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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २८३ (४३१) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान रथाकर जिनालय हर्ष बंगलो, चरणीपाडा, जकात नाका के पीछे, हालार नगर, अंजुर फाटा, आग्रा रोड, भीवण्डी. जि. थाणा (महाराष्ट्र). टेलिफोन - ९१३-५५३७९ (घर) २०८९९६२, २०६८३१९ (ओ.) विशेष :- इस रथाकार जिनालय, श्रेष्ठिवर्य सेठ श्री मनसुख भाई मेघजी जेठा दोढिया परिवारवालो की तरफ से बनाया गया हैं। इस जिनालय की प्रतिष्ठा वि. सं. २०५३ का मगसर सुदि ३, शुक्रवार, ता. १३-१२-१९९६ को परम पूज्य लब्धि - भुवन - तिलक समुदाय के आ. श्री विजय पुण्यानन्दसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में हुई थी। इस जिनालय में मूलगंभारे में मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी तथा आजू बाजू में श्री सुविधिनाथ, श्री कुंथुनाथ तथा रंगमंडप में श्री शीतलनाथ, श्री सीमन्धर स्वामी सहित पाषाण की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की एक प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी एक, अष्टमंगल एक के अलावा सुरकुमार यक्ष, श्री चंद्रा यक्षिणी एवं श्री सम्मेत शिखरजी तथा श्री शत्रुजय तीर्थ के पट भी दर्शनीय हैं। थाणा जिला में भाईन्दर और भीवण्डी दोनो शहर में रथाकार जिनालय का निर्माण हुआ हैं । (४३२) श्री मुनिसुवत स्वामी भगवान गृह मन्दिर कैलास दर्शन एपार्टमेन्ट, ११५ कैलाश दर्शन सोसायटी, ओसवाल सागर के सामने, आग्रा रोड, भीवण्डी. जि. थाणा - महाराष्ट्र. टेलिफोन नं.:- ९१३ - ५५३ ७९ - मनसुखभाई विशेष :- इस जिनालय के प्रेरणा दाता परम पूज्य आ. देव श्री ललितशेखरसूरीश्वरजी म. एवं पूज्य मुनिराज श्री अक्षय बोधि विजयजी म. थे। इस जिनालय के लिये भूमि सप्रेम भेट देनेवाले भाग्यशाली गं. स्व. डाइबेन मानण पटेल थे। इस जिनालय के संस्थापक एवं संचालक श्री कैलाश दर्शन सोसायटी के सौजन्य से श्री हालारी विशा ओसवाल मूर्तिपूजक जैन संघ हैं। इस गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य लब्धि - भुवनतिलक समुदाय के आ श्री विजय भद्रंकर सूरीश्वरजी म. के पट्टधर प. पूज्य आ. श्री विजय पुण्यानन्द सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५२ का मगसर सुदि १०, सोमवार, ता. १-१२-९५ को हुई थी। ___ यहाँ पाषाण की, श्री मुनिसुव्रतस्वामी मूलनायक के साथ आजुबाजु में श्री संभवनाथ प्रभु, श्री सुपार्श्वनाथ प्रभु की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की - २ प्रतिमाजी, २ सिद्धचक्रजी बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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