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मुंबई के जैन मन्दिर
भगवंत श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. और पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य निश्रा में अंजनशलाका - प्रतिष्ठा महोत्सव के समय पर पाटण निवासी श्री चीमनलाल कीलाचन्द शाह के परिवार ने श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु ३१ + ८-३९" की भव्य श्वेत प्रतिमा का निर्माण करके अंजनशलाका का लाभ लिया था, फिर वि. सं. २०३७ में मगशर सुदि २ के दिन श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ की प्रतिमा और उसके साथ ही अंजनशलाका की हुई श्री मल्लिनाथजी २५" और श्री मुनिसुव्रतस्वामीजी २५" की श्याम वर्णीय प्रतिमाजी का चेम्बुर तीर्थ से गोवंडी में नगर प्रवेश और गृह चैत्य में प्रवेश महोत्सव, जिनालय के प्रेरक पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य निश्रा में ठाठ माठ से श्री चीमनलाल कीलाचन्द शाह पाटणवाला परिवार के शुभ हस्तो से हुआ था। उस समय प. पू. युगदिवाकर गुरूदेव के आशीर्वाद और प्रेरणा से श्री चीमनलाल कीलाचन्द शाह परिवार ने उस भूमि खण्ड पर भव्य शिखरबद्ध जिनालय का पुरा निर्माण अपने स्व द्रव्य से कराने का शुभ संकल्प किया।
वि. सं. २०३८ में परम पूज्य युगदिवाकर गुरुदेव श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. का मझगाँव - मुंबई में स्वर्गवास होने के बाद, आपके पट्टधर परम पूज्य साहित्य कलारत्न आ. भगवंत श्री विजय यशोदेवसूरीश्वरजी म. सा. और प. पू. शतावधानी आ. भगवंत श्री विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म. सा. के आशीर्वाद से वि. सं. २०४९ में नूतन भव्य शिखरबद्ध जिनालय की शिलास्थापना के बाद निर्माण का प्रारंभ हुआ।
दो साल में धर्मप्रेमी श्री चीमनलाल कीलाचन्द शाह के परिवार की तरफ से पुरे सहयोग से दो मंजील का भव्य शिखरबद्ध जिनालय तैयार हो गया और वि. सं. २०५१ का फागुण सुदि २ शुक्रवार ता. ३-३-९५ को परम पूज्य विशद प्रवचनकार आचार्य भगवंत श्री विजय कनकरत्न सूरीश्वरजी म., प. पू. विद्वद्वर्य आचार्य भगवंत श्री महानन्दसूरीश्वरजी म., प. पू. विद्वान प्रवक्ता आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म., प. पू. आ. श्री विजय पूर्णानन्दसूरीश्वरजी म., प. पू. आ. श्री महाबल सूरीश्वरजी म., प. पू. आ. श्री पद्मानन्दसूरीश्वरजी म. आदि की शुभ निश्रा में भव्य जिनालय में मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जी की प्रतिष्ठा श्री चीमनलाल कीलाचन्द शाह पाटणवाला परिवार के शुभ हस्तो से संपन्न हुई।
___ जिनालय के विशाल भूमिगृह के गंभारे में महाराजा श्री संप्रति द्वारा निर्मित २३०० वर्ष प्राचीन चमत्कारी श्री नेमिनाथ प्रभु की ४१” की अलौकिक दिव्य प्रतिमा, जो पाटण संघ की उदारता से पाटण से प्राप्त हुई थी। उसकी भी प्रतिष्ठा हुई। जिनालय के परिसर में नव निर्मित श्री नाकोडा भैरव देव की ३१" की प्रतिमा की प्रतिष्ठा, श्री संघ के अग्रणी और इस धर्मस्थान के निर्माण में प्रारंभ से सतत प्रयत्नशील श्री रूपचन्दजी अचलदासजी राठोड और उनके परिवार के शुभ हस्तो से हुई।
इस तरह श्री आदिनाथधाम चेम्बुर तीर्थ और श्री शंखेश्वरधाम गोवंडी नजदीक के दो यात्राधाम यात्रिको के आकर्षण बन रहे हैं । मन्दिर के परिसर में उपाश्रयादि की व्यवस्था की गई हैं। यात्रिको के लिये और भी सुविधाएँ हो रही हैं।
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