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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २९५ कल्याण (पश्चिम) (४५१) . श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवान गृह मन्दिर मूकेश मेन्शन, पहला माला, मोहम्मद अली चौक, स्टेशन रोड, कल्याण (प.) जि. थाणा महाराष्ट्र - ४२१ २०१. टे.फो. ९११-३१६८६९ - धरमचंदजी ताराजी, ९११-३२३५५६ मोतीजी नरसाजी विशेष :- श्री राजस्थान जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिर की सर्व प्रथम स्थापना - प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय मोहन-प्रताप के पट्टधर परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की शुभ प्रेरणा से वि.सं. २०२७ का जेठ सुदि १४ को हुई थी। यहाँ पुनः प्रतिष्ठा परम पूज्य आत्म-वल्लभ समुदाय के आचार्य श्री विजय इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. श्री विजय रत्नाकरसूरीश्वरजी म.सा. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५४ का माह सुदि-१०, शुक्रवार, तारीख ६-२-९८ को खूब ठाठमाठ से हुई थी। यहाँ चेम्बुर तीर्थ से प्राप्त मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी तथा आजू बाजू मे श्री वासुपूज्य स्वामी, एवं श्री पार्श्वनाथ प्रभु की ३ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। दूसरी तरफ श्री शान्तिनाथ प्रभु की पाषाण की १ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्ध चक्रजी-२, अष्टमंगल-१, यंत्र-१ सुशोभित हैं। (४५२) श्री नमिनाथ भगवान गृह मन्दिर त्रिमूर्ति बिल्डिंग पहला माला, शिवाजी रोड, कल्याण. जि. थाणा,महाराष्ट्र. टे.फो. ९११-३१६५१९ राजुभाई (राजेन्द्र पी. शाह) विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री मुरबाड जैन संघ हैं। यहाँ सर्व प्रथम परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य प्रेरणा से चल प्रतिष्ठा वि.सं. २०३३ का आषाढ सुदि ११ को हुई थी। यहाँ चेम्बुर तीर्थ से प्राप्त श्री मूलनायक श्री नमिनाथ प्रभु के साथ, श्री महावीर स्वामी, श्री मुनिसुव्रत स्वामी एवं श्री आदिनाथ दादा की पाषाण की ४ प्रतिमाजी, पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-५ बिराजमान हैं। परम पूज्य आ. श्री विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य श्री मुक्तिचन्द्र- सूरीश्वरजी म. के शिष्यरत्न आ. श्री विजय अमरगुप्तसूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा से स्व. शा. रसिकलाल रुपचन्द मुरबाडवाला और स्व. शा. बाबुलाल गोकुलदास मंचरवाला जैन आराधना भवन के नामकरण की विधि आ. For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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