________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
२६
मुंबई के जैन मन्दिर
को तरफ से मुंबादेवी मैदान में आपश्री की निश्रा में अष्ट ग्रहयुति के समय श्री विश्व शान्ति आराधना सत्र का भव्य महोत्सव हुआ था । उसी वर्षमें यहाँ प. पू. युगदिवाकरसूरीश्वरजी की प्रेरणा व मार्गदर्शन से सारे बम्बईके जैन साधर्मिको की भक्ति - सहायके लिए जैन साधर्मिक सेवा संघ की स्थापना की गई थी ।
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
वि. सं. २०१९ में आप श्री की प्रेरणा से एवं आपकी निश्रा में मुंबई भर में जैन शास्त्रो का उच्च धार्मिक अभ्यास करनेवालो के लिये श्री हीरसूरिश्वरजी जैन संस्कृत पाठशाला की स्थापना हुई थी। वो आज भी अखंड चल रही हैं।
वि. सं. २०३०, महावीर सं. २५०० में भगवान श्री महावीर देव की २५ वीं निर्वाण शताब्दी की व्यापक तौर से, भव्य विविध आकर्षक आयोजनो से युक्त उजवणी बडे ही ठाठ से प. पू. सिद्धान्त आचार्य भगवंत श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. सा. एवं प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य प्रभावशाली निश्रा में यहाँ से की गई थी, उनकी तैयारी के लिए महिनाओ तक अनेक तरह के आयोजन प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य निश्रामें प. पू. आ. भ. श्री विजय महानन्दसूरीश्वरजी म. सा. और प. पू. आ. भ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. ( उस समय दोनो मुनिराज ) के प्रबल मार्गदर्शन से हुआ था। चौपाटी के मैदान में महासभा और गोवालीया टेंक मैदान में ९ दिन का अजोड आयोजन, दो लाख की जनता के साथ महा रथयात्रा का ऐतिहासिक आयोजन भी हुआ था । उनके लिए कई समिति और उपसमिति या बनाई गई थी। सारे बम्बई में यह उजवणी हुई थी ।
वि. सं. २०३२ के प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजयधर्मसूरीश्वरजी म. सा. चातुर्मास बाद आपश्री की प्रेरणा से वि. सं. २०३३ महा शुदि ३ को गोडीजी - मुम्बई से पालिताणा का ऐतिहासिक और बडा श्री शत्रुंजय महातीर्थ पदयात्रा संघ का प्रयाण यहाँसे हुआ था, जिसमें ११ संघपति और ३०० साधु-साध्वीजी और २००० यात्रिक थें, ७३ दिनोंका यह महासंघ था। जिसका पूर्ण संचालनका मार्गदर्शन प. पू. युगदिवाकर गुरुदेवकी छत्रछायामें पू. आ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म. और मुख्य रूप से पू. आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. ( उस वक्त दोनो मुनिराज ) कर रहे थे ।
१७५
वर्ष
पू. युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री की प्रेरणा से और मार्गदर्शन से श्री गोडीजी के प्राचीन जिनालय का जीर्णोद्धार करोड़ो रुपयो के खर्च से हुआ हैं। उसका भूमि पूजन - खनन - शिला स्थापन विधि आपश्री की निश्रा में वि.सं. २०३२ में भव्य समारोह के साथ हुआ था, परन्तु भवितव्या के योग से आपश्री का वि.सं. २०३८ का फागुण सुदी १३ को मझगांव उपाश्रय में काल धर्म हुआ और आपश्री के पुण्य देह को गोडीजी उपाश्रय में रखा गया जहाँ लाखों की जनता अंतिम दर्शन करके पावन हुई थी। फागुण सुदी १४ को सुबह गोडीजी से आपश्री की पालकी यात्रा २ लाख के विशाल जन समूह के साथ २१ कि. मीटर पद यात्रा करके चेम्बुर तीर्थ गई थी, और वहाँ आपश्री का अन्तिम संस्कार हुआ था। उसके बाद रविवार के दिन गोडीजी संघ के उपक्रम से तांबाकांटा - मुंबादेवी के विशाल राजमार्गो पर आप श्री की गुणानुवाद - श्रद्धांजलि सभा हुई थी। उसमें एक लाख भाविकोने उपस्थित होकर भावभरी श्रद्धांजलि आपश्रीको अर्पित की थी ।
For Private and Personal Use Only