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मुंबई के जैन मन्दिर
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नीचे के गंभारे में मूलनायक श्री पद्मप्रभ स्वामी सहित पाषाण की ५ प्रतिमाजी, चांदी की १ प्रतिमाजी, पंचधातु की - २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, अष्टमंगल - १, आदीश्वर प्रभु की चरण पादुका एवं श्री नाकोडा पार्श्वनाथ व भैरूजी के चित्र तथा यक्ष - यक्षिणी के अलावा शत्रुजय तीर्थ, सम्मेत शिखरजी, गिरनारजी, अष्टापदजी, जलमन्दिर, शंखेश्वरजी, आबुजी, नंदीश्वर द्वीप एवं महावीर प्रभु के जीवन दर्शन के चित्र भी मन्दिरजी की दिवारों की शोभा बढा रहे हैं।
उपर माले पर श्यामरंग पाषाण की श्री मुनिसुव्रत स्वामी की १ प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ४, अष्टमंगल - १, तांबे के २ भव्य यंत्र तथा श्री मुनिसुव्रत स्वामी के भव३ के चित्र दिवारो पर सुशोभित हैं । पावापुरी शोकेस - कल्पवृक्ष - समवसरण वगैरह दर्शनीय हैं।
संघ द्वारा बनाये गये भव्य आराधना भवन में उपाश्रय, हॉल, आयंबिल शाला की व्यवस्था हैं।
(४१७)
श्री सुविधिनाथ भगवान गृह मंदिर आराधना भवन, कासार आली, शिवाजी चौक, नजराना रोड,
भीवण्डी. जिला - थाणा (महाराष्ट्र) टेलिफोन नं.-(ओ.) ९१३-५५८४०, ५४८६०, ५२७१४ - मनोहरलालजी,
५२४६३, ५४२४१ - घेवरचन्दजी विशेष :- श्री पोरवाल श्वेताम्बर जैन संघ आराधना भवन ट्रस्ट द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मन्दिरजी की स्थापना वि. सं. २०५१ का फागुण सुदि - २, शुक्रवार, ता. १३-३-९५ को हुई थी।
__ श्री सुविधिनाथ मूलनायक के साथ श्री वासुपूज्य स्वामी, श्री सुमतिनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३ एवं अष्टमंगल - १ तथा यक्ष - यक्षिणी सुशोभित हैं. इसके अलावा श्री नाकोडा भैरूजी एवं श्री घंटाकर्ण वीर की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। गंभारे के बाहरी तरफ दो हाथी ऊँची सूंढ किये हुए बैठे हुए हैं।
श्री वर्धमान जैन आराधना भवन व्याख्यान हॉल के सहयोग दाता शाह दीपचन्द राजाजी तथा देवीचन्दजी चमनाजी गोयलगोत्र गाँव आहोर (राजकमल सिल्क ग्रुप - भीवण्डी) वाले हैं। (वि. सं. २०३८ - सन् १९८२) श्री पोरवाल जैन आराधना भवन सभागृह (नजराना रोड) शा. चम्पालाल किस्तूरजी चान्दराई (चिन्तामणि ग्रुप भीवण्डी) वालो के सहयोग से बनाया हैं। (वि. सं. २०४४ सन् १९८८) यहाँ आयंबिल खाता की व्यवस्था हैं।
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