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मुंबई के जैन मन्दिर
विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवंत अचलगच्छाधिपति श्री गुणसागसूरीश्वरजी म. और शिष्यरत्न आचार्य श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म., मुनिराज श्री महोदयसागरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४४ का जेठ सुद ११ शनिवार ता. २५-६-८८ को प्रतिष्ठा हुई थी।
श्री कुंथुनाथ जिनालय चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस जिनालय में मूलनायक श्री कंथुनाथ स्वामी तथा आजुबाजु में श्री आदिनाथ भगवान एवं श्री महावीर स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ५ प्रतिमाजी सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - १ तथा पंच धातु की पद्मावतीदेवी भी शोभायमान है। कम्पाउण्ड में ही उपासरा भी है वहाँ भी श्री मंगलमूर्ति - १ आरस की बिराजमान है।
इस जिनालय के निर्माण दाताओ में मुख्य रुप से सिल्वर बिल्डर्स के मालिक श्री रविभाई ठाकरशी संगोई, श्री धनजी घेलाभाई छेडा, श्री दामजी कुंवरजी छेडा, श्री गोविन्दजी शिवजी शाह का विशेष रूप से सहयोग प्राप्त हुआ है। ___ यहाँ श्री कुंथुनाथ महिला मण्डल की व्यवस्था है।
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श्री शीतलनाथ भगवान भव्य शिखरबद्ध जिनालय श्री ज्ञानमंदिर रोड, एस. के. बोले मार्ग, मेनरोड, दादर (प.) मुंबई - ४०० ०२८.
टे. फोन : ऑफिस - ४२२ ७२ २३ भाईलाल भाई - ४४७ ०१ ७१ विशेष :- श्री आत्म-कमल-लब्धि सूरीश्वरजी जैन ज्ञानमन्दिर और पौषध शाला के ट्रस्ट की स्थापना वि. सं. २००३ का श्रावण वद ५ ता. ५-१-१९४७ को हुई थी। इसका निर्माण श्री आत्म- कमल - लब्धि-सूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. विजय लक्ष्मणसूरीश्वरजी म. साहेब के सद्उपदेश से हुआ था।
___ यह पहले गृह मन्दिर था। किंतु श्री आत्म - कमल लब्धिसूरि जैन ज्ञान मन्दिर के ट्रस्टी साहेब के भरचक प्रयत्नो से एक भव्य गगनचुंबी जिनालय का निर्माण कराया। जिसकी भव्य प्रतिष्ठा वि. सं. २०३३ का मगसर सुद १५ सोमवार ता. ६-१२-७६ को परम पूज्य आचार्य भगवन्त लब्धि सूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. विजय विक्रम सूरीश्वरजी म. प्रशान्तमूर्ति आ. विजय नवीनचंद्र सूरीश्वरजी म. एवं लब्धि - लक्ष्मण शिशु शतावधानी आ. विजय कीर्ति चंद्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में हुई थी।
यहाँ आरस के २९ प्रतिमाजी, चांदी के ४, पंच धातु के १६ प्रतिमाजी तथा सिद्धचक्रजी व पावापुरी शोकेस शोभायमान है। रंगमण्डप में गुरु गणधर गौतम स्वामी की प्रतिमाजी व २ पद्मावती देवी की प्रतिमाजी तथा एक तरफ आ. श्री विजयानन्दसूरीश्वरजी, श्री कमलसूरीश्वरजी तथा आ. विजय लब्धिसूरीश्वरजी ये ३ प्रतिमाजी बिराजमान है।
मन्दिरजी के बाजू में आ. विजय लक्ष्मणसूरीश्वरजी म. का गुरुमन्दिर हैं, जिसकी प्रतिष्ठा सेठ श्री दानवीर बीपिनभाई झव्हेरी परिवारवालोने वि.सं. २०४१ का मगसर वद ५ को आ. विजय कीर्तिचंद्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में की हैं।
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