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मुंबई के जैन मन्दिर
भीवण्डी
(४१५) श्री सुपार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय
नवी चाल, भीवण्डी. जिला - थाणा, महाराष्ट्र टेलिफोन नं. ऑ.-९१३ - ५४४८८ पारसमलजी - ५२५२७ - ५१५२७, कुंदनमलजी -
५१३२४, ५४०७५ विशेष :- श्री जैन श्वेताम्बर ओसवाल संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित यहाँ के सर्व प्रथम गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा लब्धि - लक्ष्मण के शिशु शतावधानी मुनिराज श्री कीर्तिविजयजी म. की पुण्य निश्रा में वि. सं. २०१७, वीर सं. २४८७ का मगसर वदि ७, ता. १०-१२-६०, शनिवार को हुई थी। उसके बाद जिनालय का सुन्दर नूतन निर्माण होता गया और शतावधानी आचार्य भगवंत श्री विजय कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०४३ का माह सुदि ११, ता. ९-२-८७ को अंजनशलाका, और प्रतिष्ठा, २०४३ का माह सुदि - १३, ता. ११-२-८७ को विजय मुहूर्त में हुई थी। मूलनायक सुपार्श्वनाथ प्रभु के साथ ५ प्रतिमाजी तथा उपर श्री शांतिनाथ, श्री वासुपूज्य स्वामी एवं नमिनाथ प्रभु बिराजमान किये गये। ___ यहाँ पाषाण के ८ प्रतिमाजी, पंचधातु के ८ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ५, अष्टमंगल - १ तथा २ तांबे के यंत्र सुशोभित हैं। यहाँ उपाश्रय, श्री सुपार्श्व जैन पाठशाला, श्री सुपार्श्व जैन सेवा मंडल एण्ड बैण्ड मंडल, श्री आत्मवल्लभ जैन महिला मंडल श्री भटेवा महिला मण्डल, राजस्थान महिला मण्डल, अक्षय महिला मण्डल एवं हरसोल सत्ताविस महिला मंडल की व्यवस्था हैं।
(४१६). श्री पद्मप्रभ स्वामी भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय
६८, नवीचाल, भीवण्डी. जि.थाणा (महाराष्ट्र). टेलिफोन नं.-(ओ.) ९१३ - ५५३३७, कांतिलालजी - ५५७६६,
मांगीलालजी - ५७२२६ विशेष :- श्री पोरवाल जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा वि. सं. २०२३ का आषाढ सुदि - ६ को परम पूज्य मुनिराज श्री कल्याणविजयजी म. की शुभ प्रेरणा व निश्रा में हुई थी। उसके बाद जिनालय का सुन्दर नूतन निर्माण होता गया और पुन: प्रतिष्ठा आचार्य श्री विजय लब्धि - लक्ष्मणसूरि के शिष्य आचार्य भगवंत शतावधानी श्री कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०३८ का जेठ सुदि १४, ता. ५-६-८२, शनिवार को विजय मुहूंत में हुई थी।
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