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मुंबई के जैन मन्दिर
युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणासे आपश्री की पावन निश्रा में वि.सं. २०३२ का पोष वद १० को महावीर स्वामी १९” एवं वासुपूज्य स्वामी १९" तथा पद्मावती देवी और घंटाकर्ण वीर की प्रतिष्ठा हुई थी।
यहाँ पाषाण की १३ प्रतिमाजी, पंच धातुकी १५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १२, अष्टमंगल - २ तथा रंगमण्डप के बाहर की ओर ३ गुरुदेवो की प्रतिमाजी शोभायमान है। जिनालय में अनेक तीर्थो के प्राचीन कारीगरी के चित्र शोभा बढा रहे हैं।
मन्दिरजी के नजदीक मे मुनि भगवन्तो के लिये उपाश्रय एवं व्याख्यान भवन, भिखीबेन जैन पाठशाला एवं सुपार्श्व जैन महिला मंडल की व्यवस्था हैं।
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श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय
मातृ आशिष, ३९ नेपीयनसी रोड, मुंबई - ४०० ०३६. टे. फोन : ३६७ ९८९३ - वरदीचन्दजी, ३६२ ६२ ३४ - महेन्द्रभाई विशेष :- प.पू. युगदिवाकर आ.भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा व आशीर्वाद से श्री मातृ आशिष जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ द्वारा इस भव्य शिखरबंदी जिनालय का शिलान्यास परम पूज्य आचार्य विजय भक्तिसूरीश्वरजी म. के पट्टधर विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०३३ का श्रावण सुद ५ को हुआ था तथा इसी दिन सर्व प्रथम गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा हुई थी। उस वक्त लकडी के समवसरण पर एक पंच धातु की प्रतिमाजी व सिद्धचक्रजी बिराजमान किये गये थे। उसके बाद ३ आरसकी, ६ पंच धातुकी, सिद्धचक्रजी - ५, अष्टमंगल - ३, यंत्र ४ की संघ द्वारा पूजा होती रही।
___ अनेक वर्षों तक जिनालय का काम रुका रहा, बादमें जिनालय के निर्माण का प्रारंभ परम पूज्य युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. समुदाय के आचार्य विजय जयानन्दसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रामें वि.सं. २०५० का आसौ सुदी १० को हुआ। वर्तमान शिखरबंदी जिनालय का निर्माण सुप्रसिद्ध दानवीर सेठ भीनमाल निवासी श्री घमंडीरामजी केवलजी गोवाणी परिवारवालो द्वारा हुआ है।
मन्दिर के सामने ही पुनमचन्दजी प्रतापजी आराधना भवन हैं।
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श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर हैद्राबाद इस्टेट, हैद्राबाद ब्लोक्स के आगे शिमला हाऊस, E ब्लोक नीचे ग्राउण्ड फ्लोर,
नेपीयनसी रोड, वालकेश्वर, मलबार हील, मुंबई - ४०० ००६.
टे. फोन : ३६३ १७१३, २०८४४ २४ बी. आर. वोरा । विशेष:-श्री शिमला हाऊस जैन संघ द्वारा इस मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य गच्छाधिपति
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