SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 123
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३३ धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रभावक निश्रा में आराधना' भवन में श्री गोवालीया टेंक संघ की तरफसे नव निर्मित गृह जिनालय में श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की ३१ + ८ = ३९" की श्यामवर्णीय भव्य प्रतिमाजी आदि ३ बिंबो की प्रतिष्ठा खूब धामधूम से हुई थी, उसके बाद उन्ही गुरू भगवंतो की शुभ प्रेरणा से और उनकी निश्रा में भगवती श्री पद्मावती देवी की भव्य प्रतिमा की प्रतिष्ठा वि. सं. २०३० का मगसर वदि ११ के शुभ दिन हुई थी। परम पूज्य युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. का अंतिम चातुर्मास वि. सं. २०३७ में गोवालिया टेंक संघ में नूतन शिखरबद्ध जिनालय की कार्यवाही आगे बढाने के लिये हुआ, आप श्री की प्रेरणा और पुरुषार्थ से ‘आराधना' भवन के स्थान पर विशाल महाजिनालय के निर्माण का निर्णय और आयोजन हुआ। परन्तु प. पू. युग दिवाकर गुरुदेव का वि. सं. २०३८ में स्वर्गगमन होने के कारण, बाद में पू. शतावधानी आ. श्री जयानन्दसूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि समुदाय की निश्रा में महाजिनालय की खनन शिलारोपण विधि धामधूम से हुई थी, और वि. सं. २०५० में समस्त मुंबई महानगर में अदभुत और दर्शनीय अजोड शिखरबद्ध महाजिनालय का निर्माण संपूर्ण हुआ। जो संपूर्ण मारबल से युक्त पाँच शिखरोवाला जिनालय अति सुंदर दिखाई देने लगा। जिसकी अंजनशलाका - प्रतिष्ठा के लिये गुजरात तरफ से प. पू. युगदिवाकर गुरुदेव के समुदाय के प. पू. आ. भ. श्री जयानन्दसूरीश्वरजी म., प. पू. आ. भ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म., प.पू.आ.भ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म., प. पू. आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि आचार्य भगवन्तो का आगमन हुआ था, और यही पर वि. सं. २०५० के चातुर्मास में ही आसो वद ३ के दिन प.पू. शतावधानी आ. श्री जयानन्दसूरीश्वरजी म. सा. का स्वर्गगमन होने से चातुर्मास के बाद परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. के समुदाय के पूज्य साहित्य कलारत्न आ. श्री यशोदेवसूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म., पू. आ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५१ का मगसर सुद ८ शनिवार पीछली रात - प्रात:काल ५.३० मिनट पर अंजनशलाका हुई थी। वि. सं. २०५१ का मगसर सुद १० सोमवार ता. १२-१२-९४ को १२.३९ मिनट पर भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव ठाठ से हुआ था । १० दिन तक सुबह - दोपहर - शाम के साधर्मिक वात्सल्योमें बम्बईभरके हजारोकी जैन जनताने लाभ लिया था। भव्य परिकर सहित मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान सहित पाषाण के ३० प्रतिमाजी, पंचधातु की १ प्रतिमाजी, ३ चौविशी, ५ पंचतीर्थी, सहस्रफणा पार्श्वनाथजी - ४, वीस स्थानक-१, सिद्धचक्रनी ५, अष्टमंगल-४, इसके अलावा श्री मणिभद्रवीर, श्री नाकोडाजी भैरव, श्री भोमियाजी, श्री पद्मावती देवी, श्री चकेश्वरी देवी, श्री लक्ष्मी देवी, श्री घंटाकर्ण वीर आदि शासन देवी-देवताओ की श्री गोवालिया टेक जैन संघ की तरफ से भव्य अंजनशलाका प्रतिष्ठा खूब ठाठ माठ पूर्वक सम्पन्न हुई थी। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy