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मुंबई के जैन मंदिर
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प्रकाशकीय निवेदन
श्री ज्ञान प्रचारक मण्डल के संस्थापक एवं वर्तमान संचालक
जैन साहित्य प्रेमी श्रीमानजी श्रेष्ठिवर्य मूलचन्दजी नैनमलजी शिवगंज (राज.) लगभग ४२ वर्षो से वरली-मुंबई निवासी ने, वि. सं. २०२६ का कार्तिक सुदी ५ ( ज्ञान पंचमी) के दिन श्री ज्ञान प्रचारक मण्डल की स्थापना की थी। आप श्री का जन्म ज्ञान पंचमी के दिन होने से आपने अपने परिवार वालो से २७ वर्ष पहले कहा कि मेरे स्वर्गवास के बाद भी मेरे जन्म दिन की सदैव याद रखने के लिये मेरे द्वारा स्थापित श्री ज्ञान प्रचारक मण्डल को अपने तन-मन-धन से सदैव संचालन करते रहना । उनकी निश्रा में अब तक ८ पुस्तके प्रकाशित हो चूकी हैं।
उनके स्वर्गवास के बाद उनके बड़े सुपुत्र जैन गीतकार व लेखक भँवरलाल एम. जैन शिवगंज वालोने श्री ज्ञान प्रचारक मण्डल के संचालन का काम अपने हाथो में लिया हैं ।
नौवाँ प्रकाशन के रुप में मुंबई के जैन मंदिर (आवृत्ति दूसरी) जैन समाज के करकमलों में प्रस्तुत की जा रही हैं । एक समय भोजन ग्रहण करके ३ वर्ष की पुरी मेहनत के बाद इस पुस्तक को लिखने में हमे सफलता प्राप्त हुई हैं।
इस पुस्तक के लिखने के लिये प्रथम आशीर्वाद दाता श्री आत्मवल्लभ समुदाय के परम पूज्य आचार्य श्री विजय इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी महाराज हैं। जिन्होंने मुझे मुंबई के जैन मन्दिर (प्रथम आवृत्ति) का अवलोकन करने के बाद मुंबई के जैन मन्दिर (आवृत्ति दूसरी ) लिखने का श्री गणेश करने के लिये भायखला के मोतीशा जैन उपाश्रय में तारीख १७-१२-९५ को मंगल आशीर्वाद दिया था । इस पुस्तक के प्रेरक, संशोधक एवं मार्गदर्शक के रुप में श्री मोहन- प्रताप-धर्म समुदाय के व्या. सा. न्या. तीर्थ परम पूज्य आचार्य श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी महाराज का उपकार तो जीवन भर नहीं भूल सकता, क्योंकि वे ही इस पुस्तक रूपी नैय्या के खेवैय्या है ।
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इस पुस्तक के प्रकाशन के लिये हमे जिन गुरु भगवन्तोने शुभकामना लिखकर भेजकर हमारे उत्साह में वृद्धि की हैं, उनमें परम पूज्य आचार्य श्री विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म. के पट्टधर प. पू. आ. श्री विजय जयघोषसूरीश्वरजी म., नेमि - लावण्य समुदाय के आचार्य श्री विजय सुशीलसूरीश्वरजी म., आ. श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. समुदाय के आचार्य भगवंत श्री जयन्तसेनसूरीश्वरजी म., नेमि - विज्ञान कस्तूर समुदाय के आ. श्री विजय अशोकचन्द्रसूरीश्वरजी म., योगनिष्ठ आ. श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. समुदाय के आ. श्री सुबोधसागरसूरीश्वरजी म. और मनोहर कीर्ति सूरीश्वरजी म., आत्म-वल्लभसमुद्र समुदाय के आ. श्री विजय नित्यानन्दसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय सुरेन्द्रसूरीश्वरजी म. ( डेहलावाले) समुदाय के आ. श्री विजय विमलभद्रसूरीश्वरजी म., श्री नेमि - अमृत समुदाय के आ. श्री विजय विशाल सेन सूरीश्वरजी म., अचलगच्छ समुदाय के आ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म. के