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मुंबई के जैन मन्दिर
गया तथा परम पूज्य आचार्य भगवन्त दर्शनसागर सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४७ का फागुण सुद ४ को चल प्रतिष्ठा हुई थी।
सुप्रसिद्ध मन्दिर एवं भवन निर्माता श्रेष्ठिवर्य सुंघवी शा. सुमेरमलजी हजारीमलजी लुक्कड भीनमाल (राज.) निवासी ने यहाँ सुन्दर शिखरबंदी जिनालय का निर्माण किया हैं, जिसकी प्रतिष्ठा प्रात:स्मरणीय पूज्य पाद आचार्य श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य श्री हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५२ का माह सुद १५, रविवार, ता. ४-२-९६ को हुई थी।
मूलगंभारे में चऊमुखी पाषाण की चार प्रतिमाजी मूलनायक श्री गोडीजी पार्श्वनाथ, श्री आदीश्वर भगवान, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ, श्री महावीर स्वामी तथा श्री गौतम स्वामी, श्री पुंडरीक स्वामी सहित पाषाण की ८ प्रतिमाजी, पंच धातुकी ११ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ६, अष्टमंगल - ३, श्री पार्श्वयक्ष श्री पद्मावती देवी तथा आरस पर बनाया गया शत्रुजय पट अति सुन्दर शोभायमान हो रहा हैं। इस मन्दिरजी का संचालन श्री सुमेर टॉवर जैन संघ - चेरीटेबल ट्रस्ट द्वारा हो रहा हैं।
सुमेर टॉवर की ए - बिल्डींग के प्रथम माले पर शा. छोगमलजी पुखराजजी पालरेचा (मल्लीया) आराधना भवन हैं। सुमेर टॉवर की बी - बिल्डींग में प्रथम माले पर शा. मांगीलालजी सागरमलजी सादडी वाले (राणकपुर) आराधना भवन के अलावा श्री गोडी पार्श्वनाथ जैन पाठशाला एवं श्री गोडी पार्श्वनाथ महिला मंडल की व्यवस्था हैं।
श्री
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श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मंदिर अरिहंत टॉवर, पहला माला, तुकाराम भीकाजी कदम मार्ग,
भायखला (पूर्व), मुंबई - ४०० ०२७. टे. फोन : बाबुलालजी - ३०१ ४७ ७५, कान्तिलालजी - ३७१ ७६ ७४ विशेष : परम पूज्य आचार्य भगवंत सागरानन्दसूरीश्वरजी समुदाय के परम पूज्य आ. दर्शनसागरसूरि, आ. नित्योदयसागरसूरि, पन्यासजी श्री चन्द्राननसागर म. की निश्रा में वि. सं. २०४७ का माह सुदि ३ ता. १९-१-९१ को चल प्रतिष्ठा हुई थी।
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी, आजूबाजू में श्री मुनिसुव्रत स्वामी तथा श्री महावीर स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु के ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ४ व अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं।
भीनमाल निवासी श्रीमती मेथीबाई सरेमलजी दोशी परिवार ने श्री अरिहंत टॉवर जैन आराधना भवन का निर्माण किया तथा उद्घाटन वि. सं. २०४७ का माह सुदि - १, बुधवार, ता. १७-१-९१ को सांडेराव निवासी स्व. शा. जसराजजी सेसमलजी परिवार वालो ने श्रीमती मंछीबाई जसराजजी की प्रेरणा से किया। यहाँ उपासरा व पाठशाला की व्यवस्था है।
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