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प्रकाशित हुए थे, आज तक आप श्री द्वारा रचित प्रभु भक्ति गीत व गुरु भक्ति गीत ५०० से भी अधिक संख्या में स्वरचित पुस्तको व विभिन्न जैन संगीत मण्डलो द्वारा प्रकाशित पुस्तको में प्रकाशित हो चुके हैं । सेवा समाज, गो वन्दना, विजयानंद, वल्लभ सन्देश, श्रमण-भारती, अहिंसा वाणी, जैन जगत, शाश्वत धर्म आदि पत्रिकाओं में आपके द्वारा रचित गीत व लेख आदि प्रकाशित होते रहते हैं । अब तक आपके द्वारा गुरुभक्ति गीत भाग १ और २ पुष्पांजलि भाग १ - २ - ३ - ४-५ एवं बम्बई के जैन मन्दिर (प्रथमावृत्ति) इन आठ पुस्तको का प्रकाशन हो चुका हैं।
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मुंबई के जैन मंदिर
कहते हैं, कर्म को किसी की शर्म नहीं । पूर्वजन्म में किये कर्मों को भुगतना ही पडता हैं । १६ अप्रैल १९९३ को पक्षाघात (लकवा) का जोरदार हमला हुआ। एक महिना भाटिया अस्पताल में रहना पड़ा। आज भी लकडी के सहारे ही चलना संभव होता है। शारीरिक तकलीफ के बावजूद भी मन के भाव मजबूत व साहित्य के प्रति रुचि अपार हैं, फलस्वरुप मुंबई के जैन मन्दिर ( दूसरी आवृत्ति ) का संशोधित परिवर्धित, रंगीन चित्रो के साथ यह महत्वपूर्ण प्रकाशन विविध जानकारियों के साथ आपके हाथो में हैं।
शासनदेव से प्रार्थना करता हूँ कि आपका स्वास्थ्य अनुकूल रहे व आपकी गीत-यात्रा साहित् यात्रा निर्विघ्न तथा आगे बढकर संघ-स -समाज के लिये उपयोगी सिद्ध हो ।
जे. के. संघवी
थाणे - महाराष्ट्र
भगवान पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक दिन वि.सं. २०५४
'शास्वत धर्म" के सम्पादकजी श्री जे. के. संघवी
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