________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मुंबई के जैन मन्दिर
१७३
ता. ६-५-९८ को परम पूज्य आ. श्री विजय मोहन-प्रताप-धर्मसूरीश्वरजी म. समुदाय के प. प. पू. शासन प्रभावक आ.भ. श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी म., साहित्य सर्जक मुनिराज श्री राजरत्नविजयजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में हुआ था, तथा शिला स्थापना २०५४ का वैशाख वद २, वार बुध, तारीख १३-५-९८ को हुई थी।
यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान २५" + ६" = ३१" तथा आजू बाजू में श्री आदीश्वर भगवान २१" व श्री महावीर स्वामी २१” बिराजमान होनेवाले हैं।
यहाँ विशानिमा जैन युवक मण्डल की व्यवस्था हैं। इस गृह मन्दिर के लिये भूमि दान एस. एस. कोर्पोरेशन के श्री महेन्द्रभाई कांतिलाल सावला और ठाकरजी मेघजी सेठिया ने किया है। नाला सोपारा का यह नूतन और स्वच्छ सुन्दर विस्तार हैं । स्टेशन से बडा नया रास्ता ७० फुट का बन रहा हैं, जो विरार (पूर्व) तक जाने वाला है । वहाँ सेन्ट्रल पार्क के उत्साही और धर्म भावनाशील जैन युवकोने धर्म साधना और जिन भक्ति के लिये यह आयोजन किया था। यहाँ जैन उपाश्रय एवं जैन पाठशाला
आदि का भी आयोजन हो रहा हैं। प. पू. आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणासे जिनालय और उपाश्रयका लाभ श्री भोगीलाल मोहनलाल महेताने लिया है।
| विरार (पश्चिम) (२८०) श्री संभवनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय
रेल्वे स्टेशन के नजदीक, विरार - ४०१ ३०३ (प.) जि. थाणा, (महाराष्ट्र) टेलिफोन-ऑ.-९१२-५८२२३८ कुन्दनमलजी - ३७३ ४१ ०७ (घर), ३४२ २९ ८७,
मगनलालजी-३४३ ०६ ९७ विशेष :- यहाँ के जिनालय और उपाश्रय हॉल के लिये जमीन सप्रेम भेट के रुप में राजस्थान के नोवी गाँव के निवासी हाल विरार शा. कपूरचन्दजी चेनाजी वालो की तरफ से मिली हैं।
इस जिनालय के संस्थापक एवं संचालक श्री मरुधर विशा पोरवाल जैन पेढी, विजय वल्लभ चौक, पायधुनी - मुम्बई हैं।
इसकी भव्य प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय रामसूरीश्वरजी म. (डेहला वाले) आदि मुनि मण्डल की पावन निश्रा में वि.सं. २०२५ का माह सुदि ७ शुक्रवार को हुई थी।
यहाँ के जिन प्रासाद में आरस की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ९ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-३, अष्टमंगल-१ तथा श्री गौतम स्वामी गणधर, आचार्य श्री विजय सुरेन्द्र सूरीश्वरजी म. एवं यक्ष यक्षिणी की प्रतिमाजी बिराजमान हैं।
यहाँ की दिवारो पर आरस पत्थर पर खुदे हुए अनेक तीर्थो के पट तथा ऐतिहासिक चित्रो के रंग-रंगिले दृश्यो को देखकर मन मोहित हो जाता हैं।
For Private and Personal Use Only