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मुंबई के जैन मन्दिर
द्वारा जैन आराधना भुवन की स्थापना हुई थी । लकी ड्रो द्वारा स्व. अनोपबेन मोहनलाल पारेख (दीहोरवाला) जैन आराधना भवन नामकरण किया गया हैं।
इसी आराधना भवन के एक तरफ, श्री राजाजी रोड श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य श्री भुवनभानुसूरि समुदाय के
आ. श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से विद्वद्वर्य मुनिराज श्री अजितशेखरविजयजी म., मुनिराज श्री विमलबोधिविजयजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५४ का फागुण सुदि ११, तारीख ८-३-९८, रविवार को हुई थी।
इस गृह मन्दिर के लिये उपासरे के एक भाग की जमीन, जगह के मालिक सेठ हरिचंद्र भगत (महाराष्ट्रीयन) की तरफ से सप्रेम भेट के रूप में प्राप्त हुई हैं। यहाँ आरस की सुविधिनाथ प्रभु की २१" की एक प्रतिमाजी, पंचधातु की शान्तिनाथ प्रभु की एक प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी एक शोभायमान हैं। यहाँ उपासरा, श्रीपालनगर सामायिक मण्डल व जैन पाठशाला चालु हैं।
(४४९) श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवान गृह मन्दिर मुनिसुव्रत निवास ग्रोगासवाडी, मानपाडा रोड, डोंबीवली (पूर्व), ४२१ २०१.
जि. थाणा (महाराष्ट्र)
टेलिफोन :- ९११-४४८ ८१७ - नविनभाई विशेष :- श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिरजी, उपाश्रय व पाठशाला की स्थापना एवं चल प्रतिष्ठा परम पूज्य लब्धि - लक्ष्मण के शिशु परम पूज्य शतावधानी आ. श्री विजय कीर्तिचंद्रसूरीश्वरजी म., मुनिराज श्री हरिशभद्रविजयजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०४६ का जेठ सुदि १३, ता. ६-६-९०, बुधवार को हुई थी । यहाँ श्याम रंग के मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ, श्री गोडीजी पार्श्वनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की - २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, विसस्थानक - १, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। दिवार पर १०८ पार्श्वप्रभु के चित्र के अलावा श्री अष्टापदजी, श्री शत्रुजय एवं श्री पावापुरी तीर्थ भी दर्शनीय हैं । यहाँ श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ जैन पाठशाला एवं श्री मुनिसुव्रत स्वामी स्नात्र मंडल की व्यवस्था हैं।
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