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मुंबई के जैन मन्दिर
ग्रान्ट रोड (पश्चिम)
श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर श्री महावीर जैन विद्यालय, गोवालिया टेंक रोड, अगस्त क्रान्ति मार्ग, मुंबई - ४०० ०३६.
टे. फोन : ओ. ३८६ ४४ १७ श्री प्रकाशभाई जवेरी घर : ६४९ ४६ ४४ विशेष :- परम पूज्य प्रात: स्मरणीय आ. भगवन्त विजयानन्दसूरीश्वरजी म. के पट्टधर पंजाब केसरी आ. भगवन्त विजय वल्लभसूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा से वि.सं. १९७० का फागुण सुद ५ सोमवार सन् १९१४ को श्री महावीर जैन विद्यालय की स्थापना हुई थी। इस विद्यालय के मुख्य अलग अलग रुप में सहयोग दाताओ मे श्री मोतीचन्द गिरधरलाल कापडीया, श्री वाडीलाल साराभाई, श्री देवकरण मूलजी जिनकी स्मृति निमित्त श्री मिश्रीमलजी नवाजी जैन सभागृह के बाहरी कम्पाउण्ड में पाषाण की प्रतिकृति सुशोभित है। श्री वाडीलाल साराभाई विद्यार्थी गृह में रहनेवाले विद्यार्थीयो के लिये श्रीमती लीलाबाई रसिकलाल भोजनगृह की व्यवस्था है।
इसी महावीर विद्यालय में श्री वासुपूज्य स्वामी गृह मन्दिर हैं, जिसकी प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवंत विजय वल्लभसूरीश्वरजी म. साहेबजी की पावन निश्रा में विक्रम सं. १९९१ वीर सं. २४६१ के माह सुद १० बुधवार ता. १३-२-१९३५ को हुई थी। यहाँ पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की १ प्रतिमाजी, १ सिद्धचक्रजी, १ अष्टमंगल सुशोभित हैं।
(५५) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान पाँच शिखरबंदी महा जिनालय
८७, अगस्त क्रान्ति मार्ग, गोवालिया टेंक रोड, मुंबई - ४०० ०३६.
टे. फोन : ओ. ३८० ५९०९ भोगीलालभाई - ३८० ३२ ४२ घर. विशेष :- वि.सं. २०२२ में श्री गोवालीया टेंक विस्तार में पर्युषण पर्व की आराधना के लिये पधारे हुए, समस्त मुंबई महानगर पर उपकारो की अजोड वर्षा करनेवाले, जैन शासन के महान प्रभावक, युग दिवाकर पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य रत्न प.पू. साहित्य कलारत्न प.पू.आ.भ. श्री यशोदेवसूरीश्वरजी म.सा. (उस समय मुनिराज) और पू. मुनि श्री वाचस्पतिविजयजी म.सा. की शुभ निश्रा में श्री गोवालीया टेंक जैन संघ की स्थापना हुई थी. और संघ द्वारा पर्युषण आराधना महावीर जैन विद्यालय के हॉल में हुई थी।
उसके बाद प.पू. युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य प्रेरणा और मार्गदर्शन से गोवालिया टेंक रोड पर पाँच मंजिल की एक आलिशान बिल्डींग श्री संघने खरीद ली थी, और उसका आराधना' नाम आपश्री की निश्रा में स्थापन करके उसमें आराधना कार्य शुरु करने में आया। उपासरा का निर्माण भी उसमें करने में आया।
वीर सं. २४९८, वि.सं. २०२८ के वैशाख वदि १० बुधवार के दिन परम पूज्य सिद्धान्त रक्षक आ. भ. श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म. सा. तथा परम पूज्य युगदिवाकर आ.भ. श्री विजय
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