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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर विशेष :- इस गृह मन्दिरजी का सचालन श्री भादरण नगर जैन संघ द्वारा हो रहा हैं । पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा व आज्ञा चेम्बर तीर्थ से प्राप्त श्री जिन प्रतिमाओ की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य लब्धि लक्ष्मण के शिशु शतावधानी आ. विजय कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०३०, वीर सं. २५०० वैशाख सुद १० बुधवार ता. १-५ -७४ को हुई थी । कच्छ बिदा हाल सान्ताक्रुझ निवासी स्व. सेठ श्री धारसी भीमसी अजाणी के सुपुत्र सेठ गांगजी धारसी अजाणी एवं धर्मपत्नी देवकाबेन गांगजी की ओर से इस गृह मन्दिरजी की स्थापना हुई थी । यहाँ की पुन: प्रतिष्ठा वि. सं. २०५१ का जेठ सुदि ९ बुधवार ता. ७-६ - ९५ को हुई थी । यहाँ नीचे उपर आरस की १० प्रतिमाजी, पंचधातु की ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ६, अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं । यहाँ श्री वाडीलाल गंभीरदास सोनेया भाभरवाला श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन उपाश्रय तथा श्री लक्ष्मणसूरि जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं । श्री पार्श्वकीर्ति जैन युवक मण्डल, श्री पार्श्वलब्धि महिला मंडल, श्री लक्ष्मण कीर्ति बालिका मण्डल का भी भक्ति भावना में अग्रणीय नाम हैं । (१५६) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर आकाश एपार्टमेन्ट, ११-१२ पहला माला, मामलतदारवाडी क्रॉस रोड नं. ४, मलाड (प.) मुंबई - ४०० ०६४. टे. फोन : ८८२ २६ २३ भरतभाई केतनभाई २००६८२४, २०३१६९० ९९ विशेष :- इस गृहमन्दिर के संस्थापक एवं संचालक सेठ श्री ललितभाई छोटालालभाई हैं । आप श्री के पुराने निवास स्थान साधना एपार्टमेन्ट, अमरशी रोड पर परम पूज्य आचार्य भगवंत विजय भुवनभानु सूरीश्वरजी म. के पट्टधर आ. विजय जयघोषसूरीश्वरजी म. आदि मुनिभगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०४९ का जेठ वद ७ को स्थापना हुई थी । यहाँ पंच धातु की - १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी १ तथा गौतम स्वामी की सुशोभित हैं। For Private and Personal Use Only १ प्रतिमाजी आपके नूतन निवासस्थान आकाश एपार्टमेन्ट में श्रीमती उषा बहन अमृतलाल मेहता के यहाँ पुनः १५ जुन १९९७ को भगवान स्थापित किये, मिती २०५३ का जेठ सुद १० रविवार एवं निश्रा दाता पू. राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. थे ।
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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