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मुंबई के जैन मन्दिर
जिनालय के प्रवेशद्वार के पास बाहर की त्रिचौकी में एक तरफ गोखले में पूज्यपाद गीतार्थ शिरोमणि आचार्य भगवन्त श्री विजय मोहनसूरीश्वरजी म. सा. की देह प्रमाण ३५" की पाषाण प्रतिमाजी बिराजमान हैं, उनके आजु बाजु के दो गोखले में परम पूज्य आ. भ. श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. और परम पूज्य आ. भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की तस्वीर दर्शनीय हैं। उनकी जगह पर दो पाषाण प्रतिमा अल्प समय में प्रतिष्ठित होनेवाली हैं। उनके सामने तीन गोखले में श्री चक्रेश्वरी देवी ३१", श्री सरस्वती देवी ३१” और श्री लक्ष्मीदेवी ३१" की प्रतिमा बिराजमान हैं। जिनालय के परिसर में युगदिवाकर आचार्य देव श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. का संगमरमर का मारबल का भव्य समाधि मंदिर शोभायमान हैं। जिनालय के सन्मुख प्रवेशद्वार के पास एक तरफ श्री पद्मावती माताजी ५१" का देव मन्दिर और दूसरी तरफ श्री घंटाकर्ण वीर ५१" का देव मन्दिर हैं।
जिनालय में रंगमंडप में श्री शत्रुजय महातीर्थ और श्री अष्टापद तीर्थ की ६' ३' फुट लंबाई चौडाई और ४' फुट गहराई की पाषाण की रचना बेनमून अतिसुन्दर और सारे मुम्बई महानगर में अपूर्वअद्वितीय और अद्भुत दर्शनीय हैं।
चेम्बुर तीर्थ के स्थापक पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. का श्रावण वदि ११ का जन्मदिन और फागुण सुदि १३ का स्वर्गवास पुण्यतिथि दिन प्रतिवर्ष धामधूम से यहाँ मनाया जाता हैं ।
___ इस तरह मुंबई महानगर का लघु शत्रुजय तीर्थ, दादा ऋषभदेव भगवान की शीतल छाया और युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. की पौढ पुण्य प्रभा के बल से दिन - प्रतिदिन भक्ति के साथ सुख - शान्ति - आबादी का साम्राज्य चारो और फैला रहा हैं।
वि. सं. २०५४ के वर्ष में यहाँ पर परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. तीर्थ और संघ की विनंती से यशस्वी चातुर्मास बिराजमान हैं। आपकी प्रेरणा और मार्गदर्शन से तीर्थ विकास के नवीन आयोजन हो रहे हैं । नूतन वर्ष २०५५ में कार्तिक मास में का. शुदि १२, रविवार ता. १-११-१९९८ से उपधान तप आराधना का प्रारंभ हुआ हैं । पौष शुदि २, रविवार, ता. २०-१२-९८ को मालारोपण महोत्सव होनेवाला हैं।
यहाँ श्री अंचलगच्छ जैन उपाश्रय, श्री पार्श्वचंद्र गच्छ जैन उपाश्रय के अलावा श्री आदि - धर्म महिला मंडल, श्री पंचपरमेष्ठि भक्ति मण्डल, श्री पंच परमेष्ठि आराधक मंडल श्री पार्श्वचन्द्र महिला मंडल, श्री आदिगुण लब्धि महिला मंडल, श्री जैनानंद सामायिक मंडल, श्री खान्तिश्रीजी सामायिक मण्डल, श्री पूर्णगुण सामायिक मंडल आदि कइ संस्थाएँ अपनी भक्ति भावना में अग्रसर हैं।
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