SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 338
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४८ मुंबई के जैन मन्दिर भगवन्त विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य विजय हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४६ का वैशाख सुदि ६, ता. ३०-४-९० को भव्य प्रतिष्ठा हुई थी। ___ प्रतिष्ठा के बाद कायमी ध्वजा का लाभ शा. हिंमतमलजी रतनचन्दजी राणावत दुजाना (राज.) परिवारवालोने लिया हैं। यहाँ मूलनायक श्री संभवनाथ प्रभु सहित पाषाण की ५ प्रतिमाजी तथा पाषाण की ही श्री गौतमस्वामी एवं श्री सुधर्मास्वामी की दो गुरु प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १, वीसस्थानक - १ चऊमुखी प्रतिमाजी का समवसरण तथा उपर मूलनायक श्याम रंग के पार्श्वनाथ प्रभु सहित ५ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। यहाँ उपासरा के अलावा श्री संभवनाथ महिला मंडल, श्री संभवनाथ संगीत मंडल, श्री नवयुग मित्र मंडल, श्री महावीर महिला मंडल, श्री भैरव भक्ति मंडल तथा श्री संभवनाथ जैन पाठशाला एवं आराधना मंडल की व्यवस्था हैं। पवई (३७७) श्री शान्तिनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय आय. आय. टी. मार्केट, जैन मन्दिर मार्ग, पवई तलाव के आगे, पवई रोड, मुंबई - ४०० ०७६. टेलिफोन नं.-(ओ.) ५७९५१ ८१ वसनजीभाई (ओ.) ५७८ १२ ८२, (घर) - ५७८ ३४ १४ विशेष :- पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से उनकी निश्रा में वि. सं. २०२८ में इस भव्य जिनालय की शिला स्थापना मोटा आसंबिया कच्छ हाल मुलुंड निवासी अ. सौ. श्रीमती हीरबाई मोरारजी नानजी गाला के हस्त से हुई थी। पवई जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस भव्य जिनालय की प्रतिष्ठा इस मनमोहक जिनालय के प्रेरक श्री मोहनप्रतापसूरीश्वरजी के पट्ट प्रद्योतक प. पू. युग दिवाकर आचार्य भगवंन्त श्री धर्मसूरीश्वरजी म. सा. एवं अनेक शिष्यो - प्रशिष्यो की पावन निश्रा में वि. सं. २०३२, वीर संवत २५०२ का फागुण सुदि ७, ता. ८-३-१९७६ को हुई थी। प्रतिष्ठा का लाभ : - मूलनायक श्री शान्तिनाथ भगवान की प्रतिष्ठा का लाभ भरूच हाल मुंबई निवासी अ. सौ. श्रीमती प्रमिलाबेन रमेशभाई रतिलाल दलाल ने लिया था। जिनालय के रंग मंडप का लाभ : (१) श्री ऋषभदेव जैन देरासर और साधारण खाता ट्रस्ट - चेम्बुर For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy