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मुंबई के जैन मन्दिर
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वि. सं. २०५४ के आसौ सुदि ३ के दिन, जैन परिवारो के धार्मिक सूत्र - अभ्यास और संस्कारो के लिये प. पू. आ. भ. श्री विजयसूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से आपकी निश्रा में जैन पाठशाला का प्रारंभ श्री संघने किया हैं।
यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथजी ३१+८=३९” (परिकर गादी के साथ ८१") और श्री नेमिनाथ प्रभु ४१" आदि पाषाण की ८ प्रतिमाजी, पंचधातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ४ और अष्टमंगल - २ तथा पार्श्वयक्ष और पद्मावती यक्षिणी बिराजमान हैं।
गोवंडी (पूर्व) (३५०)
श्री केसरीया आदिनाथजी गृह मन्दिर ___ प्लोट नं. ११, जगह नं. ३-४, शिवाजी नगर मार्ग क्रमांक नं. १,
गोवंडी (पूर्व), मुंबई - ४०० ०८८ टेलिफोन नं.-५५७ १३ ७२, ५५७ ४० ७२ सरदारमलजी, ५५५ ०५ ८७ - उदेचन्दजी
विशेष :- परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विजय मोहन - प्रताप के पट्टधर परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की मंगल प्रेरणा से उनके शिष्य मंडल की पावन निश्रा में ता. ३१-८-८० को चेम्बुर तीर्थ से लाकर प्रतिमाजी की स्थापना हुई थी। इसके संस्थापक एवं संचालक श्री केसरीयाजी जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ हैं। यहाँ श्री आदिनाथ केसरीयाजी की श्यामवर्ण की पाषाण की एक प्रतिमाजी, पंचधातुकी ८ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ७ एवं अष्टमंगल २ बिराजमान हैं।
यहाँ उपाश्रय के लिये केसरीया आराधना भवन तथा जैन पाठशाला चालु हैं । भक्ति - भावना में श्री केसरीया जैन युवक मंडल अग्रसर हैं।
घाटकोपर (पश्चिम) (३५१) श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवान तीन शिखरी भव्य महाजिन प्रासाद
नवरोजी क्रॉसलेन, महात्मा गाँधी रोड, घाटकोपर (प.), मुंबई-४०० ०८६. टेलिफोन नं. (ओं)-५१० ६३ ४०, रामजीभाई गुढका-५१५ ५९६०, ५७६ ०२ ४६
धीरजलालभाई-५११ ६७ ६७
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