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मुंबई के जैन मन्दिर
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के रूप में पद्मप्रभस्वामी सहित पंचधातु की २ प्रतिमाजी एवं एक सिद्धचक्रजी बिराजमान थे।
मन्दिरजी का पुन: नवीनीकरण हुआ जिसका नूतन नामकरण मातुश्री भाणबाई वेलजी हघु वीरा गाँव - नानीखाखर वाला जैन आराधना भवन रखा गया हैं।
परम पूज्य आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. के शिष्य श्री पुण्योदयसागरजी म., पूज्य साध्वीजी श्री हंसावतीश्रीजी आदि थाणा - १० की पावन निश्रा में वि. सं. २०५२ का जेठ वद २, सोमवार, ता. ३-६-९६ को त्रिदिवसीय महोत्सव के साथ धामधूम से चल प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई थी।
यहाँ पाषाण की श्याम रंग की मूलनायक श्री पार्श्वनाथ प्रभु की एक प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी २ शोभायमान हैं।
७२ जिनालय तीर्थ (कच्छ) में अंजनशलाका की हुई प्रतिमाजी मूलनायक रूप में बिराजमान हैं।
ता. ४-६-९६ को द्वारोद्घाटन का लाभ भी मातुश्री भागबाई वेलजी परिवार वालोने लिया था। यहाँ महावीर मित्र मण्डल जैन पाठशाला चालु हैं तथा प्रति महिने की पुनम को दर्शन करनेवाले भाई बहनो के लिये संघ पूजन की व्यवस्था हैं।
| भायखला (पूर्व) (३१०) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मंदिर १६, हंसराज लेन, पोलिस स्टेशन के बाजू की गली, शुभ सन्देश बिल्डींग,
ग्राउन्ड फ्लोर, भायखला मुंबई - ४०० ०२७. टे. फोन : सुमनभाई ओ. ३८६ ३२ ९० घर ३७६ ३८ १४ किलाचन्द टी. महेता - ३७६ ४६ ८९ विशेष :- श्री भाववर्धक शुभ सन्देश श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ की ओर से परम पूज्य आत्म - कमल - लब्धिसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. विजय जिनभद्रसूरीश्वरजी म. एवं आ. विजय श्री यशोवर्मसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में अंजन शलाका वि. सं. २०४८ का माह सुद ५, रविवार, ता. १-२-९२ को तथा प्रतिष्ठा वि. सं. २०४८ का माह सुद १३, रविवार ता. १६-२-९२ को हुई थी।
यहाँ पाषाण की मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु तथा आजू बाजू में श्री आदिनाथ एवं श्री महावीर स्वामी की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल -१ तथा श्री मणिभद्रवीर एवं श्री पद्मावती माताजी भी बिराजमान हैं।
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