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मुंबई के जैन मन्दिर
श्री आदिनाथ सुपार्श्वनाथ एवं पार्श्वनाथ प्रतिमाजी की भी प्रतिष्ठा हुई थी। उसके बाजू में ही आ. विजय कीर्तिचंद्रसूरीश्वरजी म. का गुरुमन्दिर बना हैं । जिसकी प्रतिष्ठा स्व. आचार्य वीरसेनसूरीश्वरजी म., आ. जिनप्रभसूरीश्वरजी, आ. पुण्यानन्दसूरीश्वरजी तथा आ. विजय यशोवर्मसूरीश्वरजी, पन्यास पद्मयशविजयजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०५० का कार्तिक वद १ बुधवार ता. ८-१२-९२ को हुई थी जिसकी प्रतिष्ठा का लाभ चन्द्रकांत मूलचन्द पाटणवालोने लिया था।
यहाँ श्री लब्धिसूरि ज्ञान मन्दिर में लायब्रेरी, उपासरा व्याख्यान भवन, श्री वर्धमान तप आयंबिल शाला एवं श्री लक्ष्मणसूरीश्वरजी पाठशाला तथा शीतलनाथ महिला मंडल हैं।
प्रथम से ही तन मन धन से सहयोग देनेवाले सेठ श्री दामजी जेठाभाई लोडाया, इन्दोर निवासी श्री मन्नालालजी सरदारमलजी ठाकुरिया परिवार का विशेष सहयोग ट्रस्ट की स्थापना के लिये और आत्म कमल पौषध शाला के लिये मिला हैं।
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श्री शान्तिनाथ भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय कबुतरखाना के सामने, भवानी शंकर रोड, दादर (प.), मुंबई - ४०० ०२८. टे. फोन : ओ. ४२२ ९४ २५, मूलचंदजी ४३० ३२ ७४, बाबुलालजी ४१३ ७० ९८
विशेष :- इस भव्य जिनालय के संस्थापक एवं संचालक श्री राजस्थान आगरतड जैन संघ हैं। इसकी स्थापना वि.सं. १९६१ को हुई थी। मन्दिरजी की प्रतिष्ठा वि. सं. १९९४ का वैशाख सुद ६ को हुई थी। यहाँ आरस की कुल १९ प्रतिमाजी, पंच धातु की ३३ प्रतिमाजी सिद्धचक्रजी - ९ चउमुखी प्रतिमाजी पंच धातु का तथा अनेक यंत्रो के साथ प्रतिमाजी परिवार हैं।
बाहरी भाग के मारबलकी छत्री में तीन आरस प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा वि.सं. २०२३ का माह सुद १० को परम पूज्य युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पावन निश्रा में हुई थी। इस तीन प्रतिमाजी के देहरी के एक तरफ श्री मणिभद्रवीरजी तथा दूसरी तरफ श्री नाकोडा भैरुजी बिराजमान है।
यहाँ साधुजी एवं साध्वीजी महाराजो के लिये उपासरो की व्यवस्था हैं | व्याख्यान भवन, श्री वर्धमान तप आयंबिल शाला तथा दादर वर्धमान जैन पाठशाला की सुन्दर व्यवस्था है।
दादर विभाग में श्री शान्तिनाथ महिला मण्डल, श्री आदिनाथ महिला मण्डल, श्री नम्रता महिला मण्डल, श्री शीतलनाथ महिला मंडल, श्री वासुपूज्य महिला मण्डल, श्री कुंथु-गुण महिला मंडल पूजा भावना में अग्रसर हैं । युवा जैन सोशल ग्रुप भी लोकप्रियता के शिखर पर है । दरवाजे में प्रवेश पाते ही ऑफिस के सामने की ओर दो बडे तीर्थो का पट श्री श@जयजी, श्री सम्मेत शिखरजी भी दर्शनीय हैं । यहाँ धर्मशाला की सुन्दर व्यवस्था हैं । बाहरगाँव से आनेजाने वाले यात्रालु भाईयो के लिये आनन्दपूर्वक रहने के साथ साथ पूजा-पाठ भी कर सकते हैं। मुंबई महानगर के मन्दिरो में यही एक मात्र बडा दरवाजे का मन्दिर हैं।
इस जिनालय के सामने विशाल कबुतरखाना हैं, जहाँ व्यवस्थापको की ओर से भी दाना डालने की नियमित व्यवस्था हैं।
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