________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मुंबई के जैन मन्दिर
भगवान तथा सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। आरस के पद्मासन पर लकडी की कलाकृति से मन्दिर की रचना की गई है।
यहाँ वंदनाबेन पाठशाला, श्री पार्श्व जैन महिला मण्डल तथा उपासरा की व्यवस्था हैं।
(१३६) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय कान्तिनगर, जे. बी. नगर के पीछे, भगवान महावीर मार्ग, अंधेरी - कुर्ला रोड,
__ अंधेरी (पूर्व), मुंबई - ४०० ०५९. टे. फोन : ओफिस - ८२१ ४८ ४२, श्री शान्तिभाई - ८३२ ८३ १० विशेष :- पूज्यपाद शासन के महान प्रभावक युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. के सदुपदेश से उनकी निश्रा में पालनपुर निवासी तपागच्छीय सुश्रावक श्रेष्ठिवर्य श्री कांतिलाल छोटालाल परिख के आत्म श्रेयार्थे उनकी धर्मपत्नी धर्मपरायण श्री सुशीलाबहन तथा समस्त परिवार एवं पालनपुर निवासी धर्मपरायण सेठ श्री विनोदभाई कालिदास परिख एवं श्री कुसुमबेन वगैरह परिवार की तरफ से इस भव्य जिनालय का शिलास्थापन वि. सं. २४९८, वि.सं. २०२८ को करने में आया था।
फिर श्री कान्तिनगर श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ जैन संघ द्वारा संचालित इस नूतन भव्य शिखरबद्ध जिनालय की प्रतिष्ठा, मन्दिर के प्रेरक परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री मोहन - प्रताप - धर्मसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा में वि.सं. २०३१ का वैशाख वद ११ ता. ५-६-१९७५ को भव्य महोत्सव के साथ हुई थी, उसके पहले प्रभुजी का प्रवेश वि. सं.२०३१ का वैशाख सुद १३ शुक्रवार ता. १३-५-७५ को हुआ था।
परम रमणीय मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी की श्याम वर्णी प्रतिमा ३१' (सपरिकर ६३") आदि जिन बिम्बो की अंजनशलाका वि. सं. २०३० में आपकी निश्रा में घाटकोपर (प.) श्री सर्वोदय पार्श्वनाथ जिनालय में हुई थी।
भगवान का मूल गंभारा तथा प्रत्येक गोखला एवं रंगमंडप की छत कांच के टूकडो की भव्य कलात्मक डिझाईनो से रचाया गया हैं । जिसको बस देखते ही झुम जाते हैं। यहाँ आरस की ७ प्रतिमाजी, पंचधातु की ९ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ५ तथा श्री गौतमस्वामी, श्री पद्मावतीदेवी तथा यक्षयक्षिणी का गोखला भी सुन्दर हैं। पटो मे शत्रुजय तीर्थ, गिरनार तीर्थ भी दर्शनीय हैं। प्राचीन परंपरानुसार मंदिर के बाहर बने हुए दोनो हाथी जिनालय की सुन्दरता बढा रहे हैं।
मन्दिरजी के बाहर की ओर श्री जिनदत्तसूरि जैन दादावाडी की प्रतिष्ठा वि. सं. २०३८ का माह सुद १४ रविवार ता. ७-२-१९८२ को सेठ श्री विनोदभाई कालिदास तथा धर्मप्रकाश कुसुमबेन परिवार
For Private and Personal Use Only