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ओली कम
मुंबई के जैन मन्दिर
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आचार्य श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. के समुदाय के सौधर्म बृहत्तपागच्छ आचार्य श्री जयंतसेनसूरीश्वरजी महाराज.
भीनमाल, दिनाक २-८-९६. सुश्रावक भँवरलालजी एम. जैन शिवगंजवाले धर्मलाभ । पत्र आज अभी ही मिला ।
जानकर प्रसन्नता हुई कि आपके द्वारा पुनः द्वितीय आवृत्ति प्रकाशन हो रहा है। बम्बई के जैन मंदिर ( इतिहास एवं चैत्य परिपाटी मार्गदर्शिका ) पुस्तक का ।
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जिनालयो के दर्शन की घर बैठे लाभ प्राप्ति, वह अनुपम आयोजन है । जिन मंदिर निश्चय से सम्यक्त्व शुद्धि एवं आत्मगुण वृद्धि में सहायक है । इन सभी का ऐतिहासिक संकलन प्रकाशन अवश्य भव्यात्माओ की भावना को उत्तेजित करेगा ही ।
इस प्रकाशन के लिये मेरी ओरसे हार्दिक बधाई एवं शुभकामना स्वीकारे ! शेष कुशल ! 新
सिद्धांत महोदधि आ. प्रेम - रामचंद्र सूरीश्वरजी म. के शिष्य पन्यासजी भंदकर विजयजी म. के शिष्य रत्न साहित्य कार - लेखक मुनिश्री रत्नसेन विजयजी म.
अति उपयोगी सामग्री का संकलन कर सुंदर कार्य किया है।
जिन प्रतिमा - जिन सारिखी जैन शासन में जिनेश्वर भगवंत की प्रतिमा को जिन तुल्य माना गया है I
इस कलिकाल में भवसागर पार उतरने के लिये जिन बिंब और जिन प्रतिमा ही सर्व श्रेष्ठ आलंबन है । प्रस्तुत पुस्तक 'मुंबई के जैन मंदिर' एक सुंदर कृति है । संग्राहक भँवरलाल एम. जैन • शिवगंजने काफी श्रम लेकर मुंबई के समस्त जैन मंदिर संबंधी
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मुंबई के सभी मंदिरो के दर्शन के लिये इच्छुक व्यक्ति के लिये तो वह पुस्तक सुंदर काम करेंगी।
ता. २७-७-९६ मुनि रत्नसेन विनय
लब्धि सूरीश्वरजी ज्ञान मंदिर, ज्ञान मंदिर लेन, दादर (प.)
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