________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१९८
मुंबई के जैन मन्दिर
-
महाआराधएना हुई थी, जिसमें ७०० तपस्वी थें। काति वदि १० को प्रारंभ हुआ था और पोष वदि ५ के शुभ दिन ४५० तपत्तस्वीओ के मालारोपण के साथ युगदिवाकर आचार्यदेव श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. का आचार्य पदारोहण महोत्सव ५० हजार की विराट जनता के बिच बडे ठाठमाठ से मनाया गया था । यहाँ वि. सं. २०१५ में आपकी पुण्यनिश्रामें पुन: उपधान तपकी महाआराधना कोट श्री जैन श्वे. मू. संघ की तरफ से हुई थी, उसमें ४५० तपस्वी थे। ऐसे अनेकानेक महोत्सव जहाँ होते हैं । ऐसी मोतीशा सेठ आदीश्वर दादा - भायखला की पूण्यभूमि को कोटि कोटि वन्दना भी शायद कम पडे।
वल्लभ समाधि मन्दिर श्री विजयानन्दसूरीश्वरजी (आत्मारामजी) म. के पट्टधर युगवीर आ. श्री वल्लभसूरीश्वरजी म. सा. का स्वर्गारोहण वि. सं. २०१० का आसो वदि ११, गुजराती मिति भादवा वदि ११ को हुआ था। जिनका अग्नि संस्कार श्री मोतीशा के नन्दन वाटिका में श्री आदीश्वर प्रभु के रमणीय चैत्य के पृष्ठ भाग में हुआ था। ___ इस समाधि मन्दिर के निर्माण के लिये श्रेष्ठिवर्य संघवी श्री मोतीलाल मूलजी के सुपुत्र रत्न धर्मनिष्ठ सेठ श्री साकरचन्द मोतीलाल तथा उनकी धर्मपत्नी सुभद्रादेवी ने सहयोग दिया था तथा इसी परिवार की तरफ से श्री वल्लभसूरीश्वरजी म. की मूर्ति निर्माण के लिये भी सहयोग मिला था।
___ चौविश जिनालय भूमिपूजन और शिलारोपण भायखला के विशाल परिसर में सेठ श्री मोतीशा रीलीजियस एण्ड चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा निर्मित २४ जिनालय का भूमिपूजन २०३९ का मगसर सुदि १२ सोमवार ता. २७-१२-८२ को और शिलारोपण २०३९ का मगसर वदि ७ बुधवार ता. ५-१-८३ को परम पूज्य शासन सम्राट आ. श्री विजय नेमिसूरीश्वरजी म. समुदाय के आचार्य श्री विजय शुंभकरसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय चन्द्रोदयसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से आ. विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. एवं उनके शिष्य श्री शीलचन्द्रविजयजी म. की शुभ निश्रा में रवीमेल (राज.) निवासी स्व. सेठ श्री हिराचन्दजी शोभाजी लोढा तथा उनकी धर्मपत्नी स्व. श्री पानीबाई की पुण्य स्मृति में उनके सुपुत्र श्री गोमराजजी एवं उनकी धर्मपत्नी अ. सौ. गजराबाई आदि सुपुत्र - पौत्र परिवार की तरफ से हुआ था।
श्राविका आराधना भवन, ज्ञान भण्डार और धर्मशाला का शिलारोपण खीमेल (राज.) निवासी शा. दीपचन्दजी राठौड की धर्मपत्नी अ. सौ. सुखीबाई के आत्म श्रेयार्थ उनके सुपुत्र फतेहचन्द, चम्पालाल, अशोककुमार तथा भावेशकुमार एवं परिवारवालो की तरफ से परम पूज्य आ. श्री विजय शुभकर सूरीश्वरजी म. एवं आ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में. वि. सं. २०३९ का काति वदि ११, शनिवार, ता. ११-१२-८२ को शिलारोपण हुआ था।
वर्धमान तप आयंबिल भवन का शिलारोपण परम पूज्य आ. श्री विजय नेमिसूरीश्वरजी म. समुदाय के आ. श्री विजय चन्द्रोदयसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय सर्योदयसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में सेठ श्री कानजीभाई कल्याणजी एवं उनकी
For Private and Personal Use Only