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मुंबई के जैन मन्दिर
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की चौथी पीढी द्वारा हो रहा है। मन्दिरजी में पूजा-दर्शन करनेवालो की सदा भीड रहती हैं। मन्दिरजी की वर्षगांठ पर महावीर जयंती पर और दीपावली में रोशनी और फुलो से सजाया जाता हैं। प्रभुजी की भव्याति भव्य अंग रचना की जाती है। पूजा-दर्शन का लाभ जरुर लेवे। श्री मन्दिरजी ७५ मी सालगिरह ई.स. १९९१ में अमृत महोत्सव के रुप में बड़ी धामधुम से मनाई गयी।
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श्री गोडीजी पार्श्वनाथ भगवान गृह मन्दिर
भीकाजी कीशनाजी पेढी के उपर, ३९, चम्पा गली, मूलजी जेठा मार्केट गली, मुंबई-४०० ००२. टे. फोन : ऑ. २६६ १९४२ एम.पी. आचार्य, २०८७६ २१, २०५ ८३ ७० विशेष : यह मन्दिर सेठ प्रेमचन्द रायचन्द ने आज से लगभग ८० वर्ष पहले बनाया था। सेठ रायचन्द प्रेमचन्द ट्रस्ट की ऑफिस ६३ एपोलो स्ट्रीट, मुंबई समाचार मार्ग, युनियन बैंक के सामने है। मन्दिरजी के नीचे के माले पर ऑफिस का होल आया हुआ है। यह मन्दिर मूलजी जेठा मार्केट की लाईनमें बिल्डिंग के अंतिम माले पर आया हुआ है।
जब हम दर्शन करते हैं तो हमारी नजरो में दर्शन के लिये पंच धातु की १२ प्रतिमाजी, चान्दी के १० सिद्धचक्रजी, पंच धातु के ५ सिद्धचक्रजी तथा चान्दी की २ चौविशी प्रभु के पाट एवं एक चान्दी का अष्टमंगल बिराजमान है।
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श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर रीफाइनरी बिल्डिंग, पाँचवा माला, आगाशी उपर - लास्ट फ्लोर,
धनजी स्ट्रीट, जवेरी बाजार, मुंबई-४००००२.
___टे. फोन : ऑ. ३४२ ३९७५, ३४२ ३०७० विशेष : इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक प्रथम सेठ जीवतलाल प्रतापशी भाई थे। उसके बाद मन्दिरजी के संचालक सेठ रमणलाल दलसुखभाई श्रोफथे और अब सेठ विनोदभाई अमुलखभाई के परिवार वालो द्वारा हो रहा हैं।
इस मन्दिरजी की स्थापना सन् १९४० वि. संवत १९९५ वैशाख वद ६ को हुई थी।
यहाँ पंच धातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी एवं अष्टमंगल ६ शोभायमान दे रहे हैं। दिवार पर नवकार मंत्र एवं सिद्धचक्रजी के चित्र अति शोभायमान हो रहे है।
यह गृहमन्दिर पाँचवे माले पर होने पर भी यहाँ लिफ्ट की व्यवस्था नहीं है। भाविको को सिढियो पर चढकर ही दर्शन करने क ला न मिलेगा।
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