________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मुंबई के जैन मन्दिर
२५३
-
उस वक्त मूलनायक श्री अजितनाथ प्रभु की पंचधातु की १ प्रतिमाजी तथा सिद्धचक्रजी - १ बिराजमान
थे।
पुनः चलप्रतिष्ठा होने के बाद मूलनायक श्री सुविधिनाथ प्रभु की पाषाण की १ प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३ और लकडे के कपाट में पार्श्वप्रभु - सिद्धचक्रजी बिराजमान हैं। ता. ३-१-९३ से इस गृह मंदिरजी का संचालन श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ - ईश्वरनगर कर रहा हैं।
(३८४)
श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर विलेज रोड, वन बी, टु बी, गुरू रामदास मार्केट, भांडुप (प.) मुंबई - ४०० ०७८.
टेलिफोन नं.-दानमलजी - ५६७ ९४ ९८, सोहनराजजी - ५६७ ८३ ३९ विशेष :- श्री विलेज रोड जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ द्वारा यहाँ सर्व प्रथम गृह मन्दिर की स्थापना वि. सं. २०३६ का श्रावण सुदि ३ को शासन प्रभावक परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री विजय मोहन - प्रताप के पट्टधर पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. साहेबजी की प्रेरणा से हुई थी।
यहाँ के जिनालय का भव्य नयन रम्य पुन: निर्माण का लाभ श्रीमान सेठ श्री जवेरचन्द प्रतापचन्द सुपार्श्वनाथ जैन संघ-वालकेश्वर वालो ने लिया है।
परम पूज्य आचार्य श्री दर्शनसागरसूरीश्वरजी म. समुदाय के आचार्य श्री नित्योदयसागरसूरीश्वरजी म. आचार्यदेव श्री चन्द्राननसागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रामें वि. सं. २०५३ का वैशाख सुदि ७, सोमवार को ठाठमाठ से पुन:प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई थी।
यहाँ के जिनालय में पाषाण के मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु तथा आजु बाजु में श्री आदिनाथ भगवान, श्री महावीर स्वामी की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३ एवं अष्टमंगल - १ के अलावा श्री गौतमस्वामी, श्री मणिभद्रवीर, श्री नाकोडा भैरूजी, श्री पार्श्वयक्ष, एवं श्री पद्मावती माताजी बिराजमान हैं।
नीचे ओफिस हॉल और उपर पहले माले पर जिनालय हैं । यहाँ के संघ में श्री नवयुग मंडल की व्यवस्था हैं।
(३८५)
श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ गृह जिनालय
भट्टीपाडा, भांडुप (प.), मुंबई - ४०० ०७८. टेलिफोन नं.- (ओ.) ५६० १३ २५, भिकमचन्दजी - ५६४ ०१ १०, मोहनलालजी - ५६४ ४५ ५२
विशेष :- सर्व प्रथम यहाँ के संघ द्वारा पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय
For Private and Personal Use Only