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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर शिष्यो- की पावन निश्रा में हुई थी। यहाँ आरस की २ प्रतिमाजी, पंचधातु की ६ प्रतिमाजी, कमल तथा सिद्धचक्रजी ४ के अलावा दिवार पर श्री सिद्धाचलजी, श्री अष्टापदजी, श्री सम्मेतशिखरजी तथा श्री गिरनारजी के चित्र दर्शनीय हैं। यहाँ श्री जिन भक्ति महिला मण्डल, श्री अरिहन्त महिला मण्डल, श्री पार्श्व महिला मंडल, श्री मरीन ड्राईव स्नात्र मण्डल, श्री सामायिक मण्डल, श्री मरीन ड्राइव जैन पाठशाला, पाटण जैन मण्डल द्वारा पुस्तकालय एवं वाचनालय की व्यवस्था हैं। उपाश्रय भी हैं। इस उपाश्रय की स्थापना वि.सं. २०२९-३० में पर्युषण आराधना के लिये पधारे हुए पू.आ. श्री मोहन - प्रताप - धर्मसूरीश्वर समुदाय के प. पू. आ. भ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. (उस समय मुनिराज) की प्रेरणा और मार्गदर्शन से पाटण निवासी श्री प्रेमचंद जीवाचंदभाईने उदारता से अपना ब्लोक, श्री पाटण जैन मंडल - मुंबई को प्रत्यर्पित करने पर की गई थी, तब से इस उपाश्रय में चातुर्मासादि आराधना होती है। श्री पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर वेस्टर्न कोर्ट, ६ माला, ८३ मरीन ड्राईव, ब्लोक नं. २४, पाटण जैन मंडल मार्ग (F- रोड), मुंबई - ४०० ०२०. टे. फोन : २८११०५५, २८१५९ ४४ श्री महेन्द्रभाई विशेष :- यहां मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान तथा आजूबाजू में श्री महावीर स्वामी, श्री आदीश्वर भगवान, श्री गौतम स्वामी व पद्मावती देवी सभी प्रतिमाजी आरस पर बनाई गई बिराजमान हैं। परम पूज्य आ. श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. साहेब के समुदाय के आचार्य श्री दुर्लभसागरसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०४४ का माह सुद - ६ सन् १९८८ को स्थापना हुई थी। इस गृहमन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्रीमान श्रेष्ठीवर्य श्री महेन्द्रभाई शान्तिलाल दुधवाले है। श्री पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर ब्लोक नं. ३, पहला माला कृष्ण कुंज अणुव्रत मार्ग, ९६ मरीन ड्राईव, मुंबई - ४०० ०२०. टे. फोन : २८१ ०४ ३३ श्री दिनेशभाई विशेष :- श्री महेन्द्रभाई के लघु भ्राता श्री दिनेशभाई शान्तिलाल दुधवालोने अपने निवास स्थान पर गृह मन्दिरजी की स्थापना की है। दिसम्बर ९६ में आपके यहाँ भगवान बिराजमान किये गये है। आरस पर बनाये गये मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान, श्री महावीर स्वामी, श्री आदीश्वर भगवान, श्री गौतम स्वामी, श्री पद्मावती देवी के साथ ५ प्रतिमाजी सुशोभित हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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