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मंबई के जैन मन्दिर
सिद्धचक्रजी - १० सुशोभित है । मन्दिर के ग्राउण्ड फ्लोर में महुडी वासी चमत्कारिक श्री घंटाकर्ण वीर की अलौकिक प्रतिमाजी शोभायमान हो रही हैं।
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मुंबई के हजारो घंटाकर्ण प्रेमी भक्त यहाँ के दर्शन कर फुले न समाते है, अनेक भक्त अपनी भावना फलीभूत होने पर प्रसाद चढाते है।
सामने की ओर आचार्य भगवन्त श्री जिन कुशल सूरि म. के गुरु मन्दिर में अनेक गुरु भगवन्तो की मूर्तिया एवं चरण पादुकाएं बिराजमान है जो खरतरगच्छ के महान चमत्कारिक गुरु माने जाते है ।
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जिनालय के पहले माले पर श्री सुधर्मा स्वामी - गौतम स्वामी गुरु मंदिर है। पावापुरी कलात्मक शोकेस तथा प्राचीन तीर्थ एवं ऐतिहासिक द्दश्यो से दिवार शोभायमान है। यहाँ उपासरा, ज्ञान भण्डार तथा जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं ।
श्री आदीश्वर भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय विजय वल्लभ चौक पायधुनी, मुम्बई-४००००३. टे. फोन : ऑ. ३४६ १९७०, वोरीदासजी घर : ४१३०५२५, ४११३३ ७१ ऑ.
विशेष :- मारवाड के श्री जैन वीसा पोरवाल संघ द्वारा निर्मित देव विमान तुल्य यह मन्दिर खूब ही शोभायमान हो रहा हैं। प्राचीन मन्दिरजी की प्रथम प्रतिष्ठा वि.सं. १८८२ माह सुद १० को हुई थी ।
निर्माता एवं संचालक श्री आदीश्वरजी महाराज जैन टेम्पल एण्ड चेरीटी ट्रस्ट पायधुनी द्वारा जीर्णोद्धार होने के बाद नूतन प्रतिष्ठा वि.सं. २०३२ का माह वद १ को परम पूज्य आचार्य भवगन्त विजय मेरुप्रभसूरीश्वरजी म. आदि मुनिमण्डल परिवार की शुभ निश्रा में हुई थी, प्रतिष्ठा महोत्सव के प्रसंग पर श्री संघ की आग्रहपूर्ण विनंती से पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. सा. और प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. भी उपस्थित थे । नूतन प्रतिष्ठा महोत्सव का ठाठ खूब अद्भुत एवं मनमोहक था । लाखो मुंबई वासियोने प्रतिष्ठा महोत्सव देखने का एवं नवकारसी में लम्बी कतार लगाकर भी साधर्मिक वात्सल्य के भोजन का लाभ उठाकर महोत्सव की शान को बढायी थी । हाथी की सवारी पर आदिनाथ प्रभु की प्रतिष्ठा के साथ हेलीकोप्टर द्वारा पुष्पवृष्टि हुई थी । प्रतिष्ठा के दिन अमीझरणा होने से विशेष आनन्द का वातावरण छा गया था ।
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मन्दिरजी के अन्दर प्रवेश करते ही सीधा सामने आरस की खुदाई पर सिद्धाचलजी का तीर्थ मन को मोह लेता हैं । आजू बाजू में श्री सहस्त्रफणा पार्श्वनाथ व श्री कुंथुनाथ भगवान बिराजमान है।
कुल आरस की ६३ प्रतिमाजी, पंचधातु के ६६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी- ३०, अष्टमंगल-८ एवं चान्दी की प्रतिमाजी- ६ शोभायमान हैं। यहाँ प्रतिष्ठा के दिन ऑफिस के बाजू में महालक्ष्मी, अंबिकादेवी, सरस्वती ये तीन देवीया एवं भैरुजी एवं मणिभद्र वीर की भी नूतन प्रतिष्ठा हुई थी।
मन्दिरजी के बाजू में ही ४ मंजिल का भव्य उपासरा एवं व्याख्यान भवन है । यहाँ श्री आदीश्वर
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