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मुंबई के जैन मन्दिर
आराधना व शासन प्रभावना सभर चातुर्मास के बाद, वि.सं. २०५१, महा शुदि ६ को श्री उपधान तप महा आराधना के मालारोपण महोत्सव में मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु के विशाल और भव्य परिकर की प्रतिष्ठा हुई थी।
___ बावन जिनालय की दसवी सालगिरि पर वि.सं. २०५३ के वैशाख सुदि ११ रविवार ता. १८५-९७ को प.पू.आ.भ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रामें बावन जिनालय में ६८ मंगल मूर्तियो की स्थापना हुई थी। आपके मार्गदर्शन से इस महा प्रासाद के शेष कार्य आजकाल पूर्ण होने जा रहा है । भूमि तल में पीले मारबल के ४०० खंभे लग चूके है । नक्षीदार कला कोरणी युक्त यह उत्तुंग महाप्रासाद मुंबई महानगर का महातीर्थ बन चूका है। आपकी प्रेरणासे आयंबिल भवनका पुनरुद्धार कार्य शुरु हो चूका है, और उसके साथ जैन उपाश्रय का पुनरुद्धार और भोजनालय का भी कार्य का आयोजन किया गया हैं।
___ इस महाजिनालय में श्यामवर्ण पाषाण के मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ ५१" परिकर के साथ १०१" और आजू बाजू में गत चोवीशी के श्री केवलज्ञानी प्रभु ४१", आगामी चोवीशी के श्री पद्मनाभ स्वामी की प्रतिमाजी ४१' बिराजमान हैं। बाहरी गोखले में श्री पुंडरीक स्वामी एवं श्री गौतमस्वामी की दो प्रतिमाजी, रंगमंडप में ६ प्रतिमाजी, चारो तरफ देवलीयो में बिराजमान पाषाण की कुल १६३ प्रतिमाजी, नीचे के गंभारे में पाषाण की ३ प्रतिमाजी और उपर शिखर के गंभारे में पाषाण की ५ प्रतिमाजी तथा उपर बाहर के भाग में पंच धातु की चऊमुखी ४ प्रतिमाजी सुशोभित हैं। मन्दिर के अग्रभाग में चौकी के उपर तीन दिशा में ३ बडी बडी मंगलमूर्ति बिराजमान हैं, जिनका दर्शन सबको सर्व प्रथम होता है।
पुरे जिनालय में पाषाण के १८२ प्रतिमाजी तथा ६८ + १० मंगल मूर्तियो के साथ कुल २६० प्रतिमाजी तथा पंच धातु के प्रतिमाजी सिद्धचक्रजी और अष्टमंगल वगैरह ४० का अंदाजा हैं।
___ इस महाप्रासाद के बाहरी परिसर में उत्तर दिशा में स्वतंत्र बडा अधिष्ठायक देवमन्दिर, जोधपुरके लाल पत्थरो से बनाया हुआ हैं। उसमे अलग अलग देहरीयो में श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री नाकोडा भैरुजी, श्री भोमियाजी, श्री चक्रेश्वरी देवी, श्री पद्मावतीदेवी, श्री अंबिकादेवी, श्री सरस्वतीदेवी, श्री लक्ष्मीदेवी की बडी बडी प्रतिमाजी प्रतिष्ठित की गई हैं।
इस तरह यहाँ भव्य उपासरा, धर्मशाला, आयंबिलशाला, जैन पाठशाला, श्री पार्श्वदीपक महिला मंडल, श्री पार्श्व महिला मंडल, श्री पार्श्वपूजक मंडल आदि कई मंडले और अनेक संस्थाएँ तीर्थ के भक्तिकार्य में अग्रसर हैं। इस बावन जिनालय महातीर्थ का संचालन, ट्रस्ट के मेनेजिंग ट्रस्टी श्री सुरेशभाई देवचन्द संघवी आदि ट्रस्ट मंडल कर रहे है और श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ देवचन्द नगर जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ के कार्यकर्ता उसमें साथ दे रहे हैं।
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