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मुंबई के जैन मन्दिर
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सुविशाल गच्छनेता आचार्य भगवन्त विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. रामचन्द सूरीश्वरजी म. के आचार्य विजय जिनेन्द्र सूरीश्वरजी म. मुनिराज श्री नयवर्धन विजयजी म., की पावन निश्रा में वि. सं. २०५२ का माह सुद - १४ तारीख ३-२-९६ को प्रतिष्ठा हुई थी।
यहाँ के जिनालय में मूलगंभारे में धातु की बनी हुई तीनो प्रतिमाजी मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी ४१ इंची तथा आजू बाजू में श्री महावीर स्वामी २७ इंची एवं श्री शांतिनाथ प्रभु २७ इंची प्रतिमाजी बिराजमान हैं। जिनालय के रंग मंडप में पाषाण की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की १० प्रतिमाजी, सिद्धनकजी - ४ तथा अष्टमंगल २ सुशोभित हैं।
___ गर्भ गृह की स्थापना करने वाले अ. सौ. रूक्ष्मणीबेन प्राणलाल छगनलाल सेठ परिवार वाले तथा सुरेशभाई सेठ, अ. सौ. सरलाबेन एवं प्रफुलभाई सेठ, अ. सौ. प्रज्ञाबेन हैं।
मन्दिरजी के बाहर की तरफ एक ओर परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी म. साहेब का गुरू मन्दिर दर्शनीय हैं।
(२००)
श्री पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर नीलकमल बिल्डींग के कम्पाउण्ड में, गोखले रोड, दहाणूकर वाडी,
कान्दिवली (प.) मुंबई - ४०० ०६७.
टे. फोन : ८०५ ०४ ८० के. टी सोनी विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री के. टी. सोनी व भारतीबेन हैं।
परम पूज्य आचार्य विजय लब्धि - लक्ष्मण के शिशु आ. शतावधानी विजय कीर्तिचन्द्र सूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में दहाणुकर वाडी के नीलकमल बंगले में अ. सौ. भारतीबेन के. टी. सोनी तथा शान्ताबेन वगैरह परिवार ने इस गृहमंदिर का निर्माण कर मूलनायक श्री पार्श्वनाथ प्रभु की चल प्रतिष्ठा वि. सं. २०४३ का वैशाख सुदी ४ शनिवार ता. २-५-१९८७ को की हैं।
यहाँ मूलनायक श्री पार्श्वनाथ प्रभु की एक प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्र - २, पंचधातु की एक पद्मावती देवी तथा एक रत्न की पद्मावती देवी बिराजमान हैं।
(२०१)
श्री आदीश्वर भगवान शिखरबंदी जिनालय प्लोट नं. १६४ सेक्टर नं. ५, आर. ओस. सी. ४४ मानव को. ओ. हाउसिंग सोसायटी
जिन प्रेम बिल्डींग के सामने, कान्दिवली (प.), मुंबई - ४०० ०६७. टे. फोन : तेजराजजी पुनमीया - ८६९१७ ९४ रविभाई भंडारी - ८६९ ८२ ५४ विशेष :- परम पूज्य शासन सम्राट नेमि सूरीश्वरजी म. समुदाय के. आ. भगवंत विजय
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