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मुंबई के जैन मन्दिर
१८५
आदीश्वर धाम (२९५) श्री आदीश्वर भगवान शिखर बंदी जिनालय
पोष्ट : शिवन साई - भाताजी, तालुका-वसई, जि. थाणा (महाराष्ट्र), टे. फोन : ललितजी सेसमलजी, ऑफिस : ६४९ ३३ ३०, घर : ६४९ २१ ०२
विशेष :- बाली (राजस्थान) शान्ताक्रुझ - मुंबई निवासी शाहजी श्री सेसमलजी कस्तूरचन्दजी व पारवतीबेन सेसमलजी तीर्थ के मुख्य निर्माता थे।
सेठ श्री ललितकुमार को एक दिन उनके माता पिताने दर्शन दिया और स्वप्न में उनके मन की मनोकामना व्यक्त की और पुनः अद्दश्य हो गये । पुनः एक स्वप्न आया जिसमें जिनेश्वर परमात्मा के दर्शन हुए और आदेश हुआ कि साधु साध्वी एवं श्रावक-श्राविकाओं के लिये उपयोगी बन सके ऐसे स्थान का निर्माण करो, फिर इस कार्य के लिये जमीन मिल न जाय तब तक दुध त्याग का नियम आपने लिया था।
कार्तिक पूर्णिमा का दिन था, ललितभाईने बोरिवली - वज्रेश्वरी गणेशपुरी की ओर यात्रा करके अपनी गाडी से आगे बढ़ते हुए शिवणसाई गाडी रोकी, वहाँ के प्राकृतिक सौन्दर्य देखकर उनका मन अति प्रसन्न हुआ। वहाँ का दृश्य देखते हुए एवं पहाडीयों के बिच छोटा सा गाँव देखकर उनका मन ललचाने लगा अंत में उन्होंने ग्राम सेवक की मुलाकात ली एवं अपने मन की इच्छा व्यक्त की, उन्होंने वहाँ शुभकामके लिये जमीन की मांग की। मांग पुरी होते ही उसकी रजिस्टरी ता. ११-४-८५ को की गयी।
उसके बाद उन्होंने श्री नरोत्तमदास कामदार को (उम्र-९४) साथ लेकर शान्ताक्रुझ में श्री कुंथुनाथ जिनालय के उपाश्रय में बिराजमान आ. श्री विजयदक्ष सूरीश्वरजी म. का दर्शन-वन्दन करके अपनी भावना व्यक्त की। गुरु महाराज का आशीर्वाद प्राप्त करके वे खुशी से झूम उठे। बाद में उन्होंने पंडित श्री इन्द्रचन्द्रजी से मुलाकात की, शिलान्यास हेतु आगाशी पधारे । गुरुदेव भी निरीक्षण हेतु आगाशी से विहार करते हुए शिवनसाई पधारे। वहाँ की जमीन को देखते हुए गुरु महाराज बोले आनन्द ही आनन्द हैं। देवभूमि बहुत सुंदर हैं। उसके बाद इस पवित्र भूमि का अति उल्लास के साथ शिलान्यास हुआ था।
चेम्बुर जिनालय में श्री आदिनाथ प्रभु का ३१” के केसरिया दादा का निरीक्षण किया। प्रतिमाजी खुब-प्रभावशाली महसुस हुई। यह प्रतिमाजी सबके मन को भा गई। इस प्रतिमाजी की अंजन शलाका विधि वि.सं. २०३२ के मगसर मास में बोरिवली (प.) जामली गली, श्री संभवनाथ जिनालयमें पूज्य सिद्धान्त रक्षक आचार्य भगवन्त श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म.सा. और उनके पट विभूषक पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्म सूरीश्वरजी म.सा. के कर कमलो से हुई थी।
चेम्बुर तीर्थ और इस मूर्ति को भरानेवाले श्री बिपिनभाई की अनुमति से प्रतिमाजी शिवणसाई लाई गई। गुरुदेवने इस तीर्थ का नाम श्री आदीश्वर धाम रखने की घोषणा की।
इस तीर्थ की प्रथम प्रतिष्ठा परम पूज्य नेमि-लावण्यसूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. विजय दक्ष
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