयानन्द सूरीश्वरजी म., पू.आ. श्री विजय कनकरत्न सूरीश्वरजी म., पू.आ. श्री विजय महानन्द सूरीश्वरजी म., पू.आ. श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतों की पावन निश्रा में वि.सं. २०३९ का फागुण वद-३ को हुई थी। चेम्बुर तीर्थ से प्रतिमाजी प्राप्त हुई थी। For Private and Personal Use Only Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४८ मुंबई के जैन मन्दिर यहाँ पंचधातु की श्री आदिनाथ तथा श्री शान्तिनाथ की २-प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-२ एवं अष्टमंगल-१ सुशोभित हैं। किसी भी पूजारी की सेवा लिये बिना यहाँ के सभी भाई मिलकर प्रभु पूजा तथा गृह मन्दिर की सफाई अपने हाथो से करते हैं। (२३८) __ श्री पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर __ गोपाल विहार D-17, दूसरा माला, नवागाम लक्ष्मण म्हात्रे रोड, दहिसर (प.), मुंबई-४०० ०६८. टे. फोन : ८९५ ४२ १४-राजूभाई विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री राजुभाई सोमचन्द शाह हैं। आपके गृह मन्दिर में १८ अभिषेक की हुई पाषाण की एक प्रतिमाजी श्री पार्श्वनाथ प्रभु तथा पंचधातु के एक सिद्धचक्रजी सुशोभित हैं। इस गृह मन्दिरजी की स्थापना पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी समुदाय के परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतों की पावन निश्रा में वि.सं. २०५१ का जेठ वदी-९ को हुई थी। (दहिसर (पूर्व) (२३९) श्री संभवनाथ भगवान गृह मन्दिर निर्मला निकेतन, ग्राउण्ड फ्लोर, मराठा कॉलोनी रोड, दहिसर (पूर्व), मुंबई-४०० ०६८. टे. फोन : ८९५ २३ ८२ - चांपशी खीमजी गोगारी विशेष :- श्री वागड वीशा ओसवाल श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस जिनालय की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. विजय भुवनभानु सूरीश्वरजी म. के परिवार के आ. विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५१ का माह सुद-१० को हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री संभवनाथ प्रभु तथा आजू बाजू में श्री आदिनाथ प्रभु श्री शान्तिनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-२, एवं अष्टमंगल-१ शोभायमान हैं। For Private and Personal Use Only Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १४९ यहाँ श्री संभवनाथ सामायिक मंडल, श्री संभवनाथ महिला मंडल तथा देवेन्द्रसूरीश्वरजी जैन प्रवचन पाठशाला की व्यवस्था है। (२४०) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर ब्लूबैल बिल्डिंग के कम्पाउण्ड में, आनन्द नगर, सी.एस. रोड, दहिसर (पूर्व), मुंबई-४०० ०६८. टे. फोन : ८९४ ३३ ५८ दीपकभाई, ८९३ ९४ ०४ दीलिपभाई विशेष :- श्री आनन्द नगर जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य विजय भुवन भानु सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य विजय हेमचन्द्र सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५१ का मगसर सुदी १० को हुई थी । यहाँ पाषाण की एक प्रतिमाजी श्री वासुपूज्य स्वामी की, सिद्धचक्रजी-१ तथा अष्टमंगल-१ सुशोभित हैं। (२४१) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर B-105, रिद्धि सिद्धि अपार्टमेन्ट, पहला माला, छत्रपति शिवाजी रोड, दहिसर (पूर्व), मुंबई-४०० ०६८. टे. फोन : ८९३ ७१ ६५ विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्रीमान राहुलभाई नरेन्द्रभाई दोशी परिवार हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय प्रेम-रामचन्द्र सूरीश्वरजी समुदाय के मुनिराज श्री नयवर्धन विजयजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०४९ का माह सुदी-६ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री शान्तिनाथ प्रभु की पंचधातु की १ प्रतिमाजी तथा सिद्धचक्रजी-१, अष्टमंगल-१ सुशोभित है। (२४२) श्री अजितनाथ भगवान गृह मन्दिर शक्ति टॉवर, शक्तिनगर, छत्रपति शिवाजी रोड, ग्राऊन्ड फ्लोर, दहिसर (पूर्व), मुंबई-४०० ०६८. टे. फोन : ८९५ ४६ ३६ - विजयभाई For Private and Personal Use Only Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५० मुंबई के जैन मन्दिर विशेष :- श्री शक्तिनगर अचलगच्छ जैन संघ के, मातुश्री केसरबेन नानजी देवजी नथु गडा कच्छ-दुर्गापुर नवावासवाला आराधना भवन में गृह मन्दिर की चल-प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य श्री गुणोदयसागर सूरीश्वरजी म. के शुभ आशीर्वाद से आ. श्री कलाप्रभसागर सूरीश्वरजी म. की शुभनिश्रा में वि.सं. २०५० का आशाड वद ७, ता. २९७-९४ को हुई थी। ___ यहाँ श्री अजितनाथ, श्री चन्द्रप्रभ स्वामी, श्री शान्तिनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की-४, सिद्धचक्रजी-४, एवं अष्टमंगल-१ सुशोभित हैं। श्री अजितनाथ महिला मंडल तथा जैन पाठशाला की व्यवस्था है। चैत्य परिपाटी में आनेवाले भाईयो के लिए भोजन या चायपाणी की व्यवस्था हो सकती है। (२४३) श्री कुन्थुनाथ भगवान गृह मन्दिर D-विंग, ६०६ छठा माला, सरस्वती एपार्टमेन्ट, शान्तिनगर के पीछे, छत्रपति शिवाजी रोड नं. ४, दहिसर (पूर्व), मुंबई-४०० ०६८. टे. फोन : ८९५ ९२५० - नरेशभाई, ८९२ १६ ३९ - राजुभाई विशेष :- श्री देवभूमि कुंथुनाथ भगवान श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा आचार्य श्री विजय भुवनभानु सूरीश्वरजी म. के समुदाय के पू. मुनिराज श्री हेम दर्शन विजयजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०५१ का फागुण सुद-२ को शुक्र ता. ३-३-९५ की चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ पाषाण के ३ प्रतिमाजी, पंचधातु के २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-२, अष्टमंगल-२ बिराजमान हैं । पाषाण की ३ प्रतिमाजी मे से श्री सुमतिनाथ प्रभु की प्रतिमाजी संप्रति महाराजा के समय की हैं। यहाँ जैन पाठशाला, ज्ञान भंडार व सामायिक मंडल की व्यवस्था है। यहाँ के गृह मन्दिर में कोई पूजारी नहीं, किन्तु संघ के भाई-बहन ही प्रभु-भक्ति-सेवा में रत है। मन्दिरजी का सारा काम वे खुद अपने हाथो से करते है। (२४४) श्री महावीर स्वामी भगवान गृह मन्दिर ए २२/१३, रतन नगर, दूसरा माला, सिद्धराज को-ओ. हाऊसिंग सोसायटी, दीप नारायण डुबे मार्ग, दहिसर (पूर्व), मुंबई-४०० ०६८. टे. फोन : नयनभाई-८९३ ४३ ७७, चंदुभाई-८९४ ०६ ६४ For Private and Personal Use Only Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १५१ विशेष :- श्री अरिहंत जैन आराधक ट्रस्ट संचालित श्री महावीर स्वामी जैन मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. विजय भद्रंकर सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०४६ का माह सुद-५ को हुई थी। यहाँ पाषाण की महावीर स्वामी प्रभु की एक प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी२ सुशोभित हैं। (२४५) श्री सुमतिनाथ भगवान गृह मन्दिर सिद्धि विनायक नगर, रावलपाडा, एस.एन. डुबे मार्ग, B-4, मीनी नगर, दहिसर (पूर्व), मुंबई-४०० ०६८. टे. फोन : रतिलालभाई - ८९१ ३१ ९८, वसंतभाई-८९२ १८९५ विशेष :- श्री रावलपाडा अचलगच्छ जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य श्री अचलगच्छाधिपति गुणसागर सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य श्री कलाप्रभसागर सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रामें वि.सं. २०५१, ता. १२-१२-९४ हुई थी। यहाँ पाषाण की एक प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी सिद्धचक्रजी - ३ तथा अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। यहाँ सेठ श्री टोकरशी सवराज कुरीया तथा सेठ श्री हरशी भगुभाई शाह जैन उपाश्रय, श्री अनंतगुण महिला-मंडल की व्यवस्था हैं। (२४६) श्री शान्तिनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय N.L. कॉम्पलेक्ष, आनन्द नगर, दहीसर (पूर्व), मुंबई-४०० ०६८. टे. फोन : ३६९ २२ ०४ - वेणीलालभाई विशेष :- श्री आत्म-कमल-दान-प्रेम-भुवनभानु सूरीश्वरजी म. के पट्टधर आचार्य विजय जयघोष सूरीश्वरजी म. के आशीर्वाद से सेठ श्री वेणीलाल ठाकोरदास जरीवाला तरफ से निर्माण होनेवाला शिखरबंदी जिनालय का खात मुहुर्त २०५२ का जेठ सुदी-९ सोमवार ता. २७-५-९६ को प्रात:काल ७.२० मिनट पर तथा शिला स्थापना विजय मुहुर्त में १२.३९ मिनट पर परम पूज्य आचार्य श्री के शिष्य रत्न पू. मुनिराज श्री नेत्रानंद विजयजी तथा पूज्य मुनिराज श्री उदयचन्द्र विजयजी म. की निश्रा में सम्पन्न हुई थी। For Private and Personal Use Only Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५२ मुंबई के जैन मन्दिर मीरा रोड (पूर्व) (२४७) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर शान्तिनगर, सेक्टर नं.६, मीरा रोड (पूर्व), जि. थाणा, महाराष्ट्र. टे. फोन : ओ. ८१२ ६९ २२, ८११ ०४ ७२ सुरेशभाई, ८११ ३१ ९२ महेन्द्रभाई विशेष :- श्री शान्तिनगर जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ मीरा रोड (पूर्व) द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. विजय आत्म - कमल - लब्धि सूरि समुदाय के पन्यास श्री यशोवर्म विजयजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में ता. ३१-३-८९ को हुई थी। यहाँ के गृह मन्दिर में पाषाण की १ प्रतिमाजी, पंच धातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, विशस्थानक - १, अष्टमंगल-१ बिराजमान हैं। श्री आदि विक्रम यशोभक्ति मंडल की वि. सं. २०४७ का फागुण वदि १० को पन्यासजी श्री यशोवर्मविजयजी म. की प्रेरणा से स्थापना हुई थी। श्री आदि विक्रम महिला मंडल, श्री विपुल प्रगति सामायिक मंडल के अलावा यहाँ जैन पाठशाला भी चालु हैं। (२४८) श्री आदीश्वर भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय शान्तिनगर सेक्टर नं.-३, मीरा रोड (पूर्व), जि. - थाणा, महाराष्ट्र. टे. फोन : ८१८ १२ ०३ घर, ८११ २६ ६५ ओ. राजेन्द्रभाई विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय आत्म-कमल-लब्धि सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. भगवंत जिनभद्रसूरीश्वरजी, आ. भ. श्री विजय यशोवर्म सूरीश्वरजी म. एवं समस्त मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में अक्षय तृतीया वैशाख सुदि ३ को शिला स्थापना हुई थी। श्री भरतभाई शाह, अजमेरा ब्रदर्स - शांतिस्टार के श्री राजेन्द्रभाई आदि महानुभाव इस जिनालय के निर्माण में तन-मन-धन से पूर्ण रुपसे सहयोग प्रदान कर रहे है। इस जिनालय में चार तीर्थों के मूलनायक प्रभुजी चऊमुखी प्रतिमाजी रुप में बिराजमान होनेवाले हैं। (१) श्री शत्रुजय तीर्थ के मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान, (२) श्री आबुजी तीर्थ के मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान, (३) श्री राणकपुर तीर्थ के मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान, (४) श्री केसरिया तीर्थ के मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान फिलहाल इतनी जानकारी हासिल हुई हैं। यहाँ भव्य एवं विशाल उपासरा, आयंबिलशाला एवं जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १५३ - वनिता विहार अचलगच्छ जैन उपाश्रय शान्तिनगर सेक्टर नं. ३, बिल्डींग A-39-004 मीरा रोड (पूर्व), जि. थाणा-महाराष्ट्र टे. फोन : नेमचन्द देवराज गाला (ओ.) ८११ ४० ६५, (घर): ८११ २६ ४२ विशेष :- इस उपाश्रय के संस्थापक एवं संचालक श्री मीरारोड अचलगच्छ जैन संघ हैं। स्व. पुत्रवधू अ.सौ. वनिता नेमचन्द नागडा की पुण्यस्मृति में मीरा रोडवासी कच्छ डुमरा के मातुश्री पानबाई देवराज देवशी नागडा परिवार की तरफसे उदार अनुदान मिलने से संघ का कार्य शीघ्र फलीभूत हुआ था। परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. की निश्रा में वि. सं. २०५३ का वैशाख वद अमावस, गुरुवार, तारीख ५-६-९७ को उद्घाटन समारोह हुआ था। (२४९) श्री शीतलनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय शीतल नगर, मीरा रोड (पूर्व), जि. थाणा (महाराष्ट्र) टे. फोन : कांतिभाई ओ. ८११ २२१० घर : ६१० १०६७, ६१३ २२ ६७ रसिकभाई ओ. ३७३ ६६ ७९ घर : ८१० ४७ ९५ विशेष :- श्री शीतलनाथ मूर्तिपूजक अचलगच्छ जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस शिखरबंदी जिनालय की प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय भुवनभानू सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य भगवन्त विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५१ का माह सुदि ६ रविवार तारीख ५-२-१९९५ को हुई थी। मातुश्री नवलबेन खीमजी हंसराज हरिया के सुपुत्र श्री कांतिलालभाई, श्री जयेशभाई आदि परिवारने इस जिनालय एवं उपाश्रय का निर्माण करके अंजनशलाका एवं प्रतिष्ठा करवाकर सहयोग प्रदान किया हैं। नीचे उपाश्रय तथा उपर शिखरबंदी जिनालय में श्री शीतलनाथ तथा आजूबाजू में श्री वासुपूज्य स्वामी एवं मुनिसुव्रत स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-४ तथा अष्टमंगल-१ सुशोभित हैं इसके अलावा श्री चक्रेश्वरीदेवी एवं श्री महाकालीदेवी की प्रतिमाजी भी बिराजमान हैं। (२५०) . श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर हरीया ड्रीम पार्क , मीरा-भाईन्दर रोड, अशोक हॉटेल के बाजूमें, मीरा रोड (पूर्व) जि. थाणा (महाराष्ट्र) टे. फोन : नाथालालभाई ओ. ८९३ ४२ ८४, ८१० ३००३, ८११ ४४ २९ विशेष :- परम पूज्य शासन सम्राट नेमिसूरीश्वरजी म. समुदाय के परम पूज्य आ. श्री विजय For Private and Personal Use Only Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५४ मुंबई के जैन मन्दिर अशोकचंद्रसूरीश्वरजी म. के शिष्य रत्न पन्यासजी पूज्य श्री पुष्पचन्द्रविजयजी म.सा. की पावन निश्रा में वि.सं. २०५४ का मगसर सुदि ७ शनिवार ता. ६-१२-९७ को १०.१५ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी की पाषाण की १ प्रतिमाजी, पंच धातु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी १ बिराजमान हैं। यहाँ नूतन जिनालय का निर्माण होनेवाला हैं जिसका खात मुहूर्त वि.सं. २०५४ का मगसर सुदि ८ रविवार तारीख ७-१२-९७ को परम पूज्य आ. विजय नेमिसूरि समुदाय के आ. विजय अशोकचंद्रसूरीश्वरजी म. के शिष्य रत्न पंन्यासजी पू. पुष्पचंद्रविजयजी म. की पावन निश्रा में हुआ था। नूतन जिनालय का निर्माण करनेवाले श्रीमती शान्ताबेन नाथालाल धरमशी मालदे जामनगर (वसई)वाले है जिनको हमारा विशेष अभिनन्दन हैं। नूतन जिनालय में श्री आदिनाथ भगवान मूलनायक रुप में विराजमान होनेवाले हैं। भायन्दर (पश्चिम) (२५१) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान बावन जिनालय महा प्रासाद देवचन्दनगर, भायन्दर (प.) जि. थाणा (महाराष्ट्र) ४०१ १०१. टे. फोन : ओ. ८१८ १०४९, सुरेशभाई ३८८ ८७७२, ३८२६८८१ राजेन्द्रभाई घर - ८१८ १२ ०३ विशेष :- जिस समय मुम्बई महानगर और उपनगरो के समस्त विस्तार में, और आगे बढकर मध्य गुजरात के मातरतीर्थ से लेकर महाराष्ट्र - कर्नाटक के सीमा प्रदेश वर्ती निपाणी नगर तक के प्रदेश में अनेकानेक महाजिनालय होने पर भी, कही पर भी एक भी बावन जिनालय महाप्रासाद उपलब्ध नहीं था। उस समय पूज्यपाद सिद्धान्तरक्षक आचार्य भगवंत श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म.सा. और सारी मुम्बई महानगरी को जगह जगह पर दिव्य जिनालयो, भव्य उपाश्रयो, आयंबिलशाला, ज्ञानशाला, धर्मशाला, भोजनशाला आदि से धर्मनगरी बनानेवाले प्रबल पुण्यप्रभावशाली युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की परम कृपा और आशीर्वाद के साथ उनकी प्रेरणा व मार्गदर्शन से आपके परम भक्त मोढुका (साबरकांठा - गुजरात) हाल मुंबई निवासी धर्मवीर दानवीर श्रेष्ठिवर्य श्री देवचन्द जेठालाल संघवीने भाईन्दर की धन्य धरा पर अपनी भाग्यवती भूमि पर बावन जिनालय महाप्रासाद का निर्माण करने का शुभ निर्णय किया। बावन जिनालय का मूल विचार, जैन भूगोल में परिदर्शित मध्य लोक के असंख्य द्वीप-समुद्रो के अन्तर्गत अष्टम श्री नन्दीश्वर द्वीप के मध्यगत शाश्वत बावन जिनालयो के अनुकरण रुप हैं। For Private and Personal Use Only Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १५५ - तदनुसार इस महाप्रासाद के आयोजन में प्रेरणा देनेवाले परमोपकारी पूज्य गुरु भगवन्तो और उनकी प्रेरणा को शिरोमान्य करनेवाले, सर्व प्रथम तन-मन-धन से मुख्य रुप से पूर्ण योगदान देकर प्रबल पुरुषार्थ करनेवाले महान धर्मप्रेमी शेठ श्री देवचन्द जेठालाल संघवी साहेब को हम हार्दिक कोटि कोटि नमन करते हैं। इस बावन जिनालय महातीर्थ के मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान हैं। श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान के चमत्कारी अनेक तीर्थ एवं हजारो जैन मन्दिर भारत के कोने कोने में जैन शासन की शान बढ़ा रहे हैं। आज भी उनके अधिष्ठायक देव धरणेन्द्र और पद्मावती भगवान के भक्तजनो को सहायक बनते है और नाना प्रकार के चमत्कार दिखाते हैं। एवं अनेक स्थानो पर नाग का रुप धारण करके भक्तजनो को दर्शन दिखाकर आनन्द में झुला देते हैं, ऐसे कलिकाल कल्पतरु समान भगवान श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ, पुरे महाराष्ट्र में सर्वप्रथम बावन जिनालय - भाईन्दर में बिराजमान हैं। इस महा प्रासाद का शिलान्यास वि. सं. २०३५ के फागुण सुदि ३ गुरुवार ता. १-३-७९ को प.पू. शासन सम्राट् आचार्य भगवंत श्री नेमिसूरीश्वरजी म. के समुदाय के प.पू. मुनिराज श्री कुशलचन्द्रविजयजी म. आदि की पावन निश्रा में हुआ था। वि. सं. २०३६ में इस महाप्रासादके प्रेरक प.पू. युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजयधर्मसूरीश्वरजी म.सा. का पदार्पण वढवाण शहर से मुम्बई आते हुए यहां हुआ, और आपश्रीने मन्दिर निर्माण कार्य शीघ्र पूरा करने का आशीर्वाद दिया और शेठश्री का उत्साह को खूब बढाया । ८ वर्षों तक लगातार मन्दिर निर्माण का कार्य पूरा वेग से चालु रहा, बाद में इस भव्य बावन जिनालय-महाप्रासाद का भव्य अंजनशलाका और प्रतिष्ठा महामहोत्सव, इस महा प्रासाद के प्रेरक पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय मोहन-प्रतापधर्मसूरीश्वर समुदाय के पू. शतावधानी आ.भ. श्री विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म., पू. विशदवक्ता आ.भ. श्री विजय कनकरत्नसूरीश्वरजी म., प.पू. विद्वद्वर्य आ. भ. श्री विजय महानन्दसूरीश्वरजी म. एवं पू. व्या. सा. न्या. तीर्थ आ. भ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि विशाल साधु-साध्वीजी समुदाय की प्रभावक निश्रा में वि.सं. २०४३ के वैशाख सुदि ११ के शुभ मुहूर्त में बडी धाम-धूम से हुआ था । पूरे १७ दिनो तक के इस महोत्सव में सुबह और शाम के साधर्मिक वात्सल्य में हजारो भाविकोने लाभ लिया था। सारे भाईन्दर नगर में जगह जगह पर और घर घर पर जोरदार रोशनी लगी थी। हजारो की जनता आनन्द में झुम रही थी। प्रतिष्ठा के बाद वि. सं. २०४४ के पोष सुदि ९, ता. २८-१२-८७ को श्रीमती हुलासीबाई तिलोकचन्द वरदीचन्द बेडावाला जैन धर्मशाला का शिलान्यास, पू.आ.भ. श्री विजय महानन्दसूरीश्वरजी म. और पू.आ. भ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. की पुण्य निश्रा में हुआ था, और उस धर्मशाला का उद्घाटन वि. सं. २०४६ का वैशाख सुदि ५ रविवार, तारीख २९-४९० को पू.आ.भ. श्री जयानन्दसूरीश्वरजी म., पू.आ.भ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म., पू.आ.भ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म. और पू. आ.भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में हुआ था। वि.सं. २०५० में प.पू.आ.भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म.सा. के यहाँ के यादगार और अपूर्व For Private and Personal Use Only Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५६ मुंबई के जैन मन्दिर आराधना व शासन प्रभावना सभर चातुर्मास के बाद, वि.सं. २०५१, महा शुदि ६ को श्री उपधान तप महा आराधना के मालारोपण महोत्सव में मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु के विशाल और भव्य परिकर की प्रतिष्ठा हुई थी। ___ बावन जिनालय की दसवी सालगिरि पर वि.सं. २०५३ के वैशाख सुदि ११ रविवार ता. १८५-९७ को प.पू.आ.भ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रामें बावन जिनालय में ६८ मंगल मूर्तियो की स्थापना हुई थी। आपके मार्गदर्शन से इस महा प्रासाद के शेष कार्य आजकाल पूर्ण होने जा रहा है । भूमि तल में पीले मारबल के ४०० खंभे लग चूके है । नक्षीदार कला कोरणी युक्त यह उत्तुंग महाप्रासाद मुंबई महानगर का महातीर्थ बन चूका है। आपकी प्रेरणासे आयंबिल भवनका पुनरुद्धार कार्य शुरु हो चूका है, और उसके साथ जैन उपाश्रय का पुनरुद्धार और भोजनालय का भी कार्य का आयोजन किया गया हैं। ___ इस महाजिनालय में श्यामवर्ण पाषाण के मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ ५१" परिकर के साथ १०१" और आजू बाजू में गत चोवीशी के श्री केवलज्ञानी प्रभु ४१", आगामी चोवीशी के श्री पद्मनाभ स्वामी की प्रतिमाजी ४१' बिराजमान हैं। बाहरी गोखले में श्री पुंडरीक स्वामी एवं श्री गौतमस्वामी की दो प्रतिमाजी, रंगमंडप में ६ प्रतिमाजी, चारो तरफ देवलीयो में बिराजमान पाषाण की कुल १६३ प्रतिमाजी, नीचे के गंभारे में पाषाण की ३ प्रतिमाजी और उपर शिखर के गंभारे में पाषाण की ५ प्रतिमाजी तथा उपर बाहर के भाग में पंच धातु की चऊमुखी ४ प्रतिमाजी सुशोभित हैं। मन्दिर के अग्रभाग में चौकी के उपर तीन दिशा में ३ बडी बडी मंगलमूर्ति बिराजमान हैं, जिनका दर्शन सबको सर्व प्रथम होता है। पुरे जिनालय में पाषाण के १८२ प्रतिमाजी तथा ६८ + १० मंगल मूर्तियो के साथ कुल २६० प्रतिमाजी तथा पंच धातु के प्रतिमाजी सिद्धचक्रजी और अष्टमंगल वगैरह ४० का अंदाजा हैं। ___ इस महाप्रासाद के बाहरी परिसर में उत्तर दिशा में स्वतंत्र बडा अधिष्ठायक देवमन्दिर, जोधपुरके लाल पत्थरो से बनाया हुआ हैं। उसमे अलग अलग देहरीयो में श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री नाकोडा भैरुजी, श्री भोमियाजी, श्री चक्रेश्वरी देवी, श्री पद्मावतीदेवी, श्री अंबिकादेवी, श्री सरस्वतीदेवी, श्री लक्ष्मीदेवी की बडी बडी प्रतिमाजी प्रतिष्ठित की गई हैं। इस तरह यहाँ भव्य उपासरा, धर्मशाला, आयंबिलशाला, जैन पाठशाला, श्री पार्श्वदीपक महिला मंडल, श्री पार्श्व महिला मंडल, श्री पार्श्वपूजक मंडल आदि कई मंडले और अनेक संस्थाएँ तीर्थ के भक्तिकार्य में अग्रसर हैं। इस बावन जिनालय महातीर्थ का संचालन, ट्रस्ट के मेनेजिंग ट्रस्टी श्री सुरेशभाई देवचन्द संघवी आदि ट्रस्ट मंडल कर रहे है और श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ देवचन्द नगर जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ के कार्यकर्ता उसमें साथ दे रहे हैं। For Private and Personal Use Only Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मुंबई के जैन मन्दिर (२५२) www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर देवचन्द नगर, भायन्दर (प.) जि. थाणा, महाराष्ट्र - ४०१ २०१. टे. फोन : हेड ओ. ८१८ १०४९ (२५३) विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजयप्रतापसूरीश्वरजी म. और प. पू. युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजयधर्मसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा व आशीर्वाद से यहाँ के गृह मन्दिर की सर्व प्रथम स्थापना वि.सं. २०२६ का फागुण सुदि ६ को हुई थी । ६ वर्ष के बाद परम पूज्य आ.भ. श्री विजय मेरुप्रभसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की शुभ निश्रा में वि.सं. २०३२ का फागुण सुदि ६ रविवार ता. ७-३-७६ को चल प्रतिष्ठा हुई थी । इस गृह मन्दिरजी के संचालक सर्व प्रथम श्रीमान शेठ श्री देवचन्द जेठालाल संघवी थे । हाल में उनके परिवार के मेनेजिंग ट्रस्टी श्री सुरेशभाई देवचन्द संघवी हैं। यहाँ पंचधातु के ९ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ५ एवं अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं । यहाँ श्री जैन विसा ओशवाल मित्रमंडल, श्री हरसोल सत्तावीस जैन युवक मंडल भी हैं। १५७ श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर जय सोना बिल्डींग बिल्डींग, नं. ४, सी विंग, पहला माला, देवचन्द नगर, भाईन्दर (प.), जि. थाणा, महाराष्ट्र ४०१ १०१. टे. फोन : ८१९४९२८ - केतनभाई, ८१९४६ ८४ - चन्द्रकांतभाई विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्रीमान सेठ श्री राजुभाई चिनुभाई शाह हैं। इस गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य रामचंद्रसूरीश्वरजी म. के. समुदाय के आ. विजय महोदयसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०४२ का वैशाख सुदि ५ को हुई थी । यहाँ पंच धातु की श्री मुनिसुव्रत स्वामी एवं श्री श्रेयांसनाथ प्रभु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी १ एवं अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं । (२५४) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर ३०३, तीसरा माला, सांई छाया, साठ फिट रोड, बाबासाहेब आंबेडकर रोड, भायन्दर (प.), जि. थाणा, महाराष्ट्र - ४०१ १०१. टे. फोन : ८१९३०६२ For Private and Personal Use Only विशेष : :- प. पू. आचार्य भगवन्त विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. समुदाय के आचार्य विजय राजतिलकसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०५० का फागुण वद १ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५८ मुंबई के जैन मन्दिर यहाँ पंच धातु के/१ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, सुशोभित है। इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्रीमान सेठ श्री महेशकुमार भुरालाल परिख एवं श्रीमती कमलाबेन आदि परिवार हैं। (२५५) श्री भटेवा पार्श्वनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय अरिहन्त कृपा, पहला माला, स्टेशन रोड, भायन्दर (पश्चिम), ___जि. थाणा, (महाराष्ट्र)-४०१ १०१. टे. ओ. ८१८ ७१ २३, दिनेशभाई - ८१९ २७ ७७ विशेष :- श्री भटेवा पार्श्वनाथ जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस भव्य जिनालय की प्रतिष्ठा कविकुलकिरीट आ. विजय लब्धिसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. विजय यशोवर्मसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५० का माह सुदि १० सोमवार तारीख २१-२-९४ को भव्य धामधूम के साथ हुई थी। यहाँ के जिनालय में पाषाण की नीचे ९, उपर १ कुल १० प्रतिमाजी, पंच धातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, वीस स्थानक - १, अष्टमंगल-१ बिराजमान है। श्री मणिभद्रवीर, श्री भैरुजी, श्री घंटाकर्णवीर तथा श्री चक्रेश्वरीदेवी, श्री पद्मावतीदेवी के अलावा श्री सम्मेतशिखरजी, श्री अष्टापद तीर्थ भी दर्शनीय हैं। यहाँ श्री भटेवा महिला मंडल, श्री विनीता सामायिक महिला मंडल की व्यवस्था हैं। (२५६) श्री भटेवा पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर ऋषभ एपार्टमेन्ट, ओ ३०३, तीसरा माला, स्टेशन रोड, भायन्दर (प.), जि. थाणा (महाराष्ट्र)-४०१ १०१. टे. ओ. ८१९ ३८८८ विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक पालनपुरवाले सेठ श्री प्रकाशभाई चन्दुलाल शाह हैं। परम पूज्य आ. विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के पट्टधर पू.आ. विजय जयघोषसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०५० का वैशाख सुदि १३ ता. २३-५-९४ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ पंच धातु की मूलनायक १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ अष्टमंगल - १ शोभायमान हैं। (२५७) श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय राम मन्दिर रोड, भायन्दर (प.), जि. थाणा (महाराष्ट्र)-४०१ १०१. टे. फोन : रमेशभाई बंबोरी - ८१९ २३ ९३ For Private and Personal Use Only Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर विशेष :- इस शिखरबंदी जिनालय के संस्थापक एवं संचालक श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ जैन संघ भायन्दर (प.) हैं । भायन्दर नगरी का यह प्रथम जिनालय है, जिसकी प्रतिष्ठा सिद्धान्त महोदधि आ. भगवन्त विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. १९९८ का फागुण सुदि १० को भव्य महोत्सव के साथ हुई थी। यहाँ मूलगंभारे में पाषाण की ३ प्रतिमाजी श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ, श्री महावीर स्वामी, श्री धर्मनाथ प्रभु तथा आजूबाजू में दोनो कमरो में मूलनायक महावीर प्रभु के साथ ५-५ प्रतिमाजी सुशोभित हैं, कुल पाषाण की १३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ९ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ७ एवं अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं। इसके अलावा श्री पुंडरीकस्वामी, श्री गौतमस्वामी, श्री नाकोडा भैरुजी, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री पार्श्वयक्ष एवं पद्मावती माताजी तथा श्री शत्रुजय पट और गिरनारजी पट भी दर्शनीय हैं। यहाँ वि.सं. १९६८ आसौ सुदि १ को स्थापित किया हुआ प्राचीन उपासरा हैं। यहाँ एक और भी उपासरा है, तथा शिवगंज निवासी श्री कंकूबाई द्वारा भेट की गई कंकुबाई धर्मशाला भी हैं। यहाँ चैत्र आसौ महिने में आयंबिल करने की व्यवस्था हैं । यहाँ चिन्तामणि जैन पाठशाला, श्री महावीर महिला मंडल तथा राजस्थान महिला मंडल की व्यवस्था हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय दक्षसूरीश्वरजी म. के शिष्य पंन्यासजी श्री प्रभाकर विजयजी म. की शुभ पेरणा से दक्ष-बंबोरी आराधना भवन का निर्माण हुआ हैं। जिसका उद्घाटन १३-८१९९५ को श्रेष्ठिवर्य श्री मोहनराजजी देवीचन्दजी बंबोरी के हस्तक हुआ था। (२५८) श्री आदिनाथ भगवान गृह मन्दिर शिवसेना ऑफिस के सामने, डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर रोड, साठ फिट रोड, भायन्दर (प.), ___जि. थाणा (महाराष्ट्र)-४०१ १०१. टे. फोन : ८०५ ०३ १३ सूर्यकान्तभाई, ८१९ २१ १० - चन्दनमलजी विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्री विजयरामसूरिजी ज्ञान मन्दिर ट्रस्ट हैं। परम पूज्य आचार्य विजय रामसूरीश्वरजी म. (डेहलावाले) के शिष्यरत्न परम पूज्य आचार्य विजय अभयदेवसूरीश्वरजी म., पूज्य गणिवर्य हरिभद्र विजयजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में ९ दिनों के महामहोत्सव के साथ वि.सं. २०४३ का माह सुदि ३ रविवार ता. १-२-८७, वीर संवत २५१३ में प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ८ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ५, विशस्थानक - १ अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। श्री पद्मावती देवी, श्री घंटाकर्ण वीर, आ. सुरेन्द्रसूरीश्वरजी म. की मूर्ति बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६० मुंबई के जैन मन्दिर यहाँ श्री सुरेन्द्रसूरिजी जैन पाठशाला, श्री आदिनाथ सामायिक महिला मंडल, श्री आदिनाथ जैन स्नात्र मंडल, श्री ऋषभ सुरेन्द्र महिला मंडल, श्री घंटाकर्ण वीर युवक मंडल की व्यवस्था हैं। (२५९) श्री नाकोडा पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर ६० फिट रोड, भाजी गली, सुदामा टॉवर, डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर रोड, भाईन्दर (प.), जि. थाणा (महाराष्ट्र)-४०१ १०१. टे. फोन : ८१८०६ ७३ विशेष :- आचार्य विजय रामसूरीश्वरजी (डेहलावाला) जैन ज्ञान मन्दिर ट्रस्ट द्वारा निर्मित श्री नाकोडा पार्श्वनाथ जिनालय की यह जमीन देलवाडा (सौराष्ट्र) निवासी कपोल ज्ञातीय वणिक मातुश्री स्व. अम्नबहन वृन्दावनदास वोरा के पुण्य स्मरणार्थे सुपुत्रो स्व. चंपकभाई तथा वजुभाई, रमेशभाई, जितेन्द्रभाई, प्रवीणभाई वोरा सुदामा टॉवरवाला परिवारने अर्पण की। जिनालय की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य विजय रामसूरीश्वरजी (डेहलावाला) समुदाय के आचार्य विजय अभयदेवसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५२ का श्रावण वद १२ सोमवार को ता. ७-९-९६ को हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री नाकोडा पार्श्वनाथ प्रभु की पाषाण की १ प्रतिमाजी, पंच धातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल-१ तथा भैरुजी की एक प्रतिमाजी बिराजमान हैं। श्री पार्श्वचन्द्र गच्छ उपाश्रय रत्नसागर बिल्डिींग, ग्राउन्ड फ्लोर, ६० फीट रोड, डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर रोड, ___भायन्दर (प.), जि. थाणा (महाराष्ट्र) ४०१ १०१. विशेष :- प्रेरक :- मुनि श्री पद्मयशचन्द्रजी म. निमित्त मात्र, श्री पार्श्वचंद्र युवा मंडल (मुंबई) द्वारा संचालित श्रीमती झवेरबेन प्रेमजीभाई हीरजी परिवार (नानी खाखर) श्री पार्श्वचंद्रसूरि ज्ञान मन्दिर सुन्दर सुशोभित हैं। उपदेशिका :- परम पूज्य साध्वीजी पंकजश्रीजी महाराज। उद्घाटन :- वि.सं. २०४५ का वैशाख वद १ रविवार ता. २१-५-८९ को हुआ था । यहाँ पार्श्वचन्द्रसूरि जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। __श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी जैन ज्ञान मन्दिर राजेन्द्रसूरि एपार्टमेन्ट, ६० फीट रोड, डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर रोड, भायन्दर (प.), जि. थाणा (महाराष्ट्र)-४०१ १०१. For Private and Personal Use Only Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर विशेष :- श्री थराद त्रिस्तुतिक जैन संघ द्वारा यहाँ के ज्ञानमंदिर की स्थापना हुई थी। यहाँ श्री राजेन्द्रसूरि जैन बैण्ड मंडल तथा राज धन व हर्ष जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। (२६०) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर इन्दिरा कॉम्प्लेक्ष, रत्नदीप बिल्डींग कम्पाउन्ड में, ६० फिट रोड, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर रोड, भायन्दर (प.), जि. थाणा (महाराष्ट्र) - ४०१ १०१. टे. फोन : दिलीपभाई - ८१९ १० ४१, ८१९ २६ १० निहालचंदजी - ८१८०६ ०६ विशेष :- शिवगंज (राजस्थान) निवासी शा. लालचन्दजी नेनमलजी पोरवाल (लोब गोत्र चव्हाण) के द्वितीय सुपुत्र श्री दिलीपकुमार की धर्मपत्नी इन्दिराबेन की प्रेरणा से इस गृह मन्दिर का निर्माण हुआ हैं। वि. संवत २०५० का वैशाख वदि ३ शुक्रवार तारीख २९-५-९४ को पाँच दिवसीय महोत्सव करके परम पूज्य प्रेम-भानु समुदाय के आचार्य श्री विजय जयघोषसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में महा मंगलकारी प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु तथा आजू बाजू में श्री आदिनाथ भगवान एवं श्री महावीर स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २ तथा अष्टमंगल - १ के अलावा श्री मणिभद्रवीर, श्री नाकोडा भैरुजी, पार्श्वयक्ष-यक्षिणी तथा बाल्दातीर्थ के बाबाजी माताजी की तस्वीर भी शोभायमान हैं। प्रतिष्ठा :- दिलीपकुमार गौरवकुमार बेटा पोता शा. लालचन्दजी नेनमलजीने किया हैं। इस मन्दिरजी के संचालकजी श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ देरासर ट्रस्ट हैं। यहाँ इन्दिरा कॉम्प्लेक्ष सामायिक महिला मंडल की व्यवस्था हैं। श्री दिलीपभाई पोरवाल इस जिनालय के निर्माता हैं, जो इस पुस्तक - मुंबई के जैन मन्दिर (आवृत्ति दूसरी) के लेखक श्री भंवरलाल एम. जैन शिवगंजवाले के छोटे चचेरे भाई हैं। (२६१) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर सालासर टॉवर, ब्लोक नं.-६०७ - ६०८ छठ्ठा माला, फाटक रोड, भायन्दर (प.), जि. थाणा - महाराष्ट्र - ४०१ १०१. टे. फोन : ८१९ २१ ६२, ८१९८६६६ विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्रीमती शारदाबेन नवनीतलाल कुवाडिया एवं उनके सुपुत्र ज्योतिषभाई श्री दीपकभाई, श्री दिलिपभाई एवं श्री डॉलरभाई आदि परिवार हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त सिद्धान्त महोदधि विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. के समुदाय के परम For Private and Personal Use Only Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६२ मुंबई के जैन मन्दिर पूज्य पंन्यासजी श्री चन्द्रशेखर विजयजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५१ का फागुण सुदि १० को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ के गृह मन्दिर में पंच धातु के आदिनाथ प्रभु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ तथा अष्टमंगल - १ शोभायमान हैं। (२६२) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान सामरणबद्ध रथाकार भव्य जिनालय रेल्वे फाटक के पास, वेंकटेश्वर पार्क, भाईन्दर (प.), जि. थाणा (महाराष्ट्र)-४०१ १०१. टे. फोन : ८१९ २३ ८२, ८१९ १८०१ विशेष :- मुंबई महानगर और उपनगरो में सर्वप्रथम इस रथाकार जिनालय का निर्माण पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजयधर्मसूरीश्वरजी म. साहेबजी के समुदाय के विद्वान वक्ता शासन प्रभावक आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा व मार्गदर्शन से बाकरा (राज.) निवासी संघवी उकचंद - घेवरचन्द - रिखबचन्द सुपुत्र ताराजी गजाजी नागोतरा सोलंकी परिवार वालोने किया हैं । जैसलमेर के पीले पत्थरो से यह जिनालय मन मोहक बना हैं। छोटासा देव विमान जैसा यह रथ मन्दिर दूर से ही मानवो को आकर्षित करता हैं । मन्दिर के अग्र भाग में भक्ति मंडप बनाया है और पीछे के भाग में अधिष्ठायक देवस्थान हैं। आपश्री के २०५० के भायन्दर - बावन जिनालय के चातुर्मास में आपकी निश्रा में श्री शंखेश्वर शणगार जैन श्वे. मू. ट्रस्ट की स्थापना के बाद मन्दिरजी का भूमि पूजन-खनन आसौ सुदि १० को हुआ था। पूरा मन्दिर सांगोपांग तैयार होने के बाद आपकी पुण्यनिश्रा में वि.सं. २०५३ का जेठ सुदि १३ ता. १८-६-९७ को भव्य अंजन शलाका महोत्सव और जेठ सुदि १४ ता. १९-६-९७ को प्रतिष्ठा महोत्सव हुआ था । महोत्सव के दिनो में साधर्मिक वात्सल्यों में हर हमेश हजारो भाविकोने लाभ लिया था । बडे बडे महोत्सव मंडप और भोजन मंडपो की व्यवस्था बहुत ही सुन्दर बनाई गई थी। पूरे भायन्दर की जैन जनता उन दिनो में परमात्म भक्ति में लीन बन गई थी। सुबह से रात के १२-१ बजे तक निरंतर धार्मिक कार्यक्रम चलता रहता था। उनमें हजारो भक्तजन अधिक भीड से उपस्थित रहते थे। बावन जिनालय - भायन्दर के ऐतिहासिक अंजनशलाका - प्रतिष्ठा महोत्सव के बाद इस सामरण वद्ध रथ मन्दिर का भी अंजनशलाका - प्रतिष्ठा महोत्सव चिरस्मरणीय बन गया हैं। ___ श्री शंखेश्वर शणगार जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक ट्रस्ट द्वारा संचालित इस जिनालय के मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ २५" परिकर सहित ५१" श्री आदीश्वर भगवान १९" एवं श्री महावीर प्रभु १९" तथा तीन मंगल मूर्ति सहित पाषाण की ६ प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी२, अष्टमंगल-२, श्री सिद्धचक्रमहायन्त्र-१, श्री ऋषिमंडल महायन्त्र-१ के अलावा श्री पार्श्वयक्ष, श्री पद्मावती देवी, श्री मणिभद्र वीर, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री नाकोड़ा भैरुजी, श्रीचक्रेश्वरी देवी, श्री अंबिका देवी एवं श्री लक्ष्मी देवी बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १६३ उपाश्रय हॉल की व्यवस्था हैं। बारोमास हर पूर्णिमा को यात्रियों को यहाँ भाता देने की व्यवस्था मन्दिर के निर्माता श्री आर.टी. शाह की तरफ से चलती हैं। भायन्दर (पूर्व) (२६३) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय पार्श्व कीर्ति लेन, बालाराम पाटील रोड, भायन्दर (पूर्व) जि. थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन नं. ८१९ ४७ ७० - हसमुखभाई, ८१९ ४७ ७१ - महेशभाई विशेष :- सर्व प्रथम यहाँ गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा वि.सं. २०३५ का जेठ सुदि १४ शनिवार ता. ९-६-७९ को परम पूज्य आचार्य विजय लब्धि - लक्ष्मण के शिशु आ. विजय कीर्तिचन्द्र सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में हुई थी। उसके बाद शिखरबंदी जिनालय का निर्माण आ. विजय कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से हुआ था तथा उन्हीं की पावन निश्रा में वि.सं. २०४३ का वैशाख सुदि १५ बुधवार ता. १३-५८७ को भव्य प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई थी। यहाँ पाषाण की ११ प्रतिमाजी, पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, ४ सिध्धचक्रजी, विशस्थानक-१, अष्टमंगल-१ के अलावा श्री नाकोडा भैरुजी, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री मणिभद्रवीर, पार्श्वयक्ष, पद्मावती देवी तथा शासनदेवी बिराजमान हैं। धरणेन्द्र-पद्मावती श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ फोटो, शत्रुजय फोटो, गिरनार पट, श्री सम्मेत शिखर पट भी दर्शनीय हैं। यहाँ उपासरा तथा ऑलियो के दिनो में आयंबिल की व्यवस्था हैं। श्री शंखेश्वर महिला मंडल, श्री शंखेश्वर नवयुवक मंडल की व्यवस्था हैं। (२६४) श्री पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर बी-४, दलवी चाल, ग्राऊन्ड फ्लोर, नवधर रोड, भायन्दर (पूर्व), जि. थाणा (महाराष्ट्र) टे.-हरेशभाई-८१८५१ २८, लहेरचन्दभाई-८१८ ३३ ४४, महेन्द्रभाई-८१८ ३४ ६३ विशेष :- श्री नवधर जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा वि.सं. २०४७ का आषाढ सुदि-३ रविवार ता. १७-७-९१ को हुई थी। परम पूज्य मुनिराज श्री यशोरत्न विजयजी म. की प्रेरणा से मन्दिरजी की स्थापना हुई थी। यहाँ के घर मन्दिर में पंच धातु की श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ और श्री शान्तिनाथ भगवान को दो प्रतिमाजी मेहमान के रुप में विराजमान हैं। साथ में सिद्धचक्रजी-१, अष्टमंगल-१ भी सुशोभित हैं। For Private and Personal Use Only Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १६४ (२६५) www.kobatirth.org श्री धर्मनाथ भगवान (शिखरबंदी जिनालय) जेसल पार्क, रेलवे स्टेशन के पास, भायन्दर (पूर्व), जि. थाणा (महाराष्ट्र) टे. - डॉ. सुनिल वोरा - ८१९ १९९९, चंपकभाई- ४१२०२४१, ४१२२८ ९२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर विशेष :- इस भव्य जिनालय के निर्माता अंधेरी (मुंबई) निवासी श्री चंपकभाई दौलतरामजी मेहता परिवार वाले हैं । परम पूज्य भुवनभानु सूरीश्वरजी म. समुदाय के आचार्य विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. आदि की पावन निश्रा में वि.सं. २०५० का माह सुदि १२ तारीख २३ - २- ९४ को भव्य प्रतिष्ठा हुई थी । (२६६) यहाँ मूलनायक श्री धर्मनाथ प्रभु और श्री आदिनाथ, श्री शान्तिनाथ, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ, श्री महावीर स्वामी एवं श्री मुनिसुव्रत स्वामी के साथ कुल पाषाण की ६ प्रतिमाजी, गुरु गौतम की आरस की एक प्रतिमाजी, पंच धातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-२, अष्टमंगल - १ शोभायमान हैं । शंत्रुजय पट भी हैं। श्री जेसलपार्क श्वेताम्बरमूर्ति पूजक जैन संघ द्वारा संचालित इस जिनालय के अलावा दो मंजिल IT उपाश्रय; श्री धर्म शान्ति महिला मंडल, श्री जेसल पार्क युवक मंडल की व्यवस्था हैं । श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर लक्ष्मी पूजा, केबिन क्रॉस रोड, भायन्दर (पूर्व), जि. थाणा महाराष्ट्र. टेलिफोन : ८१९१६ ३५ घर, ८१९६६ ९३, ८९४०३३५ - वल्लभजी विशेष :- जिनालय व उपाश्रय के निर्माण की अभिलाषा :- श्री आर्यरक्षित जैन तत्त्वज्ञान विद्यापीठ मेराऊ में साहित्य दिवाकर परम पूज्य श्री कलाप्रभ सागर सूरीश्वरजी म.सा. (गृहस्थावस्था में कच्छ नवावास के श्री किशोरकुमार रतनशी टोकरशी सावला) के साथ सहाध्यायी के रुप में अभ्यास करने का अपूर्व लाभ वल्लभजी मुरजी देढिया बीदड़ावाला को मिला था । इस विद्यापिठ में प्राप्त की हुई ज्ञानामृत की वाणी एवं पूज्य गुरुदेव आ. भगवंत श्री कलाप्रभ सागर सूरीश्वरजी म.सा. के संयम रजत वर्ष के उपलक्ष्य में उन्होंने संकल्प किया कि एक जिनालय और उपाश्रय का निर्माण करूंगा । दोनों का निर्माण पूरा होने पर वि.सं. २०५३ का जेठ सुदि ३ ता. ८-६-९७ रविवार को आ. काप्रभ सागर सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में श्री रवजी जेठाणांग देढिया कच्छ गाम बीदडावाला जिनालय की भव्य प्रतिष्ठा हुई तथा मातुश्री पानबाई रवजी जेठाणांग देढिया बीदडा वाला अचलगच्छ जैन उपाश्रय का उद्घाटन हुआ था। For Private and Personal Use Only वि.सं. २०५१ में नवी मुंबई अचलगच्छ जैन संघ के प्रतिष्ठा महोत्सव के अवसर पर श्री पार्श्वनाथ प्रभुजी आदि जिन त्रय की अंजन शलाका हुई थी । उसके बाद ये प्रतिमाजी तीन वर्ष तक आगाशी तीर्थ के 'जयेश भवन' में मेहमान के रुप में बिराजमान थी । Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १६५ - ___ यहाँ मूलनायक श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथ भगवान तथा आजू बाजू में श्री वासुपूज्य स्वामी एवं श्री मुनिसुव्रत स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-२, अष्टमंगल-३ तथा पार्श्वयक्ष, श्री पद्मावती श्री चक्रेश्वरी देवी, श्री महाकालीदेवी भी जिनालय की शोभा बढा रहे हैं। भायन्दर-चोविहार हाऊस रसिक मनोज सर्कल कटींगवाला सी/२, पाटील ब्रधर्स इन्डस्ट्रीयल अस्टेट, साधुराम होटेल के बाजू में, दूसरा माला बी.पी. क्रॉस लेन, भायन्दर (पूर्व), जि. थाणा, (महाराष्ट्र) टेलिफोन-सुरेशभाई चिमनलाल-८१६ १३ ६१, ८१६ ५८ ४१ दीपककुमार-८१६ ३७ ९८, ८१७ ३९ ०५ विशेष :- चत्वारो नरकाद्वारा: प्रथमं रात्रि भोजनम् कहकर शास्त्रोने रात्रि भोजन को नरक का नेशनल हाईवे माना है, इसीलिये समजदार और भावनाशील जैनो को रात्रि भोजन का अवश्य त्याग करके घोर जीव हिंसा से बचना ही चाहिये । मुंबई महानगर के ज्यादा से ज्यादा भाविको रात्रि भोजन के पापो को जानकर उसका त्याग करने की भावना होते हुए भी व्यावसायिक व्यस्तताओं- विषमताओं के कारण रात्रि भोजन के त्याग में तकलिफ अनुभव करते हैं। ऐसे महानुभावो के लिये रात्रि भोजन त्याग की अनुकूलता मिलती रहे, उसके लिये मुंबई में जगह जगह पर चौविहार हाऊस खुल रहे हैं। उसी प्रकार, सम्रग महाराष्ट्र के एक मात्र श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ बावन जिनालय एवं अन्य अनेक जिन मन्दिरो से शोभायमान भाईन्दर की भाग्यवती भूमि पर प.पू. युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. के समुदायवर्ती परम पूज्य व्या.सा. न्या. तीर्थ आ.भ. श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म. की पुण्य प्रेरणा से इस चोविहार हाऊस की स्थापना वि. सं. २०५२ के आषाढ सुदि ११ को हुई थी। बहुत अच्छी तरह से उसका संचालन श्री भायन्दर चोविहार हाऊस व्यवस्थापक समिति कर रही हैं। अच्छा और सस्ता भोजन की चातुर्मास में सायंकाल, और बारे मास दोनो समय की व्यवस्था हैं। भायन्दर (पूर्व) में ५ हजार कारखानाओं में लगे हुए जैन भाइओं के लिये यह एक आशीर्वाद रुप आदर्श भोजनालय हैं। आजकल यह चोविहार हाउस का अपना चोविहारभवन बन रहा है । चोविहार भवन का निर्माण कार्य चालु हो गया हैं। सम्पर्क सूत्र : दीपककुमार रसीकलाल शाह, शास्त्री अस्टेट, गाला नं. बी-३ बी.पी. क्रॉस लेन, साधुराम होटल के बाजूमें भायन्दर (पूर्व). खास :- मध्यम वर्गीय जैन भाइओं के लिये दोपहर को २ बजे से यहाँ जैनाचार मुजब नास्ता की भी व्यवस्था करनेका अतिआवश्यक आयोजन हो रहा हैं। For Private and Personal Use Only Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १६६ (२६७) www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वसई रोड (पश्चिम) श्री संभवनाथ भगवान गृह मन्दिर रेलवे स्टेशन के सामने, पहला माला, वसई रोड, जि. थाणा - महाराष्ट्र, टे. फोन : ९१२ - ३२२२५९, ३२२२९५ रतिलालभाई मुंबई के जैन मन्दिर विशेष :- श्री वसई रोड जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ की तरफ से सर्व प्रथम वि.सं. २०१३ के वर्ष में उपाश्रय की स्थापना हुई थी । बाद में १७ वर्षों के बाद.... जिनालय के प्रेरक पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. प्रेरणा से वि.सं. २०३० में यहाँ रमणीय श्री संभवनाथ जिनालय का निर्माण हुआ और उनमें प्रतिष्ठित करने के लिये श्री संभवनाथ प्रभु वगैरह ३ पाषाण प्रतिमाओं की अंजनशलाका उसी वर्ष फागुण वदि-६ आपश्री की निश्रा में धोलवड में हुई थी बाद में परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०३०, वीर सं. २५०० वैशाख वद ११ शुक्रवार ता. १८-५-७४ को चल प्रतिष्ठा महोत्सव बडे ठाठमाठ से हुआ था । यहाँ मूलनायक श्री संभवनाथजी तथा आजू बाजू में श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ एवं श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी- २, अष्टमंगल-२, तथा त्रिमुखदेव यक्ष, दुरितारि देवी यक्षिणी तथा बाहर की ओर श्री मणिभद्रवीर की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। मंदिरजी में चारो तरफ नयी डिझाइनो से रंगीन कांचो को सजाकर मन्दिरजी की शोभा में वृद्धि की गयी हैं। जो बहुत ही आकर्षक और सुन्दर हैं । यहाँ उपासरा, श्री संभवनाथ जैन युवक मण्डल, श्री संभवनाथ जैन महिला मंडल तथा जैन पाठशाला भी चालु हैं। ओलियो के दिनों में आयंबिल करने की व्यवस्था हैं । नूतन आलीशान जैन उपाश्रय जिनालय की प्रतिष्ठा के समय प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजयधर्म सूरीश्वरजी म.सा. की दीर्घद्दष्टि पूर्ण प्रेरणा से अंबाडी रोड पर नूतन जैन उपाश्रय का निर्माण के लिये श्री संघने एक बड़ा भूमिखण्ड खरीद लिया था । - युगदिवाकर गुरु भगवंत का देवलोक होने के बाद प. पू. आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा और मार्गदर्शन मुताबिक उस भूमि खण्ड पर तीन मजली विशाल जैन उपाश्रय का आयोजन श्री संघने किया और वि.सं. २०४४ के चैत्र वदि ५ के दिन पू. आ.भ. श्री विजय महानन्द सूरीश्वरजी म. और पू. आ. भ. श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य निश्रा में नूतन उपाश्रय की भूमिपूजन खनन शिलास्थापना हुई थी । उपाश्रय पूर्ण तैयार होने के बाद वि.सं. २०५१ के फागुण वदि ११ को उस उपाश्रय का उद्घाटन, संघ प्रमुख श्री रतिलाल सोमचन्द शाह के शुभ हस्तो से प.पू. आ.भ. श्री कनकरत्न सूरीश्वरजी, प. पू. आ. भ. श्री For Private and Personal Use Only Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १६७ महानन्दसूरीश्वरजी, प. पू. आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी, प. पू. आ. भ. श्री पद्मानन्दसूरीश्वरजी, आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में हुआ था। उपाश्रय के मुख्यदाता श्री द्वारकादास रतिलाल फाफडीया के नाम से उपाश्रय का नामकरण हुआ था आलीशान और भव्य उपाश्रय के प्रवेश स्थान पर युग दिवाकर गुरु भगवंत के पुण्य स्मरणार्थ “धर्मद्वार" का विशाल आयोजन पू. आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. के मार्गदर्शनानुसार हुआ हैं। (२६८) श्री संभवनाथ भगवान गृह मन्दिर जैन उपाश्रय कम्पाउण्ड, सत्यम् बंगला के बाजू में, अंबाडी रोड, वसई रोड, जि. थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन : ९१२-३३ २३ ००, ३३ २०६६ अरविंदभाई विशेष :- पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. के परिवार के पू.आ.भ. श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म. की प्रेरणा व मार्गदर्शन से श्री वसई रोड श्वे. मू. तप. जैन संघने इस गृह जिनालय का निर्माण वि.सं. २०५२ में किया है, और उसमें आ.भ. श्री सूर्योदय सूरीश्वरजी म. की निश्रा में कांदिवली में वि.सं. २०५३ में अंजनशलाका की हुई श्री संभवनाथ प्रभु की प्रतिमाजी की स्थापना वि.सं. २०५३ का माह सुदि ११ को की गई है। यहाँ मूलनायक श्री संभवनाथ भगवान के साथ पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-२, अष्टमंगल-१ बिराजमान हैं। वसई गाँव (२६९) श्री संभवनाथ भगवान गृह मन्दिर वसई बाजारपेठ, पोष्ट के सामने, वसई गाँव, (स्टे.) वसई रोड, जि. थाणा (महाराष्ट्र). टेलिफोन : रामचन्द्रभाई-(ओ.) ९१२-३२ २३ २६, ९१२-३२ ४३ २६ (घर) विशेष :- श्री वीर विजय श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा वीर संवत २४९८ वि.सं. २०२८ में परमपूज्य साहित्य भूषण मुनिराज श्री कस्तूर सागरजी म. के सदुपदेश से कच्छ बाडा निवासी स्व. श्री रवजी सवा कराणी की धर्मपत्नी स्व. कोरईबाई की पुण्य स्मृति में श्री गांगजी रवजीने गंभारे को बनवाया था। उसके साथ कोडाय निवासी श्री डुंगरशी चेरीटेबल ट्रस्ट की ओर से श्रीमती राजबाई मावजी तथा अन्यजनो के सहयोग से व्याख्यान हॉल बनाकर भेट किया गया था। यहाँ पाषाण की मूलनायक श्री संभवनाथ सहित कुल ३ प्रतिपाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-१, अष्टमंगल-१ तथा इष्ट देवी-देवता सुशोभित हैं। प.पू. आ. भ. श्री मोहन-प्रताप-धर्मसूरीश्वर समुदाय के प. पू. आ.भ. श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य निश्रा में वि.सं. २०५३ में भाईन्दर रथ मन्दिर के अंजन शलाका For Private and Personal Use Only Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६८ मुंबई के जैन मन्दिर के अवसर पर पाषाण के श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान ९+२=११” की अंजनशलाका करवाकर यहाँ मेहमान ने के रुप स्थापना की गई हैं। वर्तमान में श्री संभवनाथ श्वेताम्बर मूर्ति पूजक जैन संघ मन्दिरजी के संचालक हैं। (२७०) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर वसई गांव, झण्डा बाजार, किला रोड, (स्टे.) वसई रोड, जि. थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन : ९१२-३२ २४ २९ खेतशी, कल्याणजी; लखमशी नरशी - ३३२ २२२ विशेष :- श्री अचलगच्छ जैन देरासर ट्रस्ट द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस मन्दिरजी की प्रतिष्ठा तथा उपाश्रय एवं विविधलक्षी हॉल की उद्घाटन विधि अचलगच्छाधिपति परम पूज्य आचार्य श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म. के शिष्य पूज्य मुनिराज श्री महोदय सागरजी म. आदि मुनि भगवंतो की शुभ निश्रा में वीर संवत २५१२ वि.सं. २०४२ का फागुण सुदी २ ता. १२-३-८६ बुधवार को हुई थी। यहाँ के जिनालय में श्री वासुपूज्य स्वामी मूलनायक तथा आजू बाजू में श्री अभिनन्दन स्वामी, श्री महावीर स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-२ विश स्थानक-१ तथा सुरकुमार यक्ष, चंडादेवी यक्षिणी तथा पद्मावती देवी व श्री महाकाली देवी की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। यहाँ श्री वसई कच्छी जैन युवक मण्डल, श्री वासुपूज्य महिला मण्डल श्री वासुपूज्य भक्ति मण्डल तथा आयंबिल शाला व पाठशाला की व्यवस्था हैं। वसई (पूर्व) (२७१) श्री नेमिनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय __गोखीरा, शक्तिनगर, एव्हरशाईन, वसई (पूर्व), जि. थाणा, (महाराष्ट्र) टेलिफोन : ९१२-३३ २३ ००, ३३ २०६६ - अरविन्दभाई विशेष :- श्री गोखीरा श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस शिखरबंदी जिनालय का भूमिपूजन परम पूज्य भुवनभानु सूरि समुदाय के के पन्यासजी श्री वरबोध विजयजी म. सा. की पावन निश्रा में वि.सं. २०५४ का वैशाख वद ७ रविवार ता. १९-४-९८ को हुआ था, एवं शिला स्थापना परम पूज्य आ. श्री भुवनभानु सूरि समुदाय के पू. पं. श्री कनकसुन्दर विजयजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०५४ का वैशाख वदि ११ शुक्रवार ता. २२५-९८ को हुई थी। For Private and Personal Use Only Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १६९ शंखेश्वरधाम (२७२) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय नेशनल हाईवे रोड नं. ८, वसई - भीवण्डी रोड, पुण्यधाम, मु. कामण गाम, ता. वसई, जि. थाणा (महाराष्ट्र). टेलिफोन : ३६२ ५९ ७९ - शान्तिचन्द्र भाई, ४३७ ०१ ७१, ४३६ २३ ६१ - भाईलाल भाई, ३६७ २६ ४५, ३६३ ३० २६ - विनुभाई, ३६४ ९० ३१, ३६८ १३ ६८ - माणेकभाई। विशेष :- तीर्थ स्वरूप इस जिनालय का निर्माण परम पूज्य आ. भ. श्री विजय विक्रमसूरीश्वरजी म. सा. के दिव्य आशीर्वाद से, परम पूज्य आ. भ. श्री जिनभद्रसूरीश्वरजी म. सा. की पावन निश्रा में परम पूज्य आ. भ. श्री यशोवर्मसूरीश्वरजी म. सा. एवं परम पूज्य साध्वीजी श्री विनीतमाला श्रीजी की प्रेरणा से वसई - भीवण्डी रोड पर कामण गाँव से २ १/२ कि.मी. की दूर हो रहा हैं। उनका मुख्य सहयोग दाता श्री मती वीणाबेन शान्तिचन्द्र झव्हेरी (सुरत - वालकेश्वर - जापान) हैं। जहाँ नवकार मंत्र मंन्दिर, साधना मन्दिर आदि का आयोजन होनेवाला हैं। इस तीर्थ के मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान की भव्य प्रतिमाजी अ. सौ. वीणाबेन शांतिचन्द्र झव्हेरी द्वारा भराई गई हैं जो इसवक्त मीरा रोड के शान्तिनगर स्थित श्री आदीश्वर भगवान के गृह मन्दिर में मेहमान के रूप में बिराजमान हैं। _ वि. सं. २०५४ के साल में आसौ सुदि ११ से आपश्री की निश्रा में श्री वस्तुपालजी भीमराजजी जैन द्वारा आयोजित उपधान तप के मंगल अवसर पर यहाँ पर गृह मन्दिर की स्थापना हुई थी । जहाँ पर २२०० वर्ष प्राचीन श्री अभीझरा मुनिसुव्रत स्वामी, एवं श्री नेमिनाथ प्रभु की पाषाण की २ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ बिराजमान किये थे। नोट :- वसई - नायगाँव के रेलवे स्टेशन से कामणगाम जाने के लिये बस - रीक्षा की व्यवस्था हैं। जालासोपारा (पश्चिम) (२७३) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर ४०१+२०३ डॉ. सामेल रोड, गाँव सोपारा, स्टे. नालासोपारा, जि. थाणा (महाराष्ट्र). टेलिफोन : ९१२ - ३२२४२९ - कल्याणजी विशेष :- वीर संवत २४९७ वि. संवत २०२७ में जैन उपाश्रय की जमीन खरीदी के लिये स्व. धनजी वेलजी देढीया तथा उनकी धर्मपत्नी मांकबाई के आत्म श्रेयार्थे उनके सुपुत्र श्रीमान मावजीभाई तथा पुत्रवधू मोंघीबाईने नालासोपारा अचलगच्छ जैन संघ को आर्थिक सहयोग देकर लाभ लिया था। For Private and Personal Use Only Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७० मुंबई के जैन मन्दिर श्री कच्छी श्वेताम्बर मूर्तिपूजक अलचगच्छ जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस मन्दिरजी में पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा से चेम्बुर तीर्थ से प्राप्त प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा वि.सं. २०३० का जेठ सुदि १० को परम पूज्य लब्धि-लक्ष्मण के शिशु आ. श्री विजय कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान तथा आजू बाजू में श्री शान्तिनाथ प्रभु श्री वासुपूज्य स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-२, अष्टमंगल-२ तथा पावापुरी शोकेस के अलावा पहाडी के दृश्य के रुप में श्री शत्रुजय, श्री गिरनारजी, श्री सम्मेतशिखरजी, श्री आबुजी - अचलगढ महातीर्थो की रचना बनाई गई हैं। नीचे हॉल में पहले माले पर उपाश्रय तथा दूसरी मंजिल पर मन्दिरजी शोभायमान हैं। जैन पाठशाला भी चालु हैं । सोपारा गाँव की भूमि को पवित्र माना गया हैं। श्रीपाल राजा की नौवी शादी इसी पूण्य भूमि पर हुई थी। शेठ मोतीशाह द्वारा तालाब बनवाते समय खुदाई करते ही भूमि में से श्यामवर्णीय श्री मुनि सुव्रत स्वामी की पाषाण की मूर्ति प्राप्त हुई थी। जिस मूर्ति को आगाशी में मन्दिर बनाकर मूलनायक के रुप में स्थापित करने में आई थी, उस समय प्रथम प्रतिष्ठा भी सेठ श्री मोतीशाह अमीचंद के कर कमलो से हुई थी। नालासोपारा (पूर्व) (२७४) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर 'महावीर ज्योत' बिल्डिंग, ग्राउण्ड फ्लोर, रेल्वे स्टेशन के सामने, नालासोपारा (पूर्व), जि. थाणा, (महाराष्ट्र) ४०१ २०५५ टेलिफोन-९१२-३७ २२ ०७ देवीचन्दजी विशेष :- परम पूज्य आ. श्री विजय नेमि सूरीश्वरजी म. समुदाय के आ. श्री विजय देव सूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय हेमचंद्र सूरीश्वरजी म., मुनिराज श्री सिंहसेन विजयजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०४३ का वैशाख सुदि ११ शनिवार ता. ९-५-८७ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ के मन्दिरजी में श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ, श्री कल्याण पार्श्वनाथ की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-४, अष्टमंगल-१ तथा पार्श्वयक्ष, पद्मावती देवी भी बिराजमान हैं। श्री आत्म-वल्लभ समुदाय के साध्वीजी श्री कमलप्रभाश्रीजी, श्री कुमुदप्रभाश्रीजी की प्रेरणा से श्री मुनिसुव्रत जैन युवक मण्डल के संचालन में श्री मुनिसुव्रत जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। मुनिसुव्रत एपार्टमेन्ट के प्रथम माले पर श्रीमती वांसतीबेन डुंगरशी टोकरशी (गाम कोटडा - रोहा कच्छ) आराधना भुवन तथा मुनिसुव्रत उपाश्रय हैं। For Private and Personal Use Only Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर - (२७५) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर श्री आत्मवल्लभ सोसायटी, बिल्डिंग नं. ४, पहला माला, आचोले रोड, नालासोपारा (पूर्व), जि. थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन-३४३ ६० ०२ - श्री आत्मानन्द जैन सभा विशेष :- आत्म वल्लभ जैन ट्रस्ट द्वारा इस गृह मन्दिरजी की स्थापना श्री हेमराज मुरजी छेडा परिवार वालो की तरफ से वि.सं. २०४३ का अषाढ सुदि ६ को हुई थी। यहाँ के गृह मन्दिर में पाषाण की। प्रतिमाजी मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी की, तथा पंच धातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-३, अष्टमंगल-२ शोभायमान हैं। (२७६) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर पद्मावती एपार्टमेन्ट कम्पाउण्ड में, मजरीया पार्क के बाजू में, आचोले रोड, नालासोपारा (पूर्व) जि. थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन-राजुभाई-३७५ ५५ २२, मनहरभाई-९१२-४० २३५३ विशेष :- श्री आचोले श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ नालासोपारा इस मन्दिरजी के संस्थापक हैं, एवं संचालक श्री पार्श्वनाथ चेरीटेबल ट्रस्ट और श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन ट्रस्ट आगाशी हैं। परम पूज्य आ. विजय नेमिसूरि समुदाय के आ. विजय दक्षसूरीश्वरजी म. के शिष्य पन्यास श्री प्रभाकर विजयजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०४७ का आषाढ सुदि ६ को चल प्रतिष्ठा हई थी। यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान तथा आजू बाजू में श्री महावीर स्वामी की तथा श्री शान्तिनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-१, अष्टमंगल१, यंत्र-१ तथा ३ देव-देवीयो की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। यहाँ श्री नूतन जैन पाठशाला, श्री पार्श्व जैन महिला मण्डल, श्री सामायिक मण्डल, उपासरा व चैत्र-आसौ मे ओली करने की व्यवस्था हैं। (२७७) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर वीरा एपार्टमेन्ट ग्राउण्ड फ्लोर, गार्डन व्युह तुलींज रोड, नालासोपारा (पूर्व), जि. थाणा (महाराष्ट्र)-४०१ २०९ टेलिफोन-९१२-३७ ४५ ५५, ३७ २५ १५ - वसंतभाई विशेष :- अचलगच्छाधिपति आचार्य श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म. के शिष्य श्री महोदय सागरजी म. ठाणा-३ वि.सं. २०४२ के चातुर्मास अन्तर्गत १५० दिनो तक २४ घंटे तालबद्ध अखण्ड नवकार मंत्र के जाप के अनुमोदना निमित्त कच्छ कुंडरोडीया निवासी श्री कुंवरजी हेमराज छेडा परिवार For Private and Personal Use Only Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७२ मुंबई के जैन मन्दिर (छेडा ज्वेलर्स) की तरफ से यह आरस की देहरी तथा पंचधातु की देहरी सहित श्री वासुपूज्य स्वामी को बिराजित कर श्री अचलगच्छ जैन संघ नालासोपारा (पूर्व) को अर्पण किया गया। पूज्य आ. श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म. आदि २४ मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०४३ का मगसर वदि ६ सोमवार को चल प्रतिष्ठा हुई थी। __श्री नाला सोपारा स्टेशन अचलगच्छ जैन संघ संचालित श्री वासुपूज्य स्वामी जिनालय, श्री आयंबिल खाता, श्री लक्ष्मीबेन नानजीरामजी नवावास जैन धार्मिक लायब्रेरी (ज्ञान भण्डार), श्री नानजीभाई श्री रामजीभाई जैन उपाश्रय एवं चबुतरा । इसके अलावा यहाँ श्री जयशेखर गुण सामायिक मण्डल, समयश्री गुण महिला मण्डल एवं श्री आदीश्वर जैन मंडल की व्यवस्था हैं। (२७८) श्री आदिनाथ भगवान गह मन्दिर आदीश्वर एपार्टमेन्ट कम्पाउण्ड, शान्ति नगर के पीछे, तुलींज रोड, ___ नाला सोपारा (पूर्व), जि. थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन-९१२-४० २३ ७४ मनुभाई, ३८० ६५ ७१, ३८० ६५ ७२-इंदुबेन, रमेशभाई विशेष :- श्री शुभ मंगल श्वेताम्बर मू.पू. जैन संघ नालासोपारा (पूर्व)द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. विजय भुवनभानु सूरि समुदाय के आ. विजय हेमरत्न सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५४ का जेठ सुदि १२ शनिवार ता. ६-६-९८ को हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री आदिनाथ प्रभु २१" आजू बाजूमें श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु १७” एवं श्री चंद्रप्रभ स्वामी१७” की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ३ प्रतिमाजी सिद्धचक्रजी-१, वीसस्थानक यंत्र-१ तथा श्री मणिभद्रवीर, श्री पद्मावती देवी एवं श्री प्रासाद देवी भी बिराजमान हैं। इइ गृह मन्दिरजी के लिये भूमि सप्रेम भेट अ.सौ. इंदुबेन रमेशचंद्र गिरधरलाल वसा आदि परिवार की तरफ से मिली हैं। यहाँ श्री आत्मवल्लभ स्वावलंबन महिला केन्द्र, श्री आत्मवल्लभ मंगल मंदिर मंडल, श्री अलर्ट यंग ग्रुप ऑफ नाला सोपारा आदि संस्थाएँ अग्रणीय है। (२७९) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर स्टेशन के नजदीक, सेन्ट्रल पार्क, यमुना बिल्डिंग, प्लोट नं. ३६-३७, नाला सोपारा (पूर्व) जि. थाणा, (महाराष्ट्र). टेलिफोन-९१२-४० ४० ७८, ४० ४० २४ - हेमंतभाई, ३६९ ११८८ निकुंजभाई. विशेष :- श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ मूर्ति पूजक तपगच्छ जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर का भूमिपूजन खनन मंगल प्रारंभ वि. सं. २०५४ वैशाख सुदि द्वितीय दसमी बुधवार For Private and Personal Use Only Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १७३ ता. ६-५-९८ को परम पूज्य आ. श्री विजय मोहन-प्रताप-धर्मसूरीश्वरजी म. समुदाय के प. प. पू. शासन प्रभावक आ.भ. श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म., साहित्य सर्जक मुनिराज श्री राजरत्नविजयजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में हुआ था, तथा शिला स्थापना २०५४ का वैशाख वद २, वार बुध, तारीख १३-५-९८ को हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान २५" + ६" = ३१" तथा आजू बाजू में श्री आदीश्वर भगवान २१" व श्री महावीर स्वामी २१” बिराजमान होनेवाले हैं। यहाँ विशानिमा जैन युवक मण्डल की व्यवस्था हैं। इस गृह मन्दिर के लिये भूमि दान एस. एस. कोर्पोरेशन के श्री महेन्द्रभाई कांतिलाल सावला और ठाकरजी मेघजी सेठिया ने किया है। नाला सोपारा का यह नूतन और स्वच्छ सुन्दर विस्तार हैं । स्टेशन से बडा नया रास्ता ७० फुट का बन रहा हैं, जो विरार (पूर्व) तक जाने वाला है । वहाँ सेन्ट्रल पार्क के उत्साही और धर्म भावनाशील जैन युवकोने धर्म साधना और जिन भक्ति के लिये यह आयोजन किया था। यहाँ जैन उपाश्रय एवं जैन पाठशाला आदि का भी आयोजन हो रहा हैं। प. पू. आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणासे जिनालय और उपाश्रयका लाभ श्री भोगीलाल मोहनलाल महेताने लिया है। | विरार (पश्चिम) (२८०) श्री संभवनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय रेल्वे स्टेशन के नजदीक, विरार - ४०१ ३०३ (प.) जि. थाणा, (महाराष्ट्र) टेलिफोन-ऑ.-९१२-५८२२३८ कुन्दनमलजी - ३७३ ४१ ०७ (घर), ३४२ २९ ८७, मगनलालजी-३४३ ०६ ९७ विशेष :- यहाँ के जिनालय और उपाश्रय हॉल के लिये जमीन सप्रेम भेट के रुप में राजस्थान के नोवी गाँव के निवासी हाल विरार शा. कपूरचन्दजी चेनाजी वालो की तरफ से मिली हैं। इस जिनालय के संस्थापक एवं संचालक श्री मरुधर विशा पोरवाल जैन पेढी, विजय वल्लभ चौक, पायधुनी - मुम्बई हैं। इसकी भव्य प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय रामसूरीश्वरजी म. (डेहला वाले) आदि मुनि मण्डल की पावन निश्रा में वि.सं. २०२५ का माह सुदि ७ शुक्रवार को हुई थी। यहाँ के जिन प्रासाद में आरस की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ९ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-३, अष्टमंगल-१ तथा श्री गौतम स्वामी गणधर, आचार्य श्री विजय सुरेन्द्र सूरीश्वरजी म. एवं यक्ष यक्षिणी की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। यहाँ की दिवारो पर आरस पत्थर पर खुदे हुए अनेक तीर्थो के पट तथा ऐतिहासिक चित्रो के रंग-रंगिले दृश्यो को देखकर मन मोहित हो जाता हैं। For Private and Personal Use Only Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १७४ www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर यहाँ नूतन वर्धमान तप आयंबिल शाला, श्री संभवजिन आराधक मण्डल, राजस्थान महिला मण्डल, संभवनाथ महिला मंडल, कबुतरो को दाने डालने का अच्छा संचालन हैं । श्री संभवनाथ जैन लायब्रेरी तथा शा. भबुतमलजी वरदीचंदजी बांकलीवाला संचालित जैन पाठशाला चालु हैं। (२८१) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर कंचन विला, कम्पाउण्ड में, श्री संभवनाथ जिनालय के आगे रेल्वे स्टेशन के नजदीक, विरार- ४०१३०३ जि. थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन - ९१२-५८ २४ १७ - नटवरलालभाई विशेष :- इस गृह मन्दिर को श्रीमती कंचनबेन नटवरलाल फरिया परिवारवालो ने बनाकर स्थापना की हैं। परम पूज्य नंदीसेन सागरजी महाराज साहेबजी की पावन निश्रा में वि.सं. २०३८ का वैशाख सुदि १३ को चल प्रतिष्ठा हुई थी । यहाँ आरस की १ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ एवं अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। (२८२) श्री आदिनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय शीतल नगर, कम्पाउण्ड में, आगाशी रोड, स्टे. विरार, जि. थाणा, ( महाराष्ट्र ) टेलिफोन - ९१२-५८ २०७४ भँवरजी, मोहनजी विशेष :- सिद्धान्त महोदधि आचार्य भगवन्त विजय प्रेम सूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. विजय श्री मुक्तिचन्द्र सूरीश्वरजी म., पंन्यासजी श्री अमरगुप्त विजयजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०४५ का माह सुदि १०, ता. १५-२-८९, बुधवार भव्य प्रतिष्ठा हुई थी । यहां मूलनायक श्री आदिनाथ प्रभु तथा आजू बाजू में श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री शान्तिनाथजी सहित पाषाण की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३ एवं अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं । इस जिनालय के संस्थापक एवं संचालक श्री मोहनलाल अजयराज मेहता रीलिजियस ट्रस्ट हैं। आराधना भवन उपाश्रय श्री हरि एपार्टमेन्ट, सुमन कॉम्पलेक्ष आगाशी रोड, स्टे. विरार जि. थाणा, महाराष्ट्र-४०१ ३०३ विशेष :- श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ आराधना भवन में पू. आ. श्री वीर शेखर सूरीश्वरजी जैन ज्ञान भण्डार ट्रस्ट का उद्घाटन आ. विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री For Private and Personal Use Only Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १७५ विजय ललितशेखर सूरीश्वरजी म., प.पू. आ. श्री विजय राजशेखर सूरीश्वरजी म., प.पू.आ. श्री विजय वीर शेखर सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०५४ का वैशाख वद ११ शुक्रवार ता. २२-५-९८ को ठाठ माठ से हुआ था। (२८३) श्री भीडभंजन पार्श्वनाथ भगवान गृहमन्दिर श्रीपाल कॉम्लेक्ष, न्यु शिवम् के सामने पोस्ट - विरार (वे.), विरार - आगाशी रोड, स्टे. विरार जि. थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन-९१२-५०४० ४३ सुरेशभाई, ९१२-५०४८६२ - दिनेशभाई विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री भीडभंजन पार्श्वनाथ श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ है। सिद्धान्त महोदधि प्रेम + रामचन्द्रसूरि समुदाय के आचार्य भगवंत श्री विजय ललित शेखर सूरीश्वरजी म. के. शिष्य आ. भ. श्री विजय राजशेखरसूरीश्वरजी म. के. शिष्य आ. श्री विजय वीरशेखर सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५४ का भादवा सुदि १ ता. २३-८-९८ रविवार को भगवान बिराजमान किये थे। यहाँ पाषाण की भीडभंजन पार्श्वनाथ भगवान की एक प्रतिमाजी, पंचधातु की एक प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ बिराजमान है। यहाँ भीडभंजन पार्श्वनाथ महिला मंडल भी है। (२८४) श्री आदिनाथ भगवान गृह मन्दिर कुसुम विहार, डी बिल्डींग ग्राउण्ड फ्लोर, एम. बी. इस्टेट, दत्तमन्दिर रोड, विरार - आगाशी रोड, स्टे. विरार जि. थाणा (महाराष्ट्र). टेलिफोन-९१२ - ५०४७७२ नेनमलजी, ९१२ - ५०१ ०६७ -चंपालालजी विशेष :- यहाँ के गृह मन्दिरजी का संचालन कुसुम विहार के जैन भाईयो की तरफ से हो रहा हैं। इसकी स्थापना वि. सं. २०४६ का आषाढ सुदि - १० को हुई थी। यहाँ पंचधातु की एक प्रतिमाजी एवं एक सिद्धचक्रजी सुशोभित है। (२८५) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान कमलाकार जिनालय आगाशी - विरार रोड, चेकनाका, चुंगी चौकी नं. १ के पास, स्टे. विरार, जि. थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन श्री रुपेशभाई (नागोरवाले)-६३१ २० ४१, अनिल जे. शाह-३८६ ८१ १२, ३८५ ३० ७४, मिश्रीमलजी - ५४७ १० ८८, ५४७ ०० ९१ (R.) For Private and Personal Use Only Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७६ मुंबई के जैन मन्दिर - विशेष :- इस शुभ क्षेत्र का खात मुहूर्त एवं शिलान्यास इस जिनालय के संस्थापक श्रेष्ठिवर्य श्री रूपेशकुमारजी ताराचन्दजी जैन नागोर (राज.) निवासी ने बड़े ठाठ माठ से तारीख ५-१-६३ को कराया था। आपश्रीने संचालन का भार ता. २४-१२-१९९७ को श्री पीयूषपाणि स्थापत्य संग्रहालय ट्रस्ट को समर्पित किया हैं। यहाँ के जिनालय में मूलनायक के रुप श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान की पाषाण की ३१" की प्रतिमाजी बिराजमान होनेवाली हैं। उपर के गंभारे में श्री मुनिसुव्रत स्वामी २५" श्री ऋषभदेव स्वामी की २१" श्री शान्तिनाथ भगवान की २१" की आरस की ३ प्रतिमाजी तथा योगिराज आबुवाले श्री शांति सूरीश्वरजी म. की ५१" की प्रतिमाजी एवं श्री नाकोड़ा भैरुजी व श्री मणिभद्रवीर की प्रतिमाजी भी बिराजमान करने की योजना हैं। आगाशी गाँव (२८६) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय आगाशी चालपेठ, गाँव-पोष्ट आगाशी, स्टे. विरार, जि. थाणा, (महाराष्ट्र) टेलिफोन : ९१२-५८ ७६ १८, ५८७५ १८ - खीमराजजी, ३८६ ४१५६-महेन्द्रभाई विशेष :- मुंबई-पश्चिम रेल्वे लाईन का विरार स्टेशन से ५ कि.मी. आगाशी गाँव का यह प्राचीन सुप्रसिद्ध जैन तीर्थ हैं । मुंबईवासियो के लिये उपनगर का सबसे लोकप्रिय तीर्थ के रुप में प्रचलित हैं। प्रतिवर्ष चैत्री-कार्तिकी पूर्णिमा को हजारो की संख्या में दर्शन-सेवा-पूजा के लिये पधारते हैं। इसके अलावा प्रति शनिवार - रविवार तथा अन्य दिनों में भी भक्तजनो का आना जाना चालु ही रहता हैं। यहाँ पधारने वाले यात्रालु भाईयो के लिये प्रतिदिन ८ से १२ तक भाता की व्यवस्था हैं। सुप्रसिद्ध मन्दिर निर्माता श्रावक शिरोमणि सेठ श्री मोतीचन्द (मोतीशा) अमीचन्द ने लगभग १६२ वर्ष पहले जिनालय बनवाकर आपके ही कर कमलो द्वारा वि.सं. १८९२ फागुण वद २ को भव्य प्रतिष्ठा कराई थी। उसके बाद श्री जैन संघ की तरफ से मन्दिरजी का जीर्णोद्धार हुआ एवं वि.सं १९६७ का माह सुदि १० को खूब ठाठ माठ से पुन: प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न हुआ था। इसी माह सुदि १० को प्रतिवर्ष खूब उल्लास उमंग के साथ ध्वजा चढाकर वर्षगांठ मनाते हैं। जिनालय में आरस की २९ प्रतिमाजी, पंचधातु की १८ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-५ एवं चांदी के १० सिद्धचक्रजी वगैरह प्रतिमाजी का दर्शन कर आनन्द से झुम जाते हैं। यहाँ के मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी की प्रतिमाजी नालासोपारा के तालाव से प्राप्त हुई हैं। यह मूर्ति श्रीपालराजा के समय की खूब प्राचीन और चमत्कारिक कही जाती हैं। आजकल जीर्णोद्धार चालु हैं। For Private and Personal Use Only Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १७७ मन्दिरजी के सामने ही मन्दिरजी की ऑफिस व दो पुरानी धर्मशालाएँ हैं (१) महुवा निवासी सेठ वीरचन्द गाँधी सेनेटरीयम (२) सेठ चन्दुभाई वच्छराज सेनेटरीयम । सेठ रुपचन्द लल्लुभाई झव्हेरी नूतन धर्मशाला का उद्घाटन वि.सं. २०२६ का चैत्र वद ५ रविवार ता. २६-४-७६ को श्रीमती ललिताबेन लल्लुभाई झव्हेरी के कर कमलो से हुआ था। यहाँ उपाश्रय, पाठशाला आयंबिल शाला की व्यवस्था हैं। इस तीर्थ के वर्तमान संचालक श्री आगाशी जैन देरासर टेम्पल एण्ड चेरीटीज ट्रस्ट हैं। जैन भोजनशाला :- यहाँ यात्रालु भाईयों के लिये जैन भोजनशाला की अति सुन्दर व्यवस्था हैं। (२८७) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर पारेख वाडी, पोष्ट ऑफिस के सामने, आगाशी जैन मन्दिर रोड, आगाशी स्टे. विरार, जि. थाणा, (महाराष्ट्र) विशेष :- इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक सेठ श्री मणिलाल हरजीवन पारेख है। जब हम रीक्षा या बस द्वारा आगाशी चालपेठ की ओर जाएगे तो सर्व प्रथम यह गृह मन्दिर दर्शनीय हैं। ___ इस गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य श्री विजय सुरेन्द्रसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य विजय राम सुरीश्वरजी म. (डेहलावाले) की पावन निश्रा में हुई थी। यहाँ मूलनायक पंचधातु के श्री वासुपूज्य स्वामी, पंचधातु के श्री मुनिसुव्रत स्वामी तथा आरस की एक शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-१, अष्टमंगल-१ शोभायमान हैं। (२८८) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान समवसरण महा मन्दिर आगाशी जैन मन्दिर रोड, आगाशी, स्टे. विरार, जि. थाणा (महाराष्ट्र) टष. ओ. - ९१२-५८ ७३ ४९ दिलीपभाई - ८४० ३१ ६७, मुकुंदभाई-८४० २१ २१ विशेष :- भारत के अप्रतिम महातीर्थ श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ समवसरण महामन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्री पार्श्वनाथ चेरीटेबल ट्रस्ट एवं श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन ट्रस्ट हैं। समवसरण महामन्दिर यह विशाल - ३ खण्डों में बना हुआ अति सुन्दर दिखाई रहा हैं। परम पूज्य शासन सम्राट आ.भ. श्री नेमि सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. भगवंत विजय लावण्य सूरीश्वरजी म. के शिशु आ. श्री विजय दक्षसूरीश्वरजी म. व पन्यासजी श्री प्रभाकर विजयजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में प्रतिष्ठा वि.सं. २०४६ का वैशाख सुदि ६ ता. ३०-४-९० को हुई थी। For Private and Personal Use Only Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १७८ www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर ३ खण्डो में सर्व प्रथम जब हम नीचे के भाग में दर्शन के लिये जाते हैं, तो शंखेश्वर पार्श्वप्रभुजी की आरस की चमुखी प्रतिमाजी तथा वर्तमान चोविशी की आरस की २४ प्रतिमाजी, पंच धातु १३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १३ तथा अष्टमंगल - ६ का दर्शन होता हैं । की Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जब प्रथम खण्ड पर दर्शन के लिये जाते हैं तो महाविदेह क्षेत्र में विचरनेवाले २० विहरमाण तीर्थंकर प्रभुजी की २० प्रतिमाजी आरस की तथा चऊमुखी आरस की चार प्रतिमाजी शाश्वता जिनेश्वरो श्री ऋषभदेव स्वामी, श्री चन्द्रानन स्वामी, श्री वर्धमान स्वामी, श्री वारिषेण स्वामी का दर्शन होता हैं । द्वितिय खण्ड पर पंच धातु की श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान की ४ प्रतिमाजी बिराजमान हैं । तृतीय खण्ड पर आरस की श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान की ४ प्रतिमाजी बिराजमान हैं । पद्मावती देवी के मन्दिर में श्री पद्मावती देवी - २, चक्रेश्वरी देवी-१, अंबिका देवी - १ सरस्वती देवी-१, लक्ष्मीदेवी-१, तथा १६ विद्या देवीयो के साथ २२ आरस की प्रतिमाजी सुशोभित हैं । 1 गुरुदेवो के मंदिर में गणधर श्री पुंडरीक स्वामी, गणधर श्री गौतम स्वामी, गणधर श्री सुधर्मा स्वामी, तथा आचार्य भगवंत श्री विजय नेमिसूरीश्वरजी म. तथा आचार्य भगवंत श्री लावण्य सूरीश्वरजी म. की ५ गुरु प्रतिमाजी शोभायमान हो रही हैं । बाहरी भाग में श्री मणिभद्रवीर एवं श्री नाकोड़ा भैरुजी की अलग अलग देहरीयाँ दर्शनीय हैं। यहाँ धर्मशाला, उपासरा, जैन पाठशाला तथा यहाँ के ट्रस्ट मण्डल द्वारा जैन भोजनशाला की सुन्दर व्यवस्था हैं । यहाँ श्री पार्श्व - पद्मावती फाउन्डेशन युवा संघ, श्री नमस्कार मित्र मण्डल, श्री पार्श्व जिन भक्ति महिला मण्डल भक्ति भावना में अग्रसर हैं । (२८९) आचार्य भगवंत विजय दक्षसूरीश्वरजी म. का समाधि मन्दिर : वि.सं. २०४९ का फागुण वदि ४ ता. ११-३-९३ को ९.५५ मिनट पर आराधना भवन भीवण्डी में आपका स्वर्गवास हुआ था। तथा अग्नि संस्कार वि.सं. २०४९ का फागुण वदि ५ ता. १२-३-९३ को पार्श्वनगर आगाशी में हुआ था। जहाँ आज उनकी स्मृति, समाधि मन्दिर में, समवसरण जिनालय के सामने ही सुशोभित हैं । ❀ श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर चालपेठ, आगाशी तीर्थ मन्दिर के सामने की लाईन में जयेश भुवन, आगाशी (स्टे.) विरार, जि. थाणा (महाराष्ट्र ) टेलिफोन-९१२-५८ ७५४९, मूलचंदभाई मुनवार- २८७२२२७, २८७ २११४ विशेष :- श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक आगाशी अचलगच्छ जैन संघ संचालित कच्छ कोटडी महादेवपुरी निवासी मातुश्री अमृतबेन मोनजी तथा दादी माँ मालबाई कोरशी देढीया निर्मित जयेश भुवन For Private and Personal Use Only Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर में गृहमन्दिर में मेहमान के रुप में बिराजमान मूलनायक श्री मुनिसव्रत स्वामी सहित पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-७, विशस्थानक - १ एवं अष्टमंगल-४ सुशोभित हैं। १७९ परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री कलाप्रभ सागर सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में विलेपार्ले में अंजन शलाका की हुई प्रतिमाजी लाकर ता. २३-५-९४ को स्थापना की गई है। यहाॅ दामजी शामजी शाह (गढशीशा) अतिथि गृह, श्री शिवजी गोसर गाला (फरादीवाला) अतिथि भवन, हसमुख कल्याणजी भगत ( खाडीया गणेशवाला) व्याख्यान हॉल, मातुश्री लाखाणीबाई रामजी गाला (रायणवाला) नवनीत विविध लक्षी हॉल, देवकाबाई रतनशी (नवावासवाला) स्वाध्याय लक्ष्मी हॉल, मातुश्री पुरबाई चांदशी गाला (फरादीवाला) ओफिस रुम, श्रीमती चंचलबेन जगशी छेड (लायजावाला) भोजनशाला की व्यवस्था हैं । इन सभी आयोजनो में प्रेरणा दाता आ. स्वर्गस्थ गुणसागर सूरीश्वरजी म. साहेबजी तथा वर्तमान गच्छाधिपति तपस्वी आ. श्री गुणोदयसागर सूरीश्वरजी म. एवं आचार्य श्री कलाप्रभ सागर सूरीश्वरजी म. का आर्शीवाद प्राप्त हुआ था । ❀ विरार (पूर्व) ( २९० ) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर इन्द्रपस्थ बिल्डिंग, तीसरा माला, गावडे वाडी, रेल्वे स्टेशन के नजदीक, विरार (पूर्व), जि. थाणा, (महाराष्ट्र) टेलीफोन - ९१२ - २९१६ सेसमलजी भगाजी पादरली. विशेष :- श्री वर्धमान दर्शन आराधक सेवा समिति द्वारा निर्मित इस जिनालय की चल प्रतिष्ठा आचार्य भगवंत श्री सागरानंद सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य दर्शन- नित्योदय-चन्द्रानन सागर आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०४७ का वैशाख वदि -५ रविवार ता. २-६९१ को वीर सं. २५१७ में हुई थी । श्री अरिहन्त टॉवर जैन संघ भायखला ( पूर्व ) द्वारा श्री शान्तिनाथ जैन देरासर विरार (पूर्व) के वर्धमान दर्शन आराधक सेवा समिति को उदारता पूर्वक सहयोग मिला हैं । यहाँ के जिनालय में मूलनायक श्री शान्तिनाथ तथा आजू बाजू में श्री पार्श्वनाथ भगवान, श्री आदिनाथ भगवान की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-१, अष्टमंगल१ के अलावा यक्ष-य - यक्षिणी, नाकोड़ा भैरुजी, पद्मावती ये चार प्रतिमाजी पाषाण की बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only मन्दिर के बाजू में ही अ.सौ. कुसुमबेन रसिकलाल दोशी महेश हॉल में श्री घोघारी वीशा जैन समाज द्वारा पाठशाला चालु हैं । इसके अलावा श्री शान्ति जिन महिला मण्डल, श्री भैरव भक्ति मण्डल की व्यवस्था हैं । Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८० मुंबई के जैन मन्दिर (२९१) श्री महावीर स्वामी भगवान गृह मन्दिर परमात्मा पार्क, चन्दनसार रोड, विरार (पूर्व), जि. थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन-९१२-५८ २४ १७ - नटवरलालभाई विशेष :- विरार (पूर्व) में परमात्मा पार्क, गुणपुरी नगरी में परम पूज्य अचलगच्छाधिपति आ. श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. श्री कलाप्रभ सागर सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में श्री महावीर स्वामी मन्दिर की प्रतिष्ठा इस मन्दिर के निर्माता कच्छ कोडाय के वसंतभाई रवजी लालनके कर कमलो से वि.सं. २०४३ का मगसर वदि १२ को हुई थी। यहाँ पाषाण के मूलनायक श्री महावीर स्वामी, श्री अनंतनाथ प्रभु, श्री विमलनाथ प्रभु सहित पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ६ प्रतिमाजी, विशस्थानक-२, सिद्धचक्रजी-२ एवं अष्टमंगल२ बिराजमान हैं। यहाँ स्व. डॉ . सुरेन्द्रभाई भोगीलाल जैन उपाश्रय, चन्द्रा-सुरेन्द्र जिन आराधना भवन, श्री सामायिक मण्डल, श्री महिला मण्डल, जैन पाठशाला व ऑलियो के दिनों में आयंबिल की व्यवस्था हैं। सूचना : विरार स्टेशन से रीक्षा या बस की सुन्दर व्यवस्था है। श्री पीयूषपाणि पार्श्वनाथ धाम (२९२) श्री पीयूषपाणि पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय वरसावा पो. मीरा, जि. थाणा पिन-४०१ १०४ (महाराष्ट्र) टे. फोन : (ओ.) ८११ ७४ १४, अनील जे. शाह-३८६८११२, ३८६ ३० ७६, मिसरीमलजी-५४७१०८८, ५४७ ०० ९१ विशेष :- दहिसर चेकनाका से ४ कि.मी. बोरिवली रेल्वे स्टेशन से ७ कि.मी. मीरा रोड से ९ कि.मी., भाईन्दर से ८ कि.मी. मानपाडा से १२ कि.मी., थाणा से १७ कि.मी., तथा सिरसाड से २२ कि.मी., दूर यह स्थान बिल्कुल केन्द्र में होने से पूज्य श्रमण-श्रमणी भगवन्तो का महत्वपूर्ण एक विश्राम स्थान बन गया हैं। उत्तुंग केनेरी गिरिमाला की हरियाली गोद में, शांत, सुरम्य छोटीसी लीलीछम पहाडी पर घेघूर घटाटोप वनराजी से आच्छादित सुवासित धन्य धरा पर यह तीर्थधाम आया हुआ हैं। __ इस जिनालय के दर्शन करने आनेवाले भाविको के मुख से ये शब्द निकल आते हैं कि कैसा अद्भुत स्थल ! सोहामणा मूलनायक श्री पार्श्व प्रभु और छत्र धारण करते हुए धरणेन्द्र नागराज दिखाई दे रहे है। जिनालय में पवेश होने के बाद वहाँ से खिसकने का दिल न होवे ! For Private and Personal Use Only Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर इस तीर्थधाम के संस्थापक विश्व के प्रथम जैन म्युझियम - पालिताणा के प्रणेता पूज्यपाद आचार्य भगवन्त श्रीमद् विजय विशालसेन सूरीश्वरजी म. साहेब तथा उनके शिष्यरत्न पू. आ. श्री राजशेखर सूरीश्वरजी म. की प्रबल प्रेरणा कृपा और प्राणवान पुरुषार्थ तथा आपके भक्तजनों के श्रेष्ठ योगदान से स्व. पूज्य गुरु भगवन्त पूज्यपाद आचार्य देव श्रीमद् विजय अमृत सूरीश्वरजी म. तथा प्रतिभा सम्पन्न पू. आचार्य देव श्रीमद् विजय धर्म धुरंधर सूरीश्वरजी म. साहेब की अंतर की भावना अनुसार श्री पोपटलाल पानाचन्द कोठारी (पालनपुर) जैन देरासर, श्री अमृतसूरिजी जैन उपाश्रय, श्री चीमनलाल कीलाचन्द शाह पाटणवाला जैन उपाश्रय, श्रीमती मोतीबेन वाडीलाल शाह (लुणवा-मंडाली) संघ भक्ति गृह, श्री जयंतिलाल हीराचन्द शाह (घोलेरा) मंगल घर, श्री ओंकरवाला व्याख्यान हॉल, श्री प्रेमचन्द वाडीलाल शाह (सायला) आराधना गृह का निर्माण हुआ है । १८१ मूलनायक प्रतिमाजी प्रगट होने का इतिहास :- परम पूज्य आ. श्री विशालसेन सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में उपासरे के खुदाई का काम चल रहा था, अचानक एक मजदुर का खुदाई हथियार किसी ठोस वस्तु से टकरा गया, उस मराठी मजदुर को शंका हुई और महाराज के पास आकर सारी घटना सुना दी, जब महाराज वहाँ पहुँचे तो उन्होंने अपने हाथो से उपर की मिट्टी को दूर हटाया । मिट्टी ही सर्वप्रथम प्रतिमाजी का घुटना गुरुदेव के हाथो में आया। गुरुदेव को ऐसी पुरी खात्री हो गई कि जरुर यह जैन प्रतिमाजी ही होनी चाहिये। धीरे धीरे पुरी प्रतिमाजी को बाहर निकाला गया, उस समय, चमत्कारिक शान्त सुधारस वाहिनी ऐसी २२०० वर्ष प्राचीन संप्रति कालिन कोई अद्भुत पाषाण से निर्मित प्रतिमा देखते ही मन मोहित हो गया । उनके दोनो हाथो से अमीझरण हो रहा था, अत: इस चमत्कारिक प्रतिमाजी का नाम श्री पीयूषपाणि पार्श्वनाथ दिया गया । प्रतिमाजी को पालीताणा लाकर जैन म्यूझियम की अन्य ऐतिहासिक वस्तुओं के साथ गोदाम में रखा गया । सन् १९९९ मे पालीताणा के जैन म्यूझियमका उद्घाटन गुजरात के मुख्यमंत्री श्री चिमनभाई पटेल के हस्तक हुआ था । अन्य वस्तुओं के साथ इस प्रतिमाजी को भी दर्शनीय के रुप में रखा गया । गुरुदेव जब वापस पीयूषधाम बिराजमान थे तब गुरुदेवने प्रतिमाजी को वापस मंगवा कर पीयूषपाणि धाम के उपाश्रय में रखवादी । वरसावा गाँव में किसी भी प्रकार का मन्दिर न होने से, घर घर मंगल के गीत गुंजने लगे, छोटेबड़े सभी के दिल डोलने लगे। सुबह-शाम बालक वर्ग दर्शन को आने लगे, सभी को नवकार मंत्र कंठस्थ हो गया । दिन दिन प्रभुजी का प्रभाव दिखाई देने लगा । दरीया का किनारा, उत्तुंग पर्वतो के बीच में शान्त शीतल सुरम्य स्थल । परन्तु यहाँ टेकरी पर मंदिर का निर्माण करना अंधेरे में मोती पिरोना जैसा काम । क्योंकि कोई भी वाहन उपर आ नहीं सकता। बिल्कुल रास्ते का अभाव ! रास्ते के लिये खुब कोशीशे की, खर्चा भी किया, उसमे सफलता न मिलने से सभी थक गये । अतः गुरुदेव ने श्री पीयूषपाणि पार्श्वनाथ प्रभु को विनंती की 'हवे अमे सौ तारा भरोसे छीए' । For Private and Personal Use Only चैत्र सुदि १ गुडी पडवा के दिन, मोटर तो क्या, किन्तु १० टन वजन की ट्रक भी उपर चढ सके ऐसा मजे का रास्ता तैयार हो गया। सभी सर झुकाकर दादा का उपकार मानने लगे । Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८२ मुंबई के जैन मन्दिर इस जिनालय का भूमि पूजन वि.सं. २०५० का वैशाख सुदि-३ अक्षय तृतीया को तथा शिलान्यास वि.सं. २०५० का वैशाख सुदि ११ को हुआ था। शासन सम्राट् पूज्यपाद नेमिसूरीश्वरजी म. समुदाय के एवं आ. विजय अमृत सूरीश्वरजी म. परिवार के श्रीमद् विजय विशालसेन सूरीश्वरजी म. (श्री विराट) आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५१ का वैशाख सुदि ७ रविवार ता. ७-५-९५ को प्रतिष्ठा हुई थी। मूलनायक भगवान श्री पार्श्वनाथ भ. १४' की गादी, ३१" प्रतिमाजी, ३१" नागराज धरणेन्द्र, कुल ७६” तथा आजू बाजू में श्री सुमतिनाथजी, श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री सीमंधर स्वामी की देरी में दोनो गोखलो में श्री शांतिनाथजी एवं श्री कुंथुनाथजी की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। उपर के गंभारे में मूलनायक श्री पीयूषपाणि पार्श्वनाथ प्रभु २७” तथा आजू बाजू में श्री धर्मनाथजी १७” श्री शांतिनाथजी १७” के अलावा पंचधातु के प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी, एवं श्री मणिभद्र वीर तथा श्री पद्मावती माताजी भी बिराजमान हैं। परम पूज्य आ. विजय विशालसेन सरीश्वरजी म., पू. आ. विजय राजशेखर सूरीश्वरजी म., पू. आ. विजय विमलभद्र सूरीश्वरजी म. आदि की पावन निश्रा में वि.सं. २०५३ का वैशाख सुदि ११ रविवार तारीख १८-५-९७ को पुन: प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न हुआ था। इस दिन आरस के ४ प्रतिमाजी, पंच धातु के ३ प्रतिमाजी तथा श्री नाकोड़ा भैरुजी एवं श्री घंटाकर्ण वीर की प्रतिष्ठा हुई थी। महावीरधाम (२९३) श्री महावीर स्वामी भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय नेशनल हाइवे नं. ८ बंगले के बाजू में, के.टी. रीसोर्ट के सामने, सीरसाड, तालुका-वसई, जिला-थाणा (महाराष्ट्र) टे.फो. ऑफिस : ९१२-५७१००३ ट्रस्ट ऑफिस : १०१ श्री भैरवनाथ भवन, ४१-४३ ___ मुम्बादेवी रोड, पायधुनी विजय वल्लभ चौक, मुंबई-४०००३. - सुरेन्द्रभाई : ऑफिस-३४३ ८१ ५२, ३४३ ८४ ७८, घर : ३६३ ५० २० विशेष :- वि.सं. २०३३ के वालकेश्वर में चातुर्मास पुरा करके विहार करके पू.आ.भ. श्री सुबोधसागर सूरीश्वरजी म. जब नैसर्गिक स्वर्ग समान सीरसाड टेकरी की ओर पधारे तो उन्होंने सोचा, यह अति रमणीय स्थान हैं। अगर इस स्थान पर साधु-साध्वीजी म. के विराम करने के लिये उपाश्रय हो जाए तो थकावट दूर हो जावे। थोडे ही वर्षो में लोद्रा निवासी उदार चरित श्री चंपकलाल कांतिलाल शाह एवं उनके परम मित्र जाम नगर हाल मुंबई निवासी विनोदराय बचुभाई दोशी उन्होंने पूज्यपादश्रीकी भावना को चरितार्थ करने के लिए वि.सं. २०३९ वे वर्ष में उपाश्रय के निर्माण के कार्य का श्री गणेश किया। उपाश्रय के स्वप्न For Private and Personal Use Only Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १८३ शिल्पी श्री चंपकलाल कांतिलाल शाह खुद सिरसाड आते और देखरेख में लग जाते, परन्तु देवयोग से एक दिन उनकी दृष्टि उपाश्रय की ओर थी,तभी अचानक हृदयरोग के हमले से नवकार मंत्र का रटन करते करते उपाश्रय के बाजू में ही देह का समाधिमय त्याग किया, बाद में उनके परिवारवाले तथा श्री विनोदराय बचुभाई दोशी द्वारा उपाश्रय का कार्य पूरा हुआ और वर्ष में एक हजार साधु-साध्वीजी भगवन्त विहार करते करते यहाँ स्थिरता करने का लाभ लेते हैं। वि.सं. २०४४ में गोरेगाँव में ऐतिहासिक अंजनशलाका एवं प्रतिष्ठा वगैरह शासन प्रभावना पूर्ण करके आचार्यदेव श्रीमद् सुबोधसागर सूरीश्वरजी आदि मुनि भगवंतोने गुजरात तरफ जाने का विहार किया, तब यहाँ के उपाश्रय में ४ दिन की स्थिरता की, तब पूज्यपाद श्री को इस रमणीय भूमि पर भव्य तीर्थ निर्माण करने की भावना जागृत हुई। योगानुयोग दूसरे दिन १८८ वर्ष प्राचीन भव्याति भव्य जग प्रसिद्ध श्री गोडीजी पार्श्वनाथ जिनालय की अंजनशलाका प्रतिष्ठा करने एवं चातुर्मास करने की अति आग्रहभरी विनती होने से जय बुलाई गई और सिरसाड से विहार कर पुन: गोडीजी पधारे और वहाँ के ट्रस्ट में आनन्द की वृद्धि हुई। पूज्य श्री की प्रेरणा और उपदेश के अनुसार आगेवान भाईयोंने सिरसाड में एक भव्य तीर्थधाम पूरा करने के लिये श्री महावीरधाम चेरीटेबल ट्रस्ट का आयोजन किया। इस मंगल निर्णय के होते ही लोद्रा निवासी स्व. श्री कांतिलाल त्रिकमलाल शाह परिवारवालोने चंपकलाल की स्मृतिमें और जामनगर निवासी श्री विनोदराय बचुभाई दोशी परिवारवालोने अल्पा की स्मृति में खूब ही उदारता पूर्वक अपनी विशाल भूमि बिना मूल्य यहाँ के ट्रस्ट को अर्पण की। जिससे इस तीर्थ का निर्माण कार्य उत्साह पूर्वक शुरु किया गया और ६ महिने के समय में देवगुरु की कृपासे संकल्प साकार हुआ और प्रतिष्ठा की शुभ घडी का दिन आ गया। वीर संवत २५१६ विक्रम संवत २०४६ का मगसर वदि १ तारीख १३-१२-८९ को परम पूज्य योगनिष्ठ आचार्य भगवन्त श्रीमद् बुद्धिसागर सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य भगवन्त श्रीमद् सुबोध सागर सूरीश्वरजी म., आचार्य श्री मनोहर कीर्तिसागर सूरीश्वरजी आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में भव्य प्रतिष्ठा हुई थी। ___ यहाँ मूलनायक श्री महावीर स्वामी (५१") तथा आजू बाजू में श्री आदीश्वर भगवान (३१") एवं श्री शान्तिनाथ प्रभु (३१") की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी१, विसस्थानक-१, अष्ट मंगल-१ के अलावा श्री पुंडरीक स्वामी (४१") श्री गौतम स्वामी (४१") की प्रतिमाजी, श्री पद्मावती माताजी (५१"), श्री घंटाकर्ण वी (४१"), श्री मणिभद्र वीर (३५"), योगनिष्ठ आ. श्रीमद् बुद्धिसागर सूरीश्वरजी म. (३१") की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। यह नूतन तीर्थ मोहमयी मुंबई नगरी के प्रवेश द्वार में राष्ट्रीय धोरी मार्ग ८ पर ऊँची ऊँची हरियाली पर्वत मालाओं और नैसर्गिक वातावरण के बिच खीण में शिरसाड की भूमि पर मुंबई से ७० कि.मी. और विरार रेल्वे स्टेशन से ९ कि.मी. दूर के.टी. रीसोर्ट के सामने और वज्रेश्वरी तरफ रास्ते के मोड पर तैयार हुआ हैं। प्रतिष्ठा के मंगलमय दिन से ही यह तीर्थधाम भारतभर में महाप्रभाव को प्राप्त किया हैं । ६१ फुट ऊंचा अष्टकोण आकारमय देवविमान के समान इस रमणीय जिनालय में ३ वर्ष में ९ बार For Private and Personal Use Only Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८४ मुंबई के जैन मन्दिर अमीझरणा के सुनहरे प्रसंग बनने से महावीर धाम अति चमत्कारिक तीर्थ की तुलना का पात्र बना हैं । नौवा अमीझरणा तारीख ४-१-९८ रविवार को दोपहर साढे बारह बजे लगातार ३ घंटे तक होता रहा । योगानुयोग परम पूज्य आ. विजय चंद्रोदय सूरीश्वरजी म. तथा परम पूज्य आ. विजय अशोकचन्द्र सूरीश्वरजी म. की निश्रा में मुलुंड से निकले हुए छ'री पालक संघ का डेरा महावीर धाम में ही था और यह घटना घटी थी। महावीर धाम जिनालय के समस्त जिनबिंबो, गर्भगृहो की दिवारो, छत और बारशाखमें से होते हुए अमीझरणों का एक सो साधु-साध्वीजी सहित पाँच हजार से अधिक भाविकोने भाव विभोर होकर दर्शन पान किया था। महावीर धाम में कॉटेज धर्मशाला, पूज्य साधु-साध्वी वृंद के लिये विशाल उपाश्रयो, ऑफिस वगैरह जोर शोर से निर्माण के अधीन हैं। साधर्मिक भक्ति भवन, भोजनशाला, वृद्धाश्रम और सेनेटरीयम के लिये भी जमीन खरीद कर ली गई हैं। एक साथ दो हजार से ज्यादा यात्रिको की सुन्दर और सुलभ व्यवस्था हो सकती हैं। ऐसा होने से यात्रा प्रवास के साथ ही समारंभो, मेलावडाओं और वार्षिक दिन चैत्य परिपाटी के लिये मुंबई की प्रत्येक जैन संस्थाएँ महावीर धाम की पसंदगी करते हैं। चैत्री पुनम और कार्तिक पुनम के दिन श्री शत्रुजय पट के दर्शन-पूजा के लिये हजारो भाविको पधारते हैं। कार्तिक पूर्णिमा को भाता की व्यवस्था हैं। प्र...ता...प...धा...म... (२९४) नेशनल हाईवे रोड नं. ८, शान्तिवली जिला - थाणा, (महाराष्ट्र) टे. फोन : हेड ओफिस - ५२८ ६८०२, ५२८०२ ०१ विशेष :- परम पूज्यपाद सिद्धान्त रक्षक आचार्य भगवंत श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. सा. की स्मृति हेतु यह प्रतापसूरि स्मृतिधाम का आयोजन नेशनल हाइवे रोड नं. ८ के उपर महावीर धाम से २० कि. मी. दूर सातीवली गाम में परम पूज्य आ. श्री विजय पूर्णानन्दसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से हो रहा हैं। इसका निर्माण चेम्बुर तीर्थ की पेढी तरफ से हो रहा हैं। संचालन भी इनके द्वारा होगा। _ वि. सं. २०५५ का मगसर वदि ४ सोमवार तारीख ७-१२-९८ के दिन परम पूज्य मोहन - प्रताप-धर्मसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य श्री पूर्णानन्द सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में भूमिपूजन एवं खनन विधान चेम्बुर निवासी श्री मनसुखलाल लक्ष्मीचन्द शाह और उनके परिवार की तरफ से हुआ हैं । शिलारोपण भी इसी परिवार द्वारा वि. सं. २०५५ का मगसर वदि १० रविवार ता. १३-१२-९८ के दिन हुआ था। यहाँ नीचे के भाग में उपाश्रय और उपर के भाग में एक कमरे में गृह जिनालय बनाने का आयोजन हैं। हाईवे पर विहार करने वाले पूज्य साधु - साध्वीजी म. को महावीर धाम से महालक्ष्मी पेट्रोल पम्प के बीच यह स्थान विराम स्थान बनेगा। For Private and Personal Use Only Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १८५ आदीश्वर धाम (२९५) श्री आदीश्वर भगवान शिखर बंदी जिनालय पोष्ट : शिवन साई - भाताजी, तालुका-वसई, जि. थाणा (महाराष्ट्र), टे. फोन : ललितजी सेसमलजी, ऑफिस : ६४९ ३३ ३०, घर : ६४९ २१ ०२ विशेष :- बाली (राजस्थान) शान्ताक्रुझ - मुंबई निवासी शाहजी श्री सेसमलजी कस्तूरचन्दजी व पारवतीबेन सेसमलजी तीर्थ के मुख्य निर्माता थे। सेठ श्री ललितकुमार को एक दिन उनके माता पिताने दर्शन दिया और स्वप्न में उनके मन की मनोकामना व्यक्त की और पुनः अद्दश्य हो गये । पुनः एक स्वप्न आया जिसमें जिनेश्वर परमात्मा के दर्शन हुए और आदेश हुआ कि साधु साध्वी एवं श्रावक-श्राविकाओं के लिये उपयोगी बन सके ऐसे स्थान का निर्माण करो, फिर इस कार्य के लिये जमीन मिल न जाय तब तक दुध त्याग का नियम आपने लिया था। कार्तिक पूर्णिमा का दिन था, ललितभाईने बोरिवली - वज्रेश्वरी गणेशपुरी की ओर यात्रा करके अपनी गाडी से आगे बढ़ते हुए शिवणसाई गाडी रोकी, वहाँ के प्राकृतिक सौन्दर्य देखकर उनका मन अति प्रसन्न हुआ। वहाँ का दृश्य देखते हुए एवं पहाडीयों के बिच छोटा सा गाँव देखकर उनका मन ललचाने लगा अंत में उन्होंने ग्राम सेवक की मुलाकात ली एवं अपने मन की इच्छा व्यक्त की, उन्होंने वहाँ शुभकामके लिये जमीन की मांग की। मांग पुरी होते ही उसकी रजिस्टरी ता. ११-४-८५ को की गयी। उसके बाद उन्होंने श्री नरोत्तमदास कामदार को (उम्र-९४) साथ लेकर शान्ताक्रुझ में श्री कुंथुनाथ जिनालय के उपाश्रय में बिराजमान आ. श्री विजयदक्ष सूरीश्वरजी म. का दर्शन-वन्दन करके अपनी भावना व्यक्त की। गुरु महाराज का आशीर्वाद प्राप्त करके वे खुशी से झूम उठे। बाद में उन्होंने पंडित श्री इन्द्रचन्द्रजी से मुलाकात की, शिलान्यास हेतु आगाशी पधारे । गुरुदेव भी निरीक्षण हेतु आगाशी से विहार करते हुए शिवनसाई पधारे। वहाँ की जमीन को देखते हुए गुरु महाराज बोले आनन्द ही आनन्द हैं। देवभूमि बहुत सुंदर हैं। उसके बाद इस पवित्र भूमि का अति उल्लास के साथ शिलान्यास हुआ था। चेम्बुर जिनालय में श्री आदिनाथ प्रभु का ३१” के केसरिया दादा का निरीक्षण किया। प्रतिमाजी खुब-प्रभावशाली महसुस हुई। यह प्रतिमाजी सबके मन को भा गई। इस प्रतिमाजी की अंजन शलाका विधि वि.सं. २०३२ के मगसर मास में बोरिवली (प.) जामली गली, श्री संभवनाथ जिनालयमें पूज्य सिद्धान्त रक्षक आचार्य भगवन्त श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म.सा. और उनके पट विभूषक पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्म सूरीश्वरजी म.सा. के कर कमलो से हुई थी। चेम्बुर तीर्थ और इस मूर्ति को भरानेवाले श्री बिपिनभाई की अनुमति से प्रतिमाजी शिवणसाई लाई गई। गुरुदेवने इस तीर्थ का नाम श्री आदीश्वर धाम रखने की घोषणा की। इस तीर्थ की प्रथम प्रतिष्ठा परम पूज्य नेमि-लावण्यसूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. विजय दक्ष For Private and Personal Use Only Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १८६ www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०४२ का मगसर सुदि ७, तारीख ५ - ११-८६ को हुई थी । (२९६) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चार देहरी वगैरह की पुनः प्रतिष्ठा यानी दूसरी प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. श्री विजय भुवन भानु सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. २०४७ का वैशाख वदि १० को हुई थी । जिसमें श्री शान्तिनाथ भगवान, रायण पादुका, पुण्डरीक तीर्थ, सिद्ध पादुका, तलेटी यानी मिनी शत्रुंजय की रचना की थी । ध... मं... धा... म... अमदावाद - मुंबई नेशनल हाईवे नं. ८८ चिलार फांटा के पास, चिलार, ता. पालघर, जिला थाणा, महाराष्ट्र, टे. फोन नं. रसिकभाई - ८०७१२१३, ८०७ ९४५३ विशेष :- आजीवन जैन शासन के महाप्रभावक, शासन के महान ज्योतिर्धर, युग दिवाकर पूज्यपाद आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. के पुण्य स्मारक रूप में यह 'धर्मधाम' का निर्माण पूज्यपाद आचार्य भगवन्त श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य प्रेरणा व मार्गदर्शन से हो रहा हैं । इस निर्माण के लिये ओराण हाल कांदिवली (प.) के निवासी सेठ श्री रसिकलाल डाईयाभाई महेता और उनकी धर्मपत्नी मधुकान्ता बेनने नेशनल हाईवे नं. ८ पर महालक्ष्मी पेट्रोल पंप-दुर्वेश गाँव और सोमटा गाँव के बीच में, महालक्ष्मी पेट्रोल पंपसे ९ कि. मी., मनोर चोकडी से ५ कि.मी. और सोमटा गाव से ९ कि.मी. के अन्तर में हाईवे से बिल्कुल लगे हुए विशाल भूमि खण्ड को अपने द्रव्य से संपादित किया है, जो पहाडीयो की हरियाली गोद में रमणीय स्थल पर आया हैं, और सर्व सुविधाओं से युक्त हैं। महालक्ष्मी पेट्रोल पम्प से विहारकर के सोमटा जाने वाले पू. साधु-साध्वीजी म.सा. के लिये यह धर्मधाम - विहारधाम के योग्य स्थान बहुत अनुकूल और आशीर्वाद रुप बनेगा, फिर चिलार फांटा के अन्दर जाना आवश्यक नहीं होगा। हाईवे पर दिन रात अपनी गाडीओं में आने-जानेवाले जैन लोगो के लिये भी यह स्थान सर्व सुविधा युक्त बनेगा । सोमटा से आते समय, सब जंगल और घाटीया पास होने के बाद तुरन्त सम स्थल भूमि पर यह धर्म-धाम बनेगा । प्रारंभ में यहाँ वि.सं. २०५४ के पोष वद ९ के शुभ मुहूर्त में भूमि पूजन - खनन और शिला स्थापना विधि हुई हैं । अब क्रमशः प्लान तैयार होने पर कार्य आगे बढेगा । विशेष :- नेशनल हाइवे पर सोमटा, चारोटी नाका और अंबोली गांव में जैन उपाश्रयो की अच्छी व्यवस्था है । For Private and Personal Use Only Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १८७ - सीमन्धर धाम (२९७) श्री सीमन्धर स्वामी भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय श्री सुयश-शान्ति साधना केन्द्र, दहाणू रोड, मु. आंबेसरी, वाया-आशा गढ, तालुका - दहाणु जि. थाणा, (महाराष्ट्र), टे. फोन नं. ८०७ २८ ४७ श्री मुनिसुव्रत स्वामी चतुर्विशति जिनालय विशेष :- श्री कांदीवली जैन श्वे. मू. संघकी तरफसे इस जिनालय का भूमि पूजन तथा शिलास्थापना वि.सं. २०५१ का वैशाख मास में हआ था। प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वर म. सा. के समुदाय के व्या. सा. न्या. तीर्थ प. पू. आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म.सा. के प्रभावशाली प्रेरणा और सुन्दर मार्गदर्शन से मुंबई - अहमदाबाद हायवे पर महालक्ष्मी, सोमैया हॉस्पीटल-आश्रम के पास हाईवे से ७ कि.मी. दहाणू रोड पर, दहाणु स्टेशन से वाया आशागढ १४ कि.मी. दूर आंबेसरी गाँव में सीमन्धर धाम-सुयशशान्ति साधना केन्द्र में परम तारक विहरमाण परमात्मा श्री सीमन्धर स्वामी का भव्य शिखरबद्ध जिनालय बनाया है, उसके निर्माण का पूरा लाभ श्री कांदिवली जैन श्वे. मूर्तिपूजक संघने लिया हैं। इस भव्य जिनालय की प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म. ठाणा-३ एवं परम पूज्य मुनिराज श्री पूर्णयशचंद्रजी म. आदि गुरु भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५३ का वैशाख वदि १०, शनिवार, ता. ३१-५-९७ को हुई थी। इस जिनालय में मूलनायक श्री सीमन्धर स्वामी ३१" परिकर सहित ६३" के साथ पाषाण की कुल ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की ६ प्रतिमाजी, जिसमें पंच धातु की ३ प्रतिमाजी ७०० वर्ष, ६०० वर्ष एवं ५५० वर्ष प्राचीन हैं। सिद्धचक्रजी २, विसस्थानक १, अष्टमंगल १ के अलावा श्री पुंडरीक स्वामी, श्री गौतमस्वामी, श्री ऋषि मण्डल महायंत्र, श्री सिद्धचक्रजी महायंत्र एवं श्री मणिभद्रवीर व पद्मावती माताजी बिराजमान हैं। यह सब प्रतिमाओकी अंजनशलाका कांदीवली (प.) श्री मुनिसुव्रतस्वामी महा जिनालयमें प. पू. आ. भ. श्री विजयसूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. की प्रभावक निश्रामें वि. सं. २०५३, महाशुदि १, शनिवारको हुई थी। परम पूज्य मुनिराज श्री पूर्णयशचंद्रजी म.सा. तथा परम पूज्य मुनिराज श्री पद्मयशचंद्रजी म. की पावन प्रेरणा एवं मार्गदर्शन से साधना केन्द्र का निर्माण हो रहा है, जिसका नामकरण - उद्घाटन वि.सं. २०५३ का वैशाख वदि ९ शुक्रवार ता. ३०-५-९७ को 'मातु श्री केशरबेन टोकरशी सावला नवावासवाला श्री सुयश शान्ति साधना केन्द्र - सीमन्धर धाम' से हुआ था। श्रीमती केशरबेन टोकरशी शाह (नवावासवाला - कच्छ) रवि ग्रुप जैन भोजनशाला की व्यवस्था हैं । धर्मशाला भी बनी हुई है। श्री सुयश स्मृति स्मारक ट्रस्ट संचालित सेठ श्री गुणवंतलाल चंदुलाल शाह आजोलवाला श्री सीमन्धर स्वामी जैन देरासर पेढी की ओर से जिनालयके संचालन की व्यवस्था हैं । यह रमणीय सीमन्धरधाम उत्तर महाराष्ट्र की सीमा - बोर्डर पर आया हैं । यहाँ से आगे गुजरात का प्रारंभ होता है। For Private and Personal Use Only Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १८८ (२९८) www.kobatirth.org मध्यरेलवे एवं हारबर लाईन शिवाजी टर्मिनस - कुलाबा विभाग श्री शान्तिनाथ भगवान शिखर बंदी जिनालय ३०, राजावडकर स्ट्रीट, कुलाबा, मुंबई- ४००००५. टे. फोन : बाबुलालजी पादरलीवाले - २८३ ४६६६ विशेष :- इस प्राचीन जिनालय की प्रतिष्ठा श्री विजयानंद गच्छ के परम पूज्य श्री पन्यासजी श्री गुमानविजयजी गुणरत्नसूरीश्वरजी, हीरावंत संघ के पन्यासजी श्री खुशाल विजयजी म., म. की शुभ निश्रा में वि, सं. १९२२ का जेठ सुदि ८ को हुई थी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२९९) मुंबई के जैन मन्दिर इस जिनालय के पहले माले पर आरस की ७ प्रतिमाजी, पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ३, अष्टमंगल - ३, के अलावा ३ यंत्र सुशोभित हैं। मूलनायक प्रतिमाजी श्री सम्प्रति महाराजा के समय की हैं। यहाँ के मन्दिरजी का संचालन श्री मरूधर विसा पोरवाल जैन संघ पायधुनी - विजय वल्लभ चौक की तरफ से हो रहा हं । यहाँ उपासरा, पाठशाला, महिला मण्डल की व्यवस्था हैं । श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर एफ. मेकर टॉवर, गाउन्ड प्लोर, जी. डी. सोमानी रोड, कफ परेड, कुलाबा, मुंबई - ४०० ००५. टे. फोन : प्रफुलभाई - २०१११४५ विशेष : इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री जैन संघ कफ परेड हैं और इस मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. विजय अमृतसूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. विजय विशालसेन सूरीश्वरजी म. के शिष्य पन्यास श्री राज शेखर विजयजी, मुनि भद्रबाहुविजयजी म. की पुनित मिश्रा वि.सं. २०४१ का जेठ सुदि ५ शनिवार ता. २५-५-८५ को हुई थी । For Private and Personal Use Only यहाँ मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी श्याम रंग के तथा आजूबाजू में श्री महावीर स्वामी और श्री पार्श्वनाथजी श्वेत आरस के है। पंचधातु के २ - प्रतिमाजी, २- सिद्धचक्रजी, १ अष्टमंगल के अलावा श्री पद्मावतीदेवी, श्री मणिभद्रवीर, श्री भैरूजी, एवं श्री घंटाकर्ण वीर की प्रतिमाजी बिराजमान हैं । Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मुंबई के जैन मन्दिर (३००) www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शिवाजी टर्मिनस - कोट विभाग श्री शान्तिनाथ भगवान शिखर बंदी जिनालय १९०/९४ बोरा बाजार, कोट मुंबई - ४०० ००१. कुलाबा, मुंबई - ४०० ००१. टे. फोन : ओ. २६१३१६३, फुलजी - २६९१७९४, २६९८६ ०७ १८९ विशेष : इस मन्दिरजी के निर्माण में एवं प्रतिष्ठा में सुप्रसिद्ध सेठ मोतीशाह के बड़े भाई श्री मचंद शाह ने सेठ प्रेमचंद रंगजी को अच्छा योगदान दिया था । मुंबई शहर का यह द्वितीय नंबर का प्राचीन जिनालय है, जिसकी प्रतिष्ठा वि. सं. १८६५ का माह वदि ५ रविवार ता. ५-२-१८०९ को भव्य ठाठ माठ से हुई थी । यहाँ के भव्य जिनालय में आरस की २६ प्रतिमाजी, चान्दी की १८ प्रतिमाजी एवं पंचधातु की ९० प्रतिमाजी हैं। रंगबिरंगे तीर्थो के दृश्य पहले और दूसरे माले पर दर्शनीय हैं। (३०१) ग्राउण्ड फ्लोर पर श्री मणिभद्रवीर एवं श्री घंटाकर्ण वीर की प्रतिष्ठा वि. सं. २०३३ का मगसर सुदि ३ बुधवार तारीख २४-११-७६ को जैन शासन के महाप्रभावक युगदिवाकर पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रभावक निश्रा में हई थी। आपश्री की प्रभावक निश्रा में आपके वि. सं. २०१४ के चातुर्मास के बाद वि. सं. २०१५ में यहाँ के संघ की तरफ से भायखला मोतीशा जिनालय के परिसर में उपधान तप की महा आराधना का बड़ा भारी आयोजन हुआ था जिसमे ४५० तपस्वी थे । श्री महावीर महिला मंडल, श्री कोट युथ सर्कल, त्री मंजिल विशाल उपासरा, आयंबिल शाला, पाठशाला, ज्ञानभंडार वगैरह की सुन्दर व्यवस्था हैं । मसजिद बन्दर - भातबाजार विभाग श्री अनन्तनाथ भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय ३०२/६, नरशी नाथा स्ट्रीट, खारेक बाजार, स्टे. मसजिद, मुंबई - ४०० ००९. टे. फोन :- ३४४ १९२९, ३४२१३४४ - रतिलालभाई विशेष : सुप्रसिद्ध सेठ श्री नरशी नाथा ने आज से १६५ वर्ष पूर्व वि. सं. १८९० का श्रावण वद ९ को इस प्राचीन मन्दिरजी की प्रतिष्ठा कराई थी । इस मन्दिरजी के व्यवस्थापक श्री कच्छी दशा ओसवाल जैन संघ हैं । यह सारा मन्दिर प्राचीन कांच की कलाकृति से भरपूर है । पावापुरी एवं अन्य एक मन्दिर का, ऐसे दो शो केस मन्दिरजी में दिखाई दे रहा हैं । For Private and Personal Use Only Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १९० मुंबई के जैन मन्दिर यहाँ पर आरस के ६८ प्रतिमाजी, पंचधातु के ४८ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ८ एवं अष्टमंगल - १ कमरे में शोभायमान है। श्री अचलगच्छ की अधिष्ठायिका देवी श्री महाकाली देवी की भव्य प्रतिमाजी मूलगंभारे के पीछे की ओर चमक रही हैं। ऑफिस हॉल मे महाकाली, चक्रेश्वरीदेवी तथा पूज्य आ. भगवंत श्री कल्याणसागरसूरीश्वरजी म. की प्रतिमाजी विशेष आकर्षक है। यहाँ श्री कच्छी दक्षा ओसवाल महिला मण्डल तथा श्री अनन्त जिन महिला स्नात्र मण्डल एवं श्री अनंत जिन ज्ञानशाला की व्यवस्था है। नीचे उपासरा हॉल तथा पहले एवं दूसरे माले पर प्रतिमाजी बिराजमान है। सूचना : यह सारा विवरण प्राचीन जिनालय का लिखा गया है, फिलहाल यहाँ भव्य और सुन्दर नूतन जिनालय का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। (३०२) श्री आदीश्वर भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय ३२७/३५ टेम्पल बिल्डींग, नरशी नाथा स्ट्रीट, भातबाजार, मुंबई - ४०० ००९ टे. फोन : ओ. ३७५ ५४ ६४ चन्दुभाई फेमवाला ३८८ ३२ १३ विशेष : इस मन्दिरजी की प्रतिष्ठा वि. सं. १९१६ वीर सं. २३८६ का फागुन सुदि ३ शुक्रवार तारीख २४-२-१८६० को हुई थी । इस जिनालय के संस्थापक एवं संचालक श्री कच्छी विसा ओसवाल देरावासी जैन महाजन मुंबई - ट्रस्ट है। यहाँ के जिनालय में पाषाण की २० प्रतिमाजी, पंचधातु के ३५ प्रतिमाजी एवं सिद्धचक्रजी - ४ सुशोभित है। मन्दिरजी के प्रथम माले पर ओफिस है तथा श्री मणिभद्रवीर, श्री कालिकादेवी माता एवं आचार्य श्री कल्याणसागरसूरीश्वरजी म. की प्रतिमाजी शोभायमान है। आ . भगवंत स्वर्गस्थ श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. का फोटु भी दर्शनीय है। दूसरे माले पर जिनालय और तीसरे माले पर सिद्ध चक्रजी, श्री गिरनारजी एवं श्री सम्मेत शिखरजी के भव्य पटो के दर्शन कर झुम जाते है। नयी महाजन वाडी में उपासरा, पाठशाला तथा ज्ञानभंडार की व्यवस्था हैं। अतिथि गृह व धर्मशाला केशवजी नायक रोड, चिंचबन्दर, मुंबई - ४०० ००९. विशेष :- श्री कच्छी वीशा ओसवाल देरावासी जैन महाजन संघ की स्थापना सन १८७५, वि. सं. १९३१ को हुई थी । महाजन प्रमुख रवीमजी मांडण भुजपुरीया द्वारा पंच मंजली भवन का उद्घाटन वि. सं. २०२७ का वैशाख वदी ७, सोमवार, तारीख १७-५-१९७१ को हुआ। यह भव्य अतिथि गृह एवं धर्मशाला श्री कच्छी विशा ओसवाल देशवासी जैन महाजन का अतिसुन्दर निर्माण है। यहाँ लिफ्ट की व्यवस्था है। For Private and Personal Use Only Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मुंबई के जैन मन्दिर www.kobatirth.org (३०३) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सैण्डहर्स्ट रोड - डोंगरी विभाग श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर 1 शान्ति बिल्डींग, नवरोजी हिलरोड नं. २, डोंगरी मुंबई - ९. टे. फो: ओफिस - ३७४४१६९, सरेमलजी - ३७६९२८२, बाबुलालजी - ३७२ ०५ ०७ विशेष : मियाणी गाँव (पंजाब) में स्वर्गस्थ सेठ श्री रामचन्द्र खरायतीमल का बनाया हुआ शिखरबंदी जिनालय, जिसकी प्रतिष्ठा वि. सं. १९६३ माह सुदि १० को हुई थी । यह मियाणी गाँव पाकिस्तान की बोर्डर पर होने से सेठ सरदारलालजी तथा देसराजजी ने मूलनायक श्री शातिनाथजी आदि आरस की भव्य प्रतिमाजी, जिनालय के सभी सामान के साथ परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय वल्लभसूरीश्वरजी म. के पट्टधर जिनशासन रत्न आचार्य श्री विजय समुद्रसूरीश्वरजी म., मुनि जयानन्द विजयजी गणिवर के सदुपदेश से श्री डोंगरी श्वेताम्बर तपागच्छ मूर्तिपूजक जैन संघ को भेट की है वि. सं. २०२७ के काति सुदि ५ को। बाद मे परम पूज्य आचार्य श्री विजय समुद्रसूरीश्वरजी म. के शिष्य मुनि श्री जयविजयजी म. की शुभ निश्रा में इस मन्दिरजी की चलप्रतिष्ठा वि. सं. २०२७ का मगसर सुदि ७ शनिवार ता. ५-१२-७० को हुई थी । १९१ - यहाँ मूलनायक श्री शान्तिनाथ के साथ श्री विमलनाथ और श्री महावीर स्वामी की आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु के ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ४, अष्टमंगल १ तथा यक्ष-यक्षिणी के अलावा श्री गौतम स्वामी और आत्मारामजी म. की पाषाण की प्रतिमाजी शोभायमान हैं । २ यंत्रो के साथ अनेक तीर्थो के पट दर्शनीय हैं । इस जिनालय की पुन: चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री दर्शनसागरसूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. श्री नित्योदयसागरसूरीश्वरजी म. के शिष्य पन्यासजी श्री चन्दाननसागरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०४५ का वैशाख वदि ६, ता. २६-५-८९, शुक्रवार को हुई थी । यहाँ श्री शान्तिनाथ जैन उपाश्रय, श्रीमती कंकुबाई धनरूपजी आराधना भवन, श्रीमती पानीबाई गणेशजी व्याख्यान हॉल, श्री शान्तिनाथजी जैन पाठशाला एवं श्री शान्तिनाथ जैन महिला मंडल की व्यवस्था है । T For Private and Personal Use Only (३०४) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर ७६/८० शान्तिदर्शन बिल्डींग, तीसरा माला, जेलरोड (पूर्व), डोंगरी, मुंबई - ४००००९. टे. फोन : केसरीमलजी - ३७२८७८४, पारसमलजी - ३७२०२११ विशेष : इस गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य मुनिराज श्री कस्तूरसागरजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०२६ का भादरवा वदि १२, रविवार, ता. २७-९-७० को हुई थी । Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १९२ मुंबई के जैन मन्दिर यहाँ मूलनायक श्री शान्तिनाथ भगवान के साथ श्री आदीश्वर प्रभु और पार्श्वनाथ प्रभु की आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। इस जिनालय का संचालन श्री श्वेताम्बर तपागच्छीय मूर्तिपूजक राजस्थान जैन संघ डोंगरी द्वारा हो रहा है। यहाँ श्री नवयुवक स्वयं सेवक ग्रुप, श्री शान्तिनाथ राजस्थान जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। डाक्यार्ड रोड - जुना मझगाँव (३०५) श्री सुमतिनाथ भगवान गृह मन्दिर दूसरी सुतार गली, पहला माला, जुना मझगाँव, स्टे. डाक्यार्ड रोड, मुंबई - ४०० ०१०. टे.फोन : ओ. ३७१ ३७ २४ (घर) ३७५ ८९ ०३ अरविंदजी राठौड, (ओ.) ३७३ ६७ १७ विनोदजी राठौड (घर) ३७२ ४३ ३५ विशेष : परम पूज्य मोहन - प्रताप के पट्टधर प. पू. युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. साहेबजी की शुभ प्रेरणा से वि. सं. २०३० का माह सुदि १० को इस गृह मन्दिरजी की स्थापना हुई थी। बाद में आपश्री श्री शत्रुजय महातीर्थ पदयात्रा संघ के साथ पालीताणा चले जाने से आपकी प्रेरणा व आदेश से चेम्बुर तीर्थ से प्राप्त प्रतिमाओं की चल प्रतिष्ठा माह सुदि दुसरी तेरस शनिवार ता. १०-२-७९ को प. पू. आ. भ. श्री कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. की निश्रा में खूब ठाठ माठ से हुई थी। __ इस मंदिर के संस्थापक एवं संचालक श्री सुमतिनाथ जैन संघ - डाक्यार्ड रोड है। यहाँ मूलनायक श्री सुमतिनाथ प्रभु के साथ आजूबाजूमें श्री आदीश्वरजी एवं महावीर प्रभु की आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु के ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २ एवं अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। इसके अलावा श्री नाकोडा तीर्थ रक्षक भैरूजी, श्री मणिभद्रवीर तथा यक्ष - यक्षिणी की प्रतिमाजी सुशोभित हैं। मन्दिरजी के भवन में नीचे उपासरा तथा उपर जिनालय हैं । यहाँ श्री वर्धमान सेवा मण्डल की व्यवस्था है। आजकल जिनालय - उपाश्रयका नवनिर्माण हो रहा है। डाक्यार्ड रोड - नया मझगाँव (३०६) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान भव्य गृह जिनालय प्रेमसागर, चौथा माला, मझगाँव टी. टी., सेलटेक्ष ओफिस के सामने, सरदार बलवंन्तसिंग धोंदी मार्ग, मुंबई - ४०० ०१०. टे.फोन : ३७३ १२ ११ फुलजी For Private and Personal Use Only Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर विशेष : इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ जैन संघ मझगाँव है । प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणासे इस जिनालय का निर्माण हुआ है। - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री विजय मोहन प्रताप धर्म सूरीश्वरजी म. सा. की पावन निश्रा में वि. सं. २०२६ का मगसर सुदि ६, रविवार, ता. १४-१२-६९ को इस गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा बडी धामधूम से सम्पन्न हुई थी । हैलीकोप्टरसे पुष्प वर्षा की गई थी। - १९३ - यहाँ आरस के ६ प्रतिमाजी, पंचधातु के ९ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ६ और अष्टमंगल - १ के अलावा श्री नाकोडा भैरूजी, श्री घंटाकर्ण वीर और सुरकुमार यक्ष तथा चंडादेवी यक्षिणी बिराजमान हैं । १२ वर्ष के बाद वि. सं. २०३८ फागुण सुदि १० को श्री चौमुख प्रतिमाजी, पद्मावतीजी आदि की प्रतिष्ठा पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की निश्रा में हुई थी, आपके जीवन की यह अन्तिम प्रतिष्ठा थी । इस प्रतिष्ठा के बाद फागुण सुदि - १३ को सुबह ५.५८ के समय आपका समाधिमय स्वर्गवास यहाँ उपाश्रय में हुआ था और बाद में आपके पुण्यदेह को श्री गोडीजी जैन उपाश्रय में तुरन्त लाया वहां लाखो भाविको ने आपके दर्शन का लाभ लिया । गया, दूसरे दिन फागुण दि १४ को आपके पुण्य पार्थिव देह की अंतिम यात्रा गोडीजी से २ लाख की विराट जनता के साथ २१ की. मी. दूर चेम्बुर तीर्थ में गई थी । जहाँ आपके अंतिम संस्कार की स्वीकृति महाराष्ट्र सरकार से प्राप्त हुई थी, और अंतिम संस्कार हुआ था। I यहाँ प्यारीबाई पुखराज व्याख्यान भवन, भरत पौषधशाला, हजारी भवन ये सभी साधु साध्वीजी म. के उपासरे हैं । श्री वासुपूज्य जैन पाठशाला, श्री वासुपूज्य महिला मण्डल की व्यवस्था है । For Private and Personal Use Only (३०७ ) श्री सीमन्धर स्वामी भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय चैत्य टॉवर के कम्पाउन्ड में, सैल्स टेक्स ऑफस के नजदीक, शिवदास चांपशी रोड, मझगाँव रोड, सर इलीक दुरी स्कुलके सामने, मझगाँव, मुंबई - ४०००१०. टे. फोन : ३७११८०९, ३७७६०२ श्री दलपतजी, ३७७२१४७ - ४८ - ४९ विशेष : सागर समुदाय के परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री दर्शनसागरसूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. श्री नित्योदयसागरसूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. श्री चन्द्राननसागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५४ का जेठ वदि ११, शनिवार ता. २०-६-९८ को सुबह Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १९४ www.kobatirth.org (३०८) ७.३२ मिनट पर श्री सीमन्धर स्वामी शिखरबदी जिनालय का भूमिपूजन खनन हुआ था । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चैत्य फाउन्डेशन एवं विनोली इन्वेस्टमेन्टस प्रा. लि. वाले श्रेष्ठिवर्य श्री दलपतजी पुखराजजी जैन खीवान्दी (राज.) वालो की तरफ से इस भव्य शिखरबंदी सीमन्धर स्वामी जिनालय का निर्माण होने वाला है। मुंबई के जैन मन्दिर - भायखला (पश्चिम) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर ६६९ बी महावीर ईस्टेट, भायखला स्टेशन के नजदीक, ना. म. जोशी मार्ग, भायखला (प.), मुंबई - ४०० ०२७ टे. फोनः सरेमलजी - ३०८५१२८, मिसरीमलजी - ३०८४४ ७९ विशेष : इस गृह मन्दिरजी का खात मुहूर्त, शिलान्यास एवं चल प्रतिष्ठा वर्धमान तपोनिधि पूज्य मुनिराज श्री जिनसेनविजयजी म. एवं प्रवचनकार पूज्य मुनिराज श्री रत्नसेनविजयजी म. की पावन निश्रामें हुए थे । खात मुहूर्त :- • वि. सं. २०५२ का वैशाख सुदी २, शुक्रवार, तारीख १९ - ४-९६ को धर्मप्रेमी श्रेष्ठीवर्य शा. चम्पालालजी रतनचन्दजी के कर कमलो द्वारा हुआ था । (३०९) शिलान्यास :- वि. सं. २०५२ का वैशाख सुद ९, शुक्रवार, तारीख २६-४-९६ को धर्मप्रेमी श्रेष्ठीवर्य शा. रतनचन्दजी वाघाजी परिवार वालो के कर कमलो द्वारा हुआ था । चल प्रतिष्ठा :- वि. सं. २०५३ का वैशाख सुदी ११ रविवार ता. १८-५-९७ को हुई थी । यहाँ जिनालय में मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ, श्री आदिनाथ भगवान, श्री सुमतिनाथ भगवान की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं | लगभग २०० वर्ष प्राचीन पाषाण की तीनो प्रतिमाजी राघनपुर से लाकर यहाँ पर बिराजमान की गयी है। यहाँ लगभग ४२ वर्ष प्राचीन " श्री जैन अजित मण्डल" भक्ति भावना में अग्रसर हैं । जैन पाठशाला भी चालु है । For Private and Personal Use Only ❀ ॐ श्री शंखेश्वर पाश्सर्वनाथ भगवान गृह मन्दिर ५३९, शामजी भुवन, दुकान नं. १, ग्राउण्ड फ्लोर, बकरा अड्डा, ना. म. जोशी मार्ग, मुंबई - ४०००११. टे. फोन : ३०० १९२६ प्रफुल्लभाई विशेष : इस मन्दिर का संचालन श्री महावीर मित्र मण्डल द्वारा हो रहा हैं, यहाँ प्रथम मूलनायक Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १९५ के रूप में पद्मप्रभस्वामी सहित पंचधातु की २ प्रतिमाजी एवं एक सिद्धचक्रजी बिराजमान थे। मन्दिरजी का पुन: नवीनीकरण हुआ जिसका नूतन नामकरण मातुश्री भाणबाई वेलजी हघु वीरा गाँव - नानीखाखर वाला जैन आराधना भवन रखा गया हैं। परम पूज्य आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. के शिष्य श्री पुण्योदयसागरजी म., पूज्य साध्वीजी श्री हंसावतीश्रीजी आदि थाणा - १० की पावन निश्रा में वि. सं. २०५२ का जेठ वद २, सोमवार, ता. ३-६-९६ को त्रिदिवसीय महोत्सव के साथ धामधूम से चल प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई थी। यहाँ पाषाण की श्याम रंग की मूलनायक श्री पार्श्वनाथ प्रभु की एक प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी २ शोभायमान हैं। ७२ जिनालय तीर्थ (कच्छ) में अंजनशलाका की हुई प्रतिमाजी मूलनायक रूप में बिराजमान हैं। ता. ४-६-९६ को द्वारोद्घाटन का लाभ भी मातुश्री भागबाई वेलजी परिवार वालोने लिया था। यहाँ महावीर मित्र मण्डल जैन पाठशाला चालु हैं तथा प्रति महिने की पुनम को दर्शन करनेवाले भाई बहनो के लिये संघ पूजन की व्यवस्था हैं। | भायखला (पूर्व) (३१०) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मंदिर १६, हंसराज लेन, पोलिस स्टेशन के बाजू की गली, शुभ सन्देश बिल्डींग, ग्राउन्ड फ्लोर, भायखला मुंबई - ४०० ०२७. टे. फोन : सुमनभाई ओ. ३८६ ३२ ९० घर ३७६ ३८ १४ किलाचन्द टी. महेता - ३७६ ४६ ८९ विशेष :- श्री भाववर्धक शुभ सन्देश श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ की ओर से परम पूज्य आत्म - कमल - लब्धिसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. विजय जिनभद्रसूरीश्वरजी म. एवं आ. विजय श्री यशोवर्मसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में अंजन शलाका वि. सं. २०४८ का माह सुद ५, रविवार, ता. १-२-९२ को तथा प्रतिष्ठा वि. सं. २०४८ का माह सुद १३, रविवार ता. १६-२-९२ को हुई थी। यहाँ पाषाण की मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु तथा आजू बाजू में श्री आदिनाथ एवं श्री महावीर स्वामी की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल -१ तथा श्री मणिभद्रवीर एवं श्री पद्मावती माताजी भी बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १९६ मुंबई के जैन मन्दिर __ श्रीयुत उत्तमचन्द पुनमचन्द शाह तथा श्रीमती सुभद्राबेन उत्तमचन्द शाह उपाश्रय - आराधना भवन बनवा कर श्री जैन संघ को वीर सं. २५२०, वि. सं. २०५० में अर्पण किया। यहाँ श्री पार्श्व विवका महिला मण्डल, श्री शुभ सन्देश जैन पाठशाला की व्यवस्था है। (३११) श्री आदीश्वर भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय १८०, मोतीशाह लेन, भायखला (पूर्व), मुंबई - ४०० ०२७. टे. फोन : ओ. ३७२ ०४ ६१, ३७१ ०७ ९२, किरणभाई - ३७५ ७६ ६६, ३७१ ०९५९ सुमनभाई - ३७६ ३८ १४ विशेष :- प्राचीन इतिहास :- सुप्रसिद्ध अनेक मन्दिरो के निर्माता जिनधर्मप्रेमी श्रावक - शिरोमणि मोतीशाह सेठ के पिताजी का नाम अमीचन्द और माताजी का नाम रूपादेवी तथा दादाजी का नाम साकलचन्द एवं नाहटा गोत्र परिवार के थे। आपका जन्म वि. सं. १८३८ को हुआ था। आपके बड़े भाई का नाम नेमिचन्द और छोटे भाई देवीचन्द, इस प्रकार तीन भाई थे। तीनो भाई बाल्यकाल से प्रात:काल माता पिता के चरण स्पर्श करते थे तथा प्रतिदिन माता पिता के साथ जिन - दर्शन - पूजा के लिये जाते थे । तीनो युवावस्था में पहुँचे । मोतीशाह का विवाह दीपादेवी के साथ हुआ था । मोतीशाह की सुहाग रात को भी पति - पत्नी का आपस में एक अजब समझोता हुआ। पहले किसी तीर्थ की यात्रा की जाए, फिर सुहाग रात मनाई जाए। सेठ श्री की दिनचर्या आराधना से प्रारंभ होती थी । वे प्रात: उठते ही सामायिक आदि से निवृत्त होकर धान्य से एक कटोरा भरकर उसमें एक रूपया डालकर पैदल ही निकल पडते थे। यह उनका गुप्त दान होता था। उसके बाद वे गोडीजी मन्दिर दर्शनार्थ जाते थे। वहाँ पूजन आदि से निवृत्त होकर कोई यति या मुनि भगवन्त बिराजमान होते तो उनके दर्शन और व्याख्यान को अवश्य सुनते । व्याख्यान आदि से निवृत्त होकर घर पर नाश्ता आदि करके, जहाँ जहाँ उनके मन्दिर के निर्माण कार्य चलते थे, वहाँ निरीक्षण के लिये जाते थे। एक समय की बात हैं, एक रात वे धार्मिक विचारो में खोये हुए थे कि लगभग रात्री के अंतिम प्रहर में अनहोनी और असंभव घटना घटी - सेठ ! जाग रहे हो या सो रहे हो? जब दो तीन बार यही ध्वनि मोतीशा के कानो से टकराई तो मोतीशाको विश्वास हो गया कि यह उनका भ्रम नही, सत्य हैं । वे अचकचा कर उठ खडे हुए । सामने देखा तो आँखो को चोधियाने वाला अत्यंत स्वरूपवान कोई देव खडा हैं। जिनके ताज पर अंकित श्री आदिनाथ प्रभु की प्रतिमा थी, अत: वे प्रथम तीर्थकर श्री ऋषभदेव प्रभु के अधिष्ठायक देव ही थे । वे अहमदाबाद में बिराजमान ऋषभदेव प्रभु के सेवक थे । देव ने कहा - मैने अपने ज्ञान द्वारा पता लगाया हैं कि यहाँ भायखला में तुने विशाल भूखण्ड खरीदा हैं। वह खरीदी गई भूमि अत्यन्त रमणीय और पावन हैं । मै अपने आराध्य प्रभु के साथ अहमदाबाद से आकर यहाँ (इस भूमि पर) आवास बनाना चाहता हूँ। For Private and Personal Use Only Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर यह सुनते ही मोतीशाह आनन्द और उल्लास के साथ खुशी से उछल पडे एवं सोचने लगे मेरे स्थान की पसंदगी करूणावतार परमात्मा के अधिष्ठायक देवने स्वयं की हैं। देवने अपनी इच्छापूर्ति का माध्यम मोतीशा सेठ को बनाया, अत: उन्होने देव से कहा- आपश्री के आदेशानुसार पूर्ण प्रयत्न करूंगा कि इस स्थान पर परमात्मा का भव्य ऐतिहासिक प्रासाद बने । यक्ष की मनोकामना पूरी हुई । वह पुलकित होकर आशीर्वाद देकर स्वस्थान की तरफ लौट चला । १९७ प्रात: काल वे अपने पारवारिक मित्र तुल्य शिल्पकार रामजीभाई से मिले । शिल्पकार सोचने लगा - इतने मन्दिर बनवाने के बाद भी चैन से नही सोता हैं । इस भूखण्ड में ऐसा नररत्न कहाँ से मिलेगा । मोतीशाह की इच्छानुसार शिल्पकार ने सिद्धाचल की मुख्य टुंक के जिनालय जैसा नक्षा बनाकर दिया । रामजीभाई शिल्पशास्त्र के अतिरिक्त ज्योतिष और मुहूर्त शास्त्र के भी अच्छे पंडित थे । उन्होनें मुहूर्त निकाल दिया, उस दिन इस जिनालय का खात मुहूर्त और शिलान्यास मोतीशा ने अपनी धर्मपत्नी सौभाग्यवती दीपादेवी के सहयोग से हजारो श्रावक गण के बिच धामधूमसे किया । जिनालय का काम पूरा होते ही तत्कालीन गुरूदेव खरतर गच्छीय आचार्य श्री जिनमहेन्द्र सूरीश्वरजी म. के निकाले गये मुहूर्त अनुसार वि. सं. १८८४ श्रावण शुक्ला द्वितीया को अहमदाबाद से आई हुई प्रतिमाजी का मुंबई नगर में प्रवेश कराया गया । प्रतिमाजी को प्रवेश कराने के लिये मोतीशाह, अपनी पत्नी दीपादेवी व पुत्र खेमचन्द तथा विशाल श्रावक-श्राविकाओ जुलुस के साथ समुद्र के किनारे गये थे। उस वक्त रेल - बस का साधन नहीं था । उसके बाद आचार्य भगवन्त तथा विधिकारक के निर्देशन में सेठ मोतीशाह व उनकी पत्नी दीपादेवीने वि. सं. १८८५ का मगसर सुदी ६ को प्रतिष्ठा करके भगवान बिराजमान किये थे । उस वक्त मूलनायक के साथ आजूबाजू में श्री सीमन्धर स्वामी और संभवनाथ भी बिराजमान किये गये, इसके साथ ७० देहरीया भी बनाई गई और उतनी ही प्रतिमाएँ तैयार की गई । पुंडरीक गणधर की स्थापना, रायण पादुका, सूरज कुण्ड, गोमुखयक्ष और चक्रेश्वरी देवी के साथ भव्य एवं विशाल दादावाडी का निर्माण कराया तथा अनेकानेक रंगबिरंगे फुलो से महकता उपवन भी बनाया गया था । उस वक्त प्रतिष्ठा महोत्सव पर पधारे हुए सुप्रसिद्ध श्रेष्ठिवर्य सभी व्यापारीक सम्बन्ध के रूप में मोतीशा सेठ के मित्र थे, जिनका नाम श्री हेमाभाई बखतचन्द्र, सुरजमल बखतचन्द्र, हठीसिंह केसरी सिंह एवं करमचन्द प्रेमचन्द आदि थे। सेठ मोतीशाह का स्वर्गवास वि. सं. १८९२ का भादवा सुदि १ को हुआ था । युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी का ऐतिहासिक आचार्य पदारोहण महोत्सव For Private and Personal Use Only यहाँ वि. सं. २००७ में परम पूज्य सिद्धान्त निष्ठ आचार्य भगवन्त श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. सा. और परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य निश्रा में श्री गोडीजी जैन संघ की तरफ से श्री उपधान तप की Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १९८ मुंबई के जैन मन्दिर - महाआराधएना हुई थी, जिसमें ७०० तपस्वी थें। काति वदि १० को प्रारंभ हुआ था और पोष वदि ५ के शुभ दिन ४५० तपत्तस्वीओ के मालारोपण के साथ युगदिवाकर आचार्यदेव श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. का आचार्य पदारोहण महोत्सव ५० हजार की विराट जनता के बिच बडे ठाठमाठ से मनाया गया था । यहाँ वि. सं. २०१५ में आपकी पुण्यनिश्रामें पुन: उपधान तपकी महाआराधना कोट श्री जैन श्वे. मू. संघ की तरफ से हुई थी, उसमें ४५० तपस्वी थे। ऐसे अनेकानेक महोत्सव जहाँ होते हैं । ऐसी मोतीशा सेठ आदीश्वर दादा - भायखला की पूण्यभूमि को कोटि कोटि वन्दना भी शायद कम पडे। वल्लभ समाधि मन्दिर श्री विजयानन्दसूरीश्वरजी (आत्मारामजी) म. के पट्टधर युगवीर आ. श्री वल्लभसूरीश्वरजी म. सा. का स्वर्गारोहण वि. सं. २०१० का आसो वदि ११, गुजराती मिति भादवा वदि ११ को हुआ था। जिनका अग्नि संस्कार श्री मोतीशा के नन्दन वाटिका में श्री आदीश्वर प्रभु के रमणीय चैत्य के पृष्ठ भाग में हुआ था। ___ इस समाधि मन्दिर के निर्माण के लिये श्रेष्ठिवर्य संघवी श्री मोतीलाल मूलजी के सुपुत्र रत्न धर्मनिष्ठ सेठ श्री साकरचन्द मोतीलाल तथा उनकी धर्मपत्नी सुभद्रादेवी ने सहयोग दिया था तथा इसी परिवार की तरफ से श्री वल्लभसूरीश्वरजी म. की मूर्ति निर्माण के लिये भी सहयोग मिला था। ___ चौविश जिनालय भूमिपूजन और शिलारोपण भायखला के विशाल परिसर में सेठ श्री मोतीशा रीलीजियस एण्ड चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा निर्मित २४ जिनालय का भूमिपूजन २०३९ का मगसर सुदि १२ सोमवार ता. २७-१२-८२ को और शिलारोपण २०३९ का मगसर वदि ७ बुधवार ता. ५-१-८३ को परम पूज्य शासन सम्राट आ. श्री विजय नेमिसूरीश्वरजी म. समुदाय के आचार्य श्री विजय शुंभकरसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय चन्द्रोदयसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से आ. विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. एवं उनके शिष्य श्री शीलचन्द्रविजयजी म. की शुभ निश्रा में रवीमेल (राज.) निवासी स्व. सेठ श्री हिराचन्दजी शोभाजी लोढा तथा उनकी धर्मपत्नी स्व. श्री पानीबाई की पुण्य स्मृति में उनके सुपुत्र श्री गोमराजजी एवं उनकी धर्मपत्नी अ. सौ. गजराबाई आदि सुपुत्र - पौत्र परिवार की तरफ से हुआ था। श्राविका आराधना भवन, ज्ञान भण्डार और धर्मशाला का शिलारोपण खीमेल (राज.) निवासी शा. दीपचन्दजी राठौड की धर्मपत्नी अ. सौ. सुखीबाई के आत्म श्रेयार्थ उनके सुपुत्र फतेहचन्द, चम्पालाल, अशोककुमार तथा भावेशकुमार एवं परिवारवालो की तरफ से परम पूज्य आ. श्री विजय शुभकर सूरीश्वरजी म. एवं आ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में. वि. सं. २०३९ का काति वदि ११, शनिवार, ता. ११-१२-८२ को शिलारोपण हुआ था। वर्धमान तप आयंबिल भवन का शिलारोपण परम पूज्य आ. श्री विजय नेमिसूरीश्वरजी म. समुदाय के आ. श्री विजय चन्द्रोदयसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय सर्योदयसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में सेठ श्री कानजीभाई कल्याणजी एवं उनकी For Private and Personal Use Only Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर धर्मपत्नी रवीमकोर बहन के आत्म श्रेयार्थे सेठ नागरदास, अ. सौ. मंजुलाबेन एवं सुपुत्र आदि परिवार की तरफ से वि. सं. २०३९ का काति वदि ११, शनिवार, ता. ११-१२-८२ को शिलारोपण हुआ था। चौविश जिनालय प्रतिष्ठा जिनालय की १५७ वी वर्षगांठ पर पूज्य आ. भ. श्री नेमिसूरीश्वरजी म. सा. के समुदाय के आ. श्री विजय मेरूप्रभसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय देवसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय चंद्रोदयसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय अशोकचंद्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में २४ तीर्थंकर प्रभु की प्रतिमाजी अलग देहरियो में बिराजमान करने के लिये, मूलनायक के सामने के विभाग में श्री पुंडरीक स्वामी तथा २४ तीर्थंकरो के देहरीयो के कम्पाउन्ड में श्री गौतम गणधर पादुका, श्री रायण पादुका की अंजन शलाका वि. सं. २०४३ का मगसर सुदि ३, गुरूवार, ता. ४-१२-८६ को तथा प्रतिष्ठा वि. सं. २०४३ का मगसर सुदि ६, शनिवार, ता. ६-१२-८६ को भव्य ठाठ माठ से हुई थी। __वर्तमान में मूल गंभारे में पाषाण की ३ प्रतिमाजी, रंगमंडप में, तथा पुंडरीक स्वामी की ओर पाषाण की ३१ प्रतिमाजी तथा २४ तीर्थंकरो के प्रतिमाजी सहित कुलपाषाण की ६० प्रतिमाजी, पंचधातु की प्रतिमाजी सिद्धचक्रजी वगैरह ८० का अन्दाजा हैं। मन्दिर के कम्पाउन्ड में एक होल में खरतर गच्छीय परम पूज्य आ. श्री जिनचन्द्रसूरि, परम पूज्य आ. श्री जिनदत्तसूरि, परम पूज्य आ. श्री जिनकुशलसूरि म. की चरण पादुकाएँ एवं श्री मोहनलालजी म. की चरण पादुकाएँ बिराजमान है। श्री घंटाकर्ण वीर, श्री नाकोडा भैरूजी तथा एक शासनदेव की प्रतिमाजी भी बिराजमान हैं। यहाँ साधु साध्वीजी म. के लिये अलग अलग उपासरा, भव्य खुला व्याख्यान हॉल, मोतीशा जैन पाठशाला, वि. सं. २०१३ में श्री भायखला वर्धमान तप आयंबिल भवन का जीणोद्धार, शा. सरेमलजी भेराजी साकरीया गोत्र परिवार बेडा (राज.) की तरफ से वि. सं. २०४९ का आसौ वदि १३, धन तेरस, ता. ११-११-१९९३ को उद्घाटन हुआ था। ___ यहाँ कबुतरो को दाने डालने की बहुत सुंदर व्यवस्था हैं । सेठ वनेचन्दजी देवीचंदजी बेडावाला प्याउ, युवको में श्री वल्लभ सेवा मण्डल, अलर्ट यंग ग्रुप अग्रणीय हैं । यहाँ चार महिला मण्डल भी भी भक्ति भावना में अग्रसर हैं। (३१२) श्री गोडीजी पार्श्वनाथ भगवान शिखर बंदी जिनालय सुमेर टॉवर कम्पाउन्ड में, मोतीशाह लेन, भायखला (पूर्व), मुंबई - ४०० ०१०. टे. फोन : ४९४ ४७ ६३ - मोहनची, बाबुलालजी - ३७५ २५ ०२, सागरमलजी - ३७८ २७ १९ विशेष : सर्वप्रथम यहाँ मूलनायक श्री गोडीजी पार्श्वनाथ प्रभु का गृह मन्दिर का निर्माण किया For Private and Personal Use Only Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०० मुंबई के जैन मन्दिर गया तथा परम पूज्य आचार्य भगवन्त दर्शनसागर सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४७ का फागुण सुद ४ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। सुप्रसिद्ध मन्दिर एवं भवन निर्माता श्रेष्ठिवर्य सुंघवी शा. सुमेरमलजी हजारीमलजी लुक्कड भीनमाल (राज.) निवासी ने यहाँ सुन्दर शिखरबंदी जिनालय का निर्माण किया हैं, जिसकी प्रतिष्ठा प्रात:स्मरणीय पूज्य पाद आचार्य श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य श्री हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५२ का माह सुद १५, रविवार, ता. ४-२-९६ को हुई थी। मूलगंभारे में चऊमुखी पाषाण की चार प्रतिमाजी मूलनायक श्री गोडीजी पार्श्वनाथ, श्री आदीश्वर भगवान, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ, श्री महावीर स्वामी तथा श्री गौतम स्वामी, श्री पुंडरीक स्वामी सहित पाषाण की ८ प्रतिमाजी, पंच धातुकी ११ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ६, अष्टमंगल - ३, श्री पार्श्वयक्ष श्री पद्मावती देवी तथा आरस पर बनाया गया शत्रुजय पट अति सुन्दर शोभायमान हो रहा हैं। इस मन्दिरजी का संचालन श्री सुमेर टॉवर जैन संघ - चेरीटेबल ट्रस्ट द्वारा हो रहा हैं। सुमेर टॉवर की ए - बिल्डींग के प्रथम माले पर शा. छोगमलजी पुखराजजी पालरेचा (मल्लीया) आराधना भवन हैं। सुमेर टॉवर की बी - बिल्डींग में प्रथम माले पर शा. मांगीलालजी सागरमलजी सादडी वाले (राणकपुर) आराधना भवन के अलावा श्री गोडी पार्श्वनाथ जैन पाठशाला एवं श्री गोडी पार्श्वनाथ महिला मंडल की व्यवस्था हैं। श्री (३१३) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मंदिर अरिहंत टॉवर, पहला माला, तुकाराम भीकाजी कदम मार्ग, भायखला (पूर्व), मुंबई - ४०० ०२७. टे. फोन : बाबुलालजी - ३०१ ४७ ७५, कान्तिलालजी - ३७१ ७६ ७४ विशेष : परम पूज्य आचार्य भगवंत सागरानन्दसूरीश्वरजी समुदाय के परम पूज्य आ. दर्शनसागरसूरि, आ. नित्योदयसागरसूरि, पन्यासजी श्री चन्द्राननसागर म. की निश्रा में वि. सं. २०४७ का माह सुदि ३ ता. १९-१-९१ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी, आजूबाजू में श्री मुनिसुव्रत स्वामी तथा श्री महावीर स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु के ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ४ व अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। भीनमाल निवासी श्रीमती मेथीबाई सरेमलजी दोशी परिवार ने श्री अरिहंत टॉवर जैन आराधना भवन का निर्माण किया तथा उद्घाटन वि. सं. २०४७ का माह सुदि - १, बुधवार, ता. १७-१-९१ को सांडेराव निवासी स्व. शा. जसराजजी सेसमलजी परिवार वालो ने श्रीमती मंछीबाई जसराजजी की प्रेरणा से किया। यहाँ उपासरा व पाठशाला की व्यवस्था है। For Private and Personal Use Only Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर (३१४) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय शंखेश्वर दर्शन कम्पाउन्ड में, अनन्त गणपत पवार क्रॉस लेन नं. २, वॉल्टस या जयहिन्द टॉकिज के पीछे, चींचपोकली क्रॉस लेन, भायखला (पूर्व), मुंबई - ४०००२७. टे. फोन : सोकलचंदजी - ३७१६९४७, ३७१०९४७, जयंतीलालजी - ३७२३०८३, ३७२ ९७ ७१, ३७३ २७५० (घर) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विशेष : श्री शंखेश्वर दर्शन जैन संघ द्वारा निर्मित इस शिखर बंदी जिनालय की प्रतिष्ठा परम पूज्य लब्धिसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य भगवन्त विजय यशोवर्मसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. संवत २०४९ का वैशाख सुद६ को धाम धूम के साथ हुई थी । (३१५) - यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु तथा आजूबाजू में श्री आदिनाथ प्रभु तथा श्री शान्तिनाथ प्रभु वगैरह कुल आरस की ६ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ४, अष्टमंगल १ के अलावा पार्श्वयक्ष, पद्मावतीदेवी, श्री चक्रेश्वरी देवी, श्री नाकोडा भैरूजी तथा दिवार पर आरस की सुन्दर खुदाई किये गये शत्रुंजय व गिरनार तीर्थ के पट सुशोभित है। मंदिरजी के बायी और आ. विजय वल्लभसूरीश्वरजी म. साहेबजी की गुरूप्रतिमाजी भी बिराजमान हैं। विशेष सूचना : प्रत्येक महिने की पूर्णिमा को यहाँ आनेवाले दर्शनार्थीओ के लिये श्री संघ की तरफ से भाता की व्यवस्था हैं । ॐ ॐ घोडपदेव - फेरबंदर २०१ श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर बाडा वाला चाल, डी. पी. वाडी, घोडपदेव - फेरबंदर, मुंबई - ४०० ०३३. टे. फोन : सोकलचन्दजी - ३७१६९४७, ३७१०९४७, जयंतीलालजी - ३७३२७५०, ३७२९७७१ (घर), ३७२३० ८३ (ओ.) विशेष : परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री विजय मोहन प्रताप के पट्टधर युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. आदि की पावन निश्रा में वि. सं. २०२८ का माह वद १० को मेहमान के रूप मे प्रभुजी बिराजमान किये गये थे, फिर वि. सं. २०३२ का फागुण सुद ७ को आपश्री के शिष्यरत्न पू. मुनिराज श्री कनकविजयजी ( वर्तमानमें) पू. आ. श्री विजयकनकरत्नसूरीश्वरजी) म. सा. आदि मुनि भगवंतो की प्रभावक निश्रा में चल प्रतिष्ठा हुई थी । - For Private and Personal Use Only इस गृह मन्दिर में चेम्बुर तीर्थ से प्राप्त मूलनायक मुनिसुव्रत स्वामी तथा आजूबाजू में श्री अंतरिक्ष पार्श्वनाथ एवं सुपार्श्वनाथ भगवान के साथ आरस के ३ प्रतिमाजी, पंचधातु के ७ प्रतिमाजी, सिद्ध चक्रजी ४, अष्टमंगल - १ तथा यक्ष- यक्षिणी व नाकोडा भैरूजी बिराजमान हैं। उपासरा, धर्मशाळा तथा आयंबिल भवन में ओलीयो के दिनो में आयंबिल कराये जाते हैं । मन्दिरजी के बाजू में ही श्री अचलगच्छ जैन संघ द्वारा संचालित श्री शामजी जेठाभाई छेडा जैन उपाश्रय एवं विविध लक्षी होल हैं। Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २०२ (३१६) www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर कॉटन ग्रीन श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर बहारे बिल्डींग, झकरीया बन्दर रोड, कोटन ग्रीन, मुंबई - ४०० ०१५. टे. फोन : ४१३ ५४ ५३ चंपालालजी, ४१३०३९३ विशेष :- श्री कॉटनग्रीन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ की ओर से इस गृहमन्दिर की चल प्रतिष्ठा वि. सं. २०१२ का श्रावण वदि १२ को हुई थी । (३१७) यहाँ आरस की २ प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - २ तथा कांच के बने द्दश्य में श्री शत्रुजंय, श्री पावापुरी, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री मणिभद्रवीर एवं श्री भैरूजी सुशोभित हैं। यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की पंचधातु की प्रतिमाजी तथा आजुबाजु में श्री जीरावला पार्श्वनाथ एवं श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ प्रभु दोनो आरस की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। यहाँ श्री पार्श्व महिला मंडल, श्री बुद्धि सामायिक मंडल, उपासरा तथा जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं । ❀ आंबा वाडी - काला चौकी श्री नाकोडा पार्श्वनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय दीपक ज्योति टॉवर कम्पाउण्ड में, जी. डी. आंबेडकर (परेल टेंक) रोड, आंबावाडी, फिनले टॉवर के पास, कालाचौकी, मुंबई - ४०० ०३३. टे. फोन: जयंतिलालजी (ओ.) - ३४५२८१०, ३४५२७४५, घर - ४१५ ३१३२ विशेष :- श्री नाकोडा पार्श्वनाथ चेरीटेबल ट्रस्ट द्वारा निर्मित एवं संचालित इस मन्दिरजी की प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय भक्तिसूरीश्वरजी म. समुदाय के आचार्य भगवंत श्री विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५१ का वैशाख सुदि ७, ता. ७-५-९५ को हुई थी । For Private and Personal Use Only यहाँ के जिनालय में मूलनायक श्री नाकोडा पार्श्वनाथ तथा आजुबाजु में श्री आदिनाथ प्रभु तथा श्री शांतिनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ५, अष्टमंगल - १ के अलावा श्री नाकोडा भैरुजी, श्री लक्ष्मीजी, श्री पार्श्वपक्ष, श्री पद्मावती देवी आदि अधिष्ठायक देव - देवी बिराजमान है । श्री दिपक ज्योति नाकोडा पार्श्वनाथ जैन संघ यहाँ के जिनालय का संचालन कर रहा हैं । Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मुंबई के जैन मन्दिर www.kobatirth.org चिंचपोकली - ना. म. जोशी (३१८) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर ना. म. जोशी मार्ग, हर हर वाला बिल्डींग, तीसरा माला, पोद्दार मील के सामने, डिलाईल रोड, मुंबई - ४०० ०११. टे. फोन : ३०९ ५४ ४० सुभाषजी, ३०७ २४ ३२ लक्ष्मीचन्दजी (३१९) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विशेष :- इस गृह मन्दिरजी की प्रतिष्ठा वि. सं. १९७७ का फागुण वदि १ को हुई थी । यहाँ मूलनायक श्री शान्तिनाथजी प्रभु के साथ श्री आदिनाथजी एवं श्री महावीर प्रभु की आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३ के अलावा पावापुरी शोकेस तथा कांच पर बने श्री शत्रुंजय तीर्थ व सम्मेत शिखरजी तीर्थ शोभायमान हैं। यहाँ उपासरा, श्री शांतिनाथ महिला सामायिक मण्डल, श्री शांतिनाथ जैन महिला मण्डल, श्री नाकोडा भैरव भक्ति मंडल की व्यवस्था हैं । ❀ (३२० ) २०३ चिंचपोकली - काला चौकी श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवान गृह मन्दिर श्री दिगविजय मील चाल नं. ३, ग्राउण्ड फ्लोर, दत्ताराम लाड पथ, कालाचौकी नाका, मुंबई - ४०० ०३३. टे. फोन : ४१३०५ ११ - फुलजी विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय सुरेन्द्रसूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. श्री विजय यशोभद्रसूरि म. ( डेहलावाले), मुनि श्री विमलभद्र विजयजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४३ का श्रावण सुदि ५ की चल प्रतिष्ठा हुई थी । मूलनायक श्री मुनिसुव्रतस्वामी तथा आजुबाजु में श्री आदिनाथ प्रभु व श्री शंखेश्वर पार्श्वप्रभु की आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ९ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ७, अष्टमंगल १ सुशोभित हैं । छतपर कांच की डिझाईन एवं मन्दिरजी के दिवारो पर कांच की कलात्मक डिझाईनो में श्री शत्रुंजय तीर्थ, श्री सिद्धचक्र यंत्र, श्री घंटाकर्णवीर, श्री मणिभद्रवीर, श्री लक्ष्मीदेवी व पद्मावती देवी सुशोभित हैं । यहाँ महिला मंडल व पाठशाला की व्यवस्था है । I ❀ करीरोड - लालबाग विभाग श्री सुविधिनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय १४२, डॉ. एस. एस. राव रोड, लालबाग, मुंबई - ४०० ०१२. टे. फोन : ४१३७३ ८० (ओ.) चंदुभाई फेमवाला - ३८८ ३२१३ For Private and Personal Use Only Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०४ मुंबई के जैन मन्दिर विशेष :- श्री कच्छी ओसवाल जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस जिनालय की प्रतिष्ठा वि. सं. १९८२ वीर सं. २४५२ जेठ सुदि १३, बुधवार ता. २३-६-१९२६ को खुब ठाठ माठ से हुई थी। यहाँ आरस के ११ प्रतिमाजी, पंचधातु की १५ प्रतिमाजी । सिद्धचक्रजी - ४, अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं। मंदिरजी के गंभारे और रंगमंडप के सामने की ओर आरस के बनाये भव्य तीर्थपट श्री शत्रुजय तीर्थ, श्री सम्मेतशिखरजी तीर्थ, श्री गिरनारजी तीर्थ विशेष रूप से दर्शनीय हैं। श्री महावीर मित्र मंडल द्वारा रचित कांच का सुन्दर जल मन्दिर हैं। आचार्य श्री कल्याणसागरजी म. की मूर्ति एवं चरणपादुका दर्शनीय हैं। यहाँ बाल युवा ज्ञान शाला, जैन पाठशाला, उपासरा एवं आयंबिल खाता की सुन्दर व्यवस्था हैं। (३२१) - श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर पुनम पार्क, लालबाग, मुंबई - ४०० ०१२. टे. फोन : ४१३ ९२ २९ चंदनमलजी, ४१२ ४३ ८६ घर, ३७२ ४५ १६ (ओ.) - धनराजजी विशेष :- श्री पुनम जैन संघ द्वारा निर्मित इस मन्दिरजी के मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु तथा आजुबाजु में श्री शान्तिनाथजी एवं श्री शीतलनाथजी की आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु के ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। श्री पार्श्वयक्ष, पद्मावती, श्री भैरूजी, श्री मणिभद्रवीर भी बिराजमान हैं। पाषाण पर खुदाई किये गये तीर्थ पट दर्शनीय हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री दर्शनसागर सूरीश्वरजी म., आ. श्री नित्योदय सागरसूरीश्वरजी म., पन्यासजी श्री चन्द्रानन सागरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४७ का माह वदि ५ को प्रतिष्ठा हुई थी। परम पूज्य संगठन प्रेमी श्री नित्योदय सागर सूरीश्वरजी म. के आ. श्री चन्दानन सागर सूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से सुरेन्द्र नगर निवासी श्री नरेन्द्रभाई पोपटलाल वोरा तथा धर्मपत्नी रश्मिबेन नरेन्द्र भाई वोरा एवं उनकी सुपुत्रीयों सोनालीबेन नीरवकुमार गाँधी, राधिकाबेन राजकुमार मेहता और मेघनाबेन की तरफ से श्री पुनम जैन संघ लालबाग को श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान के जिनालय की अर्पण विधि ता. २६-१०-९७ रविवार को सुबह १० बजे हुई थी। यहाँ पुनम पार्श्व महिला मंडल एवं सामायिक मंडल तथा पाठशाला भी चालु हैं। परेल (३२२) श्री आदिनाथ भगवान गृह मन्दिर लक्ष्मी कृपा बिल्डींग, आई माई मेखानजी स्ट्रीट, डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर रोड, परेल, मुंबई - ४०० ०१२. टे. फोन- ४१३ ६६ ६५ ओ., ४१३ ६५ ०८ कांतिलालजी, चन्दनमलजी - ४१३ ७३ ७४ For Private and Personal Use Only Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २०५ विशेष :- श्री आदिनाथ जैन संघ परेल द्वारा सर्व प्रथम जैन भुवन की चौथी मंजिल पर घर मन्दिर में श्री आदिनाथ प्रभु, श्री महावीर स्वामी एवं श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ बिराजमान किये गये थे। इन प्रतिमाजी की अंजन शलाका व प्रतिष्ठा पुना स्थित गोडीजी मन्दिरजी में हुई थी। इस प्रतिमाजी को पुना से लाकर वि. सं. २०३५ का आसौ सुदि १० शुभ घडी में भव्य रथयात्रा व चतुर्विध संघ के साथ बाजे गाजे के साथ आचार्य श्री रामसूरीश्वरजी म. (डेहलावाले) की शुभ निश्रा में प्रतिष्ठा की गई थी। देव गुरु धर्म के प्रभाव से परेल नगरी में बढ़ती जैन धर्म प्रेमीओं की संख्या को ध्यान में रखते हुए श्री आदिनाथ भगवान की कृपा दृष्टि से एक विशाल रम्य नूतन जिनालय का निर्माण हुआ। जिसकी प्रतिष्ठा वि. सं. २०५३ का वैशाख सुदि पूर्णिमा ता. २२-५-९७ गुरुवार को परम पूज्य आ. श्री दर्शनसागरसूरीश्वरजी म. के शिष्य संगठन प्रेमी आ. श्री नित्योदयसागरसूरीश्वरजी म. एवं आ. श्री चन्दाननसागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में हुई थी। ___ यहाँ के जिनालय में पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, ४ सिद्धचक्रजी, १ विशस्थानक एवं अष्टमंगल के अलावा श्री गौतम स्वामीजी, श्री मणिभद्रवीर, श्री नाकोडा भैरूजी, श्री पद्मावती माताजी आदि बिराजमान है। (३२३) श्री वर्धमान स्वामी भगवान (शिखरबंदी जिनालय) ६४, दादाभाई चमार बाग रोड, विकास एपार्टमेन्ट कम्पाउण्ड में, __डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर रोड, परेल, मुंबई - ४०० ०१२. टे. फोन-ओ. ४१३ ६९ ३४, श्री हिरजीभाई - ४१४ ७६ ७२, ४१४ ९० ४१ विशेष :- इस जिनालय का शिलान्यास परम पूज्य भुवनभानुसूरीश्वरजी म. साहेबजी आदि मुनि भगवंतो की शुभ निश्रा में वि. सं. २०३५ का आसौ सुदि १०, तारीख १-१०-७९ को सुश्रावक श्री हिंमतमलजी रघुनाथजी बेडावालो के कर कमलो से हुआ था। आ. विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. के समुदाय के तपोनिधि आचार्य श्री भुवन भानुसूरीश्वरजी म. के समुदाय के सुप्रसिद्ध प्रवचनकार पन्यास श्री चन्द्रशेखर विजयजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०३७ का पोष वदि ५ रविवार ता. २५-१-१९८१ को भव्य प्रतिष्ठा ठाठ माठ से हुई थी। प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर अचलगच्छाधिपति आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के शिष्य मुनि श्री कलाप्रभसागरजी म. ने भी पधारकर शासन शोभा में वृद्धि की थी। यहाँ आरस की ७ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - १ एवं श्री गौतम स्वामी तथा सुधर्मास्वामी की प्रतिमाजी भी बिराजमान हैं । यहाँ के ओफिस हॉल में शत्रुजय तीर्थ का पट भी सुशोभित हैं। ___ यहाँ श्री वर्धमान जैन महिला मंडल, श्री वर्धमान संस्कृति धाम, श्री वर्धमान जागृति युवक मंडल तथा उपासरा एवं श्री वर्धमान जैन पाठशाला की व्यवस्था है। For Private and Personal Use Only Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०६ मुंबई के जैन मन्दिर (३२४) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर सिद्धगिरि प्लोट नं. ९, राजकमल स्टुडियो, राजकमल लेन, एस. एस. राव. रोड, परेल, मुंबई - ४०० ०१२. टे. फोन-४१२ ०६ २५ भभूतमलजी, ४१३ ०१ ८९ बाबुलालजी, ४१४ ७८ ५५ पुनमचंदजी विशेष :- श्री हेमवर्धक राजकमल जैन संघ परेल द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृहमन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा वि. सं. २०५४ का जेठ वदि ९ गुरुवार ता. १८-६-९८ को परम पूज्य आ. श्री विजय भुवन भानुसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री विजय हेमरत्नसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में हुई थी। इस गृह मन्दिरजी में पाषाण के मूलनायक श्री आदिनाथ प्रभु की एक प्रतिमाजी, पंच धातुकी २ प्रतिमाजी एवं सिद्धचक्रजी - १ बिराजमान हैं। इस गृह मन्दिरजी के निर्माण का लाभ तथा मूलनायक श्री आदिनाथ प्रभु को बिराजमान करने का लाभ भारती कन्स्ट्रकशन के पार्टनर श्रेष्ठिवर्य श्री नानजी वेलजी छेडा (बिदडा ), श्री मणिलाल कानजी वीरा (नानी खाखर), श्री दिनेश रवजी छेडा (बिदडा), श्री सुरेश धनजी छेडा, (बिदडा) ने लिया हैं। पूज्य गुरूदेव की मंगल - प्रवचन धारा की वाणी सुनकर बिल्डर्स भाईयोने भव्य शिखरबंदी जिनालय निर्माण करने की भावना भी व्यक्त की हैं। शिवडी (३२५) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर मूलराज भवन, चौथा माला, आचार्य दोदे मार्ग (टी. जे. रोड), मुंबई - १५. टे. फोन-४१३ ५५ ८५ नवीनभाई विशेष :- श्री शिवडी जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ द्वारा संचालित सेठ श्री खेतशी टोकरशी आराधना भवन - मूलराज भवन तथा परम पूज्य आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. ज्ञानमन्दिर की व्यवस्था है। इसकी सर्व प्रथम स्थापना वि. सं. २००२ का काति वदि २ को हुई थी। उसके बाद परम पूज्य आ. भगवन्त श्री विजय मोहन - प्रताप के पट्टधर युगदिवाकर प. पू. आचार्य भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा से आपकी निश्रा में वि. सं. २०३३ में चलप्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी सिद्धचक्रजी - २ एवं अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। श्री अष्टापदजी, श्री पावापुरी, श्री कच्छपंचतीर्थी, श्री राणकपुर के अलावा श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री भैरूजी, श्री अचलगच्छ अधिष्ठायक महाकाली के फोटो भी सुशोभित हैं। पाठशाला, महिला मंडल भी चालु हैं। For Private and Personal Use Only Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन.मन्दिर २०७ | परेल - भोईवाडा (३२६) श्री महावीर स्वामी भगवान गृह मन्दिर वीरदर्शन, पहला माला, ४२ परेल भोईवाडा, परेल, मुंबई - १२. टे. फोन-४११ २६ २५ महेशभाई विशेष :- हमारे परेल भोईवाडा के जैन बन्धुओं ने यह गृह मन्दिर बहुत ही सुन्दर बनाया हैं। इसकी प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय मोहन - प्रताप के पट्टधर पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. आदि मुनि भगवंतो की शुभ निश्रा में वि. सं. २०२९ का माह वदि १२, गुरुवार, ता. १-३-७३ को खूब आनन्द मंगल के साथ हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री महावीर प्रभु के साथ चौमुखी प्रतिमाजी सहित आरस की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। यहाँ श्री घंटाकर्ण वीर, श्री नाकोडा भैरूजी, श्री मणिभद्रवीर, श्री चक्रेश्वरी देवी, श्री पद्मावती देवी, श्री अंबिकादेवी के अलावा श्री राणकपुरजी, श्री जलमन्दिर, श्री शत्रुजय, त्रिशला माता का झुला, मेघरथ का दसवा भव, नेम - राजुल बरात, श्रेयांसकुमार से ऋषभ प्रभु का पारणा, सभी कांच के चित्र दर्शनीय हैं। यहाँ श्री जैन युवा मण्डल, त्रिशला महिला मण्डल, श्री वर्धमान जैन पाठशाला व उपासरा की व्यवस्था हैं। दादर - मध्य रेलवे (३२७) श्री शीतलनाथ भगवान गृह मन्दिर आराधना भवन, रॉयल गेस्ट हाउस के उपर, मोहम्मद मंजिल, दादा साहेब फालके रोड, ___ दादर (पूर्व), मुंबई - ४०० ०१४. टे. फोन-४१४ ९५ ११ - शांतिलालभाई, ४११ ३७ ५६ - हरखभाई विशेष :- श्री दादर कच्छी जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इइ गृहमंदिर की अंजनशलाका एवं चल प्रतिष्ठा गच्छाधिपति आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के समुदाय के साहित्य प्रेमी आचार्य श्री कलाप्रभसागर सूरीश्वरजी म. आदि एवं पूज्य साध्वीजी गण की पावन निश्रा में वि. सं. २०५० का मगसर सुदि २, रविवार, तारीख ४-१२-१९९४ को हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री शीतलनाथ भगवान एवं आजुबाजु में श्री विमलनाथ भगवान एवं श्री शांतिनाथ भगवान की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ तथा चक्रेश्वरी एवं महाकाली देवी बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०८ मुंबई के जैन मन्दिर - जिनालय के बाजु में उपाश्रय व ओफिस हॉल हैं । यहाँ धार्मिक पाठशाला एवं श्री शीतलनाथ जिन महिला मंडल की व्यवस्था हैं। विलेपार्ले (पूर्व) के जिनालय में अंजनशलाका की हुई प्रतिमाजी बिराजमान हैं। जिन बिम्ब प्रवेश ता. १०-६-१९९२ को हुआ था। दादर - नायगाँव (३२८) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर लोक प्रकाश भवन, गाँधी चौक, ज्योतिबा फुले रोड, नायगाँव - मुंबई - ४०० ०१४. टेलिफोन-भभुतमलजी खोडा - ४१३ ३९ ८५, बंशीलालजी - ४१२ ४८८३ विशेष :- नायगाँव के श्री जैन श्वेताम्बर पोरवाल सकल संघ ने मिलकर एक गृह मन्दिर का निर्माण कराया, जिसकी प्रतिष्ठा वि. सं. २०२५ का फागुण सुदि ५ को परम पूज्य आ. श्री विजय रामसूरीश्वरजी म. (डेहलावाले) आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में धाम - धूम से हुई थी। यहाँ आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातुकी ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ५, अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं। श्री शत्रुजय, श्री सम्मेतशिखरजी, श्री घंटाकर्ण वीर तथा भैरूजी के चित्र भी दर्शनीय हैं। पच्चीसवी साल की रजत जयंती श्री राजचन्द्र विजयजी म. (श्री निरालाजी) की शुभ निश्रा में खूब धुम धाम से मनाई गई। यहाँ के श्री जैन संगीत मंडल, श्री वासुपूज्य मित्र मंडल - बैण्डपार्टी बहुत ही लोकप्रिय हैं। उपासरा व जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। [किंस सर्कल - माटुगा (३२९) श्री सहस्रफणा पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय किंग्स सर्कल, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर रोड, माटुंगा (पूर्व), मुंबई - १९. टे. फोन-ओ. ४०१ ०८७५ विशेष :- श्री रवजी सोजपाल एवं उनकी धर्मपत्नी अ. सौ. कंकुबाई कच्छ लायजावालोने आत्मश्रेयार्थ अपने खर्च से यह मन्दिर बनाया हैं । थाणा तीर्थोद्धारक जैनाचार्य भट्टारक श्री जिनरिद्धि सूरीश्वरजी म. की निश्रामें मन्दिरजी की शिलारोपण विधि करने में आई थी। उसके बाद श्री माटुंगा मूर्तिपूजक श्वेताम्बर कच्छी जैन संघ को यह मन्दिर अर्पण किया है। प्रतिष्ठा : आत्म - कमल - लब्धि सूरीश्वरजी म. के पट्टधर दक्षिण देशोद्धारक आ. श्री विजय लक्ष्मण सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २००५ का माह सुदि ५, गुरुवार, तारीख ३-२-१९४९ को भव्य ठाठ माठ के साथ प्रतिष्ठा हुई थी। For Private and Personal Use Only Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २०९ इस चऊमुखी मूलनायकजी जिनबिम्बो की अंजनशलाका वि. सं. २००४ के वैशाख मास में वढवाण शहर में शासन सम्राट् आ. भ. श्री नेमिसूरीश्वरजी म. सा. की शुभ निश्रा में हुई थी। उस समय प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री धर्मसूरीश्वरजी म. सा. भी वहाँ उपस्थित थे। यहाँ के जिनालय में आरस की १० प्रतिमाजी, पंच धातु के ११ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ६, चान्दी के सिद्धचक्रजी - ६, अष्टमंगल - २ एवं अनेक यंत्रो को नियमित पूजे जाते हैं। पार्श्वयक्ष एवं पद्मावतीदेवी के अलावा दादा कल्याणसागरसूरीश्वरजी म. एवं आचार्य श्री शांतिसूरीश्वरजी म. की प्रतिमाएँ गंभारे के पीछे की ओर बिराजमान हैं। लगभग ५३ तीर्थो को एवं ऐतिहासिक द्दश्यो को दिवार पर बनाये देखकर मन मोहित हो जाता हैं। मन्दिरजी के पीछे के भाग में ही नाराणजी शामजी महाजनवाडी हैं। इस छ मंजिली वाडी में लिफ्ट की व्यवस्था हैं। (३३०) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय के. ए. सुब्रह्मण्यम् रोड, ब्राह्मणवाडा नाका, वासुपूज्य मन्दिर चौक, ____किंग्स सर्कल, माटुंगा (पूर्व) मुंबई - ४०० ०१९. टेलिफोन-ओ. ४०१ ०७ ७१, रमणीकभाई - ४०२ ३३ ८४ विशेष :- इस भव्य जिनालय की शिलास्थापना महोत्सव वि. सं. २००७ में पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य प्रभावशाली निश्रा में हुी था, बाद में वि. सं. २००८ में आपश्री का गुजरात तरफ विहार होने से जिनालय का प्रतिष्ठा महोत्सव शासन सम्राट आचार्य श्री नेमिसूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. विजय विज्ञानसूरीश्वरजी म., आ. विजय कस्तूरसूरीश्वरजी म. तथा पन्यासजी श्री यशोभद्रविजयजी गणिवर आदि की पुनित निश्रा में वि. सं. २०११ का जेठ वदि ५, शुक्रवार, तारीख ता. १०-६-५५ को खूब आनंद मंगल के साथ हुआ था। इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री माटुंगा श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ जैन संघ है। इस अति सुन्दर जिनालय में आरस की २२ प्रतिमाजी, पंचधातु की १४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी२, अष्टमंगल - २ सुशोभित हैं। श्री अष्टापद तीर्थ, श्री गिरनार तीर्थ, श्री शत्रुजय तीर्थ, श्री सम्मेत शिखर तीर्थ ये चार बडे तीर्थो के अलावा ऐतिहासिक दृश्यों से दिवार एवं रंगमंडप की उपरी छत कलात्मक अनेक रंग भरे डिझाइनो से भरपूर हैं। मन्दिर के आगे की ओर एक तरफ श्री मणिभद्रवीर की देहरी हैं। तथा पिछे की ओर श्री घंटाकर्ण वीर की देहरी हैं । बाजु में पद्मावती माताजी की देहरी शोभायमान हैं। उपरी भाग में प्रथम खण्ड में श्याम रंग के मुनिसुव्रत स्वामी आदि ५ प्रतिमाजी एवं श्री घंटाकर्ण वीर की प्रतिष्ठा वि. सं. २०१७ का श्रावण सुदी ७, शुक्रवार को योगनिष्ठ आचार्य श्री बुद्धिसागर सूरीश्वरजी म. के शिष्य आचार्य कीर्तिसागरसूरि के प्रशिष्य उपाध्याय श्री कैलास सागर गणिवर्य की शुभ निश्रा में हुई थी। इस प्रतिष्ठा महोत्सव के अवसर पर श्री संघ की विनंती से पूज्यपाद For Private and Personal Use Only Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१० मुंबई के जैन मन्दिर सिद्धान्त निष्ठ आचार्य भगवंत श्री विजय प्रताप सूरीश्वरजी म. सा. और पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. गोडीजी जैन उपाश्रय - पायधुनी से पधारे थे और आप श्री की पुण्य निश्रा का लाभ श्री संघ को मिला था। __ कई वर्षों के बाद पूज्य पाद युगदिवाकर आ. भ. श्री धर्मसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में श्री सीमन्धर स्वामी एवं श्री शान्तिनाथ तथा पद्मावती माताजी की प्रतिष्ठा हुई थी वि. सं. २०४२ का फागुण सुदि ६ रविवार को हुई थी। मन्दिरजी की ओफिस के सामने ही श्री मणिभद्रवीर की देहरी की प्रतिष्ठा वि. सं. २०५० का चैत्र कृष्णा ५, शनिवार को परम पूज्य भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. एवं आचार्य श्री हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में हुई थी। यहाँ परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य निश्रा में आपके वि. सं. २०१३ के चातुर्मास में संवत्सरी महापर्व के दिन दिये गए आदेशानुसार श्रीमती जीवीबेन माणेकचन्द जैन श्राविका उपाश्रय और श्री शांतिलाल जीवनलाल अबजी भाई वर्धमान आयंबिल शाला, श्री मणिलाल नगीनदास रामचन्द्र भांखरीया आयंबिल हॉल का उद्घाटन पूज्य पाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत की निश्रा में वि. सं. २०१५ का फागुण वदि ८ को बडी धाम - धूम से हुआ था। उसी दिन आपने स्वयं माटुंगा में वर्षांतपका प्रारंभ किया था। श्रीमती प्रेमकुंवर पोपटलाल रामचन्द्र महेता आराधना हॉल का निर्माण वि. सं. २०३४ में हुआ था। श्री वासुपूज्य स्वामी मूलनायक प्रभु की प्रतिष्ठा का लाभ वढवाण शहर के निवासी सेठ श्री शान्तिलाल जीवनलाल एवं उनकी धर्मपत्नी अ. सौ. पार्वतीबेन ने लिया था । मन्दिरजी के निर्माण में भी उनकी तरफ से तथा स्वर्गस्थ सेठ मनसुखलाल सुखलाल (तारवाला) चुडा निवासी की पुण्य स्मृति में उनकी धर्मपत्नी चंपाबाई तथा उनके सुपुत्रो श्री पुरुषोत्तम दास एवं जितेन्द्रकुमार की तरफसे भी विशेष रूप से सहयोग प्राप्त हुआ था। श्री मणिलाल नगीनदास रामचन्द्र भांखरीया की तरफ से वि. सं. २००९ में स्थापित श्रीमद् बुद्धि सागर सूरीश्वरजी म. जैन पाठशाला सुशोभित हैं । ज्ञानमन्दिर - जैन उपाश्रय __नाथालाल के. मार्ग पर सेठ जीवणलाल अबजीभाई (वढवाणवाला) के सहयोग से वि. सं. २००९, इ. सन १९५३ में श्री माटुंगा जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ ज्ञान मंदिर का निर्माण हुआ हैं। इस ज्ञान मन्दिर - उपाश्रय का शिलारोपण विधान वि. सं. २००७ में माटुंगा श्री संघ के परम उपकारी पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजयधर्म सूरीश्वरजी म. सा. की पावननिश्रा में हुआ था। For Private and Personal Use Only Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org (३३१) मुंबई के जैन मन्दिर श्री माटुंगा जैन युवक मंडल जिसके सत्संग विभाग और बैण्ड विभाग है, श्री अभिषेक स्नात्र मंडल श्री वासुपूज्य भक्ति मंडल, श्री वासुपूज्य महिला मंडल, श्री सीमन्धर महिला मंडल की व्यवस्था हैं । ❀ श्री वासुपूज्यस्वामी जैन मन्दिर चौक के. ए. सुब्रह्मण्यम् रोड, और विजयकुमार अमृतलाल ओझा मार्ग के सर्कल पर आये स्थल का नाम “श्री वासुपूज्य स्वामी जैन मंदिर चौक" सुशोभित हैं । ❀ ❀ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवान गृहमन्दिर गिरिविहार, ब्राह्मणवाडा नाका, के. ए. सुब्रह्मण्यम् रोड, किंग्स सर्कल, माटुंगा (पूर्व), मुंबई - ४०० ०१९. टेलिफोन - ४०१५५ २२ विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक संघवी गोविन्दजी जेवत खोना हैं। सिद्धान्त महोदधि परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. के पट्टधर आचार्य भगवंत विजय रामचंद्रसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०२१, वीर संवत २४९१, मगसर सुदि ३, ता. १७-१२-१९६४ को चल प्रतिष्ठा हुई थी । इस मन्दिरजी में पंचधातु की ५ प्रतिमाजी एवं सिद्धचक्रजी ४ बिराजमान हैं। ❀ ❀ (३३२) श्री सीमन्धर स्वामी भगवान गृह मन्दिर महावीर बिल्डींग, पहला माला, महावीर मार्केट एवं पोस्ट ओफिस के बाजू में, तेलंग रोड, माटुंगा (पूर्व), मुंबई - ४०००१९. टेलिफोन- ओ. ४०१ ०३५६ रविन्द्र खोना - ४०२२०९५ २११ विशेष :- सर्व प्रथम परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. के शुभ आशीर्वाद से वि. सं. २०१८ का काति सुदि ४ रविवार को इस गृह मन्दिर की स्थापना हुई थी । सर्व प्रथम मूलनायक श्री सीमन्धर स्वामी बिराजमान थे । For Private and Personal Use Only वर्तमान में जिनालयका पुनः निर्माण करने के बाद परम पूज्य आचार्य श्री विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. समुदाय के आ. श्री विजय गुणयशसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय कीर्तियशसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५४ वैशाख सुदि ६, शुक्रवार, ता. १-५-९८ को चल प्रतिष्ठा हुई थी । यहाँ की मुख्य देहरी में मूलनायक श्री सीमन्धर स्वामी की प्रतिमाजी, आजुबाजु में श्री पार्श्वनाथ Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २१२ मुंबई के जैन मन्दिर व श्री महावीर स्वामी की पंचधातु की २ प्रतिमाजी बिराजमान है । दूसरी देहरी में पाषाण की श्री पार्श्वनाथ प्रभु, श्री सीमन्धर स्वामी एवं श्री गौतमस्वामी की ३ प्रतिमाजी बिराजमान हैं । कल्पवृक्ष एवं समवसरण युक्त कलात्मक डिझाईनो में दो देहरीयाँ बनाई गई हैं, जिसमें गणधर श्री गौतमस्वामी एवं आ. श्री विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. की पंचधातु की २ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। इसके अलावा पंचधातु की छोटी ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी- २, विसस्थानक - १, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इस मंदिर का नाम श्री कंकुबाई देवशी भाई गृहमन्दिर हैं। वि. सं. २०३५ में कंकुबाई के पोते तथा प्राणलालभाई के सुपुत्र जंबूकुमारने ११ वर्ष की आयु में दीक्षा ग्रहण की, जिनका जिनदर्शन विजयजी नाम रखा था । उनकी एक पुत्री जयलक्ष्मीबेन देवसीभाई ने उसी वर्ष दीक्षा ग्रहण की, जिनका नाम जितमोहाश्रीजी साध्वीजी रखा, वि. सं. २०४७ में प्राणलाल भाई ने भी दीक्षा ग्रहण की, जिनका नाम पुण्यरति विजयजी म. रखा, तथा उसी वर्ष में उनकी छोटी पुत्री हीरालक्ष्मीबेन देवशीभाई ने दीक्षा ग्रहण की, जिनका नाम हितजिनश्रीजी म. रखा गया । दोनो बहने साध्वीजी श्री जयाश्रीजी म. की शिष्याएँ बनी । चारो दीक्षाए परम पूज्य रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. साहेबजी के समुदाय में हुई थी । गृह मन्दिरजी के संचालकजी श्री चन्द्रकात देवशीभाई शाह, शाह कान्तिलाल चुनीलाल तथा शाह रवीन्द्रभाई गोविन्द जेवत खोना हैं । इन संचालको में से श्री चन्द्रकान्त भाई ने भी दीक्षा ग्रहण कर ली है। वडाला (३३३) श्री महावीरस्वामी भगवान गृह मन्दिर बैंक ऑफ इंडिया बिल्डींग, तीसरा माला, ३२८, कार्तक रोड वडाला, मुंबई - ४०००३१. टे. फोन : रम्भाबेन - ४१६००७२, अभयराजजी - ४१४५४५२, ४१४५४५३ विशेष :- श्री महावीर श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ जैन ज्ञान मन्दिर ट्रस्ट द्वारा इस मन्दिरजी का संचालन हो रहा हैं। सिद्धान्त महोदधि परम पूज्य आ. भगवंत विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०१९ का माह वदि ५, गुरुवार, ता. २२-२-७३ को भव्य प्रतिष्ठा हुई थी । यहाँ आरस की ७ प्रतिमाजी, पंचधातु की ११ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ८ एवं अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं 1 यहाँ श्री जैन नवयुवक मंडल, श्री महावीर महिला मंडल, श्री जैन जागृति महिला मंडल तथा जैन पाठशाला एवं उपासरा की व्यवस्था हैं । यहाँ लिफ्ट चालु हैं । 1 * ❀ (३३४) श्री चन्द्रप्रभस्वामी भगवान गृहमन्दिर कृष्णा निवास, ग्राउण्ड फ्लोर, रफिक अहमद किडवाई रोड, वडाला, मुंबई - ४०० ०३१. टे. फोन : (ओ.) - ४१२५६६८, ४१२५६ ७४ For Private and Personal Use Only Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २१३ विशेष :- श्री अचलगच्छ जैन संघ - वडाला इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक हैं। यहाँ श्री चन्दप्रभ स्वामी तथा आजुबाजु में श्री श्रेयांसनाथ भगवान एवं श्री मुनिसुव्रत स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २ एवं अष्टमंगल - १ के अलावा श्री प्रासाददेवी, विजययक्ष, भ्रकुटीदेवी ये शासनदेवी देवता भी बिराजमान हैं। दिवार पर श्री शत्रुजय तीर्थ व श्री गिरनार तीर्थ के पट भी रंगीन डिझाईन में सुशोभित हैं। इस मन्दिरजी की स्थापना वि. सं. २०४३, तारीख ७-१२-१९८६ को हुई थी। (३३५) श्री संभवनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय संभवनाथ भगवान चौक, रफिक अहमद किडवाई रोड, वडाला, मुंबई - ४०० ०३१. टे. फोन : (ओ.) - ४१२५६ ६८, ४१२५६ ७४, अशोकभाई - ४१२ ७० ३७, नानजीभाई - ४१२ ९९ ८८ विशेष :- श्री अचलगच्छ जैन संघ - वडाला की सर्वप्रथम स्थापना ई. सन १९७२ को हुई थी। इस मन्दिरजी की प्रतिष्ठा अंचलगच्छाधिपति आचार्य देव श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा में वि. सं. २०४३ का मगसर सुदि ७, रविवार, ता. ७-१२-८६ को खूब उल्लास पूर्वक हुई थी। __ यहाँ के मन्दिरजी के रंग मंडप पर नजर घुमाते हैं तो कांच की बनाई हुई अति सुंदर डिझाईनो की भरमार दिखती हैं। यहाँ मूलनायकजी के साथ आरस की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ३ के अलावा पावापुरी का शोकेस दर्शनीय हैं। प्रथम मंजिल पर आरस के ३ प्रतिमाजी श्री अजितनाथजी, श्री वासुपूज्य स्वामी, श्री सुमतिनाथजी, पंचधातुकी २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २ सुशोभित हैं । चक्रेश्वरी वगैरह ५ देवी देवताओं की प्रतिमाजी भी बिराजमान हैं। महाकाली माताजी की देहरी तथा आचार्य श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. का गुरुमन्दिर बाहरी भाग में दर्शनीय हैं । पूज्य मुनिराज श्री सूर्योदयसागरजी म. की शुभ निश्रा में गुरु मन्दिर की प्रतिष्ठा वि. संवत २०४९ का माह सुदि २ (गुरुदेव की ८१ वी जन्मतिथि) को ठाठ माठ से हुई थी। यहाँ धनजी रायमल देढिया (फरादीवाला) उपाश्रय हॉल तथा मधुकर उपाश्रय हॉल, श्रीवीर भगिनी मंडल तथा जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। संभवनाथ भगवान चौक श्री गणेश मन्दिरजी मार्ग, जैन देरासर मार्ग तथा रफि अहमद किडवाई मार्ग की ओर जानेवाला मार्ग ये तीनों मार्ग के बिच श्री संभवनाथ भगवान चौक सुशोभित हैं। For Private and Personal Use Only Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१४ मुंबई के जैन मन्दिर शिवडी- वडाला श्री आदिनाथ भगवान गृह मन्दिर प्लोट नं. ४०, उपेन्द्र बिल्डिंग, तीसरा माला, आगाशी में किंग्ससर्कल के नजदीक, शिवडी-वडाला रोड, नं.१४, __माटुंगा (पूर्व), मुंबई-४०० ०१९. टेलिफोन नं.-४०९६०८४ - विनोदभाई विशेष :- सुप्रसिद्ध भांखरीया चाय के मालिक श्रीमान मोहनलाल नगीनदास भाखरीया के परिवारवाले श्री विनोदभाई वगैरह इस गृहमन्दिरजी का संचालन कर रहे है। इनके परिवारवालो ने ही इसकी स्थापना की थी। परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री कैलाशसागर सूरीश्वरजी म. साहेब आदि मुनि भगवंतोकी पावन निश्रा में वि.सं. २०२१ का आसो सुदि १०, मंगलवार को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री आदिनाथ तथा श्री शान्तिनाथ प्रभु की पंच धातु की २ प्रतिमाजी, श्री पार्श्वनाथ प्रभु की आरस की एक प्रतिमाजी एवं श्री महावीर प्रभु की सुखड की १ प्रतिमाजी के अलावा श्री पद्मावती माताजी एवं आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. साहेबजी की एक प्रतिमाजी बिराजमान है। सायन - शिव (३३७) श्री धर्मनाथ भगवान गृह मन्दिर मोतीबाग, बी. लास्ट फ्लोर, आगाशी में, स्किम ६, क्रमांक -२२, ९६ सायन रोड, मुम्बई - ४०० ०२२. टेलिफोन :- ४०९ ४७ ८८ - देवेन्द्रभाई, ४०९ ७२ ५० - कनुभाई विशेष :- इस मन्दिरजी के संस्थापक मुम्बई के सुप्रसिद्ध धर्मप्रेमी शेठ कीकाभाई प्रेमचन्द थे। आज से लगभग ६० वर्ष पहले इस मन्दिरजी की स्थापना हुई थी। उसके बाद रवीन्द्र मलबारी इसके व्यवस्थापक रहे । अब मोतीबाग जैन संघ संचालन कर रहे है। यहाँ मूलनायक के साथ पंच धातु की ८ प्रतिमाजी, आजूबाजू में दोनो आरस की प्रतिमाजी के अलावा सिद्धचक्रजी -१, अष्ट मंगल -१, चान्दी की १ चौविशी चौविस प्रभुजी की तथा चान्दी के ही ३ प्रतिमाजी तथा ६ अष्टमंगल शोभायमान है। श्री मुनिसुव्रत स्वामी एवं श्री महावीर स्वामी की आरस की प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. For Private and Personal Use Only Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २१५ श्री नेमिसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. विजय अशोकचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि मण्डल की पावन निश्रा में वि.सं. २०३७ का वैशाख वदि ६, इ सन् १९८१ को हुई थी। भगवान मुनिसुव्रत स्वामी की वर्षगांठ प्रतिवर्ष वैशाख वदि ६ को मनाते है। ओशीया माताजी (राज.) की भव्य तस्वीर जिनालय में सुशोभित है। (३३८) श्री अभिनन्दन स्वामी भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय १८७, स्कीम ६, रोड नं. २५, श्री अभिनन्दन स्वामी रोड, श्री सोसायटी, सायन (पश्चिम), मुंबई-४०० ०२२. टेलिफोन नं. - ४०७ ३२ ३७ - वी.के. वोरा विशेष :- सायन विभाग का सबसे सुन्दर एवं विशाल गगन चुम्बी जिनालय है। मुंबई महानगर के जैन संघो के अजोड उपकारी पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य प्रेरणा से एवं आपकी प्रभावक निश्रामें इस मन्दिरजी का शिलारोपण सुरेन्द्रनगरवाला शेठ श्री नरशीदास धरमशी शाह के सुपुत्रो श्री चीमनलाल, धीरजलाल नरशीदास घडीयाली परिवार वालो के वरद हस्ते वि. सं. २०२१ का माह सुदि २, ता. ३-२-६५, गुरुवार को हुआ था तथा प्रतिष्ठा वि.सं. २०२५ का जेठ सुदि ५, गुरुवार, ता. १३-५-६९ को परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री कैलाससागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में हुई थी। इस मन्दिर के मूलनायक भराने का, प्रवेश कराने का तथा प्रतिष्ठा का लाभ सुरेन्द्रनगरवाला धीरजलाल नरशीदास तथा जितेन्द्रकुमार चीमनलाल ने लिया था। इस जिनालय में आरस की ९ प्रतिमाजी, पंचधातुकी ११ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ७, अष्टमंगल १ तथा १ यंत्र भी है। यहाँ पटवा मणिलाल चुनीलाल शीजोलीवाला ज्ञानमन्दिर की व्यवस्था है। उपासरा - पाठशाला तथा सामने चिमनलाल दुर्लभजी ज्ञान मन्दिर भी सुन्दर है। इस ज्ञान मन्दिर - जैन उपाश्रय के लिये भूमि की प्राप्ति प.पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की प्रबल प्रेरणा से श्री संघ को हुई थी। आपश्री की ही पावन निश्रा में इसका शिलारोपण विधान हुआ था। यहाँ संघकी प्रवृति विशेष रुप से प्रशंसनीय है. जिसमे श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भक्ति मण्डल - श्री झालावाड महिला मंडल, श्री श्रीभनन्दन स्वामी स्नात्र मंडल, श्री अजित शान्ति श्राविका मंडल, श्री अभिनंदन स्वामी सामायिक मंडल, श्री जैन श्रेयस्कर युवक मंडल एवं श्री नवजीवन ग्रुप मंडल की व्यवस्था है। For Private and Personal Use Only Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २१६ (३३९) www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर हिन्द को. सोसायटी, वृन्दावन बिल्डिंग नं. ७ कम्पाउंड में, करोड, एन. एस. मंकीकर मार्ग, सायन (पूर्व), मुंबई - ४०० ०२२, टेलिफोन नं. - ४०९४३९९ - जयन्तीभाई - ४०७२९७७ विशेष :- इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री शान्तिनाथ श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ है। श्री जयन्तीभाई मेहता की सेवा अनुमोदनीय हैं। ( ३४० ) इस जिनालय की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०३२ का फागुन सुदि ४ को हुई थी । यहाँ चेम्बूरतीर्थ से प्राप्त मूलनायक श्री शान्तिनाथ प्रभु तथा आजू बाजू में श्री मुनिसुव्रतस्वामी एवं श्री नेमिनाथ प्रभुकी आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातुकी २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी २ एवं अष्टमंगल १ बिराजमान है | बाजू के कमरे में आरस की कोतरणी पर बनाया गया शत्रुंजय पट दर्शनीय है । श्री कान्तिलाल छगनलाल शाह जैन पाढशाला तथा श्री वृन्दावन सोसायटी महिला मंडल की व्यवस्था हैं । सायन - धारावी श्री महावीरस्वामी भगवान गृह मन्दिर धारावी मेन रोड, काला किल्ला, धारावी, मुंबई - ४०००१७. टेलिफोन नं. - ४०९२५१४ - रोणजी टी.वी. वाला, ६०४ ४६ ६८ (घर), ४०७ १३ १४ - शंकरजी (ओ.) विशेष :- इस मन्दिर की स्थापना वि.सं. २०१९ का माह सुदि १३ को शेठ श्री मकुचन्दजी के कर कमलो द्वारा हुई थी। उसके बाद तो संसार त्याग कर जैन श्वेताम्बर मुनिराज बन गये । For Private and Personal Use Only यह मन्दिर पहले माले पर आया है । यहाँ आरस के ३ प्रतिमाजी, पंच धातु के ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी -२, अष्टमंगल १ तथा दिवार पर भैरुजी का सुन्दर कांच का चित्र है । शत्रुंजय तीर्थ व राणकपुर तीर्थ सुशोभित है । पावापुरी शोकेस भी दर्शनीय है । Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २१७ (३४१) श्री महावीरस्वामी भगवान गृह मन्दिर परशुराम अल्लापा चाल, मेन रोड, क्रोस गली में , धारावी, मुंबई - ४०० ०१७. टेलिफोन नं.- ४०७ ७४ २९, ४०७ २७ ३२ - श्री पुरुषोत्तमभाई विशेष :- यह मन्दिर शेठ श्री पुरुषोत्तमभाई के घर के बाजू के कमरे में बना है। पुरानी डरावनी सिढिया चलने को है। परम पूज्य शासन प्रभावक आचार्य भगवन्त श्री विजय मोहनसूरीश्वरजी म. साहेबजी के पट्टधर परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म.सा., प.पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं २०३१ का आषाढ सुदि १० को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ के गृह मन्दिर में पंच धातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्र जी ३ तथा अष्ट मंगल बिराजमान है । पाठशाला - उपासरा की प्रबल मनोकामना है। (३४२) श्री महावीरस्वामी भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय गोल्ड फिल्ड कम्पाउन्ड, सायन - बान्द्रा लिंक रोड, काला किला, धारावी, मुंबई - ४०० ०१७. टेलिफोन नं.-४०९ २५ १४ - रोणजी टी.वी. वाला, ६०४ ४६ ६८ (घर), ४०७ १३ १४ (आँ), शंकरजी विशेष :- श्री धारावी राजस्थान जैन संघ ने मूलनायक श्री महावीर स्वामी भगवान का एव भव्य शिखर बंदी जिनालय निर्माण करने की योजना की, इस योजना को साकार करने के लिये पर। पूज्य आ. श्री कल्याण सागरसूरीश्वरजी म. साहेब की पावन निश्रा में खनन विधि (भूमि पूजन) वि.सं २०५४ का मगसर सुदि १३ ता. १२-१२-९७ शुक्रवार को सुबह ९.२७ मिनट पर हुआ था तथ शिलारोपण २०५४ का मगसर सुदि १५ रविवार ता. १४-१२-९७ को हुआ था। कुर्ला (पश्चिम) (३४३) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर सुभाष नगर, न्यू मील रोड, पहला माला, कुर्ला (प.), मुंबई -४०० ०७०. टेलिफोन नं.- ५१४ ४३ ५० - दीपचंदजी लखा, ५१४ ३६ ९७, ५११ ६७ ८६ - पारसमलजी For Private and Personal Use Only Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१८ मुंबई के जैन मन्दिर - विशेष :- परम पूज्य शासन सम्राट आ. श्री विजय नेमिसूरीश्वरजी म.सा. के पट्टधर आ. विजय विज्ञानसूरीश्वरजी म. सा. तथा उनके पट्टधर आ. श्री विजय कस्तूरसूरीश्वरजी म. साहेब की पावन निश्रा में चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ आरस के ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २२ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी -११, सुशोभित है। यक्षयक्षिणी के अलावा पंचधातु के भैरुजी भी बिराजमान है। इस जिनालय के संस्थापक एवं संचालक श्री पार्श्वनाथ भगवान जैन देरासर धर्मस्थान संघ है। यहाँ उपासरा, पार्श्वनाथ जैन पाठशाला एवं आयंबिल शाला की सुन्दर व्यवस्था है। श्री जैन पार्श्व मंडल एवं आदिनाथ महिला मंडल भक्ति भावना में अग्रसर हैं। भगवान महावीर चौक - कुर्ला (प.) यहाँ के न्यु मील रोड और महाराजा अग्रसेन मार्ग के जोड पर श्री भगवान महावीर चौक सुशोभित हैं। श्री जैन पार्श्व मंडल के संयोजक द्वारा ता. २३-४-९४ को उद्घाटन हुआ था। (३४४) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृहमन्दिर १८५ श्री मुनिसुव्रत भवन, तीसरा माला, जुना कुर्ला विभाग, लालबहादुर शास्त्री मार्ग, कुर्ला (प.), मुंबई - ४०० ०७०. टेलिफोन नं.- तेजराजजी (ओ.) - ५१५ २७ ६८, ५१४ ०८ ३३ (घर), बाबुलालजी - (ओ.) ५१४ ३४ ५२, ५११ ३५ ९२ (घर) विशेष :- श्री मुनिसुव्रत स्वामी ओसवाल मरूधरीय जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस मन्दिरजी की प्रतिष्ठा परमपूज्य प्रवचनप्रभावक आ. श्री विजय मोहन - प्रताप के पट्टधर पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०३२ का फागुण सुदि ३ को हुई थी। यहाँ जिनालय में चेम्बुर तीर्थ से प्राप्त मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी की श्याम वर्णीय प्रतिमाजी के साथ पाषाण की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - २ के अलावा गंभारे में ही आरस के श्री गौतमस्वामी व पुंडरीक स्वामी की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। बाजू के कमरे में श्री मणिभद्रवीर, श्री नाकोडा भैरुजी, श्री घंटाकर्ण वीर की प्रतिमाजी भी दर्शनीय For Private and Personal Use Only Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर यहाँ कच्छ की पंचतीर्थी में श्री जखौ तीर्थ, श्री कोठारा तीर्थ, श्री भद्रेश्वर तीर्थ, श्री तेरा तीर्थ, श्री सुथरी तीर्थ एवं गोडवार की पंचतीर्थी में श्री नाडोल तीर्थ, श्री नारलाई तीर्थ, श्री वरकाणा तीर्थ, श्री मुछाला महावीर तीर्थ, श्री राणकपुर तीर्थ इसके अलावा श्री आबुजी तीर्थ, श्री सम्मेत शिखर तीर्थ, श्री शत्रुंजय तीर्थ, श्री गिरनार तीर्थ, श्री अष्टापद तीर्थ, श्री पावापुरी तीर्थ, श्री नाकोडा तीर्थ, श्री तारंगा तीर्थ, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ इन तीर्थो के अलावा २४ तीर्थंकरो के फोटो, जंबू कुमार का ८ पत्नीयो को उपदेश, सिद्धचक्रजी, धर्मचक्र, स्थूलभद्र रूपकोशा, लक्ष्मीदेवी, सरस्वती देवी, केसरीयाजी, मेरू अभिषेक, नागेश्वर पार्श्वनाथ, चंडकोशीया - महावीर, भगवान श्री आदिनाथजी का इक्षु रस का पारणा, त्रिशला मां के १४ स्वप्न, भोमियाजी ये सभी चित्र मन्दिरजी की दिवारो पर कांच के बनाये इतने सुन्दर लगते हैं कि दर्शन करते ही मन मोहित हो जाता हैं । यहाँ उपासरा व जुना कुर्ला महिला मंडल की व्यवस्था हैं । ❀ & कुर्ला (पूर्व ) चुनाभट्टी Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१९ (३४५) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय स्वदेशी मील रोड, स्टे. चुनाभट्टी, कुर्ला (पूर्व), मुंबई - ४०००७०. टेलिफोन नं. (ओ.) ५२९१६८३, ५२२७८९८ - नगराजजी पंडिया, कांतिलालजी - ५१४ ४२०७, कान्तिलालजी - ५१४५१२४ For Private and Personal Use Only विशेष :- लगभग सो वर्ष प्राचीन यह गृह मन्दिर हैं। गृह मन्दिर के रूप में २० वर्ष तक था । उसके बाद सर्व प्रथम प्रतिष्ठा वि. सं. १९७२ का माह सुदि - १३ को हुई थी । उसके बाद आरस के ५ प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा वि. सं. २०१८ का वैशाख सुदि ७ को पूज्यपाद सिद्धान्त रक्षक आचार्य भगवंत श्री प्रतापसूरीश्वरजी म., एवं पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में हुई थी । जीर्णोध्दार के बाद संपूर्ण नूतन शिखरबंदी जिनालय तैयार होने पर परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री मोहन - प्रताप धर्म यशोदेवसूरीश्वरजी म. के पट्टधर शतावधानी आ. श्री विजय जयानन्द सूरीश्वरजी म. प. पू. विशद वक्ता आ. श्री विजय कनकरत्न सूरीश्वरजी, परम पूज्य विद्वद्वर्य आ. श्री विजय महानन्द सूरीश्वरजी म., प. पू. विद्वान वक्ता आ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि भगवंतो की शुभ निश्रा में वि. सं. २०४७ का मगसर वदि ६, शुक्रवार, ता. ७-१२-९० को दस दिन के भव्य महोत्सव के साथ अंजन शलाका और प्रतिष्ठा धामधूम से हुई थी । यहाँ के जिनालय में मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु सहित आरस के १३ प्रतिमाजी, - Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२० मुंबई के जैन मन्दिर सिद्धचक्रजी - ७ तथा आरस पर खुदे हुए श्री अष्टापदजी, श्री गिरनारजी, श्री सम्मेतशिखरजी, श्री शत्रुजय आदि पट भी दर्शनीय हैं। पार्श्वयक्ष, पद्मावती, शासनदेवी व मणिभद्रवीर की प्रतिमाजी भी बिराजमान हैं। उपर के विभाग में २०० वर्ष प्राचीन मूलनायक श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान सहित आरस की ५ प्रतिमाजी तथा ४ शासन देव देवीयों की प्रतिमाजी भी बिराजमान हैं। पुराने मन्दिर में मूलनायक श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान ही थे। जो नीचे बिराजमान थे। यहाँ उपासरा, जैन पाठशाला, श्री धर्मनाथ जैन महिला मंडल की व्यवस्था हैं। विशेष सूचना :- यात्रिको को सूचित किया जाता हैं कि प्रत्येक महिने की पूर्णिमा को यहाँ दर्शन पूजा करने के लिये आने वाले भाई - बहनो के लिये भाता की व्यवस्था हैं। कुर्ला (पूर्व) नेहरु नगर (३४६) श्री चन्द्रप्रभ स्वामी भगवान गृह मन्दिर राशन ओफिस के सामने, एस. जी. बर्वे मार्ग, नेहरू नगर, कुर्ला (पूर्व), मुंबई - ४०० ०२४. टे.फोन : दानमलजी - ५२२ ४७ १९, पुखराजजी - ५२२ ७६ ९७ विशेष :- श्री नेहरु नगर श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ कूर्ला (पूर्व) के मकान को साधारण फण्ड से लिया गया हैं । संघ ने देव - द्रव्य फंड से आरस के शिखर युक्त पद्मासन वगैरह बनवाकर अचलगच्छाधिपति परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्रीमद् गुणसागर सूरीश्वरजी म. के पट्टधर साहित्य दिवाकर परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री कलाप्रभसागर सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०४७ का वैशाख वदि २ ता. ३०-५-९१ गुरुवार को चल प्रतिष्ठा करवाई थी। यहाँ मूलनायक श्री चंद्रप्रभ स्वामी भगवान तथा आजुबाजु में श्री आदिनाथ भगवान व श्री महावीर स्वामी ये आरस की तीन प्रतिमाजी, पंचधातु के २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं। __ श्री घंटाकर्ण वीर, श्री नाकोडा भैरूजी, श्री भोमीयाजी, श्री मणिभद्रवीर, एवं पद्मावती माता के फोटो भी दर्शनीय हैं। यहाँ श्री चन्द्रप्रभस्वामी जैन पाठशाला, श्री चन्द्रप्रभ स्वामी जैन नवयुवक मंडल, श्री चन्द्रप्रभ स्वामी जैन महिला मंडल एवं श्री महावीर महिला मंडल की व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २२१ चेम्बुर चेम्बुर तीर्थ (मुंबई का शत्रुजय) (३४७) श्री ऋषभदेव भगवान भव्य शिखर बंदी महाजिनालय श्री आदीश्वर दादा जैन मन्दिर चौक, दसवा रास्ता, रामकृष्ण चेम्बुरकर मार्ग, चेम्बुर, मुंबई - ४०० ०७१. टेलिफोन नं.-(ओ.) ५२८ ६८ ०२, ५२८ ०२ ०१ केशवजीभाई - (ओ.) ५२२ २५६६, ५५५ ९६ ६६, घर - ५२२ ८४ १९, चंपालालजी - (ओ.) ५२८ २२ २०, ५२८ ८४ ७४, घर - ५२२ २१ ५४ विशेष :- मुंबई महानगर और उपनगरो की जैन जनता ने जिसको ‘लघु शत्रुजय' की उपमा देकर गौरव किया हैं ऐसे चेम्बुर तीर्थ के स्वप्न द्रष्टा, प्रबल प्रेरणा दाता और प्रणेता हैं मुंबई महानगर और उपनगरो के जैन संघो के अजोड उपकारी, जैन शासन के महाप्रभावक, युगदिवाकर पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी महाराज साहेब । चेम्बुर जैसे उपनगर में, जहाँ एक भी जैन मन्दिर नहीं था, वहाँ ऐसे देव विमान जैसे विशाल, भव्य, रमणीय और मनमोहक मन्दिर के निर्माण से मुंबई महानगर की रोनक में और चार चान्द लग गये हैं। चेम्बुर का यही एक मात्र महाजिनालय, आकाशगामी उत्तुंग कला कोरणी युक्त तीन भव्य शिखर, त्रि चौकी, शणगार चौकी, विशाल रंग मंडप, भव्य घुम्मट, सामरण बद्ध दो पार्श्वचौकी, तीन भव्य गर्भगृह, विस्तृत भूमिगृह, विशाल परिसर इत्यादि शिल्प शास्त्रानुसारी जिन प्रासाद के सभी अंगो पांगो से युक्त महाप्रासाद, सारे चेम्बुर उपनगर का आभूषण होते हुए मुंबई महानगर का शणगार हैं, इसी लिए आज लोग उनको महानगर का मध्यवर्ती तीर्थधाम कहते हैं। चेम्बुर तीर्थ का यह संपूर्ण विशाल भूमि खण्ड, वि. सं. १९९८, ईसवी सन १९४२ में जामनगर निवासी प्रभु भक्ति परायण वीशा ओसवाल ज्ञातीय तपागच्छीय जैन श्रावक श्रेष्ठिवर्य श्री कपूरचन्द संघराज ने चेम्बुर में अधिष्ठायक शासन देव द्वारा स्वप्न सूचित श्री बावन जिनालय - महाप्रासाद के निर्माण के लिये सरकार के पास से खरीद कर लिया था और मूलनायक श्री ऋषभदेव भगवान ५१" आदि जिनबिंबो का निर्माण अपनी संपूर्ण निगाह में विधि विधान पूर्वक जयपुर के कुशल मूर्तिकलाकारो के पास अपने खर्च से कराया था, किन्तु भवितव्यता के कारण जिनप्रासाद के कार्य का प्रारंभ होने के पहले ही श्री कपूरचन्द शेठ का स्वर्गवास हो गया। बाद में वि. सं. २००७ में पोष वदि ५ के शुभदिन भायखला सेठ मोतीशा जिनालय तीर्थ में ५०,००० की विराट जनमैदनी के बीच श्री गोडीजी विजय देवसूरि जैन संघ की तरफ से श्री उपधान For Private and Personal Use Only Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२२ मुंबई के जैन मन्दिर तप महाआराधना के मालारोपण महोत्सव के सुवर्ण अवसर के साथ आचार्य पदार्पण होने के बाद, पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. विहार करके थोडे दिनो में चेम्बुर पधारे और यहाँ आपके पुण्य पदार्पण के साथ ही आपकी प्रभावशाळी प्रेरणा और मार्गदर्शन से शेठ श्री कपूरचन्द संघराज के स्वर्गीय भाई श्री पोपटलाल संघराज की धर्मपत्नी प्रेमकुंवरबेन और उनके कुटुंबीजनोने, श्री कपूरचन्द शेठ के आत्मश्रेयार्थ, चेम्बुर नाका के पास सघन वृक्ष घटाओ और हरियाली से आच्छादित रमणीय विशाल राजमार्ग पर तीर्थस्वरूप रम्य और भव्य महाजिनालय के निर्माण हेतु श्री ऋषभदेवजी जैन देरासर और साधारण खाता ट्रस्ट - चेम्बुर की स्थापना करके इस ट्रस्ट को वह भूमि खण्ड और श्री ऋषभदेव प्रभु की अपूर्व शिल्प परिमंडित भव्य भाववाही रमणीय प्रतिमा ५१" (परिकर के साथ १०१") अर्पण की... और उसी दिन वि. सं. २००७ में इस ट्रस्ट ने तत्कालीन जैन संघ के सहयोग के साथ परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य निश्रा में शिखरबद्ध लघु जिनालय का खनन - शिलारोपण करके जिनालय निर्माण का प्रारंभ किया। भूमिगृह तक कार्य होने के बाद वि. सं. २००८ में परम पूज्य युगदिवाकर आचार्यदेव का गुजरात में बडौदा में श्री शान्तिनाथ जिनालय की अंजनशलाका और प्रतिष्ठा हेतु प्रयाण हुआ, और इस तरफ शासनदेव को चेम्बुर की इस धन्य धरा पर छोटा जिनालय मंजूर नही होगा, किन्तु तीर्थ स्वरुप भव्य और विशाल महाप्रासाद का शासनदेव का संकेत होगा, इसीलिये जिनालय का निर्माण कार्य आगे नही बढा। वि. सं. २००९ में मुंबई - पायधुनी - विजयवल्लभ चौक में श्री आदिनाथ जिनालय में परम पूज्य पंजाब केसरी युगवीर आचार्य भगवंत श्री विजय वल्लभसूरीश्वरजी म. सा. की शुभ निश्रा में श्री ऋषभदेव प्रभु की भव्य प्रतिमा की अंजनशलाका कराके वर्तमान जिनालय के इशान कोने में एक पतरे की खोली बनाकर उसमें शुभ मुहूर्त में मूलनायक प्रभुजी को बिराजमान करने में आया । समयांतरे वि. सं. २०१८ का फागुण वदि १३ के दिन चेम्बुर में पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्यदेव श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. का पुन: आगमन हुआ और आपकी निश्रा में कार्यकर्ताओं की सभा में पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शनानुसार भव्य और विशाल महाजिनालय का निर्माण करने के लिये पुन:प्रारंभ करने का निर्णय हुआ और पूज्य गुरूदेव की उपदेश लब्धि के प्रभाव से महाजिनालय निर्माण का फंड प्रारंभ हुआ। शिल्प शास्त्र विशारद श्री नंदलाल चुनीलाल सोमपुरा ने तीन शिखरवाले महाप्रासाद का रेखा चित्र तैयार किया। वि. सं. २०१८ श्रावण वदि २ के शुभ मुहूर्त में परम पूज्य युग दिवाकर आचार्यदेव श्री की शुभ निश्रा में दानवीर शेठ श्री माणेकलाल चुनीलाल शाह के शुभ हस्तो से नूतन महाप्रासाद का खनन - शिलान्यास विधान हुआ। शासन देव की पूर्ण कृपा और पूज्य युग दिवाकर गुरुदेव के जागृत मार्गदर्शन से सिर्फ ९ मास के अल्प समय में विशाल गर्भगृह तैयार होने पर वि. सं. २०१९ For Private and Personal Use Only Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २२३ वैशाख वदि १३ के सुबह ५ बजे पूज्य युग दिवाकर गुरुदेव और हजारो भाविको की उपस्थिति में शेठ श्री माणेकलाल चुनीलाल के हस्तो से मूलनायक श्री ऋषभदेव प्रभु का गर्भगृह में प्रवेश महोत्सव हुआ। ___और पूज्य युगदिवाकर गुरुदेव श्री की पुण्य प्रेरणा से अनेक जिनालयो के ट्रस्टो और धर्मप्रेमी उदार श्रीमंतो की तरफ से लाखो रूपयो का सहयोग मिलने से उस समय के रूपये १० लाख से ज्यादा खर्च से प्रभु प्रवेश के बाद १० महिनो के समय में गंगनगामी तीन महाशिखर, रंगमंडप आदि तैयार हो गया और वि. सं. २०२० का फागुण वदि ३, रविवार, ता. १-३-१९६४ के परम पवित्र शुभ मुहूर्त में परम पूज्य सिद्धान्त निष्ठ आचार्य भगवंत श्री विजय प्रताप सूरीश्वरजी म. सा. और परम पूज्य युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. एवं आपके विशाल साधु - साध्वी परिवार की पुण्य निश्रा में चेम्बुर तीर्थ का ऐतिहासिक और यादगार अंजनशलाका - प्रतिष्ठा महोत्सव बडे ठाठ माठ से धामधूम पूर्वक मनाया गया। मूलनायक श्री ऋषभदेव प्रभु ५१" की प्रतिष्ठा जैन संघ के अग्रणी शाह सौदागर सेठ श्री माणेकलाल चुनीलाल शेठ के शुभहस्तो से की गई और अन्य महानुभावो ने अन्य जिन बिम्बो की प्रतिष्ठा की थी। प्रतिष्ठा महोत्सव के १० दिनो तक सुबह से शामप्रर्यन्त हजारो भाविको, और अंतिम प्रतिष्ठा के दिन ४०, ००० भाविको का साधर्मिक वात्सल्य, बडे बडे भोजन मंडपो में मुंबई में प्रथमबार कुरशी - टेबल के उपर बैठाकर भक्तिपूर्वक जीमाने की व्यवस्था के साथ बडा भारी आयोजन किया गया था, और भी विविध प्रकार के कई आयोजन किये गये थे। लाखो की जनता ने इस महामहोत्सव का लाभ लिया था, तब से चेम्बुर का महाप्रासाद महानगर का महान तीर्थ बन गया और तब से चेम्बुर जैन संघ की हर तरह से उन्नति के साथ चेम्बुर की समस्त जनता में आबादी बढ़ रही हैं। श्री ऋषभदेव भगवान सबकी श्रद्धा और भक्ति के केन्द्र हो चूके हैं । लाखो मुंबई वासीयो के लिये यात्राधाम बन गया हैं। प्रतिष्ठा के बाद अल्प समय में ही पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से श्री मूलजीभाई जगजीवन सवाई जैन उपाश्रय, श्री प्रागजीभाई झवेरचंद वर्धमान तप आयंबिल खाता, श्री शान्तिलाल सुन्दरजी आरोग्यभवन और धर्मशाला, श्री नरेन्द्रकुमार नटवरलाल जैन भोजनशाला, श्री रंभाबेन व्रजलाल केशवजी जैन पाठशाला, श्री कलावतीबेन फत्तेचन्द जैन पुस्तकालय आदि अनेक आराधना केन्द्रो की स्थापना से तीर्थ की सुविधा बढ़ गई थी। __ प्रतिवर्ष कार्तिकी पूर्णिमा, फागुण सुदि १३ की छ गाऊ की यात्रा, फागुण वदि ३ की प्रतिष्ठा का सालगिरि दिन, चैत्री पूर्णिमा, वैशाख सुदि ३ अक्षय तृतीया के पर्व दिनो में यात्रा का बडा मेला लगता हैं । भाविको के लिये भाता और साधर्मिक वात्सल्य होता हैं । दूर - नजदीक से अनेक छ 'री' पालक यात्रा संघ आते हैं । वि. सं. २०२१ से इस तीर्थ में सामूहिक वर्षीतप पारणा का आयोजन शत्रुजय नगर में बडे बडे मंडपो में सब तरह की सुविधाओं के साथ किया जाता हैं। इस तीर्थ में पाँच For Private and Personal Use Only Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२४ मुंबई के जैन मन्दिर - सात बार भव्य अंजनशलाका - प्रतिष्ठा महोत्सव हुआ हैं। वि. सं. २०२१, २०२३, २०२४, २०२८, २०३७, २०३९, २०४२, २०४६, २०५५ के वर्षों में उपधान तप की महाआराधना हो चुकी हैं, उसके साथ भव्य उजमणा महोत्सव का भी आयोजन हुआ हैं। वि. सं. २०२७ और २०३६ में पूज्य युगदिवाकर आचार्यदेव श्री ने स्वयं, और अन्य कई वर्षों में आपके परिवार के साधु भगवंतो ने यहाँ चातुर्मास करके तीर्थ के विकास का बहुत कार्यो की प्रेरणा दी हैं। आपके परिवार के साधु भगवंतो का विविध पद प्रदान महोत्सवो का आयोजन यहाँ अच्छी तरह से हुआ हैं। इस तीर्थ में हर हमेश, और रविवार, नूतन मासारंभ ,और पर्वो के दिनो में, छुट्टी के दिनो में सेंकडो हजारो भाविक जन यात्रा के लिये आते है, अनेक संघ, समाज, मंडल, संस्थाएँ अपना धार्मिक कार्यक्रम, चैत्यपरिपाटी, मिलन - सम्मेलन आदि अच्छी तरह से करती हैं। यहाँ पूजा - पूजन अनुष्ठान - भक्ति, उनके साथ साधर्मिक भक्ति, संघ जमण आदि चलता रहता हैं । उन सबके लिये आज इस तीर्थ में हर प्रकार की सुविधाएँ दिन - प्रतिदिन बढ रही हैं। इसके लिये तीर्थ के स्वप्न दृष्टा परम पूज्य युगदिवाकर गुरूदेव की प्रबल प्रेरणाएँ, परम पुरुषार्थ और अमोघ उपदेश लब्धि के साथ आप श्री के कार्यकुशल विद्वान शिष्य - प्रशिष्यादि परिवार का सतत परिश्रम और ट्रस्ट एवं संघ के कार्यकर्ताओं की व्यवस्था शक्ति हमेशा कार्यरत रहती हैं। चेम्बुर तीर्थ के प्रणेता परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. का वि. सं. २०३८ का फागुण सुदि १३ में पर्वदिन को मझगाँव में समाधिपूर्वक स्वर्गवास होने के बाद आपश्री के पवित्र पार्थिव देह की अपूर्व और अजोड पालखी यात्रा, श्री गोडीजी जैन उपाश्रय से फागुण सुदि १४ को सुबह ८ बजे राजशाही सन्मान के साथ निकलकर, २१ कि. मीटर का लम्बा मार्ग पार करके, दोपहर २.०० बजे चेम्बुर तीर्थ में आई, तब हजारो - लाखोका मानव महेरामण चेम्बुर के राजमार्गो और सभी विस्तारो में महासागर के मोजाओं की तरह फैल रहा था, ढाइ लाख के मानव समूह के बीच तीर्थ के परिसर के अग्रभाग में आपके पवित्र देह का चन्दन की चिता पर अंतिम संस्कार हुआ था। उसी जगह पर संगमरमर के आरस का बना हुआ आपश्री के समाधि मन्दिर में आपके पावन चरण पादुका की प्रतिष्ठा आपके पट्टधर परम पूज्य साहित्य कलारत्न आ. श्री विजय यशोदेवसूरीश्वरजी म. सा. की आज्ञा और आशीर्वाद से परम पूज्य शतावधानी आ. श्री विजय जयानन्द सूरीश्वरजी म. सा. परम पूज्य विशद वक्ता आ. श्री विजय कनकरत्नसूरीश्वरजी म. सा., परम पूज्य विद्वद्वर्य आ. श्री विजय महानन्दसूरीश्वरजी म. सा., प. पू. व्या. सा. न्या. तीर्थ आ. श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म. सा. आदि विशाल साधु - साध्वी समुदाय की पुण्य निश्रा में महोत्सव पूर्वक हुई, तब से यह समाधि मंदिर हजारो भक्तो का आकर्षण केन्द्र बन गया हैं। अल्प समय में समाधि मन्दिर में आप श्री के आशीर्वाद मुद्रावाले शिलापट्ट की प्रतिष्ठा और त्रिचौकी में रमणीय गोखले में परम पूज्य आ. भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रतिमा की प्रतिष्ठा होने वाली हैं। For Private and Personal Use Only Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २२५ वि. सं. २०४७, मगशर वदि १० के दिन प. पू. आ. भ. श्री विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म. सा., प. पू. आ. भ. श्री विजय कनकरत्नसूरीश्वरजी म. सा., प. पू. आ. भ. श्री विजय महानन्दसूरीश्वरजी म. सा., प. पू. आ. भ. श्री विजयसूर्योदयसूरीश्वरजी आदि गुरूदेवो की पुण्य निश्रा में, यहाँ से २०० साधु - साध्वीजी म. और ५०० दूसरे यात्रिको मिलकर ७०० यात्रिको का श्री आबु - राणकपुर तीर्थ पदयात्रा संघ का जैन तीर्थो की यात्रा के लिए प्रयाण हुआ था, महाराष्ट्र - गुजरात - राजस्थानमें पैदल यात्रा करनेवाला पूरा ९३ दिनोका यह पदयात्रा संघ था।। वर्तमान में तीर्थ के प्रत्येक विभागो का ग्रेनाइट - मारबल आदि से नवनिर्माण हो रहा हैं। तीर्थ के पीछे इशान कोणे में तीर्थ का एक बड़ा भूमि खण्ड, जहाँ पीछले वर्षों में उपधान तप आराधना आदि कार्य मंडपो में होता था। वहाँ पाँच मंजील भव्य जैन भवन की इमारत का निर्माण परम पूज्य युगदिवाकर गुरुदेव की पुण्यस्मृति में हो रहा हैं । इस जैन भवन का परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य निश्रा में वि. सं. २०५४ का मगसर सुदि १२, गुरुवार, तारीख ११-१२-९७ को सुबह ६ बजकर ४५ मिनिट पर भूमिपूजन विधान श्री केशवजी उमरशी छाडवा के शुभ हस्तो से हुआ, और खनन विधान श्री हस्तीमलजी पुखराजजी गुर्जर के शुभ हस्तो से हुआ था। उसी दिन १२ बजकर १५ मिनिट पर शिलारोपण विधान तीर्थ के ट्रस्टी मंडल और संघ प्रमुख के शुभ हस्तो से हुआ था । वि. सं. २०५५ में उसका उद्घाटन समारोह होगा । निर्माण कार्य शीघ्रता से चालु हैं। इस भवन में जैन संघ और समाज के उपयोगी विविध सेवा विभागो का आयोजन होनेवाला हैं। जब हम जिनालय के सोपान पर चढते हैं तो दो तरफ गजराज अपनी सूंढ को उपर उठाये हमारा स्वागत करते हैं। जिनालय में मूलनायक दादा श्री आदिनाथ प्रभु ५१", महापरिकर के साथ १०१" की दिव्य प्रभावशाली, प्रथमरस निमग्न, परमानन्द दायक, अद्भुत भाव - प्रभाव संपन्न, श्वेत प्रतिमाजी, दो बाजु के दो गंभारे में क्रमश: श्री अन्तरीक्ष पार्श्वनाथजी परिकर के साथ ४१" और श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथजी परिकर के साथ ३५' की प्रतिमाएँ, रंग मंडप में काउस्सग्ग मुद्रालीन श्री आदिनाथजी ५१" और शान्तिलालजी ५१" की भव्य प्रतिमाएं, दो गोखले में श्री सहस्रफणा पार्श्वनाथजी ४१" की दो प्रतिमाएँ, चार शाश्वत जिनेश्वर देवो की २७" की ४ प्रतिमाएँ, शिखर के गंभारे में श्री धर्मनाथजी २१' चौमुख ४ प्रतिमाएँ, गुरु गौतमस्वामीजी, गौमुख यक्ष, चक्रेश्वरी माता की प्रतिमाजी उपर नीचे सब मिलाकर आरस की ५२ प्रतिमाजी, पंचधातु की २० प्रतिमाजी और सिद्ध चक्रजी, अष्टमंगल - यंत्रादि बिराजमान हैं। उपर के कांच के गंभारे में पाषाण की २८ प्रतिमाजी, पंचधातु की २५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी३१, अष्टमंगल - १६. पद्मावतीजी माताजी - २ मेहमान रूप में बिराजमान हैं । भोयरे के गंभारे में वीश विहरमाण जिनो की प्रतिमाए मेहमान के रूप में बिराजमान हैं। यह प्रतिमाए बाहिरके संघोके मंदिर में आवश्यकता अनुसार दी जाती हैं। For Private and Personal Use Only Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२६ मुंबई के जैन मन्दिर जिनालय के प्रवेशद्वार के पास बाहर की त्रिचौकी में एक तरफ गोखले में पूज्यपाद गीतार्थ शिरोमणि आचार्य भगवन्त श्री विजय मोहनसूरीश्वरजी म. सा. की देह प्रमाण ३५" की पाषाण प्रतिमाजी बिराजमान हैं, उनके आजु बाजु के दो गोखले में परम पूज्य आ. भ. श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. और परम पूज्य आ. भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की तस्वीर दर्शनीय हैं। उनकी जगह पर दो पाषाण प्रतिमा अल्प समय में प्रतिष्ठित होनेवाली हैं। उनके सामने तीन गोखले में श्री चक्रेश्वरी देवी ३१", श्री सरस्वती देवी ३१” और श्री लक्ष्मीदेवी ३१" की प्रतिमा बिराजमान हैं। जिनालय के परिसर में युगदिवाकर आचार्य देव श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. का संगमरमर का मारबल का भव्य समाधि मंदिर शोभायमान हैं। जिनालय के सन्मुख प्रवेशद्वार के पास एक तरफ श्री पद्मावती माताजी ५१" का देव मन्दिर और दूसरी तरफ श्री घंटाकर्ण वीर ५१" का देव मन्दिर हैं। जिनालय में रंगमंडप में श्री शत्रुजय महातीर्थ और श्री अष्टापद तीर्थ की ६' ३' फुट लंबाई चौडाई और ४' फुट गहराई की पाषाण की रचना बेनमून अतिसुन्दर और सारे मुम्बई महानगर में अपूर्वअद्वितीय और अद्भुत दर्शनीय हैं। चेम्बुर तीर्थ के स्थापक पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. का श्रावण वदि ११ का जन्मदिन और फागुण सुदि १३ का स्वर्गवास पुण्यतिथि दिन प्रतिवर्ष धामधूम से यहाँ मनाया जाता हैं । ___ इस तरह मुंबई महानगर का लघु शत्रुजय तीर्थ, दादा ऋषभदेव भगवान की शीतल छाया और युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. की पौढ पुण्य प्रभा के बल से दिन - प्रतिदिन भक्ति के साथ सुख - शान्ति - आबादी का साम्राज्य चारो और फैला रहा हैं। वि. सं. २०५४ के वर्ष में यहाँ पर परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. तीर्थ और संघ की विनंती से यशस्वी चातुर्मास बिराजमान हैं। आपकी प्रेरणा और मार्गदर्शन से तीर्थ विकास के नवीन आयोजन हो रहे हैं । नूतन वर्ष २०५५ में कार्तिक मास में का. शुदि १२, रविवार ता. १-११-१९९८ से उपधान तप आराधना का प्रारंभ हुआ हैं । पौष शुदि २, रविवार, ता. २०-१२-९८ को मालारोपण महोत्सव होनेवाला हैं। यहाँ श्री अंचलगच्छ जैन उपाश्रय, श्री पार्श्वचंद्र गच्छ जैन उपाश्रय के अलावा श्री आदि - धर्म महिला मंडल, श्री पंचपरमेष्ठि भक्ति मण्डल, श्री पंच परमेष्ठि आराधक मंडल श्री पार्श्वचन्द्र महिला मंडल, श्री आदिगुण लब्धि महिला मंडल, श्री जैनानंद सामायिक मंडल, श्री खान्तिश्रीजी सामायिक मण्डल, श्री पूर्णगुण सामायिक मंडल आदि कइ संस्थाएँ अपनी भक्ति भावना में अग्रसर हैं। For Private and Personal Use Only Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २२७ (३४८) श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवान गृह मन्दिर राजगृही नगरी, पारस निकेतन, ओ बिल्डींग, ग्राउन्ड फ्लोर, रोड नं. ४, छेडा नगर, चेम्बुर, मुंबई - ४०० ०८९. टेलिफोन नं.-५२८ ४० १०,, ५२८ ८८ १२ चुनीलालभाई, ५२८ २८ ९६ लक्ष्मीचंदभाई विशेष :- परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की आद्य प्रेरणा और आशीर्वाद से चेम्बुर छेडा नगर श्री जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर की भव्य प्रतिष्ठा वि. सं. २०५१ का मगसर सुदि ६, गुरूवार, तारीख ८-१२-१९९४ को परम पूज्य आ. श्री विजय भुवनभानु सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य श्री विजय हेमचंद्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में हुई थी। मूलनायक बिंब भराने का लाभ निर्मला बेन त्रंबकलाल संघवी परिवार अंजार हाल घाटकोपरवालो ने लिया था। यहाँ श्री मुनिसुव्रत स्वामी २७", श्री आदीश्वर भगवान २१", श्री महावीर स्वामी २१" की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, विसस्थानक - १, सिद्ध चक्रजी - १, अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं । यहाँ उपाश्रय, छेडा नगर जैन पाठशाला, छेडा नगर युवक मंडल, श्री मुनिसुव्रत - गुण - सब्धि महिला मंडल की व्यवस्था हैं। गोवंडी (पश्चिम) (३४९) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय गोवंडी- पोस्ट ओफिस के सामने, कुंवरजी देवशी रोड, । गोवंडी (पश्चिम), मुंबई - ४०० ०८८. टेलिफोन नं.-५५१ ०७५६, ५५८००६७ - रूपचन्दजी विशेष :- चेम्बुर तीर्थ से पूर्व दिशा में करीब २ किल्लो मीटर आगे बढ़ेंगे तो गोवंडी (प.) में आप देव विमान जैसा रमणीय, उन्नत और मनोहर श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथजी का शिखरबद्ध जिनालय का दर्शन करके परम शान्ति और प्रसन्नता का अनुभव करेंगे। इस धर्मस्थान के प्रेरक पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा व मार्गदर्शन से गोवंडी श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ संघ ने इस विशाल भूमिखण्डका वि. सं. २०२६ में सम्पादन किया और उसी स्थान पर वि. सं. २०३१ में एक गृह जिनालय का निर्माण करके उसमें श्री पार्श्वनाथ प्रभु की प्रतिमाजी की स्थापना करके प्रारंभ किया था। वि. सं. २०३३ में मगसर वदि ७ के शुभदिन चेम्बुर तीर्थ में पूज्यपाद शासन रक्षक आचार्य For Private and Personal Use Only Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२८ मुंबई के जैन मन्दिर भगवंत श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. और पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य निश्रा में अंजनशलाका - प्रतिष्ठा महोत्सव के समय पर पाटण निवासी श्री चीमनलाल कीलाचन्द शाह के परिवार ने श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु ३१ + ८-३९" की भव्य श्वेत प्रतिमा का निर्माण करके अंजनशलाका का लाभ लिया था, फिर वि. सं. २०३७ में मगशर सुदि २ के दिन श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ की प्रतिमा और उसके साथ ही अंजनशलाका की हुई श्री मल्लिनाथजी २५" और श्री मुनिसुव्रतस्वामीजी २५" की श्याम वर्णीय प्रतिमाजी का चेम्बुर तीर्थ से गोवंडी में नगर प्रवेश और गृह चैत्य में प्रवेश महोत्सव, जिनालय के प्रेरक पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य निश्रा में ठाठ माठ से श्री चीमनलाल कीलाचन्द शाह पाटणवाला परिवार के शुभ हस्तो से हुआ था। उस समय प. पू. युगदिवाकर गुरूदेव के आशीर्वाद और प्रेरणा से श्री चीमनलाल कीलाचन्द शाह परिवार ने उस भूमि खण्ड पर भव्य शिखरबद्ध जिनालय का पुरा निर्माण अपने स्व द्रव्य से कराने का शुभ संकल्प किया। वि. सं. २०३८ में परम पूज्य युगदिवाकर गुरुदेव श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. का मझगाँव - मुंबई में स्वर्गवास होने के बाद, आपके पट्टधर परम पूज्य साहित्य कलारत्न आ. भगवंत श्री विजय यशोदेवसूरीश्वरजी म. सा. और प. पू. शतावधानी आ. भगवंत श्री विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म. सा. के आशीर्वाद से वि. सं. २०४९ में नूतन भव्य शिखरबद्ध जिनालय की शिलास्थापना के बाद निर्माण का प्रारंभ हुआ। दो साल में धर्मप्रेमी श्री चीमनलाल कीलाचन्द शाह के परिवार की तरफ से पुरे सहयोग से दो मंजील का भव्य शिखरबद्ध जिनालय तैयार हो गया और वि. सं. २०५१ का फागुण सुदि २ शुक्रवार ता. ३-३-९५ को परम पूज्य विशद प्रवचनकार आचार्य भगवंत श्री विजय कनकरत्न सूरीश्वरजी म., प. पू. विद्वद्वर्य आचार्य भगवंत श्री महानन्दसूरीश्वरजी म., प. पू. विद्वान प्रवक्ता आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म., प. पू. आ. श्री विजय पूर्णानन्दसूरीश्वरजी म., प. पू. आ. श्री महाबल सूरीश्वरजी म., प. पू. आ. श्री पद्मानन्दसूरीश्वरजी म. आदि की शुभ निश्रा में भव्य जिनालय में मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जी की प्रतिष्ठा श्री चीमनलाल कीलाचन्द शाह पाटणवाला परिवार के शुभ हस्तो से संपन्न हुई। ___ जिनालय के विशाल भूमिगृह के गंभारे में महाराजा श्री संप्रति द्वारा निर्मित २३०० वर्ष प्राचीन चमत्कारी श्री नेमिनाथ प्रभु की ४१” की अलौकिक दिव्य प्रतिमा, जो पाटण संघ की उदारता से पाटण से प्राप्त हुई थी। उसकी भी प्रतिष्ठा हुई। जिनालय के परिसर में नव निर्मित श्री नाकोडा भैरव देव की ३१" की प्रतिमा की प्रतिष्ठा, श्री संघ के अग्रणी और इस धर्मस्थान के निर्माण में प्रारंभ से सतत प्रयत्नशील श्री रूपचन्दजी अचलदासजी राठोड और उनके परिवार के शुभ हस्तो से हुई। इस तरह श्री आदिनाथधाम चेम्बुर तीर्थ और श्री शंखेश्वरधाम गोवंडी नजदीक के दो यात्राधाम यात्रिको के आकर्षण बन रहे हैं । मन्दिर के परिसर में उपाश्रयादि की व्यवस्था की गई हैं। यात्रिको के लिये और भी सुविधाएँ हो रही हैं। For Private and Personal Use Only Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २२९ वि. सं. २०५४ के आसौ सुदि ३ के दिन, जैन परिवारो के धार्मिक सूत्र - अभ्यास और संस्कारो के लिये प. पू. आ. भ. श्री विजयसूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से आपकी निश्रा में जैन पाठशाला का प्रारंभ श्री संघने किया हैं। यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथजी ३१+८=३९” (परिकर गादी के साथ ८१") और श्री नेमिनाथ प्रभु ४१" आदि पाषाण की ८ प्रतिमाजी, पंचधातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ४ और अष्टमंगल - २ तथा पार्श्वयक्ष और पद्मावती यक्षिणी बिराजमान हैं। गोवंडी (पूर्व) (३५०) श्री केसरीया आदिनाथजी गृह मन्दिर ___ प्लोट नं. ११, जगह नं. ३-४, शिवाजी नगर मार्ग क्रमांक नं. १, गोवंडी (पूर्व), मुंबई - ४०० ०८८ टेलिफोन नं.-५५७ १३ ७२, ५५७ ४० ७२ सरदारमलजी, ५५५ ०५ ८७ - उदेचन्दजी विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय मोहन - प्रताप के पट्टधर परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की मंगल प्रेरणा से उनके शिष्य मंडल की पावन निश्रा में ता. ३१-८-८० को चेम्बुर तीर्थ से लाकर प्रतिमाजी की स्थापना हुई थी। इसके संस्थापक एवं संचालक श्री केसरीयाजी जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ हैं। यहाँ श्री आदिनाथ केसरीयाजी की श्यामवर्ण की पाषाण की एक प्रतिमाजी, पंचधातुकी ८ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ७ एवं अष्टमंगल २ बिराजमान हैं। यहाँ उपाश्रय के लिये केसरीया आराधना भवन तथा जैन पाठशाला चालु हैं । भक्ति - भावना में श्री केसरीया जैन युवक मंडल अग्रसर हैं। घाटकोपर (पश्चिम) (३५१) श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवान तीन शिखरी भव्य महाजिन प्रासाद नवरोजी क्रॉसलेन, महात्मा गाँधी रोड, घाटकोपर (प.), मुंबई-४०० ०८६. टेलिफोन नं. (ओं)-५१० ६३ ४०, रामजीभाई गुढका-५१५ ५९६०, ५७६ ०२ ४६ धीरजलालभाई-५११ ६७ ६७ For Private and Personal Use Only Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २३० मुंबई के जैन मन्दिर विशेष :- यह मन्दिर, केवल मुंबई महानगर का ही नही, किन्तु सारे महाराष्ट्र का एक मात्र भव्य, अलौकिक और विशाल तीन शिखर और चार मंजीलवाला महा जिनप्रासाद है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कला कोणी युक्त तीन महाशिखर, सामरण, घुम्मट, तीनो तरफ तीन तीन बडी चौकीया, विशाल कोली मंडप, रंग मंडप, मेघनाद मंडप, भूमिगृह से परिमण्डित यह मन्दिर जमीन से कई फुटोकी ऊंचाई पर बंधा हुआ है । उत्तुंग मेघनाद मंडप और विशाल रंगमंडप का घेराव बहुत ही बडा है । इतने बडे विशाल चौडाईऊँचाई वाले भव्य महाप्रासाद का एक बार भी अगर हम दर्शन कर लेवे तो ऐसे अलौकिक जिनालय का दर्शन करने के लिये बार बार दिल तरसता रहेगा और बार बार दर्शन करके आनंद की सांस लेंगे। मुंबई महानगर के शणगार स्वरुप इस महाजिनालय की प्रेरणा और मार्गदर्शन देने वाले पूज्यपाद शासन शणगार आचार्य भगवंत श्री विजय मोहन प्रतापसूरीश्वरजी के पट्टालंकार मुंबई महानगर और उपनगरो के जैन संघो के अजोड उपकारी, प्रौढ पुण्य प्रभावशाली, समर्थ संघनायक, युगदिवाकर पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी महाराज साहेब थे । वि.सं. २००७ में पौष मास में भायखलामें ऐतिहासिक उपधान तप महा आराधना और उसके मालारोपण महोत्सव के साथ, आचार्य पद पर आरुढ होकर, माह मास में आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. घाटकोपर - जीरावला पार्श्वनाथ उपाश्रय में पधारे और सूरिमंत्र के प्रथम प्रस्थानमंत्र की साधना आपने वहाँ की, और घाटकोपर तपगच्छ जैन जनताकी प्रबल विनंती से आपका २००७ का चातुर्मास घाटकोपर जीरावला पार्श्वनाथ जिनालय के उपाश्रय में हुआ, अन्त में उपधान तप की महा आराधना हुई, उस समय चातुर्मास में आपने घाटकोपर निवासी तपागच्छीय जैन जनता के अग्रणी श्री वाडीलाल चत्रभुज गांधी आदि को व्यवस्थित रुप से घाटकोपर श्री तपगच्छ जैन संघ की स्थापना करके भव्य जिनालय - उपाश्रयादि का निर्माण करने की प्रेरणा की, उस प्रेरणा के बलसे फल स्वरुप वि.सं. २००९ के श्रावण सुदि ५ के शुभ दिन श्री घाटकोपर जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तप. संघकी स्थापना हुई । श्री संघने नवरोजी क्रॉस लेन में, वर्तमान में आयंबिल खाता वाला भूमिखण्ड वि. सं. २०१२ में संपादन करके, वहाँ वि. सं. २०१४ को फागुण मास में पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म.सा. और पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य निश्रामें गृह जिनालय का निर्माण करके जिनालय में, पंजाब- मुलतान नगर से भायखला में आई हुई श्री जीरावला पार्श्वनाथ प्रभुजीकी प्राचीन प्रतिमा की चल प्रतिष्ठा का महोत्सव मनाया। उसी समय गृह जिनालय के बाजू में, उसी पू. आचार्य भगवंतो की निश्रामें नूतन भव्य जैन उपाश्रयका खननशिलारोपण विधि हुआ । सिर्फ देढ साल में वि.सं. २०१६ में श्री अजवालीबाई चत्रभुज गांधी - जैन उपाश्रय तैयार हो जानेपर उसका भव्य उद्घाटन समारोह पू. आ. भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य निश्रा में हुआ था। For Private and Personal Use Only Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २३१ बादमें शिखरबद्ध महा जिनालय के लिये वि.सं. २०१६ में ही श्री संघने नवरोजी लेन के राजमार्ग पर विशाल भूमिखण्ड को खरीद लिया । वि.सं. २०१९ के चातुर्मास में पू.आ.भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. के सदुपदेश से महाजिनालय के विशाल भूमिखण्ड को देवद्रव्य से मुक्त करने के लिये रुपया एक लाख का साधारण फंड हुआ । चार्तुमास के बाद वि.सं. २०२० में भावी महाजिनालय के मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी का अंजनशलाका और प्रतिष्ठा का आदेश पू. आचार्य भगवंत की निश्रामें सवाईलाल केशवलाल घोघावालोने उस समयके रु. १,११,१११.०० में लिया था । वि.सं. २०२२-२३ में श्री वर्धमान तप आयंबिल खाता की स्थापना हुई। वि.सं. २०२४ में प.पू. आ.भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य प्रभावी निश्रामें श्रावण सुदि ७ के शुभ दिनमें नूतन महाजिनालय का खनन विधि और श्रावण वदि १ के दिन आपकी निश्रा में शिलारोपण विधि हुई । वि.सं. २०२५-२६ के पू. आचार्य भगवंत श्री धर्मसूरीश्वरजी म.सा. के चातुर्मासोमें जिनालय कार्य तीव्रगतिसे बढता रहा। उपधान की आराधना और श्री संघ का पंतनगर जिनालय का निर्माण और प्रतिष्ठा हुई। _ वि.सं. २०२६ के चातुर्मास में पू. आचार्य भगवंत के मार्गदर्शनानुसार मूलनायक श्री मुनिसुव्रतस्वामी की प्रतिमा का निर्माण पूजा के वस्त्रो में सज्ज जयपुरके कुशल कलाकारो के द्वारा अखण्ड धूप-दीप के वातावरणमें घाटकोपर के उसी स्थान में विधि पूर्वक किया गया। मूर्ति के पाषाण जो मकराणा से आया था, उसीकी भी भव्य स्वागत यात्रा निकाली गई थी। महाप्रासाद का निर्माण कार्य पूर्ण होनेपर वि.सं. २०२७ के जेठ सुदि २ बुधवार ता. २७-५-७१ के श्रेष्ठ मुहूर्त में जिनालय का भव्य अंजनशलाका - प्रतिष्ठा महोत्सव पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म.सा. और पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की प्रभावक निश्रामें बडे ही ठाठ माठ से हुआ था । ग्यारह ग्यारह दिन तक सुबह -शाम दो टंक हजारो भाविको के लिये साधार्मिक वात्सल्य चालु रहा था, आज से २७ वर्ष पहले बीस लाख से अधिक खर्च से इस महाप्रासाद का निर्माण हुआ था. इस खर्च में घाटकोपर के अतिरिक्त किसी का भी हिस्सा नही था। जिनालय के मुख्य गंभारे में मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी श्याम वर्णीय ३५" की, परिकर के साथ ७१" की भव्य प्रतिमाजी प्रतिष्ठित की गई है। विशाल भूमिगृह के गंभारे में श्री केशरीया आदिनाथ की ६१” की श्याम प्रतिमा बिराजमान है। उनके एक बाजू श्री सुमतिनाथजी ४१" और दूसरी बाजू में श्री सीमन्धर स्वामीजी ४१' बिराजमान हैं। जब हम जिनालय के दूसरी मंजिल पर मेघनाद मंडप में जाते है तो वहां गंभारे में मूलतान से प्राप्त प्राचीन श्री जीरावला पार्श्वनाथ की प्रतिमाजी परिकर के साथ बिराजमान है । जब हम तीसरी मंजील पर जाते हैं तो मध्य शिखर के गंभारेमें श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी की २१" (परिकर के साथ ४१")और दूसरे शिखर में श्री मंगल पार्श्वनाथजी एवं तीसरे शिखर में श्री कल्याण पार्श्वनाथजी बिराजमान है। जिनालय में कुल मिलाकर आरसकी ४६ प्रतिमाजी, पंचधातुकी २१ प्रतिमाजी के अलावा सारे मन्दिरमें उपर नीचे अनेक तीर्थो के और देवी-देवताओ के रंगरंगीले कांच पर व आरस पर बनाये गये अति सुन्दर पटोका दर्शन होता है। For Private and Personal Use Only Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २३२ मुंबई के जैन मन्दिर भूमिगृह के एक खंड में श्री संघ के आदेश से राजस्थान - कोशेलाव निवासी (हाल घाटकोपर) श्री हीराचन्दजी मगनीरामजी चोटिया परिवार की तरफ से श्री कल्पसूत्र मन्दिर बनाया गया हैं. उसमें श्री सुधर्मा स्वामीजी, श्री भद्रबाहु स्वामीजी और देवर्धि गणि श्रमाश्रमण की ३ पाषाण की प्रतिमाजी बिराजित हैं, और दिवालो में ताम्रपत्र में कल्पसूत्र लगाया गया हैं। जिसकी प्रतिष्ठा वि. सं. २०४८ का माह सुदि ६, सोमवार, ता. १०-२-१९९३ को आ. श्री दौलतसागरसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में हुई थी। वि. सं. २०३२ में पू. आचार्य भगवंत श्री धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से आपकी निश्रा में घाटकोपर (पूर्व) ६० फीट रोडपर श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ गृह जिनालय और श्री जयाबेन रामजीभाई गुढका आराधना भवन का निर्माण प्रारंभ हुआ। वि. सं. २०३४ में चल प्रतिष्ठा की गई। __ वि. सं. २०३९ के ज्येष्ठ सुदि २ को श्री मुनिसुव्रत स्वामी महा प्रासाद के परिसर में नवनिर्मित श्री चंपाबेन मनसुखलाल संघवी जैन आराधना भवन का उद्घाटन समारोह पू. आ. श्री जयानन्दसूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री कनकरत्न सूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. की पुण्य निश्रा में हुआ था, और वि. सं. २०४० में भक्ति खंड का उद्घाटन यू. आ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में हुआ था, और आपकी प्रेरणा से पंतनगर में श्री बाबुलाल लल्लुभाई शिहोरवाला आराधना भवन का निर्माण हुआ था। इस तरह इस संघ में तीन तीन जिनप्रासाद, चार उपाश्रय व आराधना भवन, जैन पाठशाला३, आयंबिल शाला की व्यवस्था हैं। भक्ति संगीत - सेवा - भावना में विशेष रूप से श्री जैन घाटकोपर युवक मंडल, श्री मुनिसुव्रत महिला मंडल, श्री पार्श्वमहिला मंडल, श्री वर्धमान जैन भावना मंडल आदि कई मंडले और संस्थाएँ कार्यरत हैं। ऐसे अपूर्व महाजिनालय का निर्माण करनेवाले यहाँ के श्री संघ को हमारी ओर से लाख लाख धन्यवाद ! वि. सं. २०५२ में इस महाजिनालय की प्रतिष्ठा का २५ वर्षका रजत महोत्सव का बडा और भव्य आयोजन पू. आ. श्री विजय कनकरत्न सूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री विजय महानन्द सूरीश्वरजी म. और रजत महोत्सव के प्रेरक एवं मार्गदर्शक पू. आ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि की निश्रा में श्री संघने किया था, और उस समय श्री संघ की तरफ से रजत महोत्सव स्मारिका का प्रकाशन हुआ था। (३५२) श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ शिखरबंदी भव्य जिनालय साईनाथ रोड, प्लोट नं. १३, सांगाणी इस्टेट, लालबहादुर शास्त्री रोड, घाटकोपर (पश्चिम) मुंबई - ४०० ०८६. टेलिफोन नं.-(ओ.) ५०० ५२ ४२, बाबुलाल सी. शाह - ५०० ५२ १८ (घर), For Private and Personal Use Only Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २३३ - (ओ.) - ५१७ २४ २३, ५१७ २६ २७, चंदुलाल एम. शाह - ५०० ५७ ४३ विशेष :- घाटाकोपर (प.) आग्रारोड पर साईनाथ नगर, सांघाणी ईस्टेट विस्तार में इस देव विमान जैसा रमणीय और मनोहर जिनालय की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन देनेवाले जैन शासन के महाप्रभावक और वचनसिद्ध जैसे प्रबल पुण्य प्रभावशाली पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. थे। वि. सं. २०१३ में इस विस्तार में रहनेवाली जैन जनता ने अपना छोटा सा संगठन बना करके एक लघु गृह जिनालय की स्थापना की और उसमें पंचधातु के श्री गोडी पार्श्वनाथजी की स्थापना करके अपना जिनभक्ति कार्यक्रम शुरु किया था। __ ग्यारह साल के बाद वि. सं. २०२४ में पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत की निश्रा में घाटकोपर श्री पार्श्वनाथ श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ की स्थापना हुई और उसी वर्ष में वैशाख सुदि ८, सोमवार, ता. ६-५-१९६८ के दिन नूतन संपादित विशाल भूमिखंड के उपर नूतन शिखरबद्ध जिनालय और उपाश्रय का खननमुहूर्त और वैशाख वदि १, सोमवार, ता. १३-५-१९६८ के दिन शिलारोपण मुहूर्त मुंबई के जैन संघो के अग्रणी दानवीर श्री माणेकलाल चुनीलाल शाह के शुभ हस्तोसे हुआ था। दो वर्ष में पूरा जिनालय तैयार हो जाने पर वि. सं. २०२६ का जेठ सुदि ३, रविवार, ता. ७६-१९७० में पूज्यपाद सिद्धान्त रक्षक आचार्य भगवंत श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. सा. और पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रभावक निश्रा में बडे ठाठ से यादगार अंजनशलाका - प्रतिष्ठा महोत्सव हुआ और मूलनायक श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान ३१+८=३९” (परिकर के साथ ८१") की प्रतिष्ठा हुई थी। __यहाँ पर मूलनायकजी के साथ पाषाण की १६ प्रतिमाजी, पंचधातु की १३ प्रतिमाजी, सिद्ध चक्रजी - ५, अष्टमंगल - २ बिराजमान हैं। श्री पार्श्वयक्ष और श्री पद्मावती यक्षिणी भी यहाँ बिराजमान हैं। मन्दिर में श्री शत्रुजय आदि अनेकानेक तीर्थपटो एवं नवकारमंत्र और नवपदजी आदि के पट आरस के बनाये हुए बहुत ही सुन्दर हैं । कला कोरणीयुक्त शिखर और घुम्मट खूब आकर्षक हैं। इस संघ में पू. युगदिवाकर गुरू भगवंत की प्रेरणा से आपकी निश्रा में मंन्दिर के निर्माण के साथ विशाल जैन उपाश्रय का निर्माण, श्री वर्धमान तप आयंबिल खाता और जैन पाठशाला की स्थापना एवं श्री जैन महिला उपाश्रय का भी निर्माण, जैन ज्ञान मन्दिर और पुस्तकालय की स्थापना आदि सब आवश्यक सुविधाएँ स्थापित गई की थी और उसी वक्त जैन उपाश्रय के पीछे का बड़ा भूमि खण्डभी श्री संघने उपाश्रय को विस्तृत करने के लिये खरीद लिया था। समयांतरे वि. सं. २०३९ के चातुर्मास में परम पूज्य आ. भ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा व मार्गदर्शन से जैन उपाश्रय के पीछे के बडे भूमि खंड में धर्मविहार का तीन मंजील भव्य और आलीशान निर्माण लगभग १५ लाख के खर्च से हुआ और उसमें ४१ छोडके उजमणा के For Private and Personal Use Only Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २३४ मुंबई के जैन मन्दिर साथ उपधान तपकी प्रथम आराधना आपकी निश्रा में श्री संघ में हुई । धर्मविहार की शिला स्थापना वि. सं. २०३९ का द्वितीय फागुण वदि ७, सोमवार, ता. ४-४-१९८३ में हुई थी। उसी चातुर्मास में आपकी प्रेरणा से प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. के गुरु मंदिर का निर्माण करके श्री संघने उसमें पू. युगदिवाकर गुरुदेव के तैलचित्र की स्थापना की थी । आपकी प्रेरणा से आपके वि. सं. २०४६ के चातुर्मास में श्री संघ के तीन उपाश्रयो के पूरक साधारण फंड किया गया, उसमें ५ लाख रूपये हुआ था और जिनालय के परिसर में श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्णवीर और श्री पद्मावती माताजी का मारबल का भव्य देव मन्दिर का निर्माण हुआ था और वि. सं. २०४७ का मगसर वदि १० को उनका भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव पू. शतावधानी श्री जयानन्दसूरीश्वरजी म. पू. आ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म. परम पूज्य आ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म. और प्रतिष्ठा महोत्सव के प्रेरक पू. आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य निश्रा में हुआ था। वि. सं. २०५३ के वर्ष में पू. आ. भगवंत श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. के चातुर्मास में शासन के अनेक कार्यो के साथ उपधान तप की आराधना और ५१ छोड के उजमणाउद्यापन के साथ मालारोपण महोत्सव के अवसर पर कु. हीनाबेन और कु. हेमलताबेन का दीक्षा महोत्सव बडे ठाठ से हुआ और आपके सान्निध्य में आपके मार्गदर्शनानुसार पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्यदेव के गुरूमन्दिर का नव निर्माण करके उसको विस्तृत और रमणीय बनाया गया। आजकल पूज्य युगदिवाकर गुरु भगवन्त की मारबल की प्रतिमा ३५” की तैयार होकर आ गई हैं। उनका प्रतिष्ठा महोत्सव आगामी माह वदि ११ को में होने की संभावना हैं। वि. सं. २०५१ में इस जिनालय का प्रतिष्ठा का रजत महोत्सव विविध आयोजनो के साथ पू. आ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म. पू. आ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म., रजत महोत्सव के प्रेरक पू. आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि की निश्रा में बडे ठाठ से मनाया गया था और उसी अवसर पर रजत महोत्सव स्मारिका का प्रकाशन भी हुआ था। सुरेन्द्रनगर (कोंढ) निवासी मनसुखलाल मोहनलाल आयंबिल शाला, उपाश्रय, पाठशाला, श्री पार्श्वजैन युवक मंडल, श्री पार्श्वजिन महिला मंडल, श्री धर्म-प्रताप सामायिक मंडल आदि भक्ति भाव में अग्रसर हैं। श्री वांकानेर निवासी अ. सौ. शान्ताबेन वनेचन्द मेहता पौषधशाला वि. सं. २०२५ में बनी सुशोभित हैं। . श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान भव्य जिनालय पार्श्वदर्शन बिल्डींग, प्लोट नं. २६, २८, ३० ग्राउन्ड फ्लोर, गोलीबार रोड, जगडुशानगर, लालबहादुर शास्त्री मार्ग, घाटकोपर (प.) मुंबई - ४०० ०८६. टेलिफोन नं.- (ओ.) - ५१६५० ८५ हंसराजभाई - ५१५२१ ३४ विशेष :- जैन शासन के महाप्रभावक युगदिवाकर पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री For Private and Personal Use Only Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २३५ विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. के सदपदेश एवं प्रेरणा - मार्गदर्शन से पादरा निवासी धर्मप्रेमी मातुश्री रेखाबेन चिमनलाल शाह और वडील बंधु श्री वीरचन्दभाई चिमनलाल शाह के आत्म!याथ श्री नवीनचन्द्र चीमनलाल शाह एवं उनकी धर्मपत्नी अ. सौ. कंचनबेन आदि परिवार ने इस मनोहर जिनालय का निर्माण श्री चिमनलाल अमृतलाल रीलीजीयस चेरीटेबल ट्रस्ट द्वारा घाटकोपर जगडुशानगर जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ संघ के सहकार से वि. सं. २०३८ में किया था। जिनालय तैयार होने के बाद वि. सं. २०३८ वैशाख सुदि १०, रविवार, ता. २-५-१९८२ को प्रतिष्ठा महोत्सव पूज्यपाद युगदिवाकर गुरुदेव श्री धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रभावक निश्रा में करने का निश्चय हो गया था, किन्तु फागुण सुदि १३ के दिन मझगाँव मुंबई में आपका स्वर्गवास होने से आपके परिवार के शतावधानी पू. आ. भ. श्री विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म. पू. विशदवक्ता आ. भ. श्री विजय कनकरत्नसूरीश्वरजी म., पू. विद्वद्वर्य आ. भ. श्री विजय महानन्दसूरीश्वरजी म. एवं विद्वान वक्ता आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. की पुण्य निश्रा में उसी मुहूर्त में उसी दिन धामधूम से प्रतिष्ठा महोत्सव हुआ था। ___ यहाँ पाषाण की श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ, श्री आदिनाथ एवं श्री महावीर स्वामी की - ३ प्रतिमाजी, पंचधातु - ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १, विशस्थानक - १ जिनालयमें सुशोभित हैं। यहाँ परम पूज्य आ. भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से घाटकोपर निवासी श्री कान्तिलाल भाईचन्द सुखडवालो के मुख्य सहयोग से जगडुशानगर श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ संघ का उपाश्रय वि. सं. २०३८ में बना हुआ हैं । वहाँ जैन पाठशाला भी चालु हैं । वि. सं. २०३९ का आषाढ सुदि - २ सोमवार को आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से जगडुशा नगर श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक अचलगच्छ जैन उपाश्रय का निर्माण भी हुआ हैं। ___ यहाँ श्री पार्श्वभक्ति महिला मंडल, श्री जगडुशा महिला मंडल, श्री हिरगुण सामायिक मंडल की व्यवस्था हैं। प्रतिवर्ष आसौ एवं चैत्र मास में शाश्वत श्री नवपद आराधना की ओली कराई जाती हैं। प. पू. आ. भ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन से निकट के भविष्य में शिखरबद्ध जिनालय का निर्माण करने की श्री संघ की भावना हैं और उसके लिये प्रयत्न चालु हैं। (३५४) श्री आदीश्वर भगवान गृह जिनालय श्रेणिक नगर, टी बिल्डींग के बाजू में, अमृतनगर, लालबहादुर शास्त्री मार्ग, घाटकोपर (प.), मुंबई - ४०० ०८६. टेलिफोन नं.-५१७ २२ ५४ - जनकभाई विशेष :- वि. सं. २०४३ का जेठ वदि १०, ता. १८-२-८७ को आ. श्री दुर्लभ For Private and Personal Use Only Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २३६ मुंबई के जैन मन्दिर सागरसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में श्री मुनिसुव्रत स्वामी जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ की स्थापना हुई थी। उस वक्त गृह जिनालय निर्माण करके उसमें श्री मुनिसुव्रत स्वामी की प्रतिमाजी स्थापित की गई थी। बाद में परम पूज्य आ. श्री विजय रामचंद्रसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य श्री महोदयसूरीश्वरजी म., तपोमूर्ति आ. श्री विजय राजतिलकसूरीश्वरजी म. आदि की पावन निश्रा में वि. सं. २०५० का माह सुदि -१२, बुधवार को श्रीपालनगर में अंजनशलाका की हुई प्रतिमाजी की स्थापना वि. सं. २०५० का माह वदि-२, ता. २८-२-९४ को हुई थी। संघवी श्री सोहनराज रुपाजी ट्रस्ट निर्मित वर्तमान जैन देरासर में पाषाण के मूलनायक श्री आदिनाथ प्रभु, श्री पार्श्वनाथ प्रभु, श्री मुनिसुव्रतस्वामी एवं श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की ४ प्रतिमाजी पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं । यहाँ कायमी आयंबिल शाला, श्री मुनिसुव्रत स्वामी महिला मंडल, श्री आदि जिन भक्ति मंडल की व्यवस्था हैं। (३५५) श्री वासुपूज्यस्वामी भगवान शिखरबंदी जिनालय आदिनाथ को. ओ. सोसायटी, अशरिश बिल्डींग के सामने, हनुमाननगर, अमृतनगर ____घाटकोपर (प.), मुंबई - ४०० ०८६. टेलिफोन नं.-५१७ २५ १४ - हसमुखभाई विशेष :- इस जिनालय के निर्माणकर्ता मोटा खुंटवडा निवासी दोशी कमलशी डायाभाई सह परिवार हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. विजय हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा से वि. सं. २०४९ का चैत्र वदि ६ को इस जिनालय की स्थापना हुई थी। यहाँ पाषाण की ९ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ तथा यक्ष - यक्षिणी, मणिभद्रवीर तथा गौतमस्वामी की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। श्री अमीझरा वासुपूज्य सामायिक मंडल की व्यवस्था हैं। नीचे उपासरा उपर के भाग में जिनालय शोभायमान हैं। (३५६) श्री रत्नचिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर जीवदया लेन, घाटकोपर (प.), मुंबई - ४०० ०८६. टेलिफोन नं.-५१० ३१ ९१ - धीरजभाई मेहता विशेष :- श्री रत्नचिन्तामणि श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ जैन संघ द्वारा संस्थापित तथा For Private and Personal Use Only Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २३७ संचालित इस मन्दिरजी की चलप्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य भगवंत विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४८ का आषाढ सुदि १० को हुई थी। श्री आदिनाथ प्रभु और श्री महावीर प्रभु के मनोहर जिन बिंबो की अंजनशलाका वि. सं. २०५१ का मगसर सुदि १० को गोवालीया टेक जैन महामन्दिर में प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. के समुदाय के आ. भ. श्री यशोदेवसूरीश्वरजी म., आ. भ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म., आ. भ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म., आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि मुनिभगवंतो की पावन निश्रा में हुई थी। यहाँ श्री रत्नचिन्तामणी पार्श्वनाथ भगवान की मूलनायक प्रभु की श्यामरंग की प्रतिमाजी तथा श्री आदिनाथ, श्री महावीर स्वामी, श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री वासुपूज्य स्वामी सहित पाषाण की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २ एवं अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। यहाँ उपाश्रय, जैन पाठशाला, श्री पार्श्वपूजक महिला मंडल, श्री पार्श्वसामायिक मंडल एवं आराधना भवन की व्यवस्था हैं। (३५७) श्री सीमन्धर स्वामी भगवान गृह मन्दिर अक्षरधाम एस-वन, ग्राउन्ड फ्लोर, नेवल डिपो के सामने, नारायण नगर, लालबहादुर शास्त्री मार्ग, घाटकोपर (प.), मुंबई - ४०० ०८६. टेलिफोन नं.-५१३ ३४ १५ - मयूरभाई विशेष :- अंचलगच्छाधिपति परम पूज्य आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के शिष्य पूज्य मुनिराज श्री सर्वोदयसागरजी म. की शुभ प्रेरणा से मातुश्री कंकुबाई खीमजी गंगर परिवार कच्छ गाम मेराउवालोने इस जिनालय के मुख्य दाता के रूप में भाग लिया हैं। ___ परम पूज्य भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. विजय जयघोषसूरीश्वरजी म., आ. विजय हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से जिनालय बनाया हैं। तथा उनकी निश्रा में वि. सं. २०४९ का जेठ वदि ७, रविवार, ता. १३-३-९३ को त्रिदिवसीय महोत्सव पूर्वक चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ के जिनालय में पाषाण की श्री सीमन्धर स्वामी, श्री वासुपूज्य स्वामी, श्री मुनिसुव्रत स्वामी की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ शोभायमान हैं। ___जिन मन्दिर के निर्माण में बिल्डर मगंत शिवशंकर, विजय इन्टर प्रायज, मयूरभाई बाबुभाई तथा नरशी वीरजी गडा आदि अनेक भाईयों का सहयोग प्राप्त हुआ हैं। For Private and Personal Use Only Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २३८ मुंबई के जैन मन्दिर (३५८) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर शशि विहार, तीसरा माला, नं. १३, शाक मार्केट के बाजू में, भट्टवाडी, घाटकोपर (प.), मुंबई - ४०० ०८६. टेलिफोन नं.-५१३ ९९ ०२ - रोहितभाई विशेष :- यहाँ के गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्रीमान सेठ श्री रोहितभाई कान्तिलाल भाई हैं। आपश्री के मन्दिरजी की चलप्रतिष्ठा परम पूज्य मुनिराज श्री कनकसुन्दरविजयजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४४ का आसो सुदि - १० को हुई थी। तथा परम पूज्य श्री नररत्नविजयजी म. की शुभ निश्रा में गादी,स्थापना हुई थी। यहाँ पंचधातु की एक चौविशी की प्रतिमाजी तथा एक सिद्धचक्रजी बिराजमान हैं। (३५९) श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवान गृह मन्दिर ३-सी बिल्डींग, स्वागत सोसायटी, दामोदर पार्क, लालबहादुर शास्त्री मार्ग, घाटकोपर (प.), मुंबई - ४०० ०८६. टेलिफोन नं.-५०० २७ १८ - कीर्तिभाई विशेष :- इस गृह मंदिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री कीर्तिभाई भगवतीदास भाई हैं। आपके गृह मंदिर में पंचधातु की मुनिसुव्रत स्वामी की एक प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ तथा अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं । यहाँ के मन्दिरजी की चलप्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. विजय श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४९ का मगसर सुदि १०, ता. ४-१२-९२ को हुई थी। (३६०) श्री धर्मनाथ भगवान गृह मन्दिर १४-१५ सुवास, ओल्ड माणेकलाल ईस्टेट, लालबहादुर शास्त्री मार्ग, - घाटकोपर (प.), मुंबई - ४०० ०८६. टेलिफोन नं.-५१२५० ०४, ५१४ ८६ ९३ विशेष :- इस गृह मंदिरजी के संस्थापक एवं संचालक सेठ श्री कांतिलाल जगजीवनदास शाह परिवार वाले हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री जगच्चन्द्रसूरीश्वरजी म. के शिष्य परम पूज्य मुनिराज श्री कनकसुन्दरविजयजी म. की शुभ प्रेरणा से इस मन्दिरजी की स्थापना ३० वर्ष पहले आषाढ सुदि १४ को हुई थी। ___ यहाँ की प्रतिमाजी प्राचीन हैं जो राघनपुर गाँव से प्राप्त हुई थी। गाँव के किसी मुसलमान भाई के घर का खोदकाम करते समय जमीं से प्रकट हुई थी। For Private and Personal Use Only Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २३९ यहाँ मूलनायक श्री धर्मनाथ प्रभु तथा आजुबाजु में दो आदीश्वर भगवान की पंचधातु की ३ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। (३६१) श्री सीमन्धरस्वामी गृह मन्दिर पारेख महल, ग्राउन्ड फ्लोर, हंसोटी गली, कामागली, घाटकोपर (प.) मुंबई - ४०० ०८६. टेलिफोन नं.-५१६ ६८ ६३ -मनोजभाई विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्री मनोजकुमार केशवलाल शाह हैं। परम पूज्य आ. श्री भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. श्री विजय जयघोषसूरीश्वरजी म., पन्यासजी श्री हेमरत्नविजयजी म., पन्यासजी श्री रत्नसुन्दरविजयजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५० का जेठ वद ४ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री सीमन्धर स्वामीजी पंचधातु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ तथा अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं। सर्वोदय होस्पीटल - देवस्थान - सर्वोदय तीर्थ लालबहादुर शास्त्री मार्ग, घाटकोपर (प.), मंबई - ४०० ०८६. टेलिफोन नं.-(ओ.) - ५१५ २२ ३७, ५१३ ९५ ६७ विशेष :- संस्थापक एवं निर्माता :- सर्वोदय अस्पताल के आद्य संस्थापक एवं सर्वोदय तीर्थ के निर्माता धर्मप्रेमी सत्य, प्रेम एवं करूणा निधान, मानवप्रेमी, आजीवन सेवा व्रतधारी आदरणीय श्रीमान सेठ श्री कान्तिलाल मगनलाल शाह थे। आपका जन्म तारीख १-७-१९१५ को हुआ था तथा देह विलय ता. २८-२-८९ को हुआ था । होस्पीटल में पाषाण से बनाई गई आपकी तीन प्रतिकृति (स्टेच्यु) अतिसुन्दर सुशोभित हैं। प्रथम होस्पीटल के बाहरी कम्पाउन्ड में गांधीजी, विनोबाजी की मूर्ति के पास, दूसरी देव दर्शन हॉल में, तीसरी सबसे पुराने मन्दिर के पास होस्पीटल वार्ड के कम्पाउण्ड में। __मानव प्रेमी श्री कान्तिलाल सेठ का जीवन बिल्कुल सादा, मलमल की धोती तथा मलमल का हाफ शर्ट पहनते थे। वे उच्च विचारो के धनी थे । वे दर्दीयो की देखभाल स्वंय अपनी नजरो से करते थे। यही उनकी सादाई और उच्च विचारधारा की सर्वोत्तम झलक थी। मेरे से निकट का परिचय था. बम्बई के जैन मन्दिर की प्रथम आवृत्ति प्रकाशित हुई थी, उसवक्त आपने १०० पुस्तको की खरीदी की थी। For Private and Personal Use Only Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४० मुंबई के जैन मन्दिर जैन हो या जैनेतर हो, शाकाहारी हो, या अन्य हो किन्तु होस्पीटल में प्रवेश करनेवाले सभी महानुभावो को होस्पीटल के नियमो को मानना ही पडता हैं। दरवाजे पर खुला बोर्ड है कि होस्पीटल में प्रवेश करने वाले कोई भी सज्जन बीडी - सिगरेटमांस - मछली - अण्डा - शराब वगैरह किसी भी प्रकार की वस्तुएँ लेकर प्रवेश न करे तथा पहरे दारो द्वारा पुरी जांच - पडताल करने के बाद ही होस्पीटल में अन्दर जाने की अनुमति मिलती हैं। होस्पीटल में कुल ५ श्वेताम्बर मन्दिर, १ दिगम्बर मन्दिर तथा जैनेतर धर्मो के अनेक मन्दिर सर्वोदय तीर्थ स्थान की शोभा बढा रहे हैं। (३६२) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर सर्वोदय होस्पीटल के वार्ड कम्पाउण्ड में, सर्वोदय होस्पीटल, लालबहादुर शास्त्री मार्ग, ___घाटकोपर (प.), मुंबई - ४०० ०८६. विशेष :- सर्वोदय होस्पीटल का निर्माण करने के बाद सर्व प्रथम श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान का गृह मन्दिर होस्पीटल में बनाया गया था। यहाँ आरस की श्याम रंग की एक प्रतिमाजी बिराजमान हैं। यह मन्दिर ही सबसे पहले स्थापित हुआ था। इस मन्दिर में अनियमित समय पर प्रवेश करने के लिये मेनेजर की अनुमति लेनी पडती हैं। (३६३) श्री सर्वोदय पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय सर्वोदय होस्पीटल, घाटकोपर (प.), मुंबई - ४०० ०८६. विशेष :- जब हम बाहर से होस्पीटल में मुख्य दरवाजे से अन्दर प्रवेश करते हैं तो बायी और एक खूबसुरत जिनालय का दर्शन होता हैं। इस मन्दिरजी की प्रतिष्ठा वि. सं. २०२५ का वैशाख सुदि - ७, ता. २४-४-६९ को भव्य आनन्द मंगल के साथ हुई थी। इस मन्दिरजी में पाषाण की ८ प्रतिमाजी, पंचधातु की ११ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, विसस्थानक - १, अष्टमंगल - १ के अलावा गंभारे में व छत में कांच की डिझाईनो से मन्दिरजी की शोभा में वृद्धि कर दी हैं। बाहर की ओर पद्मावती देवी बिराजमान हैं। भूगर्भ में अर्थात् श्री सर्वोदय पार्श्वनाथ भगवान मन्दिर के नीचे के भाग में भोयरे में श्री गोडीजी पार्श्वनाथ भगवान बिराजमान हैं। यहाँ पाषाण की - ३४ प्रतिमाजी बिराजमान हैं । तथा नाकोडा भैरूजी की २ प्रतिमाजी, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री मणिभद्रवीर, श्री कुबेर देव तथा काल भैरव की मूर्ति भी बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २४१ यहाँ तीर्थ पटो में श्री शत्रुजय तीर्थ, श्री सम्मेत शिखर तीर्थ श्री अष्टापदतीर्थ तथा नेमिनाथजी - विवाह रथ यात्रा का चित्र भी दर्शनीय हैं। (३६४) ___ श्री स्थंभन पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर सर्वोदय होस्पीटल, घाटकोपर (प.), मुंबई - ४०० ०८६. विशेष :- यह मन्दिर शिरोमणि पार्श्वनाथ मूलनायक भगवान के पीछे के भाग में आया हुआ हैं। जिसे समोवसरण मंदिर भी कहते हैं। यहाँ पाषाण की ६८ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। (३६५) श्री शिरोभणि पार्श्वनाथ भगवान भव्य नयनरम्य जिनालय देव दर्शन हॉल, सर्वोदय होस्पीटल, घाटकोपर (प.), मुंबई - ४०० ०८६. विशेष :- जिनालयो की सृष्टि में इस अनोखे जिनालय का अंजनशलाका - प्रतिष्ठा महोत्सव परम पूज्य शासन प्रभावक आचार्य भगवंत श्री विजय मोहनसूरीश्वरजी म. सा. के पट्टधर प. पू. आचार्य भगवंत विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. सा. और प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०३१ का माह वदि ५, ता. २-३-७५ को भव्य आनन्द मंगल के साथ ठाठ माठ से हुआ था। यह जिन मन्दिर २०० फुट लम्बाई और २०० फुट पहोलाई में आया हुआ हैं । देवदर्शन हॉल की उँचाई ४५ फुट हैं। उसमें मध्यभाग में मुख्य गंभारे में २७ फुट की श्री शिरोमणि पार्श्वनाथ भगवान की भव्य और रमणीय काउस्सग मुद्रावाली, प्रतिमाजी चित्त को अति प्रसन्न करनेवाली हैं। ५ फूट ऊँची गादी पर २७ फुट की ऊँचाईवाली काउस्सग मुद्रालीन शान्तमुखमुद्रापरिमंडित यह प्रतिमाजी, जैन श्वेताम्बर संघो में भारत और विश्वभर में सर्व प्रथम बनी हैं, दर्शन मात्र से परम शांतिदायक इस प्रतिमाजी का मन्दिर और देवदर्शन हॉल भी भव्य भावोत्पादक और बेजोड हैं। उनके आजुबाजु में श्यामवर्णीय पार्श्वनाथ प्रभु की ९ फुट की २ काउस्सग प्रतिमाजी हैं । २४ प्रतिमाजी का उनका बडा परिकर हैं। उपर २२ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। शिरोमणि पार्श्वनाथ मन्दिर में कुल ११६ प्रतिमाजी दोनो दिवारोकी तरफ बिराजमान हैं। कुल १६५ प्रतिमाजी वन्दनीय हैं। इस मन्दिर के प्रवेश द्वार पर दोनो तरफ पार्श्वयक्ष, पद्मावतीदेवी काल भैरव और नाकोडा भैरवजी बिराजमान हैं। इस मन्दिर के बाहर का भाग देव दर्शन हॉल हैं। इस हॉल में बडी बडी ४ भव्य काउस्सग प्रतिमाजी श्वेत पाषाण की सुशोभित हैं। इनके पास युगदिवाकर आ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रतिमाजी भी बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २४२ www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर देवदर्शन हॉल में ३ चौविशी के प्रतीक रूप में आरस की ७२ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। उसमें २६ प्रतिमाजी ६१” के हैं, दुसरी ५१, ४१” तथा ३१” की प्रतिमाजी हैं। देवदर्शन हॉल के आठ दरवाजाओं के उपर अन्दर बाहर होकर लगभग १००८ जडी जिन प्रतिमाजी हैं । इस मन्दिरजी- हॉल के कुल १०८ शिखर हैं और सभी बाँधकाम में अन्दर और बाहर आरस जड़ने में आया हैं । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - हॉल में, श्री कृष्ण वासुदेव की रंगीन खडी प्रतिमांजी तथा कृष्ण अर्जुन की सवारी, चार घोडो जुडी अलग अलग रथ हैं । देवदर्शन हॉल में प्रवेश होते ही बायी ओर श्री पार्श्वनाथ प्रभु के १० भव के अन्तर्गत, चार मनुष्य भव के और एक हाथी के भव का कुल ५ बडे चित्र रचाये गये हैं । उनको लगती जानकारी प्रत्येक चित्र के उपर सुन्दर ढंग से लिखने में आई हैं । दायी ओर श्री पार्श्वनाथ के चार देवलोक भव के दृश्यो और उनका सुन्दर रीत से ३० फीट की प्रतिमाजी के साथ विवेचन किया हैं । देवदर्शन हॉल में छत में श्री पार्श्वनाथ भगवान के अपने १० भव के जीवन के २४ फुट x २० फुट के माप के बडे बडे ३२ चित्र बनाये गये हैं । उनके सामने की तरफ चित्रो के विवरण को, डेढ फुटके अक्षरो में लिखे हुए दिखाया गया हैं। जिसमें ४५ फुट की ऊँचाई से भी बराबर पढ सकते हैं। २३ वें तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ के इस भव्य अद्भुत और अनुपम जिनालय में उनका खुद का दिया हुआ उपदेश लगभग पचास पचास शब्दो की लाइनो में आरस के पत्थर में कोतरने में आया हैं। जो अनेक रीत से जैन दर्शन की अच्छी जानकारी अलौकिक रीत से देता हैं। 'देवदर्शन हॉल' के विवरण की जानकारी विस्तृत रूप से तत्कालीन प्रकाशित हेण्डबील की आधार पर लिखी गई हैं। (३६६) मन्दिरजी के संचालक हेण्डबील के नीचे लिखते हैं की यह सारा आयोजन भगवान की भक्ति खुद कर रही हैं । हमारा हिस्सा इसमें शून्य हैं, भगवान की कृपा बरस रही हैं । ❀ ॐ ॐ बावन जिनालय भव्य सुन्दर जिनालय सर्वोदय होस्पीटल, घाटकोपर (प.), मुंबई - ४०० ०८६. विशेष :- परम पूज्य शासन प्रभावक आचार्य भगवन्त श्री विजय मोहन प्रतापसूरीश्वर के पट्टधर प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुनित निश्रा में वि. सं. २०३३ का मगसर वदि ११, ता. १७-१२-७६ को प्रतिष्ठा हुई थी । देवदर्शन हॉल के मुख्य गंभारे के पीछे के भाग में नवकार मंत्र के अडसड अक्षर के प्रतीक के रूप में ६८ पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा का समवसरण हैं। समवसरण के आजुबाजु में नन्दीश्वर द्वीप बावन जिनालय के प्रतीक रूप बावन जिनालय की देहरीया हैं । For Private and Personal Use Only Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर तीन गढ वाले छोटे छोटे समवसरण स्वरूप एक एक देहरी में २४ तीर्थंकर तथा चार शाश्वता तीर्थंकर के रूप में २८ - २८ प्रतिमाजी हैं। आरस और धातु की मिलाकर कुल १४५६ हैं । यहाँ दूसरा सर्वोदय मन्दिर के साथ कुल पार्श्वनाथ भगवान की १६६१ प्रतिमाजी बिराजमान हैं । ❀ (३६७) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आ. श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी गुरू मन्दिर विशेष :- देवदर्शन हॉल के ठीक सामने आचार्य भगवन्त श्रीमद् राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. का गुरु मन्दिर हैं । जिसमें कुल मिलाकर पाषाण की ३ गुरू प्रतिमाजी बिराजमान हैं। जिसकी प्रतिष्ठा वि. सं. २०४७ का फागुण सुदि, ता. १७-२-९१ को हुई थी । घाटकोपर (पूर्व ) श्री जीरावला पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय देरासर गली, घाटकोपर (पूर्व), मुंबई - ४०० ०७७. टेलिफोन नं. - हेड ओफिस- ३७५५४६४, (ओ.) ५१०६२२९ विशेष :- घाटकोपर विभाग में सबसे प्राचीन इस भव्य जिनालय की प्रतिष्ठा लगभग ९० वर्ष पहले वीर संवत २४३४, वि. सं. १९६४ का फागुण सुदि ३ गुरुवार ता. ५ -३ - १९०८ को हुई थी । २४३ इस मन्दिरजी के व्यवस्थापक एवं संचालक श्री आदीश्वर भगवान जैन पेढी, नरशीनाथा स्ट्रीट, श्री कच्छी वीसा ओसवाल देरासरवासी जैन संघ - बम्बई ट्रस्ट हैं । - नूतन शिखरबंदी जिनालय वि. सं. १९९५-९६ में पुरा हुआ था। उपर चौमुखी प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा वीर सं. २४६६, वि. सं. १९९६ का वैशाख वदि - ६, सोमवार, ता. २७-५ - १९४० को हुई थी । गंभारे में मूलनायक श्री जीरावला पार्श्वनाथ भगवान तथा आजुबाजु में श्री महावीरस्वामी एवं श्री आदीश्वर भगवान तथा एक तरफ सहस्त्रफणा पार्श्वनाथ प्रभु पाषाण की चार प्रतिमाजी, पंचधातुकी १५ प्रतिमाजी, पार्श्वयक्ष यक्षिणी तथा महाकाली देवी व श्री कल्याणसागरजी म. की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। उपर श्री जीरावला पार्श्वनाथ, श्री आदीश्वर भगवान, श्री सुमतिनाथ भगवान एवं श्री धर्मनाथ प्रभु की पाषाण की चार प्रतिमाजी बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only श्री लक्ष्मी, श्री महाकाली, श्री चक्रेश्वरी देवी, श्री पद्मावती देवी भी सुशोभित हैं । श्री घाटकोपर कच्छी जैन संघ की तरफ से आयंबिल खाता चालु हैं। विशाल उपासरा, व्याख्यान हॉल, जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं । इसके अलावा यहाँ श्री जीरावला महिला मंडल, श्री आदिनाथ महिला मंडल भक्ति भावना में अग्रसर हैं । Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४४ मुंबई के जैन मन्दिर %3 (३६८) श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर जय किशन, स्टेशन रोड, पंतनगर, घाटकोपर (पूर्व), मुंबई - ४०० ०७७. टेलिफोन नं.-कमलेशभाई आर. शाह - ५१३ ६६ ३५, प्रविण जे. दोशी - ५११ ३०५३ विशेष :- श्री घाटकोपर मुनिसुव्रतस्वामी जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तप गच्छ संघ द्वारा संचालित इस गृह मन्दिरजी की प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री विजय मोहन - प्रताप के पट्टधर युगदिवाकर पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रामें वि. सं. २०२६ का माह सुद ११, तारीख ४-३-७० को हुई थी। प्रतिष्ठा का लाभ लेनेवाले सेठ बाबुभाई हरगोविन्ददास मोतीचन्द शाह जामनगर वाले थे। यहाँ श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ प्रभु, श्री आदीश्वर भगवान एवं श्री महावीर प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। यहाँ श्री आराधना भवन उपाश्रय, जैन पाठशाला, श्री जैन प्रगति मंडल एवं श्री पार्श्वदीपक महिला मंडल की व्यवस्था हैं। (३६९) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर ६० फीट रोड, आर. बी. मेहता मार्ग, घाटकोपर (पूर्व), मुंबई - ४०० ०७७. टेलिफोन नं.-(ओ.) ५१२ ३२ ३६, रजनीकान्तभाई - ५१६ २७ ०८ विशेष :- श्री घाटकोपर जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ संघ-नवरोजी लेन की तरफ से इस गृह मन्दिरजी की स्थापना तथा व्यवस्था हो रही हैं। शासन प्रभावक पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री मोहन - प्रताप के पट्टधर युगदिवाकर पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की शुभ प्रेरणा से इस गृह मन्दिर का निर्माण हुआ था। परम पूज्य शासन सम्राट आ. श्री विजय नेमिसूरीश्वरजी म. सा. के समुदाय के आचार्य भगवन्त विजय चन्द्रोदयसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०३४ का जेठ सुदि - २ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु मूलनायक तथा आजु बाजु में श्री आदीश्वर प्रभु तथा श्री महावीर प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। ____ घाटकोपर संघ के परमोपकारी युगदिवाकर पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से एवं आपकी पुण्य निश्रा में वि. सं. २०३२ में स्थापित श्रीमती जयाबेन रामजीभाई गुढका आराधना भवन, श्री पार्वतीबाई नारायणजी शाह जैन पाठशाला - जवान नगर - भानुशाली लेन, घाटकोपर (पूर्व), इसके अलावा श्री घाटकोपर जैन आराधना मंडल, श्री वर्धमान संस्कृति धाम, श्री महावीर मंडल की व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २४५ (३७०) श्री अनन्तनाथ भगवान गृह मन्दिर अनन्त छाया, बिल्डींग के कम्पाउण्ड में, आर. बी. मेहता मार्ग, ६० फीट रोड, घाटकोपर (पूर्व), मुंबई - ४०० ०७७. टेलिफोन नं.- ३४४ १९ २९, ३४२ १३ ४४ - रतीलालभाई विशेष :- इस गृह मन्दिरजी की स्थापना एवं व्यवस्था श्री अनंतनाथजी महाराज जैन पेढी भातबाजार एवं उनका साधारण फण्ड ट्रस्ट द्वारा हो रही हैं। यहाँ मूलनायक श्री अनंतनाथजी, श्री शान्तिनाथजी, श्री चन्द्रप्रभ स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु का समवसरण - १, सिद्धचक्रजी ४ बिराजमान हैं। अचलगच्छ समुदाय के परम पूज्य आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०४७ का वैशाख सुदि १३, तारीख २६-५-९१ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। (३७१) श्री गोडी पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर १६३/४५२९ नायडू कोलोनी, पंतनगर, घाटकोपर (पूर्व), मुंबई - ४०० ०७५. टेलिफोन नं.-५११ ४४ ९८ - रमेशभाई, ५१६ १३ ८६ - रोहितभाई विशेष :- श्री गोडी पार्श्वनाथ श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ जैन संघ - नायडू कॉलोनी द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिरजी के मुख्य सहायक दाता संघवी अम्बालाल रतनचन्द जैन धार्मिक ट्रस्ट हैं । परम पूज्य आचार्य विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य श्री विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म., पंन्यासजी श्री जयशेखरविजयजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५० का जेठ सुदि ९ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ श्री गोडी पार्श्वनाथ भगवान मूलनायक के साथ श्री शान्तिनाथ भगवान, श्री श्रेयांसनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ बिराजमान हैं। ___ यहाँ श्री निर्मलाबेन नगीनदास जसाणी आराधना भवन, श्री पार्श्व युवक मंडल तथा चैत्र व आसौ मास में ओली आराधको के लिये ओली करने की व्यवस्था हैं। (३६२) श्री सीमन्धरस्वामी भगवान गृह मन्दिर अ-२१/८१ चित्तरंजन नगर, प्राचार्य आर. एन. गांधी मार्ग, राजावाडी, घाटकोपर (पूर्व), मुंबई - ४०० ०७७. टेलिफोन नं.-५१६ ३१ ४०, ५१४ ७१ ३३ कल्पनाबेन, ५१२ ९९७७ मधुबन विशेष :- इस गृहमन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्रीमती कल्पना बहन हैं। परम पूज्य आचार्य भगवंत विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म.के समुदाय के पन्यास प्रवर श्री For Private and Personal Use Only Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४६ मुंबई के जैन मन्दिर Non विमलसेनविजयजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५२ का जेठ सुदि ३,सोमवार, ता. २०-५-९६ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ श्री सीमन्धर स्वामी तथा आजुबाजु में श्री मुनिसुव्रत स्वामी तथा श्री आदिनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी तथा पंचधातु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ बिराजमान हैं। (३७३) श्री महावीरस्वामी भगवान शिखरबंदी जिनालय कुशल टॉवर्स के पास अमर महल, एम. जी. रोड, घाटकोपर (पूर्व), मुंबई - ४०० ०७७. टेलिफोन नं.-(ओ.) - ३८९५४ ७३, (घर) - ३०५ २९५३ - प्रेमजीभाई विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. अचलगच्छ समुदाय के मुनि भगवन्त की पावन निश्रा में वि. सं. २०५३ का वैशाख सुदि ६, तारीख १२-५-९७, सोमवार को दोपहर १२.३९ को विजय मुहूर्त में भूमिपूजन खनन विधि तथा शिला स्थापना विधि वि. सं. २०५३ का वैशाख सुदि - ११, रविवार, ता. १८-५-९७ को विजय मुहूर्त में सम्पन्न हुई थी। जिनालय के निर्माण दाताओं में भाग्यशाली श्रेष्ठिवर्य श्रीमान प्रेमजीभाई शाह, श्रीमान प्रकाशभाई मेहता, एवं श्रीमान वसंतभाई जैन का नाम अग्रणीय हैं। विक्रोली (पश्चिम) (३७४) श्री आदीश्वर भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय हजारी बाग, लालबहादुर शास्त्री मार्ग, विक्रोली (प.), मुंबई - ४०० ०५३. टेलिफोन नं.-जयन्तीभाई - २०६५० २१ (ओ.) ३६७ ६१ ६७ (घर) विशेष :- श्री हरियाली व्हिलेज जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक ट्रस्ट द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस भव्य शिखर बंदी जिनालय की शुभ प्रेरणा तथा प्रतिष्ठा प. पू. सिद्धान्त महोदधि आ. श्री विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनिभगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०४३ का माह सुदि १०, रविवार, ता. ८-२-९७ को हुई थी। यहाँ श्री आदीश्वर भगवान मूलनायक तथा आजुबाजु में श्री पार्श्वनाथ भगवान एवं श्री महावीर स्वामी भगवान की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की पार्श्वनाथ प्रभु की बडी प्रतिमाजी, पंचधातु की- २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। यहाँ विजय शांतिचन्द्रसूरि आराधना भवन, हजारीबाग जैन पाठशाला, श्री आदीश्वर जैन महिला मंडल एवं उपासरा की व्यवस्था हैं। ओलियों के दिनो में आयंबिल की भी व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर (३७५) श्री संभवनाथ भगवान गृह मन्दिर ५२ ए टवीन हाउस, बम्बखाना के पीछे, पार्कसाईट, विक्रोली (प.), मुंबई - ४०००७९. टेलिफोन नं. - ५१७०७ २३ मूलचन्दभाई गाला २४७ विशेष : :- प्रवचन प्रभावक परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय मोहन - प्रताप के पट्टधर पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०२६ का मगसर सुदि १० को प्रथम चल प्रतिष्ठा हुई थी । इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्री विक्रोली पार्क साइट जैन संघ हैं । इस गृह मन्दिरजी की यहाँ के संघ द्वारा विशेष रूप से उन्नति होती गई । नूतन प्रतिमाजी एवं अधिष्ठायक देव - देवताओं की प्रतिमाजी की स्थापना हुई, अतः पुनः प्रतिष्ठा आचार्य योगनिष्ठ श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य श्री दुर्लभसागरसूरीश्वरजी म., मुनिराज श्री प्रेमप्रभसागरजी म. ( मुनि वात्सल्यदीप ) आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०४३ का माह सुदि १४, शुक्रवार, ता. १२-२-८७ को हुई थी । यहाँ मूलनायक श्री संभवनाथ भगवान तथा आजुबाजु में श्री आदीश्वर भगवान, श्री महावीर स्वामी भगवान, श्री पार्श्वनाथ भगवान एवं श्री सीमन्धर स्वामी के साथ पाषाण की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ४, अष्टमंगल - १ तथा यक्ष-यक्षिणी, पद्मावती देवी, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री गौतम स्वामी आदि बिराजमान हैं। यहाँ उपासरा एवं श्री संभवनाथ महिला मंडल की व्यवस्था हैं । आजकल यहाँ प. पू. आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा और मार्गदर्शनानुसार शिखरबद्ध जिनालय का आयोजन हो रहा हैं। For Private and Personal Use Only ॐ ॐ विक्रोली (पूर्व) (३७६) श्री संभवनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय म्युनिसिपल स्कूल के सामने, टागोर नगर, विक्रोली (पूर्व), मुंबई - ४०००८३. टेलिफोन नं. - (ओ.) - ५७८ ४७ ३७, शांतिलालजी - ५७८ ६१५४ विशेष :- शासन प्रभावक परम पूज्य आ. भ. श्री विजय मोहन - प्रताप के पट्टधर युगदिवाकर पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०२६ का जेठ सुदि ३ को संघाणी ओस्टेट घाटकोपर (प.) के श्री चिन्तामणि जिनालय में अंजनशलाका की हुई प्रतिमाजी की चल प्रतिष्ठा आपकी पुण्य निश्रा में वि. सं. २०२७ में हुई थी। यहाँ के संघ द्वारा एक भव्य शिखरबंदी जिनालय का निर्माण हुआ तथा परम पूज्य आचार्य Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४८ मुंबई के जैन मन्दिर भगवन्त विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य विजय हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४६ का वैशाख सुदि ६, ता. ३०-४-९० को भव्य प्रतिष्ठा हुई थी। ___ प्रतिष्ठा के बाद कायमी ध्वजा का लाभ शा. हिंमतमलजी रतनचन्दजी राणावत दुजाना (राज.) परिवारवालोने लिया हैं। यहाँ मूलनायक श्री संभवनाथ प्रभु सहित पाषाण की ५ प्रतिमाजी तथा पाषाण की ही श्री गौतमस्वामी एवं श्री सुधर्मास्वामी की दो गुरु प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १, वीसस्थानक - १ चऊमुखी प्रतिमाजी का समवसरण तथा उपर मूलनायक श्याम रंग के पार्श्वनाथ प्रभु सहित ५ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। यहाँ उपासरा के अलावा श्री संभवनाथ महिला मंडल, श्री संभवनाथ संगीत मंडल, श्री नवयुग मित्र मंडल, श्री महावीर महिला मंडल, श्री भैरव भक्ति मंडल तथा श्री संभवनाथ जैन पाठशाला एवं आराधना मंडल की व्यवस्था हैं। पवई (३७७) श्री शान्तिनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय आय. आय. टी. मार्केट, जैन मन्दिर मार्ग, पवई तलाव के आगे, पवई रोड, मुंबई - ४०० ०७६. टेलिफोन नं.-(ओ.) ५७९५१ ८१ वसनजीभाई (ओ.) ५७८ १२ ८२, (घर) - ५७८ ३४ १४ विशेष :- पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से उनकी निश्रा में वि. सं. २०२८ में इस भव्य जिनालय की शिला स्थापना मोटा आसंबिया कच्छ हाल मुलुंड निवासी अ. सौ. श्रीमती हीरबाई मोरारजी नानजी गाला के हस्त से हुई थी। पवई जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस भव्य जिनालय की प्रतिष्ठा इस मनमोहक जिनालय के प्रेरक श्री मोहनप्रतापसूरीश्वरजी के पट्ट प्रद्योतक प. पू. युग दिवाकर आचार्य भगवंन्त श्री धर्मसूरीश्वरजी म. सा. एवं अनेक शिष्यो - प्रशिष्यो की पावन निश्रा में वि. सं. २०३२, वीर संवत २५०२ का फागुण सुदि ७, ता. ८-३-१९७६ को हुई थी। प्रतिष्ठा का लाभ : - मूलनायक श्री शान्तिनाथ भगवान की प्रतिष्ठा का लाभ भरूच हाल मुंबई निवासी अ. सौ. श्रीमती प्रमिलाबेन रमेशभाई रतिलाल दलाल ने लिया था। जिनालय के रंग मंडप का लाभ : (१) श्री ऋषभदेव जैन देरासर और साधारण खाता ट्रस्ट - चेम्बुर For Private and Personal Use Only Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २४९ (२) बाबु अमीचन्द पन्नालाल श्री आदिनाथ जैन मन्दिर चेरीटेबल ट्रस्ट - वालकेश्वर (३) श्री मुलुंड जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ - मुलुंड। यहाँ मूलनायक श्री शान्तिनाथ भगवान परिकर के साथ ६३", श्री पार्श्वनाथ भगवान, श्री महावीर स्वामी के साथ आरस की ७ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - २, वीसस्थानक - १ शोभायमान हैं। रंग मंडप में प. पू. आ. भ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. के मार्गदर्शन से श्री सम्मेत शिखरजी, श्री गिरनारजी, श्री कच्छ की पंचतीर्थी, श्री भद्रेश्वर, श्री शंखेश्वर तीर्थ, श्री राजगृही तीर्थ, श्री केसरीयाजी, श्री पावापुरी, श्री कदंबगिरी, श्री तारंगाजी, श्री तलाजा, श्री राणकपुरजी, श्री ७२ जिनालय, श्री देलवाडा आबु, श्री अचलगढ, श्री शत्रुजय तीर्थ, श्री अष्टापद तीर्थ, एवं श्री शान्तिनाथ प्रभु के ऐतिहासिक चित्र भी सुशोभित हैं। यहाँ उपासरा एवं शान्तिनाथ महिला मंडल की व्यवस्था हैं । आजकल यहाँ पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रबल प्रेरणा व मार्गदर्शन से, प्रतिष्ठा के समय श्री संघ ने प्राप्त की हुई विशाल भूमि पर, भव्य और आलीशान ५ मंजील विशाल और भव्य जैन भवन बन रहा हैं। जिसमें उपाश्रय, विविध लक्षी हॉल, धर्मशाला, छात्रालय आदि कई तरह के कार्य का आयोजन होनेवाला हैं। कांजुरमार्ग (पश्चिम) (३७८) श्री महावीर स्वामी भगवान गृह मन्दिर स्टेशन रोड, कांजुर मार्ग (प.), मुंबई - ४०० ०७८. टेलिफोन नं.-५७८ ०० २४ घीसूलालजी रमणलालजी विशेष :- शासन प्रभावक पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय मोहन - प्रताप के पट्टधर पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की शुभ प्रेरणा से सांडेराव (राज.) निवासी स्व. मातुश्री मेघीबाई चेनमलजी पालरेचा के आत्मश्रेयार्थ बेटा पोता शा. देवराज छगनलाल पालरेचा की तरफ से यह भूमि जैन मन्दिर बनाने के हेतू अर्पण की गई हैं। परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. आदि मुनिभगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०३२ का श्रावण वदि - १०, शुक्रवार, ता. २०-८-७६ को इस मन्दिर की स्थापना हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री महावीर प्रभु की श्वेत रंग की तथा श्री पार्श्वनाथ भगवान एवं श्री मुनिसुव्रत For Private and Personal Use Only Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २५० मुंबई के जैन मन्दिर स्वामी प्रभु की श्याम रंग की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं। www.kobatirth.org गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री कांजुरमार्ग जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ हैं । यह मन्दिर स्टेशन से कुछ दूरी पर हैं तथा स्टेशन के रोड की तरफ मन्दिर का दरवाजा हैं । ॐ ॐ (३७९) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कांजुरमार्ग (पूर्व) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर कल्पतरू बिल्डींग, ग्राउन्ड फ्लोर, कांजुरमार्ग (पूर्व), मुंबई - ४०० ०७२. टेलिफोन नं. - ५७८ २२०७ जिनेश प्रेमचन्द शाह -- विशेष श्री कांजुरमार्ग (पूर्व) अचलगच्छ जैन संघ द्वारा निर्मित इस गृह मन्दिरजी की चलप्रतिष्ठा अंचलगच्छाधिपति आचार्य श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के समुदाय के साहित्य रत्न आचार्य श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से एवं मुनि मंडल की पावन निश्रा में वि. सं. २०५० का वैशाख वदि - ३, शुक्रवार, ता. २० -५-९४ को पाँच दिवसीय महोत्सव के साथ चलप्रतिष्ठा हुई थी । यहाँ मूलनायक श्री आदीश्वर प्रभु तथा आजु बाजु में श्री संभवनाथ एवं श्री शान्तिनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी तथा सिद्धचक्रजी - १ बिराजमान हैं । इसके अलावा श्री प्रासाददेवी, श्री चक्रेश्वरी देवी, श्री पद्मावती देवी, श्री गोमुख यक्ष एवं श्री महाकाली देवी भी बिराजमान हैं। 1 यहाँ उपाश्रय, जैन प्राठशाला, तथा गुणस्वरूप महिला मंडल की व्यवस्था हैं ❀ ॐ ॐ भांडुप (पश्चिम) (३८०) श्री आदीश्वर भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय १०७, लालबहादुर शास्त्री मार्ग, भांडुप (प.) मुंबई - ४०००७८. टेलिफोन नं. - (ओ.) - ५६१५८ ४० हेड ओफिस - ३४२१३ ४४ विशेष :- इस मन्दिरजी के संचालक श्री अनंतनाथजी महाराज जैन देरासर, भातबाजार, नरशी नाथा स्ट्रीट हैं । - अनंत सिद्धि का परिचय : श्री जेठाभाई वीरम खोना कच्छ सुथरी वालोने उनके स्व. पुत्र भाणजीभाई की यादगिरी में, ज्ञातिभाइयों के लाभ के लिये और सेनेटरीयम बना सके उस लक्ष्य के लिये इस प्लोट की खाली जमीन लगभग ६००० वार श्री अनंतनाथजी महाराज जैन देरासर को ता. २९ जुलाई १९०२ के दिन भेट के रूप में प्रदान की और रुपये ५०१/- रोकडा श्री कच्छी दशा ओसवाल For Private and Personal Use Only Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २५१ जैन ज्ञाति महाजन (मुंबई) को मकान एवं कूएं बनाने हेतू भेट दिये । अनन्त सिद्धि के प्लोट पर ई. सन १९०२ में ज्ञाति महाजन के लिये सर्वप्रथम श्री महावीर स्वामी का मंदिर बनाने में आया, उसके बाद ई. सन १९४६ में उसका पुनरूद्धार करके श्री आदीश्वर प्रभु का नूतन जिनालय बनवाकर जेठ सुदि - ११ को प्रतिष्ठा करने में आई। ६८ ब्लोक वाले नूतन अतिथि गृह के ज्ञाति शिरोमणि सेठ श्री नरशीनाथा सभागृह का नामकरण विधि वि. सं. २०३६ के आसो सुदि - १०, ता. १९-१०-८०, शुक्रवार के शुभ दिन सेठ श्री टोकरशी आनन्दीलाल एवं अ. सौ. लक्ष्मीबाई टोकरशीलाल के शुभ हस्तक से कराया गया। इस जिनालय की प्रतिष्ठा वि. सं. २००२ का जेठ सुदि ११ को हुई थी। इसकी गोल्डन जुबली ता. २३-५-९६ से ३०-५-९६ तक आठ दिन के भव्य महोत्सव के साथ मनाई गयी। यहाँ पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, चऊमुखी प्रतिमाजी पंचधातु की - १, विशस्थानक -१ तथा उपर पाषाण की १ प्रतिमाजी महावीर स्वामी की, पंचधातु की - १ विशस्थानक - १, सिद्धचक्र जी - १ इसके अलावा ईष्ट देव -देवता तथा कल्याणसागरसूरीश्वरजी म. की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। श्री कच्छी दशा ओसवाल जैन ज्ञाति में शिरोमणि सेठ श्री केशवजी नायक और श्री नरशी नाथा थे। जिनके द्वारा बनाई गयी टुंक शत्रुजय तीर्थ पर शोभायमान हैं। (३८१) श्री महावीरस्वामी भगवान गृह मन्दिर शक्ति एपार्टमेन्ट, पहला माला, लालबहादुर शास्त्री मार्ग, भांडुप (प.), मुंबई - ४०० ०७८. टेलिफोन नं.-(ओ.) ५९१ १३५२ देवजी भोजराज - ५६१ ७३ १३ विशेष :- यहाँ भगवान महावीर की पंचधातु की १ प्रतिमाजी, १ सिद्धचक्रजी एवं अष्ट मंगल १ सुशोभित हैं। श्री क. वि. ओसवाल अचलगच्छ जैन संघ - चि. हसमुख कल्याणजी गंगाजर भगत रताडीया गणेशवाला उपाश्रय की स्थापना वि. सं. २०४१ में हुई थी। श्री क. वि. ओसवाल अचलगच्छ जैन संघ - मातुश्री कस्तूरबेन रायशी मेघजी पासद गाम देढियावाला विविध लक्षी होल की स्थापना वि. सं. २०४३ में हुई थी। वि. सं. २०४६ का आषाढ सुदि २ को श्री कच्छी विशा ओसवाल अचलगच्छ जैन संघ - भाडुप द्वारा परम पूज्य आ. श्री गुणसागर सूरि जैन पाठशाला की स्थापना हुई थी। For Private and Personal Use Only Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २५२ मुंबई के जैन मन्दिर परम पूज्य आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से अ. सौ. लक्ष्मीबेन मावजी रवजी रायधन (हाल थाणा) वालो की तरफ से चैत्र व आसौ मास में ओली कराने में आती हैं। यहाँ गुणसागर जैन ज्ञान भंडार एवं त्रिशला महिला मंडल की व्यवस्था हैं। (३८२) श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर ईश्वर नगर, ई बिल्डींग तीसरा माला, लालबहादुर शास्त्री मार्ग, भांडुप (प.), मुंबई - ४०० ०७८. टेलिफोन नं.-गुणवंतभाई - ५६७ ४३ ७०, पारसमलजी - ५६८ ४३ ८९ विशेष :- जैन शासन के महाप्रभावक पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य प्रेरणा से वि. सं. २०२५ में ईश्वर नगर की ई बिल्डींग में बिल्डर ईश्वरभाई के सहयोग से, दूसरे माले में जैन उपाश्रय का निर्माण और तीसरे माले में जिनालय का निर्माण हुआ था। श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस मन्दिरजी की वि. सं. २०२५ का मगसर वदि द्वि. १, शुक्रवार को परम पूज्य आ. भ. श्री विजय मोहन - प्रताप के पट्टधर प. पू. आ. भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुनित निश्रा में महामहोत्सव पूर्वक प्रतिष्ठा हुई थी। पुन:प्रतिष्ठा आचार्य विजय पूर्णानन्दसूरीश्वरजी म. व साहित्योपासक प्रर्वत्तक पू. मुनिराज हरीशभद्रविजयजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५२ का फागुण वदि ४, शनिवार, ता. ९-३-९६ को हुई थी। ___यहाँ मूलनायक श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान तथा आजुबाजु में श्री शान्तिनाथ भगवान तथा श्री धर्मनाथ भगवान एवं एक मंगल मूर्ति सहित पाषाण की ४ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३ अष्टमंगल - १ के अलावा पार्श्वयक्ष, पद्मावती देवी, श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्ण वीर. श्री नाकोडा भैरूजी बिराजमान हैं। पावापुरी शोकेस, तथा शत्रुजय पट, श्री सम्मेत शिखरजी पट भी दर्शनीय हैं। यहाँ श्री पार्श्व महिला मंडल, श्री साधना महिला मंडल की व्यवस्था हैं। (३८३) श्री सुविधिनाथ भगवान गृह मन्दिर दामजी नेणशी वाडी, पहला माला, रेलवे स्टेशन के पास, भांडुप (प.) मुंबई - ४०० ०७८. टेलिफोन नं.-गुणवंतभाई - ५६७ ४३ ७० - पारसमलजी - ५६८ ४३ ८९ विशेष :- सर्व प्रथम वि. सं. २००५ का फागुण सुदि ६ को गृह मन्दिर की स्थापना हुई थी। For Private and Personal Use Only Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २५३ - उस वक्त मूलनायक श्री अजितनाथ प्रभु की पंचधातु की १ प्रतिमाजी तथा सिद्धचक्रजी - १ बिराजमान थे। पुनः चलप्रतिष्ठा होने के बाद मूलनायक श्री सुविधिनाथ प्रभु की पाषाण की १ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३ और लकडे के कपाट में पार्श्वप्रभु - सिद्धचक्रजी बिराजमान हैं। ता. ३-१-९३ से इस गृह मंदिरजी का संचालन श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ - ईश्वरनगर कर रहा हैं। (३८४) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर विलेज रोड, वन बी, टु बी, गुरू रामदास मार्केट, भांडुप (प.) मुंबई - ४०० ०७८. टेलिफोन नं.-दानमलजी - ५६७ ९४ ९८, सोहनराजजी - ५६७ ८३ ३९ विशेष :- श्री विलेज रोड जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ द्वारा यहाँ सर्व प्रथम गृह मन्दिर की स्थापना वि. सं. २०३६ का श्रावण सुदि ३ को शासन प्रभावक परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री विजय मोहन - प्रताप के पट्टधर पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. साहेबजी की प्रेरणा से हुई थी। यहाँ के जिनालय का भव्य नयन रम्य पुन: निर्माण का लाभ श्रीमान सेठ श्री जवेरचन्द प्रतापचन्द सुपार्श्वनाथ जैन संघ-वालकेश्वर वालो ने लिया है। परम पूज्य आचार्य श्री दर्शनसागरसूरीश्वरजी म. समुदाय के आचार्य श्री नित्योदयसागरसूरीश्वरजी म. आचार्यदेव श्री चन्द्राननसागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रामें वि. सं. २०५३ का वैशाख सुदि ७, सोमवार को ठाठमाठ से पुन:प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई थी। यहाँ के जिनालय में पाषाण के मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु तथा आजु बाजु में श्री आदिनाथ भगवान, श्री महावीर स्वामी की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३ एवं अष्टमंगल - १ के अलावा श्री गौतमस्वामी, श्री मणिभद्रवीर, श्री नाकोडा भैरूजी, श्री पार्श्वयक्ष, एवं श्री पद्मावती माताजी बिराजमान हैं। नीचे ओफिस हॉल और उपर पहले माले पर जिनालय हैं । यहाँ के संघ में श्री नवयुग मंडल की व्यवस्था हैं। (३८५) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ गृह जिनालय भट्टीपाडा, भांडुप (प.), मुंबई - ४०० ०७८. टेलिफोन नं.- (ओ.) ५६० १३ २५, भिकमचन्दजी - ५६४ ०१ १०, मोहनलालजी - ५६४ ४५ ५२ विशेष :- सर्व प्रथम यहाँ के संघ द्वारा पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय For Private and Personal Use Only Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २५४ मुंबई के जैन मन्दिर धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की शुभ प्रेरणा से चेम्बुर तीर्थ में अंजनशलाका की हुई प्रतिमाजी की वि. सं. २०३१ का श्रावण वदि-११ को आपकी निश्रा में चल प्रतिष्ठा हुई थी। ___इसके बाद यहाँ नूतन भवन का निर्माण हुआ एवं पुन:प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य श्री दर्शन सागरसूरीश्वरजी म. आ. श्री नित्योदयसागरसूरीश्वरजी म. एवं पन्यासजी श्री चन्द्राननसागरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४० का वैशाख सुदि ५, रविवार, तारीख ६-५-८४ को हुई थी। यहाँ श्यामवर्णीय श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान (सपरिकर) तथा आजुबाजु में श्री महावीर स्वामी, श्री अजितनाथ भगवान की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, विसस्थानक - १, यन्त्र - ३ तथा मणिभद्रवीर, महालक्ष्मी सुशोभित हैं। बाहर की ओर श्री नाकोडा भैरूजी, श्री घंटाकर्णवीर, श्री अंबिका देवी, श्री चक्रेश्वरी देवी की देहरीया दर्शनीय हैं। यहाँ के उपाश्रय हॉल के लकी ड्रो के प्रथम विजेता शा. चुनीलालजी वीरचन्दजी का नामकरण हुआ था । गैलरी हॉल का नामकरण बांकली निवासी शा. वरदीचन्दजी हिन्दुजी साकरीया हुआ था। श्री वर्धमान तप आयंबिल शाला का हॉल कवराडा निवासी शा. कपुरचन्दजी हंसाजी वरदरीया परिवार वालो की तरफ से बनाया गया था। इस भवन का खात मुहूंत एवं शिलान्यास वि. सं. २०३८ का माह सुदि ६, रविवार को हुआ था। इस भवन के ग्राउण्ड फ्लोर पर आयंबिल शाला, प्रथम माला उपाश्रय, दूसरा माला मंदिरजी से शोभायमान हो रहा हैं। यहाँ श्री राजस्थान पार्श्व महिला मंडल, श्री सुमतिनाथ महिला मंडल, श्री सुमतिनाथ जैन पाठशाला एवं श्री सुभय जैन सोश्यल ग्रुप की व्यवस्था हैं । (३८६) श्री शीतलनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय ९, देरासर लेन, फरीद नगर, प्रतापनगर रोड, भांडुप (प.), मुंबई - ४०० ०७८. टेलिफोन नं.-५६५ ०२५८, ५६७ ६८ ५४ - पुखराजजी, ५६१ ७४ १४ चंपालालजी विशेष :- सर्व प्रथम यहाँ प्रवचन प्रभावक आचार्य भगवन्त श्री विजय मोहन - प्रताप के पट्टधर पूज्य पाद युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. साहेबजी की प्रेरणा से वि. सं. २०२५ का जेठ सुदि ६ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। फिलहाल यहाँ मूलनायक श्री शीतलनाथ सहित पाषाण की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २५५ यहाँ उपाश्रय, महिला मंडल एवं जैन आदर्श मंडल की व्यवस्था हैं। परम पूज्य आ. पंजाब केसरी आ. विजयवल्लभसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य विजय रत्नाकर सूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा से भव्य शिखरबंदी जिनालय का निर्माण कार्य चालु हैं। (३८७) श्री वासुपूज्यस्वामी भगवान गृह मन्दिर १३ टिलक निवास, महाराष्ट्र नगर, भांडुप (प.), मुंबई - ४०० ०७८. टेलिफोन नं.-५६५ ०० ५३, ५६४ ७८ ११ - ज्योतिचंद्रजी विशेष :- शासन दिवाकर पूज्यपाद आचार्यदेव श्री विजय मोहन - प्रताप के पट्टधर शासन के महान ज्योतिर्धर पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. साहेबजी की पुनित निश्रा में वि. सं. २०३१ का कार्तिक वदि - ११ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। उसके बाद यहाँ के संघ द्वारा नूतन भवन का निर्माण हुआ, जिसका खातमुहूर्त वि. सं. २०३७ का श्रावण सुदि - ११, शुक्रवार, ता. २२-९-१९८१ को आचार्य भगवंत दर्शनसागरसूरीश्वरजी म. के शिष्य गणिवर्य श्री जितेन्द्रसागरजी म. आदि की शुभ निश्रा में शा. भूरमलजी नवलाजी मुठलीया (बाली) परिवार वालो की तरफसे हुआ था । पुन: प्रतिष्ठा परम पूज्य लब्धि - लक्ष्मण के शिशु शतावधानी आ. विजय कीर्तिचन्दसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०३९ का जेठ वदि ६, गुजराती मिती वैशाख वदि ६, गुरूवार, ता. २-६-१९८३ के मंगल दिन ठाठ माठ से हुई थी। यहाँ के जिनालय में मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी तथा आजुबाजु में श्री शीतलनाथजी एवं श्री शान्तिनाथजी प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २ एवं अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं। इसके अलावा श्री मणिभद्रवीर, श्री नाकोडा भैरूजी, श्री पद्मावतीदेवी, श्री चक्रेश्वरी देवी एवं यक्ष - यक्षिणी भी दर्शनीय हैं। यहाँ के गर्भगृह का निर्माण शा. मूलचन्दजी हंसाजी एवं मातुश्री हुलासीबाई के आत्मश्रेयार्थ शा सोकलचन्दजी मूलचन्दजी बेडा (राज.) निवासी परिवार वालो की तरफ से कराया गया था। यहाँ उपाश्रय, श्री वासुपूज्य महिला मण्डल, श्री वासुपूज्य स्वामी जैन पाठशाला, श्री वासुपूज्य स्वामी बालिका मण्डल, श्री वासुपूज्य स्वामी सामायिक मण्डल एवं श्री जैन युवक मण्डल की व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २५६ मुंबई के जैन मन्दिर मुलुण्ड (पश्चिम) (३८८) श्री वासुपूज्य भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय झव्हेर रोड, मुलुण्ड (प.) मुम्बई-४०० ०८०. टे.फो ऑफिस : ५६७ ११ ७६, विजयभाई - ५६१ ५३ ५२, जितुभाई - ५६८ ०५ ४३ विशेष :- मुलुण्ड - मंगलापुरी टाऊन प्लानींग के आयोजक श्री झव्हेरभाई रामजी शाह को, अपनी तथा अपने वंशज की चिर स्मृति इस देवस्थान निर्माण के शुभ कार्य के साथ होती रहे, यह भावना थी। इसवीसन १९२१ के साल में ३६००० चौरस फुट का विशाल प्लोट १३५०० रू. की किमत से अपने लघुबंधु श्री हरगोविन्ददास रामजी हस्तक खरीदने में आया और उसके बाद ३ वर्ष में इस प्लोट पर श्री देरासरजी एवं उपाश्रय के उपयोग के लिये जुना जिनालय, उपाश्रय का मकान, कुआँ, कंपाउंड की दिवार वगैरह आसरे कुल १७००० रू. के खर्च से बाँधने में आया, जिस कार्य में श्री हरगोविन्ददास रामजी तथा अमरचन्द घेलाभाई गाँधीने सहकार दिया था। तारीख ७-१२-१९४२ को यह सारी मिल्कत श्री मुलुण्ड - तपागच्छ जैन संघ को अर्पण करने में आई थी । ई. सन १९५० में उपर्युक्त संघ का विसर्जन होने के बाद यह सारी मिल्कत श्री मुलुण्डश्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ को ता. १६-१२-१९५० को अर्पण करने में आई थी। शासन सम्राट आचार्य श्री नेमिसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य श्री विजय अमृतसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रामें वि.सं. २००९ का फागुण सुदि ५ को नूतन जिनालय की भव्य प्रतिष्ठा सेठ वाडीलाल चत्रभुज गाँधी जे.पी. तथा सौ. भानुमती वाडीलाल के शुभ हस्तक सम्पन्न हुई थी। __ शिखर के गंभारे में चउमुख प्रतिमाओं में श्री धर्मनाथजी की प्रतिमा चेम्बुर तीर्थ से लाकर वि.सं. २०३३ का माह सुदि ६ के दिन पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य निश्रा में श्री शत्रुजय महातीर्थ पदयात्रा संघ के २००० पद यात्रिको की उपस्थिति में धामधूम से प्रतिष्ठित की गई थी। मूल गंभारे के बाहर शिलालेख के अनुसार स्वर्गस्थ मातुश्री नर्मदाबाई चेरीटेबल ट्रस्ट की तरफ से २५००१ रू. का सहयोग मिला था। श्री जैन संघ को मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी की प्रतिमाजी सेठ नरशी नाथा टुंक शत्रुजय पालिताणा की तरफ से बिना नकरा से वि.सं. १९८७ को भेट मिली थी; सुपार्श्वनाथजी की प्रतिमाजी वरकाणा मारवाड के भण्डार मे से लाकर स्व. बहन श्री राणबाई हीरजी की तरफ से श्री संघ को भेट मिली थी वि.सं. १९८७ को; श्री महावीर स्वामी की प्रतिमाजी वरकाणा मारवाड के भण्डार में से लाकर स्व. बाई हरिबाई मगनलाल कुंवरजीने संवत १९८९ में श्री संघ को भेट दी थी। For Private and Personal Use Only Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २५७ गोखलाओं में बिराजमान ६ प्रतिमाजी और चौमुख में बिराजे ३ प्रतिमाजी और घंटाकर्ण यक्ष देव की मूर्ति अम्बालाल नगीनदास भाखरीया की तरफ से भेट मिले थे वि.सं. २००८ को,उपर चौमुख में बिराजे हुए प्रभु में से श्री पार्श्वनाथ प्रभु की प्रतिमाजी स्व. मातुश्री कुंवरबहन वृजलाल माणेकचन्द की तरफसे वि.सं. २००८ में श्री संघ को भेट दिया था। इसके अलावा श्री गौतम स्वामी, श्री सुधर्मा स्वामी, पावापुरी शोकेस के साथ श्री महाकाली, श्री पद्मावती, श्री चक्रेश्वरी, श्री प्रचण्डा माताजी तथा सुकुमार यक्ष एवं बाहर की ओर श्री घंटाकर्ण वीर का अलग मन्दिर हैं। जिनालय में शत्रुजय तीर्थ, गिरनार तीर्थ, सम्मेत शिखर तीर्थ श्री नंदीश्वर द्वीप के अलावा छोटेबडे तीर्थो के द्दश्य भी दर्शनीय है। श्री वासुपूज्य स्वामी जिनालय से जुड़े हुए दो नव निर्मित जिनालय और नौ देवी-देवताओं की नौ देहरीयाँ निर्माण होने पर परम पूज्य शासन सम्राट श्री नेमिसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री विजय चंद्रोदयसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय अशोकचन्द्रसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय सोमचन्द्र सूरीश्वरजी म. तथा अंचलगच्छ के जैनाचार्य आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. एवं विशाल साधु-साध्वीजी भगवन्तो की पावन निश्रा में अंजनशलाका वीर सं. २५२४ वि.सं. २०५४ का मगसर वदि १०, ता. २४-१२-९७, बुधवार को तथा प्रतिष्ठा महोत्सव वि.सं. २०५४ का मगसर वदि ११, ता. २५-१२-९७ को सम्पन्न हुआ था। नूतन प्रतिष्ठा होने के बाद प्रतिमाजी परिवार इस प्रकार हैं : मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी के गंभारे में श्यामवर्ण के श्री नेमिनाथ भगवान एवं श्री मुनिसुव्रत स्वामी सहित पाषाण के ५ प्रतिमाजी, पंचधातु के ७ प्रतिमाजी, ४ सिद्धचक्रजी, २ वीसस्थानक, १ अष्टमंगल के अलावा उपर के गंभारे में चऊमुखी प्रतिमाजी श्री वासुपूज्य स्वामी, श्री आदिनाथ प्रभु, श्री पद्मप्रभ स्वामी, श्री धर्मनाथ तथा एक तरफ कल्पद्रुम पार्श्वनाथ सहित श्री पुंडरीक स्वामी मिलकर कुल ६ प्रतिमाजी के साथ कुल ११ प्रतिमाजी सुशोभित हैं। मूलनायक सच्चादेव श्री सुमतिनाथ प्रभु मूल गंभारे में बिराजमान हैं तथा रंग मंडप में श्री केसरीया आदिनाथ और दूसरी तरफ श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी के साथ पाषाण के ३ प्रतिमाजी, पंचधातु के १२ प्रतिमाजी, ४ सिद्धचक्रजी, ५ यंत्र बिराजमान हैं। सच्चादेव श्री सुमतिनाथ प्रभु के मूल गंभारे के उपर के भाग में श्री सीमन्धर स्वामी की १ प्रतिमाजी बिराजमान हैं कुल चार प्रतिमाजी हुई आरस की। श्री शंखेवर पार्श्वनाथ प्रभु मूल गंभारे में मूलनायकजी तथा श्री मंगल पार्श्वनाथ प्रभु एवं श्री कल्याण पार्श्वनाथ प्रभु सहित पाषाण की ५ प्रतिमाजी तथा रंगमंडप में एक तरफ देहरी में ३ प्रतिमाजी, दूसरी तरफ देहरी में ३ प्रतिमाजी तथा उपर नेमिनाथ प्रभु की एक प्रतिमाजी सहित कुल १२ प्रतिमाजी आरस की बिराजमान हैं। नूतन For Private and Personal Use Only Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २५८ मुंबई के जैन मन्दिर ___ जिनालय के बाहर की ओर एक तरफ नौ देहरियों में श्री नाकोडा भैरुजी, श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री बटुक भैरव, श्री चक्रेश्वरी देवी, श्री अंबिका देवी, श्री सरस्वती देवी, श्री पद्मावती देवी, श्री महाकाली देवी बिराजमान हैं। यहाँ सेठ श्री मणिलाल चत्रभुज गाँधी वर्धमान तप आयंबिल शाला, श्री हरिबहन हरगोविन्ददास पाठशाला, विशाल व्याख्यान भवन, ज्ञान भण्डार के अलावा श्री कच्छी दशा ओसवाल जैन सर्वोदय मण्डल, श्री चन्दनबाला जैन भक्ति मण्डल, श्री राजस्थान जैन महिला मण्डल, श्री वासुपूज्य जैन महिला मण्डल, श्री पार्श्वचन्द्र महिला मंडल, श्री झालावाड महिला मण्डल, श्री महावीर जैन स्नात्र मण्डल, श्री जिनेन्द्र भक्ति मण्डल, श्री प्रेरणा मण्डल, श्री भक्ति मण्डल, श्री वर्धमान संस्कृति धाम आदि संस्थाओं की व्यवस्था हैं। (३८९) श्री सर्वोदय पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय ___सर्वोदय पार्श्व नगर, नाहुर रोड, मुलुण्ड (प.), मुम्बई-४०० ०८०. टे. फोन : ५६८ ३० १६, ऑफिस : सुखराजजी- ४९४ ८४ २५, ४९२ २७ ८४. विशेष :- श्री पार्श्व चेरीटेबल ट्रस्ट द्वारा इस भव्य जिनालय की प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य श्री दर्शनसागरसूरीश्वरजी म., आ. श्री नित्योदयसागरसूरीश्वरजी म. एवं पन्यासजी श्री चन्द्रानन सागरजी म. की पावन निश्रामें वि.सं. २०४८ का जेठ सुदि ६ को हुई थी। ___ यहाँ के जिनालय में पाषाण की ११ प्रतिमाजी, पंचधातु की ६ प्रतिमाजी एवं सिद्धचक्रजी - ४ तथा गुरु गौतम स्वामी एवं गुरुदेव आ. श्रीमद् राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. की प्रतिमाजी बिराजमान है। इसके अलावा यहाँ श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री चक्रेश्वरी देवी, श्री पद्मावतीदेवी तथा पार्श्वयक्ष - यक्षिणी भी सुशोभित हैं । यहाँ उपासरा, जैन पाठशाला, सर्वोदय संस्कृति केन्द्र, सर्वोदय पार्श्व युवक मण्डल, सर्वोदय पार्श्व जैन महिला मण्डल की व्यवस्था है। सुप्रसिद्ध भवन निर्माता भिनमाल निवासी श्रीमान श्रेठीवर्य शाहजी शा. सुखराजजी बाबुलालजी नाहर सुप्रसिद्ध समाज सेवक हैं। आपके ही तन मन धन से इस विशाल अति उत्तम शिखरबंदी जिनालय का निर्माण हुआ हैं । २४ तीर्थंकर प्रभु के नामो की सदैव याद आती रहे, इसी उद्देश्य से यहाँ २४ बिल्डिंगो का नाम २४ भगवन्तो के नाम पर रखा गया हैं। ऐसे निर्माता को धन्यवाद दिये बिना भला हम कैसे रह सकते हैं। For Private and Personal Use Only Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २५९ (३९०) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय वर्धमान नगर कम्पाउण्ड में, महात्मा गाँधी रोड, मुलुण्ड (प.), मुंबई-४०० ०८०. टे. फोन : ओ. ५६१ ७१ २४, दिवालीबेन बाबुलालजी - ४९४ ४० ७० विशेष :- इस जिनालय के निर्माता वर्धमान नगर श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ राजेन्द्र जैन ट्रस्ट हैं । इसका संचालन भी इसी ट्रस्ट द्वारा हो रहा हैं । त्रिस्तुति जैन संघ के सुप्रसिद्ध जैनाचार्य श्रीमद् राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. २०४७ का वैशाख सुदि ६ को भव्य धाम-धूम के साथ प्रतिष्ठा हुई थी। ___ यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान तथा आजू बाजू में श्री पद्मप्रभ स्वामीजी, एवं श्री शीतलनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की १२ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-५ और २ विसस्थानक वगैरह बिराजमान हैं। इसके अलावा यहाँ श्री गौतम स्वामी, गुरुदेव श्री राजेन्द्र सूरिजी म. की प्रतिमाजी एवं पार्श्वपक्ष तथा पद्मावतीदेवी भी सुशोभित है। (३९१) श्री पद्मप्रभस्वामी भगवान गृह मन्दिर गोवर्धन नगर, हंसा सागर बिल्डिंग A ग्राउण्ड फ्लोर, लालबहादुर शास्त्री मार्ग, मुलुण्ड (प.), मुंबई-४०० ०८०. टे. फोन : ५६१ ९० ७८ - किशोरभाई . विशेष :- श्री गोवर्धन अंचलगच्छ जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा आचार्य श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०५० का चैत्र वदि २, बुधवार, ता. २७-४-९४ को हुई थी। यहाँ जिनबिंबों का शुभ आगमन वि.सं. २०५० का चैत्र सुदि १२, शुक्रवार ता. २०-४-९४ को हुआ था। मुलुण्ड नगर आसंबीया (कच्छ) के मातुश्री वेलबाई जखुभाई गाला द्वारा अंजनशलाका की हुई तीनों प्रतिमाजी श्री मोटा आसंबीया अचलगच्छ जैन संघ की तरफ से संघ को भेट स्वरुप प्राप्त हुई हैं। यहाँ मूलनायक श्री पद्मप्रभस्वामी तथा चन्द्रप्रभस्वामी एवं भीडभंजन पार्श्वनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-३, अष्टमंगल-१, प्रासाददेवी के अलावा यक्ष कुसुम एवं यक्षिणी श्यामा भी बिराजमान हैं। यहाँ श्री महावीर महिला मण्डल, श्री सीमन्धर महिला For Private and Personal Use Only Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६० मुंबई के जैन मन्दिर मण्डल, एवं पद्मप्रभ सामायिक मण्डल की व्यवस्था है। (३९२) श्री नेमिनाथ भगवान गृह मन्दिर गोवर्धन नगर, ८ अनु एपार्टमेन्ट ग्राउन्ड फ्लोर, लालबहादुर शास्त्री मार्ग, मुलुण्ड (प.), मुंबई-४०० ०८०. टे. फोन : दिलीपभाई - ५६७ २१ ९३, रजनीभाई - ५६४ २२ ७८ विशेष :- श्री मुलुण्ड गोवर्धन श्वेताम्बर तपगच्छ मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा इस गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा परमपूज्य सिद्धान्तमहोदधि आ. श्री विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. श्री विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य भगवन्त श्री विजयललितशेखरसूरीश्वरजी म., आ. भगवंत श्री विजय राजशेखरसूरीश्वरजी म., आ भगवंत श्री विजय वीरशेखरसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में पाँच दिवसीय महोत्सव के साथ वि.सं. २०५२ का जेठ सुदि ३, सोमवार, ता. २०५-१९९६ को हुई थी। यहाँ श्यामवर्णीय मूलनायक श्री नेमिनाथ भगवान तथा श्वेत आरस की श्री पार्श्वनाथ एवं श्री महावीर प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, ३ सिद्धचक्रजी, अष्टमंगल - १ एवं ताँबे का एक यंत्र भी बिराजमान है। यहाँ के विभाग में श्री महावीर जैन मित्र मण्डल एवं श्री महावीर मण्डल भक्ति भावना में अग्रसर है। (३९३) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर साफल्य बिल्डिंग के कम्पाउण्ड में, ग्राउण्ड फ्लोर, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर रोड, मुलुण्ड (प.) मुम्बई-४०० ०८०. टे. फोन : ५६१ ४३ १२ - अरणीकभाई विशेष :- इस गृह मन्दिर का निर्माण महुवा (सौराष्ट्र) के निवासी श्रीमान सेठ श्री दलीचन्द हिराचन्द तथा सेठ श्री अमृतलाल नानचन्दने किया है। परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य विजय हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. २०४६ का वैशाख सुदि-२ को प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री आदीश्वर प्रभु तथा आजू बाजू में श्री श्रेयांसनाथ प्रभु तथा श्री नमिनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-१ सुशोभित हैं। For Private and Personal Use Only Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २६१ (३९४) श्री सुमतिनाथ भगवान गृह मन्दिर ३/१२,गोर एपार्टमेन्ट, ५१२, महात्मा गाँधी रोड, मुलुण्ड (प.), मुम्बई-४०० ०८०. टे. फोन : ५६१ ४२ ४८,, ५६१३८४६ - रमणिकभाई विशेष :- सेठ श्री रमणिकभाईने अपनी पत्नी की स्मृति हेतु इस गृहमन्दिर का नाम स्व. हिराबेन रमणीकलाल कुंभणवाला गृह देरासर दिया हैं। परम पूज्य आचार्य भगवंत विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. विजय मित्रानन्दसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. २०४९ का फागुण वदि ५ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। ___ आप के गृहमन्दिर में मूलनायक श्री सुमतिनाथ प्रभु सहित पंचधातु की ३ प्रतिमाजी तथा सिद्ध चक्रजी-१ बिराजमान है। बाहर की ओर समवसरण पर बिराजमान श्री पार्श्वनाथ प्रभु तथा विशस्थानक सुशोभित हैं। जहाँ वासक्षेप से पूजा होती है। स्व. हिराबेन रमणिकलाल चेरीटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित तत्त्वज्ञान पाठशाला ६९ झव्हेर रोड पर चालु है। (३९५) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर मिता बिल्डिंग, रुम नं. ३०४, तीसरा माला, सरोजिनी नायडु रोड, ताँबे नगर, मुलुण्ड (प.), मुंबई-४०० ०८०. टे. फोन : ५६४ ३२ १० - पुनमचंदजी, ५६१ ५३ ३२ विजयभाई विशेष :- श्री घोघारी वीशा श्रीमाली जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा वि.सं. २०४२ का फागुण वदि १२ को हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री शान्तिनाथ भगवान तथा आजूबाजू में श्री आदीश्वर भगवान एवं श्री महावीर स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-२, अष्टमंगल-१ सुशोभित हैं। श्री आदीश्वर भगवान और श्री महावीर स्वामी भगवान की अंजनशलाका परमपूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य निश्रा में हुई थी और यह दोनों प्रतिमाजी चेम्बुर तीर्थ से प्राप्त हुई थी। यहाँ श्री घोघारी शान्ति जिन महिला मण्डल, श्री शांति सामायिक मण्डल की व्यवस्था है। सत्यकाम बिल्डिंग में पाठशाला चालु है। For Private and Personal Use Only Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६२ मुंबई के जैन मन्दिर (३९६) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर श्री मुलुण्ड - नेम - विहार सोसायटी कम्पाउण्ड में, मोरार रोड, मुलुण्ड - (प.) मुम्बई-४०० ०८०. टे. फोन : ५६१ ४२ ०६ - जयन्तीभाई (ओ.) ५६४ ५४ ३६ विशेष :- श्री मुलुण्ड घोघारी वीशा श्रीमाली जैन समाज द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर में मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान के साथ पंचधातु की ३ प्रतिमाजी एवं सिद्धचक्रजी - २ बिराजमान हैं। इस गृह मन्दिरजी की स्थापना वि.सं. २०४८ में हुई थी। । श्री जीरावला पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर संजय एपार्टमेन्ट, खोना निवास, लास्ट माला, वालजी लधाभाई मार्ग, मुलुण्ड (प.), मुम्बई-४०० ०८०. टे. फोन : ५६० ४० ३३, ५६० ०० ६८ - लालजी घेलाभाई खोना विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक सेठ श्री गोविन्द जेवत खोना थे। वर्तमान में इसके संचालक श्रीमती झमकुबेन लालजी घेलाभाई खोना हैं । यह मन्दिर लगभग ४५ वर्ष प्राचीन हैं। यहाँ पाषाण की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्र-३, अष्टमंगल-१ के अलावा श्री घंटाकर्ण वीर की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। यहाँ श्री गुणसागर सूरि पाठशाला की व्यवस्था है। (३९८) श्री आदिनाथ भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय पोरबन्दर वाला कॉम्पलेक्ष, अमृत बिल्डिंग, ताँबे नगर, सरोजीनी नायडु रोड, मुलुण्ड (प.), मुम्बई-४०० ०८०. टे. फोन : ऑफिस - ५९१ ६८ ८६ अश्विनभाई - प्रफुलभाई - ३४२ ८५ ८८ प्रवीणभाई - ६२० ३३ १०, ६२० ७० ३९ विशेष :- श्री शासन सम्राट श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस जिनालय का खात मुहूर्त वि.सं. २०५२ का द्वितीय आषाढ सुदि ८, बुधवार, ता. २४७-९६ को श्री रतिलाल अमीचन्द शाहने किया हैं, तथा शिला स्थापना वि.सं. २०५३ का कार्तिक वदि २, बुधवार, ता. २७-११-९६ को प्रवीणचन्द्र बाबुलाल भद्रावल वाला ने किया हैं। For Private and Personal Use Only Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २६३ ___ भद्रावल निवासी श्री बाबुलाल छगनलाल शाह के सुपुत्र श्री प्रवीणभाईने जिनालय निर्माण में मुख्य दाता के रुप में लाभ लिया हैं। जिनालय बनाने के लिये प्लोट नेकदिल श्री अली अहमदभाई कचरा के, मातुश्री नेनाबाई पोरबंदर वाला खोजा परिवार के पुत्र श्रीयुत अकबरभाई, उनकी धर्मपत्नी श्रीमती दौलतबानु, सुपुत्रो निसारभाई, इम्तियाझभाई, झरीरभाईने उदारता से बिना मूल्य बिना किसी शर्त से भेट में दिया हैं। इस जिनालय के निर्माण का अनुभवपूर्ण मार्गदर्शन सरल स्वभावी कमलादेवी तथा डॉ. चोथमलजी वालचन्द जैन नोवीवाला (हाल शिवगंज) परिवार के कर्मनिष्ठ सुपुत्रो श्री रमेशभाई, श्री किशोरभाई, श्री प्रवीणभाई की ओर से मिला हैं। शासन सम्राट श्री नेमिसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य श्री विजय चन्द्रोदय सूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय अशोकचन्द्रसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय सोमचन्द्रसूरीश्वरजी म. एवं अचलगच्छ समुदाय के आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. आदि विशाल साधु-साध्वीजी भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५४ का मगसर सुदि ७, शनिवार, ता. ६-१२-९७ को प्रतिष्ठा धामधूम से हुई थी। मुख्य गर्भ द्वार का लाभ श्री डॉ. चोथमलजी वालचन्दजी श्री सीमन्धर स्वामी जैन देरासर ट्रस्ट - वरली वालोने लिया हैं । जिनालय में मूलनायक श्री आदिनाथ प्रभु श्री कदंबगिरी तीर्थ से लाये हुए हैं। ___मूल गंभारे में श्री अमीझरा आदिनाथ भगवान तथा आजू बाजू में श्री सीमंधर स्वामी एवं श्री अनंतनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, रंग मण्डप में पाषाण के श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री महावीर स्वामी तथा श्री गौतमस्वामी एवं शासन सम्राट् श्री नेमिसूरीश्वरजी म. की प्रतिमाजी बिराजमान है। जिनालय के प्रवेशद्वार के बाहर की ओर श्री पुंडरीक स्वामी एवं गोमुख यक्ष, चक्रेश्वरी देवी सुशोभित हैं। भूमि गृह के मुख्य दाता एवं भोयरे में मूलनायक श्री आशापूरण पार्श्वनाथ भगवान, श्री पुंडरीक स्वामी एवं रायण पगला का आदेश भी श्री प्रवीणभाईने ही लिया हैं। भोयरे में श्री आशापूरण पार्श्वनाथ प्रभु की एक प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-३, विसस्थानक-१, अष्टमंगल-१ तथा बाहर की ओर श्री अंबिकादेवी, श्री पद्मावती देवी, श्री महालक्ष्मी देवी, श्री मणिभद्रवीर बिराजमान हैं। जिनालय के दिवारो में बाहर की ओर की ओर पाषाण से निर्मित ३ मंगलमूर्ति भी बिराजमान है। यहाँ जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६४ मुंबई के जैन मन्दिर (३९९) श्री आदीश्वर भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय स्प्लेनड़ीड युटोपिया, गणात्रा बिल्डर्स, १००० देवी दयाल रोड, जॉन्सन एण्ड जॉन्सन के नजदीक, मुलुण्ड (प.), मुंबई-४०० ०८०. टे. फोन : ऑ. ५६७ ०० १०, घर : ५६१ ०० ८७ - जीतुभाई विशेष :- इस भव्य शिखरबंदी जिनालय बनवाने हेतु गणात्रा बिल्डर्सवालो की तरफ से प्लॉट रुपी जमीन सप्रेम भेट के रुप में प्राप्त हुई थी। मुहूर्त एवं प्रेरणा दाता परम पूज्य आ. विजय नेमिसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री विजय चन्द्रोदयसूरीश्वरजी म. के गुरु बंधु आ. श्री अशोकचन्द्रसूरि म. थे। आ. श्री विजय प्रेम - रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री ललितशेखर सूरीश्वरजी म., आ श्री विजय मोहन-प्रताप - धर्म - सूरीश्वरजी समुदाय के आ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय लब्धिसूरि समुदाय के आ. श्री विजय पुण्यानन्दसूरीश्वरजी म. इन तीनों आचार्य भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५२ का वैशाख सुदि ३, ता. १९-४-९६ शुक्रवार को भूमिपूजन हुआ था। एवं शिलान्यास वि.सं. २०५२ का वैशाख वदि ११, ता. १३-५-९६ सोमवार कोहुआ था। इस जिनालय को बनवाने में श्रेष्ठिवर्य सेठ श्री तलकचन्द गिरधरलाल मेहता (पालीताणावाला) परिवारवालो ने स्वद्रव्य का सदुपयोग किया हैं । हस्ते श्री जितुभाई मेहता, श्री सुरेशभाई मेहता। मुलुण्ड (पूर्व)। (४००) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय नीलम नगर, गावन पाडा रोड, मुलुण्ड (पूर्व) मुंबई-४०० ०८१. टे.फोन : ५६०१० २९ - चन्द्रकान्तभाई विशेष :- परम पूज्य त्रिस्तुति जैन संघ के योगनिष्ठ जैनाचार्य श्रीमद् राजेन्द्रसूरीश्वर म. के समुदाय के परम पूज्य आ. श्री विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५४ का फागुण सुदि १०, बुधवार, ता. २८-२-९६ को प्रात: १० बजे भव्य समारोह के साथ प्रतिष्ठा हुई थी । इस मन्दिरके, निर्माता एवं संचालक श्रीमती अंकीबेन घमंडीरामजी गोवाणी एवं सुपुत्र श्री तेजराजजी घमंडीरामजी गोवाणी, श्री कांतिलालजी घमंडीरामजी गोवाणी, तथा श्री रमेशकुमारजी घमंडीरामजी गोवाणी आदि परिवार वालो के मुख्य सहयोग से बना हैं। यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान तथा आजू बाजू में श्री नमिनाथ भगवान एवं For Private and Personal Use Only Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर श्री महावीर स्वामी भगवान की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, आरस की मंगलमूर्ति - ३, पंचधातु की प्रतिमाजी ८, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - २ तथा पार्श्व यक्ष एवं पद्मावती देवी तथा गौतमस्वामी और आ. श्री राजेन्द्रसूरिश्वरजी महाराज की प्रतिमाजी बिराजमान है । (४०१ ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जू में श्री राजेन्द्रसूरि वर्धन एण्ड गोवाणी भवन हैं। दानवीर सेठ श्री घमंडीरामजी गोवाणी की पाषाण से बनाई प्रतिकृति सुशोभित हैं। ❀ श्री सुमतिनाथ भगवान गृह मन्दिर नवर विलेज रोड, नारायण सेवा मण्डल के सामने, मुलुण्ड (पूर्व), मुम्बई - ४०० ०८१. टे. फोन : ऑ. ५६४ ५४ १४, विजयभाई मेहता - ५६१५३५२. २६५ विशेष :- स्व. मातुश्री मणिबाई शिवजी माता गाम लाला (कच्छ) के स्मरणार्थे माता परिवार की तरफ से मन्दिरजी का रूम बनवा कर संघ को अर्पण किया है। अंचलगच्छ समुदाय के आचार्य श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा व पावन निश्रा प्रथम प्रतिष्ठा वि.सं. २०४१, काति वदि ६ को हुई थी । पुनः प्रतिष्ठा वि.सं. २०५० का वैशाख वदि ५ को हुई थी । यहाँ मूलनायक श्री सुमतिनाथ प्रभु की पाषाण की एक प्रतिमाजी, पंचधातु की ८ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी- ४, अष्टमंगल-१ एवं ताँबे का यंत्र सुशोभित हैं । I साधु-साध्वीजी म. साहेब के लिये उपाश्रय, देसाई रोड गणेश टॉकीज के बाजू में गोखले रोड पर आया हैं। यहाँ सुमति जिन मित्र मण्डल, अरुण जिन गुण महिला मण्डल, गौतम नीति गुणसागरसूरि जैन पाठशाला एवं श्री लावण्य सामायिक मण्डल की व्यवस्था हैं । ❀ ❀ (४०२) श्री पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर जिन प्रसाद बिल्डिंग, तीसरा माला, आगाशी उपर, गावडे विझे स्कीम रोड न. १, मुलुण्ड (पूर्व), मुम्बई - टे. फोन : श्री प्रेमचन्द लखमण ५६७६०१०, श्री सोभागचन्द - ५६००९३१ -४०००८१. For Private and Personal Use Only विशेष :- श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ जैन संघ ( मुलुण्ड - पूर्व ) जिसकी स्थापना वि.सं. २०४१ में हुई थी । इस संघ के द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर के मूलनायक श्री पार्श्वनाथ प्रभु की अंजनशलाका पूज्यपाद शासन प्रभावक आचार्य भगवंत श्री मोहन प्रतापधर्मसूरीश्वरजी म. समुदाय के शतावधानी आ. भ. श्री जयानन्दसूरीश्वरजी म. की पुण्य निश्रामें माटुंगा में वि.सं. २०४२ का फागुण सुदि २ को हुई थी, और चल प्रतिष्ठा कवि कुल किरीट आ. Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६६ मुंबई के जैन मन्दिर भ. लब्धि - लक्ष्मण सूरि के शिशु शतावधानी परम पूज्य आचार्य श्री विजय कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०४२ का फागुण सुदि ६ को ठाठमाठ से हुई थी। यहाँ श्री ऋषभ जिन भक्ति मण्डल, आ. श्री लक्ष्मण सूरि जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। नूतन जिनालय और भव्य उपाश्रय आजकल परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. के समुदाय के प. पू. विद्वान वक्ता आचार्य भगवंत श्री विजयसूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य प्रेरणा और मंगलमय मार्गदर्शन से नवधर रोड पर तैयार होनेवाली नूतन बिल्डिंग में भूमितल में लगभग १५०० चौरस फुट की भूमि पर और पहले माले पर जैन उपाश्रय का निर्माण श्री संघ की ओर से हो रहा हैं। इस बिल्डींग के चोक के एक तरफ मनोहर जिनालय का निर्माण करके संघ को अर्पण करने का एक धर्मप्रेमी भाई का शुभ आयोजन हैं। जिसका प्रारंभ इस वर्ष में होनेवाला है। थाणा (पश्चिम) (४०३) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर वैशाली नगर के बाजू में, श्रीनगर, पाणीकी टंकी के पास, थाणा-४. जि. थाणा, महाराष्ट्र टे.फो. ऑफिस - ५६४ ५४ ३६. विशेष :- श्री मुलुण्ड घोघारी विशा श्रीमाली जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. श्री विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. के समुदाय के मुनिराज श्री जयविजयजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०४९ का वैशाख सुदि ६, बुधवार, ता. २९-४९३ को हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री आदीश्वर प्रभु तथा आजु बाजू में श्री वासुपूज्य स्वामी, श्री शीतलनाथ भगवान, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु एवं श्री मुनिसुव्रत स्वामी की पाषाण की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-२, अष्टमंगल-१ बिराजमान है। मूलनायक श्री आदीश्वर प्रभु की प्रतिष्ठा का लाभ लेनेवाले श्रीमती मंगलाबेन शांतिलाल माणेकचन्द दोशी (महुवावाला) हस्ते श्री महासुखभाई, श्री नरेन्द्रभाई एवं श्री दिनेशभाई। यहाँ श्रीनगर महिला मण्डल एवं जैन पाठशाला चालु है। For Private and Personal Use Only Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २६७ (४०४) श्री धर्मनाथ भगवान गृह मन्दिर __ शिवाजी नगर, मुलुण्ड चेक नाका, थाणा-४ (महाराष्ट्र). टे. फोन : कीर्तिलाल - ५७८ ६५ २०, खान्तिलाल भाई - ५६८ ३६ १८ विशेष :- श्री चेकनाका (मुलुण्ड) श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर का निर्माण परम पूज्य आ. श्री विजय लक्ष्मण सूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. श्री विजय कीर्तिचंद्रसूरीश्वरजी म., परम पूज्य आचार्य श्री विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के प्रशिष्य आ. श्री विजय हेमचन्द्र सूरीश्वरजी म. के सदुपदेश से थाणा निवासी रतिलाल मगनलाल शाह तथा उनकी धर्मपत्नी निरान्तबेन रतिलाल द्वारा किया गया हैं। ___परम पूज्य आ. श्री विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. तथा परम पूज्य आ. श्री यशोवर्मसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०४७ का जेठ सुदि १३, सोमवार, ता. २४-६-९१ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ श्री धर्मनाथ भगवान, श्री नमिनाथ भगवान, श्री शीतलनाथ भगवान, श्री वासुपूज्य स्वामी, एवं श्री नेमिनाथ प्रभु की पाषाण की ५ प्रतिमाजी, पंच धातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। इसके अलावा किन्नर यक्ष, प्रज्ञप्ति यक्षिणी एवं श्री मणिभद्रवीर बिराजमान हैं। ३१४ सत्य संगम बिल्डिंग, शिवाजी नगर, थाणा-४ में उपाश्रय तथा श्री धर्म नवयुवक मण्डल, श्री धर्म महिला मण्डल की व्यवस्था हैं। (४०५) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर श्री अंचलगच्छ जैन संघ बिल्डिंग, वागले ईस्टेट, कीशन नगर-१, मुलुण्ड चेक नाका, थाणा-४, महाराष्ट्र टे. फोन : रतिलाल खीमजी ब्रदर्स - ५३२ ४०५२ विशेष :- श्री अंचलगच्छ जैन संघ मुलुन्ड चेक नाका द्वारा संस्थापित एवं संचालित उपाश्रय तथा जिन गृहमन्दिर का निर्माण परम पूज्य आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. साहेब की शुभ प्रेरणा से किया गया है। उनके शिष्य परम पूज्य मुनिराज श्री कलाप्रभसागरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०३३ का जेठ सुदि १० को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री आदीश्वर प्रभु तथा आजू बाजू में श्री पार्श्वनाथ, श्री महावीर स्वामी, श्री धर्मनाथ, श्री जीरावला पार्श्वनाथ, श्री मुनिसुव्रत स्वामी की पाषाण की ६ प्रतिमाजी, पंचधातु की १० प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-७, विसस्थानक - २, अष्टमंगल-१ इसके अलावा गोमुख यक्ष, चक्रेश्वरी देवी, For Private and Personal Use Only Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६८ मुंबई के जैन मन्दिर पद्मावती देवी, लक्ष्मीदेवी, महाकाली देवी एवं आचार्य श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. की प्रतिमाजी भी बिराजमान हैं। यहाँ उपाश्रय, श्री आदिनाथ महिला मण्डल, श्री आदिनाथ जैन युवक मण्डल की व्यवस्था हैं। (४०६) श्री अजितनाथ भगवान गृह मन्दिर राम मारुती रोड-१, क्रॉस लेन, नवपाडा, गोखले रोड, थाणा-४००६०२. (महाराष्ट्र) टे. फोन : (ओ.) - ५४००० १९, ५३४ १६ ६८ - बचुभाई विशेष :- श्री थाणा कच्छी ओसवाल देशवासी जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर में स्व. मुरजी हीरजी नागडा तथा स्व. वालबाई मुरजी नागडा के स्मरणार्थ चि. सुंदरजी तथा देवचन्द मुरजी कच्छ सणोसरावाला ने अपना सहयोग दिया हैं। परम पूज्य अंचलगच्छाधिपति आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से वि.सं. २०३७ का श्रावण वदि १२ को भगवान का प्रवेश हुआ था। यहाँ मूलनायक श्री अजितनाथ प्रभु की पाषाण की १ प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-३, अष्टमंगल-२, तांबे के २ यंत्र, श्री महावीर प्रभु तथा श्री लक्ष्मीदेवी के दो चाँदी के सिक्के सुशोभित हैं । यहाँ उपाश्रय, श्री गुण बाल जैन धार्मिक शिक्षण पाठशाला, श्री अजितनाथ महिला मण्डल एवं श्री अजित जैन युवक मण्डल की व्यवस्था हैं । (४०७) श्री चन्द्रप्रभ स्वामी भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय आराधना टॉकिज के सामने, पायपखाडी, नौपाडा, थाणा-४०० ६०२. (महाराष्ट्र) टे. फोन : ५४० ४४ ६६ - ऑफिस - ५३६ ६३ ६६ - रजनीकांतभाई विशेष :- श्री थाणा अंचलगच्छ जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस जिनालय को परम पूज्य अचलगच्छाधिपति आचार्य श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के शिष्यरत्न मुनिराज श्री सर्वोदय सागरजी म. की मंगल प्रेरणा से श्री चैतन्यभाई नन्दलाल पारेख तथा विनायकभाई कल्याणजी शाह (सोहम बिल्डर्स) ने अपने खर्च से बनवाकर परम पूज्य आ. भगवंत श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०४३ का मगसर वदि ४, ता. १९-१२-८६ को प्रतिष्ठा करवा कर थाणा अंचलगच्छ जैन संघ को अर्पण किया है। यहाँ पाषाण की १० प्रतिमाजी, पंचधातु की ६ प्रतिमाजी, For Private and Personal Use Only Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २६९ सिद्धचक्रजी - १२, विसस्थानक - १, अष्टमंगल - १ सुशोभित है। नीचे सात प्रतिमाजी तथा उपर सहस्रफणा पार्श्वनाथ, पद्मप्रभ स्वामी एवं वासुपूज्य स्वामी की ३ प्रतिमाजी सुशोभित हैं। जब हम जिनालय में प्रवेश करते हैं तो मन्दिर के बाहरी दृश्य में दो बैठे हुए हाथी हमारा स्वागत करता हैं । यहाँ का देव-दर्शन हॉल स्व. श्री जेवतभाई लघुभाई की स्मृति में उनकी पत्नी स्व. वालुबाई एवं उनके सुपुत्रो के द्वारा बनाया गया हैं। अति सुन्दर कांच की डिझाइनो से पुरे मन्दिर की दिवारो पर अनेक तीर्थो के दर्शन का लाभ होता हैं। आचार्य श्री गुण सागर गुरु मन्दिर की प्रतिष्ठा गडा प्रेमजी भीमशी गाम सामखीयाली प्रियेश प्रेमजी गडा तथा ट्विंक्ल प्रेमजी गडा की तरफ से शनिवार, तारीख ५-१२-१९९२ को हुई थी। यहाँ उपासरा, श्री केसरिया गुण महिला मण्डल, श्री चन्द्रप्रभ स्वामी महिला मण्डल, भक्ति गुण महिला मण्डल एवं अलर्ट ग्रुप अपने कार्यो में अग्रसर हैं। (४०८) श्री ऋषभदेव भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय टेम्बीनाका, थाणा महाराष्ट्र. टे. फोन : ऑ. ५३४ २३ ८९, ५३४ ९१ ४५, बाबुलालजी ऑ. ५३४ ११ ७७ घर: ५३४ ०४ ९० जुगराजजी पुनमिया ओ. ५३३ ४३ १९, घर : ५३६ ६० ८७ विशेष :- इस भव्य जिनालय के संस्थापक एवं संचालक श्री ऋषभदेव महाराज जैन टेम्पल ज्ञाति ट्रस्ट - थाणा हैं। इस मन्दिरजी की प्रथम प्रतिष्ठा वि.सं. १९४३ वैशाख सुदि ६ को हुई थी। नूतन भव्य जिनालय निर्माण होने के बाद इसका अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव परम पूज्य आ. श्री विजय वल्लभसूरीश्वरजी म. के समुदाय के परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री रत्नाकर सूरीश्वरजी म., आ. भगवंत श्री जगच्चन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५० का माह सुदि १०, सोमवार, ता. २१-२-९३ को हुआ था। नूतन जिनालय में मूल गंभारे में आरस की १५ प्रतिमाजी तथा प्रथम मंजिल पर आरस की ८ प्रतिमाजी तथा सामने श्री गौतम स्वामी गणधर, श्री पुंडरीक स्वामी गणधर, श्री सुधर्मा स्वामी गणधर की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ३ बडी प्रतिमाजी के साथ कुल २९ प्रतिमाजी, पंच धातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ५ सुशोभित हैं। गोमुख और चक्रेश्वरी देव - देवी भी बिराजमान हैं। मन्दिरजी के बाहर की तरफ सन् १९५८ वर्ष में करसराम नगाजी की तरफ से बनाई गई श्री मणिभद्रवीर की देहरी शोभायमान है। For Private and Personal Use Only Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७० मुंबई के जैन मन्दिर जैन भोजनशाला श्री राजस्थान जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ-थाणा द्वारा संचालित राजस्थान भवन में श्री मणिभद्र जैन भोजनालय की व्यवस्था है। यह भोजनालय श्री ऋषभदेव मन्दिर के बाजू में तथा श्री मुनिसुव्रत स्वामी जिनालय के सामने हैं। टेंबीनाका, ठाणा, महाराष्ट्र. (४०९) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय . टेंबीनाका, थाणा (महाराष्ट्र) टे. फोन : ५३४ २३ ८९, ५३६ ९८ ११ (ऑफिस), बाबुलालजी ओ. ५३४ ११ ७७, घर : ५३४ ०४ ९०, जुगराजजी पुनमिया ओ. ५३३ ४३ १९, घर : ५३६ ६०८७ विशेष :- यह जिनालय श्री मुनिसुव्रत प्रभु नवपद जिनालय एवं कोंकण शत्रुजय के नाम से विशेष रुप से सुप्रसिद्ध हैं। प्राचीन इतिहास :- श्रीपाल महाराजा अपने विदेशाटन काल में सागर में गिरने के बाद यहाँ थाणा नगरी में आये थे, यह घटना भगवान श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी के शासन काल में बनी थी, इसलिए थाणा में श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी श्री नवपद जिनालय का आयोजन हेतुपूर्ण हैं। इस मन्दिरजी का निर्माण मुनि श्री शान्तिविजयजी के उपदेश से हुआ था। वे आत्मारामजी (विजयानन्दसूरीश्वरजी म.) के शिष्य थे । वे बड़े विद्वान, तार्किक तथा जैन सिद्धान्तो के मर्मज्ञ थे । उनकी कृपा दृष्टि थाणा पर ज्यादा थी। ___ अपने स्वरोदय तथा प्रश्न तंत्र के आधार पर उन्होंने यहाँ के लोगो से कहा कि यदि इस भूमि पर श्री मुनिसुव्रत स्वामी का मन्दिर बन जाये, तो यह संघ के लिये श्रेयस्कर होगा। श्री संघने उनकी बात सहर्ष मान ली और मन्दिर का निर्माण कार्य शुरु किया। कुछ समय प्रश्चात् खरतरगच्छीय आचार्य श्री जिनऋद्धि सूरीश्वरजी महाराज का थाणा में आगमन हुआ। वे शुद्ध चारित्र पालक और ज्ञानी - ध्यानी महात्मा थे। उनके साथ गुलाब मुनि भी थे। उनकी देखरेख में मन्दिर का काम हुआ । इस लोकप्रिय मन्दिरजी के मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी की बडी भव्य प्रतिमाजी की अंजनशलाका वि.सं. २००४ के वैशाख मास में वढवाण शहरमें परम पू. शासन सम्राट आचार्य भगवन्त श्री विजय नेमिसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य निश्रा में हुई थी, यह अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन परम पूज्य युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजयधर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य प्रेरणा से वढवाण शहर के नवनिर्मित श्री शान्तिनाथ जिनालय में हुआ था. उस समय आ.भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. भी वहाँ उपस्थित थे। बाद में श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी भगवान के इस भव्य जिनालय की प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री जिनऋद्धिसूरीश्वरजी म. तथा परम पूज्य सिद्धान्तनिष्ठ आचार्य भगवन्त श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रामें वि.सं. २००५ का माह सुदि ५ को भव्य ठाठमाठ से हुई थी। For Private and Personal Use Only Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २७१ - इस भव्य जिनालय का संचालन श्री ऋषभदेव महाराज जैन टेम्पल ज्ञाति ट्रस्ट - थाणा द्वारा हो मन्दिरजी में उपर नीचे आरस की २० प्रतिमाजी, आरस का बनाया हुआ श्री सिद्धचक्रजी नवपद यन्त्र सुशोभित हैं। चारो तरफ दिवारो में श्रीपाल महाराजा का जीवन चरित्र, आ. श्री हेमचन्द्राचार्य और महाराजा सिद्धराज जयसिंह और कुमारपाल महाराजा का जीवन चरित्र,, विक्रमादित्य के क्रान्तिकारक गुरुदेव श्री कालक सूरि, श्री सिद्धसेन दिवाकर चरित्र, श्री शय्यंभवसूरि, रत्नसूरि चरित्र, अकबर प्रतिबोधक श्री हीरसूरीश्वरजी म. चरित्र, सम्प्रति महाराजा चरित्र, श्रेणिक महाराजा चरित्र ये सभी चित्र पत्थर की खुदाई पर बनाये हैं। चित्रो के नीचे परिचय भी लिखा हुआ हैं । मन्दिर के साइड में श्री मणिभद्र सभागृह के एक कमरे में पंचधातु की २५ प्रतिमाजी, पद्मावतीदेवी की २ प्रतिमाजी तथा एक तरफ परम पूज्य आ. भगवन्त श्री वल्लभसूरीश्वरजी म. की आरस की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। मन्दीरजी की मुख्य शणगार चौकी के उपर, दूर से दृश्यमान आ. श्री जिनऋद्धिसूरीश्वरजी म. और आ. श्री प्रतापसूरीश्वरजी म. की आरस की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। मन्दिरजी के द्वार पर दो बाजू दो बडा बडा हस्ती दर्शनार्थीओं का स्वागत करता हैं। ___मन्दिरजी में प्रवेश करते समय जिस द्वार से प्रवेश करते हैं, वो उपाश्रय चार मन्जिल का भवन हैं । ग्राऊण्ड फ्लोर पर कार्यालय तथा साधु-साध्वीजी महाराजाओं का भिन्न भिन्न उपाश्रय तथा व्याख्यान भवन हैं। दोनो लिफ्ट का उपयोग ४ माले तक गमनागमन के लिये होता हैं। यहाँ की मुख्य संस्थाओं में श्री सिद्धचक्र जैन नवयुवक मंडल, श्री महावीर मण्डल, श्री अभिनन्दन मण्डल, श्री वर्धमान मण्डल, श्री मुनिसुव्रत स्वामी महिला मण्डल, श्री राजस्थान पार्श्व महिला मण्डल, श्री केसरीया गुण महिला मण्डल, श्री आदिनाथ महिला मण्डल, श्री चंद्रप्रभ स्वामी महिला मण्डल, एवं श्री मुनिसुव्रत स्वामी पाठशाला का संचालन खुब सुन्दर ढंग से हो रहा हैं। (४१०) श्री शान्तिनाथ भगवान गृहमन्दिर शान्तिधाम वीर सावरकर चौक, चितलसर, घोडबंदर रोड, मानपाडा. जि. थाणा-४०० ६०७. टे. फोन : (ऑ.) ५४१ १७०३ के.के. संघवी, ऑ. ५३४ ०७ २४, घर : ५४७ ८३ ०६ विशेष :- इस मन्दिरजी का संचालन श्री शान्तिनाथ मन्दिर ट्रस्ट कर रहा हैं। इस मन्दिर व उपाश्रय का निर्माण राजस्थान के आहोरगाँव के निवासी तथा मुंबई - थाणा क्षेत्र के सुप्रसिद्ध सेठ श्री श्रीमाल वर्धमान गोत्रीय संघवी श्री कुंदनमलजी भूताजी के सुपुत्र शा. जुगराजजी एवं कान्तिलालजी आदि सपरिवारवालों के सहयोग से मातुश्री मोवनबाई के आत्मश्रेयार्थ हुआ हैं। इसकी चल प्रतिष्ठा परम पूज्य श्रीमद् आ. श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. के समुदाय के साहित्य मनीषी श्रीमद् आ. श्री जयन्तसेनसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा में वि.सं. २०४९ का माह सुदि १३, शुक्रवार, ता. ५-२-९३ को धुम-धाम के साथ हुई थी। For Private and Personal Use Only Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २७२ www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर यहाँ मूलनायक श्री शान्तिनाथ प्रभु सहित आजू बाजू में श्री सुमतिनाथ भगवान एवं पार्श्वनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-२, अष्टमंगल - १ श्री गुरू गौतम स्वामी, आ. श्री राजेन्द्रसूरि, गरुडयक्ष एवं निर्वाणीदेवी भी बिराजमान हैं अलावा I मन्दिर पहले माले पर हैं, उपाश्रय नीचे के भाग में, वहाँ श्री राजेन्द्रसूरि ज्ञानमन्दिर हैं । विशेष पदयात्रा :- ता. १-१-९५ से ३१ - १२-९५ तक थाणे तीर्थ श्री मुनिसुव्रत स्वामी जिनालय से मानपाडा शान्तिधाम तक (जो लगभग ५ कि.मी. दूरी पर हैं) १०८ पद यात्रा के कार्यक्रम में ५७५ भाविकजनोने भाग लिया था । आयोजक परिवार की तरफसे इन सभी ५७५ भाविकजनो ( पदयात्रियों) को विमान द्वारा पालीताणा की यात्रा करायी गयी थी । जैन इतिहास में प्रथम ऐसा आयोजन रहा, जिसमें श्वेताम्बर, दिगम्बर, स्थानक, तेरापंथी के अलावा जैनेतर भाई भी । जिसका समापन कार्य परम पूज्य आ. श्री जयन्तसेन सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में ता. ७-१-९६ को खूब ही उत्साह एवं दिल हिलानेवाला था। जिसके संयोजक के. के. संघवी और आयोजक का भार श्री कुंदनमलजी भूताजी परिवारवालोने लिया था । ❀ ❀ (४११) श्री शान्तिनाथ भगवान गृहमन्दिर ३०१, ३०६ अभिषेक हाइट्स, तीसरा माला, खारकर आली, थाणा, (महाराष्ट्र ) टे. फोन : (ऑ) ५४४२०५९, (घर) : ५३७ १७४० (४१२) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विशेष :- इस गृहमन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्रेष्ठिवर्य श्री जुगराजजी कुन्दनमलजी संघवी (जे.के. संघवी, थाणा मुंबई से प्रकाशित मासिक शाश्वत धर्म के सम्पादकजी) आहोर (राज.) निवासी हैं । यहाँ मूलनायक श्री शान्तिनाथ प्रभु की आरस की एक प्रतिमाजी, तथा गुरु गौतम स्वामी, आ. श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. तथा सरस्वतीदेवी की पाषाण की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। फिलहाल यहाँ पर वासक्षेप से पूजा होती हैं । श्री शान्तिनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय आत्मवल्लभ रुप प्लाजा बिल्डिंग, स्टेशन रोड, थाणा (महाराष्ट्र) टे. फोन : (ऑ) ५३६९७७५, ५३६ ४१९५ जयंतिभाई विशेष :- परम पूज्य पंजाब केशरी, मरुधर देश उद्धारक जैनाचार्य श्री विजय वल्लभसूरीश्वरजी म. समुदाय के परमार क्षत्रियोद्धारक गुरुदेव श्री विजय इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी म.सा. एवं उनके शिष्यरत्न आ. श्री विजय रत्नाकरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में इस जिनालय का खात मुहूर्त वि.सं. २०५२ का वैशाख वदि ११, सोमवार, ता. १३-५-९६ को तथा शिला स्थापना वि.सं. २०५२ का जेठ सुदि ५, बुधवार, ता. २२-५-९६ को हुई थी । For Private and Personal Use Only Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २७३ श्री आत्म-वल्लभ-समुद्र - इन्द्रदिन्न सूरि समुदाय के आ. श्री विजय रत्नाकरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वीर सं. २५२४, वि.सं. २०५४ का पोष वदि ६, सोमवार, तारीख १९-१-९८ को भव्य प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री शांतिनाथ प्रभु तथा आजुबाजू में श्री विमलनाथ प्रभु तथा श्री अजितनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी एवं ३ मंगलमूर्ति, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-२, अष्टमंगल-१, यक्ष-यक्षिणी और आ. श्री वल्लभसूरि म. की प्रतिमाजी बिराजमान है। ___ बाली निवासी श्रीमती वरजुबाई रुपचन्दजी गणेशमलजी के सुपुत्र श्री जयंतिलालजी, श्री महेन्द्रकुमारजी, श्री भरतकुमारजी आदि रांका परिवारने स्वलक्ष्मी का सद्व्यय करके जिन मन्दिर का निर्माण करके प्रतिष्ठा करवाई हैं ।। (४१३) श्री मुनिसुव्रत स्वामी गृहमन्दिर करवालो नगर, (सावरकर नगर), पाणी की टंकी के पास रोड नं. २८, थाणा-६ (महाराष्ट्र). टे. फोन : ५३० १७ ४४ - मनसुखजी, ५३२ ५४ ८४ - मफतलालजी विशेष :- राजस्थान श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा इस गृह मन्दिरजी का भूमि पूजन परम पूज्य आ. श्री कलापूर्णसूरीश्वरजी म.. के शिष्य गणिवर्य श्री मुक्तिचन्द्रविजयजी म., मुनिराज श्री मुनिचन्द्रविजयजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०५४ का श्रावण सुदि १३, गुरुवार, ता. ६-८-९८ को हुआ था। थाणा (पूर्व) (४१४) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृहमन्दिर ___ मनोहर महल, आनन्द टॉकिज के पीछे, कोपरी कोलिनी, थाणा (पूर्व) महाराष्ट्र टे.फो ऑफिस :५३३ १६५३, घर : ५३७५२५९ किशोरभाई सावला विशेष :- श्री अंचलगच्छ जैनाचार्य श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के समुदाय के मुनिराज श्री देवरत्नसागरजी म. की पावन निश्रामें शिलान्यास २०५४ का श्रावण सुदि १३ को हुआ था। यहाँ मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी तथा आजुबाजु श्री विमलनाथ एवं श्री अजितनाथ बिराजमान होंगे । श्री बांकेलाल दीनदयाल अग्रवाल की तरफ से इस गृह जिनालय के लिये भूमि सप्रेम भेट प्राप्त हुई हैं। For Private and Personal Use Only Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७४ मुंबई के जैन मन्दिर भीवण्डी (४१५) श्री सुपार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय नवी चाल, भीवण्डी. जिला - थाणा, महाराष्ट्र टेलिफोन नं. ऑ.-९१३ - ५४४८८ पारसमलजी - ५२५२७ - ५१५२७, कुंदनमलजी - ५१३२४, ५४०७५ विशेष :- श्री जैन श्वेताम्बर ओसवाल संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित यहाँ के सर्व प्रथम गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा लब्धि - लक्ष्मण के शिशु शतावधानी मुनिराज श्री कीर्तिविजयजी म. की पुण्य निश्रा में वि. सं. २०१७, वीर सं. २४८७ का मगसर वदि ७, ता. १०-१२-६०, शनिवार को हुई थी। उसके बाद जिनालय का सुन्दर नूतन निर्माण होता गया और शतावधानी आचार्य भगवंत श्री विजय कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०४३ का माह सुदि ११, ता. ९-२-८७ को अंजनशलाका, और प्रतिष्ठा, २०४३ का माह सुदि - १३, ता. ११-२-८७ को विजय मुहूर्त में हुई थी। मूलनायक सुपार्श्वनाथ प्रभु के साथ ५ प्रतिमाजी तथा उपर श्री शांतिनाथ, श्री वासुपूज्य स्वामी एवं नमिनाथ प्रभु बिराजमान किये गये। ___ यहाँ पाषाण के ८ प्रतिमाजी, पंचधातु के ८ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ५, अष्टमंगल - १ तथा २ तांबे के यंत्र सुशोभित हैं। यहाँ उपाश्रय, श्री सुपार्श्व जैन पाठशाला, श्री सुपार्श्व जैन सेवा मंडल एण्ड बैण्ड मंडल, श्री आत्मवल्लभ जैन महिला मंडल श्री भटेवा महिला मण्डल, राजस्थान महिला मण्डल, अक्षय महिला मण्डल एवं हरसोल सत्ताविस महिला मंडल की व्यवस्था हैं। (४१६). श्री पद्मप्रभ स्वामी भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय ६८, नवीचाल, भीवण्डी. जि.थाणा (महाराष्ट्र). टेलिफोन नं.-(ओ.) ९१३ - ५५३३७, कांतिलालजी - ५५७६६, मांगीलालजी - ५७२२६ विशेष :- श्री पोरवाल जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा वि. सं. २०२३ का आषाढ सुदि - ६ को परम पूज्य मुनिराज श्री कल्याणविजयजी म. की शुभ प्रेरणा व निश्रा में हुई थी। उसके बाद जिनालय का सुन्दर नूतन निर्माण होता गया और पुन: प्रतिष्ठा आचार्य श्री विजय लब्धि - लक्ष्मणसूरि के शिष्य आचार्य भगवंत शतावधानी श्री कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०३८ का जेठ सुदि १४, ता. ५-६-८२, शनिवार को विजय मुहूंत में हुई थी। For Private and Personal Use Only Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २७५ नीचे के गंभारे में मूलनायक श्री पद्मप्रभ स्वामी सहित पाषाण की ५ प्रतिमाजी, चांदी की १ प्रतिमाजी, पंचधातु की - २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १, आदीश्वर प्रभु की चरण पादुका एवं श्री नाकोडा पार्श्वनाथ व भैरूजी के चित्र तथा यक्ष - यक्षिणी के अलावा शत्रुजय तीर्थ, सम्मेत शिखरजी, गिरनारजी, अष्टापदजी, जलमन्दिर, शंखेश्वरजी, आबुजी, नंदीश्वर द्वीप एवं महावीर प्रभु के जीवन दर्शन के चित्र भी मन्दिरजी की दिवारों की शोभा बढा रहे हैं। उपर माले पर श्यामरंग पाषाण की श्री मुनिसुव्रत स्वामी की १ प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ४, अष्टमंगल - १, तांबे के २ भव्य यंत्र तथा श्री मुनिसुव्रत स्वामी के भव३ के चित्र दिवारो पर सुशोभित हैं । पावापुरी शोकेस - कल्पवृक्ष - समवसरण वगैरह दर्शनीय हैं। संघ द्वारा बनाये गये भव्य आराधना भवन में उपाश्रय, हॉल, आयंबिल शाला की व्यवस्था हैं। (४१७) श्री सुविधिनाथ भगवान गृह मंदिर आराधना भवन, कासार आली, शिवाजी चौक, नजराना रोड, भीवण्डी. जिला - थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन नं.-(ओ.) ९१३-५५८४०, ५४८६०, ५२७१४ - मनोहरलालजी, ५२४६३, ५४२४१ - घेवरचन्दजी विशेष :- श्री पोरवाल श्वेताम्बर जैन संघ आराधना भवन ट्रस्ट द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिरजी की स्थापना वि. सं. २०५१ का फागुण सुदि - २, शुक्रवार, ता. १३-३-९५ को हुई थी। __ श्री सुविधिनाथ मूलनायक के साथ श्री वासुपूज्य स्वामी, श्री सुमतिनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३ एवं अष्टमंगल - १ तथा यक्ष - यक्षिणी सुशोभित हैं. इसके अलावा श्री नाकोडा भैरूजी एवं श्री घंटाकर्ण वीर की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। गंभारे के बाहरी तरफ दो हाथी ऊँची सूंढ किये हुए बैठे हुए हैं। श्री वर्धमान जैन आराधना भवन व्याख्यान हॉल के सहयोग दाता शाह दीपचन्द राजाजी तथा देवीचन्दजी चमनाजी गोयलगोत्र गाँव आहोर (राजकमल सिल्क ग्रुप - भीवण्डी) वाले हैं। (वि. सं. २०३८ - सन् १९८२) श्री पोरवाल जैन आराधना भवन सभागृह (नजराना रोड) शा. चम्पालाल किस्तूरजी चान्दराई (चिन्तामणि ग्रुप भीवण्डी) वालो के सहयोग से बनाया हैं। (वि. सं. २०४४ सन् १९८८) यहाँ आयंबिल खाता की व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७६ मुंबई के जैन मन्दिर (४१८) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मंदिर ४०४, वीशीन एपार्टमेन्ट, पहला माला, शिवाजी पथ, नजराना रोड, गोकुल नगर, भीवण्डी, जिला - थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन नं.-९१३ - ५३२७८, ५५८१४ - पुरणजी विशेष :- सुप्रसिद्ध आंगी रचियता स्व. सेठ श्री उमेदमलजी लुबचन्दजी जैन - कोशेलाव (राज.) वालोने इस गृह मंदिरजी की स्थापना साहित्यकार - लेखक परम पूज्य पन्यासजी श्री पूर्णानन्द विजयजी महाराज (कुमारश्रमण) की पावन निश्रा में वि. सं. २०४२ का मगसर सुदि ६ को की थी, एवं वर्तमान में उनके परिवारवाले संचालन कर रहे हैं । परम पूज्य आचार्य श्री विजय नेमि - विज्ञान - कस्तूर समुदाय के आ. श्री चन्द्रोदयसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में पालिताणा में वि. सं. २०४२ का कार्तिक कृष्णा ९, शुक्रवार को अंजनशलाका की हुई प्रतिमाजी यहाँ बिराजमान हैं। यहाँ पंचधातु की मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी की एक प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। (४१९) श्री संभवनाथ भगवान गृह मन्दिर एक वीरा सदन, दूसरा माला, कासार आली, नजराना रोड, शिवाजी पथ, भीवण्डी. जि. थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन नं.-९१३-५३९५२, ५२१४५ - दिनेशजी बाबुलालजी विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक हरजी (राजस्थान) निवासी सेठ श्री बाबुलालजी असलाजी परिवार वाले हैं । इस गृह मन्दिर की स्थापना पंजाब केसरी परम पूज्य आचार्य श्री विजय वल्लभसूरीश्वरजी म. समुदाय के आचार्य श्री विजय इन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी म. के शिष्य परम पूज्य आचार्य श्री विजय रत्नाकर सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५१ का जेठ सुदि ४१ को हुई थी। यहाँ पंच धातु की मूलनायक श्री संभवनाथ प्रभु की १ प्रतिमाजी १ सिद्धचक्रजी सुशोभित हैं । (४२०) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान शिखर बंदी जिनालय आदर्श पार्क कम्पाउण्ड में, अजय नगर, भीवण्डी. जिला - थाणा, (महाराष्ट्र) टेलिफोन - ९१३-५२० ४४ - शिवलालजी, ९१३ - ५३० ५४ - चंपालालजी विशेष :- परम पूज्य पंजाब केसरी विजय वल्लभसूरीश्वरजी म. समुदाय के आचार्य श्री विजय इन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. श्री विजय रत्नाकर सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो For Private and Personal Use Only Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २७७ की पावन निश्रा में वि. सं. २०५१ का फागुण सुदि २, शुक्रवार, ता. १३-३-९५ को अंजनशलाकाप्रतिष्ठा धामधूम से हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी तथा श्री भटेवा पार्श्वनाथ, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ सहित पाषाण की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - २ तथा नाकोडा भैरूजी, व पद्मावतीदेवी भी बिराजमान हैं। श्री मणिभद्रवीर व श्री चक्रेश्वरी देवी भी दर्शनीय हैं। श्री वासुपूज्य स्वामी जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ - भीवण्डी इस जिनालय के संस्थापक एवं संचालक हैं । मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान के परिकर की प्रतिष्ठा श्री नेमि - लावण्य - दक्षसूरिजी म. के शिष्य आ. श्री विजय प्रभाकर सूरिश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५३ का चैत्र वदि - ३, शुक्रवार, तारीख २५-४-९७ को हुई थी। (४२१) श्री नेमिनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय भगवान महावीर चौक, कासार अली, गोकुल नगर, भीवण्डी. जि. थाणा. टेलिफोन:- ९१३-५२१३९ (घर) - २०५ ४० ७७, २०५ ११ २३ (ओ.) कांतिलालजी विशेष :- सर्वप्रथम श्री गोकुल नगर - नजराना श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ की तरफ से परम पूज्य मुनिराज श्री विमलसेन विजयजी म. एवं पूज्य मुनिराज श्री हेमरत्न विजयजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०३६ का फागुण वदि ६, तारीख ८-३-८० को अतिथिरूप में मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की पंचधातु की प्रतिमाजी की स्थापना की थी। जो प्रतिमाजी संजोग बिल्डींग से लाई गयी थी। __श्री संघ की भावनानुसार एक भव्य जिनालय का निर्माण हुआ. जिसकी शिलास्थापना वि. सं. २०५२ का माह सुदि १४, शनिवार, तारीख ३-२-९६ को हुई थी। वर्धमान तपोनिधि स्व. पूज्यपाद आचार्य श्री भुवनभानु सूरीश्वरजी म. के विद्वान प्रशिष्य रत्न प.पू. आचार्यदेव श्री विजय हेमरत्नसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में अंजनशलाका - प्रतिष्ठा वि. सं. २०५४ का माह सुदि १३, सोमवार, ता. ९-२-९८ को ८ दिन के महोत्सव के साथ सम्पन्न हुई थी। मूलगंभारे में मूलनायक श्री नेमिनाथ प्रभु की ४५”, श्री पद्मप्रभस्वामी की ४१", श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की ४१" की आरस की तीन प्रतिमाजी, पंचधातु की १३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ५, विस स्थानक - १, अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं। रंगमंडप में श्री आदिनाथ प्रभु, श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री वासुपूज्य स्वामी एवं श्री शान्तिनाथ भगवान सहित पाषाण की ४ प्रतिमाजी तथा श्री पुंडरीक स्वामी के अलावा श्री गौतमस्वामी गणधर For Private and Personal Use Only Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७८ मुंबई के जैन मन्दिर भी बिराजमान हैं। श्री नाकोडा भैरूजी, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री मणिभद्र वीर, श्री अंबामाता, श्री पद्मावती देवी, श्री सरस्वती देवी भी सुशोभित हैं। गृह मन्दिर की प्रतिमाजी उपर बिराजमान की गई हैं. जहाँ पंचधातु की मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा के साथ श्री सुमतिनाथ व श्री महावीर स्वामी की पाषाण २ प्रतिमाजी एवं यक्ष - यक्षिणी बिराजमान हैं। यहाँ श्री नेमिनाथ यंग स्टार ग्रुप, श्री केसरीया जैन मित्र मंडल, एलर्ट यंग ग्रुप - भीवण्डी, एलर्ट टीन एजर्स ग्रुप-भीवण्डी आदि युवक मंडल एवं महिला मंडल भक्ति भावना में अग्रसर हैं। (४२२) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मंदिर धुंघट नगर, काप कनेरी, पहला माला, कल्याण रोड, क्रॉस गली में, भीवण्डी. जिला - थाणा, महाराष्ट्र. टेलिफोन :- ९१३-३११३६ फकीरचन्दजी काला, ३३४७० (ओ.) ३२३८९ (घ.) - रामजीभाई विशेष :- परम पूज्य सिद्धान्त महोदधि आचार्य श्री विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. साहेबजी की पावन निश्रा में वि. सं. २०२१ का माह वदि ७ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की पाषाण की एक प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। सर्व प्रथम यहाँ मूलनायक श्री भीडभंजन पार्श्वनाथ थे, किन्तु यहाँ के मूलनायक श्री को भीडभंजन पार्श्वनाथ शिखरबंदी जिनालय में मूलनायक के रूप में बिराजमान किये थे । पुन : यहाँ शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान/मूलनायक के रूप में बिराजमान किये गये। (४२३) श्री भीडभंजन पार्श्वनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय ३०६, कापकनेरी, मेन कल्याण रोड, भीवण्डी जि. थाणा (महाराष्ट्र), पिन कोड - ४२१ ३०२. टेलिफोन :- ९११-३११३६ फकीरचंद काला, ३३४७० (ओ.), ३२३८९ घर - रामजीभाई विशेष :- श्री भीडभंजन पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस भव्य शिखर बंदी जिनालय की प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. श्री लब्धि सूरीश्वरजी म. के समुदाय For Private and Personal Use Only Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर के आचार्य श्री विजय भुवनतिलकसूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. श्री विजय भंद्रकर सूरीश्वरजी म. तथा पुण्यानन्दसूरीश्वरजी म. के मार्गदर्शन में आ. श्री विजय वीरसेन सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०४८, वीर सं. २५१८ का माह सुदि ६, तारीख १०-२ ९२, सोमवार को हुई थी। इस अवसर पर अचलगच्छ समुदाय के आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंत भी उपस्थित थे । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यहाँ मूलनायक श्री भीडभंजन पार्श्वनाथ प्रभु तथा आजुबाजु में श्री वासुपूज्य स्वामी एवं श्री पद्मप्रभ स्वामी भगवान की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, २- सिद्धचक्रजी, अष्टमंगल - १, ताँबे के २ यंत्र तथा पार्श्वयक्ष एवं पद्मावती देवी बिराजमान हैं। यहाँ दो मंजीला भव्य आराधना भवन हैं तथा पार्श्व किर्ति मंडल एवं आयंबिल खाता की व्यवस्था भी हैं । ❀ ॐ ॐ (४२५) २७९ (४२४) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर वर्धमान बिल्डींग (मोमीन बिल्डींग ) २०१, दूसरा माला, घर नं. ७११, पायल टॉकिज के बाजू में, थाणा रोड, भीवण्डी. जि. थाणा (महा.) टेलिफोन :- ९१३ - ३८४६३ (ओ.) ३७०१६ घर - केशवजीभाई विशेष :- परम पूज्य आ. श्री विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०४८ का जेठ सुदि ७ को चल प्रतिष्ठा हुई थी । यहाँ मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी की पाषाण की १ प्रतिमाजी, पंचधातु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं । इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक शा. केशवजी लखमशी जखरीया परिवार वाले हैं। ❀ श्री महावीर स्वामी भगवान शिखरबद्ध जिनालय ओसवाल पार्क, नारपोली, ओकट्रोय नाका के पीछे, खारवान रोड, भीवण्डी. जि. थाणा (महाराष्ट्र ) . टेलिफोन - ५१५५९६०, ५१६०२४६ - रामजीभाई गुढका विशेष :- श्री ओसवाल पार्क श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ जैन संघ की तरफ से परम पूज्य आ. श्री विजय ललित शेखर सूरीश्वरजी म. के शिष्य परम पूज्य आ. श्री विजय राजशेखर सूरीश्वरजी म. तथा उनके शिष्य श्री विजय वीर शेखर सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५३ का माह सुदि ११, ता. १७- २ - १९९७ के शुभ दिन श्री घाटकोपर जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ संघ के प्रमुख श्री रामजीभाई मेघजी गुढका के शुभ हस्तक मुख्य शिलान्यास किया, तथा श्री महावीर गृह For Private and Personal Use Only Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २८० मुंबई के जैन मन्दिर विकास प्रा. लि. के सभ्यो के कर कमलो से अन्य शिलान्यास का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ था । इस जिनालय के संस्थापक श्री महावीर गृह विकास प्रा. लि. तथा श्री ओसवाल पार्क श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ जैन संघ हैं । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४२६) श्री सुमतिनाथ भगवान गृह मन्दिर सुमतिदर्शन एपार्टमेन्ट, घर नं. ६२३ दूसरा माला, अमीना कम्पाउण्ड, धामणकर नाका, आग्रा रोड, भीवण्डी. जि. थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन नं. - ९१३ - ३५८१९ (घर) ३८७९३ (ओ.) कान्तिलालजी, कैलाशजी विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक उमेदपुर (राज). निवासी शा. रिखबचन्दजी कपूरचन्दजी परिवार वाले हैं। इस जिनालय की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. श्री विजय कपूर सूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. श्री विजय अमृतसूरीश्वरजी म. के शिष्य रत्न पन्यासजी श्री जिनेन्द्र विजयजी म. की पुनित मिश्रा में वि. सं. २०३३ का माह सुदि ६, सोमवार, ता. २५-२-७७ को खुब ठाठ माठ से हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री सुमतिनाथजी की पाषाण की १ प्रतिमाजी, पंचधातु की - १ प्रतिमाजी, सिद्ध चक्रजी - १, अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं । श्री शत्रुंजय तीर्थ, श्री अष्टापद तीर्थ, गिरनार तीर्थ के अलावा श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ, श्री मणिभद्र वीर, श्री नाकोडा भैरूजी की तीनों भव्य तस्वीर दर्शनीय हैं । ❀ ❀ ❀ (४२७) श्री शीतलनाथ भगवान गृहमन्दिर ४८५, शैलेश सदन, भारती भुवन, पहला माला, धामणकर नाका, अजन्ता कम्पाउण्ड, भीवण्डी. जि. थाणा, (महाराष्ट्र ). टेलिफोन नं. - (ओ.) ९१३ - ३२८७६, रसिकभाई नगरीया - ५५२६५ (घर), (ओ.) - ३२४७० विशेष :- श्री हालारी विशा ओसवाल जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिरकी चल प्रतिष्ठा परम पूज्य गणिवर्य श्री जिनेन्द्र विजयजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०३२ का आसौ वदि ५, बुधवार, ता. १३-१२-७६ को हुई थी । यहाँ मूलनायक श्री शीतलनाथ प्रभु तथा श्री सीमन्धर स्वामी, श्री सुविधिनाथ, श्री संभवनाथ, For Private and Personal Use Only Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २८१ श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु सहित पाषाण की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, वीसस्थानक - १, अष्टमंगल - १, यन्त्र - १ तथा शत्रुजय पट एवं यक्ष - यक्षिणी बिराजमान हैं। श्री संघ की आराधना के लिये भव्य आराधना भवन की व्यवस्था हैं। आ. श्री विजय ललित शेखर सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में शिलान्यास वि. सं. २०४० का ता. २२-२-८४, बुधवार को सेठ रामजी मेघजी गुढका द्वारा हुआ था। इसका उद्घाटन वि. सं. २०४१ का ता. ८-३-८५, शुक्रवार को सेठ मेघजी जेठाभाई देढिया तथा श्रीमती हेमाबेन मेघजी देढिया द्वारा हुआ था। श्री हालारी विशा ओसवाल श्वेताम्बर मूर्तिपूजक आयंबिल शाला व जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। श्री जैन महिला मंडल एवं श्री हालारी वीशा ओसवाल सेवा दल की सेवाएँ विशेष प्रशंसनीय हैं। (४२८) श्री सुविधिनाथ भगवान भव्य सामरणबद्ध जिनालय जयमंगल साइजींग, २७२, रामसन्स भवन, ग्राउन्ड फ्लोर, तेलीपाडा, आग्रा रोड, भीवण्डी. जि. थाणा (महाराष्ट्र). टेलिफोन नं. :- ९१३ - ३१३६६, ३२८६५ (ओ.). ५१६ ०२ ४६, ५१५५९६० (घर) रामजीभाई गुढका, महेन्द्रभाई, चंदनभाई विशेष :- श्री सुविधिनाथ जैन देरासर ट्रस्ट ह. श्री रामजी मेघजी गूढका इस भव्य सामरणबद्ध जिनालय के निर्माता हैं । इस रमणीय जिनालय का भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव, पूज्य पाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. के समुदाय के शतावधानी परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म. सा., प.पू. विद्वद्वर्य आचार्य भगवंत श्री विजय महानन्द सूरीश्वरजी म.सा. और प्रतिष्ठा महोत्सव के प्रेरक प. पू. विद्वान वक्ता आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. आदि विशाल साधु - साध्वी समुदाय की पुण्य निश्रा में वि. सं. २०४१, वैशाख सुदि ११, बुधवार, ता. १-५-८५ को हुआ था. उस समय युग. आ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. के समुदाय के साध्वीजी श्रीनम्रदर्शिताश्रीजी म. की बडी दीक्षा भी धाम - धूम से हुई थी। श्री रामजीभाई गुढकाने सर्व प्रथम अपने निवास स्थानमें एक कमरे में गृहजिनालय बनाकर उसमें वि.सं. २०३३ में प.पू. पं. श्री जिनेन्द्र विजयजी म. की निश्रा में श्री महावीर स्वामीजी २१" की प्रतिमा बनाकर स्थापना की थी, बाद में वि.सं. २०३४ में. प.पू. आ.भ. श्री विजय चन्द्रोदय सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में मुलुण्ड में मूलनायकजी आदि प्रतिमाओकी अंजनशलाका कराकर भीवण्डी में अपने गृहजिनालय में उसी वर्ष में उन प्रतिमाओका प्रवेश कराया था. For Private and Personal Use Only Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८२ मुंबई के जैन मन्दिर यहाँ पाषाण की ७ प्रतिमाजी एक तरफ एक छोटी पाषाण की प्रतिमाजी सहित कुल ८ प्रतिमाजी, पंच धातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - २, यंत्र - १ तथा रंग मंडप में यक्ष-यक्षिणी बिराजमान हैं। (४२९) श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर गोपाल नगर, अभ्युदय बेंक के पीछे, कल्याण रोड, भीवण्डी. जि. थाणा, महाराष्ट्र. टेलिफोन नं.:- ९१३ - ५३५०२ जयन्तिभाई, ९१३ - ५४३७९ मनसुखभाई विशेष :- श्री गोपाल नगर श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस मन्दिर में मूलनायक श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ, श्री सीमन्धर स्वामी, श्री शीतलनाथ स्वामी की पाषाण की कुल ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, वीसस्थानक - १ सुशोभित हैं। ८२ आरस के प्रतिमाजी मेहमान के रुप में बिराजमान हैं। ___ परम पूज्य भुवन भानु सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य श्री हेमचन्द्र सूरीश्वरजी म. के शिष्य मुनिराज श्री अक्षय बोधि विजयजी म., श्री महाबोधि विजयजी म. की पावन निश्रा में ता. १९-५८९ को स्थापना हुई थी । यहाँ उपाश्रय एवं चिन्तामणि बैण्ड पार्टी की व्यवस्था हैं। (४३०) श्री सीमन्धर स्वामी भगवान गृह मन्दिर गाला ४+५, १७/बी बिल्डींग, ग्राउण्ड फ्लोर, दांडेकर वाडी, कल्याण रोड, भीवण्डी. जि. थाणा (महाराष्ट्र) - ४२१ ३०२. टेलिफोन नं.-९१३ -३३९४८ घर - ५१३७५ (ओ.) अशोकभाई - ५१९५३ (घर) - शांतिभाई विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय हेमचन्द्र सूरीश्वरजी म. के शिष्य पूज्य मुनिराज श्री अक्षय बोधि विजयजी म. एवं पूज्य मुनिराज श्री महाबोधि विजयजी म. पावन निश्रा में वि. संवत २०५० का माह वदि १४, ता. ११-३-९४, शुक्रवार को स्थापना हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री सीमन्धर स्वामी तथा आजू बाजू में श्री महावीर स्वामी एवं श्री चन्द्रप्रभ स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी तथा सिद्धचक्रजी - १ सुशोभित हैं। ___ इस मन्दिरजी के व्यवस्थापक एवं संचालक श्री अशोकनगर जैन संघ हैं। यहाँ पर श्री सीमन्धर स्वामी अशोक नगर सामायिक मंडल हैं। For Private and Personal Use Only Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २८३ (४३१) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान रथाकर जिनालय हर्ष बंगलो, चरणीपाडा, जकात नाका के पीछे, हालार नगर, अंजुर फाटा, आग्रा रोड, भीवण्डी. जि. थाणा (महाराष्ट्र). टेलिफोन - ९१३-५५३७९ (घर) २०८९९६२, २०६८३१९ (ओ.) विशेष :- इस रथाकार जिनालय, श्रेष्ठिवर्य सेठ श्री मनसुख भाई मेघजी जेठा दोढिया परिवारवालो की तरफ से बनाया गया हैं। इस जिनालय की प्रतिष्ठा वि. सं. २०५३ का मगसर सुदि ३, शुक्रवार, ता. १३-१२-१९९६ को परम पूज्य लब्धि - भुवन - तिलक समुदाय के आ. श्री विजय पुण्यानन्दसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में हुई थी। इस जिनालय में मूलगंभारे में मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी तथा आजू बाजू में श्री सुविधिनाथ, श्री कुंथुनाथ तथा रंगमंडप में श्री शीतलनाथ, श्री सीमन्धर स्वामी सहित पाषाण की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की एक प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी एक, अष्टमंगल एक के अलावा सुरकुमार यक्ष, श्री चंद्रा यक्षिणी एवं श्री सम्मेत शिखरजी तथा श्री शत्रुजय तीर्थ के पट भी दर्शनीय हैं। थाणा जिला में भाईन्दर और भीवण्डी दोनो शहर में रथाकार जिनालय का निर्माण हुआ हैं । (४३२) श्री मुनिसुवत स्वामी भगवान गृह मन्दिर कैलास दर्शन एपार्टमेन्ट, ११५ कैलाश दर्शन सोसायटी, ओसवाल सागर के सामने, आग्रा रोड, भीवण्डी. जि. थाणा - महाराष्ट्र. टेलिफोन नं.:- ९१३ - ५५३ ७९ - मनसुखभाई विशेष :- इस जिनालय के प्रेरणा दाता परम पूज्य आ. देव श्री ललितशेखरसूरीश्वरजी म. एवं पूज्य मुनिराज श्री अक्षय बोधि विजयजी म. थे। इस जिनालय के लिये भूमि सप्रेम भेट देनेवाले भाग्यशाली गं. स्व. डाइबेन मानण पटेल थे। इस जिनालय के संस्थापक एवं संचालक श्री कैलाश दर्शन सोसायटी के सौजन्य से श्री हालारी विशा ओसवाल मूर्तिपूजक जैन संघ हैं। इस गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य लब्धि - भुवनतिलक समुदाय के आ श्री विजय भद्रंकर सूरीश्वरजी म. के पट्टधर प. पूज्य आ. श्री विजय पुण्यानन्द सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५२ का मगसर सुदि १०, सोमवार, ता. १-१२-९५ को हुई थी। ___ यहाँ पाषाण की, श्री मुनिसुव्रतस्वामी मूलनायक के साथ आजुबाजु में श्री संभवनाथ प्रभु, श्री सुपार्श्वनाथ प्रभु की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की - २ प्रतिमाजी, २ सिद्धचक्रजी बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८४ मुंबई के जैन मन्दिर (४३३) श्री आदिनाथ भगवान गृह मन्दिर ___ मानसरोवर बिल्डींग १०, ग्राउण्ड फ्लोर, वरालदेवी रोड, धामणकर नाका, भीवण्डी. जि. - थाणा (महाराष्ट्र). टेलिफोन - २०८९९६२, २०६८३१९ (ओ.) ९१३-५५३७९ - मनसुखभाई दोढिया विशेष :- परम पूज्य आ. श्री भुवनभानुसूरीश्वरजी म. समुदाय के आ. श्री विजय विजय हेमरत्नसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५३ का जेठ, सुदि १, शुक्रवार, ता. ६-६-१९९७ को चल प्रतिष्ठा हुई थी इस जिनालय का निर्माण ‘छाबरा बिल्डर्स वालोने किया हैं । यहाँ पाषाण की, श्री आदिनाथ प्रभु तथा आजूबाजू में श्री वर्धमान स्वामी, श्री धर्मनाथ प्रभु की ३ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। (४३४) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर पुनित सागर कॉम्पलेक्ष, सिटीजन होटेल के बाजू में, आगरा रोड, भीवण्डी. जि. थाणा (महाराष्ट्र). टेलिफोन नं.-५६८ ३५ ६९, ५६७ ३२ ११ - कपूरचन्द गोसराणी, ५६८ ५० २५, ५६८ ०३ ८० - जयन्तिलाल जाखरिया विशेष :- श्री मुनिसुव्रत स्वामी श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर में परम पूज्य शासन सम्राट आ. श्री नेमिसूरीश्वरजी समुदाय के आ. श्री विजयचंद्रोदय सूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय अशोक चन्द्रसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय सोमचंद्र सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में अंजनशलाका की हुई प्रतिमाजी बिराजमान हैं। परम पूज्य आ. श्री विजय प्रेम सूरीश्वरजी समुदाय के परम पूज्य आ. श्री विजय ललितशेखर सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में. वि. सं. २०५४ का वैशाख सुदि ६, शुक्रवार, ता. १-५-९८ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी तथा आजुबाजु में श्री संभवनाथ तथा वासुपूज्य स्वामी की पाषण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की - ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ तथा यक्ष-यक्षिणी व गौतम स्वामी की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। इस मन्दिर के निर्माण में श्रीमान श्रेष्ठीवर्य शाह कपूरचंद जेसंग खीमा भाई गोसराणी आदि परिवार वाले एवं शाह जयन्तिलाल कानजी मेघजी जाखरीया परिवार वालो ने लाभ लिया हैं। For Private and Personal Use Only Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २८५ (४३५) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान सामरण बद्ध गृह मन्दिर वासुपूज्य एपार्टमेन्ट, कामतघर, हनुमान मंदिर के बाजू में, भीवण्डी. जि. थाणा (महाराष्ट्र). टेलिफोन नं.-९१३ - २१५९२ विशेष :- परम पूज्य आ. श्री विजय प्रेम सूरीश्वरजी समुदाय के प. पूज्य आचार्य श्री विजय ललित शेखर सूरीश्वरजी म., प. पूज्य आ. श्री विजय राजशेखर सूरीश्वरजी म., प. पूज्य आ. श्री विजय वीर शेखर सूरीश्वरजी म., पू. मुनिराज रत्नसेन विजयजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५४ का वैशाख सुदि १२, शुक्रवार, ता. ८-५-९८ को प्रतिष्ठा हुई थी। इस गृह मन्दिरजी के, मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी तथा आजुबाजु में श्री महावीर स्वामी, श्री शान्तिनाथ भगवान की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ तथा ३ देव देवीयाँ भी गंभारे में बिराजमान है। रंग मंडप में श्री शत्रुजय तीर्थ व श्री सम्मेत शिखरजी तीर्थ भी दर्शनीय हैं। स्व. श्रीमती शांताबेन भारमल हंसराज सुमरीया, श्रेष्ठिवर्य श्री मनसुखलाल भारमल सुमरीया एवं श्रीमती कंचनबेन मनसुखलाल सुमरीया एवं श्री जयसुखलाल भारमल सुमरीया आदि परिवार वालो ने इस सामरण बद्ध गृह मन्दिर का निर्माण कराया है। कलवा (पश्चिम) (४३६) श्री अभिनन्दनस्वामी भगवान भव्य शिखर बंधी जिनालय ___ गुणसागर नगर, स्टेशन रोड, कलवा. जि. थाणा, महाराष्ट्र टेलिफोन - ५६१५५४१, ५६१७३८२, ५६८१४ २४ - नवीन भाई सेठ विशेष :- इस मन्दिरजी की भव्य प्रतिष्ठा अंचलगच्छाधिपति आचार्य श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रामें वि.सं. २०४३ का मगसर वदि २ को हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री अभिनन्दन स्वामी तथा आजू बाजू में श्री संभवनाथ प्रभु एवं श्री अनन्तनाथ स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी -२१, अष्ट मंगल १ के अलावा यक्षेश, कालीदेवी, पद्मावतीदेवी, चक्रेश्वरी देवी भी बिराजमान है। इस मन्दिरजी के संचालक श्री अभिनन्दन स्वामी जैन देरासर ट्रस्ट पेढी - कलवा (प.) है। इस मन्दिरजी के निर्माता बिल्डर्स श्रीमान सेठ श्री मोरारजी नानजी गाला मुलुन्ड निवासी है। यहाँ श्री राजस्थान मूर्तिपूजक जैन संघ - उपाश्रय हैं। जिसका नामकरण लक्की ड्रो की योजना नुसार 'शा वालचन्द रालेराजजी जैन उपाश्रय' रखा गया। यहाँ अंचलगच्छ जैन संघ का दूसरा उपाश्रय For Private and Personal Use Only Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २८६ www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर हैं । यहाँ के संघ में श्री आर्य रक्षित युवक मंडल, श्री कलवा अभिनन्दन महिला मंडल तथा श्री अभिनन्दन सामायिक मंडल की व्यवस्था है । मुंब्रा (पूर्व) (४३७) श्री सुमतिनाथ भगवान गृह मन्दिर सुमतिनाथ भवन, महावीर चौक, जुना पनवेल रोड, मुंब्रा (पूर्व ) जि. थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन : ५३३ २३२९ - फुटरमलजी Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विशेष :श्री राजस्थान जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ मुंब्रा (पूर्व ) द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिरजी की चलप्रतिष्ठा पंजाब केसरी परम पूज्य आ. श्री विजयवल्लभसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य श्री विजय इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी म. के शिष्य आचार्य श्री विजय रत्नाकरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५१ का वैशाख वदि - ७ को हुई थी। (४३८) - यहाँ मूलनायक श्री सुमतिनाथ भगवान तथा आजू बाजू में श्री पार्श्वनाथ प्रभु एवं श्री अजितनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमजी, पंचधातुकी ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी २ तथा श्री भोमीयाजी, श्री नाकोडा भैरुजी तथा यक्ष-यक्षिणी की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। यहाँ पहले माले पर उपाश्रय हॉल तथा दूसरे माले पर जिनालय शोभायमान हैं। यहाँ आंयबिल शाला की व्यवस्था हैं, तथा श्री महावीर जैन नवयुवक मंडल भक्ति भावना में अग्रसर हैं। - For Private and Personal Use Only श्री सुमतिनाथ भगवान गृह मन्दिर कागदी चाल नं. १, रूम नं. १७ ओ, ग्राउण्ड फ्लोर, मुंबई- पुना रोड, मुंब्रा. जि. थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन- ५३५०१२२ - किरणराजजी विशेष चेम्बर तीर्थ में परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. साहेब की निश्रा में अंजनशलाका की हुई और आपकी प्रेरणा से चेम्बर तीर्थ से प्राप्त मूलनायक श्री सुमतिनाथ प्रभु की पाषाण की एक प्रतिमाजी, पंचधातु की एक प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी एक एवं अष्टमंगल एक बिराजमान हैं । यह मन्दिर मुंब्रा जैन संघ द्वारा संचालित हैं। तथा यह मंदिर १५ वर्ष प्राचीन हैं। Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मुंबई के जैन मन्दिर (४३९) www.kobatirth.org डोंबीवली (पश्चिम) श्री नमिनाथ भगवान गृह मन्दिर 'ए' विंग, सुनिल निवास, पहला माला, गुप्ते रोड, डोंबीवली (प.), जि. - थाणा (महाराष्ट्र ) टेलिफोन - ९११ - ४८११७७ मूकेशभाई, ९११ - ४८५ १५६ - दिलीपभाई - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४४० ) विशेष :- श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा सिद्धान्त महोदधि परम पूज्य आ. श्री प्रेमसूरीश्वरजी म. पट्टधर आ. श्री विजय रामचन्द्रसूरीश्वर म. समुदाय के परम पूज्य मुनिराज श्री अक्षयविजयजी म. की पावन निश्रा में वि. संवत २०४३ का जेठ सुदि ९ को हुई थी । २८७ यहाँ मूलनायक श्री नमिनाथजी तथा श्री पार्श्वनाथजी तथा श्री पार्श्वनाथजी, श्री महावीर स्वामी, श्री शान्तिनाथजी, श्री धर्मनाथजी सहित पाषाण की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, २४ तीर्थंकर प्रभु का पाटला १, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं । - यहाँ उपाश्रय एवं आयंबिल खाता नियमित चालु हैं । श्री घोघारी जैन पाठशाला, श्री प्रभुभक्ति महिला मंडल, श्री नमिनाथ महिला मंडल, श्री नमिनाथ जैन युवक मंडल की व्यवस्था हैं । ॐ ॐ श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर श्री अंचलगच्छ भवन, वडारवाडी, कोपर रोड, क्रॉस लेन, डोंबीवली (प.), जि. थाणा (महाराष्ट्र). टेलिफोन नं. - ९११-४७३ ७६८ हेड ओफिस, प्रेमजीभाई ९११-४४७९०२ विशेष :- सर्व प्रथम यहाँ के श्याम वर्णीय पाषाण के श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी शिवगंगा को. सोसायटी में श्री जैन मित्र मंडल द्वारा संस्थापित एवं संचालित गृह मंदिर में बिराजमान थे। जहां उनकी चल प्रतिष्ठा तारीख १९-११-९५ को मुनिराज श्री सर्वोदय सागर म. की पावन निश्रा में हुई थी । वहाँ का गृहमन्दिर मंगलिक होने के बाद श्री मुनिसुव्रत स्वामी मूलनायक श्री अंचलगच्छ भवन में बिराजमान किये गये, जिनकी चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. श्री कलाप्रभ सागर सूरीश्वरजी आदि मुनि भंगवतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५३ का श्रावण वदि १०, ता. २७-९-९७, बुधवार को हुई थी । यहाँ पाषाण की श्यामवर्णीय १ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल १ बिराजमान हैं । यहाँ श्री गौतम सागरसूरि जैन पाठशाला चालु हैं। इसके संस्थापक एवं संचालक श्री अंचलगच्छ जैन संघ डोंबीवली हैं। For Private and Personal Use Only Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८८ मुंबई के जैन मन्दिर (डोंबीवली (पूर्व) (४४१) श्री जीरावला पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर पारसमणि भुवन तिसरा माला, टिलक नगर, डोंबीवली (पूर्व), जि. थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन नं.:- ९११ - ४५० ५९५ (घर) चंपकभाई, ९११-४३३ ९५४ (घर) मनोजभाई विशेष :- डोंबीवली नगर का यह सबसे प्रथम और प्राचीन मंदिर हैं। इसका निर्माण व चलप्रतिष्ठा परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पावन निश्रा में वि. सं. २०२५ का मगसर वदि ८, ता. १३-१२-६८ को हुई थी। मूलनायक श्री जीरावला पार्श्वनाथ प्रभु की प्रतिष्ठा कराने का लाभ स्व. शाह देवजी धारशी की स्मृति में हस्ते मोहनभाई मोहनावालाने लिया था। यहाँ चेम्बुर तीर्थ से प्राप्त मूलनायक श्री जीरावला पार्श्वनाथ तथा आजु बाजु में श्री संभवनाथ, श्री शान्तिनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ९ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ४, वीसस्थानक - २, अष्टमंगल - २ के अलावा दिवार पर सिर्फ पार्श्वनाथ प्रभु के ही एक एक से सुन्दर १२२ फोटो विशेष दर्शनीय हैं। श्री सम्मेतशिखरजी , श्री शत्रुजय तीर्थ, श्री अष्टापद तीर्थ, श्री गिरनार तीर्थ, श्री आबुजी तीर्थ तथा महावीर प्रभु के जीवन के ऐतिहासिक चित्र भी अति लुभावने हैं। पावापुरी व समवसरण कल्पवृक्ष शोकेस भी सुशोभित हैं। पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा व आशीर्वादसे वि. सं. २०२१ का वैशाख सुदि १०, सोमवार के शुभदिन श्रीयुत सेठ श्री प्रेमजी डुंगरशी सावला (उर्फ बाबुभाई) गाम वांकी (कच्छ) वालो की तरफ से यह स्थान डोंबीवली जैन संघ को श्री नूतन गृह मन्दिर तथा उपाश्रय बनवाने के लिये अर्पण किया था ता. १०-५-६५ को ! बादमें इसी स्थान में यह गृह मन्दिर और उपाश्रय का निर्माण हुआ था। दुसरे माले पर उपाश्रय, तीसरे माले पर जिनालय शोभायमान हैं। यहाँ श्री चंपाबेन गंभीरदास जैन पाठशाला तथा पारसमणि सेवक मंडल की व्यवस्था हैं। (४४२) श्री जीरावला पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर वीरा शोपिंग सेन्टर, पहला माला, टिलक टॉकिज के बाजू में, स्टेशन रोड, __डोंबीवली (पूर्व), जि. थाणा, महाराष्ट्र । टेलिफोन नं.:- ९११ - ४५७ ३१८, ४७३ ७६८ विशेष :- अंचलगच्छाधिपति आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म., पूज्य मुनिराज श्री कलाप्रभसागरजी म., वि. सं. २०३५ में जब पहली बार डोंबीवली पधारे तो उनकी प्रेरणा व पावन निश्रा में श्री अंचलगच्छ जैन संघ - डोंबीवली की स्थापना हुई थी। For Private and Personal Use Only Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २८९ वि. सं. २०३५ में मातुश्री पूरबाई खीमजी भुलाभाई वीरा कच्छ देवपुरवाला परिवार तरफ से घाटकोपर के सर्वोदय पार्श्वनाथ तीर्थ से प्राप्त श्री जीरावला पार्श्वनाथ भगवान की स्थापना हुई थी। यहाँ श्री अंचलगच्छ जैन संघ डोंबीवली द्वारा संस्थापित एवं संचालित गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. भगवंत श्री कलाप्रभसागर सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४३ का काति वदि ११, शुक्रवार, ता. २१-११-८६ को हुई थी। __ यहाँ मूलनायक श्री जीरावला पार्श्वनाथ तथा आजूबाजू में श्री धर्मनाथ भगवान, श्री शांतिनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, विसस्थानक - १, तांबे के समवसरण पर ४ पंचधातु की चऊमुखी प्रतिमाजी, ताँबे के ३ यंत्र के अलावा पार्श्वपक्ष, पद्मावती देवी, चक्रेश्वरी देवी, तथा शत्रुजय पट एवं सम्मेत शिखर पट भी दर्शनीय हैं। श्री अंचलगच्छ जैन संघ - डोंबीवली संचालित मातुश्री पुरबाई खीमजी वीरा देवपुरवाला वर्धमान तप आयंबिल खाता दूसरा माले पर, स्टोर रूम और उपाश्रय भी हैं। (४४३) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर शिवमार्केट, तीसरा माला, मानपाडा रोड, डोंबीवली (पूर्व), जि. थाणा, महाराष्ट्र टेलिफोन नं.-९११-४३३ २६० - रामरतनजी, ९११ - ४४४ ८२७ - केसरीमलजी विशेष :- श्री राजस्थान श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मंन्दिर की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य श्री नेमि-लावण्य के पट्टधर आ. श्री विजय दक्षसूरीश्वरजी म. के शिष्य आचार्य श्री विजय सुशीलसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०३७ का वीर सं. २५०७, जेठ सुदि - १०, ता. १२-६-८१ को हुई थी। ___ यहाँ मूलनायक श्री शांतिनाथ भगवान, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान, श्री नाकोडा पार्श्वनाथ एवं श्री जीरावला पार्श्वनाथ सहित पाषाण की ४ प्रतिमाजी, पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, वीसस्थानक - १, अष्टमंगल - १ के अलावा शत्रुजय, गिरनारजी व पावापुरी पट दर्शनीय हैं। यहाँ श्री मुनिसुव्रतस्वामी, श्री आदीश्वर भगवान, श्री विमलनाथ भगवान, श्री वासुपूज्य स्वामी, एवं श्री महावीर स्वामी मेहमान के रूप में विराजमान हैं। ___ यहाँ उपाश्रय, श्री शान्तिनाथ जैन पाठशाला, आयंबिल खाता, श्री राजस्थान जैन युवक मंडल, श्री महावीर महिला मंडल आदि धार्मिक कार्य सेवा - भक्ति में अग्रसर हैं। For Private and Personal Use Only Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २९० मुंबई के जैन मन्दिर (४४४) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर रामनगर, श्री गुरूमऊली छाया, पहला माला, चित्तरंजन दास रोड, डोंबीवली (पूर्व), जि. थाणा (महाराष्ट्र). टेलिफोन नं.-९११-४४८ ७०० - नेमजीभाई, ९११-४५२ ४८० - मावजी लालजी मारू विशेष :- श्री पार्श्वचन्द्र गच्छ जैन संघ द्वारा निर्मित उपाश्रय का उद्घाटन परम पूज्य मुनिराज श्री सुयशचंद्रजी म. साहेबजी के शिष्य मुनिराज श्री पूर्णयशचंद्रजी आदि थाणा - ३ की शुभ निश्रा में वि. सं. २०४८ का आषाढ सुदि ६, ता. ५-७-९२ को श्रीमान संघ सेवक गांगजी भाई के कर कमलो द्वारा हुआ था। गृह मंदिर व गुरू मन्दिर की चल प्रतिष्ठा पार्श्वचंद्रगछीय सा. श्री ॐकारश्रीजी म. की शुभ प्रेरणा से पूज्य मुनिराज श्री पद्मयशचन्द्रजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४९ का मगसर सुदि १० को हुई थी। यहाँ के गृह मन्दिर में पंचधातु की श्री शान्तिनाथ प्रभु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १, तांबे का यंत्र - १ सुशोभित हैं। इसके बाजू में ही गुरु मन्दिर में पू. दादा गुरूदेव श्री पार्श्वचंद्रसूरिजी म. की गुरु प्रतिमाजी तथा मुनि श्री कुशलचंद्रजी महाराज, श्री भावचंद्रजी महाराज, श्री सुयशचन्द्रजी म. की चरण पादुकाएँ सुशोभित हैं। उपाश्रय हॉल में शत्रुजय व सम्मेत शिखरजी के पट भी दर्शनीय हैं। यहाँ मातुश्री हीरबाई जेसींगभाई हीरजी गडा स्मरणार्थे (नाना भाडीया) स्वाध्याय खंड, श्री प्रेमजी वीरजी परिवार (नानी खाखर) भक्ति खंड, स्व. कीर्तिकुमार शामजी रतनजी गडा स्मरणार्थे मातुश्री सुंदरबन शामजी एवं सुपुत्रो (गाम नवावास) उपाश्रय की लादी के मुख्य दाता हैं। श्री लक्ष्मीबेन हीरजी करमशी छेडा विविधलक्षी हॉल (गाम - पूर्जा ता. २०-३-९४) मातुश्री विमलाबेन लालजी यनाभाई (गाम - कांडागरावाला) आयंबिल भवन, श्री दीपककुमार लालजी यनाभाई (गाम - कांडागरावाला) जैन पाठशाला । मातुश्री लाछबाई कुंवरजी करमशी देढिया (गाम - नानीखाखर ) श्री पार्श्वचंद्र जैन संघ - उपाश्रय डोंबीवली (पूर्व) की व्यवस्था हैं। (४४५) श्री सुविधिनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय नवजीवन होस्पीटल के पीछे, मानपाडा रोड, डोंबीवली (पूर्व), जिला - थाणा, महाराष्ट्र. टेलिफोन नं.- ९११-४५७ ३१८, ४७३ ७६८, ४४७ ९०२ (घर) प्रेमजी भाई, ९११-४४३ ४३६, ४४८ ६४०, ४४८ ३८९ - कुलिनकांत भाई विशेष :- श्री अंचलगच्छ जैन संघ - डोंबीवली द्वारा सर्वप्रथम यहाँ परम पूज्य अचलगच्छाधिपति श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. आदि For Private and Personal Use Only Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २९१ मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५० का वैशाख वदि ७, सोमवार, ता. ३०-५-९४ को श्री सुविधिनाथ भगवान २१” की प्रतिमाजी की स्थापना गृह मन्दिरजी में हुई थी। जिसको भराने का लाभ श्री भवानजी पदमशी विसरीया (गढशीशा ) ने लिया था, अंजनशलाका व प्रतिष्ठा का लाभ भाग्यशाली श्रीमती शांताबेन कानजी हीरजी गडा मंजल रेलडिया परिवारने लिया था। इस शिखरबंदी जिनालय का खातमुहूर्त वि. सं. २०५० का वैशाख वदि ६, सोमवार, ता. ३०५-९४ को तथा शिलारोपण वि. सं. २०५० वैशाख वदि १३, सोमवार, तारीख ६-६-९४ को हुआ था। इस भव्य जिनालय का निर्माण होनेपर इसकी प्रतिष्ठा पूज्य आचार्य श्री कलाप्रभसागर सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५४ जेठ सुदि २, बुधवार, ता. २७-५-९८ को हेलीकोप्टर से पुष्पवृष्टि से युक्त धामधूम से हुई थी। यहाँ के मूलगंभारे में मूलनायक श्री सुविधिनाथ भगवान ३७" तथा आजु बाजु में श्री शांतिनाथ प्रभु ३१", श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ ३१" इसके अलावा श्री आदिनाथ प्रभु ३१" श्री संभवनाथ प्रभु ३१", श्री मुनिसुव्रतस्वामी २१", श्री सुविधिनाथ भगवान २१" की पाषाण की ७ प्रतिमाजी, पंचधातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - २, वीसस्थानक - १, ताँबे के यंत्र - २ बिराजमान हैं। श्री अंचलगच्छ जैन संघ - डोंबीवली द्वारा तीन जिनालय स्थापित हुए (१) श्री जीरावला पार्श्वनाथ जिनालय वि. सं. २०३५ में, डोंबीवली (पूर्व), (२) श्री सुविधिनाथ जिनालय वि. सं. २०५० में डोंबीवली (पूर्व), (३) श्री मुनिसुव्रत स्वामी जिनालय वि. सं. २०५३ में डोंबीवली (पश्चिम) इन तीनो जिनालयो का संचालन भी इसी संघ द्वारा हो रहा हैं। वि. सं. २०३७ में पू. साध्वीजी श्री अरूणोदयश्रीजी म. की प्रेरणा से मातुश्री पुरबाई खीमजी भुलाभाई वीरा कच्छ देवपुरवाला आयंबिल खाता प्रारंभ हुआ था। __ पू. गणिवर्य श्री महोदयसागरजी म. सा. की प्रेरणा से वि. सं. २०४४ से श्री जीरावला पार्श्वनाथ जैन पुस्तकालय तथा नूतन उपाश्रय की स्थापना हुई थी। पू. आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से संवत २०५४ में श्री आर्यरक्षित जैन भंडार का शुभ आरंभ हुआ था । यहाँ श्री कल्पतरू अंचलगच्छ त्रिमंजील जैन भवनका उद्घाटन पू. आ. श्री कलाप्रभसागर सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५३ का वैशाख वदि ४, रविवार, ता. २५-५-९७ को ठाठ से हुआ था। संघ की तरफ से श्री कल्याण - गुण - कला सिंधु जैन पाठशाला सहित १५ जैन पाठशालाओं का संचालन हो रहा हैं । यहाँ सुविधि जिन गुण महिला मंडल, श्री डुमरा नारीवृंद भक्ति भावना में अग्रसर हैं। श्री नमिनाथ भगवान गृह मन्दिर सर्वेश सभागृह के बाजू में, राखी एपार्टमेन्ट कम्पाउण्ड में, तिलक रोड, डोंबीवली (पूर्व), जि. थाणा (महाराष्ट्र). टेलिफोन :- ९११ - ४५२ ४०९ पंकजभाई , ९११-४४७ ९३८ - रजनीभाई For Private and Personal Use Only Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २९२ मुंबई के जैन मन्दिर विशेष :- कच्छ कोटडी महादेवपुरीवाला स्व. जयेशभाई मोनजीभाई शाह के स्मरणार्थे यह धर्मभूमि श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ डोंबीवली (पूर्व) को अर्पण की गई थी वि. सं. २०४५ का आसौ सुदि १०, मंगलवार, तारीख १०-१०-८९ को । यहाँ के मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा वि. सं. २०४७ का मगसर वदि ५, गुरुवार, ता. ६-१२-९० को हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री नमिनाथजी तथा आजु बाजु में श्री पार्श्वनाथजी, श्री आदिनाथजी प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३ अष्टमंगल - २ बिराजमान हैं। यहाँ उपाश्रय, नियमित वर्धमान तप आयंबिल शाला चालु हैं, पाठशाला के अलावा श्री डोंबीवली जैन महिला मंडल, श्री नमिनाथ सामायिक मंडल, श्री वर्धमान मित्र मंडल आदि अपने सत्कार्यो में अग्रसर हैं। (४४७) श्री वासुपूज्यस्वामी भगवान गृह मन्दिर १०२ नीशीगंथ पहला माला, टाटा लेन रोड, कस्तूरी प्लाझा के पीछे, मानपाडा रोड, डोंबीवली (पूर्व), जि. - थाणा (महाराष्ट्र). टे. फो.:- ९११ - ४५२५३१, ४५६ ५२३ - अशोकभाई विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक सेठ श्री संघवी अमुलखराय परमाणंददास एवं अ. सौ. श्रीमती कांताबेन अमुलखराय संघवी आदि परिवारवाले हैं। परम पूज्य भुवन - भानुसूरि म. के समुदाय के परम पूज्य आ. श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में शाहपुर नगर में अंजनशलाका की हुई श्री वासुपूज्य स्वामीजी की प्रतिमाजी की चल प्रतिष्ठा आपश्री की निश्रा में वि. सं २०५४ का चैत्र वदि १०, बुधवार, तारीख २२-४-९८ को हुई थी। आपके गृह मन्दिर में मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी की पंचधातु की एक प्रतिमाजी परिकर के साथ तथा एक सिद्धचक्रजी बिराजमान (४४८) श्री सुविधिनाथ भगवान गृह मन्दिर ए-वन सेवा धाम बिल्डींग, ग्राउन्ड फ्लोर, श्रीपाल नगर, ३ क्रॉस राजाजी रोड, दत्तमंदिर के बाजू में, डोंबीवली (पूर्व), जि. थाणा, (महाराष्ट्र). टेलिफोन :- ९११ - ४४३ ३४६ - चंदुभाई, मोबाईल - ९८२०१५ ४३५५ - शरदभाई विशेष :- सर्व प्रथम वि. सं. २०४४ में श्रीपाल नगर में श्वेताम्बर मूर्तिपूजक घोघारी जैन संघ For Private and Personal Use Only Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर द्वारा जैन आराधना भुवन की स्थापना हुई थी । लकी ड्रो द्वारा स्व. अनोपबेन मोहनलाल पारेख (दीहोरवाला) जैन आराधना भवन नामकरण किया गया हैं। इसी आराधना भवन के एक तरफ, श्री राजाजी रोड श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य श्री भुवनभानुसूरि समुदाय के आ. श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से विद्वद्वर्य मुनिराज श्री अजितशेखरविजयजी म., मुनिराज श्री विमलबोधिविजयजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५४ का फागुण सुदि ११, तारीख ८-३-९८, रविवार को हुई थी। इस गृह मन्दिर के लिये उपासरे के एक भाग की जमीन, जगह के मालिक सेठ हरिचंद्र भगत (महाराष्ट्रीयन) की तरफ से सप्रेम भेट के रूप में प्राप्त हुई हैं। यहाँ आरस की सुविधिनाथ प्रभु की २१" की एक प्रतिमाजी, पंचधातु की शान्तिनाथ प्रभु की एक प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी एक शोभायमान हैं। यहाँ उपासरा, श्रीपालनगर सामायिक मण्डल व जैन पाठशाला चालु हैं। (४४९) श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवान गृह मन्दिर मुनिसुव्रत निवास ग्रोगासवाडी, मानपाडा रोड, डोंबीवली (पूर्व), ४२१ २०१. जि. थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन :- ९११-४४८ ८१७ - नविनभाई विशेष :- श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिरजी, उपाश्रय व पाठशाला की स्थापना एवं चल प्रतिष्ठा परम पूज्य लब्धि - लक्ष्मण के शिशु परम पूज्य शतावधानी आ. श्री विजय कीर्तिचंद्रसूरीश्वरजी म., मुनिराज श्री हरिशभद्रविजयजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०४६ का जेठ सुदि १३, ता. ६-६-९०, बुधवार को हुई थी । यहाँ श्याम रंग के मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ, श्री गोडीजी पार्श्वनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की - २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, विसस्थानक - १, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। दिवार पर १०८ पार्श्वप्रभु के चित्र के अलावा श्री अष्टापदजी, श्री शत्रुजय एवं श्री पावापुरी तीर्थ भी दर्शनीय हैं । यहाँ श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ जैन पाठशाला एवं श्री मुनिसुव्रत स्वामी स्नात्र मंडल की व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २९४ मुंबई के जैन मन्दिर (४५०) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय 'पाण्डुरंग वाडी शान्तिनगर, मानपाडा रोड, डोंबीवली (पूर्व), जि. थाणा (महाराष्ट्र). टेलिफोन :- ९११ - ४५६ ६४४ (ओ.) - ३७४ ५८ ७४ (ओ.) ९११ - ४४१ ७९५ मनोजभाई विशेष :- श्री पार्श्वभक्ति श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित सर्वप्रथम यहाँ गृह मन्दिर के मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ की प्रतिमाजी श्री लब्धि - लक्ष्मण के शिष्य आ. श्री कीर्तिचंद्रसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से अ. सौ. प्रभावती के श्रेयार्थ राघनपुर निवासी मसालीया पन्नालाल नागरदास एवं परिवार वालो की तरफ से बिराजमान की गई थी। नूतन जिनालय की खनन विधि संवत २०५२ का आसौ वदि ६, ता. १-११-९६ के दिन परम पूज्य पन्यास श्री चन्द्रशेखरविजयजी महाराज के शिष्य पूज्य मुनिराज श्री जिनसुंदरविजयजी म. की पावन निश्रा में हुई थी। वि. सं. २०५३ का कार्तिक वदि २, ता. २७-११-१९९६ के दिन आपकी पावन निश्रा में इस जिनालय की शिला स्थापना हुई थी। मूलनायक ३३” इंच के संप्रति महाराजा द्वारा भराये हुए और पाटण से प्राप्त हुए प्राचीन प्रतिमा श्री आदीश्वर भगवान का नगर प्रवेश संवत २०५२ का माह सुदि १३, ता. २-२-१९९६ को हुआ था। पाटण अष्टापदजी जिनालय में से संप्रति महाराजा समय की प्राचीन प्रतिमाजी श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान २९" की तथा श्री नेमनाथ भगवान २९" यहाँ के जिनालय के लिये प्राप्त हुई हैं। पाटट घीया के पाडा में से श्री शान्तिनाथ भगवान २३" तथा श्री महावीर स्वामी २३" यह दोनो प्रतिमाजी भी संप्रति महाराजा के समय की है प्राप्त हुई हैं। भगवान का गृहप्रवेश संवत २०५४ का जेठ सुदि ९ ता. ३-६-९८, बुधवार को परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज आदि थाणा - ५ के पावन निश्रा में हुआ था। नूतन जिनालय में मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान, श्री वासुपूज्यस्वामी, श्री विमलनाथ भगवान, श्री पार्श्वनाथ भगवान, श्री महावीर स्वामी, श्री शान्तिनाथ प्रभु सहित ६ प्रतिमाजी, पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - १ तथा उपर मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान , श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री नेमनाथ भगवान सहित पाषाण की ३ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। जिनालय के बाजू में श्रीमती रंभाबेन नागरदास कुंवरजी शाह राजपरा निवासी (बेंगलोर) आराधना भुवन सुशोभित हैं । यहाँ श्री आदिनाथ ग्रुप, श्री वर्धमान संस्कृति धाम, श्री बाल - समूह सामायिक मंडल एवं नियमित आयंबिल खाता चालु हैं । वि. सं. २०५५ में आ. श्री विजय राजेन्द्रसूरीश्वर म. की निश्रा में प्रतिष्ठा की संभावना हैं। For Private and Personal Use Only Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २९५ कल्याण (पश्चिम) (४५१) . श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवान गृह मन्दिर मूकेश मेन्शन, पहला माला, मोहम्मद अली चौक, स्टेशन रोड, कल्याण (प.) जि. थाणा महाराष्ट्र - ४२१ २०१. टे.फो. ९११-३१६८६९ - धरमचंदजी ताराजी, ९११-३२३५५६ मोतीजी नरसाजी विशेष :- श्री राजस्थान जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर की सर्व प्रथम स्थापना - प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय मोहन-प्रताप के पट्टधर परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की शुभ प्रेरणा से वि.सं. २०२७ का जेठ सुदि १४ को हुई थी। यहाँ पुनः प्रतिष्ठा परम पूज्य आत्म-वल्लभ समुदाय के आचार्य श्री विजय इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. श्री विजय रत्नाकरसूरीश्वरजी म.सा. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५४ का माह सुदि-१०, शुक्रवार, तारीख ६-२-९८ को खूब ठाठमाठ से हुई थी। यहाँ चेम्बुर तीर्थ से प्राप्त मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी तथा आजू बाजू मे श्री वासुपूज्य स्वामी, एवं श्री पार्श्वनाथ प्रभु की ३ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। दूसरी तरफ श्री शान्तिनाथ प्रभु की पाषाण की १ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्ध चक्रजी-२, अष्टमंगल-१, यंत्र-१ सुशोभित हैं। (४५२) श्री नमिनाथ भगवान गृह मन्दिर त्रिमूर्ति बिल्डिंग पहला माला, शिवाजी रोड, कल्याण. जि. थाणा,महाराष्ट्र. टे.फो. ९११-३१६५१९ राजुभाई (राजेन्द्र पी. शाह) विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री मुरबाड जैन संघ हैं। यहाँ सर्व प्रथम परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य प्रेरणा से चल प्रतिष्ठा वि.सं. २०३३ का आषाढ सुदि ११ को हुई थी। यहाँ चेम्बुर तीर्थ से प्राप्त श्री मूलनायक श्री नमिनाथ प्रभु के साथ, श्री महावीर स्वामी, श्री मुनिसुव्रत स्वामी एवं श्री आदिनाथ दादा की पाषाण की ४ प्रतिमाजी, पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-५ बिराजमान हैं। परम पूज्य आ. श्री विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य श्री मुक्तिचन्द्र- सूरीश्वरजी म. के शिष्यरत्न आ. श्री विजय अमरगुप्तसूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा से स्व. शा. रसिकलाल रुपचन्द मुरबाडवाला और स्व. शा. बाबुलाल गोकुलदास मंचरवाला जैन आराधना भवन के नामकरण की विधि आ. For Private and Personal Use Only Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २९६ मुंबई के जैन मन्दिर श्री विजय विचक्षणसूरीश्वरजी म. और मुरबाड रत्न मुनिराज श्री भुवनरत्नविजयजी म. आदि ठाणा की शुभ निश्रा में मुंबई निवासी धर्मप्रेमी श्रेष्ठिरत्न श्री जवाहरलाल मोतीचन्द शाह के कर कमलो द्वारा वि.सं. २०४८ का माह सुदि १३, रविवार, ता. १६-२-९२ को हुई थी। (४५३) श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय लब्धि नगर, महावीर शोपींग सेन्टर, आगरा रोड, शिवाजी चौक, कल्याण (पश्चिम), जि. थाणा, महाराष्ट्र. टे.फो. ९११-३१८३२४, ३१९७८१, ३१५४९२-३१७६८० - पुखराजजी विशेष :- श्री राजस्थान श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ - कल्याण द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस भव्य शिखरबंदी जिनालय बनवाने की शुभ प्रेरणा परम पूज्य आ. श्री विजय कीर्तिचंद्रसूरीश्वरजी म. साहेबने की थी। मन्दिरजी का निर्माण होने पर आचार्य श्री विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. के समुदाय के पूज्य मुनिराज श्री पुण्योदयविजयजी म. की पावन निश्रा में प्रतिमाजी का प्रवेश ता. २१-२-९४ को हुआ, इस समय मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी तथा आजू बाजू में श्री पार्श्वनाथ व वासुपूज्य स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी मेहमान रुप में बिराजमान की गई थी। जिनालय की प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. श्री आत्म-वल्लभ-समुद्र समुदाय के आ. श्री विजय इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. श्री विजय रत्नाकरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५४ का माह सुदि १०, शुक्रवार, तारीख ६-२-९८ को भव्य अंजन शलाका के साथ हुई थी। प्रतिष्ठा होने के बाद मूल गंभारे में ३ प्रतिमाजी के साथ कुल ९ प्रतिमाजी आरस की और एक बड़ी प्रतिमाजी पंचधातु की स्थापित की गई। साथ आरस की ३ मंगलमूर्ति की भी स्थापना की गई थी। इस वक्त जिनालय में पाषाण के १२ प्रतिमाजी, पंचधातु की एक बड़ी प्रतिमाजी, ५ छोटी प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी/२, अष्टमंगल-१ के अलावा यक्ष-यक्षिणी, प्रासाददेवी तथा नाकोड़ा भैरव व श्री मणिभद्रवीर की प्रतिमाजी भी बिराजमान हैं। (४५४) श्री नमिनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय महावीर प्रभु चौक, बजार पेठ, कल्याण (प.) जि. थाणा, महाराष्ट्र टे.फो. ऑ. ९११-३१९२६९, ९११-३११४३१ - लादमलजी For Private and Personal Use Only Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २९७ विशेष :- कल्याण शहर का यह सबसे प्राचीन मन्दिर हैं। शासन सम्राट् आ. श्री विजय नेमिसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री विजय लावण्यसूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. श्री विजय दक्षसूरीश्वरजी म. आदि मुनि मण्डल की पावन निश्रा में इस मन्दिर की प्रतिष्ठा वि.सं. २०११ का माह सुदि १०, बुधवार को हुई थी। सबसे नीचे ग्राउन्ड फ्लोर पर गंभारे में श्री सिद्धचक्रजी का पट आरस पर रचाया गया हैं, साथ में श्रीपाल राजा एवं श्री मयणासुंदरी की प्रतिमाजी बिराजमान होने के अलावा प्रथम एवं दूसरी मंजिल पर अनेक तीर्थ पटो का निर्माण कार्य तथा आरस पर रचाये गये ऐतिहासिक धार्मिक दृश्य मन्दिरजी की शोभा में वृद्धि कर रहे हैं। यहाँ के जिनालय में प्रथम मंजिल पर मूलनायक श्री नमिनाथजी तथा आजू बाजू में श्री महावीर स्वामी व मुनिसुव्रत स्वामी तथा दूसरी मंजिल पर श्री पार्श्वनाथ प्रभु की १ प्रतिमाजी तथा पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, कमल के फुल पर ४ प्रतिमाजी, ४ सिद्धचक्रजी, अष्टमंगल२ बिराजमान हैं । २६ जनवरी १९९१ को अंजनशलाका किये हुए पार्श्वयक्ष - पद्मावती देवी की प्रतिमाजी भी शोभायमान हैं। मन्दिरजी के सामने ही दो मंजिल का भव्य आराधना भवन हैं । जो आचार्य भगवंत विजय नेमिसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य श्री लावण्यसूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. श्री दक्षसूरीश्वरजी म., मुनिराज श्री प्रभाकरविजयजी म. की शुभ प्रेरणा से निर्मित हुआ था। जिसकी नामकरण विधि शा. लालचन्दजी साकलचन्दजी पोरवाड डोरडा (राज.) जैन आराधना भवन, वि.सं. २०४९ का फागुण सुदि ६, शनिवार, ता. २१-२-९३ को हुई थी। यहाँ के विभाग में श्री नमिनाथ जैन युवक मण्डल, राजस्थान महिला मण्डल, आदिनाथ महिला मण्डल, पार्श्वनाथ महिला मण्डल, चन्दनबाला महिला मण्डल, प्रभावक महिला मण्डल, झालावाड महिला मण्डल, महावीर मण्डल, त्रिशला बालिका महिला मण्डल, अमीझरणा भक्ति मण्डल, महाराष्ट्र जैन संस्कार महिला मण्डल आदि भक्तिभाव में अग्रसर है। नाकोड़ा भवन :- श्री नाकोड़ा भैरव के भवन का निर्माण एवं संचालन श्री राजस्थान जैन समाज द्वारा हो रहा हैं। अण्डर ग्राउण्ड पर मेन रोड की ओर पानी की प्याऊ हैं। यहाँ भैरव की भक्ति प्रति रविवार को होती हैं, वहाँ भैरवजी की तस्वीर अति आकर्षक लग रही हैं । वाचनालय एवं उपर कबुतरो के दाना--पानी के लिये विशेष व्यवस्था रखी गयी हैं। जिसका ८-१२-९४ को श्रीमानजी रघुनाथजी केडिया हस्तक उद्घाटन हुआ था। पत्ता :- गोलादेवी चौक, बर्तन बाजार, कल्याण (प.) महाराष्ट्र. (४५५) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर काला तालाब, पद्मावती जैन सोसायटी, पहली मंजील, मकबरा रोड, For Private and Personal Use Only Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २९८ मुंबई के जैन मन्दिर कल्याण (प.) जि. थाणा, (महाराष्ट्र) टे.फो. ९११-३१९४१२ - प्रकाशजी विशेष :-इस गृह मन्दिरजी का निर्माण शा. हिराचन्दजी भगवानजी फोल मुथा आहोर (राज.) निवासीने किया हैं । इनकी तरफसे ही संचालन हो रहा हैं । यहाँ मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान तथा आजू बाजू में श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान तथा सुपार्श्वनाथ भगवान की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-२ सुशोभित हैं। परम पूज्य आ. श्री राजेन्द्रसूरि समुदाय के मुनिराज श्री लेखेन्द्रविजयजी म. की शुभ निश्रा में २०४८ का मगसर सुदि-७ को प्रतिमाजी का प्रवेश हुआ था । जिनालय का पुनःनिर्माण के लिये शिलान्यास परम पूज्य मुनिराज श्री नरेन्द्रविजयजी म. की पावन निश्रामें ता. १-२-९५ को हुआ था। यहाँ प्रत्येक कार्तिक सुदि पूर्णिमा और चैत्र सुदि पूर्णिमा को मेला होता हैं। (४५६) श्री वासुपूज्यस्वामी भगवान गृह मन्दिर __सलश नगर सोसायटी कम्पाउण्ड में, ग्राउन्ड फ्लोर, आदरवाडी, जेल रोड, कल्याण (प.) जि. थाणा (महाराष्ट्र) टे.फो. ९११-३१७५३९ - किशोरभाई, ५१२ ३१ १२ - मावजी वेलजी विशेष :- अंचलगच्छाधिपति परम पूज्य आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५०, ता. २३-९४ को चलप्रतिष्ठा हुई थी। सेठ श्री मावजीभाई वेलजीभाई शाहने इस जिनालय का निर्माण स्वद्रव्य से कराया हैं । यहाँ पाषाण की १ प्रतिमाजी, पंच धातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-२ सुशोभित हैं । यहाँ उपाश्रय, सामायिक मण्डल, श्री वासुपूज्य गुण महिला मण्डल की व्यवस्था हैं। कल्याण (पूर्व) (४५७) श्री महावीरस्वामी भगवान गृह मन्दिर श्री राम कुटीर, पार्ट-१, प्रभु राम नगर, नाना पावशे चौक, कोलसा वाडी, कल्याण (पूर्व), जिला-थाणा, (महाराष्ट्र) टे.फो. ९११-३१०३०८, ३१४६६७, ३१४६६८ - नानजी देराज विशेष :- श्री कच्छी विसा ओसवाल अंचलगच्छ जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा वि.सं. २०४६ का फागुण सुदि ३, ता. २७-२-८९ को हुई थी। उस For Private and Personal Use Only Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर समय परम पूज्य आचार्य श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. की आज्ञावर्ती साध्वीजी श्री जगतश्रीजी की शिष्या निरंजन श्रीजी की शिष्या रत्नयशाश्रीजी उपस्थित थे । (४५८) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यहाँ मूलनायक श्री महावीर स्वामी तथा आजू बाजू में श्री पार्श्वनाथ तथा सुपार्श्वनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी- ३ एवं अष्टमंगल १ बिराजमान है । यहाँ श्री आर्यरक्षित जैन नवयुवक मण्डल, श्री महावीर जिन महिला मण्डल की व्यवस्था हैं । (४५९) श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवान गृह मन्दिर निम्मीबाग, श्रद्धा होटेल के उपर, तीस गाँव रोड, कोलसे वाडी, कल्याण (पूर्व), जि. थाणा, महाराष्ट्र. टे. फो. ९११-३१७४७८ - मोहनजी विशेष :- इस जिनालय के संस्थापक एवं संचालक श्री राजस्थान जैन संघ कोलसे वाडी कल्याण (पूर्व) हैं। यहाँ के जिनालय की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. श्री दर्शनसागरसूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. श्री नित्योदयसागरसूरीश्वरजी म. एवं पन्यासजी श्री चन्द्राननसागरजी म. की पावन निश्रामें वि.सं. २०४७ का जेठ सुदि ११, तारीख २२-६-९१ को हुई थी । यहाँ मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी तथा आजू बाजू में श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ तथा श्री वासुपूज्य स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३ एवं अष्टमंगल- १ बिराजमान है। 1 ❀ ❀ ❀ कल्याण के आगे विठ्ठलवाडी से कर्जत तक विठ्ठलवाडी श्री संभवनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय भानुशाली नगर, श्री राम टॉकीज के पीछे, गाँव- खडे गोलवडी स्टेशन, विठ्ठलवाडी (पूर्व), जि. थाणा, महाराष्ट्र टे. फो. अश्विनभाई - ५६०५८२६, ९११-३३८७९९ - प्रफुल्लभाई विशेष :श्री विठ्ठलवाडी अंचलगच्छ जैन संघ ट्रस्ट द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस जिनालय में परम पूज्य अंचलगच्छाधिपति स्व. आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य भगवंत श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५० का वैशाख सुदि १३ को अंजनशलाका की हुई और २०५३ का वैशाख वदि १०, शनिवार, ता. ३१-५-९७ को For Private and Personal Use Only २९९ - Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३०० मुंबई के जैन मन्दिर प्रतिष्ठा की हुई प्रतिमाजी बिराजमान हैं। यहाँ मूलनायक श्री संभवनाथ तथा आजू बाजू में श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ तथा महावीर स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-३, अष्टमंगल-१, यंत्र-१ इसके अलावा यक्ष-यक्षिणी, महाकाली वगैरह चार शासन देवी-देवता की प्रतिमाजी, आचार्य आर्यरक्षितसूरिजी, एवं आचार्य गुणसागरसूरिजी म. की प्रतिमाजी बिराजमान है। यहाँ कच्छी दशा ओसवाल जैन मित्र मण्डल तथा पाठशाला की व्यवस्था हैं। अम्बरनाथ (पश्चिम) (४६०) श्री शान्तिनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय जुना भेंडीपाडा, उडान पूल के बाजू में, अम्बरनाथ (प.) जि. थाणा, महाराष्ट्र टे.फो. ०२५१ - ५८२८१९ - वसनजीभाई विशेष :- इस जिनालय के संस्थापक एवं संचालक श्री कच्छी वीसा ओसवाल जैन संघ अम्बरनाथ (प.) हैं। परम पूज्य अंचलगच्छाधिपति आचार्य भगवन्त श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. २०४३ का कार्तिक वदि १०, बुधवार, ता. २६-११-८७ को भव्य प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री शांतिनाथ प्रभु तथा आजू बाजू में श्री आदिनाथ प्रभु एवं श्री शीतलनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की चऊमुखी ४, दूसरी-३, सिद्धचक्रजी२, अष्टमंगल-३, वीसस्थानक-१ तथा यक्ष-यक्षिणी- बिराजमान हैं। श्री आर्यरक्षित सूरिजी, श्री कल्याणसागरसूरिजी की प्रतिमाजी के अलावा श्री पावापुरी तीर्थ, शत्रुजय तीर्थ, गिरनार तीर्थ, श्री शंखेश्वर तीर्थ, श्री सम्मेतशिखरजी, श्री आबूजी आदि तीर्थो की एवं त्रिशलादेवी माता के १४ स्वप्न की तस्वीर की कांच की कारिगरी से दिवारे सुशोभित हैं। शाह दामजी कुंवरजी और भवानजी कानजी गाला गाम डोणवाला वासुपूज्य धाम । दूसरी मंजिल पर श्री क.वी. ओसवाल जैन संघ संचालित श्री शान्तिनाथ आराधना हॉल, साधना भवन, स्वाध्याय मन्दिर तथा अध्याय खण्ड - उपाश्रय के अलावा श्री गुणसागरसूरि ज्ञान वाटिका पाठशाला, आदि जिन गुण महिला मण्डल, जैन युथ सर्कल की व्यवस्था हैं। पहले माले पर गंभारे के पीछे के भाग में मातुश्री लक्ष्मीबाई तथा श्री लालजी जीवराज गोचर गाम कच्छ नरेडी वालोने सिद्धायतन का लाभ लिया हैं। For Private and Personal Use Only Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३०१ (४६१) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर निमको नाका, खुंटव, अम्बरनाथ (प.) जि. थाणा, महाराष्ट्र टे.फो. C/o. ०२५१-५८२१५४ घीसूलालजी, ०२५१ - ५८३४९८ काऊलालजी विशेष :- श्री राजस्थान श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिरजी की प्रथम स्थापना परम पूज्य आ. श्री दक्षसूरिजी म. की प्रेरणा से वि.सं. २०३६ का वैशाख सुदि ११ को हुई थी। पुनः स्थापना वि.सं. २०५० का माह सुदि १० को हुई थी। ___ यहाँ मूलनायक श्री शान्तिनाथ प्रभु की पाषाण की एक प्रतिमाजी, पंचधातु की-२ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-१, सुशोभित है। भारुन्दा (राज.) निवासी स्व. चन्दनमलजी प्रतापजी की धर्मपत्नी स्व. प्यारीबाई माताजी की स्मृति में उनके बेटो-पोतो की तरफ से श्री संघ को भेट वि.सं. २०४९ का श्रावण वदि ११, सोमवार, ता. २४-९-१९९२ को । नामकरण :- चन्दन ज्ञान आराधना भवन. अम्बरनाथ (पूर्व) (४६२) श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवान गृहमन्दिर रेल्वे स्टेशन के नजदीक, सूर्योदय हाऊसींग सोसायटी, अम्बरनाथ (पूर्व), जि. थाणा, महाराष्ट्र टे.फो. ०२५१ - ५८२४९० नरेन्द्रजी जवेरचंदजी, ०२५१-५८३६१४ आर.टी. ज्वेलर्स विशेष :- इस जिनालय के संस्थापक एवं संचालक श्री राजस्थान जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ अम्बरनाथ (पूर्व) है। परम पूज्य शासन सम्राट् आचार्य श्री नेमिसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री लावण्यसूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. श्री दक्षसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वीर संवत २५१०, वि.सं. २०४० का चैत्र वदि ५, ता. २०-४-८४ को भव्य प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी तथा आजू बाजू में श्री धर्मनाथजी व श्री शांतिनाथजी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की-५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-२, अष्टमंगल-१ सुशोभित हैं। जिनालय के सामने ही श्री रांका जैन आराधना भवन का निर्माण आचार्य भगवंत विजय दक्षसूरीश्वरजी म. के शिष्य श्री प्रभाकरविजयजी म. की शुभ प्रेरणा से पोमावा (राज.) निवासी बेटापोता शा. रायचन्दजी मोतीजी रांका परिवार की तरफ से वि.सं. २०४४ सन १९८८ में हुआ हैं। For Private and Personal Use Only Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३०२ मुंबई के जैन मन्दिर ___ इसी भवन के उपरी मंजील पर मुथा बाबुलालजी जेठाजी रामसीणा कागमाला वालो का नामकरण हुआ हैं । जिनालय की कायमी ध्वजा का लाभ शा जवेरचन्दजी लखमाजी कुन्दनपुर (कागमाला) वालोने लिया हैं। बदलापुर (पश्चिम) (४६३) श्री पार्श्वनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय कुलगाँव, मेन बाजार, बदलापुर रेल्वे स्टेशन, बदलापुर (प.) जि. थाणा (महाराष्ट्र) टे.फो. ०२५१ - ६९२८८२ - पुखराजजी भंडारी, ०२५१-६९१८२४-प्रवीणजी ०२५१ - ६९०४५१ - दिलीपजी बाफना विशेष :- श्री पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित यहाँ के गृहमन्दिर की चलप्रतिष्ठा परम पूज्य मुनिराज श्री यशोभद्रविजयजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०२५ का पोष वदि १ को हुई थी। यहाँ मलाड में अंजनशलाका की हुई प्रतिमाजी बिराजमान हैं। यहाँ मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान तथा आजू बाजू में श्री शांतिनाथ भगवान तथा मल्लिनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-३, अष्टमंगल-१ सुशोभित है। यहाँ के संघ की तरफ से शिखरबंदी जिनालय का निर्माणकार्य चालु हैं, जिसका खातु मुहूर्त - शिलारोपण आचार्य श्री दक्षसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में ता. ११-६-८६ को हुआ था। यहाँ उपाश्रय, जैन पाठशाला की व्यवस्था है। (४६४) श्री महावीरस्वामी भगवान गृह मन्दिर मोनोग्राम के बाजू में, हेद्रेपाडा, तालुका - उल्हास नगर, पोष्ट - कुलगाँव, स्टे. बदलापुर, जि. थाणा महाराष्ट्र टे.फो. ०२५१-६९०९२५, (ओ.) ६९०७९५, ६९०१३३ (घर) : अमृतलालजी विशेष :- सांडेराव (राज.) निवासी श्री देवीचन्दजी रातडीया महेता के सुपुत्र श्री कपुरचन्दजी, श्री गणेशमलजी, श्री हिराचन्दजी की तरफ से सर्व प्रथम वि.सं. २०२२ का फागुण सुदि ३ को परम पूज्य शासन सम्राट आ. श्री नेमिसूरीश्वरजी म. के समुदाय के मुनिराज श्री सुशीलविजयजी म. की पावन निश्रा में चल प्रतिष्ठा हुई थी। पुन: प्रतिष्ठा वि.सं. २०४४ का फागुण सुदि ३ को परम पूज्य आ. विजय For Private and Personal Use Only Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३०३ दक्षसूरीश्वरजी म. एवं पन्यासजी श्री प्रभाकरविजयजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में स्व. श्री हुलासीबाई हिराचन्दजी की अभिलाषा पूर्ण करने के लिये पानीबाई गणेशमलजी रातडीया महेता परिवार सांडेराव (राज.) वालो की तरफ से धामधूम से हुई थी। ___ यहाँ मूलनायक श्री महावीर स्वामी और आजू बाजू में श्री आदीश्वर भगवान एवं श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-२, इसके अलावा मातंग यक्ष, सिद्धायिका देवी, श्री नाकोड़ा भैरुजी, श्री मणिभद्रवीर तथा पावापुरी शोकेस सुशोभित हैं। मन्दिरजी के बाजू के कमरे में उपाश्रय की व्यवस्था हैं। नेरल (४६५) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर महावीर चौक, पोष्ट नेरलगाँव, स्टेशन : नेरल जंक्शन (पूर्व) जि. रायगड, महाराष्ट्र टे.फो. ०२१४८-२८६३६ - गणेशमलजी, ०२१४८-२८७१७ - सरेमलजी विशेष :- श्री जैन श्वेताम्बर संघ - नेरल (रायगड) द्वारा नवनिर्मित श्री मुनिसुव्रत स्वामी जिन मन्दिर की प्रतिष्ठा श्रीमद् राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म. के आज्ञानुवर्ति पूज्य मुनिराज श्री लक्ष्मणविजयजी के शिष्यो की पावन निश्रा में वि.सं. २०४६ का वैशाख सुदि १२, बुधवार, ता. १७-५-८९ को सम्पन्न हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी तथा आजू बाजू में श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ तथा श्री गोडी पार्श्वनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की-२, सिद्धचक्रजी-१, अष्टमंगल-१ तथा पार्श्व यक्ष, पद्मावती, वरुणदेव, श्री नरदत्तादेवी तथा श्री मणिभद्र वीर एवं श्री नाकोड़ा भैरुजी की प्रतिमाजी बिराजमान हैं । यहाँ उपाश्रय एवं श्री मुनिसुव्रत स्वामी जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। यहाँ श्री मुनिसुव्रत स्वामी सेवा मण्डल, श्री नाकोड़ा भैरव सेवा मण्डल, भारतीय जैन संघटना, महिला सामायिक मण्डल, शाकाहार सदाचार परिषद्, जैन झुणका-भाकर केन्द्र की व्यवस्था हैं। यहाँ सर्व प्रथम पन्यास प्रवर श्रीमद् कुलचन्द्रविजयजी म. के शिष्यरत्न मुनिराज श्री प्रशान्तविजयजी म. का चातुर्मास वि.सं. २०५२ में हुआ था। विशेष :- यहाँ पधारने वाले भाईयो के लिये, माथेरान हील स्टेशन के तलेटी में यह गाँव बसा हुआ हैं। माथेरान पधारनेवाले यहाँ के जिनालय के दर्शन के लिये अवश्य पधारे। For Private and Personal Use Only Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३०४ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर कर्जत (४६६) श्री नमिनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय महावीर पेठ, गाँव- पोष्ट कर्जत, जिला - रायगड, स्टेशन कर्जत- ४१०२०१ ( महाराष्ट्र ) टेलिफोन : S. T.D. ०२१४८- २२०४५ - शांतिलालजी परमार विशेष :- करजत जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ ट्रस्ट द्वारा यहाँ सर्व प्रथम शान्तिनाथ भगवान मूलनायक रुप से गृहमन्दिर में बिराजमान थे । उसके बाद मूलनायक के रुप से श्री नमिनाथ प्रभु बिराजमान किये गये । परम पूज्य आ. श्री नेमिसूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. श्री विज्ञानसूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. श्री विजय कस्तूरसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०१३ का चैत्र सुदि १३ को भगवान को मेहमान के रुप में स्थापित किये गये । उसके बाद ४१" की भव्य प्रतिमाजी श्री नमिनाथ प्रभु की तथा ४ अन्य प्रतिमाजी कदंब गिरि तीर्थ से अहमदाबाद लाकर आचार्य भगवंत श्री विजय यशोभद्रसूरीश्वरजी म. से अंजन शलाका करवा कर शुभ मुहूर्त में कर्जत लाकर मेहमान के रुप में स्थापित किये गये । जिसे लगभग १५ - १६ वर्ष हो गये हैं। अनेक आचार्य भगवन्त, मुनि भगवंतो का आगमन हुआ, फिर भी जिनालय बन न पाया, किन्तु वि. सं. २०५१ की साल में मुनिराज श्री पुण्यविजयजी म. के चातुर्मास के योग से शिखरबंदी जिनालय बनवाने की संघ में जागृति आई एवं काम का श्री गणेश भी हो गया । मंजील के भव्य उपासरे में प्रथम माले के वर्तमान गृह जिनालय में पाषाण की ८ प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी- ३, अष्टमंगल- १ बिराजमान हैं। दिवारो पर कई तीर्थ दर्शनीय हैं। यहाँ आयंबिल शाला, जैन पाठशाला, श्री दिव्य शान्ति महिला मण्डल, श्री नमि शान्ति महिला मण्डल, अहिंसा युवक संघटना आदि संस्थाएँ संघ में अग्रसर हैं । नूतन जिनालय में नीचे मूलनायक श्री नमिनाथ के साथ श्री शान्तिनाथ प्रभु, श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री पार्श्वनाथ एवं श्री अजितनाथ प्रभु की ५ प्रतिमाजी पाषाण की तथा उपर श्री शान्तिनाथ प्रभु मूलनायक श्री अजितनाथ प्रभु एवं श्री मुनिसुव्रत स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी बिराजमान होंगे। For Private and Personal Use Only शहाड (४६७) श्री आदिनाथ भगवान गृह मन्दिर मुरबाड रोड, ब्रीज के नीचे, रेल्वे स्टेशनके बाजू में, शहाड (प), जि. थाणा (महाराष्ट्र). टे. फो. ९११ - ५४६२१८ ऑ. ५४७७३३ घर - शशिकांतभाई, पंकजभाई विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्रेष्ठिवर्य श्री मोहनभाई देवजी देढिया Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org (४६८) मुंबई के जैन मन्दिर हैं। उनके सुपुत्र श्री शशिकान्तभाई मन्दिरजी की विशेष देखरेख कर रहे हैं । यहाँ पाषाण की ३ प्रतिमाजी मूलनायक श्री आदिनाथ प्रभु और आजू बाजू में श्री पार्श्वनाथ एवं श्री संभवनाथ प्रभु तथा पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ के अलावा श्री चक्रेश्वरी देवी, महाकाली, यक्षयक्षिणी तथा पद्मावती देवी सुशोभित हैं । परम पूज्य अंचलगच्छाधिपति आचार्य श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के शिष्यरत्न साहित्य प्रेमी आचार्य श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में ता. २७-५-१९८६ को स्थापना हुई थी । सर्व प्रथम इस गृहमन्दिर की स्थापना टेरेस में सन् १९७६ में हुई थी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आम्बीवली (मोहनागाँव) श्री सुमतिनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय बजार पेठ, मोहनागाँव, स्टेशन अम्बीवली जि. थाणा, महाराष्ट्र टे. फो. ०२५१-५४३५७४ - बिपिनभाई. ३०५ विशेष :- मोहना कच्छी वीशा ओसवाल श्वेताम्बर अंचलगच्छ जैन संघ द्वारा निर्मित एवं संचालित इस जिनालय के प्लोट दाता श्रीमती मणीबाई सुन्दरजी धनजी परिवार (बाडावाला) हैं। आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में खनन मुहूर्त २०४६ का माह सुदि ८, ता. ५-२९०, तथा शिलान्यास २०४६ का माह सुदि ११, ता. ५-२-९० को हुआ था । गर्भगृह के निर्माण दाता स्व. शा. खीमजी धारशी पटेल परिवार कोटडा तथा रंग मंडप के दाता परम पूज्य तपस्वी गुणोदयसागरसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से शा. मणशी शीवजी अ. सौ. सुन्दरबेन मणशी शाह सह परिवार कोटडा रोहाना वाले हैं । परम पूज्य अंचलगच्छाधिपति आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. आदि विशाल साधुसाध्वीजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०५० का माह सुदि १४, शुक्रवार को भव्य प्रतिष्ठा हुई थी, कायमी ध्वजा का चढ़ावा श्रीमती लधिबाई कानजी रवजी खोता देवपुरवालोने लिया था । For Private and Personal Use Only यहाँ मूलनायक श्री सुमतिनाथ तथा आजू बाजू में श्री संभवनाथ एवं श्री अभिनन्दन स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्र - २, वीसस्थानक - १, तुंबुरु यक्ष, महाकाली यक्षिणी, पद्मावती देवी, चक्रेश्वरी देवी, श्री गौतम स्वामी एवं आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. की प्रतिमाजी सुशोभित हैं। श्री गिरनार, श्री भद्रेश्वर तीर्थ, श्री शत्रुंजय, श्री सम्मेतशिखरजी, श्री आबु - देलवाडा एवं अनेक ऐतिहासिक चित्रो से रंग मंडप की दिवारे दर्शनीय है । यहाँ उपासरा, जैन कन्याशाला एवं महिला मण्डल की भी व्यवस्था है 1 Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३०६ मुंबई के जैन मन्दिर %3 (४६९) श्री अजितनाथ भगवान गृह मन्दिर मोहनागाँव, बजार पेठ, (स्टे.) आंबीवली. जि. थाणा, महाराष्ट्र टे.फो. ०२५१-५५३४६०/७० चन्दनमलजी, ०२५१-५४६४१४-प्रकाशजी विशेष :- मोहना नगर में श्री अजितनाथ भगवान का जिनप्रासाद एवं आ. श्री राजेन्द्रसूरि म. का गुरु मन्दिर का निर्माण आहोर (राज.) निवासी शा. पुखराजजी भगवानजी परिवार की तरफ से बनवाकर श्री राजस्थान जैन सकल संघ मोहना को समर्पित किया हैं । परम पूज्य आचार्य श्रीमद् राजेन्द्रसूरि समुदाय के आ. श्री हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म. के आज्ञानुवर्ति मुनिराज की पावन निश्रा में वि.सं. २०४५, माह सुदि १२, ता. १७-२-१९८९, शुक्रवार को मूलनायक श्री अजितनाथ प्रभु एवं श्री राजेन्द्र गुरु प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई थी। इस जिनालय में श्री अजितनाथ प्रभु मूलनायक तथा श्री चन्द्रप्रभ स्वामी एवं श्री आदिनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-१, अष्टमंगल-१, यक्ष-यक्षिणी तथा नाकोड़ा भैरुजी व श्री मणिभद्रवीर की प्रतिमाजी बिराजमान है। नीचे के गुरु मन्दिर में आ. विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. की एक प्रतिमाजी सुशोभित है तथा दिवारो के चारो ओर आचार्य राजेन्द्रसूरि महाराज म. के जीवन चरित्र के अनेक चित्र दर्शनीय हैं । मन्दिरजी का बाजूवाला हॉल शा. पुखराजजी भगवानजी की पुण्यस्मृति में शा. भंवरलालजी हुकमीचंदजी परिवारजनो आहोर (राज.) निवासीने बनवाकर श्री राजस्थान जैन संघ को ता. १७-२-८९ शुक्रवार को समर्पित किया था। यहाँ भी श्री अजितनाथ प्रभु मूलनायक तथा श्री चंद्रप्रभ स्वामी, श्री आदिनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की १ प्रतिमाजी तथा सिद्धचक्रजी-१ बिराजमान है। यहाँ राजेन्द्र जैन नवयुवक मण्डल, उपाश्रय तथा राजेन्द्र गुरु सप्तमी समिति की व्यवस्था है। विशेषता : यहाँ आ. श्री राजेन्द्रसूरि म. का जन्म व पुण्यतिथि यानी गुरु सप्तमी पोष सुदि ७ को प्रतिवर्ष भव्य मेला होता है। लगभग १०-१५ हजार तक यात्रियों का आवागमन रहता है। (४७०) आसनगाँव (शाहपुर) श्री गोडी पार्श्वनाथ भगवान भव्य त्रिशिखरी जिनालय जैन मन्दिर रोड, पोष्ट-शाहपुर, स्टेशन - आसनगाँव, For Private and Personal Use Only Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३०७ जिला-थाणा, महाराष्ट्र. टे.फो. ०२५२७-५२१३३ - मदनभाई शाह, ०२५२७-५२६२१ - प्रविणभाई शाह विशेष :- इस भव्य जिनालय की सर्व प्रथम प्रतिष्ठा वि.सं. १९७५ का वैशाख सुदि ६ को हुई थी। यहाँ के मूल गंभारे में श्री गोडीजी पार्श्वनाथ, श्री शान्तिनाथ एवं आदिनाथ प्रभु के अलावा जिनालय में कुल आरस की १२ प्रतिमाजी, पंचधातु की-१० प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-८ एवं अष्टमंगल-१० सुशोभित है। गिरनारजी, सिद्धाचलजी के कांच के पट, अलावा श्री महावीर भगवान एवं श्री पार्श्वप्रभु के जीवन के ऐतिहासिक चित्र भी दर्शनीय हैं। वि.सं. २०१४ में मुनिराज श्री मुक्तिचंद्रविजयजी म. की पावन निश्रा में सेठ पोपटलाल हकमाजी की तरफ से श्री नमिनाथ प्रभु की स्थापना हुई थी। वि.सं. २०१६ में आ. श्री विजयलब्धिसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में शा. अमृतलाल स्वरुपचन्दजी की तरफ से श्री जीरावला पार्श्वनाथ प्रभु की स्थापना हुई थी। वि.सं. २०३७ का मगसर सुदि ९, मंगलवार, ता. १६-१२-८० को परम पूज्य सिद्ध न्ति महोदधि आ. श्री प्रेमसूरीश्वरजी म. के शिष्यरत्न पन्यासजी श्री चंद्रशेखरविजयजी म. की पावन निश्रा में श्री महावीर स्वामी की प्रतिमाजी, तथा दूसरी तरफ देहरी में श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री महावीर स्वामी, श्री सुविधिनाथ प्रभु तथा उपर के शिखर में श्री ऋषभदेव भगवान, श्री केसरियाजी एवं श्री नेमिनाथ प्रभु की प्रतिष्ठा हुई थी। वि.सं. २०४३ का चैत्र सुदि १३, रविवार, तारीख १२-४-८७ को 'मन्दिरजी के सामने श्री कंचन-कांति - राज - मुक्ति आराधना मंदिर की स्थापना हुई थी। यहाँ एलर्ट यंग ग्रुप शाहपुर, स्नात्र सामायिक मण्डल भक्ति भावना में अग्रसर हैं। (४७१) श्री महावीर स्वामी भगवान चौमुखी शिखरबंदी जिनालय शाहपुर, स्टे. आसनगाँव. (जि.) थाणा, महाराष्ट्र. टे.फो. ऑ. ९११-३१४१८२, घर : ३१४२९७, ३२६५२३ - महेन्द्रभाई विशेष :- श्री चन्दनवाडी श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन ट्रस्ट द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस जिनालय का खनन मुहूर्त २०५२ का जेठ सुदि ९, सोमवार, तारीख २७-५-९६ को एवं शिलान्यास संवत् २०५२ का जेठ सुदि १२, गुरुवार, ता. ३०-५-९६ को परम पूज्य पन्यास श्री अभ्युदयसागरजी म.सा. के शिष्य रत्न प.पू. मुनिराज श्री मुक्तिरत्नसागरजी म.सा. आदि मुनि भगवंतों, साध्वीजी For Private and Personal Use Only Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३०८ मुंबई के जैन मन्दिर भगवंतो की निश्रा में हुआ था । परम पूज्य प्रेम- -भुवन भानुसूरीश्वरजी समुदाय के आ. विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो तथा मुनिराज श्री विश्वकल्याणविजयजी म. सा. आदि गुरुदेवो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५४ का माह सुदि १३, सोमवार, ता. ९-९-९८ को प्रतिष्ठा हुई थी । www.kobatirth.org (४७२) यहाँ मूलनायक श्री महावीर स्वामी भगवान, श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री सीमंधर स्वामी, श्री वासुपूज्य स्वामी की चऊमुखी पाषाण की ४ प्रतिमाजी के अलावा पीछे की ओर श्री महावीर स्वामी, श्री गौतम स्वामी सुशोभित है। पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, वीस स्थानक - १, अष्टमंगल - १ तथा रंगमंडप में श्री मणिभद्रवीर, श्री पद्मावती माता बिराजमान हैं। यहाँ भुवन भानु आराधना भवन की व्यवस्था हैं । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४७३) श्री महावीरस्वामी भगवान गृह मन्दिर आग्रा रोड, दीपमोती बिल्डिंग, पहला माला, पोष्ट - - शाहपुर, स्टे. आसनगाँव, जि. थाणा (महाराष्ट्र). टे. फो. ०२५२७-५२०२६, ५२५२६ - कांतिलाल गाँधी विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक सेठ श्री कांतिलाल दीपचन्द गाँधी परिवार वालो की ओर से वि.सं. २०३० का आसौ वदि ३, शनिवार, ता. २ - ११-७४ को पूज्य आ. श्री विजय प्रेम-रामचन्द्र सूरि समुदाय के पूज्य मुनिराज श्री अमरगुप्तविजयजी म. ( हाल अमरगुप्तसूरि ) की पावन निश्रामें चल प्रतिष्ठा हुई थी । यहाँ पंचधातु की परिकर के साथ एक प्रतिमाजी श्री महावीर स्वामी की, सिद्धचक्रजी-१, विसस्थानक - १, एवं अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं । श्री आदीश्वर भगवान शत्रुंजय तीर्थ की स्थापना शाहपुर, स्टे. आसनगाँव. जिला - थाणा, ( महाराष्ट्र ). टे. फो. २०८९९६२, २०६८३१९ (ऑ.) ९१३ - ५५३७९ मनसुखभाई विशेष :- 'श्री भुवन भानु- मानस-‍ - मन्दिरम्' की शिला स्थापना परम पूज्य आ. भगवंत श्री भुवनभानुसूरीश्वरजी म.सा. की दिव्य कृपा से तथा आचार्य भगवंत श्री जयघोषसूरीश्वरजी म.सा. - For Private and Personal Use Only Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५४ का मगसर सुदि १४, शनिवार, ता. १३-१२-९७ को हुई थी। यहाँ की पुण्य भूमि पर शृंग के उपर शत्रुंजय तीर्थ की स्थापना और श्री आदीश्वर दादा की प्रतिमाजी मूलनायक रुप में बिराजमान होगी, तथा भोजनशाला, धर्मशाला का भी निर्माण होनेवाला हैं। फिलहाल यहाँ आदिनाथ भगवान की मेहमान के रुप में प्रतिमाजी बिराजमान है। यहाँ श्री आदिनाथ प्रभु की चरण पादुका की प्रतिष्ठा करने वाले सेठ श्रीमान पुखराजजी वरदीचन्दजी बांकली (राज.) वालोने लाभ लिया हैं। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नवी मुंबई (वाशी) (४७४) श्री महावीर स्वामी भगवान भव्य शिखरबद्ध जिनालय सेक्टर नं. ३A, प्लोट नं. १, बस स्टेण्ड के बाजू में, अग्निशमन केन्द्र के सामने, नवी मुंबई - वाशी - ४०० ७०३. टे. फो. ७६६६६२२ ऑफिस : ३०९ विशेष :श्री आत्म-कमल-लब्धि समुदाय के शतावधानी आ. श्री कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की मंगल प्रेरणा एवं शुभ आशीर्वाद से इस जिनालय की स्थापना हुई थी । इस जिनालय के भूमिपूजन का लाभ शाह कोरशी खेतशी परिवार वालोने, खनन विधि का लाभ शा. चंपालालजी जेठमलजी संघवी परिवार वालोने तथा मुख्य कूर्म शिला का लाभ श्री केशवजी जेठाभाई सावला गाम बाडावालोने लिया था । परम पूज्य आचार्य श्री कलापूर्णसूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा से जिनालय के मुख्य सहायक दाता रुप में श्री आधोई वीशा ओसवाल मूर्तिपूजक जैन संघ कच्छ, तथा निर्माण दाता के रुप में श्री सामखीयारी वीसा ओसवाल मूर्तिपूजक जैन संघने लाभ लिया हैं । परम पूज्य आ. श्री लब्धिसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री विजय जिनभद्रसूरीश्वरजी म., संघ के मार्गदर्शक परम पूज्य आ. श्री यशोवर्मसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५४ का मगसर सुदि ५, गुरुवार, ता. ४-१२-९७ को प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न हुआ था । मूलनायक प्रतिमाजी भराने का लाभ शा. मांगीलालजी राजेन्द्रकुमार कराडवालोने लिया हैं। 1 For Private and Personal Use Only मूल गंभारे में श्री महावीर स्वामी मूलनायक सहित पाषाण की ११ प्रतिमाजी, पंचधातु की १० प्रतिमाजी, ११ सिद्धचक्रजी, वीस स्थानक, अष्टमंगल, २ यंत्रो के अलावा श्री गौतम स्वामी, श्री सुधर्मा Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३१० मुंबई के जैन मन्दिर - स्वामी, श्री नाकोड़ा भैरवनाथ, श्री घंटाकर्ण वीर एवं यक्ष-यक्षिणी बिराजमान हैं। नीचे ग्राउण्ड फ्लोर पर श्री चक्रेश्वरी देवी, श्री पद्मावती देवी, श्री अंबिकादेवी बिराजमान हैं। यहाँ श्री लक्ष्मण कीर्ति जैन पाठशाला के दाता श्रीमती झव्हेर बहन प्रेमजी हीरजी देढिया परिवार गाम कच्छ नानी खाखर (हाल बोरीवली) वाले हैं । यहाँ आरस की खुदाई से बनाया गया शत्रुजय पट के निर्माण का लाभ श्री मावजी टोकरशी केनीया परिवार गाम कच्छ बारोई वालोने लिया हैं। यहाँ श्री नवयुवक मण्डल एवं श्री महावीर जिन महिला मंडल भक्ति भावना में अग्रसर हैं। (४७५) श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवान गृहमन्दिर सी-३९/५-२ महात्मा गाँधी हाऊसींग कॉम्पलेक्ष सेक्टर नं. १४, नवी मुम्बई, वाशी-४०० १०५. टे.फो. ७६६६५९० महेन्द्रभाई खीमजीभाई विशेष :- श्री नवी मुंबई अंचलगच्छ जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस जिनालय में प्रतिमाजी की अंजनशलाका एवं प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५१ का मगसर सुदि ७, शुक्रवार, ता. ९-१२-९४ को हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी, तथा श्री वासुपूज्य स्वामी एवं पार्श्वनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-५, अष्टमंगल-१, यंत्र-१, वरुणयक्ष, नरदत्ता यक्षिणी, गौतमस्वामी तथा आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. की प्रतिमाजी बिराजमान है । वि.सं. २०५२ का मगसर सुदि ६ को श्री चक्रेश्वरी देवी, श्री महाकाली देवी, श्री सरस्वती देवी की स्थापना हुई थी। अ.सौ. श्रीमती मधुबेन भरत रामजी सतरा (कच्छ) हः चिराग, मातुश्री कस्तूरबेन केशवजी चांदशी गोसर (गोधरा) सुपुत्रो : दिनेश, जयंति और विनोद परिवारवालोने मूलनायक प्रतिमाजी को भराने एवं प्रतिष्ठा का लाभ लिया था । मातुश्री खेतबाई देवराज मारु (हालापुर) वालोने अंचलगच्छ जैन उपाश्रय का निर्माण किया हैं। For Private and Personal Use Only Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra (४७७) www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर (४७६) श्री नाकोडा पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर प्लोट नं. ७८१ 'बी' संदीप मार्केट के सामने, ठाणा- बेलापुर रोड, शिरवणे, नवी मुंबई - ४०० ७०६. जिला - थाणा. टेलिफोन :- शान्तिलालजी - ७६७१६५०, ७६७ १२५०, गौतमभाई - ७६३१२४८, छगनभाई - ७६८५३ ७० विशेष :- श्री पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ शिरवणे (वाशी) द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर की स्थापना पंजाब केसरी वल्लभसूरीश्वरजी म. के समुदाय के परमार क्षत्रियो द्धारक आचार्य श्री विजय इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी म. एवं आ. श्री विजय जगच्चन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५३ का श्रावण वदि १२, शुक्रवार, ता. २९-८- ९७ को हुई थी । यहाँ मूलनायक श्री नाकोडा पार्श्वनाथ भगवान की श्यामवर्णीय ३१ ” की एक प्रतिमाजी, पंचधातु की एक प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी एक बिराजमान हैं । यहाँ उपाश्रय, धार्मिक पाठशाला, आयंबिल शाला वगैरह बनवाने की संघ की भावना हैं। ❀ ॐ ॐ श्री संभवनाथ भगवान गृह मन्दिर सेक्टर नं. २८, प्लोट नं. १०२, इंग्लीश हाईस्कूल के बाजू में, नवी मुंबई, वाशी - ४०० ७०५. टेलिफोन :- ७६६ ०९ ६४ विरेन्द्रभाई Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विशेष :- अचलगच्छाधिपति परम पूज्य आ. श्री गुणसागरसूरि समुदाय के आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५१ का मगसर सुदि ६, गुरुवार, ता. ८-१२-९४ को चल प्रतिष्ठा हुई थी । ३११ आप के मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद से स्वर्गीय मातुश्री जेठीबाई ओभाया वेरशी कच्छ बिदडावालो स्मृति में तथा संसार पक्षे उनकी फुईबा पार्श्वचंद्र गच्छीय पूज्य साध्वीजी तत्त्वश्रीजी म. सा, पुरबाई वेरशी वजवीर बिदडा और लाधबाई नरशी खीवंशी नागलपुरवालो की पुण्य स्मृति में इस गृह मन्दिर का निर्माण हुआ हैं । (४७८) भाया वेरशी कुरिया गाम बिदडावालो के सुपुत्रो देवचन्दभाई तथा रवीन्द्रभाई ओभाया कुरिया और संयुक्त परिवार वालो ने बनवाया । मन्दिरजी के बाहर 'जेठीबाई का देरासर' नामकरण हैं । ❀ ॐ ॐ श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृहमंदिर प्लोट नं. ५१०, सेक्टर नं. २२, तुर्भे, नवी मुंबई - वाशी - ४००७०५. टेलिफोन :- ७६८ ६८३२ - भुरजी, ७६१०२३९, ७६३३८६४ - सोहनजी विशेष :- श्री राजस्थान जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ - तुर्भे नवी मुंबई द्वारा संस्थापित एवं For Private and Personal Use Only Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३१२ मुंबई के जैन मन्दिर संचालित जिनालय की प्रतिष्ठा आत्म - वल्लभ समुद्रसूरि समुदाय के आ. श्री इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी म. के शिष्य रत्न उपाध्याय श्री वीरेन्द्रविजयजी म., मुनिराज श्री ऋषभचन्द्रविजयजी म., मुनिराज श्री इन्द्रजितविजयजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५३ का वैशाख सुदि पूर्णिमा, गुरूवार, ता. २२-५-९७ को हुई थी । www.kobatirth.org 1 यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु तथा आजू बाजू में श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री धर्मनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ८ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, वीसस्थानक - १, अष्टमंगल - १ तथा पार्श्वयक्ष पद्मावतीदेवी, श्री मणिभद्रवीर तथा नाकोडा भैरूजी बिराजमान हैं मन्दिर के नीचे उपासरा हैं । यहाँ आ. श्री इन्द्रदिन्नसूरि जैन पाठशाला, श्री पार्श्वनाथ सेवा मंडल, श्री पार्श्वनाथ जैन महिला मंडल की व्यवस्था हैं । - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४७९) श्री श्रेयांसनाथ भगवान गृह मन्दिर महावीर शोपिंग सेन्टर, सेक्टर नं. ११, बस डिपो के सामने, नेरूल, नई मुंबई - वाशी. टेलिफोन :- ७७००१ ४० दामजीभाई विशेष :- परम पूज्य लब्धि - लक्ष्मण के शिशु शतावधानी परम पूज्य आ. श्री विजय कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०४४ का जेठ वदि ५ को प्रतिष्ठा हुई थी । यहाँ पाषाण की मूलनायक श्री श्रेयांसनाथ प्रभु की प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३ सुशोभित हैं। श्रीमान सेठ श्री कोरशी खेरशी गडा इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक हैं । (४८०) गाँव सामखियाली कच्छ- वागड के सेठ दामजीभाई के सुपुत्र जिज्ञेशकुमार (उम्र - १८) परम पूज्य भुवनभानुसूरि समुदाय के आ. श्री विजय गुणरत्नसूरीश्वरजी म. के शिष्य गणिवर्य रश्मिरत्नविजयजी म. के शिष्य जितरत्नविजयजी म. बने हैं। दीक्षा ग्रहण का दिन २०५४ का जेठ सुदि १०, ता. ४-६ - ९८ है । ❀ श्री महावीर स्वामी भगवान शिखर बंदी जिनालय ओ. पी. जे. स्कूल के सामने, सेक्टर नं. १५, नेरूल, नई मुंबई - वाशी टेलिफोन :- ७७००१ ४० दामजीभाई, ६१७४८ ३३ - जगशीभाई गडा विशेष :- श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ - नेरूल - नई मुंबई द्वारा नूतन शिखरबंदी जिनालय एवं उपाश्रय का निर्माण होनेवाला हैं । परम पूज्य आ. श्री विजय कलापूर्णसूरीश्वरजी म. के शिष्य पू. मुनिराज श्री दिव्यदर्शनविजयजी For Private and Personal Use Only Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३१३ म. की पावन निश्रा में यहाँ के उपासरे का भूमिपूजन २०५३ का वैशाख सुदि - ३, ता. ३-६-१९९७ को तथा जिनालय का भूमिपूजन - शिलारोपण ता. २०-१०-९७ को हुआ था। (४८१) श्री शान्तिनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय ___ धणसोली, मेनरोड, नवीमुंबई, जि. थाणा, (महाराष्ट्र) टेलिफोन :- ७६९ १५ ९९ - भंवरलालजी, ७६६ ६० १८ हन्सराजजी, ७६९ १३ ३० - नेनमलजी, ७६६६० १९ - मोहनजी विशेष :- इस मन्दिरजी के लिये एक गुंटा जमीन जैन संघ ने खरीदी थी और एक गुंटा जमीन शा. मेघराजजी जुहारमलजी थाणा (आहोर) वालो की तरफ से भेट मिली थी। इस जिनालय का खात मुहूर्त वि. सं. २०४१ का वैशाख सुदि ३, शुक्रवार, ता. ४-५-८४ को परम पूज्य शासन सम्राट् नेमि - लावण्य के पट्टधर एवं इस जिनालय के प्रेरणा दाता आचार्य श्री विजय दक्षसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में शा. नेनमलजी मुलतानमलजी तीखी (राज.) वालो के हाथो से सम्पन्न हुआ था। इस जिनालय की भव्य प्रतिष्ठा आत्म - वल्लभ - समुद्र समुदाय के परम पूज्य आ. श्री विजय इन्ददिन्न सूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. श्री विजय रत्नाकर सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५० का माह वदि, रविवार ता. २७-२-९४ को हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री शान्तिनाथ भगवान तथा आजुबाजू में श्री आदिनाथ भगवान एवं श्री मल्लिनाथ भगवान की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, ताँबे के यंत्र - २ के अलावा यक्ष - यक्षिणी, श्री पद्मावती देवी एवं श्री अंबिका देवी भी सुशोभित हैं। पाषाण की ३ मंगलमूर्ति भी बिराजमान हैं। नीचे उपाश्रय एवं उपर जिनालय हैं। (४८२) श्री संभवनाथ भगवान गृह मन्दिर मु. बेलापुर, पोष्ट - कोंकण भवन, नवी मुंबई - ४०० ६१४, जि. थाणा (महाराष्ट) टेलिफोन :- ७५७ २२ २६ - तेजराजजी, ७५७ १६ १६, ७५७ ०१ ९७ - जितेन्द्रजी विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक राजस्थानी श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ - बेलापुर हैं। परम पूज्य आचार्य श्री विजय आनंदधन सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०४५ का वैशाख सुदि ७, ता. ११-५-८९ को चल प्रतिष्ठा हुई थी । यहाँ मूलनायक श्री संभवनाथ भगवान तथा आजूबाजू में श्री महावीर स्वामी एवं श्री वासुपूज्य स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ के अलावा श्रीमणिभद्रवीर, श्री नाकोडा भैरूजी तथा दुरितारि देवी व त्रिमुख यक्ष बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३१४ मुंबई के जैन मन्दिर (४८३) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर वाणीआली मु. पोष्ट उरण, जि. रायगड (महाराष्ट्र) टेलिफोन :- ७२२ २३ २६, ७२२ १३ ०३ - जयन्तिलालजी विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय मोहन - प्रताप सूरीश्वर के पट्टधर प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. के आदेश और आशीर्वाद से आपके समुदाय के परम पूज्य मुनिराज श्री पूर्णानन्द विजयजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०३७ का वैशाख सुदि ५, तारीख ८-५-८१ को ठाठ माठ से चल प्रतिष्ठा हुई थी। ___ यहाँ मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान तथा आजु बाजु में श्री शान्तिनाथ भगवान एवं श्री महावीर स्वामी भगवान की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ चौविशी, एक छोटी प्रतिमाजी, और पद्मादेवी के साथ पार्श्वप्रभु, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - २ बिराजमान हैं। _स्व. शा. पुखराजजी पुनमचन्द के आत्मश्रेयार्थ मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी की प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा का लाभ शा. नगराजजी पुखराजजी बाली (राज.) वालो ने लिया था। यहाँ नीचे उपाश्रय तथा उपर जिनालय सुशोभित हैं। इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री उरण जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ-उरण हैं। मोहपाडा (रसायनी) (४८४) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर मु. पोष्ट मोहपाडा (रसायनी), तालुका : खालापुर, जि. रायगड (महाराष्ट्र) टेलिफोन : (ओ.) ५०७४० कान्तिलालजी, ५००६४ - अरविंदजी, ५०४७५ - भंवरजी विशेष :- इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री राजस्थान जैन श्वेताम्बर संघ मोहपाडा (रसायनी) हैं। परम पूज्य आचार्य श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म. के शिष्य मुनिराज श्री लक्ष्मणविजयजी म., श्री लेखेन्द्र विजयजी म. की पावन निश्रा में प्रतिष्ठा वि. सं. २०४६ का माह सुदि - ३, तारीख २९-१-९०, सोमवार को हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान तथा आजुबाजू में श्री शान्तिनाथ भगवान एवं श्री वासुपूज्य स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १, यंत्र - १, गोमुख यक्ष, प्रासाददेवी, चक्रेश्वरी देवी, श्री मणिभद्रवीर एवं श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। श्री शत्रुजय तीर्थ, श्री सम्मेतशिखरजी तीर्थ, श्री नाकोडा के रंगीन चित्र दिवार पर बनाये दर्शनीय हैं। श्रीमती कुंवरबाई अमृतलालजी गुलाबचन्दजी कोटडिया परिवार प्रतापगढ (राज.) वालो ने उपाश्रय हॉल बनवाने में सहयोग देने का लाभ लिया हैं। For Private and Personal Use Only Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३१५ - मुंबई के दिगम्बर जैन मन्दिर व चैत्यालय इतिहास एवं मार्गदर्शिका आशीर्वाद जैनाचार्य, गणधराचार्य आ. श्री कुंथुसागरजी म. का आशीर्वाद ता. २६-७-९७ पोदनपुर त्रिमूर्ति मन्दिर बोरिवली ___ श्री ज्ञान प्रचारक मण्डल के समस्त कार्यकर्ता गण को जैनाचार्य गणधराचार्य कुन्थुसागर का आशीर्वाद । आपका पत्र मिला पढकर आनन्द हुआ । आप मुंबई के जैन मन्दिर के इतिहास एवं चैत्यपरिपाटी मार्गदर्शिका निकाल रहे हैं, आप बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं। इस स्मारिका में इतिहास, जैन धर्म का स्वरूप, शाकाहार, जीवदया, मंदिरो का इतिहास, जैनीयो की एकता, धर्म समन्वय आदि के अच्छे अच्छे लेख होने चाहिये। वर्तमान में इन तीर्थो को लेकर होने वाले झगडे शान्त हो और जैन एकता बढे, समन्वय बढे ऐसा आप अवश्य ही प्रयत्न करेंगेजी, वर्तमान में जैन एकता की परम आवश्यकता जैनाचार्य गणधराचार्य हैं, और वो ही नही हो रही हैं। श्री कुंथुसागरजी महाराज ___ यह एक अच्छा इतिहास बनेगा, हमारी एकता बच्चो को भी एक रहने का ज्ञान प्राप्त करायेगी। आपका प्रयास सफल हो ऐसा मेरा बहुत बहुत आशीर्वाद हैं । पुस्तक में अच्छे लेख हो जिससे समाज की अंधरूडीया दूर हो शुभकामना ग. आ. कुन्थुसागर For Private and Personal Use Only Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३१६ मुंबई के जैन मन्दिर - (चर्चगेट से विरार (पश्चिम रेलवे)। चर्नीरोड - चौपाटी श्री शान्तिनाथ भगवान दिगम्बर जैन मन्दिर १० स्टोन बिल्डींग, पाँचवा माला, चौपाटी सी. फेस, चौपाटी मुंबई - ४०० ००७. टेलिफोन :- ३८२ ९२५८ विशेष :- इस मन्दिरजी के निर्माता सेठ श्री मोतीलालजी एवं सेठ श्री दाडमचन्दजी थे। इन दोनो भाईयो ने आज से लगभग ६० वर्ष पहले इस सुन्दर मन्दिर की स्थापना की थी । वर्तमान में सेठ श्री सन्मतिकुमारजी मोतीलालजी झव्हेरी इस मन्दिर का संचालन कर रहे हैं। यहाँ मूलनायक श्री शान्तिनाथ भगवान सहित पंच धातु की ५ प्रतिमाजी सुशोभित हैं, जिसमें एक चउमुखी प्रतिमाजी हैं। छत और दिवार पर कांच की रंग बिरंगी कारीगरी विशेष नयनरम्य एवं शोभायमान हैं। जिसमें नौ तीर्थो की बनाई गई रचना भी दर्शनीय हैं। श्री चन्द्रप्रभ भगवान दिगम्बर जैन मन्दिर रत्नाकर पॅलेस, पहला माला, चौपाटी सी. फेस, चौपाटी, मुंबई - ४०० ००७. टेलिफोन :- ३०७ ६९ १८ (ओ.) विशेष :- सेठ हीराचन्द गुमानजी इस मन्दिरजी के निर्माता थे । लगभग इसे माणेकचन्द पानाचन्द झव्हेरी चैत्यालय नाम से भी जाना जाता हैं। यहाँ के मूलनायक श्री चन्द्रप्रभस्वामी, श्री महावीरस्वामी, श्री पार्श्वनाथ ये तीन सिल्वर के प्रतिमाजी तथा १० अन्य प्रतिमाजी बिराजमान हैं। इसके अलावा ४ चऊमुखी प्रतिमाजी भी शोभायमान हैं। जिनालय के दिवारो के लाल कांच की खिडकियो पर नरक में परमाधामी देवो द्वारा दिये जाते पापकर्मी जीवो पर निरनिराली वेदनाओं दिखाई गई हैं। For Private and Personal Use Only Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३१७ मुम्बादेवी - कालबादेवी (३) श्री १००८ पार्श्वनाथ भगवान दिगम्बर जैन मन्दिर २०६, कालबादेवी रोड, मुंबई - ४०० ००२. टेलिफोन :- ३६१ ३३५४ गुणमाला झवेरी विशेष :- प्रतापगढ (राज.) निवासी दिगम्बर जैन वीशा हुमड जातीय सेठ पुनमचन्दजी उनके पुत्र धासीलालजी एवं उनके पुत्र सेठ गेदमलजी, दाजीय रामजी एवं मोतीलालजी ने इस जिनालय का निर्माण कराया, जिसकी प्रतिष्ठा वि. सं. १९९० में हुई। आपके परिवार से संघ निकला था। अत: संघवी परिवार कहलाये तथा आपके परिवार में से दिगम्बर जैन साधु व्रत भी स्वीकार किये थे। ___ संघवी परिवार के सबसे बडे पुत्र यानी ज्येष्ठ भ्राता सेठ गेंदमलजी उन्होने अपनी धर्मपत्नी श्रीमती गुलाबबाई व पुत्री कु. गुणदेवी के साथ मिलकर मन्दिरजी की प्रथम और दूसरी मंजिल का निर्माण कराया था। सबसे नीचे मूलनायक श्यामरंग की श्री पार्श्वनाथ प्रभु की एक प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३ और उसके बाजू में दो शो केस में अनेक श्वेतधातु के प्रतिमाजी सुशोभित हैं। प्रथम माले पर आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु के २ प्रतिमाजी, दिवारो पर ६ तीर्थो के पट आरस पर बनाये सुशोभित हैं। दूसरी मंजिल पर श्वेत आरस की १ प्रतिमाजी, श्याम रंग की दो प्रतिमाजी, २ पंचधातु की खडी काउस्सग प्रतिमाजी, २ श्याम रंग की आरस की प्रतिमाजी तथा एक समवसरण शोभायमान प्रतीत हो रहा हैं। श्री सीमन्धर स्वामी भगवान दिगम्बर जैन मन्दिर १७३/१७५ मुम्बादेवी रोड, मुम्बादेवी मन्दिर के सामने, मुंबई - ४०० ००२. टेलिफोन :- ३४२ ५२ ४१, ३४४ ६० ९९ (ओ.) २६५ २० ३१ (ओ.), ३८६ २७ ८६ (घर) श्री हसमुखलाल पोपटलाल वोरा विशेष :- यह मन्दिर भवन के दूसरी मंजिल पर आया हुआ हैं। यहाँ मूलनायक श्री सीमन्धर स्वामी तथा आजुबाजु में श्री चन्द्रप्रभ स्वामी एवं वासुपूज्य स्वामी की पाषाण की श्वेतरंग की ३ प्रतिमाजी एवं पंचधातु की ४ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। यहाँ प्रथम मंजिल पर श्री कानजीस्वामी प्रवचन हॉल हैं । इस हॉल में श्री कुंदकुंद स्वामी एवं श्री कानजीस्वामीजी की भव्य तस्वीर सुशोभित हैं। सिर्फ दो मंजिल भवन होते हुए भी लिफ्ट की व्यवस्था हैं । जहाँ अशक्त महानुभाव सरलता से परमात्मा के दर्शन का लाभ उठा सकते हैं। श्री कानजी स्वामी के सानिध्य में वि. सं. २०१३ का माह सुदि ६ को प्रतिष्ठा हुई थी। For Private and Personal Use Only Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३१८ (५) श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर २१६, गुलाल वाडी, कीका स्ट्रीट, मुंबई - ४०० ००२. टेलिफोन :- (ओ.) ३७४ ०६ ६७, रमणलालजी दोषी - ३७५८२३९ विशेष :- मुम्बई महानगर में दिगम्बर जैन समाज द्वारा निर्मित सबसे प्राचीन यही जिनालय हैं। जो १५० वर्ष पुराना प्रथम दिगम्बर जैन मन्दिर हैं । - www.kobatirth.org पूजन सर्व प्रथम घोघा (भावनगर - गुजरात) के निवासी श्रीमान सेठ श्री खुशालदास पुरूषोत्तम ने वि. सं. १८८० ई. सन १८२५ में मुंबई डुंगरी में एक मकान खरीदकर वहाँ जिन प्रतिमाजी की स्थापना की। इससे व्यापार निमित्त यहाँ आ बसे तथा आने जाने दिगम्बर जैन भाईयों को जिनेन्द्र प्रभु के दर्श अभिषेक की सुविधा उपलब्ध हो जाने से परम संतोष हुआ था । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर (६) समय के साथ साथ मुंबई में आवागमन बढने लगा। मकान की जगह छोटी पडने से वि. सं. १९०५ सन १८५० में तत्कालीन विश्वस्त महानुभावो ने गुलालवाडी कीका स्ट्रीट पर वर्तमान में जहाँ दिगम्बर जैन मन्दिर हैं वह मकान खरीदकर मन्दिर की स्थापना की और वही प्राचीन प्रतिमाजी यहाँ स्थापित की। श्री पार्श्वनाथ भगवान दिगम्बर जैन मन्दिर का भवन १५० वर्ष से अधिक पुराना हो गया हैं । इस लम्बे इतिहास का जीता जागता करीब ३५०० वर्ग फीट में निर्मित दो मंजिल के इस जिनालय की दिवारे एवं लकडी जर्जर हो गई हैं। इसी कारण अब मन्दिरजी का जिर्णोद्धार का कार्य जोर शोर से चल रहा हैं । भूलेश्वर श्री चन्द्रप्रभ भगवान दिगम्बर जैन मन्दिर १६१ भूलेश्वर रोड, दूसरा माला, मुंबई - ४०० ००२. टेलिफोन :- (ओ.) २०१३११३, २०१२३६६, (ओ.) ३६९०७५२ (घर) जंबूकुमारजी कासलीवाल, २०१ ६८७१, (ओ.) २०१९८६६ (घर) मदनलालजी विशेष :- मुम्बई के भूलेश्वर जैसे लोकप्रिय एरीया में यह मन्दिर अति सुन्दर दिखाई रहा है, जिसकी स्थापना वि. सं. १९७१ का पोष वदि ५ को हुई थी । यहाँ मूलनायक श्री चन्द्रप्रभ स्वामी भगवान के आजुबाजु में श्री अनंतनाथजी एवं सुपार्श्वनाथ प्रभु तथा काउस्सग में श्री पार्श्वनाथजी सहित पाषाण के ४ प्रतिमाजी तथा पंच धातु के १२ प्रतिमाजी शोभायमान हैं । For Private and Personal Use Only मन्दिरजी के बाहरी तरफ श्री बाहुबलजी का भव्य चित्र के साथ (१) श्री गिरनारजी ( २ ) श्री सम्मेत शिखरजी, (३) श्री चंपापुरी और (४) पावापुरी ये चारो तीर्थो का दृश्य भी लुभावना है । Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर यहाँ का मन्दिर प्रथम माले पर है जिसके निर्माण में श्रीमती मणिदेवी जैन धर्मपत्नी लच्छीरामजी जैन का विशेष सहयोग रहा हैं। यहाँ श्री चंद्रप्रभस्वामी दिगम्बर जैन पुस्तकालय तथा श्री जैन युवा संघ खेतवाडी की व्यवस्था हैं। मुबई सेन्ट्रल श्री नेमिनाथ भगवान दिगम्बर जैन मन्दिर सेठ हिराचन्द गुमानजी दिगम्बर जैन बोर्डीग, नवजीवन सोसायटी के सामने, मुंबई सेन्ट्रल, लेमिंग्टन रोड, मुंबई - ४०० ००८. टेलिफोन :-३०७ ६९१३ । विशेष :- यह जैन बोर्डिग स्कूल सुरत निवासी विशा हुमड ज्ञाति के मंत्रेश्वर गोत्रज पानाचन्द मानेकचन्द नवलचन्द और पौत्र प्रेमचन्द ने अपने स्वर्गवासी तीर्थस्वरूप पिताश्री सेठ हीराचन्द गुमानजी की यादगीरी कायम रखने के लिये बाँधकर ट्रस्ट करके शिक्षण के उत्तेजनार्थ अर्पण किया हैं। वि. सं. १९५६ का चैत्र सुदि ७, शुक्रवार ता. ६-४-१९०० को। यहाँ मूलनायक श्री नेमिनाथ प्रभु की प्रतिमाजी आरस की नीले रंग की हैं तथा पंचधातु की ६ प्रतिमाजी एवं २ देवीयों की मूर्तियाँ तथा ३ यंत्र हैं। आरस की बनाई वेदी पर चाँदी के बनाये मन्दिर में भगवान बिराजमान हैं । मन्दिर की दिवारो पर लगी खिडकीयो पर लगाये लाल रंग के कांचो पर नरक में अलग अलग कूकर्मो का दिये जाने वाले फलो का दृश्य दिखाया गया हैं। वरली श्री १००८ आदिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर शान्तिनाथ भगवान चौक, श्री राम मील गली, शिवराम एस. अमृतवार मार्ग, श्रीराम मील के सामने, वरली, मुंबई - ४०० ०१३. टेलिफोन :-४९४ ०८ १७ - प्रेमचन्दजी, ४९२ ६९ ७२ - मगनलालजी विशेष :- श्री दिगम्बर जैन समाज वरली द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस मन्दिर में वि. सं. २०५२ का भादवा सुदि ५, तारीख १८-९-९६ को यहाँ मूलनायक श्री आदिनाथ भगवान, श्री पार्श्वनाथजी सहित कुल पंचधातु की ४ प्रतिमाजी एवं ताँबे के २ यंत्र मेहमान के रूप में बिराजमान किये गये । मन्दिरजी का नूतन निर्माण करके वेदी बनाकर पाषाण की प्रतिमाजी बिराजमान करके प्राण प्रतिष्ठा कराने की यहाँ के समाज की प्रबल भावना हैं। For Private and Personal Use Only Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३२० (९) www.kobatirth.org दादर (पश्चिम) श्री महावीर स्वामी भव्य शिखरबंदी दिगम्बर जिनालय २७१-२९३ एन. सी. केलकर रोड, दादर (पश्चिम), मुंबई - ४०००२८. टेलिफोन :- ४३० ३१५७ - रसिकभाई अमृतलाल मेहता विशेष :श्री दादर दिगम्बर जैन मुमुक्षु मंडल द्वारा संस्थापित एवं संचालित, श्री कानजी स्वामीजी की प्रेरणा से निर्मित श्री महावीर स्वामी दिगम्बर जैन मन्दिर की स्थापना वि. सं. २०२० का वैशाख सुदि ११, तारीख २२ - ५- १९६४ को हुई थी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नीचे के भाग में मुख्य गंभारे में पाषाण के मूलनायक श्री महावीर स्वामी तथा आजुबाजु में श्री पार्श्वनाथ एवं श्री शीतलनाथ प्रभु की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी सुशोभित हैं । दिवारो पर शास्त्रो के उपदेशो की रचना हैं तथा एक तरफ श्री कानजी स्वामीजी की प्रतिमाजी सुशोभित हैं । (१०) मुंबई के जैन मन्दिर उपर मूलनायक श्री आदीश्वर प्रभु के साथ २ काउस्सग्ग पाषाण की ३ प्रतिमाजी के अलावा समवसरण दृश्य के साथ बिच में बिराजित आरस की ४ प्रतिमाजी तथा कांच की कारीगरी को देखकर भी मन आनन्द के झुले में झुलता हैं । उपर के भाग में मेन दरवाजे के बाहर की ओर कानजी स्वामीजी की प्रतिमाजी बिराजमान हैं । यहाँ महावीर दिगम्बर स्वाध्याय हॉल की व्यवस्था हैं । 1 खार (पश्चिम) श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर १५ वा रोड, खार (पश्चिम) मुंबई - ४०००५२. टेलिफोन :- श्री रतिलालभाई शाह ६४६ ०५ ६९, ३८५ १६५३ / २५०८ विशेष :- सन् १९६३ के वि. सं. २०१९ का मगसर सुदि १० को इस शिखरबंदी जिनालय की स्थापना हुई थी । यहाँ के मूलगंभारे में मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान तथा आजुबाजु में श्री आदिनाथ भगवान एवं श्री महावीर स्वामी भगवान की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी एवं विभिन्न प्रकार के १२ यंत्र सुशोभित हैं । - For Private and Personal Use Only Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मुंबई के जैन मन्दिर www.kobatirth.org (११) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विलेपार्ले (पश्चिम) श्री सीमन्धर स्वामी दिगम्बर जैन मन्दिर अनिल विला, नानावटी गर्ल स्कूल के सामने, विलेपार्ले (पश्चिम), मुंबई - ४०० ०५६. टेलिफोन :- (ओ.) ६१२१६०५, मनुभाई - ६१४ ८४ ४८, जयन्तभाई बोकर - ८७३०६२५ (ओ.) ६२४ ६० २९ (घर), कीरीट भाई शाह - ६९२९३६० (ओ.) ६१७ १७ २६ (घर) ३२१ विशेष :- श्री कुंदकुंद कहान दिगम्बर जैन मुमुक्ष मंडल द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस मन्दिरजी की स्थापना ३ मई १९९८ को हुई थी । यहाँ संगमरमर से निर्मित मूलनायक श्री सीमन्धर स्वामी भगवान की ४१” की प्रतिमाजी, पंचधातु के श्री महावीर स्वामी भगवान की प्रतिमाजी ११” तथा पंचधातु के भावी तीर्थंकर की प्रतिमाजी ११ ” बिराजमान हैं। अंधेरी (पश्चिम) (१२) श्री पार्श्वनाथ भगवान दिगम्बर जैन चैत्यालय सन्मति सत्यनारायण बालेकाई कामधेनु बिल्डींग नं. ३, प्लोट नं. १११, ११२ लोखण्डवाला कॉम्पलेक्ष (स्वामी समर्थ नगर) अंधेरी (पश्चिम), मुंबई - ४०००५८. टेलिफोन :- ६२९०२९५, ६३३२५६४ विशेष ::- बेंगलोर (कर्नाटक) निवासी श्रीमती सन्मति बहन सत्यनारायण ने अपने ही ब्लोक श्री पार्श्वनाथ भगवान की स्थापना आज से ६ वर्ष पहले की थी । यहाँ पाषाण की १ प्रतिमाजी, रत्नो की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी सुशोभित हैं । For Private and Personal Use Only (१३) श्री आदिनाथ भगवान दिगम्बर जैन चैत्यालय २५, गोरेगांवकर विल्ला, ग्राउण्ड फ्लोर, लकडा बाजार के पास, स्वामी विवेकानन्द रोड, अंधेरी (पश्चिम), मुंबई - ४०० ०५८. टेलिफोन : - ६२४ ६७ ९६ चन्चलाबेन, शोभाभाभी विशेष : : - इस चैत्यालय की स्थापना ५० वर्ष पहले श्रीराव साहेबजी जीवराज शाह के परिवार वालो ने अपने बंगले में की थी । यहाँ धातु के बनाये समवसरण पर पंचधातु की १० प्रतिमाजी उपर भाग में तथा नीचे के भाग में ५ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३२२ मुंबई के जैन मन्दिर अंधेरी (पूर्व) (१४) श्री पार्श्वनाथ भगवान दिगम्बर जैन चैत्यालय ११ बी. ९ सी. रिद्धि सिद्धि रत्नाकर को. ओ. हाउसींग सोसायटी, ग्राउण्ड फ्लोर, कांतिनगर, जे. बी. नगर, अंधेरी (पूर्व), मुंबई - ४०० ०५९. टेलिफोन :-८३८ ८७ ६७ - मंजुबेन, नरेन्द्रभाई विशेष :- तीन दिन महोत्सव के साथ ३० जुन १९९१ को इस चैत्यालय की स्थापना हुई थी। यहाँ पंचधातु की ५ प्रतिमाजी बिराजमान है तथा उन पर ५ छत्र भी झुमते हुए नजर आ रहे हैं। (१५) १००८ श्री महावीर स्वामी दिगम्बर जैन चैत्यालय साकी विहार रोड, साकी नाका, गाला नं. १ रवि ईस्टेट, अंधेरी (पूर्व), मुंबई - ४०० ०७२. टेलिफोन :-८५०५९३२ - पन्नालालभाई विशेष :- श्री महावीर जैन मित्र मंडल इस चैत्यालय की व्यवस्था संभाल रहे हैं । इस चैत्यालय की स्थापना सन् १९९४ को हुई थी। यहाँ पंच धातु की ३ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। गोरेगाँव (पश्चिम) श्री पार्श्वनाथ भगवान दिगम्बर जैन मन्दिर १६ वाँ रास्ता, पहला माला, गोरेगाँव (पश्चिम), जवाहर नगर, मुंबई-४०० ०६२. टेलिफोन :- ८७२ ६५ ९२ - अमृतलाल शाह विशेष :- वि. सं. २०३०, सन् १९७४ में निर्मित लक्ष्मी बेन नरोत्तमदास प्रभुदास हॉल के अन्दर बनाये गये मूल गंभारे में आरस की बनाई मूलनायक १००८ श्री पार्श्वनाथ भगवान तथा आजुबाजु में १००८ श्री शान्तिनाथ भगवान एवं १००८ श्री महावीर स्वामी की ३ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। इसके अलावा पंचधातु वगैरह ९ प्रतिमाजी तथा निरनिराले १२ यंत्र भी सुशोभित हैं। __दिवारो पर श्री सम्मेत शिखरजी, श्री गिरनारजी, श्री पावापुरी तथा दिगम्बर जैनाचार्यो के फोटो दर्शनीय हैं । इस मन्दिरजी की स्थापना २०३० का माह सुदि ७, सन् १९७३ में ३१ ता. को हुई थी। इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक दिगम्बर जैन मन्दिर ट्रस्ट हैं। श्री गोरेगाँव दिगम्बर जैन मित्र मण्डल एवं श्री गोरेगाँव दिगम्बर जैन महिला मण्डल की व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३२३ गोरेगाँव (पूर्व) श्री चन्द्रप्रभ स्वामी भगवान जैन चैत्यालय ६०१/ओ, लक्ष्मीदास प्लाजा, सातमाला बिल्डींग के ग्राउण्ड फ्लोर पर, सुधा होस्पीटल के बाजू में, फिल्म सिटी रोड, गोरेगांव (पूर्व), मुंबई - ४०० ०६३. टेलिफोन :-८४० ५७ ०० - पवन जैन विशेष :- श्रीमान श्रेष्ठीवर्य श्री पवन जैन द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस चैत्यालय की स्थापना ९ मई सन् १९९२ को पूज्य १०८ मुनिराज श्री आर्यानन्दजी महाराज के सान्निध्य में हुई थी। यहाँ में पंचधातु की ३ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। मूलनायक श्री चन्द्रप्रभ स्वाभी भगवान तथा श्री आदिनाथ भगवान और श्री महावीर स्वामी भगवान कांच के बोक्ष में सुशोभित हैं। मलाड (पश्चिम) (१८) श्री धर्मनाथ भगवान दिगम्बर जैन चैत्यालय जैन भवन, पहला माला, चौथी गली, मामलतदार वाडी, स्वामी विवेकानन्द रोड, मलाड (पश्चिम), मुंबई - ४०० ०६४. टेलिफोन :-८८९ ६४ ९९, ८८२ ०२ ६८ श्री ज्ञानचंदजी फुग्गावाले विशेष :- यहाँ के चैत्यालय में पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, रत्नो की २ कुल ७ प्रतिमाजी बिराजमान हैं । मन्दिरजी के मुख्य व्यवस्थापकजी श्री ज्ञानचन्दजी फुग्गावालो का कहना हैं कि इस चैत्यालय की स्थापना ३५ वर्ष पूर्व हुई थी। (१९) श्री शान्तिनाथ भगवान दिगम्बर जैन चैत्यालय ४०३ डी, स्वींग बिल्डींग, चौथा माला, नूतन हायस्कूल के सामने, मार्वे रोड, मलाड (पश्चिम), मुंबई - ४०० ०६४. टेलिफोन :-८८२ १५ ५३ - आनन्दकुमारजी एम. काला विशेष :- यहाँ के चैत्यालय में पंचधातु की ३ प्रतिमाजी बिराजमान हैं । मूलनायक श्री शान्तिनाथजी भगवान तथा आजुबाजु में श्री महावीर स्वामी एवं श्री पार्श्वनाथजी बिराजमान हैं। लगभग १५ वर्ष पहले यहाँ के चैत्यालय की स्थापना हुई थी। For Private and Personal Use Only Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३२४ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर मलाड (पूर्व) (२०) श्री ऋषभदेव भगवान दिगम्बर भव्य जिनालय दफ्तरी रोड, गोशाला लेन, कानजी स्वामी मार्ग, मलाड (पूर्व), मुंबई - ४०० ०९७. टेलिफोन :- (ओ.) ८८३९६०४, ८८३९०९६ गिरधरभाई विशेष :- श्री उपनगर दिगम्बर जैन मुमुक्ष मण्डल मलाड द्वारा संचालित इस भव्य जिनालय की प्रतिष्ठा सन् १९७०, ई. वि. सं. २०२५ का वैशाख सुदि ७ को हुई थी । जिनालय के नीचे के भाग में मूलनायक श्री ऋषभदेव भगवान तथा आजुबाजु में श्री वासुपूज्य स्वामी एवं श्री मल्लिनाथ भगवान तथा एक अन्य प्रतिमाजी के साथ कुल पाषाण की ४ प्रतिमाजी तथा पंचधातु की ८ प्रतिमाजी सुशोभित हैं। गंभारे के दोनो तरफ के आलो में एक तरफ कुंदकुदाचार्य का फोटो, दूसरे आले में समयसार ग्रंथ दर्शनीय है और एक तरफ श्री कानजी स्वामी गुरूदेव बिराजमान हैं। उपर के विभाग में २० विहरमान तीर्थंकर प्रभु की आरस की प्रतिमाजी के साथ मूलनायक श्री ऋषभदेव प्रभु की प्रतिमाजी तथा दोनो तरफ काउस्सग्ग में श्री भरतेश्वर महाराज एवं श्री बाहुबली मुनीन्द्र की प्रतिमाजी है । उपर के ही भाग में पंच मेरू नंदीश्वर जिनालय में १३२ प्रतिमाजी सुशोभित हैं । (२१) श्री आदिनाथ भगवान दिगम्बर जैन चैत्यालय भूपेन्द्र निवास कम्पाउण्ड में, ग्राउण्ड फ्लोर, जितेन्द्र रोड, मलाड (पूर्व) मुंबई - ४०० ०९७. टेलिफोन :- ८४००८ २४ जयन्तीभाई For Private and Personal Use Only विशेष : :- १००८ श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन चैत्यालय ट्रस्ट द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस चैत्यालय की स्थापना वीर संवत वि. सं. २०३१ का चैत्र सुदि ९ को हुई थी । यहाँ मूलनायक श्री आदिनाथ भगवान आजुबाजु श्री पार्श्वनाथ भगवान एवं श्री सिद्ध भगवान की पंचधातु की ३ प्रतिमाजी सुशोभित हैं । श्रीमती शान्ताबेन पोपटलाल रामचन्द्र शाह दिगम्बर जैन पाठशाला हैं। Page #415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३२५ कान्दिवली (पश्चिम) (२२) श्री पार्श्वनाथ भगवान दिगम्बर जैन चैत्यालय सत्या एपार्टमेन्ट, तीसरा माला, ब्लोक नं. ९ टेलिफोन एक्चेन्ज के सामने, स्वामी विवेकानन्द रोड, कांदिवली (पश्चिम), मुंबई - ४०० ०६७. टेलिफोन :-८०६ ४४ २१ - प्रकाशजी विशेष :- सेठ श्री प्रकाशचन्दजी माणिकचन्द जैन काला परिवारवालो ने सन् १९८१ में इस चैत्यालय की स्थापना की थी। इनके चैत्यालय में मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान की पंचधातुकी एक प्रतिमाजी बिराजमान हैं। बोरिवली (पश्चिम) (२३) त्रिमूर्ति दिगम्बर जैन मन्दिर पोदनपुर, नेशनल पार्क, राष्ट्रिय उद्यान, बोरिवली (पूर्व), ४०० ०६६. टेलिफोन :-(ओ.) ८८६ २१ ३८, ८८६ १४ २७ चंदुलालजी - ८९३ २२ ७९ विशेष :- श्री आचार्य शांतिसागर स्मारक ट्रस्ट द्वारा संस्थापित एवं संचालित त्रिमूर्ति की स्थापना हुई हैं। यहाँ १००८ श्री आदीश्वर भगवान, १००८ श्री भरतजी तथा १००८ श्री बाहुबलीजी की काऊसग्ग मुद्रा ध्यान में भव्य तीन प्रतिमाजी पाषाण से निर्मित सुशोभित हैं। पीछे की ओर वर्तमान चोविशी की पाषाण की २४ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। एक तरफ पार्श्वयक्ष तथा दूसरी तरफ पद्मावती देवी भी बिराजमान हैं। २४ प्रतिमाजी में २३ श्वेत आरस की तथा १ नेमिनाथ प्रभु की श्याम रंग के पाषाण से बनाई हुई सुशोभित हैं। तीनों भव्य प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा विधि भट्ट यश कीर्तिजी की पावन निश्रा में वि. सं. २०२८, वीर सं. २४९८, वैशाख सुदि १३, गुरूवार को हुई थी। यह शुभकार्य विधि आचार्य श्री शान्तिसागरजी के शिष्य श्री नेमिसागरजी के सदुपदेश से हुई थी। ___फलटण निवासी बम्बई प्रवासी रजीयाण गोत्रे स्व. अभयकुमार भार्या शान्तादेवी आदि परिवारवालोने श्री आदिजिनबिम्ब प्रतिष्ठित किया था। प्रतापगढ (राज.) निवासी हुमड ज्ञाती वृद्ध शाख्याया पंखेश्वर गोत्रे कोटडीया स्व. श्रेष्ठी कस्तूरचन्द हेमराज आदि परिवार वालोने श्री बाहुबली बिम्ब प्रतिष्ठित किया था । बारामती निवासी दि. जैनान्वये विसा हुमड ज्ञाती वृद्ध शाखाया बुद्धेश्वर For Private and Personal Use Only Page #416 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३२६ मुंबई के जैन मन्दिर गोत्रे आचार्य भक्त जिन धर्मपरायण श्रेष्ठी मोतीचन्द डगरचन्द म्हसवडकर भार्या सौ. धोडंबाई यांसे स्मरणार्थ सुपुत्र माणिकचन्द दोशी के परिवार वालोने श्री भरतजी महाराज का बिम्ब प्रतिष्ठित किया था। चन्द्रप्रभ जिनालय :- श्री १००८ चन्द्रप्रभ जिनालय एवं वेदी का निर्माण पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं महामस्तकाभिषेक ईसवी सन् १९९५ के प्रसंग पर फलटन (महाराष्ट्र) निवासी हाल वरली मुबंई मंत्रेश्वर गोत्रीय श्रीमान सरदार चन्दुलाल हिराचन्द शाह धर्मपत्नी श्रीमती जिनमती पुत्र अमोल, मिलिन्द, डॉ. अभ्युदय, पुत्री बीना, मधु एवं पुत्रवधू सरिता एवं मनोज आदि शाह परिवार ने करवाया ता. १३-५-१९९५ बुधवार को। मानस्तंभ :- किशोर दर्शनलाल गायत्रीदेवी जैन सह परिवार जैन सन्स मुंबईवालोने पूर्व दिशा की दोनो मूर्ति सहित मान स्तम्भ निर्माण करवाया ता. ११-२-१९८७ को । श्री जिवराज खुशालचन्द गांधी 'कुर्ला' ने एक तरफ का पुरा भाग एवं मूर्तिया बिराजमान की हैं। स्व. मथुरादास मुन्नालाल सौ कमलादेवी की स्मृति में पुत्र ज्ञानचन्द मुंबईवालोने चंद्रप्रभ बिंब निर्माण कर बिराजित किया। श्री धर्मचन्द केदारनाथ भा. सा. बिनेश पुत्र मुकेश रवि पुत्री नीना पटोदी मुंबई वालोने श्री शीतलनाथ जिनबिम्ब बिराजित किया। १०८ आचार्य श्री नेमिसागरजी महाराज की छत्री :- चारित्र चूडामणि श्री १०८ आचार्य श्री नेमि सागरजी म. की छत्री श्रीमती कुसुमबाई फुलचन्दजी पुत्र श्री राकेश कुमार एवं चाचा श्री शिखरचन्दजी जैन भिड नि. रामवीर कं. मुंबई वालो ने बनवाई वि. सं. २०३८ का श्रावण सुदि ५, रविवार, ता. २८-२-१९८२ ई. को । बीसवी शताब्दी के प्रथमाचार्य, युगप्रवर्तक आचार्य श्री शान्तिसागरजी महाराज के पट्ट शिष्य १०८ आ. श्री नेमि सागरजी म. की प्रतिमा कोसीकला निवासी हाल बोरिवली मुंबई कपुरचन्द चिन्तामणि तत्पुत्र विजयकुमार, सुभाषचन्द्र, माणिकचन्द, देवेन्द्र, अशोक, सन्तोष ने स्थापित कराई। यात्रियो के लिये त्रिमूर्ति मन्दिर जाने का सरल मार्ग :- कृपया आप बोरिवली (पूर्व) रेलवे स्टेशन से २९८ नं. बस में बैठकर या रीक्षा से टाटा बीज संग्रणीय केन्द्र लास्ट बस स्टोप पर उतर जाइये, वहाँ से देवीपाडा होते हुए मन्दिर के द्वार पर पहुँच जाईये । नेशनल पार्क के अन्दर की सडक से आने पर आपको कुछ लम्बाई महसुस होगी। For Private and Personal Use Only Page #417 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर (२४) १००८ श्री आदिनाथ बाहुबली दिगम्बर जैन मन्दिर मण्डपेश्वर रोड (सरदार वल्लभभाई पटेल रोड) बोरीवली (प.), मुंबई - ९२. टेलिफोन नं.:- (ओ.) ८९३ २२ ७९, ८९३ ५५ ७२, ४९३ ०३ १० (घर) - चंदुलालजी विशेष :- मन्दिरजी में नीचे के मूल गंभारे में पाषाण की मूलनायक सहित ३ बडी प्रतिमाजी एक छोटी तथा पंचधातु की १४ प्रतिमाजी सुशोभित है। जिनालय में २ काउस्सग्ग प्रतिमाजी भरत बाहुबली की भी सुशोभित हैं। नीचे दिवारो पर अनेक तीर्थ दर्शनीय हैं । उपरी मंजील पर पाषाण की ३ प्रतिमाजी श्री अनंतनाथजी, श्री महावीर स्वामी एवं श्री नेमिनाथ प्रभु की तथा पंचधातु की ३ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। उपर का गंभारा पुरा कांच की डिझाइनो से बनाये तीर्थ दर्शन से सुशोभित हैं। इस मन्दिरजी की स्थापना मई १९७२ को हुई थी। ___ मन्दिरजी के बाहर की ओर चारित्र चक्रवर्ती धर्मसाम्राज्य नायक १०८ आचार्य श्री शान्तिसागरजी म. की मूर्ति स्व. शा. हिराचन्द तलकचन्द शाह एवं धर्म पत्नी जिऊबाई शाह फलटण निवासी की पुण्य स्मृति में सरदार चन्दुलाल हिराचन्द शाह एवं उनकी धर्मपत्नी सौ. जिनमती बहन एवं सुपुत्र अमोल, मिलिन्द, डॉ. अभ्युदय शाह हाल वरली निवासी ने तारीख ७ फरवरी १९९० बुधवार को प्रतिष्ठित की हैं। स्व. मोदी चुनीलाल मोहनलाल हस्ते आमथीबेन चुनीलाल तथा कीर्तिभाई सावन्त गुजरात (हाल बोरिवली) वालोने मूर्ति भराई हैं। आचार्य शान्ति सागर चौक बोरिवली (प.) के सरदार वल्लभभाई पटेल मार्ग, खोडावाला मार्ग, गांजावाला मार्ग के बीच सर्कल का नाम आचार्य शान्ति सागर चौक सुशोभित हैं। (२५) श्री शान्तिनाथ भगवान दिगम्बर जैन चैत्यालय गांजावाला एपार्टमेन्ट, ३ रा माला १/3/७ गांजावाला लेन, सरदार वल्लभभाई पटेल रोड, बोरीवली (प.), मुंबई - ४०० ०९२. टेलिफोन नं. :- ८९३ ७२ ७३ अभयकुमारजी विशेष :- सेठ श्री अभयकुमारजी तनसुखलालजी जैन काला परिवारवालो ने ६० वर्ष की प्राचीन प्रतिमाजी स्थापित की थी। For Private and Personal Use Only Page #418 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ३२८ मुंबई के जैन मन्दिर यहाँ मूलनायक पंचधातु के श्री शान्तिनाथ भगवान तथा आजुबाजु में श्री पार्श्वनाथ भगवान एवं श्री बाहुबली भगवान की ३ प्रतिमाजी तथा तीन देव देवीयों में धरणेन्द्र - पद्मावती एवं क्षेत्रपाल तथा ४ यंत्र भी शोभायमान हैं । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दहिसर (पूर्व ) (२६) १००८ श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन चैत्यालय गाला नं. ६, रतिलाल करमशी चाल, नेमजीभाई कम्पाउण्ड, एस. एन. डूबे रोड, रावलपाडा, बोरीवली (पूर्व) से बस ६३९ मिनीनगर स्टोप, दहिसर (पूर्व), मुंबई - ४०० ०६८. टेलिफोन :- जशवंतभाई - ८९१२८६५, प्रकाशभाई - ८९५७६२३, कौशिकभाई - ८९१६४१७, सुरेखा बहन - ८९३६३ ७६ विशेष :- यहाँ के संघ की स्थापना सन् १९८७, भादवा सुदि ४ को हुई थी । यहाँ पंचधातु की ३ प्रतिमाज में मूलनायक श्री १००८ पार्श्वनाथ भगवान बायी ओर १००८ श्री महावीर स्वामी, दायी ओर श्री १००८ आदीश्वर भगवान तथा जिनवाणी माताजी व कुंदकुंदाचार्य बिराजमान होनेवाले हैं। वि. सं. २०५२ का भादवा सुदि ४ को एक प्रतिमाजी लाकर चैत्यालय की स्थापना की थी । - (२७) १००८ श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन चैत्यालय आंबावाडी, एस. वी. रोड, ( सरदार वल्लभभाई रोड), दहिसर (पूर्व), मुंबई - ४०० ०६८. टेलिफोन नं. - वसंतलाल केशवलाल गांधी - ८९३९५३३ विशेष :- • वेदि प्रतिष्ठा पंडित फतेह सागरजी जैन उदयपुरवालो ने करवाई वि. सं. २०३७ का वीर सं. २५०७ का माह सुदि १३ को । यहाँ के चैत्यालय में मुख्य ३ पंच धातु की प्रतिमाजी हैं। मूलनायक १००८ श्री शान्तिनाथजी को दोशी रमणलाल और आदिनाथ भगवान को दोशी चीमनलाल चुनीलाल और महावीर स्वामी को चुनीलाल देवचन्द शाह एवं मणिलाल कालीदास शाह ने बिराजमान किया था। जिनवाणी - माताजी की स्थापना नेमचन्द उमरचंद कोटडीया के सुपुत्रो ने की, और कुंद कुंदाचार्य की स्थापना भोगीलाल चुनीलाल शाह ने की थी । यहाँ महिला मण्डल एवं स्वस्तिक ग्रुप की अच्छी प्रवृत्ति चल रही हैं। पाठशाला और शास्त्र स्वाध्याय रात को होता हैं । For Private and Personal Use Only Page #419 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मुंबई के जैन मन्दिर www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३२९ मीरा रोड (पूर्व) (२८) श्री शान्तिनाथ भगवान दिगम्बर जैन चैत्यालय शान्तिनगर स्कूल के सामने, सेक्टर नं. ५, मीरा रोड (पूर्व), जि. थाणा महाराष्ट्र टेलिफोन नं. - ८११ ३१ ७२, ८१११३ ४३ श्री नेमीचन्दजी झांझरी विशेष :- श्री राजकुमारजी बडजात्या एवं श्री नेमिचन्दजी झांझरी के प्रयास से वि. सं. २०४६ भावादि २, ता ४-११-९० को पर्युषण पर्व के अवसर पर अस्थाई तौर पर प्रतिमाजी लाकर स्थापित की थी, जो आज तक अस्थाई रूप में पंचधातु की एक प्रतिमाजी श्री शान्तिनाथ भगवान की बिराजमान हैं । चैत्यालय के लिये २ फ्लैट ले लिये गये हैं । विधि विधान से वेदी का निर्माण करवा कर उसमें स्थायी तौर पर मन्दिर का स्वरूप दिया जायगा । शान्तिनगर बिल्डर्स द्वारा पूजा अर्चना के लिये निःशुल्क जगह प्राप्त हुई हैं। फिलहाल यहाँ पंचधातु की श्री शान्तिनाथ भगवान की एक प्रतिमाजी व दूसरी प्रतिमाजी पद्मावती देवी पार्श्वनाथ भगवान के साथ शोभायमान हैं। भाईन्दर (पश्चिम) (२९) १००८ श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन चैत्यालय पार्श्वनगर बिल्डींग नं. ५, ग्राउण्ड फ्लोर, बावन जिनालय मंदिर के पास, भाईन्दर (प.), जि. थाणा, महाराष्ट्र टेलिफोन नं. - रमणलाल वाडीलाल शाह - ३८८१२९०, ८१८०७८८ विशेष :- सर्व प्रथम यहाँ १००८ श्री शान्तिनाथ भगवान चैत्यालय की १०८ श्री निर्मल सागरजी म. की प्रेरणा से वि. सं. २०३५ का मगसर सुदि ७ को स्थापना हुई थी। पुन : नूतन चैत्यालय ' मूलनायक श्री आदिनाथ भगवान की प्रतिष्ठा लाकरोडा निवासी स्व. भगुभाई सोमचन्द कोडीया के परिवार ने की हैं हस्ते दीलिपभाई भगुभाई कोटडीया । श्री पार्श्वनाथ की पंचधातु की प्रतिमा की प्रतिष्ठा मलाड निवासी शा कान्तिलाल केशवलाल की तरफ से हुई हैं। श्री शान्तिनाथ की पंचधातु की प्रतिमा की स्थापना तनातपुर निवासी दोशी चिमनलाल कालीदास करोल निवासी स्व. बालचन्द देवचन्द के सुपुत्रो ने की हैं वि. सं. २०४० का पोष वदि ५, ता. २२-१-८४ को । For Private and Personal Use Only जैन मन्दिर रोड, इस वेदी का निर्माण बाहुबली मेटल कोर्पोरेशन मुंबई दोशी नटवरलाल सोमचन्द परिवार वालो ने किया हैं वि. सं. २०४० का कार्तिक वदि ८, ता. २९-११-८३ को । यहाँ पाषाण की १ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी तथा ८ यंत्र बिराजमान हैं । Page #420 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३३० www.kobatirth.org (३०) १००८ श्री महावीर स्वामी दिगम्बर जैन चैत्यालय शान्तिनगर हॉल, पहला माला, देवचन्द नगर रोड, भाईन्दर (प.) जि. थाणा (महाराष्ट्र ) टेलिफोन नं. - ८१९०० ४४ भरतभाई (३२) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विशेष :- श्री कुंदकुंद स्वामी कहान मुमुक्ष जैन समाज द्वारा संचालित इस चैत्यालय की स्थापना २०५१ का भादवा सुदि ५ को बालब्रह्मचारी सतीशभाई एवं विरागजी मोदी पंडितजी के सान्निध्य में हुई थी । यहाँ मूलनायक के साथ पंचधातु की दोनो प्रतिमाजी श्री महावीर स्वामी की ही हैं। * ॐ ॐ भाईन्दर (पूर्व ) मुंबई के जैन मन्दिर (३१) १००८ श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन चैत्यालय साई रत्नम् बिल्डींग के कंपाउन्ड में, केबिन रोड, भाईन्दर (पूर्व), जि. थाणा (महाराष्ट्र ) टेलिफोन नं. - विनोद के. संघवी - ८१९ ५२८१ विशेष :- प्रतापगढ नयामन्दिर (राज.) से प्रतिमाजी लाकर यहाँ ३० - १२ - ९२ को स्थापना की है। फिलहाल यहाँ वेदी का निर्माण व प्रतिष्ठा बाकी हैं। यहाँ मूलनायक के साथ पंचधातु की कुल ५ प्रतिमाजी तथा एक तरफ श्री पद्मावती माताजी भी चैत्यालय में बिराजमान है। वसई (पश्चिम) १००८ श्री महावीर स्वामी दिगम्बर जैन मन्दिर तीन चौविशी नगर, समता नगर, सद्गुरूदेव श्री कानजी स्वामी रोड, वसई रोड (पश्चिम), जि. थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन नं. - ९१२ - ३२४ ६७८ - वीरजीभाई विशेष :- श्री कानजी स्वामी एवं बहन श्री चंपाबहन के उपकार विशेष से वसई रोड शहर में श्री महावीर स्वामी दिगम्बर जिन मन्दिर का निर्माण हुआ है। For Private and Personal Use Only इस मन्दिर के पहले माले पर विशाल भव्य कमलाकार जिन वेदी पर भूत भविष्य एवं वर्तमान तीनो चौविशी जिनबिंबो को बिराजमान करने का आयोजन हुआ था। गुलाबी संगमरमर से निर्मित भव्य कलाकार जिनबिम्ब वेदी का शिलान्यास की मंगल विधि शान्ताक्रुझ निवासी श्रीमती कनकबहन किटकुमार शाह परिवार के शुभ कर कमलो से रविवार, ता. ८-१२-९६ के शुभ दिन सम्पन्न हुआ था। इसके निर्माण में श्री उपनगर दिगम्बर जैन मुमुक्ष मंडल (मलाड ) के प्रमुख श्री नगीनदास हिंमतलाल salt तथा श्री वीरजीभाई भीमजीभाई पटेल (प्रमुख) का सफल प्रयास रहा हैं। ८ दिन के भव्य महोत्सव के साथ वीर सं. २०२३, वि. सं. २०५३ का माह सुदि ५, मंगलवार, Page #421 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ता. ११-२-९६ को खुब धाम-धुम से प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई थी। इस भव्य शिखरबंदी जिनालय में नीचे के भाग में मूलनायक १००८ श्री महावीर स्वामी परमात्मा की पाषाण की श्वेतरंग की एक प्रतिमाजी तथा पंचधातु की चार प्रतिमाजी सुशोभित हैं । दिवार में पाषाण में खुदाई किये गये श्री कुंदकुंदाचार्य - श्री कानजी स्वामी, श्री चंपाबहन की तस्वीरे भी सुन्दर दिखाई दे रही हैं। दूसरे माले पर श्री बाहुबलीजी, श्री भरतजी के साथ श्री ऋषभदेव भगवान की खडी काउस्सग्ग ३ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। कमला कार वेदी पर तीनो चौविशी के २४+२४+२४-७२ के साथ कुल ७६ प्रतिमाजी जिनालय में बिराजमान हैं। नालासोपारा (पूर्व) (३३) १००८ श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन चैत्यालय २०१, पवनपुत्र, सलसार पार्क, टांकी रोड, नालासोपारा (पूर्व) - ४०१ २०७ जि. थाणा. टेलिफोन नं.-शिखरचन्द पहाडिया - २०८ ९२ ५१, २०५ ३० ८५, किरीट शाह - ८९३ ५०३८ । विशेष :- यहाँ मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान श्याम वर्ण के तथा आजु बाजु में श्री नेमिनाथ भगवान तथा श्री महावीर स्वामी की श्वेत पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, चांदी की एक प्रतिमाजी, एक यंत्र, तांबे के ६ यंत्र सुशोभित हैं। पूज्य मुनिराज १०८ तपस्वीजी श्री निश्चय सागरजी म. के सान्निध्य में प्रतिष्ठा विद्याभूषण श्री प्रदीपकुमार जैन मधुर ने वीर संवत २५११ का, फागुण सुदि ५, सोमवार को ठाठ माठ से कराई थी। विरार (पश्चिम) (३४) १००८ श्री वर्धमान दिगम्बर जैन मन्दिर वर्धमान नगर, एम. बी. ईस्टेट, छत्रपति शिवाजी चौक, पेट्रोल पंप के सामने, विरार - आगाशी रोड, विरार (प.), जि. थाणा, महाराष्ट्र टेलिफोन नं.-८७३ ७० १८ कांतिभाई भूता विशेष :- इस मन्दिरजी की प्रतिष्ठा ३१ दिसम्बर १९८९ को श्री १०८ बालाचार्य योगेन्द्र सागरजी म. की निश्रा में हुई थी । यहाँ पाषाण की ४ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। ३ नीचे और एक उपर। श्री वर्धमान स्वामी तथा आजुबाजु में श्री नेमिनाथ भगवान, श्री पद्मप्रभ भगवान उपर श्री चंद्रप्रभ भगवान, क्षेत्रपाल और पद्मावती देवी बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only Page #422 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३३२ मुंबई के जैन मन्दिर विरार (पूर्व)] (३५) १००८ श्री पार्श्वनाथ भगवान दिगम्बर जैन मन्दिर मोतीबा राईस मील के बाजू में, लक्ष्मी निवास के पीछे, वीर सावरकर रोड, विरार (पूर्व), पिन - ४०१ ३०३ जि. थाणा, महाराष्ट्र. टेलिफोन नं.- (ओ.) ९१२-२०१०८२०, (घर) - ५०४८३८ जयन्तीभाई, (घर) - ९१२-५०४७८० सुमतिभाई, (घर) ९१२ - ५०२२७८ मीठाभाई ए. शाह विशेष :- समस्त दिगम्बर जैन समाज द्वारा निर्मित इस मन्दिरजी भी प्रतिष्ठा परम पूज्य मासोपवासी बालयोगी मुनि श्री १०८ निश्चय सागरजी म. के मंगल सान्निध्य में वि. सं. २०५२, वैशाख सुदि १३, ता. १-५-१९९६ को हुई थी, प्रतिष्ठाचार्य श्री प्रदीपकुमार जैन मधुर बी. कॉम शास्त्री थे । प्रथम मंजिल पर पाषाण की श्याम रंग की मूलनायक पार्श्वनाथ भगवान की तथा श्वेतरंग पाषाण की श्री महावीर स्वामी की एक तरफ, तथा दूसरी तरफ शान्तिनाथजी प्रभु तथा पंचधातुकी ६ प्रतिमाजी एवं ४ यंत्र बिराजमान हैं। एक ओर आले में श्री शांतिसागर चरण पादुका तथा दूसरी ओर श्री जिनवाणी- माताजी दर्शनीय हैं। दूसरी मंजिल पर श्वेतपाषाण की काउस्सण मुद्रा में श्री बाहुबलीजी की प्रतिमाजी हैं। यहाँ श्री निश्चय युवक मंडल, श्री निश्चय महिला मंडल और श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से मुंब्रा भीवन्डी - नई मुंबई कुर्ला (पश्चिम) १००८ श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन चैत्यालय जीवराज निवास, कुर्ला बस डिपो के सामने, लाल बहादुर शास्त्री मार्ग, कुर्ला (पश्चिम), मुंबई - ४०० ०७०. टेलिफोन नं.-५१४ ०५ ७० (घर), ५१४ १५ ४३ (ओ.)- राजेन्द्रभाई विशेष :- इस चैत्यालय के संस्थापक एवं संचालक श्री जीवराज खुशालचंद गाँधी हैं। विधानाचार्य - संपूर्ण विधि विधान विद्याभूषण प्रतिष्ठाचार्य पंडित श्री मोतीलालजी मार्तण्ड, श्री सुधीरकुमारजी शास्त्री के तत्त्वावधान में सम्पन्न हुआ था । बालयोगी युवा तपस्वी मुनि श्री १०८ For Private and Personal Use Only Page #423 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३३३ कल्पवृक्षनन्दिनी म. के सान्निध्य में विधान १५-८-९६ से २५-८-९६ तक हुआ था। हेलीकोप्टर द्वारा पुष्पवृष्टि हुई थी। ध्वजारोहण :- श्री राजेन्द्र जीवराज गाँधी तरफ से हुआ था। मंगलकलश स्थापना :- श्री जीवराज खुशालचन्द गाँधी तरफ से हुआ था। (३७) १००८ श्री महावीर स्वामी भगवान दिगम्बर जैन मंन्दिर भूषण निवास काजुपाडा, पाईप लाईन, कुर्ला, मुंबई - ४०० ०७२. टेलिफोन नं.-प्रशान्तजी - ८५१ २३ ८५, देवीलालजी - ८५१ ७२ ७३ विशेष :- श्री सुभाष रतनचन्द शाह सेन्दरेकर इनके द्वारा सप्रेम भेट मिली हुई जमीन पर यहाँ १९८० ई. में चैत्यालय की स्थापना हुई थी । यहाँ पंचधातु के १० प्रतिमाजी एवं पद्मावती देवी की प्रतिमाजी सुशोभित हैं। इसका संचालन श्री जिनेन्द्र जैन तरुण मण्डल द्वारा हो रहा हैं। संघ के प्रमुख श्री प्रशांत विभाकर जैन, पिराले जैन व्यवस्था संभाल रहे हैं । घाटकोपर (पश्चिम) (३८) श्री सर्वोदय ऋषभदेव भगवान दिगम्बर जैन मन्दिर सर्वोदय होस्पिटल, कम्पाउण्ड में, राईफल रेन्ज, लाल बहादुर शास्त्री मार्ग, घाटकोपर (प.), मुंबई - ४०० ०८६. टेलिफोन नं.- हरेशभाई - ५१३९५६७ विशेष :- सर्वोदय होस्पिटल के कम्पाउण्ड में दिगम्बर जैन मन्दिर में मूलनायक श्री ऋषभदेव भगवान की पाषाण की एक प्रतिमाजी बिराजमान हैं। इसके अलावा वर्तमान, अतीत तथा अनागत चौवीशी की २४ तीर्थंकर प्रभु की प्रतिमाजी सुशोभित हैं। बाहरी ओर काउस्सग्ग ध्यान में खडी श्यामरंग की श्री पार्श्वनाथ भगवान एवं श्री नेमिनाथ भगवान की नौ फीट की नयनरम्य प्रतिमाजी दर्शनीय हैं। इसके अलावा हाथी पर बिराजमान अनागत २४ तीर्थकर प्रभु की मूर्तिया शोभायमान हैं। जिसकी प्रतिष्ठा वि. सं. २०३७ में आचार्य श्री १०८ विमलसागरजी म. तथा १०८ ज्ञान दिवाकर उपाध्याय श्री भरत सागरजी म. के सान्निध्य में करने में आई थी। इस मन्दिरजी की स्थापना वि. सं. २०२८, ता. ३-३-७२ को श्री कानजी स्वामी की पावन निश्रा में हुई थी। For Private and Personal Use Only Page #424 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३३४ मुंबई के जैन मन्दिर - घाटकोपर (पूर्व) (३९) १००८ श्री नेमिनाथ भगवान दिगम्बर भव्य शिखरबंदी जिनालय आर. बी. मेहता मार्ग, (६० फीट रोड), घाटकोपर (पूर्व), मुंबई - ४०० ०७७. . टेलिफोन नं.-(ओ.) ५१२ ८००७, (घर) ५१६ २३ २२ - भद्रेशभाई, रसिकभाई - ५७६ ३८ ८२ विशेष :- इस भव्य जिनालय की स्थापना वि. सं. २०२५ का वैशाख सुदि ८ को श्री कानजी स्वामी के सान्निध्य में हुई थी। मन्दिरजी के मूलगंभारे में मूलनायक श्री १००८ नेमिनाथ प्रभु की श्याम रंग की, तथा श्वेतरंग के पाषाण की श्री सीमन्धर स्वामी की कुल २ प्रतिमाजी, पंचधातु की ८ प्रतिमाजी सुशोभित हैं। बाहर कानजी स्वामी की पाषाण की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। ___ प्रथम मंजील पर २४ तीर्थंकर प्रभु के पाषाण की २४ प्रतिमाजी तथा आजुबाजु में पाषाण की दो काउस्सग्ग प्रतिमाजी भरतजी व बाहुबली तथा एक तरफ श्री शान्तिनाथ भगवान की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। दूसरी मंजिल पर २० विहरमाण भगवाण की २० प्रतिमाजी सफेद आरस की, जिसकी प्रतिष्ठा वीर संवत २५२० का वैशाख सुदि १३, सोमवार को हुई थी। इसके अलावा समवसरण का दृश्य आरस पर सुन्दर बनाया गया हैं। जिसमें आरस की ४ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। उपर की छत कांच की डिझाईनो से शोभायमान हैं। यहाँ श्री घाटकोपर दिगम्बर जैन भगवती महिला मण्डल भक्ति भावना में अग्रसर हैं। (४०) १००८ श्री भगवान महावीर दिगम्बर जैन मन्दिर ३९/११४१ पंतनगर, संत ज्ञानेश्वर पथ, स्वातंत्र्य वीर सावरकर चौक के बाजू में, घाटकोपर (पूर्व), मुंबई - ४०० ०७५. टेलिफोन नं.-डी. यू. जैन - ५१५ १६ ५१, ५११ ९१ ५१ (घर), के. डी चान्दीवाला - ५१४ ७५ ३५ विशेष :- सवाई माधौपुर (राजस्थान) वाले पंडित श्री लाडली प्रसादजी की निश्रा में ता. २४-४-९३, शनिवार को यहाँ जिन प्रतिमाजी की स्थापना हुई थी। सन्मति मण्डल द्वारा संचालित इस मन्दिर में मूलनायक १००८ श्री महावीर स्वामी सहित पंचधातु की ४ प्रतिमाजी एवं २ यंत्र भी बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only Page #425 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३३५ | विक्रोली (पूर्व) (४१) १००८ श्री महावीर स्वामी दिगम्बर जैन चैत्यालय गीतांजलि बिल्डींग नं. १४, रूम नं. ४३२, ग्राउण्ड फ्लोर, टैगोर नगर, विक्रोली (पूर्व), मुंबई - ४०० ०८३. टेलिफोन नं.-५७८ ३४ ९१ - भरतजी काला विशेष :- श्रेष्ठिवर्य श्री भरतकुमारजी तेजपालजी काला ने सन् १९८३ में अपने यहाँ चैत्यालय की स्थापना की थी। इनके यहाँ पंचधातु के मूलनायक श्री महावीर स्वामी तथा आजुबाजु में श्री शान्तिनाथ भगवान व श्री चन्द्रप्रभ स्वामी भगवान बिराजमान हैं। (४२) श्री पार्श्वनाथ भगवान दिगम्बर जैन चैत्यालय लक्ष्मी निवास, दूसरा माला, बिल्डींग नं. ११, टैगोर नगर, विक्रोली (पूर्व), मुंबई - ४०० ०८३. टेलिफोन नं.-५७८ ६३ ७६, ५६४ २२ २१ - गुलाबचन्दजी काम्बोज विशेष :- मूलनायक श्री पारसनाथ भगवान के साथ श्री शान्तिनाथ भगवान, श्री महावीर स्वामी भगवान की पंच धातु की ३ प्रतिमाजी बिराजमान हैं । इस चैत्यालय की स्थापना लगभग २० वर्ष पहले हुई थी। चैत्यालय के संस्थापक एवं संचालक श्रेष्ठिवर्य गुलाबचन्दजी काम्बोज हैं। (४३ भांडुप (पश्चिम) १००८ श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन चैत्यालय गाय निवास, सन्मान सिंग रोड, गाडवे नाका, जंगल मंगल रोड के पास, भांडुप (पश्चिम), मुंबई - ४०० ०७८. टेलिफोन नं.-हिरालालजी मेहता - ५६४ ६६ ०१ दुकान, ५६४ ५५ ९९ (घर), मोतीलालजी, ५६७ ०६ ८८ विशेष :- श्री १०८ जैनाचार्य श्री निर्मलसागरजी म. के आदेशानुसार यह चैत्यालय कमरा, श्री दिगम्बर जैन मित्र मंडल द्वारा निर्मित चैत्यालय को, श्री संघस्थ पन्नालाल बिहारीलाल जैन ब्रह्मचारी गाम सोहडा भिड निवासी की ओर से, ता. १४-३-७९ को समर्पित किया गया था। छन्ना निवासी स्टीलवाला हिराबाई मीठालाल, चंदनबाई डायालाल, मणिबाई छन्नालाल, चन्दीबाई अमृतलाल की तरफ से वेदी का निर्माण वि. सं. २०४५ का श्रावण सुदि १ को हुआ था। For Private and Personal Use Only Page #426 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३३६ मुंबई के जैन मन्दिर इस चैत्यालय में मूलनायक श्री पार्श्वनाथ प्रभु सहित पंचधातु की ५ प्रतिमाजी बिराजमान है, जिसमें एक प्रतिमाजी चऊमुखी बिंब के रूप में सुशोभित हैं। मुलुण्ड (पश्चिम) (४४) श्री महावीर स्वामी भगवान दिगम्बर जैन चैत्यालय धावरदास भवन ग्राउण्ड फ्लोर नं. २, नेताजी सुभाषरोड, मुलुण्ड (प.), मुंबई - ४०० ०८०. टेलिफोन नं.-५६० ११ ४६ - राजकुमारजी विशेष :- श्री राजकुमारजी मोतीचन्दजी गाँधी ने अपने निवासस्थान पर ७ जनवरी १९७० को भगवान की स्थापना की थी। मूलनायक पंचधातु के श्री महावीर स्वामी और बाजु में श्री पार्श्वनाथ भगवान की २ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। (४५) श्री चन्द्रप्रभ स्वामी भगवान दिगम्बर जैन चैत्यालय कस्तूरबा रोड, गोवर्धन नगर, प्लोट नं. ४, ग्राउण्ड फ्लोर, अपना बाजार के पास, नेहरू रोड, मुलुण्ड (प.), मुंबई - ४०० ०८०. टेलिफोन नं.-५६१ ८३ ४४ - बी. एन. साबळे विशेष :- शोलापुर महाराष्ट्र से पधारे हुए श्रेष्ठिवर्य बी. एन. साबले ने ३० वर्ष पहले अपने यहाँ मूलनायक श्री चंद्रप्रभ स्वामी भगवान एवं श्री पार्श्वनाथ भगवान की पंचधातु की २ प्रतिमाजी की स्थापना की थी। (४६) श्री पार्श्वनाथ भगवान दिगम्बर जैन चैत्यालय चन्द्र विहार, प्लोट नं. ८, कस्तूरबा रोड, मुलुण्ड (प.), मुंबई - ८०. टेलिफोन नं.-५६५ ०८ ८४ डॉ. बाहुबली एन. शाह (बी. एन. शाह) (S.E.M.) ५६५ ४६ ५१ (घर) विशेष :- लगभग ७ वर्ष पहले सर्वोदय होस्पिटल में १०८ श्री विमल सागरजी म. के सान्निध्य में प्रतिष्ठा की हुई पंचधातु की प्रतिमाजी यहाँ बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only Page #427 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३३७ यहाँ मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान, श्री नंदीश्वर भगवान एवं श्री पद्मावती बिराजमान हैं। (४७) श्री पार्श्वनाथ भगवान चैत्यालय गुरूकृपा नगर, प्लोट नं. ३६, ग्राउण्ड फ्लोर, मेहुल टोकिज के आगे नाहर रोड, ___ मुलुण्ड (प.), मुंबई - ४०० ०८०. टेलिफोन नं.-५६४ ५८ २० - अशोकभाई साबले विशेष :- सेठ श्री अशोकभाई साबले ने अपने यहाँ ४ वर्ष पहले पंचधातु की पार्श्वनाथ भगवान की एक प्रतिमाजी की स्थापना की थी। (४८) श्री पार्श्वनाथ भगवान चैत्यालय ॐ चैत्यन्य बिल्डींग, ग्राउण्ड फ्लोर, वालजी लधा रोड, श्री संत पांचले गांवकर महाराज चौक, मुलुण्ड (प.), मुंबई - ४०० ०८०. टेलिफोन नं.-५६५ ३३ ३४ - सुरेश शाह विशेष :- श्रेष्ठिवर्य श्री सुरेश शाह ने अपने निवास स्थान पर सन् १९७६ में पंचधातु की मूलनायक श्री पार्श्वनाथ प्रभु की एक प्रतिमाजी एवं एक पद्मावती माता की मूर्ति की स्थापना की थी। (४९) श्री आदिनाथ भगवान चैत्यालय . रविकिरण होटेल के और, मोमाई मां मन्दिर के पास, वर्धमान नगर के सामने, उमीया भवन फ्लेट नं. २, ग्राउण्ड फ्लोर, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद रोड, मुलुण्ड (प.) मुंबई - ४०० ०८०. टेलिफोन नं.-(घर) ५६८ ०५ ८९, ५६५ ०४ ७७, (ओ.) ५३२ ११४९, ५३० ३२ ८७ - ललीताजी कैलास रणदीवे विशेष :- श्रेष्ठिवर्य श्री कैलासभाई रणदीवे के दादाजी ने ७५ वर्ष पहले इस चैत्यालय की स्थापना की थी। यहाँ पंचधातु की श्री आदिनाथ भगवान, श्री पार्श्वनाथ भगवान एवं श्री सिद्ध भगवान की ३ प्रतिमाजी तथा एक पद्मावती देवी की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only Page #428 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३३८ मुंबई के जैन मन्दिर (५०) श्री शान्तिनाथ भगवान चैत्यालय वीणा नगर नं. ५, फर्स्ट फ्लोर, जैन स्डुडियो के उपर, गेबेरियल कं. के सामने, लालबहादुर शास्त्री मार्ग, मुलुन्ड (प.), मुंबई - ८०. टेलिफोन नं.-५६१ ६१ ४५, ५६७ ३८५९ विशेष :- श्रेष्ठिवर्य श्री अविनाश मोतीचन्द मेहता के निवास स्थान पर १०८ श्री विमल सागरजी म. की प्रेरणा व सान्निध्य में ३ सितम्बर १९८२ को चैत्यालय की स्थापना हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री शान्तिनाथ भगवान की चांदी की एक प्रतिमाजी तथा पंचधातु की पार्श्वनाथ भगवान की एक प्रतिमाजी के अलावा श्री पद्मावती माताजी एवं ३ यंत्र भी बिराजमान हैं। श्री अजितनाथ भगवान चैत्यालय । हजीज कम्पाउन्ड, पहला माला, ईस्ट इंडिया कं. के बाजू में, भाण्डुप सोनापुर के आगे, लालबहादुर शास्त्री मार्ग, मुलुण्ड (प.), मुंबई - ८०. टेलिफोन नं.-५६८ ९३ ७८ - मीठालालजी विशेष :- लगभग १५ वर्ष पहले सेठ श्री मीठालालजी दाडमचन्दजी जैन ने अपने यहाँ श्री अजितनाथ भगवान की पंचधातु की एक प्रतिमाजी की स्थापना की थी। मुलुण्ड (पूर्व) (५२) श्री शान्तिनाथ भगवान चैत्यालय २०३ दूसरा माला, बाल कृष्णा सोसायटी, साने गुरूजी रोड, नवधर रोड, ९० फीट रोड, मुलुण्ड (पूर्व), मुंबई - ४०० ०८१ टेलिफोन नं.-५६१ ४० ४८ अनिलकुमार माणेकचंद शाह विशेष :- आपश्री के निवास स्थान पर शोलापुर (महाराष्ट्र) से लाई गई एक प्राचीन प्रतिमाजी शान्तिनाथ भगवान बिराजमान हैं । इस चैत्यालय के संस्थापक एवं संचालक श्री अनिलकुमार माणेकचन्द शाह हैं। For Private and Personal Use Only Page #429 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३३९ (५३) १००८ श्री महावीर स्वामी दिगम्बर जैन मन्दिर सत्य संगम गैरेज १०-११-१२-१३ शिवाजी नगर चेकनाका, मुलुण्ड, थाणा (प.) ४०० ६०४. जि. थाणा (महाराष्ट्र). टेलिफोन नं.-५३२ ६९९६ माणिकचंदजी, ५६१ ४३ ६९ - मोहनजी - ५६० ५५ ९२, मालचन्दजी, ५३२ ७५ ८० - मांगीलालजी विशेष :- मूल संघी आर्ष मार्गी बीस पन्थी आम्ना मुलुण्ड परिसर वीसा नागेन्द्रा समाज उदयपुर (राज.) द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस मन्दिर की स्थापना पूज्य १०८ श्री शान्तिसागरजी म. पोरसावाले के सान्निध्य में. वि. सं. २०४८ का फागुण वदि ४, शनिवार, ता. २१-२-९२ को हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री महावीर स्वामी, चौविशी एवं सिद्ध भगवान की पंचधातु की ३ प्रतिमाजी तथा यंत्र ९ एवं पद्मावती माताजी की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। यहाँ पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन सेवा मण्डल की व्यवस्था हैं। (५४) श्री आदीश्वर भगवान दिगम्बर जैन चैत्यालय गाला एपार्टमेन्ट, तीसरा माला, कॅसल मील नाका, उतलसर नाका, ___ थाणा, (जि.) थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन नं.-५४२ ०० ६७, ५४१ १० ५८ - तेजपालजी विशेष :- १०८ श्री आचार्य नेमिसागरजी म. एवं १०८ श्री आचार्य निर्मलसागरजी म. के शुभ आशीर्वाद से श्री प्रेमचन्दजी नवलचन्दजी पंचोली एवं अ. सौ. सज्जनबाई प्रेमचन्दजी एवं उनके परिवार व जैन समाज के सहयोग से इस मन्दिर का निर्माण हुआ था । वि. सं. २०४० का माह वदि ५, ता. २२-१-१९८४ को वेदी का निर्माण स्व. श्री बाबुलालजी वैद (जयपुर) की स्मृति में उनके सुपुत्र प्रवीणचन्द्र जैन ने किया था । यहाँ मूलनायक श्री आदिनाथ भगवान तथा आजु बाजु में श्री शान्तिनाथ भगवान एवं श्री महावीर स्वामी भगवान की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की १२ प्रतिमाजी तथा अनेक तीर्थो के पट भी दर्शनीय है। साधु स्वाध्याय हॉल, दिगम्बर जैन युवा मंच और भक्ति महिला मण्डल की व्यवस्था है। For Private and Personal Use Only Page #430 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३४० www.kobatirth.org (५६) थाणा ( पूर्व ) (५५) १००८ श्री पार्श्वनाथ चैत्यालय जीवन संगीत को. हाऊसींग सोसायटी, बैंक ऑफ इंडिया के उपर, दूसरा माला, कोपरी कॉलोनी थाणा ( पूर्व ), महाराष्ट्र टेलिफोन नं. : ५४२३६४४, ५३७८२९९ पद्मकुमारजी विशेष :- आज से लगभग १५ वर्ष पद्मकुमारजी के निवासस्थान पर पंचधातु की एक प्रतिमाजी श्री पार्श्वनाथजी की स्थापना की थी । (५७) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर मुब्रा १००८ भगवान श्री बाहुबली दिगम्बर जैन मन्दिर पोष्ट : मुंब्रा, जि. थाणा (महाराष्ट्र ) टेलिफोन नं. - ५३५९० ६८ - धर्मचन्द सोगाणी विशेष :- थाणा से ६ किल्लो मीटर दूर पुराना मुंबई- पुना रोड पर स्थित मुंब्रा शहर में कलापूर्ण शिल्पयुक्त तथा आकर्षक भावपूर्ण श्री १००८ भगवान बाहुबली की २८ फीट की पाषाण की प्रतिमा काउस्सग्ग मुद्रा में बिराजमान है । इस मन्दिर के संस्थापक स्व. श्रीमान सेठ भाईचन्द रुपचन्द दोशी, स्व. सौ. माणिकबाई भाईचन्द दोशी मुंबई थे, स्थापना जुलाई सन १९५८ को हुई थी । पितृभक्त सेठ रतनचन्द भाईचन्द दोशी, सूर्यकान्त भाईचन्द दोशी है। बाल युवा तपस्वी श्री १०८ कल्पवृक्षनंदिजी महाराज के प्रेरणा पूर्ण आशीर्वाद से श्री बाहुबली जैन चेरिटी ट्रस्ट मुंब्रा का जीर्णोद्धार की नई योजनाए विकसित होने हेतु ट्रस्ट के प्रमुख सूर्यकान्त दोशी सेवा दे रहे हैं। ❀ भीवण्डी १००८ श्री शान्तिनाथ भगवान जैन मन्दिर गोकुल नगर, ३९३ कासार आली, चाचा नेहरु हिन्दी स्कूल के सामने, भीवण्डी, जि. थाणा (महाराष्ट्र ) टेलिफोन नं.: २०८९२५१ शिखरचंद पहाडीया For Private and Personal Use Only विशेष :- समस्त दिगम्बर जैन समाज ट्रस्ट भीवण्डी (मुंबई - थाणा ) द्वारा इस भव्य नूतन जिनालय का निर्माण हुआ हैं। Page #431 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३४१ धर्म प्रभावक परम पूज्य श्री १०८ कुंथुसागरजी म. के तथा पूज्य बालाचार्य मुनि श्री कल्पवृक्षनंदीजी म. एवं मुनि श्री १०८ निश्चय सागरजी म. के मंगलमय सान्निध्य में प्रतिष्ठा महोत्सव वि.सं. २०५४ का माह सुदि १०, शुक्रवार, ता. ६-२-९८ को सम्पन्न हुआ था। पूज्य भट्टारक स्वस्ति श्री लक्ष्मीसेन स्वामी (कोल्हापुर) स्वस्ति श्री जिनसेन स्वामीजी (नान्दनी), स्वस्ति श्री भुवन कीर्तिजी स्वामीजी (कनकगिरी, मैसुर) एवं स्वस्ति श्री धवल कीर्ति स्वामीजी, (धिरुमले तामिलनाडु) प्रतिष्ठाचार्य श्री प्रदीपकुमारजी जैन मधुर तथा प्रतिष्ठाचार्य श्री मांगीलालजी जैन (उदयपुर) के द्वारा प्रतिष्ठा विधि सम्पन्न हुई थी । यहाँ भव्य सुन्दर शिखरबंदी जिनालय का निर्माण हुआ हैं । यहाँ मूलनायक श्री शान्तिनाथ भगवान तथा आजु बाजु में श्री आदिनाथ भगवान एवं महावीर स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, ताँबे के यंत्र १७ के अलावा क्षेत्रपाल एवं पद्मावती देवी की प्रतिमाजी बिराजमान है। श्री दिगम्बर जैन मन्दिर ट्रस्ट की स्थापना सर्वप्रथम वि.सं. २०४० में हुई थी। यहाँ श्री स्याद्वाद शान्तिनाथ दिगम्बर जैन पाठशाला एवं श्री दिगम्बर जैन मण्डल की व्यवस्था हैं। डोम्बिवली (पश्चिम)। (५८) १००८ श्री आदिनाथ भगवान चैत्यालय सौरभ पॅलेस ग्राउन्ड फ्लोर, बालकृष्णा एपार्टमेन्ट के सामने, घनश्याम गुप्ते रोड, डोम्बिवली (प.), जि. थाणा, (महाराष्ट्र) टेलिफोन : कारखाना ९११-४७१७२८, घर - ९११-४७३९७१, ९११-४६३५६२ विशेष :- भगवान आदिनाथ दिगम्बर जैन मण्डल डोंबिवली की स्थापना ता. १९-१०१९९० को हुई थी, जिनके प्रयास से पूजापाठ - दर्शन हेतु सौरभ एपार्टमेन्ट में ४०० स्क्वेयर फीट जगह में चैत्यालय का निर्माण किया, जिनकी प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य श्री दर्शनसागरजी म. के शिष्य परम पूज्य बालयोगी मुनि श्री कल्पवृक्ष नन्दिजी म. के सान्निध्य में तथा संहितासूरि प्रतिष्ठाचार्य पंडित फतहसागरजी शास्त्री एम.ए. उदयपुर (राजस्थान) की निश्रा में मंगल महोत्सव के साथ ता. २३-४९४ को मन्दिरजी में भगवान बिराजमान किये गये । यहाँ सफेद आरस की मूलनायक श्री आदिनाथ भगवान की एक प्रतिमाजी तथा पंच धातु की ८ प्रतिमाजी बिराजमान है। For Private and Personal Use Only Page #432 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३४२ मुंबई के जैन मन्दिर (५९) डोम्बिवली (पूर्व) १००८ श्री महावीर स्वामी चैत्यालय गोकुल एपार्टमेन्ट, तीसरा माला, नेहरु मैदान के पास, आर.बी.टी. विद्यालय के सामने, पंडित श्याम प्रसाद मुखर्जी रोड, डोम्बिवली (पूर्व), जि. थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन : ९११-४५३३८४-मनोज मेहता विशेष :- सेठ श्री कैलासचन्द्र शिवलाल मेहता के घर सर्वप्रथम सन १९७१ में भगवान बिराजमान किये गये थे। उसके बाद श्री २५०० महावीर मुक्ति महोत्सव मण्डल डोम्बिवली (पूर्व) की तरफ से सन् १९९१ साल में भगवान को गोकुल एपार्टमेन्ट में स्थापित किये गये। यहाँ मूलनायक श्री महावीर स्वामी, श्री आदिनाथ, श्री पार्श्वनाथ एवं सिद्ध भगवान की पंचधातु की कुल ४ प्रतिमाजी एवं एक पद्मावती माताजी की मूर्ति स्थापित की हुई शोभायमान हैं। नवी मुम्बई (वाशी) (६०) १००८ श्री पार्श्वनाथ भगवान एवं १००८ श्री महावीर स्वामी भगवान दिगम्बर जैन मन्दिर प्लोट नं. १, सेक्टर नं. ९, बसस्थानक के पास, नवी मुम्बई (वाशी) नं. ४०० १०३. जि. थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन : ७६६ ६६ २२, ७६६ ६१ २३ एस. डी धामी विशेष :- समस्त दिगम्बर जैन समाज नवी मुंबई की तरफ से परम पूज्य १०८ श्री बालाचार्य, १०८ श्री भूतबली सागरजी महाराज, श्री कल्पवृक्ष नन्दीजी म. जी के मंगल सानिध्य में प्रतिष्ठाचार्य श्री जिवंधर अनंत उपाध्याय सिदनाल (कर्नाटक) की निश्रा में वि.सं. २०५३ का वैशाख वदि ६, ता. २८-५-९७, बुधवार को भव्य ठाठ माठ से प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई थी। यहाँ पाषाण के श्याम रंग के श्री पार्श्वनाथ भगवान एवं श्वेत ५.षाण के श्री महावीर स्वामी भगवान बिराजमान है। दोनों मूलनायक प्रतिमाजी के पास में पंचधातु की ६ प्रतिमाजी, २ चौबिश तीर्थंकर, २ काउस्सग्ग प्रतिमाजी, दो पंचमूर्तिका धातु की भी हैं। क्षेत्रपाल और पद्मावती देवी भी बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only Page #433 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३४३ दर्शनार्थ पधारिये श्री शांतिनाथ जैन मन्दिर मानपाडा (थाने) Ve श्री कोंकण शत्रुजय तीर्थ व मुनिसुव्रत जिनालय थाने से ४ कि.मी. की दूरी पर घोडबंदर रोड़ (थाने-बोरिवली मार्ग) पर मानपाडा में स्थित * शांति प्रदायक भगवान श्री शांतिनाथजी की चमत्कारिक प्रतिमा * गुरु गौतमस्वामीजी एवं राजेन्द्रसूरिजी की मनोहारी प्रतिमायें * इस नवोदित जिनालय की यात्रा के लिये एक बार पधारने का आग्रह है। यात्रा कर अपने जीवन को धन्य करे। * पूर्व सूचना देने पर योग्य सुविधायें उपलब्ध। (विनीत श्री शांतिनाथ जैन मन्दिर ट्रस्ट वीर सावरकर चौक, चित्तलसर, मानपाडा-४०० ६०७. जिला-थाने (महाराष्ट्र) फोन: ५३४ ०७ २४ ।। MoonxomoomxdoodooxMooronxoxoxomxCODINooxCooDROOMoobroon For Private and Personal Use Only Page #434 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३४४ www.kobatirth.org श्री आत्मानन्द जैन सभा, मुंबई -३ प्रेरक- प. पू. युगद्रष्टा युगवीर आचार्य प्रवर श्रीमद् विजय वल्लभसूरीश्वरजी म.सा. खीमजी हेमराज छेडा सभागृह ३९-४१ धनजी स्ट्रीट, मुंबई - ४००००३. टेलि. ३४३६००२. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -साधन परम पूज्य आचार्य श्री की प्रेरणा से वि.सं. १९९६ में स्थापित हुई थी । इस संस्थाने धर्म-२ और शिक्षण के उत्कर्ष क्षेत्र की ओर अनेक प्रवृत्तियो को हाथ धरकर समग्र समाज में एक प्रगतिशील कार्यरत संस्था के रुप में गौरव युक्त स्थान प्राप्त किया है। संस्था द्वारा कार्यो की झलक : धार्मिक-सामाजिक ऐतिहासिक साहित्य की अब तक लगभग ५० पुस्तको का प्रकाशन । जम्मु-कोसांबी- करेडा पार्श्वनाथ - आग्रा मुरादाबाद - पावागढ तीर्थआकोला - मेरठ- हस्तिनापुर - वल्लभस्मारक दिल्ली आदि के निर्माण के लिये या जीर्णोद्धार के लिये मुंबई से धन राशि एकत्र कर भिजवाया। समाज के मध्यम वर्ग के लिये अनाज भाडा - बीमारो के लिये साधर्मिक भक्ति के साथ निवासस्थानों की जरुरत पूरी करने के लिये वि.सं. २०३२ में महावीर नगर... कांदिवली में ३४४ ब्लॉक बांधकर समाज को अर्पण किया हैं। नालासोपारा में आत्मवल्लभ समाज उत्कर्ष ट्रस्ट नाम के ट्रस्ट की स्थापना करके २३ मकानों में ५०० जितने ब्लोकों को कम राहत भाव में जरुरतमंद साधर्मिको को दिलवाया गया। नालासोपारा में राहत दर से एक दवाखाना भी शुरु किया है। मुंबई के जैन मन्दिर - Dow - For Private and Personal Use Only 'विजय वल्लभ होस्पीटल' बडौदा एवं 'वल्लभ स्मारक' दिल्ली के लिये भी संस्था ने लाखो का फंड भिजवाया है। जैन महापुरुषो और त्यागीयो की जन्मोत्सव पुण्यतिथि मनाना । पाठशाला के बालको की वकृत्त्व स्पर्धा और धार्मिक परीक्षा में उर्त्तीर्ण होनेवाले बालको को महत्तरा साध्वीजी की स्मृति पारितोषिक इनाम का प्रतिवर्ष वितरण । कार्तिक तथा चैत्र पुनम के दिन गोडीजी मन्दिर से तथा खेतवाडी पावापुरी मन्दिर से भायखला मन्दिर तक की बेस्ट की स्पेश्यल बसो की व्यवस्था । • अक्षय तृतीया के दिन वर्षीतप का पारणा निमित्त चेम्बर मन्दिर आनेजाने के लिये स्पेश्यल बसो की व्यवस्था । * यात्रा प्रवास का आयोजन और अन्य शुभ सेवा के कार्यो में साथ सहकार। नालासोपारा खाते श्री आत्म वल्लभ ट्रस्ट संकुल में महिला उद्योग गृह का आत्म-वल्लभ महिला सहयोग द्वारा आयोजन । - - साधार्मिक फण्ड : संस्था द्वारा मुंबई के १०० से अधिक जिनालयों में साधर्मिक फंड की रखने में आई पेटीयों में से निकलती रकम से मुंबई के आर्थिक रीत से कमजोर ६०० जितने परिवारों को शिक्षण - अनाज- दवा - भाडा में राहत रुप में दिया जाता है। बिमार सेवा सहायता योजना : • साधारण परिवारों को बडी असाध्य बीमारीयों में होनेवाला अकल्पित दवा होस्पीटल डॉक्टरों के खर्चाओ में सहयोग रुप होने के हेतु से रु. ३६० वाली बीमारी सहायता योजना कुपनो को बाहर निकाला हैं। इस फंड की मूल रकम कायमी फंड तरीके जमा रखकर ब्याज वापरने में आता है। अभी तक १६ लाख जितना फण्ड एकत्र हुआ हैं । arc@Gar Page #435 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मुंबई के जैन मन्दिर www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शुभ कामनाओ के साथ : श्री चेम्बुर तीर्थ प्रेरक : प.पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. भारतभर मां श्री चेम्बुरतीर्थ ज एक अवुं यात्रा धाम छे के ज्यां दर बेसता महिने श्री नवकार महामन्त्रना विधिवत् संगीतमय मंगलजापनुं पावनकारी अनुष्ठान थाय छे दिन प्रतिदिन मानव समुदाय आ धर्म अनुष्ठान मां हाजर रही दिव्य अनुभूतिनो अनुभव करे छे अथी हवे लोको कहे छे के... पूनम श्री शंखेश्वर मां तो बेसतो महीनो तो चेम्बुरनो ज. आप सौने... आ संकल्प सिद्धिना सोपानो सर करी जीवनमां सुख शान्ति ने आबादी नु नव सर्जन करता आ पावन अनुष्ठानमा पधारवा हार्दिक विनंती. श्री पंच परमेष्ठि आराधक मण्डल चेम्बूर मण्डलनी विविध प्रवृत्तिओ दर बेसता महिने सवारे ७.०० वागे श्री नवकारना संगीत - लयबद्ध मंगलकारी जाप ॐ दर बेसता महिने रात्रे ८.०० वागे श्री देरासरजीमां प्रभु भक्तिनी रमझट * दर पुनमे सवारना ८.०० वागे भव्यातिभव्य सामुहिक स्नात्र महोत्सव श्री पंच परमेष्ठि आराधक मण्डल ( श्रावक मण्डल) श्री पंच परमेष्ठि भक्ति मण्डल ( श्राविका मण्डल) श्री ऋषभदेव भगवान जैन मन्दिर श्री चेम्बर तीर्थ, १० मों रस्तो, श्री आदीश्वर दादा जैन मन्दिर चौक, चेम्बर - ४०० ०७१. टेलिफोन - ३४५ १- ५२८६८०२ Door60000000000 For Private and Personal Use Only Page #436 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३४६ मुंबई के जैन मन्दिर आज ही ग्राहक बनिये - भारतवर्ष के कोने-कोने में पहुँचने वाला ५००० ग्राहकों एवं ५०,००० पाठकों का प्रिय धर्म की विविधतामें शाश्वतता का प्रवर्तक हिन्दी मासिक शाश्वत धर्म 0 (मानद सम्पादक : जे.के. संघवी) प्रतिदिन मात्र ११ पैसे में प्राप्त करे *मननीय, निष्पक्ष विचारों युक्त सम्पादकीय * मुनिवर्यों के विहार, शासन प्रभावना, चातुर्मास, महोत्सव, तीर्थ सम्बन्धी समाचार * संस्था समाचार * आचार्यो, मुनियों, विद्वानों के प्रवचन, लेख * स्वास्थ्य चर्चा * इसके अलावा भी कई जानने योग्य जानकारियों से युक्त यदि आप चाहते है कि सम्यगज्ञान के साथ ही सत्साहित्य द्वारा आपके परिवार में सुसंस्कारों की परम्परा आने वाली पीढी में कायम रहे, तो प्रतिदिन मात्र ११ पैसे का खर्च तो कुछ भी नहीं है। __ आज, ४६ वर्ष से नियमित प्रकाशित, अव्यावसायिक पत्रिका, शाश्वतधर्म के ग्राहक बनें एवं सम्बन्धीजनों व इष्ट मित्रों को प्रेरणा देकर ग्राहक बनायें। सदस्यता शुल्क : बीस वर्षीय - आठ सौ रुपये दस वर्षीय - पांच सौ रुपये तीन वर्षीय - दो सौ रुपये ड्राफ्ट 'शाश्वत धर्म' के नाम से थाने शारखा का निकालकर या मनीआर्डर निम्नांकित पते पर भिजवायें शाश्वत धर्म कार्यालय : ३०५ संघवी भवन, स्टेशन रोड, कौपीनेश्वर मंदिर के सामने, ठाणे - ४०० ६०१. (महाराष्ट्र) फोन नं: (९११) ५३६ ११७६ फेक्स: ५४४ २०५९. अखिल भारतीय श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद द्वारा संचालित லகலகல க லகலகலகலகலகல For Private and Personal Use Only Page #437 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मुंबई के जैन मन्दिर MAHAVEER KENDRA उपाध्याय प्रवर अनुयोग प्रर्वतक पूज्य गुरुदेव श्री कन्हैयालालजी म.सा. कमल की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से संस्थापित, राजस्थान धर्मादा आयुक्त द्वारा मान्यता प्राप्त श्री वर्धमान महावीर केन्द्र केन्द्र www.kobatirth.org देव होमियोपेथी दवाखाना ३ प्रत्येक मंगलवार Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (३) नि:शुल्क होमियोपेथी दवाईयों द्वारा रोग का मुक्त निदान । (४) हर वर्ष आयंबिल - ओली का आयोजन । प्याऊ ३४७ उपरोक्त केन्द्र द्वारा संचालित सार्वजनिक प्रवृत्तियाँ : (१) जैन समाज के सभी संप्रदायो के साधु-साध्वीयों के लिये विहार में ठहरने एवं आहार- पानी की समुचित व्यवस्था । (२) दर्शनाथियों एवं पर्यटकों के ठहरने हेतु कमरो की एवं शुद्ध सात्त्विक भोजन के लिये भोजनशाला, गरमपानी आदि की व्यवस्था । For Private and Personal Use Only सब्जी मण्डी के सामने, देलवाडा रोड, आबू पर्वत ३०७५०१ ( गजस्थान) ( टेलिफोन : ०२९७४-३५६६) (५) गरीब एवं आदिवासी लोगो के लिये ग्रीष्म कालीन निःशुल्क रोटी- - छाछ का वितरण। पूरे वर्ष भर बच्चो के दूध का निःशुल्क वितरण । मूक पशु-पक्षियों के लिये प्यास एवं दाने-पानी की व्यवस्था । (६) सनसेट पोइंट, मेन बाजार एवं नक्की तालाब स्थित प्याऊ शीतल जल का मुफ्त वितरण । -: अधिक जानकारी हेतु सम्पर्क करे या लिखे : अध्यक्ष महामन्त्री : श्री कुन्दनमल मूलचन्दजी साकरीया C/o. पी. के. प्लास्टिक्स शा. हस्तीमलजी जुहारमलजी साकरीया १४ ओ / १ वर्धमान सदन, श्रीराम मील के पास, अस. अस. अमृतवार मार्ग, वरली, मुंबई - ४०० ०१३. ५, खातीपुरा, एम. जी. कदम मार्ग, इन्दौर - ४५२००३. फोन: ०७३१ (ओ.) ५३४८२८ (रे.) ५३५४५१ फोन : ९११-४९४१४४२ (ओ.) ४९७३६७४ (रे.) 000000000000000000000 Page #438 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३४८ आ. श्री विजय वल्लभसूरीश्वरजी महाराज www.kobatirth.org मुम्बई के जैन मन्दिर पुस्तक के लेखक एवं प्रकाशक को हार्दिक बधाई : श्री आत्मवल्लभ जैन संगीत (सेवा) मंडल प्रस्तुत : Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर (वल्लभ मेलोडीज संस्था द्वारा संचालित संस्थाएँ : श्री शान्तिनाथ जैन महिला मंडल श्री शान्तिनाथ जैन धार्मिक पाठशाला प्रतिष्ठा, यात्राप्रवास, पूजा, रात्रि भावना व भक्ति संगीत, नृत्य, मिमिक्री सह स्टेज प्रोग्राम : कार्यालय श्री अंबिका ज्वेलर्स, वरली बी. डी. डी. चाल नं. १०४, के सामने, श्री राम मील गली, शिवराम एस. अमृतवार मार्ग, मुंबई - ४०० ०१३. संपर्क : अध्यक्ष रोशनलाल वरदरीया फोन : ४९२०५ ९७ फोन : २०१२६६१ फोन : ४९१ १६ २२ फोन : ४९२ ७४ ३७ For Private and Personal Use Only मंत्री : सुकन परमार सहमंत्री : भरत मोडनगोता कोषाध्यक्ष : दिनेश साकरीया 00000000000000000000000 Page #439 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३४९ मुंबई के जैन मन्दिर पुस्तक प्रकाशन पर हार्दिक शुभकामनाए : देह विलय : ता. २१-८-९८ शुक्रवार, मुंबई देह विग्य : ता, ११-११- १.८ मुंबई स्व. अ.सौ. घीसीबन माहनलालजी, खिमाडा स्व. शा. मोहनलाल चन्दमलजी, खिमाडा हे अरिहंत परमात्मा ! सद्गत आत्मा को आपके शरण में लेकर अक्षय सुख और परम शांति प्रदान करे यही अंतर की प्रार्थना. शान्त, गंभीरता, सहनशीलता, सरलता थी. आप में अपरम्पार स्वजनो के मुख से नित्य बरसती आपकी प्रशंसा की धार श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए हम है आपके पति : स्व. मोहनलाल चन्दनमल जैन खिमाडा :: भंवरलाल, अरविन्दकुमार, दिनेशकुमार सुपुत्री : शकुन्तलाकुमारी, मीनाकुमारी, रेखाकुमारी जमाई : मोहनलालजी, सुकनराजजी, जिनेन्द्रकुमारजी बहन (नणंद) : भीकीबाई, शान्तिबाई, स्व. फेन्सीबाई, नारंगीबाई नणंदोई : पुखराजजी, देवीचन्दजी, स्व. मांगीलालजी, घीसूलालजी साली (छोटीबहन) : फेन्सीबाई भँवरलालजी शिवगंज पुत्रवधू : अंजना, नीता, वैजयन्ती पौत्री : स्विटी, रिमा, रिद्धि सुपुत्र शा. मोहनलाल चन्दनमल जैन (खिमाडावाला) टे. ३०९ ९२ ०१. वाकडा पुल के सामने, लक्ष्मी निवास, भायखला (पश्चिम) - दुकान नं. ५७२-ओ, ना.म. जोशी मार्ग, मुंबई-४०० ०२७. ccordaraDaridrioricordDarlarloodraparlourdoardODxADODxAGRADG For Private and Personal Use Only Page #440 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३५० मुंबई के जैन मन्दिर With Best Compliments From : शा. उत्तमचन्दजी अमीचन्दजी बालीवाले CHAINN CHAINST Manufacturers of Exclusive Machine made Gold Chains, Jewellery & Casting Jewellery TERECES CILLILII1111111 BAANSAAN . RA excep TV AN 3 CHAINNCHAINS 100 104, Mokwolo Blay, 1st floor, Dhanjee Street, Mumbai 400 003. Tel. 342 0555, 341 4445 Fax 91-22-494 4843 ** DESIGN SHYAM GEHOU ACUMEN STUDIO A1l 5199 For Private and Personal Use Only Page #441 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर श्री ज्ञानप्रचारक मण्डल को हार्दिक बधाई : राजस्थानीयों के विश्वास पात्र मद्रास बंद सेटींग आभूषणो के कुशल निर्माता टेलिफोन : ४९२ २४ २७ शा. मिश्रीमल राजमल ज्वेलर्स (प्रो. शा. मिश्रीमल पुखराजजी देसूरीवाला) PORN 00 . . . VOTERACCIAL .. मद्रास बंद सेटींग के हाथ पान, हार, बंगडी, पाटला, कंदोरा, बोरसेट, पंची, पेंडल, अंगुठी, बुटी, एयरिंग, चाबीजुड़ा एवं हीरे व इंग्लिश, अमेरीकन डायमण्ड के आकर्षक व कलात्मक आभूषण विविध डिझाइनो में बनाकर दिये जाते हैं। २९४, अंबाबाई बिल्डींग, ए.टू. झेड इंडस्ट्रीयल के बाजू में, गणपतराव कदम मार्ग, लोअर परेल, वरली, मुंबई-४०० ०१३. WORLOODLOOGHOOMORRORNORNORMOGHODEUOROGROoxoxoonxcom For Private and Personal Use Only Page #442 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३५२ मुंबई के जैन मन्दिर शुभकामनाओ के साथ : श्री नाकोड़ा भैरवाय नमः SHREE MOOLOBA SYNTEX Mfg. EXCLUSIVE SUITINGS 66/72, Dadiseth Agiary Lane, Manhar Building, 1st Floor, Kalbadevi Road, Mumbai-400 002. Tele:2016441 Powerloom Cloth Merchant & Commission Agents Shah Mulchand Gomaji शा. मुलचन्द गोमाजी Shree Mooloba Syntex श्री मुलोबा सिटेंक्ष Shree Mooloba Traders श्री मुलोबा ट्रेडर्स With Best Compliments From | MOHANLAL BABOOLAL & Co.| 78, Sutar Chawl, Plaza Market Third Floor, Mumbai-400 002. Tel. : 341 1816,3440073, (२.) 8984509 रात्री बीतने पर जिस प्रकार वृक्ष का पका हुआ पत्ता गिर जाता है. उसी प्रकार मनुष्य का जीवन एक दिन समाप्त हो जाता हैं। अत: हे गौतम ! क्षण मात्र भी प्रमाद मत कर - भगवान महावीर WooxiconxdooxcxcxecoRMADAROOMICRAdcoxacodcomdoodxdooxicoRxGcom For Private and Personal Use Only Page #443 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मुंबई के जैन मन्दिर www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शुभकामनाओ के साथ : शा. चम्पालालजी मगनलालजी जावालवाले WOO SUPERTEX SYNTHETICS (INDIA) FANCY SUITING SHIRTING & SAREES 57/59, Chippi Chawl, Shamseth Street 2nd, Floor Zaveri Bazar, Mumbai-400 002. Tel.: (O.) 342 11 06. (R.) 805 86 07 जिस प्रकार सूअर चावलों की भूसी को छोड़कर विष्ठा खाता है. उसी प्रकार मृग समान पशु बुद्धिवाला अज्ञानी जीव शीलको छोड़कर दुःशील में रमण करता • भगवान महावीर - शुभकामनाओ के साथ : TAPOVAN Suiting & Shirtings M/S. SHA PARASMAL BABULAL M/S. TAPOVAN TEXTILES M/S. TEXTILE TREND 63/71, Dadi Seth Agiary Lane In Side Building, Room N. 12, 1st Floor, Mumbai- 400002. Tel.: 208 15 89, 201 08 39, 208 65 84 SHA SAMRATHMAL JAWERCHANDJI Simandhar Swami Street (New Street), Pindwara - 307022. (Rajasthan) Phone : 0297-20374, 20560 000000000 ३५३ For Private and Personal Use Only Page #444 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३५४ मुंबई के जैन मन्दिर शुभकामनाओ के साथ : अस. आई. सी. के काम के लिये ३८ वर्ष के जूने और अनुभवी शा. मिसरीमलजी छगनलालजी (शिवगंजवाला) अजन्ट : अस.आई.सी. ऑफ इंडिया चेअरमेन क्लब मेम्बर बिल्डींग नं. ५, दूसरा माला, रुम नं. ४१, मल्हारवाडी, __ कालबादेवी रोड, मुंबई-४०० ००२. फोन : (ऑ.) २०० २७ ५६ (घर) ४१० २७ ९६ शा. मिमगमलजी छगनलालजी (शिवगंज) अम. स. देक्षदाईल मिल्स राजा केमीकल्स कपडो के हॉलसेल व्यापारी डायस केमीकल्स किये हुए कर्मो का फल भोगे बिना मुक्ति नहीं (उत्तराध्यायन सूत्र) धर्म एक ही पवित्र अनुष्ठान है कि जिनसे आत्मा की शुद्धि होती हैं - आचारांग सूत्र शुभकामनाओ के साथ: (एस. आर. टुर्स एण्ड ट्रावेल्स) २, देवेश एपार्टमेन्ट, अशोक चक्रवर्ती रोड, कान्दिवली (पूर्व), मुंबई-१०१. टेलिफोन: ८८७ २८६६,८८७१२०१ मुम्बई-देसुरी-खिवाड़ा विडीयो कोच अहमदाबाद, इडर, अंबाजी, आबुरोड, सिरोही रोड, सिरोही, शिवगंज, सुमेरपुर, साण्डेराव, फालना, बाली, जोजावर, सादड़ी, राणकपुर, देसुरी, खिवाड़ा, नाडोल, राणी, जोधपुर, पाली शैलेश पटेल - SRT TRAVELS 2 X 2 लक्झरी वीडीयो कोच डेली सर्विस Looxoxooxicorrecorrecorrecordcorecordcoxiconxcomxecordcorrecordcom For Private and Personal Use Only Page #445 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३५५ शुभकामनाओ के साथ : जैन पूजनो के लिये अवश्य हमसे सम्पर्क करे श्री सिद्धचक्र पूजन, श्री भक्तामर पूजन, श्री शांतिस्नात्र तथा श्री अंजन शलाका-प्रतिष्ठा आदि जैन धर्म के विविध महापूजन विशिष्ट एवं विशुद्ध रीतिसे पढाने के लिये आप हमसे सम्पर्क करे, भव्य भक्ति गीतो द्वारा रमझट, पंच परमेष्ठीयों का पावन परिचय शुद्ध शास्त्रीय रीति से विधि-विधान आज ही मंगाईये उत्तम वार्ताओ द्वारा बच्चो के दिल में धर्म और संस्कृति के संस्कारो का सिंचन करनेवाली अनमोल सुन्दर सचित्र पुस्तके : जीवन घडतरनी वार्ताओ'भाग १-२ गुजराती, बोधक कहानीयाँ भाग १-२, हिन्दी Essence of Life Part १-२ English प्रत्येक पुस्तक की किंमत ५० रु. किन्तु २५या उससे अधिक प्रति की खरीदी पर २५% डिस्काउंट 'जय पद्म प्रकाशन एवं जैन विधिकार' पंडित श्री धनंजयभाई जे. जैन प्रेमकेतु'B/703, पावापुरी एपार्टमेन्ट, अशोक चक्रवर्ती रोड, कान्दिवली (पूर्व), मुंबई-४०० १०१. Tel.: 887 34 27, 887 49 52 नाकोडा भैरवनाथाय नमः सुप्रसिद्ध जैन संगीतकार गीतकार नरेशकुमार रामावत जय जिनेन्द्र आर्केस्ट्रा प्रतिष्ठा, अंजनशलाका, उपधानतप,जीवित महोत्सव, पूजा, भावना चढावे की बोलीयो आदि सभी ___ महोत्सव पर हम समय आपकी सेवा में : १७७/३, जवाहर नगर रोड नं. २, गोरेगाँव (पश्चिम), मुंबई-४०० ०६२. संपर्क: टेलिफोन: ८७२ १९३६, ८७२ ०६ ९२, पेजर:- ९६२४ - २३६ ९५१ राजस्थान:- जैन मन्दिर के पास . मु.पो. राखी, वाया:- मोकलसर, जि. बाडेमर पिन: ३४३ ०४३. निवास:- फोन- ०२९००-६२१६. லகலகலகலகலகலகலகலகல For Private and Personal Use Only Page #446 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३५६ मुंबई के जैन मन्दिर With Best Compliments From : a Manoj M. Jain a Dilip M. Jain WHOLE SALE IN SILVER ORNAMENT Kolhapur Jewellers COOO 18-26, Motisha Chawl, 3rd Floor Opp. Kalpana Culb Satta Gally, Zaveri Bazar, Mumbai-400 002. Tel. : (O.) 205 1445 (२.) 378 20 47 शुभ कामनाओ के साथ: शा. कालुराम अमीचन्दजी साकरीया परिवार देसुरी (राज.) शा. अमीचन्द भेराजी एण्ड कं. ३२८, शुझा मेन्शन, मौलाना आझाद रोड, मुंबई-४०० ००४. टे. (ऑ.) ३८६ ०३ ९७, (घ.) ८७६ ७२ ४५ नाकोडा ज्वेलरी मार्ट अभिनन्दन मार्केट, कालबादेवी रोड, मुंबई-४०० ००२. टे. (ऑ). २०८८९६६, २००१३ ४१, (घ.) ३७३ ६५ ९४ , ३७७ ०३ ३५ साकरीया ज्वेलरी मार्ट अभिनन्दन मार्केट, कालबादेवी रोड, मुंबई-४०० ००२. टे. (ऑ.) २०१०२ २३, (घ.) ३७४ १४ १६, ३७४ २७ ३५ ംംംംംംം For Private and Personal Use Only Page #447 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३५७ शुभ कामनाओ के साथ: Kanak Raj. Jain o Sameer Jain Pol tex S.K. BROS Dealers in : Poltex Suiting & Shirting 456, Gopalak Galli, M.J. Market, Mumbai-2. Tel. : 205 9948 Shah Hirachand Chunilalji (Sheoganj) 115-A, Tulsi Wadi, Ground Floor, Room 87, Mazgoan, Mumbai-400 010. Tel. : 3731927. शुभ कामनाओ के साथ: श्रीमती कमलाबाई हस्तीमलजी पारेख (लापोद) SHAH M. HASTIMALJI & CO. (Jariwala) Poornima Textiles नी. नधा प्योर सिल्क साडीबी के विक्रेना. २३५, मारीयम्मा टेम्पल स्ट्रीट, बेंगलोर-५३. பலகலைகலகலகலகலகல For Private and Personal Use Only Page #448 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३५८ मुंबई के जैन मन्दिर With Best Compliments From Ashok B. Jain (ontstelldalt) POWERLOOM CLOTH MERCHANTS COMMISSION AGENTS Bhurmal Ashokkumar 73-75, Mirza Street, 3rd Floor, Mumbai-400 003. Tel. (Off.) 344 82 08, 343 90 48, 342 37 80, 38200-60656 (Resi) 376 06 56, 375 43 41 With Best Compliments from । देवेन्द्र बी. जैन विजय एस. जैन (शिवगंजवाले) EMBEESON SYNTHETICS SHAH MANRUPJI BHURMAL Creators of Fashion Fabrics 2/4. III Floor. Vithoba Lane, Vitthal Wadi, Mumbai-400 002. Tel. (0.) 205 08 95, 203 71 91, (R.) 306 39 32 (ad-svit) (R.) 818 12 63 (faceti) webwerwowerhousutorgargardumuguras For Private and Personal Use Only Page #449 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मुंबई के जैन मन्दिर www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शुभ कामनाओं के साथ : जो सदा जैन धर्म की आराधना करते हैं, जिन भक्ति, धर्म क्रियाएँ, सामायिक, प्रतिक्रमण, जिनपूजा, उपवास आदि तप वगैरह की सदा आराधना करते हैं. उनको 'सदैवा' कहते हैं । हमेशा तप और जप, धर्म और त्याग करनेवाले ऐसी आत्माओं को उत्तम कही गई हैं । - रवीन्द्र हरकराज भण्डारी रोनक ॐ रुची Pain Care मजबुत गारन्टेड इलेक्ट्रीक शेक की थैली घर बाहर हर जगह उपयुक्त सरस्वती प्रोडक्टस - कुसुमबेन रवीन्द्र भण्डारी राशि ५०८/ सी / २३, समिन्द्रा सोसायटी, सेक्टर नं. ५, चारकोप, कान्दिवली (पश्चिम), मुंबई - ४०० ०६७. टे. फो. : ८६९८२५४ ३५९ शुभ कामनाओं के साथ : कान्तिलाल मुलतानमल महेता For Private and Personal Use Only 100% SILVER UTENSILES चाँदी के सिक्के, लेमनसेट, थालीसेट, बेडा सेट, डिनर सेट, पूजा सेट तथा अन्य प्रकार के फेन्सी गिफ्ट्स के आईटम्स सिल्वर एम्पोरियम निर्माता एवं होलसेल व रिटेल डीलर्स महाजन गली, दुकान नं. ८, मुम्बादेवी मन्दिर के पास, झव्हेरी बाजार, मुम्बई - ४०० ००२. टेलिफोन : २०८२७१२, २०५४८०३, २०७ ४६ ३७ (S.) २०००९१४ (R.) ८९३७८ ७३ குகுகுகுபடுகுகுகுகுகுகுகு Page #450 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३६० मुंबई के जैन मन्दिर मुंबई के जैन मन्दिर (आवृत्ति दूसरी) प्रकाशन पर शुभ कामनाएँ : शा. मनोहरमल ताराजी वाणीगोता ६८, दूसरी गली, कामाठीपुरा, एम.आर. रोड, मुंबई-४०० ००८. टे. (ऑ.) ३०९ ७२ ३७ जूनी घडीयाँ खरीदी एवं बेची जाती है, तथा खात्रीपूर्वक रीपेयरींग की जाती हैं। MAHAVIR WATCH & ELECTRONICS Sale and Service of all kinds of Watches Clocks & Time Pieces 200 (A),Dr. Mascrenhas Road, Opp. Petrol pump, Mazgaon, Mumbai-10. शुभ कामनाओं के साथ: Jyotichand B. Shah Dinesh J. Jain SELECTION Specialist in: Suiting Shirting & Dress material शा. बम्तीमलजी प्रतापजी तेलीसरा खौड़ (राजस्थान) 2nd Gruyes Bhawan Quary Road, Mangatram Petrol pump, Bhandup, Mumbai-400 078. __ Tel. : (O.)5647811,5650053 (Resi.) RAJANTHANS CLOTH CENTRE 11, Tilak Nivas, Maharastra Nagar, Bhandup. Mumbai-400078. Laoortonxdoorxcomrdondloonlondonaloortoonricoricorrecorridorados For Private and Personal Use Only Page #451 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मुंबई के जैन मन्दिर www.kobatirth.org श्री बाल्दारा बाबाजी व माताजीने कोटि कोटि नमः शा. रतनचन्दजी दीपचन्दजी कोसीलाव (खिमाडावाला) BALDA P.V.C. Wire & Cabel Rajesh R. Jain Tel. : (O) 8055567 (R.)80767 47 Mahavir Metal Corporation Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Electric Whole Sale Goods P.V. C. Pipes P.V. C. Wires Copper Earthing Casings And Acrelic Sheets Shop No. 11, 13, 22, Jawan Nagar, Opp. Jamli Gally, Sawami Vivekanand Road, Borivali (West), Mumbai - 400092. शुभ कामनाओ के साथ : of.D. Jain a Ritesh Jain Off.: 5404197, Resi. 54327 32 TOPAZ CARDS Wedding Greetings Invitation ✪ Visiting Cards Naik Bunglow, Naik Wadi, Behind Alok Hotel, Near Railway Station, Thane (West) DS.D.Jain टोपाज कार्ड मेन्यु. कं. २०५/२०६, खाडीलकर रोड, गिरगाँव, मुंबई - ४०० ००४. फोन : (ऑ.) ३८२३४८०, ३८९२६८४ (रे.) ५३७६४८८ Gr400000000 For Private and Personal Use Only ३६९ 600600 Page #452 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३६२ मुंबई के जैन मन्दिर शुभकामनाओ के साथ : ऋद्धि-सिद्धि सुख शान्ति देनेवाला महाप्रभावशाली महामंगलकारी तांबे का जैन यंत्र के लिए जैन धर्मियों के सभी प्रकार के ताम्रयंत्र के लिए सभी श्री संघों से नम्र निवेदन •जैन ताम्रयंत्र भंडार द्वारा प्रकाशित महामंगलकारी तांबे का यंत्र मंदिर में रखने के लिए २४३ फूट का विशाल महायंत्र एवं पूजा में रखने के लिए १४४२० इंच का १४ गेज के स्टैंड के साथ। निवास में रखने के लिए छोटी बडी साईज में सुंदर एवं आकर्षक पैकिंग में शुद्ध एवं अभिषेक किए हुए यंत्र तथा वर्णानुसार रंगीन यंत्र मिलेंगे। • भक्तामर यंत्र के ४४-४८ अध्याय का अलग-अलग तथा संयुक्त यंत्र छोटी-बड़ी साईज में मिलेंगे। • अंजनशलाका एवं अखंड महापूजन के यंत्र भी मिलेंगे। शंखेश्वर पार्श्वनाथ, पद्मावती, सरस्वती, दो हाथीवाली लक्ष्मी, मणिभद्रवीर तथा यंत्र एवं नवग्रहयुक्त ८१४८१-६५६१ अंकोंवाला, २५४४० (इंच) तथा छोटे से छोटा ९x१३ (इंच) वाला विजयपताका महायंत्र मिलेगा। • वर्षीतप के तपस्वियों को भेंट देने योग्य - शत्रुजय तीर्थपट यंत्र • नवपद ओलीके तपस्वीयों को भेट देने योग्य सिद्धचक्र यंत्र, नवपद यंत्र। • श्री सिद्धचक्र महायंत्र • ऋषिमंडल यंत्र • श्री यंत्र . वीशा यंत्र • हींकारयुक्त विजयपताका यंत्र 'पद्मावती यंत्र • चिंतामणी यंत्र . उवसग्गहरं यंत्र • गौतम स्वामी यंत्र (४५ आगमसहित).६८ अक्षर तीर्थ यंत्र सरस्वती यंत्र सर्वतोभद्र यंत्र. विंशति स्थानक यंत्र नवग्रह यंत्र दशदिक्पाल यंत्र.१६ विद्यादेवी यंत्र • कालसर्प यंत्र . व्यापार वृद्धि यंत्र • मणिभद्रवीर यंत्र घंटाकर्ण वीर यंत्र . नाकोडा भैरव यंत्र . एकाक्षी नारियल यंत्र मिलेंगे। • मेरू मंदिर तप के तपस्वियों के लिए - श्री नंदीश्वर तीर्थयंत्र शंखेश्वर पार्श्वनाथ अठ्ठम तप के तपस्वियों के लिए - शंखेश्वर-पद्मावती यंत्र • सीमंधर स्वामी अठ्ठम तप के तपस्वियों के लिए - सीमंधर स्वामी पंचांगुली देवी यंत्र • नमस्कार महायंत्र के आराधकों के लिए - अडसठ अक्षर तीर्थ यंत्र • देरासर एवं घर में रखने योग्य, तपस्वियों को भेंट देने के लिए आपके बजेट के अनुसार यंत्र बनाकर दिए जायेंगे। जैन ताम्रयंत्र भंडार शांतिभाई ए. शाह . फोन-८८३ ६० १२ १२, शामळा पालरव बिल्डींग, २री मंजिल, राणी सती मार्ग, काठीयावाड नवरात्री चौक के समीप, मलाड (पूर्व), मुंबई-४०००९७. comxicomiconioroomridoneloanxsonxioonroomraoortoonrioxioonxiouxions For Private and Personal Use Only Page #453 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३६३ मुंबई के जैन मन्दिर (आवृत्ति २री) के प्रकाशन पर हार्दिक शुभकामनाएँ :पू. मुनि श्री कीर्तिदर्शनविजयजी महाराज साहेब के आशीर्वाद के साथ | जैन तीर्थ यात्रा प्रवास | छरि' पालित संघ, उपधान तप एवं प्रतिष्ठा महोत्सव के शुभ प्रसंग पर सुन्दर व्यवस्था के लिये। श्री सम्मेत शिखरजी पावापुरी - दार्जीलिंग १३/१७ दिन श्री जैसलमेर - नाकोड़ा - राणकपुर - उदयपुर १२ दिन श्री नागेश्वर - उज्जैन - मोहनखेड़ा - इंदौर श्री कच्छ - भद्रेश्वर - ७२ जिनालय । श्री उवसग्गहरं, भांडकजी - नागपुर - वर्धा श्री पालिताणा - शंखेश्वर, महुडी - मेहसाणा ६ दिन छोटे बड़े टुरो का आयोजन कर दिया जाएगा । एस.पी. गुप दर दावेल्स एण्ड केटर्स ६ दिन ६ दिन ६ दिन १७७-३, जवाहर नगर, गोरेगाँव (पश्चिम) मुंबई-४०० ०६२. टेलिफोन : ऑ - ८७२ १९३६, ८७२०६९२, निवास-८७३७० २१ - भरतभाई सगपण, शादी ब्याह, पार्टी, पिकनिक, सभी शुभ प्रसंगो पर सुन्दर केटरिंग व्यवस्था कर देनेवाले केवल केटर्स १७७-३, जवाहर नगर, गोरेगाँव (पश्चिम), मुंबई-४०० ०६२. टेलिफोन - ऑ. ८७२ १९ ३६, ८७२ ०६ ९२, निवास - ८७३ ७०२१ - भरतभाई cucOARMOORTIODOORLOORNADORRIDORCORRUPTIOGARICORRIGANGALOODronxons For Private and Personal Use Only Page #454 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३६४ मुंबई के जैन मन्दिर With Best Compliments From : MANEKLAL UMEDMALJI SOBHAWAT SOBHAWAT JEWELLERS MAYUR GOLD सोने तथा चान्दी के होलसेल तथा रीटेल विक्रेता Special in Coimbature Ornaments Sobhawat Jewellers 11, Rasul Building, 48, K.K. Marg, Jecab Cricle Sant Ghadge Maharaj Chok, Mumbai-400 011. PH.: 309 98 35 SHANKHESHWAR JEWELLERS Silver Mansion, 2nd Floor, 45, Dhanji Street Mumbai-400 003. Tel.: 341 27 06 wwwconsecuerda quedabad For Private and Personal Use Only Page #455 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३६५ मुंबई के जैन मन्दिर (आवृत्ति दूसरी) पर हमारी शुभकामनाएँ : श्री मूलचन्द सी. जैन व श्री मांगीलाल सी. जैन श्री चम्पालाल बी. जैन शा. चन्दुलाल पुनमचन्द (बेड़ावाला) (बैंकर्स और ज्वेलर्स) ३२३, गजानन्द निवास, गणपतराव कदम मार्ग, वरली, मुंबई-४०० ०१३. प्रतिष्ठान : ४९३ ८४ ९१ निवास : ४९३ ८४ ९१ ४९२ २६३६ ४९२२६३६ | शा. चन्दाजी पुनमचन्द | क्लोथ मर्चन्ट और कमिशन एजेन्ट १६/१८, चम्पागली x लेन, दूसरा माला, मुंबई-४०० ००२. दूरध्वनी : २०५ ०२ १३, २०६ ७२०१, २०० ०६ १८, २०० ०६ १९ toonxoodxcoxicoaxdooMOOGooardcodxcomrooricoroordooxconxcoxocm For Private and Personal Use Only Page #456 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ३६६ मुंबई के जैन मन्दिर हमारे समस्त जैन ट्रस्टीगणों को एवं जिनालयो के दर्शन-पूजा करनेवाले समस्त जैन बंधुओं को मुंबई के जैन मन्दिर' प्रकाशन पर शुभकामनाएँ : राज केटरर्स एण्ड टूर्स • बालासेठ मधुकर मार्ग, होटचन्द जवाहरमल चाल, रुम नं.- २३३, होली क्रॉस स्कूलके पीछे, एलफिस्टन रोड (प.), मुंबई-४०० ०१३. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ग्रुप टूर, संघ यात्रा के बरसों पुराने अनुभवी सम्मेत शिखरजी संघ यात्रा के स्पेशालिस्ट : मुंबई - मारवाड़ में शादी - व्याह, सत्कार समारोह, जन्मोत्सव, संघ साधर्मिकवात्सल्य, उपधान तप, पारणा इत्यादि शुभ प्रसंगो की शान मेजबान - मेहमान सभी की पहली पसंद! मान-मनुहार भरी विनम्र केटरिंग सेवा में जाना पहचाना नाम : राज केटरर्स फोन : ऑफिस : ४२२४७८६, ४२२३६२८, निवास : ४१७१६ ३६ इन्दरसिंह पेजर - ९६०१-१११९५८, पर्वतसिंह (पप्पुभाई) पेजर - ९६०२ - १२९९६८ समुद्रसिंह मोबाईल नं. ९८२००९२६५५ 品 श्री जैन हिन्दू भोजनालय (शुद्ध शाकाहारी) -: गुजराती-राजस्थानी थाली := गावडे चौक, दीपक सिनेमा के पास, ना. म. जोशी मार्ग, एलफीस्टन रोड, मुम्बई - ४०० ०१३. (टे. फो. - ४९७ ८४ २९) ( सुबह : १०.३० से २.३० तक, शाम ६.३० से १०.०० तक) 0000000000000000000 For Private and Personal Use Only Page #457 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३६७ हमारी तरफ से शतशः शुभकामनाएँ : PREMCHAND TARACHANDJI SHEOGANJ Manufactures of : VELVET BINDI BLISTER (VACUUM) FORMING SKIN PACKING & SEALING PHONE : 881 52 73, 883 44 07 OFFICE: RAJEN TERPRISES 39, ANAND SHOPING CENTRE, GOUSHALA LANE, MALAD (E.) MUMBA!-400 097. RESI: PANCH SHEEL 3/D/616 RAHEJA TOWN SHIP MALAD (E.), MUMBAI-400 097. Phone : 840 48 29 லகலைகலகலகலகலகலகலகலகலகல ப For Private and Personal Use Only Page #458 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 384, मुंबई के जैन मन्दिर With Best Compliments From : SHAH RUPAJI AMRATLAL CLOTH MERCHANT & COMMISSION AGENTS 60 Covel Cross Lane, No. 3, 2nd Floor, Mumbai-2. Tele.: (Office) 201 47 86, (Resi.) 374 26 61. यद्यपि शुद्धाचारी साधुजन सभी गृहस्थों से संयम में श्रेष्ठ होते हैं, तथापि कुछ शिथिलाचारी भिक्षुओं की अपेक्षा गृहस्थ संयम में श्रेष्ठ होते हैं। - भगवान महावीर With Best Compliments From: ITMT SHAH TARACHAND MANISHKUMAR 37, RAMWADI, I, FLOOR, MUMBAI - 400 002. Ambalal T. JAIN TMT EXCLUSIVE SHIRTINGS Office : 201 53 85, Resi : 385 75 88 oxoxoxooaoaoaoaoaxododoxoonoodல For Private and Personal Use Only Page #459 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३६९ शुभकामनाओं के साथ: TARA COLLECTION Mfg: Exclusive Suitings & Shirtings 66 Vinod Villa Ground Floor Room - 8. Jagrati Mataji Marg, स्व. शा. ताराचन्दजी अचलचन्दजी शिवगंज (रावाडावाला) Bhaji Galli, Mumbai - 400 002. Tel : office - 203 48 04 Resi : 494 27 63. संयमी के सुभाषित वचनों को सुनकर मनुष्य धर्म में वैसे स्थिर हो जाते हैं। जैसे अंकुश से हाथी। - भगवान महावीर With Best Compliments From: T Prakash Jain Teelanto Phone: 208 08 83, 205 96 57 (0.) 307 47 43 (R.) SHAH TARACHAND FATEH CHAND TEELANTO SILK & SYNTHETICSI TARGET SILK INDUSTRIES Mfgrs of Suitings & Shirting 80 Ganesh Bhawan III Floor, Jagrati Mataji Marg, Bhaji Galli Mumbai - 400 002. wargadwiganeuocauigvergaduracao For Private and Personal Use Only Page #460 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३७० मुंबई के जैन मन्दिर With Best Compliments From : SHA CHENMAL TEKCHANDJI & CO. (SOLANKI JEWELLERS) SHOP NO. 40 Mumbadevi Road, Dagina Bazar Mumbai - 2. Specialist in: (K. D.M. ORNAMENTS MANUFACTURERS (A.C.Show Room) Tele Phone :- office - 3424474. Resi :- 372 14 10, 375 9865, 37672 13 (Sunday Closed) शुभकामनाओके साथ :स्व. पिताजी शा. भेरूलाल धुलाजी पामेचा गेरेन्टेडचान्दी के पायल के विश्वसनीय नाम (शा. अमृतलाल शान्तिलाल एण्ड कं. ६०, दागीना बाजार, मुम्बादेवी रोड, मुंबई - ४०० ००२. टेलिफोन :- ३४२ ६८ २४, ३४१५०८८, (घर) २६२ २३ ८० शा. अमृतलाल, शान्तिलाल, उदयलाल, चन्द्रकान्त, किशोर, हेमन्त, दिनेश पामेचा परिवार | AS ट्रेड | Tमार्का स्व. शा. भेरूलालजी धुलाजी पामेचा லலலலலலலலலலலலலலலலலல For Private and Personal Use Only Page #461 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर 392 श्री ज्ञान प्रचारक मण्डल को हार्दिक बधाई SATIYA PRINTERTS 153 perin Nariman street Fort, Mumbai - 400 001. Phone :- 265 10 08, 269 52 60 AMBICA TRADING CO. F. SATIYA CO. Wholesale Fancy Cloth Merchants Sales Office : • 756,Sir Vithaldas Gully, M.J. Market. Mumbai - 400 002. Tel :- 201 91 90 Admn office :65/67, Sham seth Street, First Floor, Zaveri Bazar, Mumbai - 2 .............le! - 344.59 46: ........... हार्दिक शुभकामनाएं M/S. DHARMCHAND KIRTIKUMAR & CO. M/S. DHARMCHAND RAMESH KUMAR & CO. CLOTH MERCHANTS COMMISSION AGENTS Ramesh Kumar Bhilosha Kirti Kumar Bhilosha Off. 208 95 23 Resi :- 373 40 47,372 21 87. 19, 2nd PHOPHALWADI, Om Ganesh Apartment, 3rd Floor, Bhuleshwar, Mumbai - 400 002. a. TT. ER Hasit Mansit frais oooooo For Private and Personal Use Only Page #462 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३७२ मुंबई के जैन मन्दिर With Best Compliments From: SURESH JAIN Tel : 208 95 80 (O.) 806 24 40 (R.) po Rohit Kumar Vanechand & Co. ........ Rushabh Trading Co. RAYNOLD'S Mfgr of : EXCLUSIVE SUITINGS 30, Old Hanuman Galli, 1st Cross Lane, 4th Floor, mumbai - 400 002. शुभ कामनाओं के साथ : M/s. BHIKAJI AMRATLAL & CO. CLOTH MERCHANTS & COMMISSION AGENT M/S. RAKESH TRADING CO. Wholesale dealers of mill Goods Dhotis Polyester shirting & Dress Material (RAKESH SYNTHETICS Mfg. Fancy Suitings & Shirting -: Office : - M.K.T. 30, Old Hanuman Galli, Ist Cross Lane, 2nd Floor, Shop:- 236, Sancha Galli, Mumbai - 400 002. M.J. MARKET, Mumbai - 400 002. Tel. 201 72 21, 201 75 64. Tel. : 201 96 20 worden doo de boucleo Descubertederobesdemque For Private and Personal Use Only Page #463 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मुंबई के जैन मन्दिर www.kobatirth.org With Best Compliments From: Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir off.: 201 15 11, Res.: 801 88 21 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖ SHAH MAHENDRAKUMAR ACHALCHAND M.A. TRADERS M. VASANTKUMAR Mfg. SUITINGS & SHIRTINGS *** 42-48, Ramwadi,chintamani Build, 1st Floor,Room No. 10, Kalbadevi Road, Mumbai - 400 002. swarar DB D With Best Compliments From: ADVANCE SHIRTINGS ३७३ SHAH MEGHAJI BHAWARLAL KHIMSON SYNTHETIC PVT. LTD. SHAH SHURESHKUMAR ANISH KUMAR 62/68, Vithal Wadi, 2nd Floor, Mumbai - 400 002. Tel. :- 208 66 82, 208 63 09, Resi :- 371 31 11 Gram Jay Parshwa Shuresh K. Shah For Private and Personal Use Only Weave Berr Page #464 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३७४ मुंबई के जैन मन्दिर With Best Compliments From : Sunil Shah SAHIL CATERERS C/o. Varsha Caterers Panchshil Hanuman Road Opp: Jain Dehrasar, Vile Parle (E.), Mumbai - 400 057. Tel : (0.) 837 17 97, 837 17 82, 415 53 40 (R.) 618 34 87, 670 56 29. AMBEDKAR Bhawan Hall Gokuldas Pasta Road, Near Red Rose Hotel, Gupta Soaps, Behind Chitra Taikies, Dadar (C.R.), Mumbai - 400 014. Tel :- 418 16 22 With Best Compliments From : ROYAL CATERERS Specialist in eatering for Buffet Lunch & Dinner Ice creams etc for all Ocassions Bhim Nagar, Raja Wadi, Opp : Shiv Temple, Vidya Vihar, Mumbai - 400 071. aftuott: - 510 42 54 Dol:- 962 - 721 70 21 भँवरभाई के. पुरोहित बाबुभाई के. पुरोहित carburoadcascadowboardGabwe acowbaccaroussou For Private and Personal Use Only Page #465 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३७५ शुभकामनाओ के साथ:सभी शुभ प्रसंगो पर अतिथि का दिल जितनेवाला मन्जु केटरर्स एण्ड ट्रावेल्स टेलिफोन :- ३८७३४८८ श्री फुलचन्दभाईसोनालावाला श्री अशोकभाई सोनालावाला सगपण, शादी ब्याह, सत्कार समारोह, यात्रा संघ एवं साधर्मिक वात्सल्य राजस्थानी, पंजाबी, बंगाली मिठाईयाँ एवं शाही व्यंजन, लिज्जतदार नमकिन, छटपटेदार साग सब्जीयाँ, आईस्क्रीम, कोल्ड्रींकस की सेवा के साथ मेजबान भी खुश, मेहमान भी खुश ११९/सी, ग्राउण्ड फ्लोर, मोती मेन्शन, खेतवाडी, मेन रोड, मुंबई - ४०० ००४. शुभकामनाओ के साथ: सागर केटरर्स) गणपतभाई जैन आहार के स्पेशीयालिस्ट सगाई - विवाह एवं सभी प्रकार के धार्मिक महोत्सवो में शुभ अवसर पर मन पसन्द भोजन समारंभ के लिये केटरींग सर्विस के साथ संतोषजनक तथा वाजबीभाव से करने के लिये हमे याद कीजियेगा । आईस्क्रीम या कोल्ड्रींक्स पार्टी के साथ ओफिस :- ८३७ १३ १०, घर - ८३६ ४३ ७७ .. ... पेजर :- ९६२८ - २०१८९७ கலகலயெல்லால For Private and Personal Use Only Page #466 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर शुभकामनाओ के साथ:जयभवानी केटरर्स एम. एम. सर्विस (मीठूलाल महाराज) महेन्द्र कुमार (उदयपुर) शुभ प्रसंग की शान, शादी ब्याह सगाई या बर्थ डे । एम. एम. सर्विस सेवा होगी एवरी डे॥ शादी ब्याह, जन्मोत्सव, सत्कार समारोह, स्नेह सम्मेलन, उपधान, प्रतिष्ठा महोत्सव । प्रसंग चाहे मुंबई में हो या अत्र -तत्र - सर्वत्र तैयार प्रसंग आपका सेवा हमारी। विनम्रशालीन केटरींग सेवा में आपके प्रसंग में चार चान्द लगेगें. यह हमारा विश्वास एवं अनुभव हैं। दुकान नं. टी/१२, कुम्हार वाडा सोसायटी के सामने, ६० फीट रोड, माटुंगा लेबर कॅम्प, मुंबई - ४०० ०१९. टेलिफोन :- ४०१५६ ३८, ४०७२१ ४० शुभकामनाओ के साथ:शादी ब्याह एवं शुभ प्रसंगो पर भव्य आयोजन जुहू के दरिया किनारे २५०० की क्षमतावाला शानदार मन मोहक ओपन ग्राउण्ड शादी ब्याह, पार्टी अन्य समस्त शुभ प्रसंगो के लिये सदा याद रखे आपका सबका पहचाना लोकप्रिय : गाला केटरर्स) प्रवीणभाई गाला - अतुलभाई गाला ५, नटराज बिल्डींग, लक्ष्मीनारायण लेन, माटुंगा (सेन्ट्रल रेल्वे), मुंबई - ४०० ०१९. टेलिफोन :- ४०२५३ १६, ४०१ ३५ ४७ , निवास - ६४६ ३६ ६८. LOCOMMOODIACODINORArcorldNOODLOODxADODMISORRIDORRIGARTOORRIDORoxicam For Private and Personal Use Only Page #467 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३७७ शुभकामनाओ के साथ: फोन :- ४९६ २६ ६९ मणिभद्र ज्वेलर्स इराणी चाल, गणपतराव कदम मार्ग, वरली नाका, वरली, मुंबई - ४०० ०१८. शा. बाबुलालजी सेसमलजी चाँन्दराई वाले MANIBHADRA JEWELLERS Irani chawal Shop No. 2. G.K. Marg, Worli Naka, Worli Mumbai - 400 018. House of Gold & Silver Oranaments जो दुष्कर ब्रह्मचर्य का पालन करता हैं उसे देव, दानव, गन्धर्व, यक्ष, राक्षस ये सभी नमस्कार करते हैं। - (भगवान महावीर) With Best Compliments From: Phone :-4934568 (0.) 4932496 (R.) (MILAN STORES (P. H. Jain : C. P. Jain) Suiting, Shirting Sarees Dress Materials Tulsi Vihar, Worli Naka, Worli, Mumbai - 18. MANOJKUMAR & CO. PHONE - 201 85 93 30/32,Champa Galli "x" Lane, 1st Floor, Shop No. 2, Kalbadevi Road, Mumbai - 400 002. Pukhraj Hajarimalji Jain Phone - 4651 ___Main Road, opp : Balana Street, Takhatgath - 306912. Rajsthan லகலகலகலகலகலகலகலகலகலகலகலகலகல For Private and Personal Use Only Page #468 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३७८ www.kobatirth.org शुभकामनाओ के साथ: Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर टेलिफोन नं. 4924076 SHA CHAMPALAL BHARAT KUMAR (Prop :- Champalal Phutarmal Jain) Meony Lenders & Jewellers 7, Patel Building, G. K. Marg, Worli Naka, Mumbai - 400018. शुभकामनाओं के साथ : शा अम्बालाल फुटरमल जैन टेलिफोन : ४९३२०२०, ४९२३२६३ For Private and Personal Use Only सोने चान्दी के फेन्सी दागिने बनानेवाले, बेचनेवाले एवं आर्डर अनुसार बनानेवाले एवं मणिलेण्डर्स ठि. गणपतराव कदम मार्ग (फर्ग्यूसन रोड), पटेल बिल्डींग, वरलीनाका, वरली, मुंबई - ४०००१८. 000000000 Page #469 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मुंबई के जैन मन्दिर www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Phone 4303940, 430 02 13 शुभकामनाओ के साथ:Khajanchi Super Market Fax.:430 58 31 Near Kabutar Khana, Dadar (west), Mumbai - 400028. Whole Sale / Retail Dealers in : Pure Ghee, Milk Powder, Dry Fruits, Grains, Provisions, Cosmetics, Soaps, Oil, Paneer, Frozen Pear, Vanaspati, Etc. Associates ✪ Khajanchi Enterprises Vashi Mumbai - ✪ Khajanchi Jeweller Zaveri Bazar - Khajanchi Associates Dadar - 50 वर्षो का अनुभव (पश्चिम), मुंबई - २८. टेलिफोन - ४३७९५४१ > Khajanchi Exports Dadar - © Kayhee Enterprises (Cadbury's) Tardeo - © Nirmittee (ARTEFACTS & MURALS Dadar - Nirmal Dairy Distributors Bhat Bazar @ Uttam Distributors. H. O. Dadar ✪ Home Delivery Facility looseGhee Also Available Tel 7669126 Tel 2016335 Tel 4229139 Tel 43781 24 Tel 386 42 10 Tel 4229139 Tel 3776533 422 38 31/9341/3122 शुभकामनाओ के साथ: सभी प्रकार के शुभ प्रसंगो के लिये सर्वोत्तम नाम राणावत कॅटरर्स For Private and Personal Use Only ३७९ RANAWAT CATERERS गंगासिंह राणावत शादी, पार्टी, गेदरिंग, बुफे, आईस्क्रीम केटरींग सर्व्हिस कॉन्ट्रेक्टर निवास : संपर्क : सदगुरू सदन, रूम नं. ३, पुलिस चौकी गली, भवानी शंकर रोड, दादर रावल भांडी भंडार, कबुतरखाना के सामने, दादर (पश्चिम), मुंबई - २८. टेलिफोन :- ४२२ ३५ ६३ Dow *குட்கும் Page #470 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३८० www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर शुभ कामनाओं के साथ : Tel.: 206 52 89 शा. जुहारमलजी उदयचन्दजी (लुणावावाला) Polite Electricals Premier Electricals Tel.: 200 65 25 Prince Cables Tel.: 200 70 73 Resi. Tel. : 2059513 Dhobi Talaw, Mumbai - 400 002. शुभ कामनाओ के साथ :शा. मोहनलालजी हंसाजी लुणावा वाला • M.H.JAIN • V.A. JAIN • H.H. JAIN MAHALAXMI JEWELLERS Tel.: 445 86 75 Manufacturers of Gold & Silver ornaments 19-A, Chuna wala Building, Veer savar kar Road, Mahim, Mumbai - 16. शा. मोहनलालजी भूताजी बेडावाला रीगल क्लोथ स्टोर्स For Private and Personal Use Only Tel.: 4931863, 4931926 Rigal Cloth Stores • Fancy cloth Merchant Bhiwandi Wala Building, Worli Naka, Mumbai- 400018. शुभ कामनाओ के साथ : सी. एच. शाह एण्ड कं. टे.फो. ४२२३४७३, ४३७ ६१ ८४ २४ - ए., डॉ. एम. सी. जावले मार्ग, विजय नगर, बिल्डींग के पास, दादर, मुंबई - २८. सुरज एंटरप्रायसेज, लोहारचाल, मुंबई - ४०० ००२. टेलि. :- २०८७२१२ हमारे यहाँ वाशिंग मशीन, फ्लोअर मील, मिलसेट ५ स्टार नवदीप एवं कुलर, फेन व इलेक्ट्रीकल लाइसेंस ओवन वेट ग्रेन्डर इत्यादि मिलते हैं । 000000000000000 Page #471 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३८१ शुभकामनाओं के साथ : शा. भँवरलाल भबुतमलजी (तरवतगढवाले) PARINDA CHAINS) Tel.: 341 28 01, 345 36 85 MFGS, OF FANCY CHAINS 45, Motiwala Building, 1st Floor, Shop No. 9, 3rd Agyari Lane, Nasta Galli, Mumbai - 400 003. बोम्बे केटर्स एसोशियन मेम्बर (ईश्वर महाराज) (ईश्वरी केटरींग सर्विस) ओफिस : श्रीजी एपार्टमेन्ट, ईरानी वाडी, निवास : मंजुल दर्शन, दत्तपाडा कार्टर रोड नं. ३, कांदीवली (पश्चिम) रोड नं. १, बोरिवली (पूर्व), फोन नं.८६४१३४१ फोन.: ८०१६६०१. ईश्वरी केटरर्स फोन - ४०७ ४०६८ गीता निवास धारावी, कुंभारवाडा, पहेली वाडी, मुंबई - ४०० ०१७. नानजी आर. गाला (घ.) ८८८४९९० (ओ.) ८८२ ४६ ८७ मदनराज पुरोहित (घ.) ८४२ ४२ ४३ (ओ.) ८८८ २५९२ Shree Apna Kheteswar Caterers Specialist in : - Marriage Party, Birth Day & other occasions Underai Road, Near Shiv Sena office or Malad police Station, ___Malad (w.), Mumbai - 64. पेजर - ९६२४-२१९४१२ श्री दादर आराधना भवन जैन पौषध शाला ट्रस्ट २८९, अस. के. बोले रोड, दादर (पश्चिम), मुंबई - ४०० ०२८. ट्रस्ट तरफ से संचालित संस्थाएँ : (१) श्री दादर आराधना भवन जैन उपाश्रय, (२) श्री दामजी पदमशी शाह स्थापित, श्री महावीर स्वामी जिनालय (गृहमन्दिर) (पालन सोजपार बिल्डींग), (३) श्री दामजी पदमशी दादर जैन धार्मिक पाठशाला (पालन सोजपार बिल्डींग) CHOOMIRMIRMIRROcomdoodcomdooxecomecondoordcorecardcordcorlcomm - For Private and Personal Use Only Page #472 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३८२ मुंबई के जैन मन्दिर शुभ कामनाओं के साथ : त्रिशला प्रस्तुत कॅसेटेस राजस्थानी जैन धार्मिक,गुजराती जैन धार्मिक, हिन्दी जैन धार्मिक, स्तवनो कथागीतो स्तोत्र - पूजा - प्रवचन आदि कॅसेटो का अद्भुत खजाना. टेलिफोन : २०६३५७२, २०६८२५१ त्रिशला इलेक्ट्रोनिक्स ४था माला, सी. त्रिशला बिल्डिंग, खारा कुंआ के सामने, १२२ जव्हेरी बाजार, मुंबई-२. (लिफ्ट चालु हैं) शुभ कामनाओं के साथ :शुद्ध चान्दी वरख, काश्मीरी केसर, सोनेरी बादला, रुपेरी बादला, सुखड पावडर, अजर वाट, दसांग धूप, पूजा जोड आदि थोक भाव से रिटेल के भाव से मिलेगा। वीतराग केसर मार्ट दुकान नं. २, महाजन गली, मुम्बादेवी मन्दिर के सामने, झवेरी बाजार, मुम्बई-४००००२. टेलिफोन नं.-२०१८७९८ शुभकामनाओं के साथ : HEMENDRAKUMAR UMEDMAL NAWAJI UMEDMAL PUNAMCHAND KAMLESHKUMAR & CO. Office : 74, Champa Gally, 4th Floor, M.J. Market Lane, Mumbai-2. GRAM-Jain dhara. Phone : 206 59 58, 208 4261, Resi : 388 01 67 With Best Compliments From : SHAH H. MANRUPJI 123-125, JAVERI BAZAR 2ND FLOOR, MUMBAI-2. TEL : 3426307, 34483 44 லலலலலலலலலலலலல For Private and Personal Use Only Page #473 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३८३ जैन गीतकार, संगीतकार, गायक गोल्ड मेडलिस्ट :सभी प्रकार के स्टेज व अन्य धार्मिक प्रोग्रामो के लिये एक ही नाम टेलिफोन बलवन्त ठाकुर एण्ड पाटी| ३८२ ४३ १६ टेलिफोन निकुंज ठाकुर एण्ड पार्टी . ३८५७८ २६ १५४/५६, शिवसदन बिल्डिंग, तीसरा माला, ब्लोक नं. ३६, तीसरा कुंभारवाडा, मुम्बई-४. ___ आर. के म्यूजिक ऑर्गेनाइजर अरिहन्त मेलोडी देखते ही रह जाओंगे! उत्तमकुमार प्रस्तुत (ए ग्रुप ऑफ जैन आर्केस्ट्रा) भक्ति संगीत नृत्य • मिमिक्री का अद्भुत त्रिवेणी संगम। रात्रि भावना एवं स्टेज प्रोगाम के लिये सम्पर्क करे :- ३८२ ७५ ४३, ३८६५१६४ डी.पी. पोरवाल स्टोर्स - १८०, एस.वी.पी. रोड, गोलदेवल, मुम्बई-४०० ००४. अम्बालाल अच. पाटणवाला एण्ड पार्टी (जैन संगीतकार) जैन स्तवन, पूजा, भावना, अट्ठाई महोत्सव, अंजन शलाका-प्रतिष्ठा महोत्सव, प्रार्थना के लिये, विवाह गीतो, दांडीया रास एवं अन्य प्रोग्राम और संगीत के ट्युशन के लिये मिलीये। २६, एम.पी. वाडी, सेनेटोरियम लेन, पहला माला, घाटकोपर (पश्चिम), मुम्बई-८६. फोन : C/o. ५११४१३६, घर : ५१३ ९३ ६८ -: सुप्रसिद्ध जैन संगीतकार :मनुभाई ऐच. पाटणवाला -:श्रोताओं का संतोष यही हमारी सच्ची श्रद्धा हैं : पूजा, भावना, बड़े पूजनों तथा प्रतिष्ठा-अठ्ठाई महोत्सवो के लिये :१४५, डी. अरुणा निवास, पहला माला, अरविंद- गोकुलधाम, प्लोट भोय तलीये, A-12, कॉलीनी, ईरला, एस.वी. रोड, विलेपार्ले (पश्चिम), कृष्णा विंग, गोडाऊन रोड, मेहसाणा-२, मुंबई-४०० ०५६. टेलिफोन : ६७१४५०५ __ मेहसाणा-५०८८४. WorlcmMcomxdoorconROORcoEDMoonricoxooloonxoordcordoonlood For Private and Personal Use Only Page #474 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३८४ मुंबई के जैन मन्दिर शुभ कामनाओं के साथ : कस्तूरचन्द ओटरमल एण्ड कं. प्रो. ओटरमल के. साटीया (शिवगंजवाले) कागज के वितरक ५८/४, एम.जी. मार्केट, हुबली-५८००२० ऑ. :३६३८४६, निवास : ३५०६६९ ९, बी.वी.के. आयन्गार रोड, बेंगलोर-५६००५३, ऑ.: २८७४८१९, निवास: ६६१३८५३ शुभ कामनाओं के साथ : (सोलिड पेपर्स (प्रो. जुगराज एफ. तलावत) कागज व नोटबुक के विक्रेता कुबसद गली, हुबली, - ५८००२८. (कर्नाटक) टेलिफोन: ओफिस - ३६५१८९, निवास - ३६५०१८. शुभ कामनाओं के साथ :शा. सुमेरमलजी हजारीमलजी लुक्कड द्वारा निर्मित जैन मंदिर (१) श्री लक्ष्मी वल्लभ पार्श्वनाथ ७२ जिनालय- ट्रस्ट - भिनमाल, रामसीन रोड, जि. जालोर. (२) श्री मन मोहन पार्श्वनाथ जैन देरासर , कचहरी रोड, भिनमाल, जि. जालोर (राज.). (३) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन देरासर, अरविन्द कुंझ, ताडदेव रोड, मुंबई-३४. (४) श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ जैन देरासर, सुमेरनगर ,कोरा केन्द्र के सामने, बोरीवली (प.). (५) श्री गोडी पार्श्वनाथ देरासर, सुमेर टॉवर, भायखला - ४०००२७. शुभकामनाओं के साथ :MAHAVIR JEWLLERS (Tel -3094223, 3091821) बाबुभाई जैन - विक्रम जैन Exclusive Gold & Silver Jewllery सागर इलेक्ट्रोनिक 266-A Lakhdir Estate Shop No-4, Sane Guruji Road, Mumbai - 400 011. w ederou sa scarsausgaeroduardowoscherswoordeborrow For Private and Personal Use Only Page #475 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३८५ शुभ कामनाओं के साथ :शा. पुखराजजी रकबचन्दजी नोवीवाला VIJAY CLOTH STORES विजय क्लॉथ स्टोअर्स टे. फो. : ३०८ ४७ ८६ कपडे के व्यापारी ८९०, बापूराव जगताप मार्ग, खटाव बिल्डींग, भायखला, मुंबई-२७. शुभ कामनाओं के साथ :Easip KA TOR ALREAD लक्ष्मी मेटल मार्ट, भाईन्दर (पूर्व) JOSIYAJI Tel. 815 15 39 ओसीयाजी ज्वेलर्स, दहिसर (प.) Jewellers Tel. 893 49 18 Whole Sale in Gold Ornaments ओसीया केबल, दहिसर (प.) Plastic chudia Gabha Kada Tel.8959374 205-B, "Brindavan,"Y.T. Road, Dahisar (West), Mumbai-68. शुभकामनाओं के साथ : - NIMESH MISTRY 805, Saphalya Building, Tara Bag, Mazgaon, Mumbai - 400 010. शुभ कामनाओं के साथ : RAHUL PANCHAL 905, Saphalya Building, Tara Bag, Mazgaon, Mumbai - 400 010. cougarbauswadaugesugusteswegunero For Private and Personal Use Only Page #476 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३८६ मुंबई के जैन मन्दिर शुभकामनाओं के साथ : ताराचन्दजी खेमराजजी संघवी (ओ.) ५५१०२ ७६, ताराचंद - ५५६ १४ ४३, सुन्दरलाल - ५५८९९६३ - घर (Gold & Silver Ornaments) 95/2 Pandurang Bhawan Station Road, Chembur, Mumbai - 400 071. श्रावक और श्राविकाओं के लिये : कम खाओ, गम खाओ, और नम जाओ। संत और सतीयो के लिये कथनी और करनी में एकता हो । यही प्रार्थना हैं सुखलाल कोठारी नूतन फर्निचर मार्ट (टेलिफोन :- ६४८ ३० ८१, ६४८ ३९ १९, ६०४ ९२ ७९ सुखलालजी कोठारी तीसरा रास्ता, रेलवे स्टेशन के सामने, खार (पश्चिम), मुंबई - ४०० ०५२. Ambalal H. Jain (बांकली वाले) टेलि. : 819 67 44 पेजर - 9624 - 239 173 Dhanlaxm Electricals Whole Sale Dealers in P.V.C. Wire & Cables Parshav Darshan, Bhavan Jinalaya, Jain Mandir Road, Bhayandar (W.) Thana. * Pepsi * Thums Up * Duskes * Coca Cola Gevaa Distribuors Vinod G. Lodha, Seo. Office - 389 32 74. Wholesaler, Home Supplies Pepsi Coke, Thums up Duke's & Minerale Water 191, 2nd, Kumbhar Wada, Mumbai - 400 004. comraoorxcomraoorxdoorrecordonricoxiconraoonxloonxdoodoorwoodooxCOM For Private and Personal Use Only Page #477 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३८७ शुभकामनाओं के साथ Sheetal Dairy L.R. Building, Laxmi Narayan Lane, Opp Gurjar Matunga, Mumbai - 19. SPL :- SHRIKHAND BASUNDI MILK CURD Deepak Mehta:- Tel. 401 04 51, 407 57 55 शुभकामनाओ के साथे | आराधना टुर्स एण्ड ट्रावेल्स मुंबई से नाडोल ------ नाडोल से मुंबई टेलि. ८८७ १६ ५५, ८८७ ४३ ३७ , ८६२ ९० ५३ अम्बाजी, आबुरोड, पिंडवाडा, नाना, बेडा, सेवाडी, सादडी, बाली, रानी, बिजोबा, नाडोल, C/o. आराधना होटल, रेलवे फाटक के पास, आकुर्ली रोड, कान्दीवली (ईस्ट) मुंबई - ४०० १०१. शुभकामनाओं के साथ :अत्रे शत्रुजयनो पट्ट चेम्बुर जेवो बनाववानो छे. नीचे ना अड्रेस पर संपर्क साधो टेलि. ४०९ ४३ ९९, ४०९ ३५८४ श्री शान्तिनाथ श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ - गृहमन्दिर बिल्डींग नं. ७, वृन्दावन सोसायटी २३. अन. अस. मंकीकर मार्ग, चुनाभट्टी, मुंबई - ४०० ०२२. शुभकामनाओ के साथ शा. भुरमल भीकमचन्दजी शिवगंज (राजस्थान) c. (मिलन ज्वेलर्स टे. ओ. ४९३ ३९ ४८, ४९३ २३४१ घर बहेरामी मेन्शन, C.S. राणे मार्ग, वरली मार्केट के सामने मुंबई - १८. LuporonxonaloonsoonricordionraonlondonwlonadoradororldDaloons For Private and Personal Use Only Page #478 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३८८ मुंबई के जैन मन्दिर (Bhart writing Instruments MFGRS of RYTEN Fountain Pens Ballpens Refills & Gift Sets Shop No. 2 Yoga YogAPT opp.: Sonal APT J.P. Nagar Road No. 2. Gore Gaon (E.), Mumbai - 400063. Tel. (0.) 873 43 65 (R.) 87437 15, Fax 91-022-873 04 88/874 37 15 RYTEN the Mark of Excellence शुभकामनाओं के साथ Fac: 8729986 Resi-819 7331 Fax : 8745324 NAVKAR PEN & PLASTIC INDUSTRIES 53, Universal Industrial Estate 1.B. Patel Road Goregaon (E.) Mumbai - 400 063. Manufacturer of Inkpens Ball Point Pens Gift Sets Refills भरत आर. गूठौड शुभकामनाओं के साथ 446 1907 Ramesh Bhai शा रमेशकुमार जुहरमलजी लुणावा वाले MAHAVIR ELECTRONICS & ELECTRICALS JAI GANESH CO. OP. HOUSEING SOCIETY LTD. Ganesh Bhawan OPP. Mahim (w.) Rly., Station Mahim, Mumbai - 16 शुभकामनाओं के साथ : टे६०५ २५०९ ‘कम खाओ, गम खाओ, नम जाओ' ६०४५४३८ यह वाक्य जीवन को उच्चतम बनाने का एवं आत्मा को शुद्धत्तम बनाने का उपाय हैं। अति दुर्लभ ऐसे मनुष्य भव को सार्थक करने का मार्ग हैं ।भव भ्रमण को मयिाकर चरण सीमा तक पहुँचने का रास्ता हैं ऐसे रास्ते पर आगे बढने में दरे क्यो? कल करे सो आज कर, आज करे सो अब पंजाब जैन भातृ सभा १४/अ रोड, अहिंसा भवन, अहिंसा मार्ग खार (पश्चिम) मुंबई பலகலகலகலகலகலகலகலகலகலகலகலகலகலகலகல For Private and Personal Use Only Page #479 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३८९ With Best Compliments From: (AMRITLAL CHEMAUX LIMITED) MANUFACTURERS / MARKETING AGENTS FOR VARIOUS TYPES OF DYES/DYE INTERMEDIATES SURFACTANTS a WS Sitladevi Temple Road, Mahim Mumbai - 400 016. Tel.: 445 79 05, 446 26 55, 445 32 52, 446 10 77 Fax: (91) - 22-444 9053. Branches : Ahmedabad, Amritsar, Calcutta, Delhi, Madras. With Best Compliments From: MAK IMITATION JEWELLERY with a guarantee ! Bangles, Chains, Bracelets, Eartops, Payals, Mangal Sutras, Necklace sets, Mens kadas, Etc. CONTACT MANUFACTURERS : MODERN ELECTRO PLATERS TEL: 022/840 85 50, 022/842 58 73 FAX : 022/496 69 06 email : Kapashi @ giasbm ol, vsni.net.in We were r eceber que recogarderouderwerow For Private and Personal Use Only Page #480 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३९० मुंबई के जैन मन्दिर With Best Compliments From: UxM Uttam Jain UTTAM METALS MFG & DEALERS IN S.S. SHEETS (REDG OFFICE :-) (FACTORY :-) 47, 11, Panjrapole Lane, Shed N. 4105/2, G.I.D.C. Balkrishna Niwas, 1st Floor, Eastate, plastic Zone Sarigam, Mumbai - 400004. Dist. Valsad (Gujarat) P. 2482. Phone :- (O.) 371 57 79, ___375 68 46, (Resi) 387 0561/389 32 55 सम्पादक: पन्ना शुभ कामनाओ के साथ: सारे भारत के जैन तीर्थ स्थलो की मार्गदर्शिका लेखक : जितेन्द्र देडिया (तारे ते तीर्थ) धार्मिक प्रसंग पर देने लायक एवं प्रभावना करने लायक आदर्श पुस्तक १२० पेज - १९ नक्षा मूल्य सिर्फ - २५ रूपये ____--:संम्पर्क के लिये :स्टुडन्टस ओजन्सीज छेडा ज्वेलरीमार्ट स्वदेशी मिल्स अस्टेट, ४०/४२, धनजी स्ट्रीट, गिरगाँव, मुंबई - ४०० ००४. पायधुनी टेक्षी स्टेण्ड के सामने की गली, टेलिफोन :- ३६८६१८६, ३६८५७०८ मुंबई - ४०० ००३. टेलिफोन :- ३४२ १९९५, ३४३ ८५ ३० __पोस्ट द्वारा मंगाने वाले को ३३.०० रूपये का मनीआर्डर सिर्फ स्टुडन्टस एजन्सी में ही करना LocomooDROORXNODXCORMOODricoxdoodxoxoodooxicortoonxoonroom For Private and Personal Use Only Page #481 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३९१ शुभ कामनाओ के साथ: जशवंत परमार (जैन पार्श्वगायक) जैन ओरकेस्ट्रा -: संगीतकार - गीतकार - रचनाकार :(अंजनशलाका, प्रतिष्ठा, दीक्षा, पुजन, रात्रीभावना, मंच, चेरेटी कार्यक्रम व सर्व धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रम हेतु) संपर्क खान बिल्डींग, बी ब्लोक, २ री मंजिल, प्लोट नं. १८ नवाब टेंक रोड, डार्क यार्ड रोड, जुना मझगाँव, मुंबई - ४०० ०१०. टेलिफोन : (ओ.) २०१०५ ४०, घर - ३७१ २६ १९. शुभ कामनाओ के साथ : (घर) - ८०५ ७८ ३६, ८०८४० ३६ 卐जैन विधिकार पं. श्री नरेशचन्द्र रतीलाल दोशी (राधनपुर वाला) २०, नितिन पार्क, ४ था माला, कार्टर रोड नं.८, बोरिवली (पूर्व), मुंबई - ४०० ०६६. श्री सिद्धचक्र पूजन, श्री भक्तामर पूजन, श्री पद्मावती पूजन, श्री शान्तिस्नात्र, श्री अंजनशलाका - प्रतिष्ठा आदि जैन धर्म के विविध महापूजन विशिष्ट एवं विशुद्ध शास्त्रीय रीति से पढाने के लिये आप अवश्य हमसे सम्पर्क करे கையகககயகலகலகலகல For Private and Personal Use Only Page #482 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३९२ मुंबई के जैन मन्दिर मोतीभाई पुरोहित द्वारा संचालित :(सुमित्रा केटरर्स) मेजबान मेहमान का मन भावन घाटकोपर (ओ.): नायडू कॉलोनी, बि. नं. १६१, मुंबई (ओ.): बजाज मेन्शन, पहला माला, १४/१६, जैन मन्दिर के सामने, पंतनगर, घाटकोपर (पू.), मुं. ७५. ओव्हल वाडी, विठ्ठल वाडी, कालबादेवी मुंबई - २. (ओ.) ५१४८५ ०१, ५१२९६ ४०, (घर) ५१३ ६५९७, (ओ.) २०६१८९७, २०० १८३९ (१ से ७) (१) सेन्ट पॉल हायस्कूल-दादर, (२) किंग जोर्ज हायस्कूल-दादर, (३) डॉन बास्को-किंग्ससर्कल. शुभ कामनाओ के साथ : M/s. RIKHBAJI AMRITLAL & CO. General Merchant & Commission Agents 157/161, Zaveri Bazar, 2nd Floor, Mumbai - 400 002. Office - 345 1054, 3400449, Resi - 3756537 फुलजी 3759712 प्रकाशजी शुभ कामनाओ के साथ : Bhawarlal Futarmal B.K. Jain; F.K. Jain Bhairav Corporation (0.) 208 45 19, 205 37 06 Manibhadra Syntex (R.) 300 11 49, 300 49 86 MFRS of Exclusive Shirtings 62-68, Vithal wadi, 2nd Floor, Mumbai - 400 002. शुभ कामनाओ के साथ : ISHA PREMCHAND MANGILAL & Co.) wholesale Dealers in ALL KINDS OF BANGLES EXPORTERS & CO. 37, 3rd Bhoiwada, Bhuleshwar, Mumbai - 400 002. Resi. :-3757666,3758143 LuooxcoRROGaxoxooDRODXORMOORoomxdoodRIODXOOGXOODHCooxoMOON For Private and Personal Use Only Page #483 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मुंबई के जैन मन्दिर www.kobatirth.org दर्शनार्थ पधारीये श्री बलदेव राजा द्वारा स्थापित १००० वर्ष प्राचीन श्री बालदा तीर्थ मूळनायक :- श्री महावीर स्वामी भगवान एवं अधिष्ठायक देव श्री मातंग यक्ष एवं सिद्धायिका देवी से सुशोभित भव्य जिनालय Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यह तीर्थ नेशनल हाईवे नं. १४ दिल्ली - अहमदाबाद राजमार्ग पर आया हैं । समीप बामणवाडी तीर्थ 10km. नांदीया 16 km., पिंडवाडा 18 km., अर्ध शत्रुंजय समान सिरोही तीर्थ 7 km की दूरी पर हैं। (भोजनशाला, धर्मशाला की व्यवस्था है।) -: व्यवस्था हेतु सम्पर्क करे : १००% शुद्ध ३९३ श्री लोब गोत्र चौहान जैन न्याती नोहरा शा. पारसमलजी समरथमलजी पिंडवाडावाला मु. बालदा (पोष्ट) राजपरा मे. तपोवन टेक्सटाईल ६३ / ७१, दादीशेठ जि. सिरोही (राजस्थान ) अग्यारी लेन, अन्दरवाली बिल्डींग, रुम नं. १२, पहला माला, मुम्बई - ४०० ००१. (टेलिफोन : २०८१५८९, २०१०८३२) 500 शुभकामनाओं के साथ : जैन मन्दिरो के ध्वजादंड, कलश, आंगी, मुकुट आदि ताँबे एवं पित्तल में बनाने तथा सोने का वरख चढानेवाले एक मात्र विश्वसनीय निर्माता केसर, चान्दी वरख, सोनेरी, रुपेरी, वादला, चन्दन, पावडर, वासक्षेप, धूप, अगरबत्ती विविध पूजा सामग्री मिलने का जाना पहचाना भरोसेमन्द प्रतिष्ठान. हिन्द राजस्थान वरख (टे. फो. ३४१५६९३) सेल्स ऑफिस :- नवनिधान भवन, धनजी स्ट्रीट नाका, दागीना बाजार प्याऊ के सामने, शोप नं. ३१३, युसुफ मेहर अली रोड, मुंबई - ३. प्रशासकीय कार्यालय : १७९/१८० एस कॉलिनी चिंचोली गेट, मालाड (पूर्व), मुम्बई- ४०० ०९७. टेलिफोन: ८७५५१५७, ८७५२९ ०१. 60 For Private and Personal Use Only Page #484 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३९४ www.kobatirth.org मांगीलाल पी. शाह (तखतगढ ) With Best Compliments From : - श्री के. पोरवाल ग्रुप ( बिल्डर्स डेवलपर्स प्रमोटर्स) 4060600600 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir फ्र मुंबई के जैन मन्दिर शोप नं. १३, नाकोड़ा एपार्टमेन्ट, देवचन्द नगर, ६० फीट रोड, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर रोड, जैन मन्दिर के पास, भाईन्दर (पश्चिम) जि. थाणा, महाराष्ट्र टेलिफोन : ऑ. ८१८८९ २५, निवास ८१४०० ०१ पारस एम. जैन के पोरवाल इम्पैक्स प्राइवेट लि., (बिल्डर्स डेवलपर्स प्रमोटर्स) Gre ४ राजुल एपार्टमेन्ट, ६० फीट रोड, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर रोड, भाईन्दर (पश्चिम) जि. थाणा, महाराष्ट्र टेलिफोन - ८१८८९ २६, निवास - ८१४०० ०१ For Private and Personal Use Only 4000000 Page #485 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३९५ SF With Best Compliments From : ऑफिस : २०५०४९१,घर : विक्रमजी-९१२-५०२००८, चंदुलालजी-९१२-५०४२६० M/S. BHIMAJI MELAPCHAND M/S. RIKHAB SYNTHETICS M/S. SHAH MELAPCHAND & CO. Mfg. : Suiting Sharting & Sarees 121/125, Vithalwadi 2nd Floor, Mumbai-400 002. पेजर : ९६२२ - ३२२५३२,फोन : ३००२६९२ C/o.३०९४७७१ सगाई, शादी ब्याह,पार्टी, स्नेह सम्मेलन, पूजन आदि शुभ प्रसंगो पर आपकी रुचि अनुसार भोजन समारंभ के लिये एक ही नाम | राजकमल केटरर्स (थानजी पुरोहित) ऑफिस :- मरुधर स्वीट मार्ट, लक्ष्मीदास वाडी, आर्थर रोड, म्युनिसिपल स्कूल के सामने, मुं.-११. घर : उमर मेन्शन बिल्डिंग, दूसरा माला, रुम नं. ६३, सात रास्ता, मुंबई-४०००११. । जैन संगीतकार मिश्रीमल शर्मा के साथ जैन गीतकार भँवरलाल एम. जैन - शिवगंज पूजा, भावना, रात्रि जागरण, अठ्ठाई महोत्सव, जीवित महोत्सव, प्रतिष्ठा महोत्सव एवं विविध प्रकार के समस्त बृहत् पूजनो के शुभ प्रसंगो पर गीत-स्तवन - कथा गीतो की मधुर आवाज सुनने के लिये जाना पहचाना एक ही नाम : मिश्रीमल शर्मा (जैन संगीतकार) शिवगंजवाले धाँचीयो की वास, एट पोष्ट-शिवगंज, स्टे. जवाई बाँध (राजस्थान). கலகலகலகலகலகல லல For Private and Personal Use Only Page #486 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३९६ छट्टी पुण्यतीथि पर www.kobatirth.org श्रद्धांजलि Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महावीर वॉच कं., महावीर व्हीडियो कॅसेट क्लब वरली बी.डी.डी. चाल नं. ११३, के सामने, मुंबई के जैन मन्दिर चौथी पुण्यतीथि पर देहावसान : ११-११-१९९२ देहावसान : २४-११-१९९४ स्व. श्रीमती मदनबेन मूलचन्दजी शिवगंज स्व. श्री मूलचन्दजी नेनमलजी शिवगंज धार्मिक, सामाजिक कार्यो में प्रेमभाव रखते हुए आपने जो प्यार, ममता, सद्भाव, सहनशीलता, गंभीरता आदि गुणो से अपने जीवन को आदर्श बनाया था, उन्हीं गुणों को अपना आदर्श समझते हुए जीवन पथ को धार्मिक, सामाजिक एवं साहित्य सेवा को विकास की ओर बढायेंगे... यही अंतर की अभिलाषा हैं, एवं यही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। -: हम हैं आपके : सुपुत्र :- भँवरलाल एम. जैन शिवगंज, हिंमतगल एम. जैन - शिवगंज सुपुत्री :- श्रीमती भाग्यवंती घीसुलालजी जैन, बीजापुर (राज.) पुत्रवधू : श्रीमती फेन्सीबाई भँवरलाल जैन, श्रीमती सरस्वतीबाई हिंमतमल जैन पौत्र :- राजेश, गिरीश, अशोक, रितेश, मनीष पौत्री : - रिंकु, सैजल पौत्रवधू :- श्रीमती शर्मिलाकुमारी राजेशकुमार जैन, श्रीमती वर्षाकुमारी गिरीशकुमार जैन परपौत्री : - ट्विंकल कुमारी राजेशकुमार जैन प्रेषक : महालक्ष्मी वॉच कं. हाजी कासम चाल, दुकान नं. ३, लालबाग, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर रोड, श्री राम मील गली, मुम्बई - ४०० ०१३. (ऑ.) ४९२ ६४ ७१ (घर) ४९२६२२६ | मुंबई - ४०००१२. (टेलि. ४१३६७०१) GOOD 00000000000 For Private and Personal Use Only Page #487 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मंबई के जैन मन्दिर ३९७ श्री आत्म-कमल-लब्धि सूरि समुदाय के परम पूज्य आ. श्री विजय विक्रमसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०३३ आयोजित भायखला में उपधान तप के मालारोपण अवसर पर "श्री ज्ञान प्रचारक मण्डल'' के संस्थापक स्व. श्री मूलचन्दजी नेनमलजी (बिच में) के प्रथम उपधान के अवसर पर उनके सुपुत्र श्री भंवरलाल एम. जैन शिवगंज तथा श्री हिमतमल एम. जैन शिवगंज (प्रथम चित्र में) माला पहनाते हुए; उनके छोटे भाई स्व. श्री हिराचन्दजी रुपाजी बरलुट (गोद गये हुए), एवं श्री लालचन्दजी नेनमलजी शिवगंज (दूसरे चित्र में) माला पहनाते हुए। - PREMENT S For Private and Personal Use Only Page #488 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३९८ मुंबई के जैन मन्दिर लकी आर्ट प्रिन्टर्स भ पारस पूजा सेन्टर रजि. ऑफिस - १२ कृष्णभवन, पारसी पंचायत रोड, सोना उद्योग के सामने, अंधेरी (पूर्व), मुंबई - ४०० ०६९. टे.फोन :- ८३२ ५६ ५८, ८३७ ५७०५ . प्रकाश अच. शाह, धर्मेश पी. शाह मोबाईल - ९८२०१ - २४५७३ विशेष :- अंजन शलाका, प्रतिष्ठा, दीक्षा, उजमणा, पूजाद्रव्य, पूजनसामग्री, प्रभावना, पूजनो सामान, अभ्यास पुस्तको तथा पू. साधु - साध्वीजी म. सा. जैन देरासरो, श्रावक - श्राविकाओं के लिये उपयोगी वस्तुओ : पूज्य साधु - साध्वीजी म. सा.:- कामली गरम, कामली केस्मीलोन, कामली रेशमी, कामली पस्मीनो / रीन, आसन, संथारीया फाईन/जाडा, ओघारीया, पात्राजोड, तरपणी चेतनो, लाकडानी थाली/वाटका, लाकडानो लोट, शोकेस/तरपणी चेतनो/, पात्रा, ओघानी सुखड दांडी सुखडनी ठवणी, सुपडी, चरवलीनी दांडी, उनना पेकेट, प्लास्टीक घडा/लोटा, अक्रेलीक वाटका ग्लास - डीश, कापड साधु - साध्वीजी म. ना, वणेली दसी, ओघाकवर, दांडा, जोगर्नु दंडासन, मोरपीछ, नवकारवाली स्पे., मच्छरदानी, गुच्छा, दफतर, स्थापनाचार्य गादी, सुखड सापडा, विहारना मोजा, दंडासन, तरपणी नी दोरी, बटवा, अहिंसक साबु । ___ जैन देरासर :- केसर, सुखड, बरास, वरख सोनेरी, वरख रूपेरी, धुपसली, धुपसली पातली, वासक्षेप, अंगलुछणा, आंगी पावडर, मेंदा लाकडी पावडर, वादलो असली, वादलो नकली, कपुर, बोया, मोरपीछ, पूंजणी, वालाकुची, जरमन थाली, जरमन वाटकी, वाटको, जरमन कलश, जरमन दीवी, जरमन धुपीयु, जरमन कुंडी, जरमन चामर, जरमन पंखा, जरमन घंटडी, जरमन दर्पण, जरमन दीवा स्टेण्ड, जरमन वृषभ कलश, जरमन अष्टमंगल घडो, जरमन हांडो, आरती मंगल दीवो, १०८ दीवानी आरती, रामण दीवडो, पोखणा जोडी। देरासर - श्रावक - श्राविका :- शास्त्रीय रक्षा पोटली, सिद्धचक्र, पद्मावती, भक्तामर, शांतिस्नात्र, पूजनकी सामग्री वगैरह, उजमनानी वस्तु, प्रभावना, ल्हाणी, अंजन शलाका, प्रतिष्ठा, औषधियो, अल्यु. पूजापेटी, बटवा, त्रिगडु सिंहासन/भंडार, कासानी थाली - डंको, अल्यु. फानस, स्टीकरो, रेशमी पूजा जोडी, सील्कपूजा जोडी, पूजा रूमाल, लाकडानी | रेडीयममाला, सुतरनी नवकारवाली, सुखडनी नवकारवाली, आंगीनो सामान, चरवला अल्यु. दांडी, चरवला लाकडा दांडी, कटासना/कटासना ऊनना, दर्शनफ्रेम, मुहपत्ति धारीवाली, स्थापनाजी, सापडा लाकडा/अकेलीक, चरवला दांडी, गुच्छा स्थानक वासी, स्थानक मुहपत्ति, नलनी कोथली, गरणी, गरम शाल, पूंजनाना रूमाल, अभ्यासना पुस्तको, सीवेली पूजा जोड. For Private and Personal Use Only Page #489 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मुंबई के जैन मन्दिर www.kobatirth.org शुभ कामनाओं के साथ : श्रीमती हंजाबाई गोशाला केन्द्र -: संचालन : श्रीमती शकुन्तला हस्तीमल कारसीया चैरीटेबल ट्रस्ट गाँव - बेडा, जि. पाली (राजस्थान) (टे. मुंबई - ४९३२५८७, ४९३७२३७, बेडा - ०२९३३, ४३२४५ मुंबई ज्वेलर्स: ७ - बी, भिवण्डीवाला बि. वरलीनाका, मुं.-१८. 6 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आप श्री को ज्ञात है कि बेडा नगर की पावन भूमि में मुक, नि:सहाय, रोगी, जर्जरित, वृद्ध, अबोल प्राणियों के संरक्षणार्थ एवं पुनर्वसन हेतु आप श्री के बहुमुल्य सहयोग से श्रीमती हंजाबाई गोशाला केन्द्र सुचारित रुप से कार्यरत हो गई है। योजनाए : (१) पशुओके निभाव और घास चारा की कायमी तारीख १११११/- (२) पशुओं के एक दिनका निभाव खर्च ३००१/-, पक्षीयों के दाने की कायमी तारीख ५००१/-, पक्षीयों के दाने का एक दिनका निभाव खर्च २००१/-, पशुओं का एक दिनका चिकित्सा खर्च १००१/-. - Go ४२ वर्षो से प्रकाशित लोकप्रिय पत्रिका का आज ही लवाजम भरे विजयानन्द ' ( मासिक पत्रिका) सम्पादक : - बलदेवराज जैन फोन (O) ७०८४१७ (R.) ७०१ ९७४ शुल्क दर : आजीवन शुल्क १,००० /- रू. बीस वर्ष के लिये, वार्षिक शुल्क १५०/- रू. प्रकाशक :- श्री आत्मानन्द जैन महासभा (उत्तरी भारत ) महावीर भवन, चावल बाजार, लुधीयाना १४१००८. विजय इन्द्र सन्देश (हिन्दी पाक्षिक) प्रेरक :- आचार्य श्री विजय जगचन्द्रसूरिजी म. सा. प्रधान सम्पादक : भूरचन्द जैन, सम्पादक : प्रकाशचन्द्र बोहरा संरक्षक सदस्य : रू. २००१/-, आजीवन सदस्य रू.४००/- वार्षिक रू. ५०/प्रधान कार्यालय : अरिहंत भवन, सदर बाजार, बाडमेर - ३४४००१ ( राजस्थान ) फोन :- (ओ.) २०४३० (नि.) २०९४५ शाखा कार्यालय : श्री परमार क्षत्रिय जैन सेवा समाज, पावागढ - ३८९३६०. ता. हालोल. जि. पंचमहाल गुजरात फोन : (०२६७६) ४५६०६. ३९९ - For Private and Personal Use Only 000000 Page #490 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४०० मुंबई के जैन मन्दिर शुभ कामनाओं के साथ :शा. मिठालाल रोशनलाल राजेशभाई टे. फो. ओ. ४३० १९ २३ घर: ४३६ १७०५ (M. R. JEWELLERS (M. L. N. 3129) (G.S.N. 46183) सोने - चान्दी के फेन्सी दागीने बनाने वाले एवं बेचने वाले और आर्डर के अनुसार विश्वास पूर्वक काम कराने का विश्वसनीय स्थल ५, रुपावाला मंजिल, एलफीन्स्टन रोड, मुंबई - ४०००१३. વિજય ગજ્જર ।। स्वामी श्री ॥ હ શાહ ०८४२८२ ३८ ।। श्रीमहावीराय नमः ।। ८०५८ ५3 અક્ષર બીસ Wiडियारास, नीत, मोरडेस्ट्री, न स्तन, અંતિમ પ્રાર્થના ગીત, ડાયરો, ગઝલ, સાંજી પૂજન ભાવના દરેક અવસ૨નાં કાર્યક્રમ માટે મળો १3-जी, तुलसी भाग, यंहा१२४२ ओस रोड नं.-१, जोरीवली (वे.), मुंबई - ४२. अनेक पदवीयों से विभुषित स्व. शतावधानी पंडित धीरजलाल टोकरशी शाह जिन्होने ३५० पुस्तको से अधिक पुस्तको की रचना की हैं। जिनकी बम्बई के जैन मन्दिर (प्रथम आवृत्ति) में भी शुभकामना प्राप्त हुई थी ऐसे जैन समाज के महान साहित्यकार को "मुंबई के जैन मन्दिर" आवृत्ति २ री पर "हार्दिक श्रद्धांजलि'। पंडित धीरजलाल टोकरशी शाह - लेखक கxxxonoxoxoxooலை For Private and Personal Use Only Page #491 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन शासन के दीक्षा-प्रतिष्ठा- अंजनशलाका - उपधान तप - यात्रा संघ आदि सब तरहके विविध महोत्सवोमें प्राचीन - अर्वाचीन शैलीसे जनता को भक्ति रस में मस्त बनाकर झुमाने वाले, आबाल - युवा - वृद्ध जनो के अंतरमें वीतराग परमात्मा श्री अरिहंत भगवान की भक्ति की ज्योत को जगा कर भाव विभोर बनानेवाले, गुजराती - हिन्दी - राजस्थानी गीतों के मधुर गायक, नवोदित कलाकार, संगीत सुधाकर. जैन संगीतकार अनिलकुमार आनन्दराजजी गेमावत २०४, अमरालीन बिल्डींग, सुदामा टॉवर के पास, ६० फीट रोड, भाईन्दर (प.) ४०११०१. जि. ठाणा, महाराष्ट्र. फोन: (घ): ८१४ १९२३, ८१९६१९१ गेमावत ज्वेलर्स २१४, द्वारकेश मार्केट, ए. एम. रोड, भूलेश्वर, कबूतरखाना के पास, मुंबई-४०० ००२. फोन: (ओ.): २०१९४४२, मोबाइल : ९८२००५९०६७ परमात्म सेवा-भक्ति का अवसर हमे एकबार दिजीए For Private and Personal Use Only Page #492 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महोत्सव के माहोल में रंग जमाने के लिए, भक्तिकी मस्ती में मस्त बनकर झुमने के लिए, परमात्म भक्ति में एकाकार बनने के लिए, हिन्दी-गुजराती- राजस्थानी गीतो की रमझट जमाने के लिए, प्रतिष्ठा- अंजनशलाकादि महोत्सवोमें अपूर्व और अद्भुत उत्साहको बढानेवाले संगीत सम्राट - जैन संगीतकार अशोककुमार ए. गेमावत मुंबई फोन: 022-5220640,5235381 संपर्क सूत्र गेमावत जैन आर्केस्ट्रा ओ-१४, सर्वोदय एस्टेट, पोस्टल कालोनी रोड, चेम्बुर (पूर्व), मुंबई-४०००७१. परमात्म भक्ति में सहभागी बननेका हमे एकबार अवश्य लाभ दीजिए. आज तक अनेक सोनेकी चेन और कई गोल्ड मेडल बहुमान के रुपमें प्राप्त हुआ है। Oappenegalegal ol मुद्रक : जयंत प्रिन्टरी, मुंबई-२. फोन : 205 71 71. For Private and Personal Use Only