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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८ मुंबई के जैन मन्दिर ऑपेरा हाऊस-सी.पी. टेंक (३४) श्रेयांसनाथ भगवान गृह मन्दिर ५७-६१, नगीनदास मेन्शन, पाँचवा माला, ऑपेरा हाऊस, मुंबई - ४०० ००४. टे. फोन : ३८७ ०१ ७८, ३८७ ३११७ दीपचन्दभाई विशेष :- सुरत निवासी श्रीमान श्रेष्ठीवर्य श्री दीपचन्दभाई लल्लुभाई तासवाला का यह गृह मन्दिर कहा जाता हैं । सिढियो के बाजू में अपने निवास स्थान के बाहरी भाग में यह मन्दिर शोभायमान हैं। मन्दिर की स्थापना सन् १९६४ साल में मिती जेठ सुद ४ शनिवार को हुई थी। पंच धातु की २ प्रतिमाजी तथा कमलरुपी आकार मे सुन्दर सिद्धचक्र है। धातु की प्रतिमाजी श्री श्रेयांसनाथजी तथा शान्तिनाथजी दोनो १५७५ वर्ष की पुरानी है। पुरानी बिल्डींग में पांच मंजिल होते भी लिफ्ट की व्यवस्था नहीं हैं। (३५) श्री चन्द्रप्रभस्वामी भगवान शिखरबंदी जिनालय १८६, राजाराम मोहन राय रोड, प्रार्थना समाज, मुंबई - ४०० ००४. टे. फोन : ऑ. ३८२ ७१ २०, ३८६ ५३ ८५ - ऑ. ३८२ ७० ५६, ३८८ ३७०९ पुष्पसेनभाई विशेष:- इस मन्दिरजी की प्रतिष्ठा सेठ वाडीलाल साराभाई ने वि.सं. १९८६ मगसर सुदी ५ को कराई थी। प्रथम माले पर मूलनायक चन्द्रप्रभस्वामी की आरस की प्रतिमाजी है तथा दूसरे माले पर श्री मुनिसुव्रत स्वामी की प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा आ. भगवन्त विजय कस्तूरसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि.सं. २०२४ का श्रावण सुद १० को हुई थी। सबसे नीचे के हॉल में आचार्य भगवन्त श्री नेमिसूरीश्वरजी म. साहेबजी की प्रतिमाजी बिराजमान है। वि.सं. २०२८ - २९ - ३२ में इस जिनालय में पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य निश्रा में नीचे तथा उपर के मूल गंभारो के मूलनायक के नूतन परिकरो, श्री गौतम स्वामीजी, श्री पुंडरीक स्वामीजी, श्री मणिभद्रजी, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री चक्रेश्वरीजी, श्री सरस्वतीजी, श्री लक्ष्मीजी वगैरह शासन देव-देवीओ की प्रतिष्ठा हुई हैं। भव्य और विशाल श्री पद्मावतीजी माताजी ५१" की प्रतिमाजी की अंजनशलाका वि.सं. २०५२ में कुरार विलेज मलाड (पूर्व) में श्री मोहन-प्रताप-धर्मसमुदाय के पू. आ. श्री कनकरत्नसूरीश्वरजी म. पू.आ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म. और पू. आ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पुण्य निश्रा में करा कर यहाँ बिराजमान करने में आई हैं। यहाँ आरस की कुल १८ प्रतिमाजी, पंच धातु की - ३४ के अलावा श्री लक्ष्मी, सरस्वती, चक्रेश्वरी, पद्मावती, गौतम स्वामी पुण्डरीक गणधर आदिकी प्रतिमाजी सुशोभित है। प्रथम माले पर आरस के अनेक For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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