________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मुंबई के जैन मन्दिर
२७७
की पावन निश्रा में वि. सं. २०५१ का फागुण सुदि २, शुक्रवार, ता. १३-३-९५ को अंजनशलाकाप्रतिष्ठा धामधूम से हुई थी।
यहाँ मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी तथा श्री भटेवा पार्श्वनाथ, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ सहित पाषाण की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - २ तथा नाकोडा भैरूजी, व पद्मावतीदेवी भी बिराजमान हैं। श्री मणिभद्रवीर व श्री चक्रेश्वरी देवी भी दर्शनीय हैं।
श्री वासुपूज्य स्वामी जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ - भीवण्डी इस जिनालय के संस्थापक एवं संचालक हैं । मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान के परिकर की प्रतिष्ठा श्री नेमि - लावण्य - दक्षसूरिजी म. के शिष्य आ. श्री विजय प्रभाकर सूरिश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५३ का चैत्र वदि - ३, शुक्रवार, तारीख २५-४-९७ को हुई थी।
(४२१) श्री नेमिनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय
भगवान महावीर चौक, कासार अली, गोकुल नगर, भीवण्डी. जि. थाणा. टेलिफोन:- ९१३-५२१३९ (घर) - २०५ ४० ७७, २०५ ११ २३ (ओ.) कांतिलालजी
विशेष :- सर्वप्रथम श्री गोकुल नगर - नजराना श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ की तरफ से परम पूज्य मुनिराज श्री विमलसेन विजयजी म. एवं पूज्य मुनिराज श्री हेमरत्न विजयजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०३६ का फागुण वदि ६, तारीख ८-३-८० को अतिथिरूप में मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की पंचधातु की प्रतिमाजी की स्थापना की थी। जो प्रतिमाजी संजोग बिल्डींग से लाई गयी थी।
__श्री संघ की भावनानुसार एक भव्य जिनालय का निर्माण हुआ. जिसकी शिलास्थापना वि. सं. २०५२ का माह सुदि १४, शनिवार, तारीख ३-२-९६ को हुई थी। वर्धमान तपोनिधि स्व. पूज्यपाद आचार्य श्री भुवनभानु सूरीश्वरजी म. के विद्वान प्रशिष्य रत्न प.पू. आचार्यदेव श्री विजय हेमरत्नसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में अंजनशलाका - प्रतिष्ठा वि. सं. २०५४ का माह सुदि १३, सोमवार, ता. ९-२-९८ को ८ दिन के महोत्सव के साथ सम्पन्न हुई थी।
मूलगंभारे में मूलनायक श्री नेमिनाथ प्रभु की ४५”, श्री पद्मप्रभस्वामी की ४१", श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की ४१" की आरस की तीन प्रतिमाजी, पंचधातु की १३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ५, विस स्थानक - १, अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं।
रंगमंडप में श्री आदिनाथ प्रभु, श्री मुनिसुव्रत स्वामी, श्री वासुपूज्य स्वामी एवं श्री शान्तिनाथ भगवान सहित पाषाण की ४ प्रतिमाजी तथा श्री पुंडरीक स्वामी के अलावा श्री गौतमस्वामी गणधर
For Private and Personal Use Only