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मुंबई के जैन मन्दिर
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ने की हैं। उसमें आ. श्री जिनदत्त सूरिजी आदि बिराजमान हैं । प्रतिष्ठा आ. श्री आनन्द सागरसूरिजी शिल्य मुनि श्री महोदय सागर म. की निश्रा में हुई थी ।
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श्री उवसग्गहरं पार्श्वनाथ प्रतिष्ठा महोत्सव
परम पूज्य युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वर परिवार के प. पू. व्याकरण - साहित्य - न्यायतीर्थ आ. भ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. की पुण्य प्रेरणा एवं मार्गदर्शन से उनकी पावन निश्रा में पालनपुर निवासी श्री अरविंदभाई लालभाई बक्षी तथा उनकी धर्मपत्नी अ. सौ. कोकिलाबेन वगैरह बक्षी परिवार द्वारा आत्म श्रेयार्थे जिनालय के विशाल शिखर में मारबल सजावट एवं सुन्दर चित्रो के साथ काच की नक्षी का काम वगैरह द्वारा गर्भगृह का नव निर्माण करके उसमें श्री उवसग्गहरंतीर्थ के मूलनायक के समान आकृति वाले श्री उवसग्गहरं पार्श्वनाथ २९ ' श्री वासुपूज्य स्वामी २७” एवं श्री सीमन्धर स्वामी २७” की पाषाण की ३ भव्य प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा वि. सं. २०५३ का वैशाख सुद ६ ता. १२-५ - ९७ को हुई थी। उस समय श्री संघके स्थायी साधारण फंड आदि विविध आयोजन किये गये थे ।
इन तीनो भव्य प्रतिमाजी की अंजन शलाका पू. आ. भ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में वि. सं. २०५३ का माह सुदि १ को कांदिवली (प.) श्री मुनिसुव्रत स्वामी महाजिनालय में बडी ही धामधूम से हुई थी । आप श्री की निश्रा में जिनालय पर सुवर्ण कलशारोपण का प्रसंग वि. सं. २०५४ का माह वद २ शुक्रवार ता. १३ -२-९८ को हुआ था, जिसकी स्थापना श्रीमान कांतिलाल छोटालाल परीख परिवार के शुभ कर कमलो द्वारा हुई थी ।
आजकल पू. आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा और मार्गदर्शनानुसार श्री धर्मसूरीश्वर गुरु मन्दिर, श्री अधिष्ठायक देव देवी मन्दिर, जैन पाठशाला - आयंबिल शाला का नया स्थान, जिनालय का भव्य अग्र प्रवेशद्वार - गेट आदि का आयोजन हो रहा हैं और विशाल उपाश्रय का मारबल सजावट आदि द्वारा पुनः निर्माण हो रहा हैं । इस उपाश्रय का निर्माण वि. सं. २०३१ प. प. पू. युग दिवाकर आ. भ. श्री धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से श्री महेन्द्रभाई कान्तिलाल परीखने अपनी स्वर्गीय धर्मपत्नी शकुन्तलाबेन की स्मृति में करके उसका " शकुन्तला आराधना भवन” नामकरण किया था, बाजु में श्री वेलजीभाई रतनशी निसर धर्मधाम आराधना केन्द्र में श्री संघ के कार्यालय आदि हैं। जो 'धर्मधाम' पू. आ. भ. श्री विजयधर्मसूरीश्वरजी म. सा. को पुण्यस्मारक रूप में पू. आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. के मार्गदर्शन व प्रेरणा से बनाया गया है ।
यहाँ श्री मुनिसुव्रत जैन युवक मण्डल श्री मुनिसुव्रत जैन महिला मण्डल सेवा भक्ति में अग्रसर हैं । प्रत्येक शनिवार को कई भक्तजन श्री मुनिसुव्रत भगवान के दर्शन के लिये पधारते हैं और प्रसन्न होते हैं। उन दर्शनार्थीओ को भाता की भक्ति चालु है ।
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