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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २८५ (४३५) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान सामरण बद्ध गृह मन्दिर वासुपूज्य एपार्टमेन्ट, कामतघर, हनुमान मंदिर के बाजू में, भीवण्डी. जि. थाणा (महाराष्ट्र). टेलिफोन नं.-९१३ - २१५९२ विशेष :- परम पूज्य आ. श्री विजय प्रेम सूरीश्वरजी समुदाय के प. पूज्य आचार्य श्री विजय ललित शेखर सूरीश्वरजी म., प. पूज्य आ. श्री विजय राजशेखर सूरीश्वरजी म., प. पूज्य आ. श्री विजय वीर शेखर सूरीश्वरजी म., पू. मुनिराज रत्नसेन विजयजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५४ का वैशाख सुदि १२, शुक्रवार, ता. ८-५-९८ को प्रतिष्ठा हुई थी। इस गृह मन्दिरजी के, मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी तथा आजुबाजु में श्री महावीर स्वामी, श्री शान्तिनाथ भगवान की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १ तथा ३ देव देवीयाँ भी गंभारे में बिराजमान है। रंग मंडप में श्री शत्रुजय तीर्थ व श्री सम्मेत शिखरजी तीर्थ भी दर्शनीय हैं। स्व. श्रीमती शांताबेन भारमल हंसराज सुमरीया, श्रेष्ठिवर्य श्री मनसुखलाल भारमल सुमरीया एवं श्रीमती कंचनबेन मनसुखलाल सुमरीया एवं श्री जयसुखलाल भारमल सुमरीया आदि परिवार वालो ने इस सामरण बद्ध गृह मन्दिर का निर्माण कराया है। कलवा (पश्चिम) (४३६) श्री अभिनन्दनस्वामी भगवान भव्य शिखर बंधी जिनालय ___ गुणसागर नगर, स्टेशन रोड, कलवा. जि. थाणा, महाराष्ट्र टेलिफोन - ५६१५५४१, ५६१७३८२, ५६८१४ २४ - नवीन भाई सेठ विशेष :- इस मन्दिरजी की भव्य प्रतिष्ठा अंचलगच्छाधिपति आचार्य श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रामें वि.सं. २०४३ का मगसर वदि २ को हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री अभिनन्दन स्वामी तथा आजू बाजू में श्री संभवनाथ प्रभु एवं श्री अनन्तनाथ स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी -२१, अष्ट मंगल १ के अलावा यक्षेश, कालीदेवी, पद्मावतीदेवी, चक्रेश्वरी देवी भी बिराजमान है। इस मन्दिरजी के संचालक श्री अभिनन्दन स्वामी जैन देरासर ट्रस्ट पेढी - कलवा (प.) है। इस मन्दिरजी के निर्माता बिल्डर्स श्रीमान सेठ श्री मोरारजी नानजी गाला मुलुन्ड निवासी है। यहाँ श्री राजस्थान मूर्तिपूजक जैन संघ - उपाश्रय हैं। जिसका नामकरण लक्की ड्रो की योजना नुसार 'शा वालचन्द रालेराजजी जैन उपाश्रय' रखा गया। यहाँ अंचलगच्छ जैन संघ का दूसरा उपाश्रय For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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