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मुंबई के जैन मन्दिर
पर ' धर्म विहार' आराधना केन्द्र का निर्माण प.पू. आचार्य भगवन्त श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा और मार्गदर्शन से प. पू. युग दिवाकर गुरु भगवंत के पुण्य स्मारक स्वरुप, वि. सं. २०५१ में किया गया । दूसरे भाग में ग्राउन्ड फ्लोर और पहले दूसरे माले पर विशाल- ३ हॉल बनाये गये हैं, जहाँ जैन संघ-स -समाज के धार्मिक सामाजिक कार्यक्रम होते हैं ।
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वि.सं. २०५२ में यहाँ प.पू. आ. भ. श्री सूर्योदय सूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा से उनकी निश्रा दहिसर में सर्वप्रथम बार उपधान तप की महा आराधना का भव्य आयोजन किया गया था । मुंबई महानगर के पश्चिम विभाग में ऐसा विशाल और सर्व सुविधाओं से युक्त स्थान एक मात्र और सर्व प्रथम हैं। रेल्वे स्टेशन नजदीक होने से लोगो को बहुत सुविधा मिलती हैं । इस जैन भवन का संचालन श्री मुक्ति-कमल- -मोहन जैन भवन ट्रस्ट के द्वारा स्वतंत्र रूप से होता हैं ।
जिनालय के निर्माण के २४ वर्ष बाद दहिसर में सर्व प्रथम साधु भगवन्त का चातुर्मास वि.सं. २०५१ में श्री संघ की प्रबल विनंती से प.पू. आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म.सा. का हुआ और आपकी प्रभावक निश्रा में अभूतपूर्व अनेकानेक आराधना और शासन प्रभावना के कार्य की परंपरा चली। आपकी प्रेरणा से धर्मविहार निर्माण और स्वाध्याय खंड, आराधना खंड आदि विभागो का निर्माण और आदेश दिये गये । कायमी वर्धमान तप आयंबिल खाता आदि का प्रारंभ हुआ, श्री नाकोड़ा भैरवजी और पद्मावती देवस्थान का निर्माण भी किया गया और उनकी प्रतिष्ठा वि.सं. २०५२ महा शुदि ११ को पू. आ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म. पू. आ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म. पू.आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. पू. आ. श्री पूर्णानन्द सूरीश्वरजी म. आदि की निश्रा में हुई । पू. आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से श्री धर्मसूरीश्वर जैन बैण्ड मंडल की स्थापना श्री धर्मयुवक मंडल के द्वारा की गई। सारे दहिसर में एक तरह की धर्मचेतना का संचार हो गया था। उपधान तप की आराधना और मालारोपण के प्रसंग पर ५१ छोड का भव्य उजमणा हुआ था और भिन्न भिन्न आयोजनो में लाखो रुपयो का फंड हुआ था। श्री संघ और शासन के चिरस्मरणीय कई कार्यो से चातुर्मास यादगार बन गया था ।
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यहाँ श्री शान्तिजिन महिला मंडल, श्री धर्मयुवक जैन स्नात्र मंडल, श्री मोहन - प्रताप-धर्म सामायिक मंडल, श्री धर्मसूरीश्वरजी जैन पाठशाला आदि चल रहा हैं ।
श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर
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