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मुंबई के जैन मन्दिर
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विशेष :- श्री आदिनाथ जैन संघ परेल द्वारा सर्व प्रथम जैन भुवन की चौथी मंजिल पर घर मन्दिर में श्री आदिनाथ प्रभु, श्री महावीर स्वामी एवं श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ बिराजमान किये गये थे। इन प्रतिमाजी की अंजन शलाका व प्रतिष्ठा पुना स्थित गोडीजी मन्दिरजी में हुई थी। इस प्रतिमाजी को पुना से लाकर वि. सं. २०३५ का आसौ सुदि १० शुभ घडी में भव्य रथयात्रा व चतुर्विध संघ के साथ बाजे गाजे के साथ आचार्य श्री रामसूरीश्वरजी म. (डेहलावाले) की शुभ निश्रा में प्रतिष्ठा की गई थी।
देव गुरु धर्म के प्रभाव से परेल नगरी में बढ़ती जैन धर्म प्रेमीओं की संख्या को ध्यान में रखते हुए श्री आदिनाथ भगवान की कृपा दृष्टि से एक विशाल रम्य नूतन जिनालय का निर्माण हुआ। जिसकी प्रतिष्ठा वि. सं. २०५३ का वैशाख सुदि पूर्णिमा ता. २२-५-९७ गुरुवार को परम पूज्य आ. श्री दर्शनसागरसूरीश्वरजी म. के शिष्य संगठन प्रेमी आ. श्री नित्योदयसागरसूरीश्वरजी म. एवं आ. श्री चन्दाननसागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में हुई थी।
___ यहाँ के जिनालय में पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, ४ सिद्धचक्रजी, १ विशस्थानक एवं अष्टमंगल के अलावा श्री गौतम स्वामीजी, श्री मणिभद्रवीर, श्री नाकोडा भैरूजी, श्री पद्मावती माताजी आदि बिराजमान है।
(३२३) श्री वर्धमान स्वामी भगवान (शिखरबंदी जिनालय)
६४, दादाभाई चमार बाग रोड, विकास एपार्टमेन्ट कम्पाउण्ड में, __डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर रोड, परेल, मुंबई - ४०० ०१२. टे. फोन-ओ. ४१३ ६९ ३४, श्री हिरजीभाई - ४१४ ७६ ७२, ४१४ ९० ४१ विशेष :- इस जिनालय का शिलान्यास परम पूज्य भुवनभानुसूरीश्वरजी म. साहेबजी आदि मुनि भगवंतो की शुभ निश्रा में वि. सं. २०३५ का आसौ सुदि १०, तारीख १-१०-७९ को सुश्रावक श्री हिंमतमलजी रघुनाथजी बेडावालो के कर कमलो से हुआ था।
आ. विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. के समुदाय के तपोनिधि आचार्य श्री भुवन भानुसूरीश्वरजी म. के समुदाय के सुप्रसिद्ध प्रवचनकार पन्यास श्री चन्द्रशेखर विजयजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०३७ का पोष वदि ५ रविवार ता. २५-१-१९८१ को भव्य प्रतिष्ठा ठाठ माठ से हुई थी। प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर अचलगच्छाधिपति आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के शिष्य मुनि श्री कलाप्रभसागरजी म. ने भी पधारकर शासन शोभा में वृद्धि की थी।
यहाँ आरस की ७ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - १ एवं श्री गौतम स्वामी तथा सुधर्मास्वामी की प्रतिमाजी भी बिराजमान हैं । यहाँ के ओफिस हॉल में शत्रुजय तीर्थ का पट भी सुशोभित हैं।
___ यहाँ श्री वर्धमान जैन महिला मंडल, श्री वर्धमान संस्कृति धाम, श्री वर्धमान जागृति युवक मंडल तथा उपासरा एवं श्री वर्धमान जैन पाठशाला की व्यवस्था है।
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