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मुंबई के जैन मन्दिर
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जैन ज्ञाति महाजन (मुंबई) को मकान एवं कूएं बनाने हेतू भेट दिये । अनन्त सिद्धि के प्लोट पर ई. सन १९०२ में ज्ञाति महाजन के लिये सर्वप्रथम श्री महावीर स्वामी का मंदिर बनाने में आया, उसके बाद ई. सन १९४६ में उसका पुनरूद्धार करके श्री आदीश्वर प्रभु का नूतन जिनालय बनवाकर जेठ सुदि - ११ को प्रतिष्ठा करने में आई।
६८ ब्लोक वाले नूतन अतिथि गृह के ज्ञाति शिरोमणि सेठ श्री नरशीनाथा सभागृह का नामकरण विधि वि. सं. २०३६ के आसो सुदि - १०, ता. १९-१०-८०, शुक्रवार के शुभ दिन सेठ श्री टोकरशी आनन्दीलाल एवं अ. सौ. लक्ष्मीबाई टोकरशीलाल के शुभ हस्तक से कराया गया।
इस जिनालय की प्रतिष्ठा वि. सं. २००२ का जेठ सुदि ११ को हुई थी। इसकी गोल्डन जुबली ता. २३-५-९६ से ३०-५-९६ तक आठ दिन के भव्य महोत्सव के साथ मनाई गयी।
यहाँ पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, चऊमुखी प्रतिमाजी पंचधातु की - १, विशस्थानक -१ तथा उपर पाषाण की १ प्रतिमाजी महावीर स्वामी की, पंचधातु की - १ विशस्थानक - १, सिद्धचक्र जी - १ इसके अलावा ईष्ट देव -देवता तथा कल्याणसागरसूरीश्वरजी म. की प्रतिमाजी बिराजमान हैं।
श्री कच्छी दशा ओसवाल जैन ज्ञाति में शिरोमणि सेठ श्री केशवजी नायक और श्री नरशी नाथा थे। जिनके द्वारा बनाई गयी टुंक शत्रुजय तीर्थ पर शोभायमान हैं।
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श्री महावीरस्वामी भगवान गृह मन्दिर शक्ति एपार्टमेन्ट, पहला माला, लालबहादुर शास्त्री मार्ग,
भांडुप (प.), मुंबई - ४०० ०७८. टेलिफोन नं.-(ओ.) ५९१ १३५२ देवजी भोजराज - ५६१ ७३ १३ विशेष :- यहाँ भगवान महावीर की पंचधातु की १ प्रतिमाजी, १ सिद्धचक्रजी एवं अष्ट मंगल १ सुशोभित हैं।
श्री क. वि. ओसवाल अचलगच्छ जैन संघ - चि. हसमुख कल्याणजी गंगाजर भगत रताडीया गणेशवाला उपाश्रय की स्थापना वि. सं. २०४१ में हुई थी।
श्री क. वि. ओसवाल अचलगच्छ जैन संघ - मातुश्री कस्तूरबेन रायशी मेघजी पासद गाम देढियावाला विविध लक्षी होल की स्थापना वि. सं. २०४३ में हुई थी।
वि. सं. २०४६ का आषाढ सुदि २ को श्री कच्छी विशा ओसवाल अचलगच्छ जैन संघ - भाडुप द्वारा परम पूज्य आ. श्री गुणसागर सूरि जैन पाठशाला की स्थापना हुई थी।
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