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मुंबई के जैन मन्दिर
(४५०) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय 'पाण्डुरंग वाडी शान्तिनगर, मानपाडा रोड, डोंबीवली (पूर्व), जि. थाणा (महाराष्ट्र). टेलिफोन :- ९११ - ४५६ ६४४ (ओ.) - ३७४ ५८ ७४ (ओ.)
९११ - ४४१ ७९५ मनोजभाई विशेष :- श्री पार्श्वभक्ति श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित सर्वप्रथम यहाँ गृह मन्दिर के मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ की प्रतिमाजी श्री लब्धि - लक्ष्मण के शिष्य आ. श्री कीर्तिचंद्रसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से अ. सौ. प्रभावती के श्रेयार्थ राघनपुर निवासी मसालीया पन्नालाल नागरदास एवं परिवार वालो की तरफ से बिराजमान की गई थी।
नूतन जिनालय की खनन विधि संवत २०५२ का आसौ वदि ६, ता. १-११-९६ के दिन परम पूज्य पन्यास श्री चन्द्रशेखरविजयजी महाराज के शिष्य पूज्य मुनिराज श्री जिनसुंदरविजयजी म. की पावन निश्रा में हुई थी। वि. सं. २०५३ का कार्तिक वदि २, ता. २७-११-१९९६ के दिन आपकी पावन निश्रा में इस जिनालय की शिला स्थापना हुई थी।
मूलनायक ३३” इंच के संप्रति महाराजा द्वारा भराये हुए और पाटण से प्राप्त हुए प्राचीन प्रतिमा श्री आदीश्वर भगवान का नगर प्रवेश संवत २०५२ का माह सुदि १३, ता. २-२-१९९६ को हुआ था।
पाटण अष्टापदजी जिनालय में से संप्रति महाराजा समय की प्राचीन प्रतिमाजी श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान २९" की तथा श्री नेमनाथ भगवान २९" यहाँ के जिनालय के लिये प्राप्त हुई हैं।
पाटट घीया के पाडा में से श्री शान्तिनाथ भगवान २३" तथा श्री महावीर स्वामी २३" यह दोनो प्रतिमाजी भी संप्रति महाराजा के समय की है प्राप्त हुई हैं। भगवान का गृहप्रवेश संवत २०५४ का जेठ सुदि ९ ता. ३-६-९८, बुधवार को परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज आदि थाणा - ५ के पावन निश्रा में हुआ था।
नूतन जिनालय में मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान, श्री वासुपूज्यस्वामी, श्री विमलनाथ भगवान, श्री पार्श्वनाथ भगवान, श्री महावीर स्वामी, श्री शान्तिनाथ प्रभु सहित ६ प्रतिमाजी, पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - १ तथा उपर मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान , श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री नेमनाथ भगवान सहित पाषाण की ३ प्रतिमाजी बिराजमान हैं।
जिनालय के बाजू में श्रीमती रंभाबेन नागरदास कुंवरजी शाह राजपरा निवासी (बेंगलोर) आराधना भुवन सुशोभित हैं । यहाँ श्री आदिनाथ ग्रुप, श्री वर्धमान संस्कृति धाम, श्री बाल - समूह सामायिक मंडल एवं नियमित आयंबिल खाता चालु हैं । वि. सं. २०५५ में आ. श्री विजय राजेन्द्रसूरीश्वर म. की निश्रा में प्रतिष्ठा की संभावना हैं।
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