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२०६
मुंबई के जैन मन्दिर
(३२४)
श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर सिद्धगिरि प्लोट नं. ९, राजकमल स्टुडियो, राजकमल लेन,
एस. एस. राव. रोड, परेल, मुंबई - ४०० ०१२. टे. फोन-४१२ ०६ २५ भभूतमलजी, ४१३ ०१ ८९ बाबुलालजी, ४१४ ७८ ५५ पुनमचंदजी
विशेष :- श्री हेमवर्धक राजकमल जैन संघ परेल द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृहमन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा वि. सं. २०५४ का जेठ वदि ९ गुरुवार ता. १८-६-९८ को परम पूज्य आ. श्री विजय भुवन भानुसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री विजय हेमरत्नसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में हुई थी।
इस गृह मन्दिरजी में पाषाण के मूलनायक श्री आदिनाथ प्रभु की एक प्रतिमाजी, पंच धातुकी २ प्रतिमाजी एवं सिद्धचक्रजी - १ बिराजमान हैं।
इस गृह मन्दिरजी के निर्माण का लाभ तथा मूलनायक श्री आदिनाथ प्रभु को बिराजमान करने का लाभ भारती कन्स्ट्रकशन के पार्टनर श्रेष्ठिवर्य श्री नानजी वेलजी छेडा (बिदडा ), श्री मणिलाल कानजी वीरा (नानी खाखर), श्री दिनेश रवजी छेडा (बिदडा), श्री सुरेश धनजी छेडा, (बिदडा) ने लिया हैं। पूज्य गुरूदेव की मंगल - प्रवचन धारा की वाणी सुनकर बिल्डर्स भाईयोने भव्य शिखरबंदी जिनालय निर्माण करने की भावना भी व्यक्त की हैं।
शिवडी (३२५)
श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर मूलराज भवन, चौथा माला, आचार्य दोदे मार्ग (टी. जे. रोड), मुंबई - १५.
टे. फोन-४१३ ५५ ८५ नवीनभाई विशेष :- श्री शिवडी जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ द्वारा संचालित सेठ श्री खेतशी टोकरशी आराधना भवन - मूलराज भवन तथा परम पूज्य आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. ज्ञानमन्दिर की व्यवस्था है।
इसकी सर्व प्रथम स्थापना वि. सं. २००२ का काति वदि २ को हुई थी। उसके बाद परम पूज्य आ. भगवन्त श्री विजय मोहन - प्रताप के पट्टधर युगदिवाकर प. पू. आचार्य भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा से आपकी निश्रा में वि. सं. २०३३ में चलप्रतिष्ठा हुई थी।
यहाँ आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी सिद्धचक्रजी - २ एवं अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं।
श्री अष्टापदजी, श्री पावापुरी, श्री कच्छपंचतीर्थी, श्री राणकपुर के अलावा श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री भैरूजी, श्री अचलगच्छ अधिष्ठायक महाकाली के फोटो भी सुशोभित हैं। पाठशाला, महिला मंडल भी चालु हैं।
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