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मुंबई के जैन मन्दिर
गृह जिनालय की भूमि का सहयोग दान कालिना संघ के संघरत्न श्रेष्ठिवर्य सेठ कुंवरजी भचु गडा परिवार (गॉव नवागाम हाल गागोदर निवासी) की तरफ से श्री संघ को मिला था।
परम पूज्य आ. भ. श्री केशरसूरीश्वर समुदायवर्ती पू. सा. श्री मधुकान्ताश्रीजी आदि परिवार की शुभ प्रेरणा से गृह जिनालय के स्थान पर नूतन शिखरबंदी जिनालय का निर्माण हो जाने पर इस जिनालय की नौ दिन के महोत्सव के साथ परम पूज्य आ. देव विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म. साहेब के प्रशिष्य, साहित्यकार परम पूज्य आचार्य विजय रत्नसुंदरसूरीश्वरजी म. साहेब आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५३ का वैशाख वद २ शनिवार तारीख २४-५-९७ को धामधूम से प्रतिष्ठा हुई थी।
नूतन जिनालय में नूतन जिन बिंबो एवं देव - देवीओं की अंजनशलाका - प्राणप्रतिष्ठा वि. सं. २०५३ का मगसर सुद ३ ता. १३-१२-९६ को वरली में श्री सीमन्धर स्वामी जिनालय के प्रतिष्ठा अवसर पर आचार्य श्री विजय चंद्रोदयसूरीश्वरजी म. एवं आ. विजय अशोकचंद्रसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में हुई थी।
जिनालय में मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी सहित पाषाण की कुल ११ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - १ के अलावा श्री गौतमस्वामी, श्री पद्मावती माता, श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्णवीर तथा श्री शत्रुजय, श्री समेतशिखरजी, श्री सिद्धचक्रजी, श्री चंपापुरी का पट्ट एवं श्री मंगलमूर्ति तथा यक्ष-यक्षिणी आदि प्रतिमाजी जिनालय की शोभा बढ़ा रहे हैं। उपासरा के अलावा यहाँ श्री वासुपूज्य स्वामी युवक मण्डल, श्री लक्ष्मणसूरीश्वरजी जैन पाठशाला, श्री लक्ष्मण कीर्ति जैन पुस्तकालय की व्यवस्था हैं. जिनालय के मुख्य प्रवेश द्वार पर नाम जिनमन्दिर के आधार स्तंभ संघरत्न श्रेष्ठीवर्य श्री कुंवरजी भचु गडा गांव नवागाम हाल गागोदरवाले का है।
विलेपार्ले (पश्चिम)
(१०७) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान भव्य गृह मन्दिर
विलेपार्ले स्टेशन के सामने, वल्लभभाई पटेल रोड,
विलेपार्ले (प.), मुंबई - ४०० ०५६.
टे. फोन : ६१२ ११ ३६ - श्री राजेन्द्रभाई विशेष :- योगनिष्ठ जैनाचार्य श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी महाराज की शुभ प्रेरणा से सेठ डायाभाई घेलाभाई मेहसाणा निवासी द्वारा सेठ घेलाभाई करमचन्द - मातुश्री बाई चुनीबाई तथा भाई अमथालाल की स्मृति में संवत १९८२ मगसर सुद १० बुधवार ता. २५-११-२५ वीर सं. २४५२ को घेलाभाई करमचन्द सेनेटरीयम में प्रथम प्रतिष्ठा हुई थी। इस जिनालय की नूतन प्रतिष्ठा वैशाख वद १० वि.सं. २०२८, ता. ७-६-७२ को हुई थी और भगवती श्री पद्मावती देवी ५१" आदि की प्रतिष्ठा पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजयधर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य निश्रामें वि.सं. २०३० में मगसर मासमें हुई थी।
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